पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (थार का मरुस्थल)

By: LM GYAN

On: 23 June 2025

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पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश

पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश, जिसे आमतौर पर थार का मरुस्थल के नाम से जाना जाता है, राजस्थान का एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र है। यह अरावली पर्वतमाला के पश्चिम में फैला हुआ है और अपनी अनूठी भौगोलिक, पारिस्थितिक, और सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। थार का मरुस्थल न केवल भारत का सबसे बड़ा मरुस्थलीय क्षेत्र है, बल्कि विश्व के प्रमुख मरुस्थलों में भी गिना जाता है। इसकी उत्पत्ति और विकास भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से जुड़ा है, जो इसे वैज्ञानिक और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं।

पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश की उत्पत्ति

  • भू-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि:
    • थार का मरुस्थल की उत्पत्ति नूतन महाकल्प (Cenozoic Era) के चतुर्थक युग (Quaternary Period), विशेष रूप से प्लीस्टोसीन काल (Pleistocene Epoch) में हुई। इस दौरान टेथिस सागर (Tethys Sea) के अवशेष के रूप में इसका विकास हुआ।
    • सर सिरिल फॉक्स (Sir Cyril Fox) और बैलेंड फोर्ड (Balland Ford) के अनुसार, टर्शियरी काल (Tertiary Period) तक यह क्षेत्र समुद्र के नीचे था। चतुर्थक युग में समुद्र के निरंतर पीछे हटने और सूखने के साथ-साथ मानवीय गतिविधियों जैसे अतिचारण (overgrazing), निर्वनीकरण (deforestation), और मृदा व जल के अनुचित प्रबंधन ने मरुस्थलीय परिस्थितियों को जन्म दिया।
  • प्रमाण:
    • खारे पानी की झीलें: पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में पाई जाने वाली खारे पानी की झीलें (जैसे सांभर, डीडवाना) टेथिस सागर के अवशेष होने का संकेत देती हैं।
    • जीवाश्म खनिज: टर्शियरी कालीन अवसादी चट्टानों में कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस के भंडार मिलते हैं, जो समुद्री उत्पत्ति की पुष्टि करते हैं।
    • कुलधरा गाँव (जैसलमेर): यहाँ से व्हेल मछली के अवशेष मिले हैं, जो इस क्षेत्र के समुद्री अतीत की गवाही देते हैं।
  • सहारा मरुस्थल से संबंध की बहस:
    • कुछ भूगोलविदों का मानना है कि थार सहारा मरुस्थल का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह असत्य है क्योंकि:
      1. थार में माइकोसिस्ट चट्टानें (Mycosyst Rocks) पाई जाती हैं, जबकि सहारा में इनका अभाव है।
      2. जैसलमेर के आकल गाँव (राष्ट्रीय जीवाश्म पार्क) में जुरैसिक काल (Jurassic Period) की वनस्पति के अवशेष मिले, जो सहारा में अनुपस्थित हैं।

थार के मरुस्थल का विस्तार

  • वैश्विक स्थिति: थार विश्व का 17वाँ सबसे बड़ा मरुस्थल है, जो भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में फैला है।
  • भारत में विस्तार:
    • उत्तर-पश्चिमी राज्य जैसे हरियाणा, पंजाब, गुजरात, और राजस्थान में फैला हुआ है।
    • राजस्थान में इसका सबसे अधिक विस्तार (61.11% राज्य क्षेत्र) है, जबकि हरियाणा में न्यूनतम।
    • राजस्थान का मुख्य मरुस्थलीय क्षेत्र लगभग 1,75,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
  • भौगोलिक सीमाएँ:
    • अक्षांशीय विस्तार: 25° उत्तर से 30° उत्तर अक्षांश के बीच।
    • देशांतर विस्तार: 69°30′ पूर्व से 70°45′ पूर्व देशांतर के बीच।
    • आयाम: लंबाई 640 किलोमीटर, चौड़ाई 300 से 360 किलोमीटर।
  • ऊँचाई और ढाल:
    • उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में औसत ऊँचाई समुद्र तल से 300 मीटर, दक्षिणी क्षेत्र में 150 मीटर।
    • ढाल पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण की ओर है, जो जल प्रवाह को प्रभावित करता है।

थार के मरुस्थल की विशेषताएँ

  • जनसंख्या और जैव विविधता: विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या और जैव विविधता वाला मरुस्थल, इसे ‘धनी मरुस्थल’ कहा जाता है।
  • ऊर्जा संसाधन: परंपरागत (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) और गैर-परंपरागत (सौर, पवन, बायोमास) ऊर्जा स्रोतों के कारण ‘विश्व का शक्तिगृह’ की संज्ञा।
  • जलवायु प्रभाव: भारत में न्यून वायुदाब का केंद्र, मानसून को आकर्षित करता है और ऋतु चक्र को नियंत्रित करता है।
  • भौगोलिक विशिष्टता: राजस्थान का सबसे बड़ा और न्यूनतम जनघनत्व वाला भौतिक प्रदेश।
  • चट्टानें और मृदा:
    • टर्शियरी कालीन अवसादी चट्टानें प्रबल, जिसमें जीवाश्म खनिज (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, चूना पत्थर)।
    • खनिज भंडार:
      1. बाड़मेर (गुढ़ामालानी): पेट्रोलियम।
      2. जैसलमेर (शाहगढ़ सब बेसिन): प्राकृतिक गैस।
      3. बीकानेर-नागौर (पूनम क्षेत्र): पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस।
      4. जैसलमेर (सोनू क्षेत्र): चूना पत्थर।
    • अन्य चट्टानें: विंध्य क्रम, रायलोक्रम, देहलीक्रम, बुंदेलखंड नीस, क्रिटेशियस कालीन चट्टानें।
    • मृदा: रेतीली बलुई मृदा, वैज्ञानिक वर्गीकरण में एन्टीसोल (Entisols) और एरिडीसोल (Aridisols)।
  • सिंचाई और नदियाँ:
    • प्रमुख सिंचाई साधन: नहरें, विशेष रूप से इंदिरा गाँधी नहर (मरुगंगा)।
    • मुख्य नदी: लूणी नदी, जो थार का एकमात्र प्रमुख जल स्रोत है।
  • वनस्पति और कृषि:
    • मरुद्भिद वनस्पति (Xerophytes) जैसे खेजड़ी, रोहिड़ा, कhejri।
    • मुख्य फसल: खरीफ (बाजरा, मूंग, मोटा अनाज)।
  • स्थानीय विशेषताएँ:
    • थली: थार का स्थानीय नाम।
    • धोरे: रेतीले टीले जो हवा के साथ स्थान बदलते हैं, बालुका स्तूप भी कहलाते हैं।
    • लू: ग्रीष्म ऋतु की गर्म और शुष्क पवन।
    • भभूल्या: आकस्मिक वायु चक्रवात।
    • चक्रवात: गर्मी में तापमान और वायुदाब विषमता से उत्पन्न पवन गति।
    • मावठ: शीत ऋतु में भूमध्य सागरीय विक्षोभ से वर्षा, रबी (गेहूँ) के लिए ‘गोल्डन ड्रॉप्स’।
    • पुरवइया: दक्षिण-पश्चिम मानसून की बंगाल खाड़ी शाखा, 90% वर्षा।
    • रन/टाट/तल्ली: बालुका स्तूपों के बीच दलदली क्षेत्र, जैसलमेर में सर्वाधिक, थोब सबसे बड़ा।
    • बॉलसन: प्लाया के सूखने से बना मैदान।

राजस्थान में मरुस्थल के प्रकार

  • हम्मादा: चट्टानी/पथरीला मरुस्थल, पाया जाता है पोकरण (जैसलमेर), फलोदी (जोधपुर), बालोतरा (बाड़मेर)।
  • रैग: मिश्रित मरुस्थल, हम्मादा के चारों ओर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर।
  • इर्ग: सम्पूर्ण मरुस्थल, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं।
  • लघु मरुस्थल: कच्छ रन (गुजरात) से बीकानेर तक।

थार के मरुस्थल का वर्गीकरण

  • जलवायु के आधार पर:
    • शुष्क रेतीला प्रदेश: 0-25 सेमी. वर्षा।
    • अर्द्ध शुष्क प्रदेश: 25-50 सेमी. वर्षा।
    • विभाजन रेखा: 25 सेमी. (250 मिमी) वर्षा रेखा।
  • (1) शुष्क रेतीला प्रदेश/राठी प्रदेश:
    • विशेषता: 25 सेमी. से कम वर्षा, 25 सेमी. रेखा पूर्वी सीमा।
    • उपविभाग:
      • बालुका स्तूप मुक्त प्रदेश (41.50%):
        • विशेषता: अवसादी चट्टानें, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर।
        • लाठी सीरीज: जैसलमेर-मोहनगढ़, 64 किमी, ट्रियासिक युगीन चट्टानें, मीठा जल, स्टील ग्रेड चूना पत्थर, सेवण घास (लसियुरुस सिडीकुस/लीलोण), पारिस्थितिकी संतुलन।
        • चाँदन नलकूप: लाठी में, थार का घड़ा, भूगर्भ जल।
        • आकल गाँव जीवाश्म पार्क: जुरैसिक वनस्पति।
        • कुलधरा ग्राम: व्हेल अवशेष, पहला कैक्टस गार्डन।
      • बालुका स्तूप युक्त प्रदेश (58.50%):
        • विशेषता: रेतीले टीले, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, दक्षिणी श्रीगंगानगर।
        • बालुका स्तूप वर्गीकरण:
          1. अनुदैर्ध्य/पवनानुवर्ती: 10 मीटर ऊँचाई, जैसलमेर दक्षिम-पश्चिम, रामगढ़।
          2. अनुप्रस्थ: 10-40 मीटर, हनुमानगढ़, सूरतगढ़, बीकानेर।
          3. बरखान/बरच्छान: 10-20 मीटर, 100-200 मीटर चौड़ाई, चूरू, जोधपुर।
          4. तारा: 10-25 मीटर, मोहनगढ़, पोकरण।
          5. पैराबोलिक: 10-25 मीटर, बीकानेर में सर्वाधिक।
          6. सब्र काफिज: झाड़ियों के सहारे, सम्पूर्ण मरुस्थल।
          7. नेटवर्क: हनुमानगढ़-हरियाणा।
          8. अवरोधी: पुष्कर, सीकर पहाड़ियाँ।
        • प्लाया झील: बालुका स्तूपों के बीच, जैसलमेर में सर्वाधिक, सैलीनास (खारा जल), क्षारीय क्षेत्र/कल्लर।
  • (2) अर्द्ध शुष्क प्रदेश:
    • विशेषता: 25-50 सेमी. वर्षा, शुष्क और अरावली के बीच।
    • जलवायु: उष्ण-मरुस्थलीय।
    • उपविभाग:
      1. घग्घर प्रदेश:
        • विस्तार: श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, प्राचीन यौद्धेय प्रदेश।
        • विशेषता: बरखान टीले, घग्घर नाली, नहर सिंचाई।
        • घग्घर दोआब: सतलज-घग्घर के बीच, रेवेरीना मृदा, गेहूँ उत्पादन।
        • सेम समस्या: जल उत्प्लावन, लवणीयता, रावतसर, पीलीबंगा, समाधान: वृक्षारोपण।
      2. शेखावाटी प्रदेश:
        • विस्तार: चूरू, झुंझुनूं, सीकर, नागौर उत्तरी।
        • विशेषता: मध्यम टीलों, कांतली, रूपनगढ़, मेन्था नदियाँ।
        • झीले: सांभर, डीडवाना, कुचामन, सुजानगढ़, तालछापर, परिहारा।
        • मृदा: बांगर (प्राचीन जलोढ़), सर, नाडा, जोहड़।
        • जोहड़ विकास: डॉ. राजेंद्र सिंह (जोहड़ वाले बाबा), सीकर में जल संरक्षण।
      3. नागौरी उच्च भूमि:
        • विस्तार: नागौर, 300-500 मीटर ऊँचाई।
        • विशेषता: सोडियम लवण, बंजर, रेतीला।
        • उपविभाग: मकराना (मार्बल), मांगलोद (जिप्सम), जायल (फ्लोराइड जल), कूबड़ पट्टी।
      4. गोढ़वाड़ प्रदेश (लूणी बेसिन):
        • विस्तार: जोधपुर, पाली, जालोर, सिरोही।
        • विशेषता: लूणी, लीलड़ी, सूकड़ी, जवाई, जोजरी, बाण्डी, पचपदरा (नमक उत्पादन)।

निष्कर्ष

थार का मरुस्थल अपनी भौगोलिक उत्पत्ति, विविधता, और संसाधनों के कारण एक अनोखा क्षेत्र है। इसके संरक्षण और उपयोग के लिए इंदिरा गाँधी नहर, जीवाश्म पार्क, और सौर ऊर्जा परियोजनाएँ महत्वपूर्ण कदम हैं।

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