टोंक (Tonk) जिला दर्शन

By LM GYAN

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टोंक (Tonk) जिला दर्शन
  • नवगठित केकड़ी जिले में टोंक की टोडारायसिंह तहसील जाने के बाद पुनर्गठित टोंक जिले में अब 6 उपखंड (टोंक, देवली, निवाई, पीपलू, उनियारा, मालपुरा) तथा 9 तहसीलें (टोंक, देवली, नगरफोर्ट, दूनी, निवाई, पीपलू, उनियारा, अलीगढ़, मालपुरा) रह गई हैं। टोंक जिला अजमेर संभाग में है।
  • पुनर्गठित टोंक जिले की आकृति लेटे हुए अंग्रेजी के अक्षर एच (H) की तरह या डमरू जैसी है।
  • उपनाम- नवाबों की नगरी, रैंढ़ (प्राचीन नाम), नमदों का शहर, राजस्थान का लखनऊ, भारत का टाटा नगर ।
  • स्थापना- श्यामलदास जी के ‘वीर-विनोद ग्रंथ’ के अनुसार टोंक की स्थापना रामसिंह द्वारा की गई।
  • टोंक जिले का शुभंकर- हंस ।
  • मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग- 23, 52, 552
  • मुख्य नदी- बनास।
  • टोंक रियासत की स्थापना- अमीर खाँ के द्वारा की गई।
  • टोंक रियासत राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत थी।
  • टोंक रियासत राजस्थान की सर्वप्रथम शिकार एक्ट लाने वाली रियासत थी अंग्रेजों द्वारा निर्मित राज्य में दूसरी रियासत टोंक रियासत थी।
  • कसरेइल्म- 4 दिसंबर 1978 को अरबी-फारसी शोध संस्थान टोंक में स्थापित की गई जिसे कसरेइल्म तथा साहित्य सेवियों की तीर्थस्थली भी कहा जाता है।
  • वनस्थली विद्यापीठ, वनस्थली (निवाई, टोंक)- राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. हीरालाल शास्त्री ने 1935 में शांता बाई शिक्षा कुटीर की स्थापना की जिसे 1943 में वनस्थली विद्यापीठ नाम दिया गया। यह डीम्ड विश्वविद्यालय पूर्णतः महिला शिक्षा को समर्पित है।
  • केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान- भारत सरकार द्वारा 1962 में अविकानगर (मालपुरा, टोंक) में स्थापित किया गया। मूलतः मालपुरा में बनने वाले नमदा उद्योग के लिए अविकानगर तथा टोंक देशभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। इस संस्थान का मरूक्षेत्रीय परिसर बीछवाल, बीकानेर में है।
  • अमीरगढ़- अमीरगढ़ किले का निर्माण ब्राह्मण भोला ने अपनी भोम की रक्षा एवं प्रशासनिक सुविधाओं के मद्देनजर किया। इसके पास पाषाण निर्मित अति प्राचीन छब्बीस प्रतिमाएँ मिली हैं।
  • ककोड़ का किला- गगनचुम्बी ऊँचे पहाड़ पर स्थित यह किला अपनी भव्यता के कारण प्रसिद्ध है। ककोड़ का प्राचीन नाम कनकपुरा था।
  • गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर (टोंक) : निर्माण- 1725 ई. में जयपुर के शासक सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा ।
  • सुनहरी कोठी (टोंक) : निर्माण- 1824 में नवाब अमीर खाँ द्वारा प्रारम्भ किया गया जो 1834 में टोंक नवाब वजिरूद्दौला खाँ के समय पूर्ण हुआ।
  • मुबारक महल (टोंक) : इसका प्रारम्भिक नाम जरगिनार था ।
  • धन्ना भगत पैनोरमा – टोंक।
  • देवनारायण जी का मेला : यह मेला देवधाम जोधपुरिया,
  • टोंक में लगता है। यह मेला वर्ष में 2 बार लगता है- भाद्रपद शुक्ल-6 एवं माघ पूर्णिमा को ।
  • पुलानी मेला- डिग्गी गाँव, पिपलू मेला- पिपलू गाँव,टोंक
  • टोंक का नमदा व बीड़ी उद्योग प्रसिद्ध है।
  • टोंक में मकर संक्रांति पर दड़ा महोत्सव मनाया जाता है।
  • राजस्थान में सबसे पहले राजकीय बस सेवा की शुरुआत टोंक से हुई थी।
  • देवली 1857 की क्रान्ति के दौरान सैनिक छावनी थी।
  • जालन्धर नाथ की गुफा निवाई, टोंक में स्थित है।
  • मालपुरा (टोंक) : यहाँ दामोदर लाल व्यास (राजस्थान के लौह पुरुष) और कर्पूर चन्द कुलिश (राजस्थान पत्रिका के संस्थापक) का जन्म स्थान है।
  • लावा (टोंक) : यह राजस्थान का एक ठिकाना था। एकीकरण के समय ‘लावा ठिकाना’ जयपुर रियासत का अंग था। वर्तमान में लावा टोंक जिले में है।
  • चारबैत शैली : राजस्थान में ‘चारबैत शैली’ का संबंध टोंक जिले से है। भारत में इस शैली के जन्मदाता- करीब खाँ। इस शैली को प्रसिद्ध बनाने का श्रेय फैजुल्ला खाँ को दिया जाता है।
  • नगर सभ्यता (टोंक) : नगर पुरातात्विक स्थल टोंक जिले के उणियारा कस्बे के पास स्थित है। वर्तमान में नगर सभ्यता को खेड़ा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
  • मिर्च मण्डी टोंक जिले में स्थित है।
  • टोंक जिले के ‘गुमानपुरा गाँव’ में ‘हाथी भाटा’ है।
  • टोंक मीठे खरबूजों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
  • माण्डकला गाँव (टोंक) को मिनी पुष्कर एवं माण्डव्य ऋषि की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है।
  • पचेवर का किला एवं असीरागढ़ का किला- टोंक में है।
  • टोंक में चौरसी बोली बोली जाती है।
  • टोरड़ी सागर, गलवा व माशी बांध- टोंक

LM GYAN

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