जोधपुर जिले में जोधपुर उत्तर व जोधपुर दक्षिण उपखण्डों के अन्तर्गत नगर निगम में आने वाला क्षेत्र सम्मलित किया गया है।
जोधपुर शहर में पहले से 2 नगर निगम और जेडीए बने हुए हैं। जोधपुर शहर में पुलिस कमीश्नरेट प्रणाली लागू है। जोधपुर शहर जिला पूरी तरह से नगर निगम की सीमा में रखा गया है। जोधपुर शहर नये जिले में सिर्फ 3 विधानसभा सीटें-जोधपुर शहर, सरदारपुरा व सूरसागर रह गई हैं। जोधपुर जिला अब जोधपुर ग्रामीण जिले से घिरा हुआ है।
1. जोधपुर उत्तर :- जोधपुर तहसील का नगर निगम जोधपुर के अंतर्गत आने वाला समस्त भाग।
2. जोधपुर दक्षिण :- जोधपुर तहसील का नगर निगम जोधपुर के अंतर्गत आने वाला समस्त भाग।
- जोधपुर की स्थापना राव जोधा द्वारा 12 मई 1459 में की गई थी।
- यह अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित संभाग है।
- यह संभाग राजस्थान में सबसे बड़ी/अधिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग है।
- यह संभाग क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग है।
- यह सबसे शुष्क एवं सबसे न्यूनतम वर्षा वाला संभाग है।
- यह संभाग राज्य में न्यूनतम जनघनत्व एवं सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि वाला संभाग है।
- प्राचीन नाम- मरूभूमि, मारवाड़ एवं मरूकांतार प्रदेश।
- जोधपुर जिले का शुभंकर- कुरजां पक्षी
- राव सीहा (1240-1273)- मारवाड़ राठौड़ वंश के संस्थापक माने जाते हैं। बीठू गांव (पाली) में राव सीहा की छतरी बनी हुई है।
- राव चूड़ा (1383-1423)- मंडौर को सर्वप्रथम अपनी राजधानी बनाया। मंडौर इनको गुर्जर प्रतिहार उगमसिंह द्वारा दहेज में दिया गया था।
- राव जोधा (1438-1489)- जोधपुर का संस्थापक
- राव मालदेव (1531-1562)- राव गांगा के पुत्र। इनको पितृहंता राजा कहते हैं। मारवाड़ का सबसे प्रतापी राजा था।
- उमादे- जैसलमेर भाटी राजा लूणकरण की पुत्री। मालदेव की पत्नी जो नाराज होकर तारागढ़ (अजमेर) चली गई तथा इतिहास में रूठी रानी के रूप में प्रसिद्ध हुई।
- मंडोर- मारवाड़ नरेशों की पूर्व राजधानी, यहाँ जोधपुर के शासकों की छतरियाँ बनी हुई हैं।
- उम्मेद भवन– महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा 1928-48 ई. के मध्य अकाल राहत कार्यों के अंतर्गत निर्मित महल, जिसे छीतर पैलेस भी कहा जाता है।
- चामुंडा माता का मेला- दशहरे मेले से एक दिन पूर्व जोधपुर की आराध्य देवी चामुंडा माता के विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
- घुड़ला– यह लोक पर्व चैत्र कृष्ण सप्तमी को प्रारंभ होता है। इस अवसर पर विशेष छिद्रों का घड़ा जिसमें दीपक रखे होते हैं, को लेकर नृत्य किया जाता है।
- बोरनाडा- राज्य का दूसरा निर्यात सम्वर्द्धन पार्क ।
- जोधपुर की चित्रकला– इसकी शुरुआत मालदेव के शासनकाल में हुई तथा इसका स्वर्णकाल मानसिंह के काल को माना जाता
- जमीला बानो– जोधपुर की प्रसिद्ध मांड गायिका।
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी– 1957 में जोधपुर में स्थापित।
- केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड– जोधपुर में।
- राजस्थान विधि विश्वविद्यालय– जोधपुर में ।
- जोधपुरी कोट-पेन्ट को राष्ट्रीय पोशाक का दर्जा दिया गया।
- महा मन्दिर निर्माण :- महाराजा मानसिंह के द्वारा 1805 में। यह मंदिर नाथ सम्प्रदाय को समर्पित है। यह मंदिर 84 खम्भों का मंदिर है।
- रावण मंदिर- यह मंदिर मंडोर, जोधपुर में स्थित है। यह उत्तर भारत का एकमात्र रावण मंदिर है।
- मामा-भान्जा की छतरी– यह जोधपुर में स्थित है, जो धन्ना गहलोत और भींवा चौहान की छतरी है।
- सेनापति की छतरी- यह महाराजा मानसिंह के सेनापति इंद्रराज सिंघवी की छतरी है।
- पंचकुण्डा की छतरियां- मंडोर, जोधपुर।
- ब्राह्मण देवता की छतरी- मंडोर, जोधपुर।
- कागा की छतरी– यहाँ जोधपुर के राज परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार किया जाता था।
- गोराधाय की छतरी- निर्माणः 1711 ई. में महाराजा अजीतसिंह ने।
- मेहरानगढ़ दुर्ग- निर्माण: 12 मई 1459 ई. को राव जोधा द्वारा। इसकी नींव करणी माता द्वारा रखी गई। मयूरध्वज गढ़, चिंतामणि दुर्ग, नागणेची माता व चामुण्डा माता मंदिर ।
- दुर्ग में प्रमुख स्थापत्य और इमारतें-
- लोहा पोल: निर्माण- मालदेव के समय 1548 ई. में आरम्भ हुआ और महाराणा विजयसिंह के समय 1752 ई. में तैयार हुआ।
- जयपोल : निर्माण- राजा मानसिंह द्वारा।
- फतेहपोल : निर्माण- 1708 ई. में महाराजा अजीतसिंह द्वारा।
- एक थम्बा महल– मंडौर, जोधपुर । निर्माण- अजीतसिंह द्वारा। इसे प्रहरी मीनार कहा जाता है।
जसवन्त थड़ा- निर्माणः महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की स्मृति में उनके उत्तराधिकारी सरदारसिंह द्वारा 1906 में। इसे ‘राजस्थान का ताज महल’ कहा जाता है।
अजीत भवन पैलेस- निर्माणः प्रधानमंत्री अजीत सिंह ने बनवा कर महाराजा हनुवन्तसिंह को भेंट किया। यह देश की प्रथम हैरिटेज होटल है। - सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय, जोधपुर- स्थापना: 4 फरवरी 2013, इसमें राजस्थान का प्रथम फोरेंसिक स्टडी इंस्टीट्यूट खोला गया है।
- फिनटेक यूनिवर्सिटी, जोधपुर- घोषणा: बजट 2021- 22 . स्थापना: जोधपुर में। इसका नाम राजीव गाँधी के नाम पर रखा गया है।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT/ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), जोधपुर- स्थापना वर्ष 2008 में।
- आफरी (शुष्क वन अनुसंधान संस्थान), जोधपुर– स्थापना: 30 जून 1987 में उद्देश्य: वानिकी और संबंधित क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान कर उत्पादकता और वानस्पतिक क्षेत्र में वृद्धि करना, जैव विविधता का संरक्षण करना।
- काजरी – स्थापना वर्ष 1959 में। मरूस्थल वनीकरण शोध केन्द्र का पुनर्गठन करके भारत सरकार द्वारा काजरी की स्थापना की गई। वर्ष 1966 में इसे ICAR के अधीन किया गया।
- रिमोट सेंसिंग केन्द्र, जोधपुर- देश में यह केन्द्र/क्षेत्रीय जगह- हैदराबाद, कोलकाता, जोधपुर, नागपुर, बेंगलुरू में स्थित है।
- पुस्तक प्रकाश पुस्तकालय, जोधपुर- स्थापना महाराजा मानसिंह के द्वारा।
- सरदार म्यूजियम, जोधपुर- स्थापनाः सन् 1909 में ।
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर- स्थापना वर्ष 1957 में यह संस्थान शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य और लोक विद्या के संरक्षण और विकास में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), जोधपुर- स्थापना वर्ष 2012 में। प्रदेश में AIIMS, जोधपुर में विश्व में पहली बार रोबोट के माध्यम से आहार नली का सफल ऑपरेशन किया गया।
- आधुनिक बस टर्मिनल, जोधपुर- यह बस टर्मिनल RSRDC लिमिटेड द्वारा
- जोधपुर विकास प्राधिकरण गठन: जोधपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम 2009 के तहत। खेजड़ली शहीद स्मारक का निर्माण ‘जोधपुर विकास प्राधिकरण द्वारा करवाया गया है। जोधपुर विकास प्राधिकरण द्वारा राज्य का पहला अनूठा स्क्रैप गार्डन- सुरपुरा, जोधपुर ग्रामीण में तैयार किया गया है।
- राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर- राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर में 17वीं से 1 9वीं शताब्दी के दुर्लभ धार्मिक व साहित्यिक ग्रंथ एवं पेंटिग्स का भण्डार रखा गया है।
- अशोक उद्यान- जोधपुर
- उम्मेद उद्यान, जोधपुर- स्थापना: वर्ष 1935 में महाराजा उम्मदेसिंह द्वारा एक पार्क एवं चिड़ियाघर के रूप में की गई थी।
- माचिया जैविक उद्यान/माचिया सफारी जैविक उद्यान, जोधपुर- स्थापना वर्ष 1935 में महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा। इसको वर्ष 1956 में वन-विभाग को सौंपा गया था। माचिया सफारी को उद्यान का दर्जा 20 जनवरी 2016 को मिला। राज्य के माचिया सफारी जैविक उद्यान, जोधपुर को विश्वस्तरीय विजन प्लान के तहत जोड़ा गया है। देश का प्रथम राष्ट्रीय मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी पार्क में स्थापित किया गया है। यह जोधपुर जिले में कायलाना झील के समीप स्थित है। इसमें गोडावण प्रजनन केन्द्र और गिद्ध रेस्क्यू सेंटर स्थापित है।
- नोट: उम्मेद उद्यान में स्थित जन्तुआलय तथा चिड़ियाघर को माचिया सफारी पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया है।
- रेगिस्तान वनरोपण एवं भू-संरक्षण केन्द्र जोधपुर में स्थित है।
- राज्य की दूसरी सबसे बड़ी D.N.A. लैब महात्मा गाँधी अस्पताल (MGH) जोधपुर में स्थापित की गई है।
- ‘अडॉप्ट ए हैरिटेज’ योजना के तहत राजस्थान के ‘मण्डोर फोर्ट’ (जोधपुर) को गोद लिया गया है।
- पश्चिम कमाण्ड (BSF) की राजस्थान फ्रंटियर का मुख्यालय जोधपुर में है।
- राज्य के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), जोधपुर द्वारा चैफ तकनीकी का विकास किया गया है।
- राजस्थान की प्रथम फुटबॉल अकादमी जोधपुर में स्थित है।
- राजस्थान का पहला आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर में स्थित है।
- जीरा मण्डी जोधपुर में स्थापित है।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर- शुरुआत: 24 मई 2003 को। यह राजस्थान का पहला एवं भारत का दूसरा आयुर्वेद विश्वविद्यालय है।
- टिड्डी चेतावनी संगठन– मुख्यालयः जोधपुर।
- राजस्थान हाईकोर्ट- स्थापना: 29 अगस्त 1949 को जयपुर में। वर्ष 1956 में इसकी मुख्यपीठ का स्थानांतरण जोधपुर में किया गया। इसके नए भवन का उद्घाटन – जोधपुर में 7 दिसम्बर 2019 को किया गया था।
- राजस्थान का प्रथम रेडियो प्रसारण केन्द्र 1940 में जोधपुर में प्रारम्भ हुआ।
- देश की प्रथम एडवोकेट अकादमी जोधपुर में स्थित है।
- राज्य की प्रथम मिट्टी की प्रयोगशाला जोधपुर में स्थित है।
- चमड़े की जूतियाँ जोधपुर की प्रसिद्ध है।
- बादला (जिंक धातु का बना बर्तन) जोधपुर का प्रसिद्ध है।
- जोधपुर के राठौड़ वंश के अंतिम शासक महाराजा हनुवंत सिंह (1947-1949) थे।
- मारवाड़ हितकारिणी समा- स्थापना: मरूधर हितकारिणी सभा के नाम से वर्ष 1918 में चाँदमल सुराणा ने की।
- मारवाड़ सेवा संघ- स्थापनाः वर्ष 1920 में चाँदमल सुराणा और उनके साथियों द्वारा। यह जोधपुर रियासत का पहला राजनीतिक संगठन था।
- मारवाड़ लोक परिषद्- स्थापनाः जयनारायण व्यास की प्रेरणा से वर्ष 1938 में इसकी स्थापना जोधपुर में की गई।
- कायलाना झील- निर्माणः प्रतापसिंह के द्वारा। यह मीठे पानी की झील है।
- बालसमंद झील- निर्माणः परिहार शासक बालकराव द्वारा ।
- चाँद बावड़ी (जोधपुर)- निर्माणः राव चूण्डा की रानी ‘चाँद कँवर’ द्वारा।
- सूरसागर तालाब – निर्माण: सूरसिंह द्वारा ।
- गुलाब सागर (जोधपुर) – निर्माणः महाराजा विजयसिंह की पासवान गुलाब राय ने 1788 ई. में।
- रानीसर तालाब- निर्माणः 1459 ई. में राव जोधा की रानी जस्मादे द्वारा। यह महरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में स्थित है।
- पदमसर तालाब- निर्माण: पदमावती (राव गांगा की रानी)
- तापी बावड़ी- निर्माणः 1675 ई. में तापोजी तेजावत द्वारा।
- तुरजी का झालरा- निर्माणः रानी तुवर जी द्वारा ( महाराजा अभय सिंह की रानी) इस पर 29 दिसंबर 2017 को डाक-टिकट जारी किया गया।
- उम्मेद सागर (जोधपुर)- निर्माणः वर्ष 1872 में महाराजा प्रतापसिंह द्वारा।
- तख्त सागर (जोधपुर)- निर्माणः महाराजा तख्तसिंह द्वारा।
- बड़ी तालाब / बाईजी का तालाब (जोधपुर)- निर्माणः 1826 ई. में जोधपुर के शासक मानसिंह की पुत्री ‘सिरेकंवर’ के द्वारा
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