टोंक जिले का संपूर्ण विवरण
टोंक जिला राजस्थान का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। इसे “राजस्थान का लखनऊ” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की इमारतों और स्थापत्य कला में नवाबी प्रभाव देखने को मिलता है।
Table of Contents
भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 26.17° N, 75.78° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 7,194 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में जयपुर जिला
- दक्षिण में भीलवाड़ा और बूंदी जिले
- पूर्व में सवाई माधोपुर जिला
- पश्चिम में अजमेर जिला
- जलवायु:
- गर्मियों में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
- भूभाग:
- यह जिला अरावली पर्वतमाला से प्रभावित है और यहाँ का अधिकांश भाग मैदानी क्षेत्र है।
स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- उपनाम:
- नवाबों की नगरी
- राजस्थान का लखनऊ
- भारत का टाटा नगर
- नमदों का शहर
- प्राचीन नाम: रैंढ़
- स्थापना:
- श्यामलदास जी के ‘वीर-विनोद’ ग्रंथ के अनुसार रामसिंह द्वारा
- टोंक रियासत की स्थापना: अमीर खाँ पिंडारी द्वारा (1817 में)
- विशेषता:
- राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत
- पहली शिकार एक्ट लागू करने वाली रियासत
- अंग्रेजों द्वारा निर्मित राज्य में दूसरी रियासत
भौगोलिक विशेषताएँ
- शुभंकर: हंस
- राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-23, NH-52, NH-552
- नदी: बनास नदी
- प्रमुख बाँध: टोरड़ी सागर, गलवा व माशी बांध
शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्थान
- कसरेइल्म (4 दिसंबर 1978):
- अरबी-फारसी शोध संस्थान
- “साहित्य सेवियों की तीर्थस्थली” के रूप में प्रसिद्ध
- वनस्थली विद्यापीठ:
- 1935 में हीरालाल शास्त्री द्वारा “शांता बाई शिक्षा कुटीर” के रूप में स्थापित
- 1943 में विश्वविद्यालय का दर्जा
- पूर्णतः महिला शिक्षा को समर्पित
- केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान (अविकानगर, 1962):
- भारत सरकार द्वारा स्थापित
- मालपुरा के नमदा उद्योग को बढ़ावा देने हेतु
ऐतिहासिक स्थल एवं स्मारक
- अमीरगढ़ किला:
- ब्राह्मण भोला द्वारा निर्मित
- 26 प्राचीन पाषाण प्रतिमाएँ यहाँ मिली हैं
- ककोड़ का किला:
- प्राचीन नाम: कनकपुरा
- गगनचुम्बी पहाड़ी पर स्थित
- सुनहरी कोठी (1824-1834):
- नवाब अमीर खाँ द्वारा प्रारंभ
- नवाब वजीरुद्दौला खाँ के समय पूर्ण
- मुबारक महल:
- प्रारंभिक नाम: जरगिनार
- पचेवर का किला व असीरागढ़ का किला
धार्मिक स्थल
- गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर:
- 1725 ई. में सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित
- जालन्धर नाथ की गुफा (निवाई)
- माण्डकला गाँव:
- “मिनी पुष्कर” के नाम से प्रसिद्ध
- माण्डव्य ऋषि की तपोस्थली
- देवनारायण जी का मेला (देवधाम जोधपुरिया):
- वर्ष में 2 बार (भाद्रपद शुक्ल-6 व माघ पूर्णिमा)
सांस्कृतिक विरासत
- चारबैत शैली:
- करीब खाँ द्वारा प्रारंभ
- फैजुल्ला खाँ ने इसे प्रसिद्ध बनाया
- लोक मेले:
- पुलानी मेला (डिग्गी गाँव)
- पिपलू मेला (पिपलू गाँव)
- दड़ा महोत्सव (मकर संक्रांति पर)
- भाषा: चौरसी बोली
आर्थिक गतिविधियाँ
- प्रमुख उद्योग:
- नमदा उद्योग (मालपुरा-अविकानगर)
- बीड़ी उद्योग
- कृषि:
- मीठे खरबूजे के लिए प्रसिद्ध
- मिर्च मण्डी (टोंक शहर में)
- विशेष स्थल:
- हाथी भाटा (गुमानपुरा गाँव)
प्रमुख व्यक्तित्व
- दामोदर लाल व्यास (“राजस्थान के लौह पुरुष”):
- मालपुरा में जन्म
- कर्पूर चन्द कुलिश:
- राजस्थान पत्रिका के संस्थापक
- मालपुरा में जन्म
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- देवली: 1857 की क्रांति के समय सैनिक छावनी
- राजकीय बस सेवा: राजस्थान में सर्वप्रथम टोंक से प्रारंभ
- नगर सभ्यता (उणियारा के पास):
- “खेड़ा सभ्यता” के नाम से भी जानी जाती है
टोंक जिला अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता और औद्योगिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। नवाबी संस्कृति, नमदा उद्योग और शैक्षणिक संस्थान इसकी विशेष पहचान हैं। माउंट आबू की तलहटी में बसे इस जिले ने शिक्षा, साहित्य और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।