नवगठित शाहपुरा जिले की सीमा चित्तौड़गढ़ से लगती है। चित्तौडगढ़ की सीमा 8 जिलों- भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, सलूंबर, प्रतापगढ़, कोटा, बूंदी, शाहपुरा से लगती है। मध्यप्रदेश से अंतर्राज्यीय सीमा लगती है।
चित्तौडगढ़ जिले से होकर नेशनल हाइये 27, 48, 56, 156 गुजरते हैं।
- प्रमुख नदी- बेड़च, गंभीरी, बामणी।
- चित्तौड़गढ़ पर गुहिल एवं सिसोदिया वंश का अधिकार रहा है।
- उपनाम- राजस्थान का गौरव, मालवा का प्रवेश द्वार, सीमेन्ट नगरी, राजस्थान का दक्षिणी – पूर्वी प्रवेश द्वार, शक्ति एवं भक्ति की नगरी आदि।
- चित्तौड़गढ़ जिले का शुभंकर- चौसिंगा /घंटेल
- चित्तौड़गढ़ जिले की आकृति- घोड़े की नाल के समान
- चित्तौड़गढ़ जिला राजस्थान राज्य के दक्षिण -पूर्व में दिल्ली व मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर स्थित है।
- मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने चित्रकूट (चित्तौड़गढ़) का निर्माण करवाया।
- बप्पा रावल ने 734 ई. में मौर्य राजा मान को पराजित करके चितौड़गढ़ दुर्ग पर अधिकार किया।
- चित्तौड़ का प्राचीन नाम शिवि एवं नगरी था, जिसकी राजधानी मध्यमिका थी।
- चित्तौड़गढ़ पर गुहिल एवं सिसोदिया राजवंश का अधिकार रहा है। गुहिल राजवंश को विश्व का सबसे प्राचीन राजवंश माना जाता है। गुहिल राजवंश की स्थापना 565 ई. में हुई। गुहिल की राजधानी नागदा (उदयपुर ) थी।
- मेवाड़ी राजाओं को हिन्दुआ सूरज कहते थे। अबुल फजल के अनुसार मेवाड़ी राजा ईरान के बादशाह नोशेखा आदिल के वंशज हैं। कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार मेवाड़ी राजा वल्लभी राजवंश से संबंधित हैं।
- रावल रतनसिंह (1302-1303 ई.) : समरसिंह के पुत्र रावल रतनासिंह रावल शाखा के अंतिम राजा थे। रानी पदिमनी रतनसिंह की प्रिय रानी थी। पदिमनी का वर्णन मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पूस्तक ‘पद्मावत’ में किया गया है।
- राघव चेतन : रतनसिंह का पंडित, जो नाराज होकर अलाउद्दीन खिलजी से मिल गया था।
- चित्तौड़ का प्रथम साका (1303 इ.) : गौरा एवं बादल के नेतृत्व में केसरिया तथा रानी पदिमनी ने जौहर किया। अलाउददीन खिलजी ने चित्तौड़ दुर्ग का नाम खिजाबाद रखा ।
- चित्तौड़ का दूसरा साका (1534 ई.) : गुजरात के शासक बहादुरशाह द्वारा आक्रमण। रानी कर्मावती एवं जवाहरबाई के नेतृत्व में जैौहर तथा रावत बाघसिंह के नेतृत्व में केसरिया।
- चित्तौड़ का तीसरा साका (28 फरवरी 1568) : बादशाह
- अकबर का आक्रमण। फूलकंवर के नेतृत्व में जौहर तथा जयमल राठौड़, वीर कल्ला राठौड़, फता सिसोदिया के नेतृत्व में केसरिया।
- चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक खंडित जिला भी है- चित्तौड़गढ़ व रावतभाटा।
- यह जिला समुद्रतल से औसतन 1600 फीट ऊँचाई पर स्थित है। गंभीरी तथा बड़च नदियाँ चित्तौड़गढ़ शहर के मध्य से होकर गुजरती है।
- कपासन- यहां राष्ट्रय केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स कारखाना स्थापित किया गया है।
- चंदेरिया : एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेल्टर कारखाना यहां स्थापित किया गया है ।
- मंगरोल: सफेद सीमेंट उत्पादन हेतु प्रसिद्ध
- बस्सी : काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध । काष्ठ कला के जनक प्रभातजी सुथार थे।
- अकोला- दाबू प्रिंट का प्रमुख स्थल, चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। इस प्रिंट में लाल, काले तथा हरे रंगों का प्रयोग किया जाता है।
- अकोला-दरीबा : यहाँ ताँबे की खोज की गई है।
- रावतभाटा- राजस्थान की अणु नगरी के नाम से प्रसिद्ध, यहाँ भारी जल संयंत्र स्थापित है।
- ऊपरमाल : चित्तौड़गढ़ के भैँसरोडगढ़ से लेकर भीलवाड़ा के बिजौलिया तक का पठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।
- राणाप्रताप सागर बांध (रावतभाटा): चंबल नदी पर स्थित। भराव क्षमता की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा बांध है।
- चूलिया जल प्रपात : चंबल नदी पर निर्मित राज्य का सबसे बड़ा जल प्रपात।
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग-निर्माण: श्यामलदास का वीर विनोद ग्रंथ के अनुसार- चित्रांगद मौर्य द्वारा किया गया । इस दुर्ग की परिधि लगभग 13 किलोमीटर है। यह राजस्थान के दुर्गों में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा ओर राज्य का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट है। इस दुर्ग को 21 जून 2013 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है।
- विजय स्तम्भ – महाराणा कुंभा द्वारा, 1437 ई. में सारंगपुर युद्ध में महमूद खिलजी प्रथम को पराजित करने के उपलक्ष्य में । यह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर और राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह है । यह राजस्थान की प्रथम इमारत है, जिस पर 15 अगस्त 1949 को डाक-टिकट जारी किया गया। यह 9 मंजिला इमारत है जो 30 फीट चौड़ी और 122 फीट ऊँची है । इसकी तीसरी मंजिल पर 9 बार अल्लाह शब्द लिखा हुआ है।
- उपनाम- विष्णु ध्वज (उपेंद्र नाथ डे द्वारा), कीर्ति स्तम्भ, गरूड़ ध्वज, विष्णु स्तंभ (सी.वी. वैद्य द्वारा), लोक जीवन का रंगमंच (गोपीनाथ शर्मा द्वारा), मूर्तियों का अजायबघर, हिंदू प्रतिमा शास्त्र की अनुपम निधि (आर पी. व्यास द्वारा), भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष, टार्जन टॉवर (फर्यूसन द्वारा) आदि।
- जैन कीर्ति स्तम्भ – निर्माणः 10वीं- 13वीं सदी में जीजाशाह बघेरवाल द्वारा। यह 7 मंजिला इमारत है। यह जैन तीर्थकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है ।
- मातृकृण्डिया- यह हरथानापुर ग्राम, राशमी में स्थित है । इसे राजस्थान का हरिद्वार और मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है। यह चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित पवित्र धा्मिक स्थल है। इसी स्थान से एकी आंदोलन प्रांरंभ हुआ था। यहाँ प्रतिर्ष वैशाख पूर्णिमा को मेला लगता है। श्रद्धालु अपने परिजनों की अस्थियां यहाँ विसर्जित करते हैं।
- बड़ली के शिव मंदिर- निर्माण : परमार शासक हूण के द्वारा । यह प्रतिहारकालीन महामारू शैली में निर्मित है । यहाँ कुल 9 शिव मंदिरों का समूह है, जिनमें घाटेश्वर शिव मंदिर प्रमुख है।
- मीरा मंदिर- यह चित्तौड्गढ़ दुर्ग में स्थित है । इस मंदिर के सामने संत रैदास की छतरी स्थित है।
- बड़ली माता मंदिर- यह मंदिर ‘निकुंभ’ में स्थित है।
- समिद्धेश्वर महादेव मंदिर /भोज मंदिर / त्रिभुवन नारायरण मंदिर- निर्माण: परमार शासक भोज द्वारा जीणोद्धार- मोकल द्वारा।
- सूर्य मंदिर /कालिका मंदिर- यह प्रतिहार कालीन कालिका मंदिर राजस्थान का सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर है।
- आवरी माता मंदिर- यह मंदिर निकुम्भ में स्थित है। इस मंदिर में लकवे से पीड़ित व्यक्ति का इलाज होता है।
- सांवलिया सेठ मंदिर- यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल एकादशी को मेला भरता है।
- कुष्भ स्वामी मंदिर- निर्माण: 1449 ई. में महाराणा कुम्भा द्वारा।
- तुलजा भवानी मंदिर- निर्माण: बनवीर द्वारा। यह शिवाजी की कुलदेवी है।
- सतबीस देवरी मंदिर- यह जैन धर्म से संबंधित है, यहाँ 27 देवरिया स्थित हैं ।
- संत रैदास पैनोरमा, गोरा बादल पैनोरमा, रूपाजी- कृपाजी पैनोरमा, परशुराम पैनोरम। आदि चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
- गंगेश्वर महादेव मंदिर (चित्तौड़गढ़)- निर्माण: संवत् 949 में।
- जयमल राठীड़ का स्मारक- यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग में बना हुआ है।
- फतेह प्रकाश महल (चित्तौड़गढ़ -दुर्ग में स्थित)- निर्माण: महाराणा फतेह सिंह द्वारा
- गोरा-बादल महल (चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित)
- पद्निनी महल- निर्माण: रावल रतन सिंह द्वारा।
- कुम्भा महल– निर्माण: कुम्भा द्वारा।
- राज्य में सीताफल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
- राजस्थान में सर्वप्रथम पल्स पोलियो अभियान चित्तौड़गढ़ जिले में शुरू किया गया।
- सीमेंट का सबसे बड़ा कारखाना निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ) में स्थित है।
- पालखेडा पर्वत चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है, जो दक्षिणी अरावली का पर्वत है।
- मानदेसरा का पठार- यह चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
- मेसा का पठार- यह चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यह चित्तौडगढ़ में बेड़च और गम्भीरी नदियों द्वारा अपरदित पठार है।
- बेंगू किसान आंदोलन- यह चित्तौड़गढ़ जिले में वर्ष 1921 में आरम्भ हुआ। नेतृत्व- रामनारायण चौधरी द्वारा।
- पिण्ड-पांडलिया पुरातात्त्विक स्थल – चित्तौड़गढ
- मरमी गाँव पुरातात्त्विक स्थल- चित्तौड़गढ
- घोसूण्डी शिलालेख (चित्तौड़गढ़) यह शिलालेख चित्तौड़गढ़ जिले के नगरी के निकट घोसूण्ड़ी गाँव से प्राप्त हुआ है । इस शिलालेख को सर्वप्रथम डॉ. भण्डारकर द्वारा खोजा गया। यह राजस्थान में वैष्णव सम्प्रदाय/ भागवत सम्प्रदाय से सम्बन्धित सबसे प्राचीन शिलालेख है । इस लेख की लिपि- ब्राह्मी एवं भाषा संस्कृत है।
- रसिया की छतरी का लेख (1274 ई .)- यह शिलालेख चित्तौड़गढ़ के राजमहल के द्वार पर उत्कीर्ण है । यह शिलालेख चित्तौड़गढ़ के किले में रसिया की छतरी की ताक से प्राप्त हुआ है।
- चित्तौड़गढ़ का शिलालेख (1438 ई.)- यह लेख चित्तौड़गढ के सतबीस देवरी से प्राप्त हुआ है, जो काले पत्थर पर उत्कीर्ण है। इस लेख में 104 श्लोक हैं। इस प्रशस्ति के रचनाकार- चरित्ररत्न मणि और उत्कीर्णकर्ता नारद थे।
- कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति- इस प्रशस्ति की रचना कवि अन्रि एवं महेश भट्ट ने की थी। विजय स्तम्भ की पांचवीं मंजिल पर यह उत्कीर्ण है । इस प्रशस्ति में महाराणा कुम्भा की उपलब्धियों एवं उनके द्वारा रचित ग्रंथों का वर्णन मिलता है।
- मानमौरी का अभिलेख (713 ई.)- 71 3 ई. का यह अभिलेख मानसरोवर झील (चित्तौड़गढ़) के तट पर उत्कीर्ण हैं। इस अभिलेख में इसके रचयिता पुष्य तथा उत्कीर्ण शिवादित्य का उल्लेख है। यह अभिलेख कर्नल जेम्स टॉड द्वारा इग्लैण्ड ले जाते समय समुद्र में फेंक दिया गया था।
- शृंगार चंवरी- निर्माण: वेलका द्वारा। यहाँ कुम्भा की पुत्री “रमा बाई’ का विवाह हुआ।
- मेवाड़ शुगर मिल्स (चित्तौड़गढ़)- स्थापना: 1932 में।
- भैंसरोडेंगढ़ अभयारण्य- इसे वर्ष 1983 में अभयारण्य घोषित किया गया।
- बस्सी वन्य जीव अभयारण्य-इसे वर्ष 1 988 में अभयारण्य घोषित किया गया।
- चित्तौड़ मृगवन- स्थापितः 1 969 में ।
- एकी/भोमट आन्दोलन- मोतीलाल तेजावत (आदिवासियों के मसीहा) के द्वारा वर्ष 1921 (वैशाख पूर्णिमा) में चित्तौड़गढ़ की राशमी तहसील के मातूकृण्डिया गाँव में शुरू किया गया।
- मेनाल नदी- उद्गम : बेंगू, चित्तौड़गढ़
- बामनी नदी- उद्गम : हरिपुरा की पहाड़ियों से (चित्तौड़गढ़)
- कुराल नदी- उद्गम : ऊपरमाल के पठार से (चित्तौड़गढ़)
- चम्बल नदी- उद्गम : जानापाव की पहाड़ियाँ, मध्य-प्रदेश से। इस नदी पर चित्तौड़गढ़ में राजस्थान का सबसे ऊँचा जल प्रपात (चूलिया जलप्रपात) स्थित है।
- राणा प्रताप सागर झील एवं भूपाल सागर झील चित्तौड़गढ़ में स्थित है।