- नवगठित जिला कुचामन-डीडवाना की सीमा चूरू से लगती है। चूरू की सीमा अब 6 जिलों- हनुमानगढ़, बीकानेर, नागौर, डीडवाना–कुचामन, सीकर व झुंझुनूं की लगती है। हरियाणा के साथ अंतर्राज्यीय सीमा लगती है।
- चूरू की स्थापना 1620 ई. में चूहड़ा जाट द्वारा की गई।
- 1814 ई. के बाद बीकानेर राठौड़ वंश द्वारा अधिकार करके चूरू का बीकानेर में विलय कर दिया गया।
- 1 नवम्बर 1956 को चूरू को जिला घोषित किया गया।
- 30 मार्च 1949 को एकीकरण के चतुर्थ चरण के दौरान चूरू, बीकानेर राज्य का अंग होने के कारण इसका वृहद् जस्थान में विलय कर दिया गया।
- यह जिला महाभारत काल में जांगल देश का हिस्सा था।
- यह सर्वाधिक वार्षिक तापान्तर वाला जिला है।
- यहाँ राज्य के सर्वाधिक कृष्ण मृग (काले हिरण) पाए जाते हैं।
- गोपालपुरा (द्रोणपुर)- पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य द्वारा बसाया गया गाँव ।
- सुजानगढ़- कन्हैयालाल सेठिया (रचनाएँ- लीलटांस, सबद) का जन्मस्थान। 2004 में सेठिया को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया। सेठिया ने ‘धरती धोरा रीं’ गीत लिखा। राजस्थानी भाषा का पितामह कहते हैं।
- तालछापर- कुरंजा पक्षी व काले हिरणों का स्थान। यह अभयारण्य मोथिया साइप्रस घास के लिए प्रसिद्ध है।
- सरदारशहर- यहां गांधी विद्या मंदिर डीम्ड विश्वविद्यालय स्थित है।
- चूरू में लोक संस्कृति नगर श्री शोध संस्थान स्थित है।
- बीनादेसर किला (चूरू)- इसका निर्माण ठाकुर दुल्हेसिंह द्वारा 1757 ई. में कराया गया था।
- सुराणा हवेली- यह छह मंजिला है। इसमें 1100 दरवाजे एवं खिड़किया हैं, जो चूरू में स्थित है।
- भरत व्यास- प्रसिद्ध संगीतकार। ए मालिक तेरे बंदे हम…. इनका प्रसिद्ध गीत था।
- देवेंद्र झाझड़िया- वर्ष 1981 में चूरू जिले में जन्म हुआ। जैवेलिन थ्रो (भाला फेंक) इनका प्रसिद्ध खेल है। एथेंस पैरालिंपिक 2004 में इन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2016 में दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता। 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, 2022 में पद्म भूषण।
- कृष्णा पूनियां- डिस्कस थ्रो की प्रसिद्ध खिलाड़ी। 2004 में दोहा एशियाड ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। 2010 में अर्जुन पुरस्कार। भारत सरकार द्वारा 2011 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया।
- कर्नल किशनसिंह राठौड़- भारत सरकार द्वारा इन्हें सर्वप्रथम महावीर चक्र पुरस्कार प्रदान किया गया।
- हनुमान प्रसाद पौद्दार- गीता प्रेस गोरखपुर के संस्थापक। इनकी प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण है।
- खेमचंद प्रकाश- लता मंगेशकर के गुरु।
- गोगाजी मंदिर/शीर्ष मेडी- यह मंदिर ददरेवा-चूरू में स्थित है। मेला- भाद्रपद कृष्ण नवमी को । हिन्दू-मुस्लिम समान रूप से गोगाजी को आराध्य देव मानते हैं।
- सालासर बालाजी मन्दिर- इस मंदिर में दाढ़ी-मूँछ वाले हनुमान जी की प्रतिमा है। यह मंदिर चूरू के सालासर नामक स्थान पर स्थित है। मेला- चैत्र पूर्णिमा व आश्विन पूर्णिमा को
- इच्छापूर्ण बालाजी मन्दिर- यह मन्दिर सरदारशहर में स्थित है, जो द्रविड़ शैली में निर्मित है। इस मन्दिर में प्रतिमा हनुमान जी राजा की तरह आशीर्वाद की मुद्रा में बैठे हुए हैं। मेला- प्रतिवर्ष बसंत पंचमी को।
- साहवा गुरुद्वारा- जोगी आसन नामक स्थान पर गुरू नानक तथा गुरू गोविन्द सिंह के आगमन व निवास की स्मृति में निर्माण करवाया गया था।
- काली माता का मन्दिर- यह मंदिर 10वीं शताब्दी में निर्मित है।
- रावत कान्धल स्मारक- चूरू
- साहवा सरोवर पैनोरमा- चूरू
- 51 टोड़ो की हवेली- चूरू, निर्माण- सन् 1750 में।
- मालजी का कमरा- निर्माण- 1920 ई. में सेठ मालचन्द द्वारा। यह फ्रांस की स्थापत्य शैली के आधार पर निर्मित है।
- चूरू का किला : निर्माण- 1739 ई. में ठाकुर कुशाल सिंह द्वारा। यह किला ठाकुर शिव सिंह द्वारा चाँदी के गोले दागने के कारण प्रसिद्ध है।
- दानमल / दानचंद चौपड़ा की हवेली- यह सुजानगढ़, चूरू में स्थित है।
- अन्य हवेलियाँ- खेमका की हवेली, गोयना की हवेली, मंत्रियों की हवेली, कोठारिया हवेली, पारखों की हवेली आदि चूरू जिले में स्थित हैं।
- राजस्थान वन्यजीव प्रबंध एवं प्रशिक्षण संस्थान- इसकी स्थापना तालछापर, चूरू में की गई है।
- चंदन की कलाकारी चूरू जिले की प्रसिद्ध है। चूरू का जांगिड़ परिवार इस कला में सिद्ध हस्त है।
- सुजानगढ़ कस्बे का बंधेज कार्य प्रसिद्ध है।
- कबूतरी नृत्य चूरू जिले का प्रसिद्ध है।
- राजस्थान का प्रथम महिला मिनी बैंक सालासर (चूरू) स्थापित किया गया है।
- नाहटा संग्रहालय, चूरू : यह सरदारशहर के नाहटा हवेली में स्थित है, जो एक नाहटा परिवार का निजी संग्रहालय है।
- चूरू जिले के भालेरी गाँव में सर्वाधिक वरखान वालुका स्तूप
- चूरू जिले में स्थित शिकार निषिद्ध क्षेत्र-संवत्सर कोटसर
- चूरू जिले में चोकला नस्ल की भेड़ उन्नत किस्म की ऊन के लिए विख्यात है।
- दूधवाखारा किसान आंदोलन, चूरू :यह आंदोलन रघुवरदयाल, मघाराम वैद्य, हनुमान सिंह आर्य के नेतृत्व महिलाओं का नेतृत्व खेतूबाई (मघाराम वैद्य की बहन) ने किया।
- कांगड़ काण्ड-कांगड़ (रतनगढ़, चूरू) : यह वर्ष 1946 में हुआ।
- राजीव गाँधी सिद्धमुख नोहर परियोजना : इससे चूरू जिले की तारानगर व राजगढ़ तहसीलों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है।
- इंदिरा गाँधी नहर की लिफ्ट नहर चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर से चूरू जिले में सिंचाई की जाती है।
- चूरू जिले में सीढ़ीनुमा कुएँ मिलते हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में जोहड़ कहा जाता है।
- चूरू जिले में सुजानगढ़ झील, तालछापर झील आदि स्थित है।
- भवानीशंकर : यह प्रसिद्ध कत्थक नृत्य कलाकार हैं। यह पखावज के बाजीगर के उपनाम से प्रसिद्ध हैं।
- लक्ष्मी निवास मित्तल :यह राजगढ़ के निवासी हैं, इन्हें स्टील किंग के नाम से जाना जाता है।
चूरू (Churu) जिला दर्शन
By LM GYAN
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