दिल्ली सल्तनत (1206–1526 ई.) भारत में तुर्क शासकों द्वारा स्थापित इस्लामी शासन का प्रथम चरण था, जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक उत्तरी भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। इस काल में पाँच प्रमुख राजवंशों—गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद और लोदी—ने शासन किया। यह काल राजनीतिक एकीकरण, प्रशासनिक सुधारों, सांस्कृतिक समन्वय और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ सल्तनत काल का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत है, जिसमें प्रत्येक वंश, शासक, प्रशासन, और सांस्कृतिक योगदान को गहराई से समझाया गया है। 🌍
Table of Contents
दिल्ली सल्तनत का प्रारंभ 🌟
- परिभाषा: दिल्ली से शासित तुर्क शासकों के शासन को दिल्ली सल्तनत कहा जाता है। यह 1206 ई. में मोहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद शुरू हुआ और 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर द्वारा इब्राहिम लोदी की पराजय तक चला। 🛡️
- वर्गीकरण: फारसी इतिहासकारों ने प्रारंभिक तुर्क शासकों को चार वर्गों में बाँटा:
- मुइज्जी: मोहम्मद गौरी के गुलाम।
- कुत्बी: कुतुबुद्दीन ऐबक के अनुयायी।
- शम्सी: शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के अनुयायी।
- बलबनी: गियासुद्दीन बलबन के अनुयायी।
- मामलूक: हबीबुल्लाह ने प्रारंभिक तुर्क शासन को मामलूक (गुलाम माता-पिता की स्वतंत्र संतान) कहा। 📜
गुलाम वंश (1206–1290 ई.) 👑
गुलाम वंश ने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी। इस वंश के शासक अधिकांशतः तुर्क मूल के थे, और इन्होंने भारत में इस्लामी शासन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शासकों की सूची 📋
| शासक | कालावधि |
|---|---|
| कुतुबुद्दीन ऐबक | 1206–1210 ई. |
| आरामशाह | 1210–1211 ई. |
| शम्सुद्दीन इल्तुतमिश | 1211–1236 ई. |
| रुकनुद्दीन फिरोज | 1236 ई. |
| रजिया | 1236–1240 ई. |
| मुइज्जुद्दीन बहरामशाह | 1240–1242 ई. |
| अलाउद्दीन मसूदशाह | 1242–1246 ई. |
| नासिरुद्दीन महमूद | 1246–1266 ई. |
| गियासुद्दीन बलबन | 1266–1287 ई. |
| मुइज्जुद्दीन कैकुबाद | 1287–1290 ई. |
| शम्सुद्दीन कैयूमर्स | 1290 ई. |
प्रमुख शासक और उनके योगदान 🌟
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206–1210 ई.) 🏛️
- पृष्ठभूमि: मोहम्मद गौरी का गुलाम, दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक।
- उपाधियाँ: मलिक और सिपहसालार (सुल्तान की उपाधि नहीं ली)।
- राज्याभिषेक: लाहौर में। 🏰
- उपनाम: लाखबख्श (उदार दान देने वाला), हातिम द्वितीय। 😇
- निर्माण:
- कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली): हिंदू मंदिरों के अवशेषों से निर्मित। 🕌
- अढ़ाई दिन का झोंपड़ा (अजमेर): मस्जिद। 🕍
- कुतुबमीनार: शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में निर्माण शुरू, इल्तुतमिश ने पूरा किया। 🗼
- दरबारी विद्वान:
- फख्र-ए-मुदब्बिर: अदब-उल-हर्ब।
- हसन निजामी: ताज-उल-मासिर। 📖
- मृत्यु: 1210 ई. में चौगान (पोलो) खेलते समय घोड़े से गिरने से, मकबरा लाहौर में। 😔
आरामशाह (1210–1211 ई.) 👑
- शासन: ऐबक की मृत्यु के बाद गद्दी पर।
- पराजय: इल्तुतमिश ने दिल्ली के समीप जूद में पराजित किया। ⚔️
शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (1211–1236 ई.) 🌟
- पृष्ठभूमि: इल्बरी तुर्क, कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक लाख जीतल में खरीदा, ऐबक की पुत्री से विवाह।
- पद: बदायूँ का सूबेदार, बाद में सुल्तान।
- उपाधियाँ: सुल्तान, नासिर-आमिर-उल-मौमनीन। 👑
- राजधानी: लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित, दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक। 🏛️
- मान्यता: 1229 ई. में बगदाद के खलीफा बिल्लाह मंसूर से धार्मिक और राजनीतिक मान्यता। 📜
- प्रशासनिक सुधार:
- तुर्कान-ए-चिहलगानी: 40 वफादार तुर्क सरदारों का दल (बलबन ने समाप्त किया)। 🛡️
- इक्ता प्रणाली: मोहम्मद गौरी द्वारा शुरू, इल्तुतमिश ने संस्थागत रूप दिया। जमीन को इक्ता और धारक को इक्तेदार कहा जाता था। 🌾
- मुद्रा: शुद्ध अरबी सिक्के (चाँदी का टका: 175 ग्रेन, ताँबे का जीतल)। टकसाल का नाम सिक्कों पर अंकित। 💰
- सैन्य अभियान:
- तराइन का तृतीय युद्ध (1215–16): ताजुद्दीन यल्दोज (गजनवी सुल्तान) को पराजित और वध। ⚔️
- 1227–28: नासिरुद्दीन कुबाचा (सिंध-मुल्तान) को हराया। 🏰
- 1221: चंगेज खाँ (मंगोल) से दिल्ली को बचाया, जलालुद्दीन मंगबरनी को शरण नहीं दी। 🛡️
- 1226: रणथम्भौर पर आक्रमण, जैत्रसिंह ने भुताला युद्ध में पराजित किया। 😔
- 1234–35: उज्जैन के महाकाल मंदिर और भिलसा (मध्य प्रदेश) के हिंदू मंदिर लूटे। 🕍
- निर्माण:
- कुतुबमीनार: तीन अतिरिक्त मंजिलें। 🗼
- सुल्तानगढ़ी: पुत्र नासिरुद्दीन महमूद का मकबरा (सल्तनत काल का प्रथम मकबरा)। 🪦
- हौज-ए-शम्सी: दिल्ली और बदायूँ में। 🌊
- मदरसा-ए-मुइजी, मदरसा-ए-नासिरी: दिल्ली और बदायूँ में। 📚
- अतारकिन का दरवाजा: नागौर में। 🚪
- दरबारी विद्वान:
- नूरुद्दीन मुहम्मद औफी: जवामि-उल-हिकायत (चुंबकीय कम्पास का प्रथम उल्लेख)। 📖
- फख्र-ए-मुदब्बिर: आदाब-उल-हर्ब (प्रथम भारतीय मुस्लिम ग्रंथ)। 📚
- मूल्यांकन:
- डॉ. ईश्वरी प्रसाद: गुलाम वंश का वास्तविक संस्थापक।
- आर.पी. त्रिपाठी: भारत में मुस्लिम राज्य का वास्तविक संस्थापक। 🌟
रुकनुद्दीन फिरोज (1236 ई.) 👑
- उत्तराधिकार: इल्तुतमिश ने पुत्री रजिया को उत्तराधिकारी बनाया, पर अमीरों ने फिरोज को सुल्तान बनाया।
- शासन: वास्तविक सत्ता माँ शाहतुर्कान के हाथों में। 😔
रजिया (1236–1240 ई.) 👸
- विशेषता: मध्यकालीन भारत की प्रथम और अंतिम मुस्लिम महिला शासक। 🌟
- उत्तराधिकार: दिल्ली के नागरिकों ने प्रथम बार उत्तराधिकार का निर्णय लिया।
- सैन्य अभियान:
- जुनैदी (इल्तुतमिश का पूर्व वजीर) के नेतृत्व में प्रांतीय शासकों का गठबंधन समाप्त। 🛡️
- लाहौर के गवर्नर याकूत खाँ और भटिंडा के अल्तूनिया के विद्रोह दबाए। ⚔️
- अल्तूनिया से विवाह, संयुक्त सेना के साथ दिल्ली पर चढ़ाई, पर बहरामशाह ने पराजित किया। 😔
- मृत्यु: सैनिकों द्वारा परित्यक्त, कैथल के समीप लुटेरों ने मार डाला। 😢
मुइज्जुद्दीन बहरामशाह (1240–1242 ई.) 👑
- विशेषता: शक्तिहीन और अक्षम शासक।
- नवीन पद: तुर्क सरदारों ने नाइब-ए-मामलिकात (नायब) पद सृजित किया। ⚖️
अलाउद्दीन मसूदशाह (1242–1246 ई.) 👑
- शासन: बलबन, नासिरुद्दीन महमूद और उनकी माँ ने मिलकर उसे हटाकर नासिरुद्दीन को सुल्तान बनाया। 🛡️
नासिरुद्दीन महमूद (1246–1266 ई.) 👑
- शासन: बलबन को नाइब-ए-मामलिकात नियुक्त किया, बलबन वास्तविक शासक रहा।
- उपाधि: बलबन को उलुग खाँ की उपाधि। 🌟
- विशेषता: कुरान की हस्तलिपियाँ तैयार करता था। 📖
गियासुद्दीन बलबन (1266–1287 ई.) 🛡️
- पृष्ठभूमि: इल्बरी तुर्क, अफरासियाब का वंशज घोषित।
- मुख्य कार्य:
- चहलगानी (40 तुर्क सरदारों) की शक्ति भंग।
- रिश्तेदार शेर खाँ को विष देकर मारा। 😔
- लौह और रक्त की नीति: कठोर दमन नीति। ⚔️
- सिजदा (घुटने पर सिर झुकाना) और पेबोस (पाँव चूमना): ईरानी प्रथा, गैर-इस्लामी। 🙏
- सैन्य मंत्रालय: दीवान-ए-अर्ज। 🛡️
- नौरोज: फारसी प्रथा शुरू। 🎉
- दर्शन: राजत्व को दैवी संस्था (नियामते खुदाई) माना। 🌟
- दरबारी विद्वान: अमीर खुसरो, अमीर हसन। 📖
- निर्माण: लाल महल (दिल्ली)। 🏛️
- उत्तराधिकार: बेटे बुगरा खाँ को चुना, पर उसकी अनिच्छा के बाद पौत्र कैखुसरो। 😔
- मृत्यु: 1287 ई., कैकुबाद सुल्तान बना।
मुइज्जुद्दीन कैकुबाद (1287–1290 ई.) और कैयूमर्स (1290 ई.) 👑
- कैकुबाद: बुगरा खाँ के जीवित रहते सुल्तान, जलालुद्दीन खिलजी को सेनापति बनाया।
- कैयूमर्स: कैकुबाद का पुत्र, तुर्क सरदारों ने सुल्तान घोषित किया।
- पतन: जलालुद्दीन खिलजी ने कैयूमर्स की हत्या कर खिलजी वंश स्थापित किया। 😔
खिलजी वंश (1290–1320 ई.) 🌟
खिलजी वंश ने दिल्ली सल्तनत को साम्राज्यवादी स्वरूप प्रदान किया, विशेष रूप से दक्षिण भारत में विस्तार किया।
जलालुद्दीन खिलजी (1290–1296 ई.) 👑
- राजधानी: किलोखरी। 🏛️
- नीति: गैर-तुर्क मलिकों का समर्थन, तुर्कों का एकाधिकार समाप्त।
- दृष्टिकोण: राज्य का आधार प्रजा का समर्थन, भारत में पूर्ण इस्लामी राज्य असंभव। 📜
- मंगोल आक्रमण: 1292 ई. में अब्दुल्ला ने पंजाब पर आक्रमण किया। ⚔️
- मृत्यु: अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ा में गले मिलते समय हत्या की। 😔
अलाउद्दीन खिलजी (1296–1316 ई.) 🛡️
- पृष्ठभूमि: कड़ा का गवर्नर, बचपन में अली गुरशस्प।
- उपाधि: सिकन्दरसानी (द्वितीय सिकन्दर)। 🌟
- राज्याभिषेक: बलबन के लाल महल में। 🏛️
- सैन्य अभियान:
- 1298: गुजरात (रायकर्ण)।
- 1300–01: रणथम्भौर (हम्मीरदेव)।
- 1303: चित्तौड़ (रतनसिंह)।
- 1305: मालवा (महलक देव), सिवाना (शीतलदेव)।
- 1311: जालोर (कान्हड़देव)।
- दक्षिण भारत:
- देवगिरी: यादव शासक रामचन्द्र को हराया, राय रायान की उपाधि, नवसारी का किला दिया। 🏰
- 1310: वारंगल (प्रताप रुद्रदेव), कोहिनूर हीरा प्राप्त। 💎
- 1310–11: होयसल (वीर बल्लाल III)।
- 1311–12: माबर/मदुरा (पांड्य), विशाल धन प्राप्त। 💰
- अंतिम अभियान: देवगिरी (शंकरदेव)। ⚔️
- नेतृत्व: मलिक काफूर। 🛡️
- प्रशासनिक सुधार:
- धर्म और राजनीति: धर्म को राजनीति से अलग किया। ⚖️
- दीवान-ए-रियासत: व्यापार और वाणिज्य मंत्रालय। 🏬
- सैन्य सुधार: दाग (घोड़ों पर निशान), हुलिया (सैनिकों का विवरण), नकद वेतन। 🛡️
- बाजार नियंत्रण:
- उद्देश्य: प्रजा हित (चिश्ती संत नासिरुद्दीन), सस्ती सेना (बरनी)।
- क्षेत्र: दिल्ली (मोरलैंड), प्रांत (फरिश्ता)।
- बाजार: कपड़ा, खाद्यान्न, घोड़े/दास/मवेशी। 🏬
- अधिकारी: दीवान-ए-रियासत, शहना-ए-मण्डी, बरीद-ए-मण्डी। ⚖️
- स्रोत: रेहला (इब्नबतूता), फुतूह-उस-ससलातीन (इसामी), खजाइन-उल-फुतूह (अमीर खुसरो), तारीख-ए-फिरोजशाही (बरनी), खायरूल मजलिस (नासिरुद्दीन)। 📖
- राजस्व सुधार:
- उपज का 50% खिराज (जाबिता/मसाहत प्रणाली)। 🌾
- घरी (आवास कर), चराईकर। 💸
- संरक्षण: अमीर खुसरो, हसन। 📖
- निर्माण: अलाई दरवाजा, जमैयतखाना मस्जिद, हौज-ए-खास। 🏛️
- मृत्यु: 1316 ई. 😔
मुबारक खिलजी (1316–1320 ई.) 👑
- उपाधि: स्वयं को खलीफा घोषित, इस्लाम का सर्वोच्च प्रधान। 🌟
तुगलक वंश (1320–1414 ई.) 🏰
तुगलक वंश ने सल्तनत को दक्षिण भारत तक विस्तारित किया, लेकिन प्रशासनिक प्रयोगों और कमजोर उत्तराधिकारियों के कारण पतन हुआ।
गयासुद्दीन तुगलक (1320–1325 ई.) 👑
- पृष्ठभूमि: गाजी मलिक, गयासुद्दीन तुगलक शाह की उपाधि।
- सुधार:
- अलाउद्दीन की भू-मापी प्रथा बंद। 🌾
- लगान: उपज का 1/11वाँ हिस्सा। 💸
- सिंचाई: नहर निर्माण की योजना। 🌊
- निर्माण: तुगलकाबाद नगर-दुर्ग। 🏰
- अभियान: जौना खाँ के नेतृत्व में वारंगल (काकतीय), मदुरा (पांड्य) विजित। ⚔️
- मृत्यु: 1325 ई., अफगानपुर में मंडप गिरने से (जौना खाँ द्वारा निर्मित)। 😔
मुहम्मद बिन तुगलक (1325–1351 ई.) 🛡️
- उपनाम: रक्तपिपासु परोपकारी, पागल (बरनी, इब्नबतूता)।
- स्रोत: तारीख-ए-फिरोजशाही (बरनी), रेहला (इब्नबतूता)। 📖
- नियुक्ति: इब्नबतूता को दिल्ली का काजी, 1342 ई. में चीन का राजदूत। 🌍
- प्रमुख योजनाएँ:
- राजधानी परिवर्तन: दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरी)। 🏛️
- प्रतीक मुद्रा: ताँबे और पीतल के सिक्के। 💰
- खुरासान अभियान: असफल। ⚔️
- कराचिल अभियान: कुमायूँ-गढ़वाल, खुसरो मलिक के नेतृत्व में असफल। 🏔️
- दोआब कर वृद्धि: अकाल के कारण विद्रोह, असफल। 😔
- कृषि सुधार: दीवान-ए-अमीर-ए-कोही विभाग। 🌾
- विजयनगर: 1336 ई. में हरिहर और बुक्का ने स्वतंत्र राज्य स्थापित। 🏰
फिरोजशाह तुगलक (1351–1388 ई.) 👑
- पृष्ठभूमि: राजपूत माँ (बीबी नैला, रणमल की पुत्री) का पुत्र।
- सुधार:
- जजिया: ब्राह्मणों पर भी लागू। 💸
- हक-ए-शर्ब: सिंचाई कर। 🌊
- उत्तम फसलें, 1200 फल बाग। 🌳
- सेना को नकद वेतन के बदले भू-राजस्व गाँव। 🛡️
- दीवान-ए-खैरात: निर्धनों की सहायता। 😇
- दीवान-ए-बंदगान: दासों का संरक्षण। ⚖️
- निर्माण: फिरोजाबाद, जौनपुर, हिसार, फतेहाबाद, काली मस्जिद, कोटला फिरोजशाह। 🏛️
- अशोक स्तंभ: मेरठ और टोपरा से दिल्ली लाए। 🗿
- अभियान:
- 1361 ई.: नगरकोट, ज्वालामुखी मंदिर तोड़ा। 🕍
- 1365–67: थट्टा (असफल)। ⚔️
- संरक्षण: जियाउद्दीन बरनी, शम्स-ए-सिराज अफीफ। 📖
- पतन: सल्तनत का विघटन तीव्र हुआ। 😔
परवर्ती तुगलक सुल्तान 👑
- गयासुद्दीन तुगलक II, अबूबक्र, मुहम्मद शाह, अलाउद्दीन सिकन्दरशाह: 5 वर्षों में तीन सुल्तान।
- नासिरुद्दीन महमूद (1394–1412): अंतिम तुगलक शासक।
- 1398 ई.: तैमूर का आक्रमण। ⚔️
- साम्राज्य: दिल्ली से पालम तक। 😔
सैय्यद वंश (1414–1451 ई.) 👑
- संस्थापक: खिज्र खाँ।
- मुबारकशाह (1421–1434): तारीख-ए-मुबारकशाही (याहिया बिन सरहिन्दी)। 📖
- अंत: शाह आलम को हटाकर बहलोल लोदी ने लोदी वंश स्थापित किया। 🏰
लोदी वंश (1451–1526 ई.) 👑
- संस्थापक: बहलोल लोदी (गिलजाई कबीले, शाहूखेल शाखा)।
- प्रमुख शासक:
- बहलोल लोदी (1451–1489):
- जौनपुर के शर्की शासक को हराया, जौनपुर को सल्तनत में शामिल। 🏰
- अंतिम अभियान: ग्वालियर। ⚔️
- सिक्के: बहलोली। 💰
- सिकन्दर लोदी (1489–1517):
- 1504 ई.: आगरा नगर स्थापना, राजधानी दिल्ली से आगरा। 🏛️
- सिकन्दरी गज: भूमि माप। 📏
- कविताएँ: गुलरुखी। 📖
- इब्राहिम लोदी (1517–1526):
- ग्वालियर (विक्रमजीत सिंह) को अधीन किया।
- मेवाड़ (राणा सांगा) के विरुद्ध असफल। 😔
- पानीपत का प्रथम युद्ध (1526): बाबर से पराजित, सल्तनत का अंत। ⚔️
- बहलोल लोदी (1451–1489):
सल्तनतकालीन स्थापत्य कला 🏛️
| निर्माण | शासक | स्थान |
|---|---|---|
| कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद | कुतुबुद्दीन ऐबक | दिल्ली |
| कुतुबमीनार | कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश | दिल्ली |
| अढ़ाई दिन का झोंपड़ा | कुतुबुद्दीन ऐबक | अजमेर |
| लाल महल | बलबन | दिल्ली |
| अलाई दरवाजा | अलाउद्दीन खिलजी | दिल्ली |
| जमैयतखाना मस्जिद | अलाउद्दीन खिलजी | दिल्ली |
| सुल्तानगढ़ी | इल्तुतमिश | दिल्ली |
| हौज-ए-शम्सी | इल्तुतमिश | दिल्ली |
| अतारकिन का दरवाजा | इल्तुतमिश | नागौर |
| हौज-ए-खास | अलाउद्दीन खिलजी | दिल्ली |
| तुगलकाबाद | गयासुद्दीन तुगलक | दिल्ली |
| आदिलाबाद का किला | मुहम्मद बिन तुगलक | दिल्ली |
| जहांपनाह नगर | मुहम्मद बिन तुगलक | दिल्ली |
| कोटला फिरोजशाह | फिरोजशाह तुगलक | दिल्ली |
| खान-ए-जहाँ तेलंगानी मकबरा | जूनाशाह | दिल्ली |
| काली मस्जिद | फिरोजशाह तुगलक | दिल्ली |
| सिकन्दर लोदी का मकबरा | इब्राहिम लोदी | दिल्ली |
सल्तनतकालीन प्रशासन ⚖️
- सुल्तान: न्यायपालिका, कार्यपालिका का प्रधान।
- खलीफा: तुर्क सुल्तानों ने बगदाद के अब्बासी खलीफा को स्वामिभक्त माना, खुतबे में नाम शामिल। 🙏
- उत्तराधिकार: कोई निश्चित नियम नहीं।
- वजीर: सर्वोच्च मंत्री, तुगलक काल में वजारत का स्वर्णकाल। 👷
- प्रांत: इक्ता या विलायत, शासक: वली या मुक्ति।
- जिले: शिक, शासक: आमिल या नाजिम।
- सैन्य विभाग: दीवान-ए-आरिज, प्रधान: आरिज-ए-मुमालिक। 🛡️
- दशमलव प्रणाली: मंगोल सेना की वर्गीकरण पद्धति, अलाउद्दीन ने अपनाई। ⚔️
- राजस्व: खूत, मुकद्दम, चौधरी द्वारा वसूली। 🌾
स्वतंत्र प्रांतीय राज्य 🏰
दिल्ली सल्तनत के कमजोर होने पर कई प्रांत स्वतंत्र हुए, जिन्होंने सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में योगदान दिया।
बंगाल 🌍
- विभाजन: गयासुद्दीन तुगलक ने तीन विभाग बनाए: लखनौती, सोनारगाँव, सतगाँव।
- हाजी इलियास (1345): बंगाल एकीकरण, शम्सुद्दीन इलियास शाह।
- सिकन्दरशाह (1358–1390): अदीना मस्जिद (पांडुआ)। 🕌
- गयासुद्दीन आजमशाह (1390–1410):
- चीन से सांस्कृतिक संबंध। 🌐
- चटगांव बन्दरगाह विकास। ⚓
- फारसी कवि हाशिमी शीराजी से संबंध। 📖
- अलाउद्दीन हुसैनशाह (1493):
- राजधानी: पांडुआ से गौड़। 🏛️
- हिंदुओं को उच्च पद। 👷
- समकालीन: चैतन्य महाप्रभु। 🙏
- मालधार वसु: श्रीकृष्ण विजय, गुणराज खान उपाधि। 📚
- नुसरत शाह:
- हुमायूँ, शेरशाह के आक्रमण। ⚔️
- महाभारत का बंगला अनुवाद, बड़ा सोना, कदम रसूल मस्जिद। 🕌
- गयासुद्दीन महमूद शाह: अंतिम हुसैनशाही शासक। 😔
कश्मीर 🏔️
- 1320: रिंचान ने हिंदू शासक सूहादेव से सत्ता छीनी।
- उदयनदेव: उनकी विधवा कोटा ने सत्ता संभाली।
- शम्सुद्दीन शाह: शाहमीर ने कोटा को कैद कर प्रथम मुस्लिम शासक बना। 👑
- शहाबुद्दीन शाहमीर: वास्तविक संस्थापक। 🌟
- सिकन्दर:
- जजिया, ब्राह्मणों को पदों से हटाया। 💸
- मार्तंड सूर्य मंदिर तोड़ा। 🕍
- जैन-उल-आबिदीन (1420–1470):
- कश्मीर का अकबर, वुड़शाह। 🌟
- धार्मिक सहिष्णुता: सती, शवदाह, जजिया पर प्रतिबंध हटाया। 🙏
- जैनलंका द्वीप (वूलर झील)। 🏝️
- फारसी कविताएँ: कुतुब। 📖
- हाजी खाँ हैदरशाह: अंतिम शासक।
- 1588: कश्मीर मुगल साम्राज्य में शामिल। 🏰
मालवा 🌍
- 1401: हुसैन खाँ गोरी (दिलावर खाँ) ने स्वतंत्र सल्तनत स्थापित।
- 1436: महमूद खिलजी ने खिलजी वंश स्थापित।
- युद्ध:
- गुजरात (अहमदशाह I), मेवाड़ (राणा कुम्भा)। ⚔️
- मांडू: सात मंजिला महल। 🏛️
- चित्तौड़: विजय स्तम्भ (राणा कुम्भा)। 🗿
- 1531: बहादुरशाह (गुजरात) ने मालवा को शामिल किया। 🏰
गुजरात 🌴
- 1401: जफर खाँ ने स्वतंत्र शासक घोषित।
- अहमदशाह (1411–1441): वास्तविक संस्थापक, असावल को अहमदाबाद बनाया। 🏛️
- महमूद बेगड़ा (1458):
- पुर्तगालियों को दीव में कारखाना। ⚓
- मुस्तफाबाद राजधानी। 🏰
- 1531: बहादुरशाह ने मालवा शामिल किया।
- 1534: चित्तौड़ पर आक्रमण। ⚔️
- 1535: हुमायूँ का आक्रमण।
- 1572–73: अकबर ने गुजरात को मुगल साम्राज्य में शामिल किया। 🏰
मेवाड़ 🛡️
- गुहिलोत राजवंश: प्राचीन राज्य, राजधानी नागदा।
- अलाउद्दीन खिलजी: रतनसिंह के समय आक्रमण। ⚔️
- हम्मीरदेव: सिसोदिया वंश, मेवाड़ को स्वतंत्र किया। 🏰
- राणा कुम्भा:
- कीर्तिस्तम्भ (चित्तौड़)। 🗿
- रचनाएँ: रसिकप्रिया (गीतगोविन्द पर टीका), चंडीशतक, संगीतराज, संगीत मीमांसा, संगीत रत्नाकर। 📖
- अत्रि, महेश को संरक्षण (विजय स्तम्भ)। 🎨
- राणा सांगा (1509):
- इब्राहिम लोदी, महमूद खिलजी II, मुजफ्फरशाह II को हराया। ⚔️
- खानवा युद्ध (1527): बाबर से पराजित। 😔
- जहाँगीर: मेवाड़ मुगल साम्राज्य में शामिल। 🏰
मारवाड़ 🌅
- जोधा (1438–1489): जोधपुर स्थापना। 🏛️
- राव बीका: बीकानेर स्थापना, राठौड़ वंश। 🏰
जौनपुर 📚
- स्थापना: फिरोजशाह तुगलक (जौन खाँ की स्मृति)।
- 1394: मलिक-उस-शर्क (ख्वाजा जहाँ मलिक सरवर)।
- 1398: तैमूर आक्रमण के बाद स्वतंत्र, शर्की वंश। 🏰
- शम्सुद्दीन इब्राहिम शाह: शर्की शैली स्थापत्य का जन्मदाता। 🕌
- हुसैनशाह शर्की: अंतिम शासक।
- सिकन्दर लोदी: जौनपुर को सल्तनत में शामिल। 🏰
- विशेषता: साहित्य और स्थापत्य के लिए भारत का सिराज। 🌟
खानदेश 🌾
- संस्थापक: मलिक राजा फारुखी।
- राजधानी: बुरहानपुर।
- सैनिक मुख्यालय: असीरगढ़।
- 1589: आदिलशाह फारुखी IV ने जामा मस्जिद (बुरहानपुर)। 🕌
बहमनी राज्य 🏰
- स्थापना: मुहम्मद बिन तुगलक के समय, इस्माइल मुख (अलाउद्दीन हसन बहमन शाह), राजधानी गुलबर्गा।
- मुहम्मदशाह I: वारंगल, विजयनगर से युद्ध। ⚔️
- मुहम्मदशाह II: शांतिप्रिय, मस्जिदें, अनाथालय, पाठशालाएँ। 🕌
- ताजुद्दीन फिरोज: विजयनगर को दो बार हराया, तीसरी बार पराजित। ⚔️
- शिहाबुद्दीन अहमद I (1422–1436):
- राजधानी: गुलबर्गा से बीदर (मुस्तफाबाद)। 🏛️
- अलाउद्दीन अहमद II: गुजरात, खानदेश, विजयनगर से संघर्ष। ⚔️
- अलाउद्दीन हुमायूँ: जालिम। 😔
- महमूद गंवा:
- ख्वाजा जहां, प्रधानमंत्री।
- सर्वाधिक विस्तार, गोवा पर अधिकार। 🏰
- 1482 ई.: विरोधी सरदारों ने हत्या करवाई। 😔
- महमूदशाह: पतन।
- कलीमुल्लाह: अंतिम शासक।
- रूसी यात्री: अल्थेनसियस निकितिन (1470–1474)। 🌍
- पतन: पाँच स्वतंत्र राज्य: बीदर, बरार, बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा। 🏰
बीदर 🌟
- संस्थापक: कासिम बरीद (बरीदशाही वंश)।
- अमीर अली बरीद: दक्षिण की लोमड़ी।
- इब्राहिम बरीदशाह: बीजापुर में शामिल। 🏰
बरार 🌾
- संस्थापक: फतेह उल्लाह इमादशाह (इमादशाही वंश)।
- राजधानियाँ: एलिचपुर, गाविलगढ़।
- 1574: अहमदनगर में शामिल। 🏰
अहमदनगर 🏛️
- संस्थापक: अहमदशाह निजाम-उल-मुल्क (निजामशाही वंश), जुन्नैर से अहमदनगर।
- बुरहान निजाम शाह: मित्रता, फिर शत्रुता।
- 1562: बीजापुर, गोलकुंडा, विजयनगर की संयुक्त सेना ने आक्रमण। ⚔️
- 1633: शाहजहाँ ने मुगल साम्राज्य में शामिल, मुर्तजा निजाम शाह बंदी। 🏰
बीजापुर 🕌
- संस्थापक: यूसुफ आदिल खाँ (आदिलशाही वंश)।
- इस्माइल: गोवा पर पुर्तगाली कब्जा। ⚓
- इब्राहिम: हिन्दवी राजकाज की भाषा, हिंदुओं को उच्च पद। 📜
- अली आदिल शाह: चाँद बीबी से विवाह, विजयनगर के विरुद्ध संयुक्त मोर्चा (1565, तालिकोट युद्ध)। ⚔️
- इब्राहिम II: अबला बाबा, जगतगुरु। 📖
- चाँद बीबी: वास्तविक शासिका। 👸
- मुहम्मद आदिल शाह: गोल गुम्बद मकबरा। 🪦
- 1686: औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य में शामिल। 🏰
गोलकुंडा 💎
- संस्थापक: कुली कुतुबशाह (कुतुबशाही वंश)।
- इब्राहिम कुतुबशाह: कूटनीतिज्ञ। 🌟
- मुहम्मद कुलीशाह:
- हैदराबाद संस्थापक, चारमीनार। 🏛️
- दक्कनी उर्दू और तेलुगु को संरक्षण, प्रथम उर्दू काव्यसंग्रह। 📖
- मीर जुमला: मुगलों के साथ मिलकर 1656 ई. में हैदराबाद पर कब्जा। ⚔️
- 1687: मुगल साम्राज्य में शामिल। 🏰
- विशेषता: हीरों का बाजार, मुसलीपट्टनम बंदरगाह, डच और अंग्रेज व्यापार। 💎
सल्तनतकालीन पुस्तकें 📚
| पुस्तक | लेखक | भाषा |
|---|---|---|
| तबकात-ए-नासिरी | मिनहाज-उल-सिराज | फारसी |
| तारीख-ए-फिरोजशाही | जियाउद्दीन बरनी | फारसी |
| फतवा-ए-जहाँदारी | जियाउद्दीन बरनी | फारसी |
| खजाइन-ए-फुतूह | अमीर खुसरो | फारसी |
| नूहसिपेहर | अमीर खुसरो | फारसी |
| आशिका | अमीर खुसरो | फारसी |
| किरान-उल-सादेन | अमीर खुसरो | फारसी |
| तुगलकनामा | अमीर खुसरो | फारसी |
| फुतूह-उस-ससलातीन | ख्वाजा अब्दुल्ला मलिक इसामी | फारसी |
| तारीख-ए-फिरोजशाही | राम्से सिराज अफीक | फारसी |
| फुतूहात-ए-फिरोजशाही | फिरोजशाह तुगलक | फारसी |
| तारीख-ए-मुबारकशाही | सरहिन्दी | फारसी |
| तारीख-ए-यामिनी | उत्वी | फारसी |
| जफरनामा | सारफुद्दीन अली याजिद | फारसी |
निष्कर्ष 🙏
दिल्ली सल्तनत ने भारत में इस्लामी शासन की नींव रखी और राजनीतिक, सांस्कृतिक, और प्रशासनिक क्षेत्रों में स्थायी प्रभाव छोड़ा। गुलाम वंश ने स्थिरता प्रदान की, खिलजी वंश ने साम्राज्य विस्तार किया, और तुगलक वंश ने प्रशासनिक प्रयोग किए। सैय्यद और लोदी वंशों ने सल्तनत को अंतिम चमक दी, पर कमजोर उत्तराधिकार और बाहरी आक्रमणों (तैमूर, बाबर) ने इसका पतन किया। सल्तनतकालीन स्थापत्य (कुतुबमीनार, अलाई दरवाजा), साहित्य (अमीर खुसरो), और प्रशासनिक सुधार (इक्ता, बाजार नियंत्रण) भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। 🌟

