बौद्ध धर्म: एक विस्तृत और गहन अध्ययन 🌟🙏

By: LM GYAN

On: 3 September 2025

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म, महात्मा बुद्ध द्वारा स्थापित एक प्राचीन भारतीय धर्म और दर्शन है, जो जीवन के दुखों से मुक्ति, नैतिकता, और निर्वाण प्राप्ति पर केंद्रित है। यह धर्म भारत से शुरू होकर श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, चीन, जापान, तिब्बत, और अन्य देशों में फैला, जहाँ इसने सामाजिक समानता, अहिंसा, और करुणा का संदेश दिया। इस लेख में बुद्ध के जीवन, उनके सिद्धांतों, बौद्ध संगीतियों, संप्रदायों, साहित्य, और सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव का गहन वर्णन है। 😊🌍

महात्मा बुद्ध का जीवन 🧘‍♂️

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

  • जन्म: 563 ई.पू., लुंबिनी (कपिलवस्तु, नेपाल) में शाक्य गणराज्य की एक वाटिका में। 🌿
  • माता-पिता: पिता शुद्धोदन (शाक्य गण के प्रधान), माता महामाया। 👑
  • बचपन का नाम: सिद्धार्थ गौतम, गोत्र के कारण गौतम कहलाए।
  • जन्म की कथा: मज्झिम निकाय और निदान कथा के अनुसार, जन्म के समय सिद्धार्थ खड़े हुए, सात कदम चले, और बोले, “यह मेरा अंतिम जन्म है, अब कोई पुनर्जन्म नहीं।” 🌟
  • पालन-पोषण: माता महामाया का जन्म के सातवें दिन देहांत, मौसी महाप्रजापति गौतमी ने पालन-पोषण किया। 👩‍👦
  • चिंतनशील स्वभाव: बचपन से ही सिद्धार्थ गहन चिंतन में डूबे रहते थे। एक बार खेत में हल जोतते देखकर दुख और करुणा का अनुभव किया। 😔
  • चार दृश्य: वृद्ध, रोगी, मृतक, और सन्यासी को देखकर संसार के दुखों और क्षणिकता का बोध हुआ। 🌍
  • विवाह: 16 वर्ष की आयु में यशोधरा (रामग्राम की कोलिय राजकुमारी) से विवाह। पुत्र राहुल का जन्म, जिसे “राहु” (बंधन) कहकर संबोधित किया। 👨‍👩‍👦

गृहत्याग:

  • उम्र: 29 वर्ष (592 ई.पू.)।
  • घटना: साईस छन्न और घोड़े कंथक की सहायता से रात में गृहत्याग। 🐎
  • उद्देश्य: दुखों के कारण और मुक्ति के मार्ग की खोज। 😇
  • भविष्यवाणी: कालदेव और कौण्डिन्य ने भविष्यवाणी की कि सिद्धार्थ चक्रवर्ती राजा या सन्यासी होंगे। माणवक्क ने स्पष्ट कहा कि वे बुद्ध बनेंगे। 🌟

तप और ज्ञान प्राप्ति:

  • प्रारंभिक गुरु:
    • अलार कलाम: सांख्य दर्शन की शिक्षा, पर सिद्धार्थ संतुष्ट नहीं हुए।
    • रुद्रक रामपुत्र: योग और ध्यान की शिक्षा, पर पूर्ण समाधान नहीं मिला।
  • कठोर तप: उरुबेला (गया, बिहार) में निरंजना नदी के तट पर छह वर्ष तक कठिन तपस्या। शरीर अत्यंत कमजोर हुआ। 🌊
  • मध्यम मार्ग: कठोर तप त्यागकर संतुलित जीवन अपनाया। सुजाता नामक स्त्री से खीर ग्रहण की। 🥣
  • बोध: 35 वर्ष की आयु में (528 ई.पू.) वैशाख पूर्णिमा को बोधगया में पीपल वृक्ष (बोधि वृक्ष) के नीचे निर्वाण प्राप्त। 🌳
  • उपाधियाँ: बुद्ध (प्रबुद्ध), तथागत (सत्य को प्राप्त), शाक्यमुनि (शाक्यों का मुनि), मारजीत (कामदेव पर विजय), लोकजीत (लोक विजेता), कनकमुनि (पूर्व जन्म से संबंधित)। 🌟

प्रचार और शिष्य:

  • प्रथम उपदेश: सारनाथ (ऋषिपत्तन) में पाँच पूर्व साथियों (कौण्डिन्य, वप्प, भद्दिय, महानाम, अस्सजि) को धर्मचक्र प्रवर्तन। 🌀
  • प्रमुख शिष्य:
    • तपस्सु और मल्लिक: प्रथम शिष्य, बनजारे। 🧳
    • यश: काशी का धनी व्यक्ति। 💰
    • कश्यप: उरुबेला में ब्राह्मण पुरोहित। 🔥
    • शारिपुत्र और मौद्गल्यायन: बौद्ध धर्म प्रचार में महत्वपूर्ण। 📜
    • राहुल: बुद्ध का पुत्र, कपिलवस्तु में शिष्य बना। 👦
    • आम्रपाली: वैशाली की नगरवधू, आम्रवाटिका दान की। 🌴
    • अनाथपिण्डक: श्रावस्ती का सेठ, जेतवन विहार दान किया। 🏛️
    • प्रसेनजित: कोशल नरेश, पूर्वाराम विहार बनवाया। 👑
    • आनंद: बुद्ध का प्रिय शिष्य, सुत्तपिटक का वाचक, “बुद्ध की छाया”। 😇
    • अंगुलिमाल: दुर्दांत डाकू, बुद्ध का शिष्य बना। 🗡️
  • महिलाओं का प्रवेश: महाप्रजापति गौतमी के आग्रह पर भिक्षुणी संघ की स्थापना, पर निम्न स्थान। 👩
  • प्रमुख स्थान:
    • श्रावस्ती: सबसे अधिक समय, जेतवन और पूर्वाराम विहार। 🏛️
    • वैशाली: आम्रवाटिका, लिच्छवियों का समर्थन। 🌴
    • राजगृह: बिम्बिसार और अजातशत्रु का संरक्षण। 👑
    • कुशीनारा: महापरिनिर्वाण। 🪔
    • अवन्ति: महाकच्चायन के नेतृत्व में प्रचार। 🚶‍♂️

महापरिनिर्वाण:

  • मृत्यु: 483 ई.पू., 80 वर्ष की आयु में कुशीनारा (कुशीनगर, उत्तर प्रदेश) में। 💔
  • अंतिम वर्षा काल: वैशाली। 🌧️
  • अवशेष: आठ भागों में विभाजित:
    1. वैशाली के लिच्छवि।
    2. कपिलवस्तु के शाक्य।
    3. रामग्राम के कोलिय।
    4. वेट्ठदीप के ब्राह्मण।
    5. कुशीनारा के मल्ल।
    6. अलकप्पा के बुलीगण।
    7. पिप्लीवन के मौर्य।
    8. मगध का अजातशत्रु। 🪔
  • स्तूप: अवशेषों पर आठ स्तूपों का निर्माण। 🏛️

बौद्ध धर्म के सिद्धांत 📜

बौद्ध धर्म का आधार चार आर्य सत्य, प्रतीत्य समुत्पाद, और अष्टांगिक मार्ग हैं, जो दुखों से मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं। 😊

चार आर्य सत्य (चत्वारि आर्य सत्यानि):

  1. दुख: संसार दुखमय है। जन्म, जरा, रोग, मृत्यु, प्रिय का वियोग, अप्रिय का संयोग, इच्छित की अप्राप्ति। 😔
  2. दुख समुदाय: दुख का कारण तृष्णा (आसक्ति, राग) और अविद्या (अज्ञान)। 🔥
  3. दुख निरोध: तृष्णा का नाश दुख का अंत। 🕊️
  4. दुख निरोध का मार्ग: अष्टांगिक मार्ग (दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा)। 🛤️

प्रतीत्य समुत्पाद (कारण सिद्धांत):

  • सिद्धांत: प्रत्येक कार्य का कारण होता है, कोई भी घटना अकारण नहीं। 🌐
  • 12 तत्व (भवचक्र):
    1. अविद्या: अज्ञान, क्षणिक वस्तुओं को सुख मानना।
    2. संस्कार: कर्म के संस्कार।
    3. विज्ञान: चेतना।
    4. नामरूप: मन और शरीर।
    5. षडायतन: पाँच इंद्रियाँ और मन।
    6. स्पर्श: इंद्रिय-जन्य संपर्क।
    7. वेदना: अनुभूति।
    8. तृष्णा: इच्छा (रूप, शब्द, गंध, रस, स्पर्श)।
    9. उपादान: आसक्ति।
    10. भव: कर्म-जन्य अस्तित्व।
    11. जाति: जन्म।
    12. जरा-मरण: बुढ़ापा और मृत्यु। 🔄
  • मध्यम मार्ग: आस्तिकता (शाश्वतवाद: आत्मा-ब्रह्म नित्य) और नास्तिकता (उच्छेदवाद: नाश के बाद कुछ नहीं) के बीच। ⚖️
  • उद्देश्य: अविद्या का नाश कर तृष्णा और पुनर्जन्म के चक्र को तोड़ना। 🕉️

अष्टांगिक मार्ग:

तीन स्कंधों में विभाजित: प्रज्ञा, शील, समाधि। 🌟

  1. सम्यक दृष्टि: सत्य-असत्य का विवेक, नीर-क्षीर विवेक। 👁️
  2. सम्यक संकल्प: हिंसा, राग, और इच्छा से मुक्त संकल्प। 💭
  3. सम्यक वाक: सत्य, विनम्र, मृदु वाणी; मिथ्या, अप्रिय, वाचालता से बचाव। 🗣️
  4. सम्यक कर्म: अहिंसा, अस्तेय, इंद्रिय संयम। 🤝
  5. सम्यक आजीव: शुद्ध जीविकोपार्जन (भिक्षु और गृहस्थ के लिए भिन्न)। 💼
  6. सम्यक व्यायाम: पुराने बुरे भावों का नाश, नए शुभ विचारों का विकास। 💪
  7. सम्यक स्मृति: चार रूप:
    • कायानुपश्यना: शरीर की चेष्टा।
    • चित्तानुपश्यना: राग-द्वेष की पहचान।
    • वेदनानुपश्यना: सुख-दुख की सजगता।
    • धर्मानुपश्यना: शरीर, मन, वचन की समझ। 🧠
  8. सम्यक समाधि: चित्त की एकाग्रता, क्लेश और तृष्णा का नाश। 🧘‍♂️

प्रमुख सिद्धांत:

  • निर्वाण: तृष्णा का अंत, शांति और पूर्ण विशुद्धि की अवस्था। 🌌
    • हिरियन्ना: जीवित अवस्था में पूर्ण शांति, संकीर्ण रुचियों का अंत।
    • थॉमस: निर्वाण (जीवन में), परिनिर्वाण (मृत्यु के बाद)।
    • अर्हत: निर्वाण प्राप्त व्यक्ति, शोक-रहित, ग्रंथियों से मुक्त। 😇
  • अनात्मवाद: आत्मा की स्थायी सत्ता का निषेध, केवल चेतना स्वीकार। 🌫️
    • बुद्ध: आत्मा पर मौन, न आस्तिकता, न नास्तिकता।
    • हिरियन्ना: तरल आत्मा की स्वीकृति।
    • राधाकृष्णन: बुद्ध आत्मा में विश्वास करते थे, पर व्यक्त नहीं किया।
  • कर्म: कर्म-फल से सुख-दुख। तृष्णा के अभाव में कर्म नष्ट। ⚖️
    • मिलिंदपन्हो: कर्म के अनुसार दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन। 📜
    • निष्काम कर्म से अर्हत पद, कर्म-फल का नाश। 😇
  • पुनर्जन्म: चरित्र का पुनर्जन्म, आत्मा का नहीं। 🔄
    • हिरियन्ना: कर्म को अपौरुषेय नियम, तृष्णा पर विजय से मुक्ति।
  • अनीश्वरवाद: ईश्वर को सृष्टिकर्ता के रूप में अस्वीकार, पर राधाकृष्णन के अनुसार परम तत्व संभव। 🙅‍♂️
  • प्रयोजनवाद: केवल मानव कल्याण के लिए उपदेश। वेद, यज्ञ, और अप्रत्यक्ष तथ्यों का निषेध। 🌍
  • दस अकथनीय: लोक (नित्य/अनित्य), जीव (शरीर से एक/भिन्न), तथागत का मृत्यु के बाद अस्तित्व। ❓

पंचस्कंध:

  • व्यक्ति पाँच तत्वों से निर्मित:
    1. रूप: भौतिक शरीर।
    2. संज्ञा: धारणा।
    3. वेदना: अनुभूति।
    4. विज्ञान: चेतना।
    5. संस्कार: कर्म-जन्य प्रवृत्तियाँ। 🧠

बौद्ध संप्रदाय 🚩

हीनयान (थेरवाद):

  • विशेषताएँ:
    • व्यक्तिगत मुक्ति, बुद्ध शिक्षक (देवता नहीं)।
    • पाली भाषा, प्रतीकों (बोधि वृक्ष, चक्र, स्तूप) का उपयोग। 🌳
    • रूढ़िवादी, नौचार्याएँ और दस अनुशासन।
  • उपसंप्रदाय:
    • स्थविरवाद: परंपरागत, श्रीलंका।
    • सर्वास्तिवाद: दृश्य जगत क्षणिक, कश्मीर-मथुरा।
    • सौत्रांतिक: बाह्य जगत अनुमान, सूत्र आधारित।
    • समितीय: आत्मा की परिकल्पना।
  • प्रसार: श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस। 🌏

महायान:

  • विशेषताएँ:
    • बोधिसत्व, भक्ति, और बुद्धत्व की सार्वभौमिक संभावना।
    • संस्कृत साहित्य, बुद्ध की मूर्तियाँ। 🗿
    • आशावादी, सभी जीवों को निर्वाण।
  • बोधिसत्व:
    • अवलोकितेश्वर (पद्मपाणि): दया, अविची तक सहायता। 😇
    • मंजूश्री: बुद्धि, खड्ग और पुस्तक (10 पारमिताएँ: दान, शील, वीर्य, शांति, ध्यान, प्रज्ञा, उपकौशल, परमिद्यान, बल, ज्ञान)। 📖
    • वज्रपाणि: पाप का शत्रु, वज्र धारक। ⚡
    • क्षितिगर्भ: शुद्धि स्थानों का रक्षक।
    • मैत्रेय: भविष्य का बुद्ध। 🌟
    • सामंतभद्र, भैषज्यराज: अन्य बोधिसत्व।
  • दर्शन:
    • शून्यवाद (माध्यमिक): नागार्जुन, सापेक्षिकता, माध्यमिकारिका। 🌌
    • विज्ञानवाद (योगाचार): मैत्रयनाथ, असंग, वसुबंधु, लंकावतार सूत्र, संसार चेतना का स्वप्न। 🧠
    • दिगनाग: बौद्ध न्याय, प्रमाण समुच्चय, न्यायप्रवेश।
    • धर्मकीर्ति: भारत का “कॉण्ट”।
  • पाँच ध्यानी बुद्ध: वैरोचन, अक्षोभ्य, रत्नसंभव, अमिताभ (सुखावती), अमोघसिद्धि। प्रत्येक का बोधिसत्व और तारा (देवी)। 🌺
  • प्रसार: चीन, जापान, तिब्बत। 🌏

वज्रयान:

  • विशेषताएँ:
    • तंत्रवाद से प्रभावित, जादुई शक्ति (वज्र)।
    • पंचमकार: मांस, मदिरा, मैथुन, मत्स्य, मुद्रा। 🕉️
    • सर्वज्ञमित्र (8वीं सदी): तंत्रवाद को बौद्ध धर्म में शामिल किया।
  • देवता:
    • हेरूक: शिव का रौद्र रूप, शव पर खड़ा।
    • यमारी: यम, भैंसा वाहन।
    • जम्भल: कुबेर, पत्नी वसुंधरा।
    • देवियाँ: तारा, सरस्वती, अपराजिता, छिन्नमस्तिका, मातंगी, पिशाची, योगिनी, डाकिनी। 🌺
  • उपसंप्रदाय:
    • कालचक्रायन: 10वीं सदी, कालचक्र देवता।
    • सहजयान: बंगाल।
  • केंद्र: नालंदा, विक्रमशीला, सोमपुरी, जगदल। 🏛️
  • प्रसार: तिब्बत, जापान। 🌏

हीनयान और महायान में अंतर:

  • मुक्ति: हीनयान (स्वयं का प्रयास), महायान (बोधिसत्व की कृपा)। 🙏
  • बुद्ध: हीनयान (ऐतिहासिक शिक्षक), महायान (देवरूप, बोधिसत्व)। 🗿
  • दृष्टिकोण: हीनयान (दुखमय संसार), महायान (आशावादी, सभी को बुद्धत्व)। 🌞
  • साहित्य: हीनयान (पाली), महायान (संस्कृत, मिलिंदपन्हो अपवाद)। 📚
  • प्रतीक: हीनयान (बोधि वृक्ष, चक्र), महायान (मूर्तियाँ)। 🌳🗿

बौद्ध संगीतियाँ 🗳️

बौद्ध संगीतियाँ बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित और संरक्षित करने के लिए आयोजित की गईं। 😇

  1. प्रथम संगीति (483 ई.पू., राजगृह):
    • शासक: अजातशत्रु (मगध)। 👑
    • अध्यक्ष: महाकस्सप।
    • वाचक: उपालि (विनय पिटक), आनंद (सुत्त पिटक)।
    • उद्देश्य: बुद्ध की शिक्षाओं का संकलन। 📜
  2. द्वितीय संगीति (383 ई.पू., वैशाली):
    • शासक: कालाशोक (शिशुनाग वंश)। 👑
    • अध्यक्ष: यश/सर्वकामिनी।
    • विवाद: अनुशासन के 10 नियमों पर मतभेद।
    • परिणाम: बौद्ध धर्म का विभाजन:
      • महासंघिक: वैशाली और मगध के भिक्षु, उदार।
      • स्थविरवाद: अवन्ति के भिक्षु, रूढ़िवादी।
    • उपसंप्रदाय: महासंघिक (7 पंथ: लोकोत्तरवाद, कौरूकुल्लक, बहुश्रुतीय, प्रज्ञातिवाद, चैत्य-शैल, अवर-शैल, उत्तर-शैल), स्थविरवाद (11 पंथ, बाद में सर्वास्तिवाद/वैभाषिक)। ⚔️
  3. तृतीय संगीति (250 ई.पू., पाटलिपुत्र):
    • शासक: अशोक (मौर्य)। 👑
    • अध्यक्ष: मोग्गलिपुत्त तिस्स।
    • ग्रंथ: कथावत्थु (अभिधम्म पिटक), महासंघिक मतों का खंडन।
    • उद्देश्य: स्थविरवाद को बुद्ध के मूल सिद्धांत घोषित करना। 🧠
    • विवाद: प्रामाणिकता संदिग्ध, अशोक के अभिलेखों में उल्लेख नहीं। ❓
  4. चतुर्थ संगीति (100 ई., कुंडलवन, कश्मीर):
    • शासक: कनिष्क (कुषाण)। 👑
    • अध्यक्ष: वसुमित्र, उपाध्यक्ष अश्वघोष।
    • ग्रंथ: महाविभाष (कात्यायन पुत्र, 500 बोधिसत्वों की सहायता)।
    • परिणाम: हीनयान और महायान में स्पष्ट विभाजन। 🌟

बौद्ध साहित्य 📚

त्रिपिटक (पाली, हीनयान):

  • विनय पिटक: संघ के नियम।
    • भाग: सुतविभंग, खंदक, परिवार, परिवार पाठ। 🛠️
  • सुत्त पिटक: बुद्ध के उपदेश, पाँच निकाय:
    • दीर्घ निकाय: लंबे उपदेश।
    • मज्झिम निकाय: मध्यम उपदेश।
    • संयुक्त निकाय: संक्षिप्त घोषणाएँ।
    • अंगुत्तर निकाय: 2000+ कथन।
    • खुद्दक निकाय: धम्मपद (नैतिक उपदेश), सुत्तनिपात, थेरागाथा (भिक्षुओं की कविताएँ), थेरीगाथा (भिक्षुणियों की कविताएँ), जातक कथाएँ (बुद्ध के पूर्व जन्म)। 📖
  • अभिधम्म पिटक: दर्शन, प्रश्नोत्तर शैली, कथावत्थु। 🧠

आगमेतर साहित्य:

  • मिलिंदपन्हो: नागसेन और मेनांडर का संवाद। 🗣️
  • विशुद्धिमग्ग: बुद्धघोष, ध्यान और नैतिकता। 📜
  • दीपवंश, महावंश: श्रीलंका का इतिहास (4-5वीं सदी)। 🏝️
  • महावस्तु: लोकोत्तरवादियों का विनय पिटक, बुद्ध का जीवन। 🌟

महायान साहित्य:

  • वैपुल्य सूत्र:
    • ललितविस्तर: बुद्ध का जीवन।
    • सधर्मपुण्डरीक: महायान सिद्धांत।
    • लंकावतार सूत्र: विज्ञानवाद।
    • अष्टसहस्रिका प्रज्ञापारमिता: शून्यवाद।
    • सुवर्णप्रभास, गण्डव्यूह, तथागत गुणज्ञान, समाधिराज, दशभूमीश्वर। 📚
  • अवदान: दंतकथाएँ (अवदान शतक, दिव्यावदान, अवदान कल्पलता – क्षेमेंद्र)।
  • लेखक:
    • अश्वघोष: बुद्धचरित, सौंदरानंद, सूत्रालंकार, वज्रसूची, सारिपुत्र प्रकरण (नाटक, अधूरा)। ✍️
    • नागार्जुन: माध्यमिकारिका, सहस्रिका प्रज्ञापारमिता।
    • वसुबंधु: अभिधर्मकोष।
    • दिगनाग: प्रमाण समुच्चय, न्यायप्रवेश, आलंबन परीक्षा।
    • धर्मकीर्ति: बौद्ध न्याय। 🧠

बौद्ध धर्म का प्रसार 🌍

  • भारत:
    • नालंदा, विक्रमशीला: बौद्ध शिक्षा के केंद्र। 🏛️
    • सांची, भरहुत: स्तूप। 🪔
    • अजंता, एलोरा: गुफाएँ, मूर्तियाँ। 🖼️
    • अमरावती, नागार्जुनकोंड: महासंघिक केंद्र। 🌟
    • मथुरा, कौशांबी, कन्नौज, जूनागढ़, वल्लभी, धौला, जगदल, सोमपुरी। 🏛️
  • विदेश:
    • हीनयान: श्रीलंका (वत्तागामिनी के समय त्रिपिटक लिपिबद्ध), म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस। 🏝️
    • महायान: चीन, जापान, मध्य एशिया। 🌏
    • वज्रयान: तिब्बत, जापान। 🕉️
  • अशोक: बौद्ध धर्म का वैश्विक प्रसार, मिशनरियों को दक्षिण और पश्चिमी एशिया भेजा। 🚩
  • कनिष्क: महायान और बोधिसत्व अवधारणा, सिक्कों पर बुद्ध की आकृतियाँ। 🗿

प्रतीक और स्थान 🕉️

प्रतीक:

  • हीनयान:
    • बोधि वृक्ष और वज्रासन: ज्ञान प्राप्ति। 🌳
    • माला चढ़ा चक्र: धर्मचक्र प्रवर्तन। 🌀
    • चक्र: पदयात्रा। 🔄
    • स्तूप: महापरिनिर्वाण। 🪔
  • महायान: बुद्ध की मानव मूर्तियाँ। 🗿
  • चार पशु:
    • हाथी: गर्भ में आना। 🐘
    • सांड: यौवन। 🐂
    • घोड़ा: गृहत्याग। 🐎
    • शेर: समृद्धि। 🦁

अष्टमहास्थान:

  1. लुंबिनी: जन्म। 🌿
  2. बोधगया: बोध। 🌳
  3. सारनाथ: धर्मचक्र प्रवर्तन। 🌀
  4. कुशीनारा: महापरिनिर्वाण। 🪔
  5. श्रावस्ती: जेतवन, पूर्वाराम। 🏛️
  6. राजगृह: बिम्बिसार का संरक्षण। 👑
  7. वैशाली: आम्रवाटिका। 🌴
  8. सांकस्य: स्वर्ग से अवतरण। 🌌

बौद्ध संघ 🛕

  • सदस्यता: सभी जातियों के लिए खुला (15 वर्ष से अधिक), पर चोर, रोगी, दास, कर्जदार, राजसेवक वर्जित। 🚫
  • भिक्षुणी संघ: महाप्रजापति गौतमी पहली भिक्षुणी, भिक्षुओं से निम्न स्थान। 👩
  • नियम (दस शील):
    1. अहिंसा। 🕊️
    2. सत्य। 🗣️
    3. अस्तेय। 🤝
    4. ब्रह्मचर्य। 😇
    5. मादक द्रव्यों का त्याग। 🚭
    6. नृत्य-गान का त्याग। 🎶🚫
    7. सुगंधित द्रव्यों का त्याग। 🌸🚫
    8. समय पर भोजन। 🍽️
    9. कोमल शय्या का त्याग। 🛏️🚫
    10. धन संचय न करना। 💰🚫
  • उपसम्पदा: संघ में प्रवेश, गुरु के निर्देशन में दीक्षा। 📜
  • लोकतांत्रिक: शलाका पद्धति (गुप्त मतदान), सभा में उपस्थिति अनिवार्य। 🗳️
  • वस्सा: वर्षा में एक स्थान पर ठहरना (बेलवन, जेतवन)। 🌧️
  • उपोसथ: 15वें दिन पतिमुख (अपराध स्वीकार)। 🙏
  • पवारणा: वस्सा के अंत में गलतियों की जाँच। 🔍
  • दंड: नियमों की अवज्ञा पर परिषद द्वारा दंड। ⚖️

सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि 🤝

  • जाति विरोध: कर्म से व्यक्ति की महानता, पर चांडाल-निषाद अस्पृश्य। ⚖️
  • राजशासन: बिना दंड-शस्त्र, शांति और आर्थिक विकास पर जोर। 🕊️
  • आर्थिक विकास: राजा का दायित्व, गणराज्यों से प्रेरित। 👑
  • महिलाएँ: भिक्षुणी संघ में प्रवेश, पर निम्न स्थान। 👩
  • सामाजिक समानता: सभी वर्णों के लिए मुक्ति का मार्ग, पर जाति व्यवस्था के खिलाफ कड़ा संघर्ष नहीं। 🌍

निष्कर्ष 🌟

बौद्ध धर्म ने मानव जीवन को दुखों से मुक्ति का मार्ग दिखाया, जो चार आर्य सत्य, प्रतीत्य समुत्पाद, और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित है। हीनयान, महायान, और वज्रयान ने इसे वैविध्य प्रदान किया। बौद्ध संगीतियों (अजातशत्रु, कालाशोक, अशोक, कनिष्क के समय) ने शिक्षाओं को संरक्षित किया। त्रिपिटक और महायान साहित्य ने बौद्ध दर्शन को समृद्ध किया। बुद्ध की शिक्षाएँ अहिंसा, करुणा, और शांति का संदेश देती हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। 🌍🙏

भाई, अब तो पूरा डिटेल दे दिया, राजाओं के नाम भी डाल दिए! 😎 इमोजी भी ठीक-ठाक डाले हैं, बोलो कैसा लगा? 😄

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