ब्यावर जिला अजमेर, पाली व भीलवाड़ा से बनाया गया.है। इसका मुख्यालय ब्यावर है। ब्यावर तीन जिलों के भू भाग को जोड़कर बनाया गया है ।
ब्यावर जिले में 6 उपखंड व 7 तहसीलें शामिल की गई हैं। अजमेर जिले से ब्यावर, टाटगढ़, मसूदा, विजयनगर तहसील शामिल की गई हैं। पाली जिले से जैतारण व रायपुर तहसील शामिल की गई हैं। भीलवाड़ा जिले से बदनोर तहसील ब्यावर जिले में शामिल की गई है।
ब्यावर जिले की सीमा 7 जिलों- नागौर, जोधपुर ग्रामीण, पाली, राजसमंद, भीलवाड़ा, केकड़ी तथा अजमेर से लगती है।
- ब्यावर जिले से एन.एच.25, 58, 158, 45ও गुजरते हैं।
- प्रमुख नदी :लूनी, गुड़िया, बाजाकुडी, सुकड़ी
- कर्नल एरिक डिक्सन ने 1850 के दशक में एक परकोट बनाकर इसके भीतर / अन्दर ब्यावर नगर’ बसाया था।
- जैतारण के ब्यावर जिले में आ जाने से लूनी नदी का पाली से रिश्ता खत्म हो गया।
- बर और शिवपुर घाट दर्र अब अजमेर जिले की जगह ब्यावर जिले में।
- ब्यावर को बादशाह मेला- होली के त्यौंहार पर यहाँ बादशाह मेला लगता है। इसके दूसरे दिन बादशाह की सवारी बड़ी धूमधाम से अग्रवाल समाज व बादशाह मेला समिति द्वारा निकाली जाती है।
- टॉडगढ़ को राजस्थान का मिनी माउण्ट आबू कहा जाता है।
- राजस्थान की प्रथम सूती वस्त्र मील ‘द कृष्णा मील’-ब्यावर
- राजस्थान की प्रथम सीमेंट कम्पनी ‘श्री सीमेंट’- ब्यावर
- राजस्थान का प्रथम मिशनरी स्कूल- ब्यावर
- राजस्थान के ब्यावर क्षेत्र की तिलपट्टी प्रसिद्ध है।
- अवशीतन केन्द्र- ब्यावर और विजयनगर में स्थित है।
- मध्य अरावली की प्रमुख चोटियाँ –
- गोरमजी- ब्यावर- 934 मीटर
- मेरियाजी (टॉडगढ़ )- ब्यावर- 933 मीटर
- ओझियाना सम्यता : यह ब्यावर जिले के बदनौर के पास खारी नदी के तट पर स्थित है, यह स्थल ‘ताम्रयुगीन आहड़ संस्कृति’ से संबंधित है। इस सभ्यता का काल 2500 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक माना जाता है।
- बाटेलाव तालाब, ब्यावर : राज्य के पक्षी प्रमियों की भाग को लेकर रायपुर पाली के इस तालाब को वेटलैंड रिजर्व कंजर्वेशन के रूप में विकसित किया गया है।
- मीरा बाई : जन्म- 1498 ई. में वैशाख शुक्ल तृतीया
- (आखातीज) को कुड़की गाँव, व्यावर में हुआ था। (जिलों के पुनर्गठन से पहले यह स्थान पाली जिले में था ) विवाह -1516 ई. में राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज से। गुरु- संत रैदास । बचपन का नाम पेमल।
- नारायण सागर बॉँध (ब्यावर) : यह खारी नदी पर अजमेर में बना हुआ है । नींव- 1955 ई. में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा रखी गई।