- नीम का थाना जिला बनने के बाद पुनर्गठित सीकर जिले में अब 9 उपखंड ( फतेहपुर , रामगढ़ शेखावाटी , लक्ष्मणगढ़ , नेछवा , सीकर , धोद , दांतारामगढ़ , खंडेला , रींगस ) तथा 10 तहसीलें ( फतेहपुर , रामगढ़ शेखावाटी लक्ष्मणगढ़ , नेछवा , सीकर , धोद , सीकर ग्रामीण , दांतारामगढ़ , खंडेला , रींगस ) रह गई हैं ।
- पुनर्गठित सीकर जिले की सीमा 5 जिलों- चूरू , झुंझुनूं , नीम का थाना , जयपुर ग्रामीण , डीडवाना – कुचामन जिलों से लगती है । इसके साथ ही सीकर जिले की सीमा अब हरियाणा राज्य से नहीं लगती है । डीडवाना – कुचामन जिला बनने से सीकर की सीमा अब नागौर जिले से भी नहीं लगती है ।
- संस्थापक- राव शिवसिंह ।
- सीकर का प्रारम्भिक नाम वीरभान का बास था ।
- सीकर जिले से राष्ट्रीय राजमार्ग 11 , 52 व 58 गुजरते हैं ।
- मुख्य नदी : कांतली ।
- खण्डेला के राजा बहादुर सिंह ने इस गांव को दौलतसिंह को दिया , जिसने इस गांव की नींव रखी थी । बाद में दौलतसिंह के पुत्र शिवसिंह ने इसे एक कस्बे का रूप दिया ।
- राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित सीकर जयपुर राज्य का सबसे बड़ा ठिकाना था ।
- राव दौलत सिंह द्वारा 1687 में सीकर ठिकाने की स्थापना की थी ।
- सीकर जिले का शुभंकर- शाहीन
- यहाँ अर्ध – शुष्क जलवायु पाई जाती है ।
- नदियाँ- कांतली / काटली नदी ( उद्गम – खण्डेला की पहाड़ियों से ) , खण्डेला नदी ।
- डूंगरजी व जवाहरजी- सीकर जिले के लोकदेवता के रूप में प्रसिद्ध । इन्होंने 1857 की क्रांति के समय नसीराबाद छावनी को लूटा था ।
- खाचरियावास- पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भैंरोसिंह शेखावत का जन्म स्थल । ये तीन बार मुख्यमंत्री पद पर रहे । ये बाबोसा के नाम से प्रसिद्ध हैं ।
- जमनालाल बजाज – इनका जन्म काशी का बास , सीकर में हुआ । गांधीजी के पांचवें पुत्र के रूप में प्रसिद्ध बजाज अपने आप को गुलाम नं . 4 कहते थे । इन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गई ‘ राय बहादुर ‘ की उपाधि त्याग दी थी । इनकी पत्नी जानकीदेवी पद्म विभषूण पुरस्कार से सम्मानित होने वाली राजस्थान की प्रथम महिला है ।
- बराल – यहां सल्तनतकालीन व मुगलकालीन सिक्के मिले हैं ।
- प्रमुख झील – रैवासा , कोछोर ।
- जीणमाता – रैवासा के पास जीणमाता का मंदिर ( जयंती देवी की शक्तिपीठ ) स्थित है । मंदिर का निर्माण चौहान शासकों द्वारा । लोकदेवियों में जीणमाता का लोकगीत सबसे लंबा माना जाता है । हर्ष तथा जीण भाई – बहन थे ।
- खंडेला – गोटा उद्योग प्रसिद्ध है ।
- पाटोदा- यहाँ का लूगड़ा प्रसिद्ध है ।
- फतेहपुर – यहां पर कृषि विज्ञान केंद्र स्थित है । यह केंद्र होहोबा , जोजोबा की कृषि हेतु प्रसिद्ध है ।
- हर्षगिरी- दसवीं शताब्दी का प्राचीन शिवालय ।
- रघुनाथगढ़- उत्तरी अरावली की सबसे ऊँची चोटी ( 1055 मीटर )
- खाटूश्यामजी मंदिर ( सीकर ) – खाटू गाँव में स्थित श्यामजी ( श्री कृष्ण ) के मंदिर की नींव अजमेर राजा अजीत सिंह के पुत्र अभयसिंह द्वारा डाली गई ।
- हर्षनाथ का मंदिर- यह प्राचीन शिवालय के लिए प्रसिद्ध है , जो लगभग 10 वीं शताब्दी का है ।
- रैवासा धाम ( सीकर ) – यहाँ निर्मित सप्त गोमाता मंदिर राजस्थान का प्रथम एवं भारत का चौथा मंदिर हैं।
- लक्ष्मणगढ़ दुर्ग- निर्माण : रावराजा लक्ष्मण सिंह द्वारा 1805 में बेड़ नामक पहाड़ी पर ।
- फतेहपुर दुर्ग- यह शेखावाटी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक दुर्ग है । इस दुर्ग की नींव 1453 ई . में फतह खाँ कायमखानी द्वारा रखी गई ।
- कोड़िया हवेली , राठी की हवेली- लक्ष्मणगढ़ , सीकर ।
- हजरत शाहवली मुहम्मद चिश्ती की दरगाह- सीकर ।
- देवड़ा की हवेली , बैजनाथ की हवेली , नई हवेली- सीकर ।
- श्री सरस्वती पुस्तकालय ( फतेहपुर , सीकर ) : स्थापना वासुदेव गोयनका एवं बजरंग लाल लोहिया के द्वारा 14 मई 1910 को की गई ।
- शेखावाटी विश्वविद्यालय , सीकर : स्थापना- 2012 में । शेखावाटी विश्वविद्यालय हर्बल ( औषधीय ) पार्क बनाने वाला राजस्थान का प्रथम विश्वविद्यालय है ।
- राजस्थान का पहला डिफेन्स करियर इंस्टीट्यूट रलावता , सीकर में खोला गया हैं ।
- टीबी मुक्त राजस्थान अभियान में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों में सीकर जिला प्रथम स्थान पर रहा है ।
- सीकर नगर परिषद् राजस्थान की पहली नगर परिषद् ( नगर निकाय ) है , जहाँ विधानसभा की तर्ज पर ऑनलाइन सवाल जवाब करने की शुरूआत हुई है ।
- वेदांता ग्रुप के संस्थापक का संबंध रींगस , सीकर से हैं ।
- सीकर जिले में काँतली नदी का प्रवाह क्षेत्रतोरावाटी कहलाता है ।
- सीकर जिले में उत्तरी अरावली की पहाड़ियाँ
- तोरावाटी की पहाड़ियाँ
- जीणमाता की पहाड़ियाँ
- मालखेत की पहाड़ियाँ
- खण्डेला की पहाड़ियाँ
- नेछवा पहाड़ी
- सरगोठ ( सीकर ) – इस गाँव में स्थित पवन पुत्र जैविक आंवला फार्म को ऑर्गेनिक फार्म के रूप में पंजीकृत किया गया है । यह एपीईडीए द्वारा पंजीयन पाने वाला राज्य का प्रथम फल उद्यान है ।
- हर्षनाथ की प्रशस्ति ( सीकर ) – 973 ई . की संस्कृत भाषा के पद्य में लिपिबद्ध यह प्रशस्ति सीकर के हर्षनाथ मन्दिर में उत्कीर्ण है।