प्रायद्वीपीय पठार 🏞️: भारत का सबसे पुराना भूभाग। अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, और दक्कन पठार की विशेषताएँ। खनिज, कृषि, और पर्यटन की 2025 की स्थिति।
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परिचय: प्रायद्वीपीय पठार – भारत की प्राचीन नींव 🪨
प्रायद्वीपीय पठार, जिसे दक्कन पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे पुराना और स्थिर भूभाग है। 😊 यह त्रिकोणीय आकार का विशाल पठार भारत के भौगोलिक इतिहास की कहानी कहता है। आर्कियन नाइस और शिस्ट से निर्मित यह पठार 16 लाख वर्ग किमी में फैला है, जो भारत के दक्षिणी और मध्य भाग को आच्छादित करता है। 🌍
600-900 मीटर की औसत ऊँचाई और पश्चिम से पूर्व की ओर ढलान के साथ, यह पठार भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक धरोहर का आधार है। 2025 में, यह क्षेत्र खनिज संसाधनों, कृषि, और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है। 🏞️ इस लेख में हम प्रायद्वीपीय पठार की भूगोलिक विशेषताएँ, पर्वत, नदियाँ, पठार, और इसकी आर्थिक व सांस्कृतिक महत्ता का विस्तृत वर्णन करेंगे। 🚪📖
प्रायद्वीपीय पठार: एक भौगोलिक अवलोकन 🌍
आकार और सीमाएँ 📏
प्रायद्वीपीय पठार त्रिकोणीय आकार का है, जो भारत के सबसे पुराने भूभागों में से एक है। यह निम्नलिखित क्षेत्रों से घिरा है:
- उत्तर: उत्तरी मैदान (गंगा-यमुना का मैदान)।
- उत्तर-पश्चिम: दिल्ली रिज।
- पूर्व: राजमहल की पहाड़ियाँ।
- पश्चिम: गिर रेंज।
- दक्षिण-पश्चिम: पश्चिमी घाट।
- दक्षिण-पूर्व: पूर्वी घाट।
- पूर्वी विस्तार: शिलांग और कार्बी-आंगलोंग पठार।
विशेषताएँ:
- ऊँचाई: 600-900 मीटर (ASL)।
- क्षेत्रफल: लगभग 16 लाख वर्ग किमी।
- ढलान: पश्चिम से पूर्व की ओर।
- नदियाँ: अधिकांश नदियाँ (महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- अपवाद: नर्मदा और तापी, जो रिफ्ट घाटी से होकर पूर्व से पश्चिम बहती हैं और अरब सागर में गिरती हैं। 🌊
भूविज्ञान: प्राचीन चट्टानों का खजाना 🪨
प्रायद्वीपीय पठार आर्कियन नाइस, शिस्ट, और गोंडवाना चट्टानों से बना है। यह गोंडवानालैंड का हिस्सा था, जो लाखों वर्ष पहले टूटकर वर्तमान स्वरूप में आया। बेसाल्टिक लावा (डक्कन ट्रैप) और ज्वालामुखी चट्टानों ने इसे और समृद्ध किया। 😊
- प्रमुख चट्टानें:
- धारवाड़ चट्टानें: खनिज संसाधन।
- विंध्य चट्टानें: बलुआ पत्थर।
- गोंडवाना चट्टानें: कोयला भंडार।
- बेसाल्टिक चट्टानें: काली मिट्टी (रेगुर) का स्रोत।
गारो-राजमहल गैप: एक भौगोलिक रहस्य 🌋
गारो-राजमहल गैप (या मालदा गैप) प्रायद्वीपीय पठार और मेघालय पठार के बीच एक महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषता है। 😎
- उत्पत्ति:
- हिमालय की उत्पत्ति के समय भारतीय प्लेट की उत्तर-पूर्व गति ने मालदा भ्रंश पैदा किया।
- यह भ्रंश गारो पहाड़ियों और राजमहल पहाड़ियों के बीच बना।
- विशेषताएँ:
- जलोढ़ आवरण: नदियों के निक्षेपण ने इस गैप को भरा।
- मेघालय पठार: प्रायद्वीपीय पठार से अलग होकर पूर्व में विस्तारित।
- महत्ता: यह गैप भारत के भौगोलिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण है। 🌄
प्रायद्वीपीय पठार की पर्वत शृंखलाएँ 🏔️
प्रायद्वीपीय पठार की पहाड़ियाँ अवशिष्ट और वलित पर्वतों के अवशेष हैं, जो लाखों वर्षों के अपक्षय से बनी हैं।
1. अरावली रेंज 🌄
- विस्तार: दिल्ली से अहमदाबाद (गुजरात) तक, 800 किमी।
- दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम।
- राज्य: दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात।
- विशेषताएँ:
- दुनिया के सबसे पुराने वलित पर्वत।
- गुरु शिखर (माउंट आबू): सबसे ऊँची चोटी।
- नदियाँ: बनास, लूनी, साबरमती।
- दर्रे: पिपलीघाट, देवर, देसुरी।
- झीलें: सांभर, ढेबर, जयसमंद।
- महत्ता: ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट (GBF) ने अरावली को विंध्य से अलग किया।
2. विंध्य रेंज 🪨
- विस्तार: 1,200 किमी, नर्मदा घाटी के समानांतर।
- ऊँचाई: 300-650 मीटर।
- शृंखलाएँ: विंध्याचल, भांडेर, कैमूर, पारसनाथ।
- विशेषताएँ:
- ब्लॉक पर्वत, नर्मदा रिफ्ट घाटी के दक्षिण में।
- गंगा और दक्षिण भारत की नदियों के बीच वाटरशेड।
3. सतपुड़ा रेंज 🌲
- विस्तार: 900 किमी, नर्मदा और तापी के बीच।
- शृंखलाएँ: महादेव, मैकाल, राजपीपला।
- चोटियाँ:
- धूपगढ़ (1,350 मीटर, पचमढ़ी): सबसे ऊँची चोटी।
- अमरकंटक (1,127 मीटर): नर्मदा और सोन का उद्गम।
- विशेषताएँ:
- विवर्तनिक पर्वत, तह और संरचनात्मक उत्थान से निर्मित।
- धुआँधार जलप्रपात (नर्मदा): प्रमुख आकर्षण।
4. पश्चिमी घाट 🌊
- विस्तार: 1,600 किमी, तापी घाटी से कन्याकुमारी तक।
- राज्य: गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु।
- विशेषताएँ:
- हिमालय के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी पर्वत शृंखला।
- अनाईमुडी (2,695 मीटर): प्रायद्वीप की सबसे ऊँची चोटी।
- नदियाँ: गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेरियार।
- दर्रे: थालघाट, भोरघाट, शेनकोट्टई।
- खंड:
- उत्तरी खंड (सह्याद्रि): कलसुबाई (सबसे ऊँची चोटी), नासिक, मुंबई।
- मध्य खंड: गोवा, कर्नाटक, नीलगिरी (पश्चिमी-पूर्वी घाट का मिलन)।
- दक्षिणी खंड: अनमलाई, इलायची, अगस्त्यमलाई।
5. पूर्वी घाट 🏞️
- विस्तार: महानदी (ओडिशा) से वागई (तमिलनाडु) तक।
- विशेषताएँ:
- विच्छिन्न और कम ऊँचाई।
- चोटियाँ: जिंदगड़ा (1,690 मीटर), महेंद्रगिरि (1,501 मीटर), अरमा कोंडा (1,680 मीटर)।
- नदियाँ: महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
- शृंखलाएँ: नल्लमलाई, पालकोंडा, जावदी, शेवराय।
पश्चिमी घाट vs पूर्वी घाट: तुलना 🌄
| विशेषता | पश्चिमी घाट | पूर्वी घाट |
|---|---|---|
| स्थान | दक्कन पठार का पश्चिमी किनारा | दक्कन पठार का पूर्वी किनारा |
| विस्तार | 1,600 किमी (तापी से कन्याकुमारी) | महानदी से वागई |
| ऊँचाई | 1,000-2,695 मीटर | 1,000-1,690 मीटर |
| चोटी | अनाईमुडी (2,695 मीटर) | जिंदगड़ा (1,690 मीटर) |
| नदियाँ | गोदावरी, कृष्णा, कावेरी | महानदी, गोदावरी, कृष्णा |
| वनस्पति | सदाबहार और पर्णपाती वन | झाड़-झंखाड़ (अतिवृष्टि और वनों की कटाई) |
| संरचना | अविच्छिन्न, खड़ी ढलान | विच्छिन्न, हल्की ढलान |
प्रायद्वीपीय पठार के उप-पठार 🏞️
प्रायद्वीपीय पठार में कई उप-पठार हैं, जो भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं:
1. केंद्रीय हाइलैंड्स 🌄
- स्थान: चंबल नदी बेसिन, पूर्वी राजस्थान।
- विशेषताएँ:
- मेवाड़ पठार (पूर्व) और मारवाड़ पठार (पश्चिम)।
- ऊँचाई: 250-500 मीटर।
- नदियाँ: चंबल, बनास।
- खड्ड (Ravines): चंबल नदी के कारण अनुपजाऊ भूमि।
2. मालवा पठार 🌾
- स्थान: अरावली (पश्चिम), मध्य हाइलैंड्स (उत्तर), विंध्य (दक्षिण)।
- विशेषताएँ:
- ऊँचाई: 500 मीटर।
- नदियाँ:
- अरब सागर: नर्मदा, तापी, माही।
- बंगाल की खाड़ी: चंबल, बेतवा।
- भूविज्ञान: धारवाड़, विंध्य, गोंडवाना, बेसाल्टिक चट्टानें।
- मिट्टी: काली मिट्टी (रेगुर)।
3. बुंदेलखंड पठार 🪨
- स्थान: यमुना (उत्तर), मध्य हाइलैंड्स (पश्चिम), विंध्य (दक्षिण)।
- विशेषताएँ:
- चट्टानें: नाइस, ग्रेनाइट।
- नदियाँ: बेतवा, धसान, केन।
- विशेषता: अत्यधिक कटाव, लहरदार मैदान।
4. बघेलखंड पठार 🌲
- स्थान: मैकाल शृंखला (दक्षिण), सोन और महानदी (उत्तर-दक्षिण)।
- विशेषताएँ:
- ऊँचाई: 150-1,200 मीटर।
- चट्टानें: चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट।
5. छोटानागपुर पठार ⛏️
- स्थान: झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल।
- विशेषताएँ:
- ऊँचाई: 700 मीटर।
- चट्टानें: गोंडवाना (कोयला भंडार)।
- नदियाँ: दामोदर (रिफ्ट घाटी), रेडियल जल निकासी।
- खनिज: लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट।
- उप-क्षेत्र: हजारीबाग पठार, रांची पठार, राजमहल पहाड़ियाँ।
6. मेघालय पठार 🌄
- स्थान: राजमहल पहाड़ियों से पूर्व, मालदा भ्रंश द्वारा अलग।
- विशेषताएँ:
- पहाड़ियाँ: गारो, खासी, जयंतिया।
- चट्टानें: आर्कियन क्वार्टजाइट, शेल, शिस्ट।
- चोटी: शिलांग (उच्चतम बिंदु)।
7. दंडकारण्य पठार 🌳
- स्थान: छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र।
- विशेषताएँ:
- जंगल: घने वन क्षेत्र।
- नदियाँ: महानदी, गोदावरी।
8. दक्कन पठार 🌋
- विस्तार: सतपुड़ा, विंध्य, पश्चिमी घाट, और पूर्वी घाट से घिरा।
- उप-क्षेत्र:
- महाराष्ट्र पठार: डक्कन ट्रैप, काली मिट्टी।
- कर्नाटक पठार: मैसूर पठार, मूलंगिरी (उच्चतम चोटी)।
- तेलंगाना पठार: धारवाड़ चट्टानें, खनिज संसाधन।
- नदियाँ: महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ 🌊
प्रायद्वीपीय पठार की नदियाँ इसकी भौगोलिक और आर्थिक महत्ता को बढ़ाती हैं:
| नदी | उद्गम | दिशा | गिरने का स्थान |
|---|---|---|---|
| नर्मदा | अमरकंटक (मैकाल) | पूर्व से पश्चिम | अरब सागर |
| तापी | सतपुड़ा | पूर्व से पश्चिम | अरब सागर |
| महानदी | दंडकारण्य | पश्चिम से पूर्व | बंगाल की खाड़ी |
| गोदावरी | नासिक (पश्चिमी घाट) | पश्चिम से पूर्व | बंगाल की खाड़ी |
| कृष्णा | महाबलेश्वर (पश्चिमी घाट) | पश्चिम से पूर्व | बंगाल की खाड़ी |
| कावेरी | ब्रह्मगिरी (पश्चिमी घाट) | पश्चिम से पूर्व | बंगाल की खाड़ी |
| चंबल | मालवा पठार | उत्तर की ओर | यमुना (गंगा में) |
| बनास | अरावली | दक्षिण-पश्चिम | चंबल |
प्रायद्वीपीय पठार की प्राकृतिक संसाधन संभावनाएँ ⛏️🌾
1. खनिज संसाधन ⛏️
- कोयला: गोंडवाना कोयले का 98% भंडार।
- लौह अयस्क: छोटानागपुर, महाराष्ट्र, गोवा।
- बॉक्साइट: झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़।
- सोना: गोलकुंडा क्षेत्र।
- अन्य: तांबा, शेल, बलुआ पत्थर।
2. कृषि 🌾
- काली मिट्टी (रेगुर): कपास, बाजरा, तंबाकू, खट्टे फल।
- पहाड़ी क्षेत्र: चाय, कॉफी, रबर।
3. वन और वन्यजीव 🌲🐯
- वन: सदाबहार से पर्णपाती।
- वन्यजीव: बाघ, चीता, हिरण, पक्षी।
4. पनबिजली और भूतापीय ऊर्जा ⚡
- पनबिजली: पश्चिमी घाट की नदियाँ।
- भूतापीय ऊर्जा: गर्म झरनों की उपस्थिति।
प्रायद्वीपीय पठार का पर्यटन महत्व 🏞️
2025 में प्रायद्वीपीय पठार पर्यटन का केंद्र बना हुआ है:
- हिल स्टेशन: ऊटी, पचमढ़ी, महाबलेश्वर, खंडाला, माथेरान।
- जलप्रपात: धुआँधार (नर्मदा), जोग फॉल्स (कर्नाटक)।
- राष्ट्रीय उद्यान: संजय गांधी (महाराष्ट्र), बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश)।
हिमालय vs प्रायद्वीपीय पठार: तुलना 🏔️
| विशेषता | हिमालय | प्रायद्वीपीय पठार |
|---|---|---|
| उत्पत्ति | हाल की, वलित पर्वत | प्राचीन, गोंडवानालैंड |
| चट्टानें | अवसादी | रूपांतरित, अवसादी |
| विवर्तनिक स्थिति | सक्रिय | स्थिर |
| नदियाँ | सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र | नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा |
| हिल स्टेशन | शिमला, मसूरी, नैनीताल | ऊटी, पचमढ़ी, महाबलेश्वर |
निष्कर्ष: प्रायद्वीपीय पठार की अमर धरोहर 🌟
प्रायद्वीपीय पठार भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक नींव है। 🏞️ अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, पश्चिमी घाट, और पूर्वी घाट के साथ यह पठार खनिज, कृषि, और पर्यटन का खजाना है। 2025 में डिजिटल युग में भी यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि से विश्व को आकर्षित कर रहा है। 😊
प्रश्न और जवाब (FAQs)
- प्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊँची चोटी कौन सी है?
अनाईमुडी (2,695 मीटर, पश्चिमी घाट)। - प्रायद्वीपीय पठार की प्रमुख नदियाँ कौन सी हैं?
नर्मदा, तापी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी। - गारो-राजमहल गैप क्या है?
मालदा भ्रंश द्वारा निर्मित गारो और राजमहल पहाड़ियों के बीच का जलोढ़ गैप। - प्रायद्वीपीय पठार का खनिज महत्व क्या है?
कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, और सोना। - प्रमुख हिल स्टेशन कौन से हैं?
ऊटी, पचमढ़ी, महाबलेश्वर, खंडाला।
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