जालोर जिला दर्शन (Jalore Jila Darshan)

By: LM GYAN

On: 6 April 2025

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जालोर

जालोर जिले का संपूर्ण विवरण

जालोर जिला राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है और इसे “गुर्जर प्रतिहारों की भूमि” कहा जाता है। यह जिला अपने सुंधा माता मंदिर, जालोर किले, ग्रेनाइट उद्योग और मिर्च उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

भौगोलिक स्थिति

  • देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 25.34° N, 72.62° E
  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 10,640 वर्ग किमी
  • सीमाएँ:
    • उत्तर में पाली जिला
    • दक्षिण में सिरोही जिला और गुजरात राज्य
    • पूर्व में जोधपुर जिला
    • पश्चिम में बाड़मेर जिला
  • जलवायु:
    • यह क्षेत्र मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-रेगिस्तानी है।
    • गर्मियों में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक गिर सकता है।
  • भूभाग:
    • अधिकांश भाग रेतीला और समतल है, लेकिन कुछ क्षेत्र अरावली पर्वतमाला से घिरे हुए हैं।
    • यहाँ सुंधा पर्वत स्थित है, जो धार्मिक और पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • प्राचीन नाम: जाबालिपुर, सुवर्ण नगरी
  • उपनामग्रेनाइट सिटी (गुलाबी व पीले ग्रेनाइट के भंडार के कारण)
  • शुभंकरभालू (सुंधा माता अभयारण्य में संरक्षित)
  • स्थापना:
    • चौहान वंश की स्थापना कीर्तिपाल (1181 ई.) द्वारा
    • अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ई. में जीतकर नाम जलालाबाद रखा

भौगोलिक विशेषताएँ

  • नदियाँ: सूकड़ी (लूनी की सहायक), सागी
  • पर्वत:
    • सुंधा पर्वत (991 मीटर) – जिले की सबसे ऊँची चोटी
    • कनकांचल पहाड़ी (जालोर दुर्ग स्थित)
  • रेगिस्तानी तटनेहड़ (दलदली क्षेत्र)

प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

(क) किले
  1. जालोर दुर्ग (सुवर्णगिरी/सोनल गढ़):
    • निर्माण: प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम या परमारों द्वारा
    • विशेषता:
      • अभेद्य द्वार (हसन निजामी के अनुसार)
      • पीरजी का उर्स (धार्मिक एकता का प्रतीक)
  2. कोटा कास्तां दुर्ग (भीनमाल): नाथ संप्रदाय से जुड़ा
(ख) धार्मिक स्थल
  1. आशापुरी मंदिर (मोद्रा):
    • सोनगरा चौहानों की कुलदेवी
    • नवरात्रि में विशाल मेला
  2. सुंधा माता मंदिर:
    • राजस्थान का पहला रोप-वे (2006 में शुरू)
    • चामुंडा देवी को समर्पित
  3. अपराजितेश्वर महादेव मंदिर:
    • राजस्थान का पहला सफेद स्फटिक शिवलिंग
    • खारे पानी का गोमती कुंड
  4. लक्ष्मी वल्लभ पार्श्वनाथ जैन मंदिर (साँथू):
    • क्षेत्रफल में राजस्थान का सबसे बड़ा जैन मंदिर
  5. नीलकंठ महादेव मंदिर:
    • अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित
    • आधा काला, आधा पीला शिवलिंग

वन्यजीव एवं पर्यावरण

  • भालू अभयारण्य (सुंधा माता):
    • राजस्थान का पहला व देश का चौथा भालू संरक्षण केंद्र
  • बांकली बांध: सूकड़ी नदी पर निर्मित

आर्थिक गतिविधियाँ

  • कृषि:
    • ईसबगोल, जीरा, अरण्डी, टमाटर में अग्रणी
  • खनिज:
    • गुलाबी व पीला ग्रेनाइट (नसौली)
  • हस्तशिल्प:
    • भीनमाल की मोजड़ी (चमड़े के जूते)
    • खेसला उद्योग (लोटा गाँव में सूती खेस बुनाई)

सांस्कृतिक विरासत

  • भाटा गैर: होली के दूसरे दिन का लोकनृत्य
  • ऐतिहासिक व्यक्तित्व:
    • ब्रह्मगुप्त (गणितज्ञ) व महाकवि माघ – भीनमाल के निवासी
    • उद्योतन सूरी: “कुवलय माला” की रचना

पर्यटन एवं आधुनिक विकास

  • सूखा बंदरगाह (भावतरा):
    • बाड़मेर के बाद राजस्थान का दूसरा प्रस्तावित बंदरगाह
  • बड़गाँव: “जालोर का कश्मीर”

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • जालोर में कोई बारहमासी नदी नहीं
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भीनमाल को “कोट्याधिपतियों का नगर” कहा

जालोर जिला अपनी ऐतिहासिक दुर्गों, धार्मिक विविधता और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है। सुंधा माता का रोप-वे, जालोर दुर्ग की ऐतिहासिक गाथाएँ और भीनमाल की बौद्धिक विरासत इसकी विशिष्ट पहचान हैं। कृषि एवं खनिज संपदा ने इसे आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया है, जबकि भालू संरक्षण ने पर्यावरणीय महत्व दिया है।

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