पूर्वी मैदानी प्रदेश (Eastern Plain Region of Rajasthan)

By: LM GYAN

On: 24 June 2025

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पूर्वी मैदानी प्रदेश

पूर्वी मैदानी प्रदेश राजस्थान का एक प्रमुख भौतिक प्रदेश है, जो अपनी उपजाऊ मृदा, उच्च जनघनत्व, और कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। यह अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है और गंगा-यमुना के जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित है। नीचे इसकी उत्पत्ति, विस्तार, विशेषताएँ, और वर्गीकरण का विस्तृत विवरण दिया गया है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश की उत्पत्ति

  • भू-वैज्ञानिक उत्पत्ति:
    • नूतन महाकल्प (चतुर्थक युग, नियोजोइक एरा) के प्लीस्टोसीन काल में गंगा और यमुना नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेप से निर्मित।
    • यह क्षेत्र टेथिस सागर के अवशेषों से प्रभावित नहीं, बल्कि नदीय अपरदन और निक्षेपण प्रक्रियाओं से बना।

पूर्वी मैदानी प्रदेश का विस्तार

  • स्थान: अरावली पर्वतमाला के पूर्व में।
  • क्षेत्रफल: राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 23%
  • जनसंख्या: राजस्थान की कुल जनसंख्या का 40% निवास।
  • ढाल: पश्चिम से पूर्व की ओर।
  • जिले: जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा (आंशिक), डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़।
  • अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार:
    • अक्षांश: 24°30’ उत्तरी से 29°30’ उत्तरी अक्षांश।
    • देशांतर: 73°30’ पूर्वी से 78°17’ पूर्वी देशांतर।
  • विशेष: यह क्षेत्र राजस्थान के उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में फैला है, जो उपजाऊ मैदानों के लिए प्रसिद्ध है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश की विशेषताएँ

  • उत्तरी विशाल मैदान का हिस्सा:
    • भारतीय उच्चावच में उत्तरी विशाल मैदान (मध्य का विशाल मैदान) का हिस्सा।
  • जलवायु:
    • औसत वर्षा: 60-80 सेमी, उप-आर्द्र जलवायु
    • 50 सेमी समवर्षा रेखा: पश्चिम से पूर्व को विभाजित करती है।
  • नदियाँ:
    • चंबल, बाणगंगा, रूपारेल, गंभीर, बनास, मोरेल, सहोदरा
  • मृदा:
    • जलोढ़ (एल्फीसोल): सर्वाधिक उपजाऊ, कृषि के लिए आदर्श।
  • कृषि:
    • सर्वाधिक कृषि संभावना वाला प्रदेश।
    • प्रमुख फसलें: गेहूँ, सरसों, चना, जौ, मक्का, बाजरा।
  • खनिज संपदा:
    • खनिजों की दृष्टि से राजस्थान का सर्वाधिक निर्धन प्रदेश।
    • सीमित खनिज: बलुआ पत्थर, चूना पत्थर (कुछ क्षेत्रों में)।
  • जनघनत्व:
    • राजस्थान का सर्वाधिक जनघनत्व वाला प्रदेश, कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था के कारण।
  • सिंचाई:
    • प्रमुख साधन: नलकूप और कुएँ
  • प्राकृतिक वनस्पति:
    • बीड़: प्राकृतिक घास के मैदान, चरागाह के रूप में उपयोगी।
  • आर्थिक महत्व:
    • कृषि और औद्योगिक विकास (जयपुर, अलवर)।
    • दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है।

पूर्वी मैदानी प्रदेश का वर्गीकरण

भौगोलिक संरचना के आधार पर पूर्वी मैदानी प्रदेश को तीन भागों में विभाजित किया गया है:

1. चंबल बेसिन

  • विशेषता: बीहड़ (चंबल नदी द्वारा अवनलिका अपरदन से निर्मित उत्खात स्थलाकृति, घने जंगल)।
  • विस्तार: चंबल (कोटा) से यमुना (उत्तर प्रदेश) तक।
  • जिले: धौलपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, करौली।
  • विशेषताएँ:
    • चंबल नदी द्वारा गहरी घाटियाँ और बीहड़ निर्मित।
    • बीहड़ क्षेत्र में वन्यजीव अभयारण्य (राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य)।
    • कृषि: गेहूँ, सरसों, चना।
    • मृदा: जलोढ़, कुछ क्षेत्रों में काली मृदा।
  • आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, वन्यजीव पर्यटन।

2. बनास-बाणगंगा बेसिन

  • उप-विभाग:
    1. रोही का मैदान:
      • विस्तार: जयपुर से भरतपुर, बाणगंगा और यमुना नदियों के मध्य (रोही दोआब).
      • विशेषताएँ: उपजाऊ जलोढ़ मृदा, गेहूँ-सरसों की खेती, उच्च जनघनत्व।
      • जिले: जयपुर, अलवर, भरतपुर।
    2. मालपुरा-करौली मैदान:
      • विस्तार: मालपुरा (टोंक) से करौली, बनास और बाणगंगा के मध्य दोआब।
      • विशेषताएँ: जलोढ़ मृदा, कृषि (चना, बाजरा), मध्यम जनघनत्व।
      • जिले: टोंक, करौली।
    3. खैराड़ प्रदेश:
      • विस्तार: जहाजपुर (भीलवाड़ा) से टोंक, बनास नदी द्वारा निर्मित।
      • विशेषताएँ: उपजाऊ मैदान, कृषि-प्रधान, बनास नदी का प्रभाव।
      • जिले: भीलवाड़ा, टोंक।
    4. पीडमॉन्ट का मैदान:
      • विस्तार: देवगढ़ (राजसमंद) से भीलवाड़ा, बनास नदी द्वारा निर्मित।
      • विशेषताएँ: अवशिष्ट पहाड़ियों युक्त मैदान, मिश्रित कृषि (मक्का, जौ)।
      • जिले: राजसमंद, भीलवाड़ा।
  • आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, छोटे उद्योग, परिवहन (जयपुर केंद्र)।

3. माही बेसिन

  • विस्तार: दक्षिणी राजस्थान, माही नदी के आसपास।
  • प्राचीन नाम: पुष्प प्रदेश
  • उप-विभाग:
    1. छप्पन का मैदान:
      • विस्तार: प्रतापगढ़ से बांसवाड़ा, माही नदी के किनारे, छप्पन गाँवों/नदी-नालों का समूह।
      • विशेषताएँ: उपजाऊ जलोढ़ मृदा, धान, मक्का, सोयाबीन की खेती।
      • जिले: प्रतापगढ़, बांसवाड़ा।
    2. कांठल का मैदान:
      • विस्तार: प्रतापगढ़, माही नदी का तटवर्ती मैदान।
      • विशेषताएँ: काली और जलोढ़ मृदा, खरीफ फसलें (धान, मूँग)।
      • जिले: प्रतापगढ़।
    3. वागड़ प्रदेश:
      • विस्तार: डूंगरपुर-बांसवाड़ा, माही नदी द्वारा निर्मित विखंडित पहाड़ी क्षेत्र।
      • विशेषताएँ: मिश्रित स्थलाकृति, आदिवासी बाहुल्य, कृषि (मक्का, बाजरा)।
      • जिले: डूंगरपुर, बांसवाड़ा।
  • आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, आदिवासी हस्तशिल्प, पर्यटन (जयसमंद झील)।

निष्कर्ष

पूर्वी मैदानी प्रदेश राजस्थान का सर्वाधिक उपजाऊ और उच्च जनघनत्व वाला भौतिक प्रदेश है, जो चतुर्थक युग में गंगा-यमुना के जलोढ़ निक्षेपों से बना। यह उत्तरी विशाल मैदान का हिस्सा है और चंबल, बनास, माही जैसी नदियों द्वारा पोषित है। जलोढ़ मृदा इसे कृषि के लिए आदर्श बनाती है, लेकिन खनिजों में यह निर्धन है। चंबल बेसिन (बीहड़), बनास-बाणगंगा बेसिन (रोही, खैराड़), और माही बेसिन (छप्पन, वागड़) इसके प्रमुख उप-विभाग हैं। यह क्षेत्र राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि और औद्योगिक विकास (विशेषकर जयपुर) के कारण महत्वपूर्ण है।

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