नादोती और टोडाभीम तहसील गंगापुरसिटी जिले में शामिल करने के बाद पुनर्गठित करौली जिले में 4 उपखंड (करौली, हिंडौन, सपोटरा, मंडरायल) व 7 तहसीलें (करौली, हिडीन सपोटरा, मासलपुर, मंडरायल, श्रीमहावीरजी, सूरौठ) रह गई हैं।
पुनर्गठित करौली जिले की सीमा 5 जिलों- धौलपुर, भरतपुर, दौसा, गंगापुरसिटी, सवाई माधोपुर जिले से लगती है। करौली की मध्यप्रदेश से अंतर्राज्यीय सीमा लगती है।
- करौली का शुभंकर- घड़ियाल।
- करौली पूर्वी राजस्थान का हिस्सा है।
- करौली में सामान्यतः यादव वंश का शासन रहा है। यहाँ पर 1040 ई. में यादव वंश की स्थापना विजयपाल द्वारा की गई।
- करौली राजस्थान का 32वाँ जिला है, जिसको जिले का दर्जा 19 जुलाई 1997 को मिला। यह सवाई माधोपुर से अलग होकर 32वाँ जिला बना था।
- 18 मार्च 1948 को करौली को मत्स्य संघ में शामिल किया गया।
- करौली का उपनाम- कल्याणपुरी, डांग की रानी, राजस्थान का वृंदावन।
- तिम्मनपाल- करौली के तिम्मनगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
- हरवक्षपाल- सर्वप्रथम 1817 में अंग्रेजों के साथ सहायक संधि की थी।
- मदनपाल- 1857 की क्रांति के समय करौली के महाराव थे। इनकी सहायता से कोटा विद्रोह दबाया गया।
- स्वामी दयानंद सरस्वती- ये राजस्थान में सर्वप्रथम करौली रियासत में आए थे।
- करौली प्रजामंडल- त्रिलोकचंद माथुर द्वारा 1939 में इसकी स्थापना की गई।
- हिंडोन- स्लेट निर्माण
- श्रीमहावीर जी- दिगम्बर जैन समुदाय का मंदिर ( श्री महावीर जी की 400 वर्ष पुरानी मूर्ति) प्रतिवर्ष चैत्र सुदी 13 से वैशाख बदी दूज तक हिंडोन सिटी में मेला लगता है जिसके अंत में रथ यात्रा निकलती है। यह जैन समुदाय का सबसे बड़ा मेला है।
- कैलादेवी- यादव वंश की कुलदेवी एवं आराध्य देवी। कैलादेवी का मंदिर (अष्टभुजाकार मूर्ति)। कैलादेवी का मेला (चेत्रशुक्ल अष्टमी)। मंदिर में दर्शन से पहले कालीसिल नदी में नहाना जरूरी माना जाता है।
- कैलादेवी मंदिर (करौली)- यह मंदिर कालीसिल नदी के
- किनारे त्रिकुट पर्वत (करौली) पर स्थित है। इस मंदिर के पास बोहरा भक्त की छतरी स्थित है।
- लांगुरिया नृत्य- कैलादेवी मंदिर में देवी की आराधना के समय लांगुरिया नृत्य एवं लांगुरिया गीत गाए जाते हैं।
- कन्हैया ख्याल- करौली व सवाईमाधोपुर की प्रसिद्ध ख्याल । कन्हैयाल ख्याल प्रस्तुति करने वाले को ‘मेड़िया’ कहते हैं।
- मुश्तर बाई- हिंडौन सिटी निवासी राज्य की प्रथम महिला नौटंकी कलाकार।
- पांचना बांध- राजस्थान का एकमात्र सबसे बड़ा मिट्टी से बना बांध। इस बांध में पांच नदियों भद्रावती, मसावट, माची, अट्टा व बरखेड़ा का पानी आता है।
- महावीर जी का मंदिर (करौली)- यह मंदिर चतुष्कोणीय आकृति में निर्मित है, जो चांदनपुर गाँव, करौली में स्थित है।
- मदन मोहन जी का मंदिर (करौली)- इस मंदिर का संबंध गौड़ीय सम्प्रदाय से है। काले संगमरमर की मूर्ति।
- अंजनी माता मंदिर (करौली)- यह भारत का एकमात्र मंदिर है, जहाँ अंजनी माता द्वारा हनुमानजी को स्तनपान कराते हुए प्रतिमा है।
- महाशिवरात्रि पशु मेला (करौली)- इस मेले का आयोजन फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को होता है। इस मेले में हरियाणवी नस्ल की गाय एवं भैसों का व्यापार होता है।
- ऊँटागिरी का दुर्ग- करौली।
- मण्डरायल का दुर्ग (करौली)- इसे ग्वालियर दुर्ग की कुँजी कहा जाता है। इस दुर्ग में मर्दानशाह पीर की मस्जिद है।
- राव गोपालसिंह की छतरी- करौली।
- करौली में पान की खेती की जाती है।
- राजस्थान में घुटकन नृत्य करौली का प्रसिद्ध है।
- राजस्थान में लट्ठमार होली महावीर जी, करौली की प्रसिद्ध है।
- कैलादेवी अभयारण्य (करौली) – स्थापना 1923 में। इसे डांगलैण्ड के नाम से भी जाना जाता है।
- कँवर मदन सिंह- इन्हें करौली का भीष्म पितामह कहा जाता है। इन्होंने 1915 में बेगारी विलाप नामक पुस्तक लिखी थी।
- पार्वती नदी- उद्गमः छापर की पहाड़ियाँ, करौली।
- भद्रावती नदी- इस नदी पर भद्रावती बांध स्थित हैं जिसका उद्देश्य- करौली को बाढ़ से बचाना है।
- कुँवर मदन सिंह ने 1915 ई. में करौली में सर्वहितकारी पुस्तकालय की स्थापना की।