ब्यावर व केकड़ी जिला बनने के बाद अजमेर में 7 तहसील (अजमेर, पुष्कर, पीसांगन, नसीराबाद, किशनगढ़, रूपनगढ़, अराई) रह गई।
- अजमेर से ब्यावर, मसूदा, विजयनगर व टाडगढ़ तहसील को ब्यावर जिले में शामिल किया गया है।
- केकड़ी, सावर, भिनाय, सरवाड़ व टांटोटी तहसील को केकड़ी जिले में शामिल किया गया है।
- अजमेर संभाग में अब 7 जिले (अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक, नागौर, डीडवाना-कुचामन व शाहपुरा) शामिल हैं।
- 7 अगस्त 2023 को पुनर्गठन के बाद जयपुर व अजमेर दोनों संभागों में अब 7-7 जिले हो गए।
- अजमेर राजस्थान का मध्यवर्ती संभाग है।
- अजमेर जिले की सीमा 7 जिलों- डीडवाना-कुचामन, जयपुर ग्रामीण, दूदू, टोंक, केकड़ी, ब्यावर तथा नागौर जिले से लगती है।
- अजमेर जिले से एन.एच. 48, 58 व 448 गुजरते हैं।
- स्थापना- पृथ्वीराज प्रथम के पुत्र अजयराज द्वारा 1113 ई. में बीठली पहाड़ी पर दुर्ग निर्माण के साथ ही अजमेर (अजयमेरू) नगर की स्थापना की गई।
- स्वतंत्रता के पश्चात् अक्टूबर, 1956 तक अजमेर ‘सी’ श्रेणी के राज्यों में से एक राज्य था। नवम्बर, 1956 को अजमेर- मेरवाड़ा का राजस्थान में विलय हो गया।
- अजमेर राज्य के केन्द्र में स्थित एक प्रमुख जिला है।
- शुभंकर- खरमोर ।
- प्राचीन नाम- अजमेर मेरवाड़ा
- अजमेर जिले में उपआर्द्र जलवायु पाई जाती है।
- दिल्ली – अहमदाबाद रेलवे राजमार्ग अजमेर जिले से होकर गुजरते हैं।
- अंग्रेजों के शासन – काल में अजमेर केन्द्रशासित प्रदेश था।
- अरावली पर्वत माला का सबसे कम विस्तार एवं सर्वाधिक कटी-फटी अजमेर जिले में है।
- राजस्थान राज्य का हृदय स्थल अजमेर भारत के पश्चिम में जिस पठारी भाग पर स्थित है, वह भारत का सर्वोच्च मैदानी हिस्सा है। यह संसार की प्राचीनतम मोड़दार अरावली पर्वत श्रेणी के मध्य स्थित तारागढ़ पर्वत की तलहटी में बसा है जो समुद्र तल से 1300 फीट ऊँचा है।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह- यह ख्वाजा साहब, अजमेर शरीफ़ और गरीब नवाज के नाम से विश्वविख्यात है। यहाँ प्रतिवर्ष रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक उर्स मेला भरता है।
- तारागढ़ का दुर्ग- राजा अजयराज द्वारा निर्मित अजयमेरु दुर्ग के नाम से प्रसिद्ध है।
- तीर्थराज पुष्कर- अजमेर से 11 किमी. की दूरी पर स्थित पुष्कर घाटी के नाम से विख्यात जहाँ ब्रह्मा का एकमात्र एवं प्राचीनतम मंदिर स्थित है। भारतीय धर्म शास्त्र में सर्वाधिक पवित्र माने गये पाँच तीर्थों में से एक पुष्कर भी है (कुरुक्षेत्र, गया, गंगा और प्रयाग) ।
- पुष्कर पशु मेला- राजस्थान पयर्टन विकास निगम द्वारा पर्यटन ग्राम का आयोजन कर यह मेला प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल 8 से 15 दिन के लिए भरता है।
- चश्मा-ए-नूर- जहाँगीर ने अपने नाम नूरुद्दीन जहाँगीर से इसका नाम चश्मा-ए-नूर रखा। यह तारागढ़ के पश्चिम में स्थित है।
- दादाबाड़ी- श्वेताम्बर सम्प्रदाय के जैन संत जिन वल्लभ सूरि के शिष्य जिनदत्त सूरि की स्मृति में निर्मित समाधि स्थल को दादाबाड़ी के नाम से जाना जाता है।
- आनासागर- अर्णोराज (आनाजी) द्वारा निर्मित झील (बांडी नदी पर), जहांगीर द्वारा निर्मित दौलतबाग यहीं अवस्थित है।
- रामसर- केन्द्रीय बकरी प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र
- संस्कृत पाठशाला (संस्कृत कंठा भरण पाठशाला) : बीसलदेव चौहान/विग्रहराज चतुर्थ के द्वारा निर्माण। इस पाठशाला के ऊपर ‘हरीकेलि नाटक’ को उकेरा गया है। इस पाठशाला को कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा तोड़ा गया और इसके स्थान पर मस्जिद बनाई गई, जिसे वर्तमान में अढ़ाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है। यहाँ पर पंजाब शाहँ का अढ़ाई दिन का उर्स लगता है। यह 16 खम्भों पर स्थित है।
- सोनी जी की नसियाँ: नींव 1864 ई. में सोनी मूलचन्द द्वारा एवं पूर्ण निर्माण टीकमचन्द सोनी द्वारा किया गया। यह एक जैन मंदिर है, जो भगवान ऋषभदेव/आदिनाथ जी को समर्पित है। इस मंदिर के निर्माण में 400 किलो सोने का उपयोग किया गया है। इस मंदिर का आन्तरिक भाग सोने से निर्मित होने के कारण इस मंदिर के आन्तरिक भाग को स्वर्ण मंदिर / अक्षरधाम / अघरधाम कहा जाता है।
- राजस्थान का छोटा रामदेवरा : खुण्डिया वास गाँव (अजमेर) ।
- अकबर का किला/मैगजीन किला : मुगल शासक अकबर के द्वारा 1570 ई. में निर्माण । उपनाम- अकबर का किला, दौलतखाना।
- भीमगढ़ दुर्ग : कर्नल जेम्स टॉड द्वारा निर्माण ।
- नवग्रह मंदिर- राज्य का एकमात्र मंदिर, जहाँ नौ ग्रह की अलग-अलग पत्थरों पर प्रतिमा हैं।
- खोबरानाथ मंदिर : इस मंदिर को शादीदेव / शनिदेव मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का उल्लेख जहांआरा (शाहजहाँ की पुत्री) ने अपनी पुस्तक में किया।
- ब्रह्माजी का मंदिर- पुष्कर, अजमेर। इस मंदिर का पुनः निर्माण / आधुनिक निर्माता- 18वीं सदी में गोकुलचन्द पारीख द्वारा किया गया। यह मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर हैं, जहाँ विधिवत रूप से ब्रह्माजी की पूजा की जाती है।
- सावित्री मंदिर/सरस्वती मंदिर- पुष्कर, अजमेर। यह मंदिर रतनागिरी की पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ राजस्थान का दूसरा रोप वे विकसित किया गया है।
- रंगनाथ जी का मंदिर- पुष्कर, अजमेर। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर गोमुख शैली या द्रविड़ शैली में निर्मित है। निर्माण- 1834 में सेठ पूरणमल द्वारा।
- राधा जी का मंदिर- सलेमाबाद, अजमेर। यह राजस्थान में राधा जी का सबसे बड़ा मंदिर है।
- वराह मंदिर- पुष्कर, अजमेर। चौहान राजा अर्णोराज द्वारा 1123-1150 ई. में निर्माण।
- मीरान साहब की दरगाह- तारागढ़ दुर्ग, अजमेर।
- रूठी रानी का महल : यह महल बीसलपुर झील, अजमेर में स्थित है।
- मान महल : यह महल पुष्कर, अजमेर में स्थित है। निर्माण- आमेर के मिर्जा राजा मानसिंह के द्वारा। यह वर्तमान में होटल सरोवर के रूप में प्रसिद्ध है।
- कल्पवृक्ष का मेला:- यह मेला हरियाली अमावस्या श्रावण अमावस्या को मांगलियावास, अजमेर में लगता है।
- तेजाजी का मृत्यु स्थान- सुरसुरा, अजमेर।
- पुष्कर के उपनाम- गोकर्ण तीर्थ, तीर्थराज, तीर्थों का मामा, 100 मंदिरों का शहर
- राज्य में प्रथम मेगा फूड पार्क की स्थापना- रूपनगढ़, किशनगढ़ (अजमेर) में की गई।
- बाघेरा का तोरण द्वार- बाघेरा गाँव, अजमेर। यह ढोला- मारू की शादी का साक्ष्य हैं।
- राजस्थान का प्रथम केन्द्रीय विश्वविद्यालय- बांदरसिन्दरी गाँव, किशनगढ़ (अजमेर), स्थापना- 2009 में।
- राजस्थान की प्रथम आँवला नर्सरी अजमेर में स्थापित की गई।
- राज्य का प्रथम सिस्मोग्राफ संयंत्र- अजमेर में स्थित हैं।
- राजस्थान का प्रथम साक्षर जिला- अजमेर।
- राजस्थान की प्रथम पुष्प मंडी- गनाहेड़ा गाँव, पुष्कर (अजमेर)।
- राजस्थान का प्रथम हाइटेक डाकघर- पुष्कर (अजमेर)।
- राजस्थान का सबसे पुराना महाविद्यालय- सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (प्राचीन नाम- राजकीय महाविद्यालय), अजमेर।
- देश का प्रथम बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र- तबीजी अजमेर।
- केन्द्र सरकार ने अजमेर जिले को अमृत फेज द्वितीय योजना में शामिल किया है।
- देश की एकमात्र बाल संसद- तिलोनिया, अजमेर।
- राजस्थान की प्रथम डेयरी ‘पदमा डेयरी’- अजमेर।
- राजस्थान में सबसे बड़ी, एशिया की सबसे बड़ी मार्बल/सांगमरमर मण्डी-किशनगढ़, अजमेर।
- राजस्थान में जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में नाग पहाड़’ (अजमेर) को चयनित किया गया है।
- पुष्कर (अजमेर) गुलाब की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
- नोट: पुष्कर और जयपुर क्षेत्र में क्रमशः बारहमासी गुलाब (रोज इण्डिका) एवं लाल गुलाब व्यावसायिक स्तर पर उगाए जाते हैं।
- राजस्थान में आयुर्वेद विभाग का मुख्यालय अजमेर में स्थित है।
- हाटुण्डी आश्रम अजमेर में स्थित है।
- दौलत बाग उद्यान (वर्तमान-सुभाष उद्यान) : निर्माण- जहाँगीर द्वारा, अजमेर में। यह ‘आनासागर’ झील के किनारे स्थित है।
- कोसी मीनार :- यह अजमेर में स्थित है। जो अकबर द्वारा निर्मित है।
- 1857 की क्रान्ति राज्य में सर्वप्रथम अजमेर जिले की नसीराबाद छावनी से 28 मई 1857 को शुरू हुई, क्रान्ति के दौरान यह राजस्थान की सबसे बड़ी सैनिक छावनी थी।”
- किशनगढ़ प्रजामण्डल स्थापना- वर्ष 1939 में कांतिलाल चौथानी व जमालशाह द्वारा।
- नागरीदास जी पैनोरमा- किशनगढ़, अजमेर।
- निम्बार्काचार्य पैनोरमा- सलेमाबाद, अजमेर।
- किशनगढ़ किला, अजमेर: निर्माण- वर्ष 1949 में महाराजा रूपसिंह ने
- केहरीगढ़ किला किशनगढ़ (अजमेर) के गूंदेलाव तालाब के निकट स्थित है।
- अजमेर जिला राजस्थान में मुर्गी पालन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।
- देश की पहली व विश्व की सबसे बड़ी गैस पाइप लाइन ‘जामनगर लोनी गैस पाइप लाइन’ के लिए बूस्टर नसीराबाद के निकट गोदरी गाँव में लगाया गया है।
- अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) : स्थापना- 14 अगस्त 2013 को। यह राज्य का तीसरा नगर विकास प्राधिकरण है।
- ‘सर ट्रॉमस रो’ 22 दिसम्बर 1615 ई. को अजमेर आए थे।
- मुगल बादशाह अकबर ने अजमेर की पाँच बार पैदल यात्रा की थी।
- जहाँगीर ने अजमेर में सन् 1613-1616 तक मुगल दरबार लगाया था।
- राजकीय संग्रहालय, अजमेर स्थापना- भारत सरकार के द्वारा मैगजीन किले/अकबर का किला में 19 अक्टूबर 1908 को राजपूताना म्यूजियम के नाम से की गई थी।
- राजस्व मण्डल- अजमेर: स्थापना- 7 अप्रैल 1949 में। मुख्यालय- अजमेर।
- रेल संग्रहालय- अजमेर: निर्माण इसका निर्माण हृदय योजना के तहत किया गया है। उद्घाटन- 4 मार्च 2019 को।
- गिद्ध संरक्षण केन्द्र निर्माण- महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर द्वारा। यह माखुपुरा-सेंदरिया, अजमेर में बनाया गया है।
- गौ अभयारण्य अजमेर में प्रस्तावित है।
- HMT की स्थापना- चाचियावास, अजमेर में की गई।
- राजस्थान में रेलवे पुलिस मुख्यालय अजमेर में स्थित है।
- राजस्थान में सबसे अधिक फेल्सपार का उत्पादन अजमेर में होता है।
- अजमेर में सर्वाधिक गिर नस्ल की गायें पाई जाती हैं, जिन्हें अजमेरिया/रण्डा के नाम से जाना जाता है।
- भारत में एकमात्र घोड़े की मजार जिनमें चने की दाल चढ़ाई जाती है, जो तारागढ़ दुर्ग, अजमेर में स्थित है।
- हाथी भाटा- राजस्थान में हाथी भाटा अजमेर और टोंक में स्थित है।
- बीठली की पहाड़ी, मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ- अजमेर में स्थित है।
- नोट: कुकरा की पहाड़ियाँ राजसमंद (मेवाड़) तथा अजमेर (मेरवाड़ा) की सीमा का निर्धारण करती है।
- किशनगढ़ चित्रशैली, अजमेर : बनी-ठणी चित्र । यह निहालचन्द द्वारा निर्मित है। यह चित्र वर्तमान में अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है। बनी-ठणी चित्र पर भारत सरकार के द्वारा डाक टिकट जारी किया गया।
- मेयो कॉलेज (यह एक विद्यालय था) : स्थापना – 1875 में। उद्देश्य – राजस्थान में राजाओं तथा राजकुमारों को अग्रेंजी शिक्षा देना।
- राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, अजमेर: स्थापना – वर्ष 1930 में इसकी स्थापना किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल के रूप में की गई थी। वर्ष 1966 में इसे मिलिट्री स्कूल और वर्ष 2007 में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल का नाम दिया गया।
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड : स्थापना- माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1957 के तहत 4 दिसंबर 1957 को जयपुर में की गई थी। इसे वर्ष 1961 में अजमेर में स्थानांतरित कर दिया गया था।
- जहाँगीरी महल (पुष्कर) का लेख: पुष्कर के जहाँगीरी महल से 1615 ई. का एक शिलालेख मिला है। इस लेख में राजा अमरसिंह पर जहाँगीर की विजय के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- अजमेर लेख: यह लेख अजमेर के ढाई दिन के झौंपड़े के दूसरे गुम्बद की दीवार के पीछे प्राप्त हुआ है।
- मध्य अरावली की प्रमुख चोटियाँ-
- तारागढ़- अजमेर- 873 मीटर
- नागपहाड़- अजमेर – 795 मीटर
- राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) : गठन – 20 अगस्त 1949 को । मुख्यालय-घूघरा घाटी, अजमेर ।
- फलकू बाई का संबंध चरी नृत्य से है, जो किशनगढ़, अजमेर से संबंधित हैं ।
- दयानंद सरस्वती, अर्जुनलाल सेठी का देहांत अजमेर में हुआ।
- सामाजिक कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र (SWRC) : स्थापना- अरूणा राय के प्रयासों से तिलोनिया (अजमेर) में स्थापित किया गया।
- रूपनगढ़ नदी : उद्गम- सलेमाबाद (किशनगढ़) की पहाड़ियों से। इस नदी के किनारे निम्बार्क सम्प्रदाय की पीठ है।
- सागरमती नदी : उद्गम- नागपहाड़, अजमेर से।
- सरस्वती नदी : उद्गम- पुष्कर की पहाड़ियों से।
- लूणी नदी : उद्गम- नाग पहाड़ियों से। इस नदी के उद्गम स्थल पर इसका नाम सागरमती नदी रहता है। सागरमती नदी एवं सरस्वती नदी अजमेर के गोविन्दगढ़ नामक स्थान पर दोनों नदियां मिलती हैं, तब इसका नाम लूणी नदी होता है।
- पुष्कर झील (अजमेर) : यह राजस्थान की सबसे प्राचीन झील है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है। इस झील की सफाई हेतु वर्ष 1997 में कनाडा के सहयोग से पुष्कर गैप परियोजना चलाई जा रही है।
- फॉय सागर झील (अजमेर) : यह झील बाण्डी नदी के किनारे स्थित है। इस झील में पानी की मात्रा ज्यादा होने पर इसका पानी आनासागर झील में चला जाता हैं।
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