- जोधपुर संभाग से अलग कर पाली को 7 अगस्त 2023 से संभाग बना दिया गया है ।
- पाली जिले की जैतारण व रायपुर तहसील ब्यावर जिले में शामिल की गई हैं । अब पाली में 8 तहसीलें ( सोजत , मारवाड़ जंक्शन , सुमेरपुर , बाली , पाली , रोहट , देसूरी , रानी ) रह गई हैं ।
- जैतारण के ब्यावर में जाने के बाद विधानसभा सीटों की संख्या 5 रह जाएगी ।
- पाली जिले का शुभंकर- तेंदुआ / पैंथर
- यह जिला पश्चिमी राजस्थान / पश्चिम मरूस्थलीय भाग के अर्द्धशुष्क मरूस्थलीय भाग में आता है ।
- पाली जिले में मरूद्भिद वनस्पति पायी जाती है ।
- पाली मारवाड़ रियासत के अन्तर्गत आता था ।
- पाली को राठौड़ वंश के राव सीहा द्वारा मारवाड़ की प्रथम राजधानी बनाया गया था ।
- ह्वेनसांग ( चीनी यात्री ) द्वारा पाली और जालोर क्षेत्र को ‘ गुर्जर प्रदेश ‘ कहा गया ।
- पाली का प्राचीन नाम पालिका था । पाली पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था । पाली बांडी नदी के किनारे स्थित है ।
- पादरला- तेरहताली नृत्य का जन्म स्थान । नृत्यांगना मांगीबाई यहां की निवासी थी ।
- ओम बन्ना मंदिर- चोटिला में स्थित है ।
- सुमेरपुरा- जवाई बाँध ( मारवाड़ का अमृत सरोवर ) स्थित है । पश्चिम राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध जिसे मारवाड़ अमृत सरोवर कहा जाता है ,पाली में स्थित है।
- मरुधरा लोक कल्याण मंडल पाली में स्थित है । पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक छोटे – बड़े 100 बाँध पाली जिले में स्थित हैं । इस क्षेत्र का सबसे बड़ा बाँध जवाई बाँध व सरदारसमंद इसी जिले में है ।
- पाली जिले के पादरला गाँव का तेरहताली लोकनृत्य देश विदेश में विख्यात है ।
- बादशाह का झण्डा पाली में स्थित है ।
- जवाई बाँध- पाली स्थित इस बाँध का निर्माण इंजीनियर एडगर तथा फर्ग्यूसन के निर्देशन में हुआ । इसे मारवाड़ का मृत सरोवर कहते हैं । इसे पाली और जालौर जिलों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है ।
- आशापुरा माता मंदिर- स्थापना : चौहान वंश के शासक राव लाखणसी चौहान द्वारा 1001 ई . में । आशापुरा माता का पुराना नाम- शाकंभरी माता । इस मंदिर के आस -पास के क्षेत्र को ओरण कहा जाता है ।
- पंच तीर्थ ( पांच स्थान जैन धर्म से संबंधित ) – पाली
- नाड़ोल के जैन मंदिर- इसका संबंध महावीर स्वामी जी से है । नोट- सोनगरा चौहान वंश की राजधानी नाडोल थी ।
- मूंछाला महावीर मंदिर- यह कुम्भलगढ़ अभयारण्य में घाणेराव के निकट स्थित है । यह महावीर स्वामी जी से संबंधित है ।
- वरकाणा स्थान- यहाँ पर सूर्य मंदिर और पार्श्वनाथ के मंदिर है ।
- गिरनार तीर्थ स्थल / नारलाई तीर्थ स्थल / सहसावन तीर्थ इसका संबंध नेमीनाथ जी से है ।
- रणकपुर के जैन मंदिर- निर्माण : धरमक शाह / धरणक शाह द्वारा । वास्तुकार- देपाक । यह मंदिर 1 5 वीं शताब्दी में निर्मित , भगवान आदिनाथ को समर्पित है । यह मंदिर मथाई नदी के किनारे स्थित है । यह मंदिर 1444 खम्भों पर स्थित है , जिसमें प्रत्येक खम्भे अद्वितीय है । यह मंदिर पंचायतन शैली पर आधारित है । इस मंदिर को खम्भों का वन , खम्भों का मंदिर , खम्भों का अजायबघर कहा जाता है । इस मंदिर को कवि विमलसूरी ने ‘ नलिनी गुल्म विमान ‘ और कवि माघ / मेह ने ‘ त्रिलोक दीपक प्रसाद ‘ की संज्ञा दी ।
- सुगाली माता मंदिर , आउवा ( पाली ) – इसे 1857 की क्रान्ति की देवी कहा जाता है । इसे 10 सिर व 54 हाथ वाली देवी भी कहा जाता है । यह ठाकुर कुशाल सिंह चम्पावत की ईष्ट देवी है ।
- फालना का स्वर्ण मंदिर- यह देश का प्रथम जैन स्वर्ण मंदिर है , जिसे गेटवे ऑफ गौड़वाड़ एवं मिनी मुम्बई कहा जाता है
- नाणा के जैन मंदिर – यह नाणा गाँव ( पाली ) में स्थित है ।
- खुदा बक्श की दरगाह – यह सोजत ( पाली ) में स्थित है ।
- मस्तान बाबा की दरगाह- यह सुमेरपुर ( पाली ) में स्थित है । पाली जिले में परशुराम गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग है , जिन्हें राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है ।
- पाली जिले में स्वामी पार्श्वनाथ का दुर्गनुमा नवलखा मंदिर है जिसे नवलखा तीर्थ कहा जाता है ।
- चोटिला का उर्स- यहाँ दुल्हेशाह पीर की दरगाह स्थित है । यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा उर्स है ।
- सोनाणा खेतला जी का मेला- यह सोनाणा गाँव ( पाली ) में आयोजित होता है ।
- गोरिया गणगौर का मेला- यह बाली तहसील में प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल सप्तमी को भरता है ।
- सेवाड़ी पशु मेला- बाली तहसील ( पाली )
- बाली पशु मेला ( पाली ) – यह 1 जनवरी से 7 जनवरी तक लगता है ।
- राव सीहा का स्मारक- बीठू गाँव , पाली ।
- सोजत का दुर्ग ( पाली ) – यह दुर्ग नानी सीरड़ी पहाड़ी पर स्थित है । इस दुर्ग में राव मालदेव का राजतिलक हुआ था ।
- बाली का किला- पाली ।
- राव मालदेव की छतरियाँ – मानी की पहाडियाँ (पाली )
- सुगाली माता मूर्ति सहित स्वतंत्रता संग्राम पैनोरमा- आउवा , पाली
- सत्याग्रह उद्यान- आउवा ( पाली )
- बैगाड़ी / बैगड़ी नगर ( पाली ) – यह शिल्पकला एवं बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है ।
- धौला चबूतरा ( बीतू गाँव , पाली ) – यह पालीवाल ब्राह्मणों का प्रमुख स्थल है । यहाँ पर सफेद चुड़ियों एवं जनेव का ढेर हैं । यहाँ पर वर्ष 1273 ई . में राव सीहा और आक्रमणकारियों के मध्य लाख झंवर का युद्ध हुआ था ।
- सोजत ( पाली ) – यह स्थान सुकड़ी नदी के किनारे स्थित है ।
- यहाँ पर गरासियों की फाग प्रसिद्ध है । सोजत की मेहन्दी प्रसिद्ध है । ( G.I. टैग ) सोजत में सोनामुखी मण्डी स्थित है ।
- शांति की प्रतिमा ( स्टैच्यू ऑफ पीस ) , पाली- इस स्टैच्यू का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया । यह अष्ट धातु से निर्मित की गई है ।
- राज्य का पहला ऊँटनी के दूध का प्रोसेसिंग प्लांट पाली जिले में लगाया गया है ।
- मारवाड़ के पाली जिले की रोहट पंचायत समिति के गाँव में 4 जनवरी से 10 जनवरी 2023 में जबूरी का आयोजन किया गया । यह राजस्थान में दूसरी बार जबूरी का आयोजन है । पहली बार जयपुर में किया गया था ।
- खांदरा गाँव ( पाली ) से सतरंगी संगमरमर निकाला जाता है ।
- उम्मेद , सूती मिल- पाली । स्थापना : महाराजा उम्मेदसिंह द्वारा । यह राजस्थान की सबसे बड़ी कपास मिल है ।
- वोलेस्टोनाइट का सर्वाधिक उत्पादन पाली जिले में होता है ।
- टंगस्टन खनिज ( विद्युत बल्ब का फिलामेंट बनाने में प्रयोग ) यह राजस्थान में डेगाना , ( नागौर ) , नाना कराब ( पाली ) से उत्पादन किया जाता है ।
- सेन्द्रा ( पाली ) से मैग्नेसाइट खनिज का उत्पादन किया जाता है ।
- राजस्थान के पाली जिले में स्थित पहाड़ियों को ‘ भारतीय तेंदुआ पहाड़ियाँ ‘ के नाम से जाना जाता है ।
- सेन्द्रा ( पाली ) में साँप के फण जैसी पहाड़ियाँ पाई जाती है । 1857 की क्रांति के समय पाली में एरिनपुरा छावनी स्थापित थी ।
- एरिनपुरा छावनी ( पाली ) – सैन्य विद्रोह के दौरान ‘ चलो दिल्ली मारो फिरंगी ‘ का नारा दिया गया था ।
- चौपड़ा झील- पाली
- सरदार समंद झील- निर्माण : सन् 1933 में महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा ।
- बाण्डी नदी- उद्गम : हेमावास गाँव , पाली से ।
- मीठड़ी नदी , जवाई नदियों का उद्गम पाली जिले से होता है ।
- पाली जिले से निम्न नदियाँ बहती है- जवाई , मीठड़ी , सूकड़ी , बांडी आदि ।
- जवाई बाँध लेपर्ड कंजर्वेशन रिजर्व ( 2013 ) – यह पाली के सुमेरपुर में स्थित है ।
- भामाशाह की जन्मस्थली – पाली