भारत के जनजातीय आंदोलन: जंगल से स्वतंत्रता तक की वीरता भरी जंग! 🔥🌳🇮🇩

By: LM GYAN

On: 9 November 2025

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पूरी डिटेल्स में जानें संन्यासी से मुंडा उलगुलान तक के 20+ जनजातीय आंदोलन! 🎯 कारण, नेता, क्षेत्र, परिणाम emojis, पूर्ण वाक्यों में bullets, tables के साथ + ब्रिटिश एक्ट, क्रांतिकारी चरण। #TribalRevolts #JanjatiyaAndolan #RevolutionaryStruggle


Table of Contents

🌟 परिचय: जनजातीय आंदोलनों की क्रांतिकारी गाथा – ब्रिटिश जुल्म के खिलाफ आदिवासियों का संघर्ष! 🚀

ब्रिटिश शासन ने आदिवासियों की सामूहिक संपत्ति को निजी बनाने की कोशिश की, वन अधिकार छीने, कर थोपे। संन्यासी विद्रोह से मुंडा उलगुलान तक जनजातियों ने विद्रोह किया। ये आंदोलन धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक बने। आइए हर विद्रोह की पूरी कहानी – कारण, नेता, क्षेत्र, पूर्ण वाक्यों में bullets, headings, emojis और tables के साथ! 💥 ये विद्रोह 1857 की नींव हैं! 📜


⚡ प्रमुख जनजातीय आंदोलन: संन्यासी से किट्टूर तक! 🛡️

संन्यासी विद्रोह (1763-1800 ई.) 🙏

  • संन्यासी विद्रोह बंगाल में हुआ।
  • विद्रोह करने वाले संन्यासी शंकराचार्य के अनुयायी थे एवं गिरी सम्प्रदाय के थे।
  • संन्यासी विद्रोह के नेता द्विजनारायण व केना सरकार थे।
  • विद्रोह के प्रारंभ होने का कारण तीर्थ यात्रा पर लगाया जाने वाला कर था। बाद में इस आंदोलन में बेदखली से प्रभावित किसान, विघटित सिपाही, सत्ताच्युत जमींदार एवं धार्मिक नेता भी शामिल हो गए।
  • विद्रोह के प्रमुख नेता – मूसाशाह, मंजरशाह, देवी चौधरानी एवं भवानी पाठक थे।
  • विद्रोह को कथानक बनाकर बंकिम चन्द्र चटर्जी ने “आनन्द मठ” उपन्यास लिखा।
  • विद्रोह को दबाने का श्रेय वॉरेन हेस्टिंग्स को दिया जाता है।

फकीर विद्रोह (1776-77 ई.) 🕌

  • बंगाल में 1776 ईस्वी में फकीर विद्रोह प्रारंभ हुआ था।
  • इस आंदोलन के नेतृत्वकर्ता चिराग अली शाह तथा मजनू शाह थे।

रंगपुर विद्रोह (1783 ई.) 📜

  • यह विद्रोह बंगाल में हुआ था।
  • विद्रोहियों ने भू-राजस्व देना बंद कर दिया था।

दीवान वेलाटंपी विद्रोह (1805 ई.) 💥

  • इस विद्रोह को 1857 के विद्रोह का पूर्वगामी भी कहा जाता है।

कच्छ विद्रोह (1819 ई.) 🏰

  • इस विद्रोह का प्रमुख कारण राजा भारमल को गद्दी से हटाना था।

पागल पंथी विद्रोह (1813-1831 ई.) 🌿

  • उत्तर बंगाल में कर्मशाह ने एक अर्ध धार्मिक संप्रदाय पागल पंथी की नींव डाली।
  • जमींदार और साहूकारों के अत्याचारों के खिलाफ कर्म शाह के पुत्र टीपू ने स्थानीय गारो आदिवासियों के साथ मिलकर 1825 ईस्वी में विद्रोह किया।
  • टीपू ने जमींदारों के मुजारों के विरुद्ध यह आंदोलन शुरू किया था।

फरैजी आंदोलन (1820-1858 ई.) ⚔️

  • यह विद्रोह बंगाल में हुआ तथा इसके नेता दादू मीर थे।
  • फरैजी लोग शरीयतुल्ला द्वारा चलाए गए संप्रदाय के अनुयायी थे।
  • मोहम्मद मोहसिन (दादू मीर) ने जमींदारों की जबरदस्ती वसूली का प्रतिरोध करने के लिए किसानों को संगठित किया।

पाइक विद्रोह (1817-25 ई.) 🏹

  • यह विद्रोह उड़ीसा तट के पहाड़ी खुर्द क्षेत्र में जगबंधु के नेतृत्व में 1817 ई. में शुरू हुआ।

रामोसी विद्रोह 🦁

  • इसका विद्रोह क्षेत्र पश्चिमी घाट था।
  • रामोसी पश्चिमी घाट में रहने वाली आदिम जाति थी।
  • 1822 ई. में चित्तर सिंह के नेतृत्व में विद्रोह शुरू हुआ।
  • नरसिंह दत्तात्रेय पेतकर ने बादामी का दुर्ग जीतकर वहाँ सतारा के राजा का ध्वज फहरा दिया था।

कूका आन्दोलन (1840-72 ई.) 🙏

  • यह आन्दोलन धार्मिक आन्दोलन के रूप में शुरू हुआ इसका उद्देश्य सिख धर्म में प्रचलित बुराइयों और अंधविश्वासों को दूर कर इस धर्म को शुद्ध करना था।
  • बाद में यह आन्दोलन राजनीतिक आन्दोलन के रूप में परिवर्तित हो गया एवं इसका उद्देश्य अंग्रेजों को यहाँ से बाहर निकालना था।
  • आन्दोलन की शुरुआत भगत जवाहर मल ने की। इनके साथ बालक सिंह भी आन्दोलन में शामिल थे।
  • 1863 ई. में राम सिंह कूका इस आन्दोलन से जुड़े एवं पहला विद्रोह 1869 ई. में फिरोजपुर में किया जो राजनीतिक थे एवं उद्देश्य अंग्रेजों को उखाड़ फेंकना था।
  • बाबा राम सिंह ने ही नामधारी आन्दोलन चलाया था।

भील विद्रोह (राजस्थान) 🏔️

  • राजस्थान की जनजातियों में भील जनजाति ने अपने हक के लिए राजनीतिक जन आंदोलन एकी आंदोलन/भोमट आंदोलन के रूप में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में आरंभ किया था।
  • प्रमुख कारण – ‘बराड़’ आदि राजकीय करों की वसूली में भीलों के साथ क्रूर व्यवहार।
  • ‘बराड़ प्रथा’ पर रोक व अन्य सामाजिक सुधारों से भीलों की भावनाएँ आहत।
  • वनोत्पाद को संचित करने के भीलों के परम्परागत अधिकारों पर रोक।
  • तेजावत ने 21 सूत्री माँग पत्र तैयार किया जिसे मेवाड़ पुकार संज्ञा दी।
  • निमड़ा गाँव में 7 मार्च,1922 को एक विशाल सम्मेलन में मेवाड़ भील कोर (MBC) के जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग की जिससे 1200 भील मारे गए, इस हत्या काण्ड को दूसरा जलियाँवाला हत्या काण्ड कहा जाता है।

मुण्डा विद्रोह (1895-1901) 🌳

  • क्षेत्र – छोटा नागपुर क्षेत्र।
  • आरंभ में यह आंदोलन सरदारी की लड़ाई के रूप में शुरू हुआ था परन्तु बाद में इसका स्वरूप सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक हो गया।
  • इस आन्दोलन का मुख्य नेतृत्व बिरसा मुण्डा ने किया था और उसने अपने आप को भगवान का दूत घोषित किया एवं अपने समर्थकों को सिंगबोंगा की पूजा करने की सलाह दी।
  • बिरसा ने महाजनों, ठेकेदारों, हाकिमों और ईसाइयों एवं दिकुओं (गैर-आदिवासियों) के कत्ल का आह्वान किया।
  • बिरसा मुण्डा जाति का शासन स्थापित करना चाहता था।
  • इस विद्रोह को ‘उलगुलन विद्रोह’ एवं ‘सरदारी लडा़ई’ के नाम से भी जाना जाता है। बिरसा मुण्डा को धरती आबा कहा जाता था।

कोल विद्रोह (1830-1832 ई.) 💪

  • यह विद्रोह झारखण्ड राज्य के छोटानागपुर क्षेत्र में हुआ।
  • यह विद्रोह 1831 ई. में बुद्धा भगत के नेतृत्व में शुरू हुआ और 1832 ई. में इसका नेतृत्व गंगा नारायण ने किया।

खासी विद्रोह (1833 ई.) 🏞️

  • क्षेत्र = जयन्तिया – गारो पहाड़ियाँ (मेघालय)।
  • इसका नेतृत्व तीरथ सिंह ने किया एवं साथ ही बारमानिक तथा मुकुन्द सिंह भी नेतृत्वकर्ता रहे।

खोंड विद्रोह (1846 ई.) ⚔️

  • इसका क्षेत्र उड़ीसा एवं उसके आसपास का क्षेत्र।
  • इस आंदोलन का नेतृत्व चक्र बिसोई ने किया।

अन्य आंदोलन 🛡️

  • रम्पा विद्रोह (1879 ई.) – इस आंदोलन का क्षेत्र आंध्र प्रदेश। इसका नेतृत्व राजू रंपा।
  • खामती विद्रोह (1839 ई.) – इसका क्षेत्र असम।
  • खोंडा- डोरा विद्रोह (1900 ई.) – इसका क्षेत्र विशाखापत्तनम। नेतृत्व कोर्रामलैया ने किया था।
  • चुआर विद्रोह (1768 ई.) – क्षेत्र मेदिनीपुर (बंगाल)। नेतृत्व राजा जगन्नाथ।
  • हो विद्रोह (1820-37 ई.) – क्षेत्र छोटा नागपुर क्षेत्र। बढ़े हुए भूमिकर के कारण अंग्रेजों एवं जमींदारों के विरुद्ध।
  • गडकरी विद्रोह (1844 ई.) – स्थान महाराष्ट्र।
  • कूकी आंदोलन (1917-1919 ई.) – मणिपुर एवं त्रिपुरा राज्य में अंग्रेजों के खिलाफ।
  • किट्‌टूर विद्रोह (1824 – 29 ई.) – इसका स्थान कर्नाटक। इसका कारण शासक की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र को मान्यता न देना। इसका नेतृत्व रानी चेन्नमा ने किया।

📊 ब्रिटीशकालीन एक्ट टेबल! 🗒️

एक्टवर्ष
अवध किराया कानून1921
वर्कमैन कम्पनसेशन एक्ट1923
सेंट्रल प्रोविसेंज लैंड एलिएनेशन एक्ट1916
आगरा काश्तकारी अधिनियम1926
बॉम्बे ट्रेड्स यूनियन एक्ट1938
आगरा किराया कानून1921
बॉम्बे औद्योगिक विवाद कमेटी1922
ट्रेड डिस्प्यूट्स एक्ट1929
पेमेण्ट ऑफ वेजेज एक्ट1936
बम्बई लघु सम्पत्ति धारक राहत अधिनियम1938
आगरा काश्तकारी अधिनियम1926
इंडियन ट्रेड यूनियन एक्ट1926
पंजाब भूमि हस्तान्तरण अधिनियम1900
डेक्कन कृषि राहत अधिनियम1879
छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट1928
नॉर्थ वेस्ट प्रोविंसेज लैंड एलिअनेशन एक्ट1904

🔥 क्रांतिकारी आंदोलन: प्रथम चरण (महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब, विदेश) 💣

महाराष्ट्र 🏰

  • वासुदेव बलवंत फड़के – 1870 के दशक में संगठित क्रान्तिकारी गतिविधियाँ की। भारत का पहला क्रान्तिकारी वासुदेव बलवंत फड़के था।
  • चापेकर बन्धु – बालकृष्ण व दामोदर चापेकर ने तिलक के ‘केसरी’ समाचार पत्र के लेखों से आक्रोशित होकर प्लेग अधिकारी रैण्ड व आमर्स्ट की हत्या हर दी। (1897 ई.)
  • विनायक दामोदर सावरकर – 1899 – नासिक – ‘मित्र मेला’ (कालान्तर में ‘अभिनव भारत’ (1904) बन गया।) नामक संगठन की स्थापना।

बंगाल 📚

  • अनुशीलन समिति (1902) – मिदनापुर – ज्ञानेन्द्र नाथ बसु। कलकत्ता – पी. मित्रा। ढाका – भूपेन्द्र नाथ दत्त (विवेकान्द के भाई)। वारीन्द्र कुमार घोष (अरविन्द घोष के भाई)।
  • वारीन्द्र कुमार घोष ने युगान्तर व संध्या जैसे समाचार पत्र चलाए।
  • वारीन्द्र घोष/अरविन्द घोष की पुस्तकें – 1. वर्तमान रणनीति के नियम। 2. भवानी मंदिर।
  • अरविन्द घोष ने New lamps for old नामक लेख शृंखला प्रकाशित की, जिसमें उदारवादियों की आलोचना थी। The life divine, The essays on Geeta।

पंजाब 🦁

  • मुख्य नेता – लाला लाजपतराय व सरदार अजीतसिंह।
  • संगठन – अंजुमने-मोहिब्बाने वतन।
  • समाचार पत्र – भारत माता।

विदेशों में 🛫

  • लन्दन – 1905 श्यामजी कृष्ण वर्मा – इण्डियन होमरूल सोसायटी। कार्यालय – इण्डिया हाउस। समाचार पत्र – इण्डियन सोसियोलॉजिस्ट। इन्होनें 1857 की क्रान्ति की स्वर्ण जयन्ती मनाई। वीर सावरकर ने The first war of Indian Independence नामक पुस्तक लिखी। Grave warning नामक पैम्पलेट बँटवाए गए। 1 जुलाई, 1909 – मदनलाल ढींगरा ने भारत सचिव के राजनीतिक सलाहकार कर्जन बाइली की हत्या कर दी। ढींगरा को गिरफ्तार कर फाँसी दे दी गई। वीर सावरकर को गिरफ्तार कर अण्डमान की सेल्युलर जेल में बन्द कर दिया गया। जेल से बाहर आकर हिन्दू महासभा में शामिल गए। मैडम भीखाजी कामा भी श्यामकृष्ण वर्मा की सहयोगी थी। The mother of Indian revolution नामक पुस्तक लिखी। तारकनाथ दास – फ्री हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)।
  • सेन फ्रंसिस्को – सोहन सिंह भाकना, लाला हरदयाल, भाई परमानन्द – हिन्दू एसोसिएशन ऑफ अमेरिका की स्थापना।
  • युगान्तर आश्रम – अध्यक्ष – सोहनसिंह भाकना, महासचिव – लाला हरदयाल – युगान्तर आश्रम की स्थापना। लाला हरदयाल स्टेन फोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्यापक थे इन्होंने 1 नवम्बर, 1913 को युगान्तर आश्रम से उर्दू समाचार पत्र ‘गदर’ निकाला, यह पहले उर्दू में निकाला गया तथा बाद में यह मासिक हो गया।

💥 क्रांतिकारी आंदोलन: दूसरा चरण (HRA, HSRA, सूर्यसेन, समाजवादी, INA) ⚔️

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) 🏴

  • अक्टूबर, 1924 में कानपुर में स्थापना।
  • संस्थापक – शचीन्द्र नाथ सान्याल।
  • राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, योगेश चन्द्र चटर्जी भगवती चरण बोहरा।
  • 9 अगस्त, 1925 को काकोरी में सरकारी खजाने वाली रेल को लूटा।
  • रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, रोशन सिंह, राजेन्द्र लाहिड़ी – काकोरी षड्यंत्र केस के तहत फाँसी।
  • शचीन्द्र सान्याल की पुस्तकें – बन्दी जीवन, वर्तमान रणनीति।
  • भगवतीचरण बोहरा की पुस्तक – द फिलोसॉफी ऑफ बम।
  • सितम्बर 1928 – हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में HRA का पुनर्गठन कर HSRA बनाई गई।
  • संस्थापक – चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सुखदेव।
  • 30 अक्टूबर, 1928 – साइमन कमीशन का विरोध करते पुलिस लाठीचार्ज में लाला लाजपतराय की मौत।
  • 17 दिसम्बर, 1928 – भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव ने लालाजी की हत्या के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या कर दी। (लाहौर षड्यंत्र)।
  • 8 अप्रैल, 1929 – भगतसिंह, बटुकेश्वर दत्त ने पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में केन्द्रीय विधानसभा की खाली बेंचों पर बम फेंका।
  • भगतसिंह ने – मैं नास्तिक क्यों हूँ? नामक पुस्तक लिखी।
  • भगतसिंह नौजवान भारत सभा के प्रथम सचिव थे।

सूर्यसेन (मास्टर दा) 📖

  • चटगाँव के राष्ट्रीय विद्यालय के शिक्षक थे।
  • भारतीय गणतन्त्र सेना (इण्डियन रिपब्लिकन आर्मी) की स्थापना।
  • विद्रोही संघ की स्थापना।
  • सहायक – गणेश घोष एवं अन्नत सिंह, लोकीनाथ बाउले, प्रीतीलता बाडेकर, कल्पना दत्त।
  • 18 अप्रैल, 1930 को इन क्रान्तिकारियों ने चटगाँव शस्त्रागार पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया, टेलीफोन व टेलीग्राफ संचार व्यवस्था भंग कर दी व चटगाँव के रेल सम्पर्क समाप्त कर दिए।
  • 16 फरवरी, 1933 को सूर्य सेन गिरफ्तार कर लिए गए।
  • 12 जनवरी, 1934 को इन्हें फाँसी लगा दी गई।
  • प्रीतीलता बाडेकर पहाड़तली (चटगाँव) में रेलवे इंस्टीटयूट पर छापे के दौरान मारी गई कल्पना दत्त (बाद में जोशी) को सूर्य सेन के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।

कांग्रेस समाजवादी दल 📢

  • अक्टूबर, 1934 में बम्बई में इसकी स्थापना हुई।
  • यह कांग्रेस के तहत ही एक दवाब समूह था।
  • जय प्रकाश नारायण – समाजवाद क्यों? (व्हाई सोशलिज्म) आचार्य नरेन्द्र देव – समाजवाद और राष्ट्रीय आन्दोलन – मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता, राम मनोहर लोहिया – भारत विभाजन के गुनाहगार।
  • उद्देश्य – कांग्रेस की नीतियों में समाजवाद पर बल देना। समाजवादी विचार धारा को लोकप्रिय बनाना। युवाओं को साम्यवाद की ओर जाने से रोकना। युवाओं के समक्ष साम्यवाद का विकल्प प्रस्तुत करना।
  • फॉरवर्ड ब्लॉक – मार्च, 1939 में क्रांग्रेस से अलग होने के बाद सुभाषचन्द्र बोस ने इसकी स्थापना की।
  • भारतीय बॉल्सेविक दल – 1939 – एन. दत्त मजूमदार।
  • क्रांतिकारी साम्यवादी दल – सौम्येन्द्र नाथ टैगोर।
  • बॉल्सेविक लेनिनिस्ट पार्टी – अजीतराय इन्द्र सेन।
  • भारतीय साम्यवादियों ने भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध किया था क्योंकि हिटलर ने जून, 1941 में रूस पर आक्रमण कर दिया था तथा विश्वयुद्ध में रूस ब्रिटेन का हिमायती था।

आजाद हिन्द फौज (INA) 🇮🇳

  • वर्ष 1942 में कैप्टन मोहन सिंह, रास बिहारी बोस व निरंजन सिंह गिल ने जापान (टोकियो) में आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। (INA)
  • रासबिहारी बोस ने टोकियो में इंडियन इंडिपेंडेस लीग की स्थापना की।
  • जुलाई, 1943 में सिंगापुर में सुभाष चन्द्र बोस को आजाद हिन्द फौज की कमान दे दी गई।
  • आजाद हिन्द फौज के सिपाही सुभाष बोस को ‘नेताजी’ कहते थे। नेताजी ने अपने अनुयायियों को ‘जयहिन्द’ व ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया।
  • सिंगापुर व रंगून में आजाद हिन्द फौज के मुख्यालय बनाए गए।
  • 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की गई। नेताजी इसके राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सेनाध्यक्ष तीनों थे।
  • वित्त विभाग – एस.सी.चटर्जी।
  • प्रचार विभाग – एस.ए. अय्यर।
  • सेना में महात्मा गाँधी ब्रिगेड बनाई गई।
  • झाँसी ब्रिगेड का नेतृत्व लक्ष्मी स्वामीनाथन कर रही थी।
  • 6 जुलाई, 1944 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द रेडियो पर बोलते हुए गांधीजी को सम्बोधित किया, भारत की स्वाधीनता का आखिरी युद्ध शुरू हो चुका है।
  • जापानी सैनिकों की सहायता से आजाद हिन्द फौज ने अण्डमान व निकोबार द्वीपों पर कब्जा कर लिया और इनका नाम बदलकर क्रमश: शहीद व स्वराज द्वीप रख दिया।
  • शाहनवाज खाँ के नेतृत्व वाली सुभाष ब्रिगेड भी कोहिमा (नागालैण्ड) तक पहुँच गई थी।
  • दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका के सामने जापान के आत्मसमर्पण से आजाद हिन्द फौज को भी पीछे हटना पड़ा व 18 अगस्त, 1945 को सुभाषचन्द्र बोस की भी एक हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई। (परन्तु इस घटना को अभी तक प्रमाणित नहीं माना गया है)
  • आजाद हिन्द फौज के अधिकारियों पर दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चलाया गया। 1. गुरुबक्स सिंह ढिल्लो। 2. प्रेम कुमार सहगल। 3. शाहनवाज खान।
  • भोलाभाई देसाई, कैलाशनाथ काटजू, तेजबहादुर सत्प्रु व जवाहर लाल नेहरू ने इनकी पैरवी की।
  • इनको मृत्यु दण्ड मिला पर लॉर्ड वेवेल (गवर्नर जनरल) ने अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग कर इनकी सजा माफ कर दी।
  • 12 फरवरी, 1946 को आजाद हिन्द फौज के एक बन्दी अब्दुर्रशीद की रिहाई की माँग को लेकर कलकत्ता में विशाल जन प्रदर्शन हुआ।
  • सुभाष बोस की पुस्तक – इण्डियन स्ट्रगल।
  • हुग टोये ने स्प्रिंगिंग टाइगर नाम से सुभाष बोस की जीवनी लिखी।

🌟 निष्कर्ष: जनजातीय-क्रांतिकारी आंदोलनों ने ब्रिटिश को हिला दिया – स्वतंत्रता की चिंगारी! 💪

संन्यासी की तीर्थ कर से INA की दिल्ली चलो तक – ये विद्रोह ब्रिटिश शोषण के खिलाफ थे। 🇮🇳 सबसे वीर कौन? शेयर करो! 🚀 #TribalHeroes #RevolutionaryFire

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