- 10 अप्रैल 1991 को पूर्व कोटा जिले से बारां जिले का निर्माण किया गया।
- बारां जिले से नेशनल हाइवे 27 गुजरता है।
- प्रमुख नदी पार्वती, परवन, कालीसिंध।
- बारां जिले का शुभंकर- मगर
- 15वीं शताब्दी में ‘बारह गांव के समूह’ को बारां कहा जाने लगा। बारां पर बूंदी रियासत का अधिकार था।
- उपनाम- मसाला नगरी, वराह नगरी, काली हांडी।
- भौगोलिक उपनाम- हाड़ौती का पूर्वी द्वार
- बाराँ जिला राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित हाड़ौती के पठार का हिस्सा है।
- भंडदेवरा (मिनी खजुराहो कहलाने वाला शिव मंदिर) भंडदेवरा में पंचायतन शैली एवं खजुराहो शैली में मंदिर बनाए गए हैं जिसका निर्माण चौहान राजा मलय वर्मा द्वारा 10वीं शताब्दी में करवाया गया।
- सहरिया जनजाति का कुम्भ : सीताबाड़ी
- सहरिया जनजाति :- भारत सरकार ने इस जनजाति को आदिम जनजाति समूह में शामिल किया है। शाहबाद एवं किशनगंज में यह जनजाति सर्वाधिक निवास करती है।
- रेलावन – 2400 वर्ष पुराने सभ्यता अवशेष प्राप्त (आहड़ संस्कृति के समकालीन)
- शाहबाद का दुर्ग (उपनाम- सलेमाबाद दुर्ग) – इसका निर्माण चौहान राजा मुकुटमणि देव ने करवाया था। यह दुर्ग बादशाह औरंगजेब का विश्राम स्थल था। इसमें दुर्ग में नवल बाण तोप रखी गई है।
- सोरसन ब्राह्मणी माता का मंदिर (एकमात्र मंदिर जहाँ देवी की पीठ की पूजा होती है)
- शेरगढ़ अभयारण्य – हाड़ौती क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह सांपों के लिए प्रसिद्ध है। परवन नदी इस अभयारण्य से होकर गुजरती है।
- शेरगढ़ दुर्ग : परवन नदी के किनारे बारां में स्थित है। इस दुर्ग को ‘कोषवर्द्धन दुर्ग’ भी कहते हैं। यह दुर्ग भामती पहाड़ी पर स्थित है। शेरशाह सूरी के नाम पर इसका नामकरण शेरगढ़ किया गया।
- छीपा बड़ोद – कृषकों को उचित मूल्य दिलवाने के लिए विशेष मंडियां निर्माणाधीन हैं।
- छबड़ा- छबड़ा बिजली परियोजना (निर्माणाधीन) राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा बिजलीघर।
- अटल (फूलदेवरा- मामा-भाँजा का मंदिर) : अटरू की धनुष लीला प्रसिद्ध है, जिसमें धनुष राम द्वारा न तोड़कर दर्शकों द्वारा तोड़ा जाता है।
- काकुनी का मंदिर: यह 108 मंदिरों का समूह है।
- अंता: गैस आधारित विद्युत गृह
- कुनु नदी : बारां जिले को दो भागों में विभाजित करती है।
- भावगढ़ : यहां पर राज्य का प्रथम बायोमास संयंत्र स्थापित किया गया है।
- भण्डदेवरा मंदिर या शिव मंदिर: यह मंदिर 10वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर है। इसको राजस्थान का मिनी खजुराहों और हाड़ौती का खजुराहो कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर की वास्तुकला की शैली खजुराहो शैली से मिलती जुलती है। इस मंदिर का आधार स्टेनलैट प्लैन है।
- सीताबाड़ी (शाहबाद-बारां) : यह सीता माता और लक्ष्मण को समर्पित मंदिर है। यहां कई कुण्ड हैं, जैसे- लक्ष्मण कुण्ड, सीता कुण्ड, वाल्मीकि कुण्ड, सूर्य कुण्ड आदि। सीताबाड़ी मेला जिसे सहरिया जनजाति का कुम्भ कहा जाता हैं, जो ज्येष्ठ अमावस्या को आयोजित होता है। यह हाड़ौती अँचल का सबसे बड़ा मेला है।
- मामा-भाँजा का मंदिर / फूलदेवरा मंदिर: यह अटरू (बाराँ) में स्थित है।
- हाड़ौती पेनोरमा- बारां।
- शाही जामा मस्जिद- शाहबाद, बारां। निर्माण- औरंगजेब द्वारा। यह मस्जिद राजस्थान की सबसे बड़ी मस्जिद है।
- बड़ा गाँव की बावड़ियाँ- अन्ता, बारां।
- औरतीजी की बावड़ी- बारां ।
- गधों का मेला : गधों का मेल सोरसन (बारां) और लुणियावास (जयपुर ग्रामीण) में लगता है।
- थानेदार नाथूसिंह की छतरी यह शाहबाद, बारां में स्थित है, जिसका निर्माण महाराव उम्मेदसिंह कोटा द्वारा करवाया गया।
- गुगोर किला- बारां।
- रामगढ़ किला- बारां।
- बीजासण माता का मेला- छबड़ा (बारां)
- डोल उत्सव यह किशनगंज तहसील, बारां का प्रसिद्ध है।
- फूलडोल मेला- शाहबाद (बारां)
- राजस्थान की प्रथम CNG आधारित रोडवेज का संचालन बारां से किया गया है।
- देश की पहली जियो हेरिटेज साइट (क्रेटर) रामगढ़ (बारां) में स्थित है।
- भारत का पहला गोडावण ब्रीडिंग सेंटर सोरसन, बारां में स्थित है।
- राज्य में सर्वाधिक सहरिया जनजाति बारां में पाई जाती है। (शाहबाद + किशनगंज में)
- राज्य में सर्वाधिक मसाला उत्पादन बारां जिले में होता है।
- लहसुन मण्डी- छीपा बड़ौद, छाबड़ा (बारां)।
- जमनापुरी नस्ल की बकरियाँ बाराँ की प्रसिद्ध है।
- पान की खेती- शाहबाद (बाराँ) एवं करौली क्षेत्र में की जाती है।
- सहरिया विकास कार्यक्रम- 1977-78 में (बाराँ)
- शाहबाद जंगल कंजर्वेशन (2021)- बाराँ : यह क्षेत्र सघन व दुर्लभ जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में पैंथर और गिद्धों का कुनबा पाया जाता है।
- आखेट निषेध क्षेत्र (सोरसन बाराँ) : यहाँ गोडावण पक्षी पाए जाते हैं। यह वर्तमान समय में प्रवासी पक्षियों का ठिकाना है।
- छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्लांट-बारौँ : यह प्रदेश की पहली सुपर क्रिटिकल इकाई है।
- अटरू (बाराँ) का प्राचीन नाम अटलपुरी था।
- शाहबाद उच्च भूमि क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी कारबा (456 मीटर) बाराँ जिले में स्थित है।
- बाराँ के शाहबाद की सहरिया जनजाति का फसली नृत्य झेला नृत्य है।
- पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर मार्ग पर बाराँ स्थित है।
- अन्ता गैस थर्मल पॉवर प्लांट- बाराँ। यह NTPC के अधीन संचालित है।
- पार्वती नदी : यह नदी सिहोर पर्वत, मध्य-प्रदेश से निकलती है। इस नदी पर बाराँ जिले में रैतड़ी परियोजना, अंधेरी परियोजना, ल्हासी परियोजना, बैथली परियोजना आदि स्थित हैं।
- परवन नदी : यह नदी मालवा के पठार (MP) से निकलती है। इस नदी पर बाराँ जिले में परवन परियोजना स्थापित की गई है।
- विलास परियोजना (बाराँ)- विलास नदी पर।
- कवई परियोजना- बाराँ। यह अडानी ग्रुप के अन्तर्गत है, जो एक विद्युत परियोजना है।
बारां (Baran) जिला दर्शन
By LM GYAN
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