बूंदी (Bundi) जिला दर्शन

By LM GYAN

Published on:

बूंदी (Bundi) जिला दर्शन

नवगठित शाहपुरा जिला बनने के बाद बूंदी की सीमा 6 जिलों- शाहपुरा , टोंक , सवाई माधोपुर , कोटा , चित्तौड़गढ़ तथा भीलवाड़ा के साथ लग गई है । 

  • बूंदी जिले से नेशनल हाइवे 27 , 52 व 148 डी गुजरते हैं । 
  •  प्रमुख नदी : चंबल , मांगली , मेज , कुराल , घोड़ा पछाड़ । 
  • देवा हाड़ा : 1240 ई . में बूंदी में हाड़ा वंश की स्थापना की। इन्हें हाड़ा चौहान साम्राज्य का संस्थापक कहा जाता है ।
  • समरसिंह : इनके समय कोटिया भील को पराजित करके कोटा को बूंदी में शामिल किया गया । 
  • नाहरसिंह हाड़ा ( नपूजी हाड़ा ) : अलाउद्दीन खिलजी के विरूद्ध 1304 में युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए । राव सुर्जन हाड़ा : बूंदी के प्रथम राजा , जिन्होंने मुगलों के साथ संधि कर मुगलों की अधीनता स्वीकार की । इन्होंने 1569 को मुगल बादशाह अकबर के साथ सहायक संधि की । 
  • राव रतनसिंह हाड़ा : मुगल बादशाह जहांगीर ने इनको चित्रकला के कारण सर बुलंदराय तथा रामराय की उपाधि दी । जहांगीर ने इनको 5000 का मनसब प्रदान किया । 
  • राव बुद्धसिंह हाड़ा : इनकी पत्नी अमर कुंवरी / आनंद कुंवरी ने मराठा मल्हार राव होल्कर को राखी भेजी थी । 
  • राजस्थान में सबसे पहले मराठों का प्रवेश बूंदी रियासत में हुआ था । 
  • बूंदी प्रजामंडल : 1931 में कांतिलाल ने इसकी स्थापना की । 
  • सूर्यमल्ल मिश्रण / मिसण : बूंदी महाराव रामसिंह के दरबारी कवि थे । इन्होंने वंश भास्कर नामक ग्रंथ लिखा , जिसको इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने पूरा किया । वंश भास्कर को वीर रसावतार कहते हैं । अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का शंखनाद करने वाले राजस्थान के प्रथम कवि थे । इनको ‘ राजस्थान का वेदव्यास ‘ भी कहा जाता है । इन पर वर्ष 1990 में रु . 2 का डाक – टिकट जारी किया गया । 
  • सिसोल : पुरातात्विक शैल चित्र यहां मिले हैं । 
  • डाबी हत्याकांड : बूंदी के डाबी नामक स्थान पर 2 अप्रैल , 1923 में यह घटना घटित हुई । यहां चल रहे किसान सम्मेलन में पुलिस गोलीबारी से नानकजी भील एवं देवालाल गुर्जर शहीद हो गए थे । 
  • इंद्रगढ़ का किला : इंद्रगढ़ में राजा इंद्रसाल द्वारा बनवाया गया । 
  • चित्रशाला ( रंगीन चित्र ) : बूंदी के महाराव उम्मेद सिंह के समय निर्मित ‘ रंगीन चित्रों की श्रृंखला ‘ को चित्रशाला कहा जाता है । 
  • बूँदी चित्रशैली भित्ति चित्रों का स्वर्ग कहलाती है । इस शैली में सर्वाधिक पशु – पक्षियों का चित्रण हुआ है । इस शैली का स्वर्ण काल राव उम्मेदसिंह प्रथम के शासनकाल को कहा जाता है ।
  • बांसी दुगारी- श्री तेजाजी महाराज का पवित्र तीर्थ । तेजाजी की कर्मस्थली । तेजाजी का मंदिर । 
  • लाखेरी – राज्य का प्रथम सीमेंट कारखाना ( 1915 ) । 
  • गरवड़ा- देश की प्रथम बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग ( शैल चित्र ) 
  • बारोदिया : राज्य में सिलिका रेत का सर्वाधिक उत्पादन बारोदिया , बूंदी में होता है । 
  • भीमलत जल प्रपात : मांगली नदी पर स्थित । 
  • 25 मार्च 1948 को एकीकरण के द्वितीय चरण में बूँदी को राजस्थान संघ में शामिल किया गया । 
  • प्रारंभ में बूँदी पर मीणाओं का अधिकार था ।  बूँदा मीणा के नाम पर यह क्षेत्र बूँदी कहलाया । 
  • बूँदी पूर्व में हाड़ा चौहानों द्वारा शासित हाड़ौती साम्राज्य की राजधानी थी । 
  • बूँदी के शासक विष्णु सिंह हाड़ा ने 10 फरवरी , 1818 को अंग्रेजों से संधि कर अधीनता स्वीकार की थी । 
  • उपनाम – राजस्थान की काशी , बावड़ियों का शहर , वृन्दावती , छोटी काशी । 
  • बूँदी जिला राजस्थान के दक्षिण – पूर्वी क्षेत्र के हाड़ौती पठार का भाग है । 
  • बूंदी जिले का शुभंकर- सुर्खाब 
  • रानी जी की बावड़ी : निर्माण- 1699 ई . में राव राजा अनिरुद्ध सिंह की रानी नाथावती द्वारा । इसे बावड़ियों का सिरमौर कहते हैं । यह राजस्थान की सबसे बड़ी बावड़ी है । इस बावड़ी पर 29 दिसम्बर 2017 को डाक टिकट जारी की गई । 
  • तारागढ़ दुर्ग : निर्माण- 1354 ई . में बरसिंह हाड़ा द्वारा । इस दुर्ग में चित्रशाला , रतन दौलतखाना , अनिरूद्ध महल , गर्भगुंजन तोप आदि हैं । 
  • 84 खम्भों की छतरी : निर्माण- 1683 ई . में अनिरूद्ध के द्वारा अपनी पत्नी धाबाई की याद में । 
  • बीजासण माता मंदिर : यह मंदिर इन्द्रगढ़ ( बूँदी ) में स्थित है । 
  • सुखमहल : निर्माण- विष्णु सिंह द्वारा । यह महल जैतसागर झील में स्थित है । 
  • मोती महल संग्रहालय : बूँदी में स्थित इस संग्रहालय को राजा बहादुर सिंह मेमोरियल म्यूजियम के नाम से भी जाना जाता है । 
  • धाबाई कुण्ड : यह विपरीत पिरामिड आकृति में बना हुआ है । नगर सागर कुण्ड- बूँदी । 
  • रंगमहल ( बूँदी ) : निर्माण- महाराव छत्रशाल द्वारा । यह महल भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है । 
  • रतनवोलत दरीखाना ( बूँदी ) : बूँदी राजप्रसाद में स्थित महल जहाँ बूँदी नरेशों का राजतिलक होता था ।
  • फल – सब्जी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस- बूँदी 
  • जींस पार्क – खेरूणा गाँव , बूंदी में बनाया गया है । 
  • बूँदी जिले की कजली तीज प्रसिद्ध है , जो भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनाई जाती है । 
  • बूँदी रियासत में रामशाही एवं चेहरेशाही सिक्कों का प्रचलन था । 
  • केशोरायपाटन , बूँदी में चीनी मिल वर्ष 1965 में स्थापित की गई, जो राज्य में सहकारी क्षेत्र की प्रथम शुगर मिल है ।
  • नैनवा सभ्यता- बूँदी । 
  • मेहता लज्जाराम : राजस्थान का प्रथम साहित्यिक पत्र सर्वहित के संपादक मेहता लज्जाराम बूँदी के निवासी हैं । 
  • किशनलाल सोनी : इन्हें रेल वाले बाबा के नाम से जाना जाता है । 
  • रामगढ़ विषधारी अभयारण्य / रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य ( वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ) – बूँदी : इसे प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाया गया है । इसे ‘ बाघों का जच्चा घर ‘ कहा जाता है । 
  • प्रमुख दर्रे : ‘ रामगढ़ दर्रा , लाखेरी दर्रा , जैतवास दर्रा , बूँदी दर्रा । 
  • प्रमुख बाँध : गरदड़ा बाँध , गुढ़ा बाँध ( मेज नदी पर ) , चाकन बाँध , वरध बाँध ( वरध बाँध को ‘ हाड़ौती का गोवा ‘ भी कहा जाता है । )

LM GYAN

On this website, you will find important subjects about India GK, World GK, and Rajasthan GK that are necessary in all competitive examinations. We also provide test series and courses via our app.

Leave a comment