अरावली पर्वतीय प्रदेश राजस्थान का एक प्रमुख भौतिक प्रदेश है, जो अपनी प्राचीन भू-वैज्ञानिक उत्पत्ति, विशाल विस्तार, और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान को मरुस्थलीय और गैर-मरुस्थलीय भागों में विभाजित करता है और इसे महान भारतीय जल विभाजक के रूप में जाना जाता है। नीचे इसकी उत्पत्ति, विस्तार, विशेषताएँ, और वर्गीकरण का विस्तृत विवरण दिया गया है।
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अरावली पर्वतीय प्रदेश की उत्पत्ति
- शाब्दिक अर्थ: अरावली का अर्थ “पर्वतों की शृंखला”। विष्णु पुराण में इसे सुमेर पर्वत, मेरु पर्वत, या परिपत्र पर्वत कहा गया।
- भू-वैज्ञानिक उत्पत्ति:
- आद्य महाकल्प (एजोइक एरा, प्री-पैलियोजोइक, प्री-कैंब्रियन काल) में, लगभग 4.88 अरब वर्ष पूर्व, गौंडवाना लैंड में वलन क्रिया से निर्मित।
- अरब सागर: अरावली का गर्भगृह।
- प्रायद्वीपीय पठार: उच्चावच की दृष्टि से अरावली भारत के प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश का हिस्सा।
- देहली क्रम:
- अरावली से पूर्व चट्टानों का विस्तार, तीन समूह:
- अलवर समूह: अलवर।
- अजबगढ़ समूह: सिरोही।
- रायलो समूह: बाड़मेर।
- अरावली से पूर्व चट्टानों का विस्तार, तीन समूह:
अरावली पर्वतीय प्रदेश का विस्तार
- भारत में विस्तार:
- राज्य: गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली (केंद्र शासित प्रदेश)।
- लंबाई: पालनपुर (गुजरात) से रायसीना (दिल्ली) तक 692 किमी।
- राजस्थान में विस्तार:
- क्षेत्रफल: राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 9%।
- लंबाई: सिरोही से खेतड़ी तक 550 किमी, इसके बाद छितरी पहाड़ियाँ दिल्ली तक।
- दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व।
- अक्षांशीय: 23°20’ उत्तरी से 28°20’ उत्तरी अक्षांश।
- देशांतरीय: 72°10’ पूर्वी से 77°03’ पूर्वी देशांतर।
- चौड़ाई: राजसमंद से बांसवाड़ा के मध्य सर्वाधिक।
- ऊँचाई: राजसमंद से सिरोही के मध्य सर्वाधिक, जयपुर में न्यूनतम।
- विस्तार:
- सर्वाधिक: उदयपुर।
- न्यूनतम: अजमेर।
- जिले: सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, अलवर, सीकर, झुंझुनू।
अरावली पर्वतीय प्रदेश की विशेषताएँ
- प्राचीनतम वलित पर्वतमाला:
- विश्व की सबसे पुरानी, उत्तरी अमेरिका की एपलाचियन पर्वतमाला के समकक्ष।
- महान भारतीय जल विभाजक: राजस्थान को मरुस्थलीय और गैर-मरुस्थलीय भागों में विभाजित।
- नदियों का उद्गम:
- बनास, लूणी, बेड़च, खारी, कोठारी, सूकड़ी, साबरमती।
- मरुस्थल नियंत्रण: पश्चिमी मरुस्थल के पूर्ववर्ती विस्तार को रोकता है।
- अवशिष्ट पर्वत:
- उत्पत्ति के समय ऊँचाई: 2800 मीटर।
- वर्तमान औसत ऊँचाई: 930 मीटर (अपरदन के कारण)।
- खनिज संसाधन:
- धारवाड़ क्रम: ग्रेनाइट, नीस, क्वार्टजाइट।
- धात्विक खनिज: लौह अयस्क, ताँबा, सीसा, जस्ता, टंगस्टन, चाँदी।
- जैव विविधता:
- सर्वाधिक वन सम्पदा, वन्यजीव अभयारण्य (रणथंभौर, सरिस्का)।
- आदिवासियों की आश्रय स्थली।
- मृदा:
- लाल मृदा (इन्सेप्टिसोल): मक्का के लिए उपयुक्त।
- अपवाह तंत्र:
- तीनों तंत्रों की नदियों का उद्गम: आंतरिक प्रवाह, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर।
- पर्यटन:
- माउंट आबू, गुरु शिखर, कुम्भलगढ़, सज्जनगढ़।
अरावली पर्वतीय प्रदेश का वर्गीकरण
ऊँचाई के आधार पर अरावली को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
1. उत्तरी अरावली (जयपुर से खेतड़ी)
- औसत ऊँचाई: 450-700 मीटर।
- विशेषताएँ: छितरी पहाड़ियाँ, क्रमबद्ध नहीं।
- क्षेत्र: सांभर से उत्तर-पूर्व, तोरावाटी, शेखावाटी, अलवर, जयपुर।
- प्रमुख चोटियाँ:
- रघुनाथगढ़ (सीकर): 1055 मीटर
- खोह (जयपुर): 920 मीटर
- भैराच (अलवर): 792 मीटर
- बरवाड़ा (जयपुर): 786 मीटर
- बाबाई (झुंझुनू): 780 मीटर
- बिलाली (अलवर): 775 मीटर
- बैराठ (जयपुर): 704 मीटर
- सरिस्का (अलवर): 677 मीटर
- भानगढ़ (अलवर): 649 मीटर
- जयगढ़ (जयपुर): 648 मीटर
- नाहरगढ़ (जयपुर): 599 मीटर
- अलवर किला (अलवर): 597 मीटर
- सिरावास (अलवर): 651 मीटर
- मनोहरपुरा (जयपुर): 747 मीटर
- दर्रे: कोई दर्रा नहीं।
- पहाड़ियाँ:
- झुंझुनू: पालखेत, लोहागढ़, भोजागढ़, अधवाड़ा, नेहरा।
- सीकर: खंडेला, तोरावाटी, मालखेत, जीणमाता, हर्ष, नेछवा।
- जयपुर: ईगल, आमेर, बैराठ, मनोहरपुरा, जमवारामगढ़, सेवर, झालाना डूँगरी, चुलगिरि।
- अलवर: नीलकंठ, कालीघाटी, उदयनाथ, हर्षनाथ, देवगिरि।
- दौसा: देवगिरि।
2. मध्य अरावली (अजमेर से जयपुर)
- औसत ऊँचाई: 700 मीटर।
- विशेषताएँ: संकीर्ण घाटियाँ, मैदान, और पर्वत श्रेणियाँ एकांतर क्रम में।
- नदियाँ: लूणी का उद्गम (नाग पहाड़)।
- प्रमुख चोटियाँ:
- गोरमजी (अजमेर): 934 मीटर
- मेरियाजी (टॉडगढ़, अजमेर): 933 मीटर
- तारागढ़ (अजमेर): 873 मीटर
- नाग पहाड़ (अजमेर): 795 मीटर
- प्रमुख दर्रे:
- बर दर्रा
- अरनिया
- सुराघाट
- पीपली
- परवेरिया
- शिवपुरी
- पहाड़ियाँ:
- मेरवाड़ा, बीठली (तारागढ़ दुर्ग: गढ़ बीठली)।
3. दक्षिणी अरावली (आबू से अजमेर)
- औसत ऊँचाई: 1000 मीटर।
- विशेषताएँ: सघन और उच्च पर्वत श्रेणियाँ, भोराट और लसाड़िया पठार, गिरवा पर्वतीय क्षेत्र।
- प्रमुख चोटियाँ:
- गुरु शिखर (सिरोही): 1722 मीटर (राजस्थान का सर्वोच्च शिखर)
- सेर (सिरोही): 1597 मीटर
- देलवाड़ा (सिरोही): 1442 मीटर
- जरगा (उदयपुर/राजसमंद): 1431 मीटर
- अचलगढ़ (सिरोही): 1380 मीटर
- कुम्भलगढ़ (राजसमंद): 1224 मीटर
- ऋषिकेश (सिरोही): 1017 मीटर
- कमलनाथ (उदयपुर): 1001 मीटर
- सज्जनगढ़ (उदयपुर): 938 मीटर
- सायरा (उदयपुर): 900 मीटर
- लीलागढ़ (उदयपुर): 874 मीटर
- नागपानी (उदयपुर): 867 मीटर
- गोगुन्दा (उदयपुर): 840 मीटर
- आबू (सिरोही): 1295 मीटर
- प्रमुख दर्रे:
- स्वरूप घाट (पाली)
- देसूरी की नाल (पाली)
- सोमेश्वर दर्रा (पाली)
- कामली घाट (राजसमंद)
- गोरम घाट (राजसमंद)
- हाथीगुढ़ा दर्रा (राजसमंद)
- केवड़ा की नाल (उदयपुर)
- देबारी दर्रा (उदयपुर, H.M. सक्सेना: मध्य अरावली)
- हाथी दर्रा (उदयपुर)
- फुलवारी की नाल (उदयपुर)
- जीलवा/पगल्या नाल (मारवाड़-मेवाड़ को जोड़ती)
- पहाड़ियाँ:
- सिरोही: मानगाँव, जसवंतपुरा (छप्पन की पहाड़ियाँ, नाकोड़ा पर्वत: डोरा-869 मीटर, इसराना भाखर-839 मीटर, रोजा भाखर-730 मीटर, झारोल-588 मीटर, सुंधा)।
- भीलवाड़ा: बीजासण, मांडल, बिजौलिया।
- राजसमंद: खमनौर, दिवेर, कुकरा, बिजराल।
- उदयपुर: धोलिया डूँगरी, जोलियाँ डूँगरी, मनीयोल।
- चित्तौड़गढ़: पालखेड़ा।
प्रमुख पठार
- उड़िया का पठार (सिरोही):
- ऊँचाई: 1360 मीटर (राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार)।
- विशेषताएँ: माउंट आबू, नक्की झील (सबसे ऊँची मीठे पानी की झील)।
- आबू का पठार (सिरोही):
- आकार: 19 किमी लंबा, 8 किमी चौड़ा, 1200 मीटर ऊँचा।
- विशेषताएँ: बैथोलिक संरचना, इन्सेलबर्ग।
- भोराट का पठार (उदयपुर-राजसमंद):
- ऊँचाई: 1225 मीटर (तीसरा सबसे ऊँचा)।
- विशेषताएँ: अरब सागर-बंगाल की खाड़ी जल विभाजक।
- मेसा का पठार (चित्तौड़गढ़):
- ऊँचाई: 620 मीटर, बेड़च-गंभीरी नदियों द्वारा अपरदित।
- मानदेसरा का पठार (चित्तौड़गढ़).
- लसाड़िया का पठार (उदयपुर):
- जयसमंद झील के पूर्व, सबसे कटा-फटा पठार।
- देशहरो का पठार (उदयपुर):
- जरगा-रागा पहाड़ियों के मध्य, वर्षभर हरा-भरा।
- भोमट का पठार (उदयपुर-डूंगरपुर-बांसवाड़ा):
- भोमट जनजाति का निवास।
- काकनवाड़ी का पठार (अलवर):
- भानगढ़ और काकनवाड़ी दुर्ग।
प्रमुख पर्वत और पहाड़ियाँ
- गिरवा (उदयपुर): अर्ध-चंद्राकार/तश्तरीनुमा पहाड़ियाँ।
- भाखर (सिरोही): तीव्र ढाल वाली पहाड़ियाँ।
- मेवल (डूंगरपुर-बांसवाड़ा): स्थानीय नाम।
- मगरा (उदयपुर): उत्तर-पश्चिम में अवशिष्ट पहाड़ियाँ।
निष्कर्ष
अरावली पर्वतीय प्रदेश राजस्थान के 9% क्षेत्र को कवर करता है और प्री-कैंब्रियन काल में गौंडवाना लैंड से निर्मित विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वतमाला है। यह राजस्थान को दो भौगोलिक भागों में बाँटती है और महान जल विभाजक के रूप में कार्य करती है। गुरु शिखर (1722 मीटर) इसका सर्वोच्च शिखर है, और उड़िया पठार सबसे ऊँचा पठार। धारवाड़ क्रम की चट्टानें इसे खनिजों (ताँबा, जस्ता) में समृद्ध बनाती हैं, जबकि वन सम्पदा और जैव विविधता इसे पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। उत्तरी, मध्य, और दक्षिणी अरावली का वर्गीकरण इसकी विविधता को दर्शाता है।