अनूपगढ़ जिला बनने के बाद बीकानेर में 8 तहसील (बीकानेर, नोखा, पूगल, श्रीडूंगरगढ़, कोलायत, हदा, लूणकरणसर, बज्जू) रह गई। बीकानेर की खाजूवाला व छत्तरगढ़ तहसील अनूपगढ़ में शामिल की गई है।
अनूपगढ़ जिला बनने के बाद बीकानेर का क्षेत्रफल 26603 वर्ग किमी रह गया।
अब बीकानेर जिले में एक भी सुरक्षित (आरक्षित) विधानसभा सीट नहीं बची है।
बीकानेर संभाग से चूरू जिले को हटाकर सीकर संभाग में शामिल कर दिया गया है। अनूपगढ़ जिले को बीकानेर संभाग में जोड़ा गया है।
बीकानेर जिले से एन.एच. 11, 62, 911 गुजरते हैं।
यह अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित संभाग है।
यह संभाग राजस्थान में सबसे कम/छोटी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग है।
यह संभाग राजस्थान में न्यूनतम नदियों वाला संभाग है।
राव बीका (1465-1504) : राव जोधा का पांचवा पुत्र। बीकानेर राठौड़ वंश का संस्थापक माना जाता है। 1472 में कोडमदेसर में बीका का राज्याभिषेक हुआ।
राव लूणकरण (1505-1526) : राव बीका के पुत्र, जो दानी शासक के रूप में प्रसिद्ध हैं। लूणकरण को कलयुग का कर्ण कहा गया है।
पृथ्वीराज राठौड़ : कल्याणमल के पुत्र। अकबर के दरबारी कवि। साहित्य में पीथल के नाम से प्रसिद्ध । इन्होंने ‘डिंगल’ में ‘बेलि क्रिसन रुक्मणी री’ नामक ग्रंथ लिखा। इनको डिंगल का हेरोस कहा जाता है। अकबर ने पृथ्वीराज राठौड़ को गागरोन का दुर्ग जागीर में दिया था।
राव कल्याणमल : बीकानेर का प्रथम राजा, जिसने नागौर दरबार में भाग लेकर अकबर की अधीनता स्वीकार की। कल्याणमल ने गिरी सुमेल युद्ध के समय शेरशाह सूरी का साथ दिया था।
महाराजा रायसिंह (1574-1612) : मुंशीदेवी प्रसाद ने रायसिंह को राजपूताने का कर्ण कहा है। रायसिंह ने रायसिंह महोत्सव एवं ज्योतिष रत्नमाला नामक ग्रंथों की रचना की।
महाराजा कर्णसिंह (1631-1669) : औरंगजेब ने कर्णसिंह को जांगलघर बादशाह की उपाधि दी थी। कर्णसिंह ने अटक से कटक तक चलाए गए औरंगजेब के अभियान को विफल कर दिया था।
महाराजा अनूपसिंह (1669-1698) : कर्णसिंह के पुत्र थे। इनका काल बीकानेरी चित्रकला का स्वर्णकाल था। बीकानेर में उस्ता कला का सर्वाधिक विकास इनके समय हुआ।
महाराजा गंगासिंह (1887-1943): 1899 ई. में इनके समय बीकानेर में छपनिया अकाल पड़ा था। प्रथम विश्वयुद्ध के समय गंगासिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया था। 1919 में वर्षाय की संधि में भाग लेने हेतु पेरिस गए। 1921 ई. के नरेंद्रमंडल के प्रथम चांसलर रहे। एकमात्र राजस्थानी राजा जिन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलन (1930-32) में भाग लिया। गंगासिंह ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी अंग्रेजों का साथ दिया।
बीकानेर प्रजामंडल 1936 में मघाराम वैद्य द्वारा स्थापना की गई। लक्ष्मीदेवी आचार्य द्वारा 1937 में कोलकाता में भी बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना की गई।
लूणकरणसर- खारे पानी की झील। मूंगफली उत्पादन के कारण लूणकरणसर को राजस्थान का राजकोट कहते हैं।
कतरियासर- जसनाथी सम्प्रदाय का उत्पत्ति स्थल। दिल्ली सुलतान सिकंदर लोदी ने जसनाथजी को कतरियासर की जागीर प्रदान की।
लालगढ़- राजा गंगासिंह द्वारा अपने पिता लालसिंह की स्मृति में बनाया गया दुर्ग |
पलाना बरसिंगसर- लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत परियोजना स्थित है।
कोलायत- सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल की तपोभूमि।
मुकाम (नोखा)– गुरु जाम्भेश्वर की तपोस्थली (विश्नोई सम्प्रदाय) ।
वीर बिग्गाजी : जाखड़ समाज के कुलदेवता । इनका जन्म रीड़ी गांव (श्रीडूंगरगढ़) में हुआ था।
रम्मत : लोकनाट्य रम्मत का आयोजन बीकानेर में पाटों पर किया जाता है। बीकानेर में आचार्यों का चौक रम्मतों हेतु प्रसिद्ध है।
मथेरण कला: जैन समुदाय से संबंधित मथेरण कला में भित्ति चित्रण किया जाता है।
अल्लाहजिलाई बाई : राजस्थान की प्रसिद्ध मांड गायिका। इनको राजस्थान की मरू कोकिला कहा जाता है। केसरिया बालम… इनका प्रसिद्ध गीत है।
गवरी बाई : प्रसिद्ध मांड गायिका। 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।
डाडाथोरा- यहाँ लघु पाषाणकालीन अवशेष मिले हैं।
सॉथी: इसे कालीबंगा प्रथम कहते हैं। हड़प्पाकालीन सभ्यता स्थल मिले हैं।
रानेरी- लिग्नाइट आधारित देश का निजी क्षेत्र का प्रथम बिजली उत्पादन संयंत्र यहाँ स्थापित किया गया है।
विसरासर- देश की सबसे बड़ी जिप्सम उत्पादन कंपनी स्थित है।
बीकानेर जिले में एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी स्थित है। ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला बीकानेर में है।
जामसर : जिप्सम की सबसे बड़ी खान ।
15 वीं शताब्दी से पूर्व बीकानेर को जांगल प्रदेश के नाम से जाना जाता था ।
उपनाम- राती घाटी , ऊन का घर , ऊँटों का देश , जंगल प्रदेश आदि ।
बीकानेर जिले का शुभंकर- बटबड़ ( रेत का तीतर )
करणी माता मंदिर- देशनोक , बीकानेर- करणी माता बीकानेर के राठौड़ वंश की आराध्य देवी है । करणी माता मंदिर चूहों के लिए प्रसिद्ध इन चूहों को काबा कहा जाता है । इस मंदिर को मठ कहा जाता है । यह मंदिर टैम्पल ऑफ रैट्स के नाम से प्रसिद्ध है । प्रतिवर्ष चैत्र एवं आश्विन नवरात्रि में यहाँ मेला भरता है ।
श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर : यह मंदिर संगमरमर और लाल पत्थर से बना हुआ है , जिसका निर्माण राव लूणकरण द्वारा करवाया गया ।
जैन मन्दिर भांडाशाह : निर्माण- राव लूणकरण के समय भांडा शाह नामक व्यक्ति द्वारा । इस मंदिर की नींव में देशी घी का प्रयोग किया गया था ।
जूनागढ़ दुर्ग निर्माण- महाराजा राय सिंह के द्वारा अपने मंत्री कर्मचन्द की देख – रेख में 1589 ई . में 1594 ई . में । इस दुर्ग के प्रमुख दर्शनीय स्थल- गज मंदिर , फूल महल , चन्द्र महल , छत्र महल , अनूप संग्रहालय , रतन निवास , रामसर तालाब आदि ।
गजनेर पैलेस एवं झील : 1784 ई . में बीकानेर के महाराजा गज सिंह ने झील के किनारे गजनेर पैलेस बनवाया । लालगढ़ पैलेस एवं म्यूजियम : निर्माण- महाराजा गंगा सिंह के द्वारा 1902 में अपने पिता महाराजा लालसिंह की स्मृति में ।
श्री करणी माता पैनोरमा- बीकानेर
मुकाम – तालवा : यहाँ विश्नोई सम्प्रदाय की प्रधानपीठ है , जो बीकानेर की नोखा तहसील में स्थित है । यहाँ गुरू जम्भेश्वर जी महाराज का समाधि स्थल है । यहाँ वर्ष में दो बार मेला लगता है । ( फाल्गुन एवं आश्विन अमावस्या को )
कतरियासर गाँव , बीकानेर : यहाँ जसनाथी संप्रदाय की प्रधानपीठ है । यहाँ ‘ अग्नि नृत्य ‘ किया जाता है , जसनाथी संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा ।
राष्ट्रीय मरू बागवानी अनुसंधान केन्द्र – बीकानेर ।
केन्द्रीय ऊँट प्रजनन केन्द्र- जोहड़बीड़ , बीकानेर । स्थापना वर्ष 1984 में । वर्ष 1995 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केंद्र कर दिया गया था ।
बालक साइक्लिंग अकादमी- बीकानेर ।
उरमूल डेयरी / उरमूल ट्रस्ट: स्थापना वर्ष 1983 को राजस्थान सहकारी दूध संघ लिमिटेड , बीकानेर द्वारा की गई । यह भारत की एकमात्र ऊँटनी के दूध की डेयरी है ।
राजस्थानी भाषा साहित्य व संस्कृति अकादमी- बीकानेर । स्थापना- वर्ष 1983 में । मासिक पत्रिका- जागती जोत
राजस्थान राज्य अभिलेखागार- बीकानेर : स्थापना- वर्ष 1955 को जयपुर में की गई , लेकिन वर्ष 1960 में इसका स्थानान्तरण बीकानेर कर दिया गया । इसके द्वारा अभिलेख पत्रिका का विमोचन किया जाता है ।
शिक्षा विभाग- बीकानेर : स्थापना- वर्ष 1950 में । वर्ष 1997 में प्राथमिक शिक्षा विभाग एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग को अलग – अलग कर दिया गया ।
राजस्थानी भाषा – साहित्य , कला और संस्कृति का म्यूजियम बीकानेर
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज- बीकानेर : यह एशिया की सबसे बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज है । नाग मिसाइल के तीसरे वर्जन का परीक्षण भी इसी रेंज में किया गया था ।
राजकीय संग्रहालय – बीकानेर : उद्घाटन – महाराजा गंगासिंह के समय तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो द्वारा 5 नवम्बर 1937 में ‘ गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम ‘ के नाम से किया गया था । यह संग्रहालय एल.पी. टेस्सितोरी के द्वारा निर्मित है ।
बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय- बीकानेर: स्थापना- – वर्ष 2017 में। इसका कार्यालय करणी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय- बीकानेर : स्थापना- वर्ष 2003 में ।
राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर : स्थापना- वर्ष 2010 में ।
सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल- बीकानेर : यह राज्य का पहला स्पोर्ट्स स्कूल है ।
खजूर एवं बेर का सर्वाधिक उत्पादन बीकानेर जिले में होता है ।
राज्य में बीकानेर क्षेत्र का चाईना क्ले , बाल क्ले और फायर क्ले ( मिट्टी ) प्रसिद्ध है ।
राजस्थान में इंटरनेशनल बॉर्डर देखने के लिए सांचू ( बीकानेर ) ट्यूरिस्ट स्पॉट तैयार किया गया है ।
सुनहरे टेराकोटा के लिए बीकानेर जिला प्रसिद्ध है । बीकानेर रियासत में गजशाही एवं आलमशाही सिक्के प्रचलित थे ।
बीकानेर में मूँगफली मण्डी स्थापित की गई है ।
बीकानेर में उगने वाली बूर घास से आसवन विधि द्वारा सुगन्धित तेल बनाया जाता है ।
‘ बीकानेरी भुंजिया ‘ बीकानेर का प्रसिद्ध है ।
जैतून तेल रिफाइनरी लूणकरणसर ( बीकानेर ) में स्थापित की गई है ।
बीकानेर में नाल एयरपोर्ट स्थित है ।
जोहड़बीड़ कंजर्वेशन रिजर्व (2008)- यह राजस्थान का पहला गिद्धों के लिए कंजर्वेशन रिजर्व है।
ऊँट महोत्सव बीकानेर का प्रसिद्ध है।
गजनेर वन्यजीव अभयारण्य- गजनेर, बीकानेर।
स्टेट वूलन मिल्स बीकानेर जिले में स्थापित है।
निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी जोजोबा प्लांटेशन परियोजना झाज्झर (बीकानेर) में स्थापित है।
विश्व का सर्वश्रेष्ठ लिग्नाइट पलाना (बीकानेर) से प्राप्त होता है।
पूगल भेड़ की नस्ल का उत्पत्ति स्थल पूगल (बीकानेर) है।
बीकानेर प्रजा परिषद्- स्थापनाः 22 जुलाई 1942 को रघुवरदयाल द्वारा उद्देश्य- महाराजा के नेतृत्व में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना।
1857 की क्रांति के समय बीकानेर के महाराजा सरदार सिंह थे, जिन्होंने 1868 ई. में बीकानेर राज्य पर प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करने के लिए सुजानगढ़ में अंग्रेजी एजेंसी की स्थापना की थी।
जूनागढ़ प्रशस्ति- यह प्रशस्ति बीकानेर दुर्ग के द्वार पर लगी हुई है। इस प्रशस्ति को राय प्रशस्ति भी कहा जाता है। 1594 ई. की यह प्रशस्ति संस्कृत भाषा में बीकानेर शासक रायसिंह द्वारा जूनागढ़ किले में उत्कीर्ण करवाई गई।
कोलायत झील- बीकानेर। यह बीकानेर की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को भव्य मेला भरता है। इस झील के किनारे कपिल मुनि का मंदिर स्थित है।
अनूपसागर- बीकानेर
मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड़- राज्यवर्धन सिंह राठौड़ बीकानेर के राठौड़ राज परिवार से संबंधित है। ये भारतीय निशानेबाज रहे हैं। यह प्रथम भारतीय है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद व्यक्तिगत रजत पदक जीता था।
जसनाथ जी – जन्म: 1482 ई. (वि.सं.- 1539) में कार्तिक एकादशी (देवउठनी एकादशी) को कतरियासर बीकानेर में। पिता- हमीर जाट, माता- रूपादे
काँता खतूरिया- यह राजस्थान लोक सेवा आयोग की पहली महिला सदस्य रह चुकी हैं।
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