- डूंगरपुर जिला अब बांसवाड़ा संभाग में शामिल हो गया है। पहले उदयपुर संभाग का जिला था।
- नवगठित सलूंबर जिले की सीमा डूंगरपुर से लगती है । डूंगरपुर की सीमा अब 4 जिलों- उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व सलूंबर से लगती है । डूंगरपुर की गुजरात से अंतर्राज्यीय सीमा लगती है।
- डूंगरपुर जिले से होकर 927ए तथा 48 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं।
- मुख्य नदी- माही, जाखम
- डूंगरपुर नगर का नाम भीलों की पाल या डूंगरिया भील की ढाणी के नाम से प्रचलित है।
- डूंगरपुर जिले के संस्थापक डूंगरसिंह (1358) थे।
- डूंगरपुर जिले के राजाओं को महारावल कहा जाता था।
- खानवा के युद्ध के समय ड्ंगरपूर महारावल उदयसिंह ने भाग लिया।
- डूंगरपुर में उदयशाही सिक्के महारावल उदयसिंह ने चलाए थे।
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले डूँगरपुर तथा बॉसवाड़ा का क्षेत्र ‘वागड़’ कहलाता था।
- 25 मार्च 1 948 को डूँगरपुर का ‘राजस्थान संघ’ में विलय हुआ।
- डूँगरपुर जिला राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात (994) वाला जिला है।
- डूँगरपुर जिला चारों ओर से अरावली की पहाड़ियों. से घिरा हुआ है।
- राज्य में अरब सागर मानसून की शाखा सर्वप्रथम डूँंगरपुर जिले में प्रवेश करती है।
- यहाँ आदिवासियों द्वारा जंगल जलाकर स्थानान्तरण कृषि की जाती है, जिसे झूमंग कृषि कहते हैं ।
- डूँगरपुर जिले का शुभंकर- जांधिल।
- महारावल विजयसिंह ने ब्रिटिश सम्राट एडवर्ड सप्तम के भारत आगमन के समय डूंगरपुर में एडवर्ड सागर का निर्माण करवाया।
- राजस्थान एकीकरण के समय ड्ंगरपुर के महारावल लक्षमणसिंह थे। डॉ. नगेंद्रसिंह महारावल लक्ष्मण सिंह के छोटे भाई थे जो अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर रह चुके हैं।
- संत मावजी का मंदिर : साबला गांव स्थित मंदिर। मावजी को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है।
- गलियाकोट- दाउदी बोहरा सम्रदाय के सैयद फखरूद्दीन की मस्जिद व प्रमुख तीर्थ स्थल।
- गवरी बाई (बागड़ की मीरां) मंदिर डूंगरपुर में स्थित है।
- देव सोमनाथ- स्थापत्य कला का बेजोड़ तथा बागड़ के सोमपुरों की सिलावटी हस्तकला का अद्भुत नमूना यह प्राचीन शिव मंदिर सोम नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 12वी शताब्दी में किया गया । इस मंदिर में किसी भी तरह का चूना सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है।
- जूना महल : डूंगरपुर में स्थित पांच मंजिला महल। इसका निर्माण डुंगरपुर महारावल वीरसिह द्वारा करवाया गया।
- डामोर जनजाति : राज्य में डामोर सर्वाधिक डूगरपुर जिले में निवास कररते हैं।
- रमकड़ा (सॉफ्ट स्टोन को तराशकर बनाई गई वस्तुएं) गलियाकोट, डूंगरपुर।
- एक थंबिया महल- निर्मण: राजमाता ज्ञान कुंवर की स्मृति में महारावल शिव सिंह ने 1730-1785 ई. के मध्य शिवज्ञानेश्वर शिवालय के रूप में करवाया। यह महल 3 मंजिला इमारत है। यह महल गैबसागर तट पर उदयविलाय राजप्रसाद में स्थित है।
- विजय राजराजेश्वर मंदिर- यह मदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है । निर्माण- 1882 ई. में महारावल उदय सिंह द्वितीय की महारानी उम्मदे कँवर ने।
- विजया माता मंदिर, नागफनजी मंदिर, भुवनेश्वर मॅंदिर, सुरपुर मंदिर आदि डूँगरपुर में स्थित हैं ।
- बेणेश्वर धाम मेला- यह वागड़ क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ प्रतिवर्ष सोम+ माही+ जाखम नदियों के संगम पर नवाटापरा गाँव, डूँगरपुर में पूर्णिमा को मेला भरता है । इस मेले को आदिवासियों का कुम्भ कहा जाता है । बेणेश्वर को वागड़ का पुष्कर के उपनाम से जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव के खंडित शिवलिंग की पूजा होती है।
- वागड़ महोत्सव- इसका आयोजन ‘का्तिक शुक्ल एकादशी को किया जाता है।
- गोवर्धन नाथ मंदिर- निर्माण: महारावल पुंजराज (पूंजा) ने गैबसागर इील की पाल पर।
- कालीबाई स्मारक- यह गैबसागर झील के किनारे स्थित है ।
- डूंगरपुर का प्रमुख नृत्य गवरी नृत्य है, जो मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में किया जाता है।
- डूंगरपुर में होलिका दहन के दूसरे दिन राडरमण का आयोजन होता है।
- बालक तीरन्दाजी अकादमी- डूँगरपुर ।
- कालीबाई पैनोरमा- माण्डवा, डूँगरपुर ।
- संत मावजी महाराज पैनोरमा- बेणेश्वर, डूंगरपुर।
- 1৪57 की क्रान्ति के समय डूँगरपुर के शासक उदयसिंह द्वितीय थे।
- हरे रंग का संगमरमर डूँगरपुर का प्रसिद्ध है।
- रमकडा उद्योग (सॉफ्ट स्टोन को तराशकर वस्तुए बनाহ जाती है)- गलियाकोट, डुंगरपुर का प्रसिद्ध है।
- आदिवासी महिला सहकारी मिनी बैंक- देश का पहला जनजाति क्षेत्रों का “महिला सहकारी मिनी बैंक डूँगरपुर के बरबदूनिया गाँव में स्थापित किया गया है।
- अवशीतलन केन्द्र- डूँगरपुर में ‘अवशीतलन केन्द्र हैं, जो उदयपुर डेयरी संयंत्र के अधीन कार्यरत है।
- गैब सागर झील /भोपाल सागर झील निर्माण: महारावल गोपीनाथ द्वारा।
- नवलखा बावड़ी- निरमण: राजा आसकरण की रानी प्रेमलbदेवी द्वारा।
- माही नदी- उद्गम: अपमेरू पर्वत, धार (मध्य-प्रदेश) से। यह नदी डूँगरपुर एवं बॉसवाड़ा के मध्य सीमा बनाती है।
- भीखाभाई सागवाड़ा परियोजना- डूँगरपुर ।
- सोम-कमला- अम्बा परियोजना- यह परियोजना वर्ष 1977 में डूँगरपुर जिले की आसपुर तहसील के निकट प्रारंभ की गई । यह ‘सोम नदी’ पर संचालित है।
- गवरी बाई- जन्म: डूँगरपुर के ब्राह्मण परिवार में । इन्हें कृष्ण भक्त्ति के कारण वागड़ की भीरा कहते हैं। इन्होंने कीर्तन माला नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें 801 पद है।
- भोगीलाल पाण्ड्या- यह ‘सिमलवाड़ा, डूँगरपुर’ से संबंधित हैं। इन्हें वागड़ का गाँधी कहा जाता है । इन्होंने डूँगरपुर प्रजामण्डल और वागड सेवा मंदिर की स्थापना की।
- कालीबाई- इनका संबंध रास्तापाल कांड से है।
- गोविन्द गुरु- गोविन्द गुरु का जन्म डूँगरपुर के बासिया गांव में एक बंजारा परिवार में 20 दिसम्बर 1858 को हुआ था। इन्होंने वर्ष 1905 में सम्प सभा की स्थापना की और भगत आंदोलन चलाया।
डूंगरपुर (Dungarpur) जिला दर्शन
By LM GYAN
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