- सलूंबर जिला बनने के बाद पुनर्गठित उदयपुर जिले में अब 11 उपखंड (गिर्वा, बड़गाँव, कोटड़ा, गोगुंदा, झाड़ोल, मावली, ऋषभदेव, वल्लभनगर, भींडर, खैरवाड़ा, नयागाँव) व 16 तहसीलें (गिर्वा, कुराबड़, बड़गाँव, कोटड़ा, गोगुंदा, सायरा, झाड़ोल, फलासिया, मावली, घासा, ऋषभदेव, वल्लभनगर, भींडर, कानोड़, खैरवाड़ा, नयागाँव) रह गई हैं।
- पुनर्गठित उदयपुर जिले की सीमा 6 जिलों- पाली, सिरोही, डूंगरपुर, सलूंबर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद से लगती है। अंतर्राज्यीय सीमा गुजरात से लगती है।
उपनाम : उदयपुर को पूर्व का वेनिस, राजस्थान का कश्मीर, झीलों की नगरी, लैक ऑफ सिटी, सैलानियों का स्वर्ग, फाउंटेन एवं माउंटेन सिटी, व्हाइट सिटी नामों से जाना जाता है।
- उदयपुर जिले से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 27, 48, 58 व 76ए गुजरते हैं।
- मुख्य नदी- साबरमती, सोम, आयड़ (बेड़च) ।
- सर्वाधिक नदियों के उद्गम वाला संभाग है।
- इस संभाग में अरावली का सर्वाधिक विस्तार है।
- उदयपुर जिले का शुभंकर- बिज्जु
- राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला उदयपुर है, यहाँ सघन वन पाए जाते हैं।
- 1559 में महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर की स्थापना की।
- राजस्थान के एकीकरण के तीसरे चरण 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर को शामिल कर संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
- मेवाड़ : राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत ।
- अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान में उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील में पाए जाने वाले कैथोड़ी जनजाति द्वारा खेर वृक्ष के तने से हाण्डी प्रणाली द्वारा कत्था तैयार किया जाता है।
- भोराठ का पठार: उदयपुर के कुंभलगढ़ व गोगुंदा के मध्य का पठारी भाग।
- गिरवा : उदयपुर के चारों ओर की पहाड़िया होने के कारणउदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है, जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते हैं।
- देशहरो : उदयपुर में जरगा व रागी पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र सदा हरा-भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।
- मगरा : उदयपुर का उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।
- आहड़ सभ्यता, बालाथल सभ्यता, धोलीमगरा सभ्यता, ईसबाल सभ्यता व झाड़ोल सभ्यता का संबंध उदयपुर से है।
- पिछोला झील – राणा लाखा के शासन काल में एक बणजारे द्वारा निर्मित झील, इस झील के अंदर जगनिवास महल एवं जगमंदिर महल बने हुए हैं। इसी जगमंदिर महल में शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) को विद्रोही दिनों में शरण दी गई थी। पिछोला झील के किनारे दूध तलाई तालाब स्थित है।
- राजस्थान का पहला शिल्पग्राम उदयपुर शहर के फतहसागर झील के पास पहाड़ियों के बीच बसाया गया है। यह एक कृत्रिम गाँव है। शिल्पग्राम के निर्माण का उद्देश्य लोगों को एक दूसरे की कला संस्कृति से परिचित कराना है।
- यूरोपीय इतिहासकारों द्वारा लेक सिटी ऑफ इंडिया को एशिया का वियना (आस्ट्रिया) कहा जाता है।
- नागदा- यहाँ सास बहू का मंदिर स्थित है।
- आहड़- बनास व आहड़ नदियों की घाटियों में सिंधु सभ्यता के समकालीन व ताम्र युगीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं।
- अन्य स्थल- केसरियानाथजी का मंदिर, एकलिंगजी का मंदिर, सहेलियों की बाड़ी।
- राजस्थान साहित्य अकादमी – जनवरी, 1958 में स्थापित यह संस्थान साहित्य के विकास, प्रचार-प्रसार तथा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने का कार्य करती है।
- फुलवारी की नाल अभयारण्य- इस अभयारण्य से मानसी- वाकल जल सुरंग निकलती है।
- राज्यगीत : केसरिया बालम, इस गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई द्वारा गाया गया था।
- स्वामी दयानंद सरस्वती इन्होंने सज्जनगढ़ पैलेस (उदयपुर) में बैठकर ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक ग्रंथ की रचना की थी। इसके अलावा वेद भाष्य’ ग्रंथ भी लिखा था। स्वामीजी ने 1883 में उदयपुर में ‘परोपकारिणी सभा’ का गठन किया।
- मोहनलाल सुखाड़िया:- जन्म झालरापाटन (झालावाड़) में। इनकी कर्म स्थली उदयपुर को माना जाता है। इन्हें आधुनिक राजस्थान का निर्माता कहते हैं। यह चार बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। राजस्थान में सर्वाधिक (1954 से 1971 तक ) समय तक मुख्यमंत्री रहे।
- डॉ. दौलतसिंह कोठारी:- प्रसिद्ध शिक्षाविद वैज्ञानिक रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) इन्हीं की देन है। 1964-1966 तक दौलतसिंह कोठारी आयोग के अध्यक्ष रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें 1973 में पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया।
- माणिक्यलाल वर्मा : जन्म बिजौलिया (भीलवाड़ा) में कर्म स्थली उदयपुर रही। ‘मेवाड़ का वर्तमान शासन’ इनकी प्रमुख पुस्तक है। ‘पंछीड़ा’ इनका प्रजामंडल का गीत है। मेवाड़ का गाँधी।
- माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान : 2 जनवरी 1964 को उदयपुर में स्थापना। इसके द्वारा आयोजित किए जाने वाले मेलों को ‘हमेलो’ कहा जाता है। जनजाति संग्रहालय की स्थापना 30 दिसम्बर, 1983 को हुई।
- श्रेष्ठा सोनी: उदयपुर की बाल नृत्यांगना।‘लिटिल वंडर’ के नाम से प्रसिद्ध।
- उदयपुर प्रजामंडल:- 1938 में माणिक्यलाल वर्मा ने इसकी स्थापना की। बलवंत राय मेहता अध्यक्ष थे।
- एकलिंग जी का मंदिर : कैलाशपुरी (उदयपुर) में स्थित। 734 ई. में बप्पा रावल ने निर्माण करवाया। एकलिंग जी को ‘मेवाड़ का राजा’ कहते हैं। मेवाड़ी राजा एकलिंगजी के ‘दीवान’ कहलाते थे।
- ऋषभदेव मंदिर : कोयल नदी के किनारे धुलेव (उदयपुर) में स्थित। इन्हें धुलेवारा धणी भी कहते हैं। यह जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जी का मंदिर है। काले पत्थर की मूर्ति होने के कारण भील इन्हें कालाजी कहकर पुकारते हैं। केशर चढ़ाने के कारण इन्हें केशरियानाथ जी कहते हैं। यह राजस्थान में लकुलीश/पाशुपत सम्प्रदाय का एकमात्र मंदिर है।
- भारतीय लोक कला मंडल : 1952 में स्थापना। संस्थापक देवीलाल सामर थे। इस कला मंडल द्वारा कठपुतली नृत्य एवं नाट्य का सर्वाधिक विकास किया जाता है। कठपुतली नृत्य का प्रमुख वाद्य ‘ढोलक’ है।
- पंडित उदयशंकर : भारतीय नृत्य में बैले नृत्य के जनक। ये पं. रविशंकर (प्रसिद्ध सितार वादक) के भाई हैं।
- गवरी लोक नाट्य : उदयपुर का प्रसिद्ध लोक नाट्य । भीलों का प्रसिद्ध लोक नाट्य। इसे मेवाड़ की धड़कन कहते हैं। यह राजस्थान का सबसे प्राचीन लोक नाट्य है, जिसे मेरू लोक. नाट्य कहते हैं। यह भील पुरुषों द्वारा किया जाता है।
- हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड : 1966 में देबारी (उदयपुर) में स्थापना। यहां जस्ता गलाने का संयंत्र स्थापित किया गया है।
- जगमंदिर पैलेस- निर्माणः कर्णसिंह द्वारा आरंभ करवाया गया और जगतसिंह प्रथम द्वारा पूर्ण करवाया गया।
- जगनिवास महल- निर्माण: जगतसिंह द्वितीय द्वारा। इन्हें वर्तमान में होटल लेक पैलेस बना दिया गया है, जिसका संचालन RTDC द्वारा किया जाता है।
- चन्द्रमहल (सिटी पैलेस)- निर्माण: पिछोला झील के किनारे महाराणा उदयसिंह द्वारा। इतिहासकार फर्ग्यूसन ने इस महल को ‘राजस्थान के विंडसर महल’ की संज्ञा दी
- नोट- इस महल में महाराणा प्रताप का ऐतिहासिक भाला रखा हुआ है, जिससे हल्दीघाटी युद्ध में मानसिंह पर प्रताप ने वार किया था।
- सज्जनगढ़ पैलेस- निर्माणः 1884 में महाराणा सज्जन सिंह द्वारा। इसे मानसून पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रसिद्ध सन-सेट पॉइंट है। इस दुर्ग की आकृति:.गुलाब के समान।
- बागोर की हवेली- यहाँ पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र कामुख्यालय स्थित है। इस हवेली में विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है। निर्माण- पिछोला झील के किनारे 18वीं सदी में मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमरचंद बड़वा द्वारा।
- जगत अम्बिका मंदिर – निर्माण: 12वीं शताब्दी में। इसे मेवाड़ का खजुराहों कहा जाता है। यहाँ नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति है।
- जगदीश मंदिर- निर्माणः जगतसिंह प्रथम ने ‘इंडो-आर्यन‘ शैली में करवाया। यह मंदिर 50 खम्भों पर स्थित है। इस मंदिर को ‘सपनों में बना मंदिर’ कहा जाता है।
- ईडाणा माता मंदिर- बंबोरा, उदयपुर
- महाराणा प्रताप स्मारक/पैनोरमा- यह स्मारक फतेहसागर झील के किनारे स्थित मोतीमगरी पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ चेतक पर सवार महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित है। यहाँ जापानी रॉक गार्डन भी स्थापित है।
- सहेलियों की बाड़ी- निर्माणः फतेहसागर झील के किनारे महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय के द्वारा । पुनः निर्माण- महाराणा फतेहसिंह द्वारा। यह उदयपुर का सुन्दरतम उद्यान है।
- सज्जन निवास उद्यान/गुलाब बाग- निर्माणः 1881 ई. में महाराणा सज्जनसिंह के द्वारा। महाराणा सज्जनसिंह ने यहाँ नवलखा महल का निर्माण करवाया। महाराणा फतेहसिंह ने उदयपुर में ग्रीन हाउस (फर्न हाउस), रॉक गार्डन, विक्टोरिया हॉल का निर्माण करवाया।
- ऋषभदेव जी का मेला- यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण अष्टमी को धुलेव, उदयपुर में लगता है।
- हरियाली अमावस्या का मेला- यह मेला फतेहगढ़ में प्रतिवर्ष श्रावण अमावस्या को लगता है।
- भारतीय लोक-कला मण्डल – स्थापना: 12 फरवरी, 1952 को। मुख्यालयः उदयपुर । संस्थापक: देवीलाल सामर (पद्मश्री से सम्मानित) यह एक सांस्कृतिक संस्था है।
- सरस्वती भण्डार- चित्रकला के लिए प्रसिद्ध यह संग्रहालय राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है।
- सिटी पैलेस म्यूजियम, उदयपुर- निर्माण: महाराणा अमरसिंह प्रथम के द्वारा। यह संग्रहालय उदयपुर के सिटी पैलेस में स्थित है।
- राजस्थानी साहित्य अकादमी- स्थापना- 1958 में । मुख्यालय: उदयपुर । पत्रिकाः मधुमती (मासिक पत्रिका)
- मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर- स्थापना: वर्ष 1962 में। यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जहाँ यूनिफॉर्म कोड लागू किया गया है। इस विश्वविद्यालय में प्रदेश की पहली व देश की तीसरी बिहेवियर लैब शुरू की गई है।
- महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर- स्थापना: वर्ष 1962 में ।
- राज्य की पहली जनजाति बालक हॉकी अकादमी उदयपुर में स्थापित की गई है।
- बालक तीरन्दाजी अकादमी- उदयपुर
- पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर- मुख्यालय: बागौर की हवेली, उदयपुर। यह केन्द्र भारत के पश्चिम राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दमन-दीव, दादर नागर हवेली के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा स्थापित सात सांस्कृतिक केन्द्रों में से एक केंद्र है। इसके संरक्षक राज्यपाल कलराज मिश्र और निदेशक किरण सोनी हैं।
- प्रताप वेक्स म्यूजियम/ संत संग्रहालय – राजस्थान का पहला संत संग्रहालय समोर बाग, उदयपुर में शुरू किया गया है। इस म्यूजियम का नाम प्रताप वेक्स म्यूजियम रखा गया है।
- ज्वार अनुसंधान शोध केन्द्र – उदयपुर ।
- खान एवं भूविज्ञान विभाग का मुख्यालय – उदयपुर।
- राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद्- स्थापना: 25 अगस्त 1978 को। मुख्यालय: उदयपुर ।
- भैंस प्रजनन एवं अनुसंधान केंद्र- यह केन्द्र ‘वल्लभनगर, उदयपुर’ में स्थापित है।
- राजपुताना राइफल्स की चौथी बटालियन उदयपुर में स्थित है।
- तितली पार्क/ बटरफ्लाई पार्क, उदयपुर- उदयपुर संभाग में तितलियों की लगभग 100 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह राजस्थान का प्रथम बटरफ्लाई पार्क है। यह पार्क अंबेरी गाँव, उदयपुर में बन रहा है।
- पक्षी उद्यान/बर्ड पार्क- राज्य के पहले बर्ड पार्क का शुभारंभ गुलाब बाग।
- जैव विविधता पार्क- राजस्थान में ‘जैव विविधता पार्क’ गमधर वन क्षेत्र (उदयपुर) में स्थित है।
- राजस्थान में उदयपुर के 2 स्थलों को जैव-विविधता विरासत स्थल के रूप में चयनित किया गया है- (1) राम-कुण्डा (2) केवड़ा की नाल ।
- विश्व का दुर्लभ पक्षी ल्यूसिस्टिक किंगफिशर राज्य में प्रथम बार उदयपुर में देखा गया है। यह पक्षी भारत में प्रथम व विश्व में तीसरी बार देखा गया है।
- राजस्थान का पहला पैंथर रेस्क्यू सेंटर, सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर में बनाया गया है।
- सज्जनगढ़ अभयारण्य, उदयपुर- स्थापना: वर्ष 1987 में। यह राज्य का दूसरा छोटा वन्य जीव अभयारण्य है। यहाँ 12 अप्रैल 2015 को राज्य का प्रथम जैविक उद्यान स्थापित किया गया।
- उदयपुर जंतुआलय- स्थापना: 1878 ई. में।
- मायरा की गुफा- यह गुफा गोगुन्दा के पास मोड़ी गाँव में स्थित है। इसे महाराणा प्रताप ने अपना शस्त्रागार बनाया था।
- अकबर ने हल्दीघाटी युद्ध के बाद उदयपुर पर अधिकार करके उदयपुर का नाम मुहम्मदाबाद रखा था।
- राज्य सरकार द्वारा चावंड़, उदयपुर में 5 करोड़ रुपये की लागत से महाराणा प्रताप पैनोरमा का निर्माण किया गया है।
- बप्पा रावल पैनोरमा- मठाठा, उदयपुर।
- कोटड़ा (उदयपुर) राज्य में सबसे कम साक्षरता वाली तहसील है।
- महाराणा प्रताप हवाई अड्डा-डबोक, उदयपुर ।
- लकड़ी के खिलौने सर्वाधिक उदयपुर में बनाए जाते हैं।
- राजस्थान की प्रथम कमर्शियल बॉयोडीजल रिफाइनरी झामर कोटड़ा, उदयपुर में स्थित है।
- राजस्थान में सर्वाधिक जनजातियाँ उदयपुर में निवास करती है।
- सर्वाधिक भील समुदाय उदयपुर में निवास करता है।
- मेवाड़ चित्रशैली- मेवाड़ चित्रशैली को राजस्थान चित्रकला की जननी कहा जाता है। इस चित्र शैली का प्रथम चित्रित ग्रंथ ‘श्रावक प्रतिकर्मण सूत्र चूर्णि’ है।
- नागदा- मेवाड़ के राजाओं की प्राचीन राजधानी नागदा थी।
- गोगुन्दा- यहाँ पर महाराणा उदयसिंह की छतरी स्थित है। यहाँ महाराणा प्रताप का प्रथम राज्याभिषेक हुआ था। यह मेवाड़ के महाराणाओं की आपातकालीन राजधानी रहा है।
- जावर- यहाँ सीसा-जस्ता का उत्पादन होता है। यहाँ राणा लाखा के समय चाँदी की खान प्राप्त हुई थी।
- नाहर मगरा- यह मेवाड़ के महाराणाओं का आखेट स्थल था।
- उदयपुर जिले में राज्य का सर्वाधिक – सीसा-जस्ता,चाँदी (जावर), पन्ना (कालागुमान), रॉक फॉस्फेट (झामर कोटड़ा) प्राप्त होता है।
- उदयपुर जिले में मशरूम, हल्दी, पपीता, ककड़ी का सर्वाधिक उत्पादन होता है।
- भोमट- उदयपुर व डूंगरपुर के बीच भील आबादी क्षेत्र को भोमट’ कहाँ जाता है।
- जगन्नाथ राय प्रशस्ति- 1652 ई. की यह प्रशस्ति उदयपुर के जगन्नाथराय (जगदीश) मंदिर में उत्कीर्ण है। इस प्रशस्ति में इसके रचयिता कृष्ण भट्ट का उल्लेख है।
- त्रिमुखी बावड़ी की प्रशस्ति- 1675 ई. की यह प्रशस्ति उदयपुर के पास देबारी स्थित त्रिमुखी बावड़ी पर उत्कीर्ण है।
- सारणेश्वर प्रशस्ति- 953 ई. की यह प्रशस्ति उदयपुर के सारणेश्वर शिवालय में संस्कृत भाषा व नागरी लिपि में उत्कीर्ण की गई है, जिसमें केवल छ: पंक्तियाँ हैं।
- नाथ प्रशस्ति- 971 ई. का यह लेख उदयपुर के लकुलीश मंदिर से प्राप्त हुआ है।
- अपराजित का शिलालेख (661 ई.)- यह लेख नागदा गाँव के निकटवर्ती कुंडेश्वर मंदिर की दीवार पर उत्कीर्ण था। यह लेख वर्तमान में उदयपुर के विक्टोरिया हॉल संग्रहालय में स्थित है।
- सांमोली शिलालेख (646 ई.)- यह शिलालेख मेवाड़ के दक्षिण में स्थित तहसील सांमोली गाँव (उदयपुर) से प्राप्त हुआ है।
- चीरवा का अभिलेख (1273 ई.)- 1273 ई. का यह शिलालेख उदयपुर के चीरवा गाँव में एक मंदिर के बाहरी द्वार पर नगरी लिपि में उत्कीर्ण है।
- सोम नदी- उद्गम: बीछामेड़ा की पहाड़ी से। यह नदी उदयपुर और डूंगरपुर के मध्य सीमा बनाती है। उदयपुर में सोम नदी पर सोम कागदर परियोजना संचालित है।
- बेड़च नदी- उद्गम: गोगुंदा की पहाड़ियों से आयड़ नदी के रूप में।
- वाकंल नदी- उद्गमः गोगुंदा की पहाड़ियों से।
- साबरमती नदी- उद्गम: उदयपुर जिले की पदराड़ा की पहाड़ियों से। उदयपुर में साबरमती नदी का सहायक नदी सेई नदी पर सेई परियोजना निर्मित है।
- देवास द्वितीय परियोजना- यह परियोजना उदयपुर के शहरी जल योजना से संबंधित है।
- मेवाड़ रियासत राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत थी।
- उदयपुर के माछला मगरा की पहाड़ियों पर स्थित मंशापूर्ण करणी माता मंदिर रोप-वे की शुरुआत 8 जून, 2008 को की गई।
- SIERT (State Institute of Education Research and Training) स्थापना 11 नवम्बर 1978 को उदयपुर में की गई। इस संस्था का नाम 14 अगस्त 2018 को परिवर्तन करके RSCERT (Rajasthan State Institute of Education Research and Training) दिया गया।
- मोतीलाल तेजावत- इनका संबंध उदयपुर से था। इन्हें आदिवासियों का मसीहा कहा जाता है। इन्होंने वनवासी संघ की स्थापना की थी।
- सुहानी शाह- इसका संबंध उदयपुर से है। यह देश की प्रथम महिला जादूगर है। यह साइकोलॉजी की ट्रिक से माइंड को पढ़ती है।
- भक्ति शर्मा- ‘इंग्लिश चैनल’ पार करने वाली राजस्थानी महिला है, जिसे जलपरी के नाम से जाना जाता है। यह उदयपुर निवासी है।
- लिंबाराम- तीन बार ओलम्पियन एवं अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित लिम्बाराम उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के रहने वाले हैं।
1 thought on “नया उदयपुर (Udaipur)”