भारत का अपवाह तंत्र 2025: हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों का विस्तृत विश्लेषण 🌊

By: LM GYAN

On: 5 September 2025

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भारत का अपवाह तंत्र

भारत का अपवाह तंत्र 🌊 गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, और प्रायद्वीपीय नदियों का अनूठा संगम है। जानें जलग्रहण क्षेत्र, नदी द्रोणियाँ, और उनके आर्थिक महत्व के बारे में।


Table of Contents

परिचय: भारत का अपवाह तंत्र क्या है? 🌍

निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह को अपवाह कहते हैं। इन वाहिकाओं के जाल को भारत का अपवाह तंत्र कहा जाता है। 🚰 यह तंत्र किसी क्षेत्र की भूवैज्ञानिक समयावधि, चट्टानों की प्रकृति व संरचना, स्थलाकृति, ढाल, बहते जल की मात्रा, और बहाव की अवधि का परिणाम है।

  • नदी की भूमिका: नदी अपने क्षेत्र का जल ढाल के अनुरूप बहाकर ले जाती है और अंत में किसी झील, खाड़ी, या समुद्र में मिल जाती है। 🌊
  • जलग्रहण क्षेत्र (Catchment Area): वह क्षेत्र जहाँ से नदी जल ग्रहण करती है। 🗺️
  • अपवाह द्रोणी: एक नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र।
  • जल-संभर (Watershed): एक अपवाह द्रोणी को दूसरी से अलग करने वाली सीमा।
  • नदी द्रोणी बनाम जल-संभर:
    • बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं।
    • छोटी नदियों और नालों के क्षेत्र को जल-संभर कहते हैं। नदी द्रोणी का आकार बड़ा, जबकि जल-संभर छोटा होता है।

भारत का अपवाह तंत्र देश की प्राकृतिक और आर्थिक संपदा का आधार है। आइए इसके वर्गीकरण और विशेषताओं को विस्तार से जानें! 🚀


भारत का अपवाह तंत्र का वर्गीकरण 📊

भारत का अपवाह तंत्र को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। 🌄

समुद्र में जल विसर्जन के आधार पर भारत का अपवाह तंत्र 🌊

  • अरब सागर का अपवाह तंत्र:
    • कुल अपवाह क्षेत्र का 23%
    • प्रमुख नदियाँ: सिंधु, नर्मदा, तापी, माही, पेरियार। 🌊
  • बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र:
    • कुल अपवाह क्षेत्र का 77%
    • प्रमुख नदियाँ: गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, कृष्णा आदि। 🌊
  • अलगाव: ये अपवाह तंत्र दिल्ली कटक, अरावली, और सह्याद्रि द्वारा विलग किए गए हैं।

जल-संभर क्षेत्र के आकार के आधार पर 📏

  • प्रमुख नदी द्रोणी: अपवाह क्षेत्र 20,000 वर्ग किमी से अधिक
    • उदाहरण: गंगा, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, तापी, नर्मदा, माही, पेन्नार, साबरमती, बराक आदि (कुल 14 नदी द्रोणियाँ)। 🌄
  • मध्यम नदी द्रोणी: अपवाह क्षेत्र 2,000 से 20,000 वर्ग किमी
    • उदाहरण: कालिंदी, पेरियार, मेघना आदि (कुल 44 नदी द्रोणियाँ)। 🌊
  • लघु नदी द्रोणी: अपवाह क्षेत्र 2,000 वर्ग किमी से कम

हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों की तुलना 📝

हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियाँ अपनी उत्पत्ति, प्रवाह, और प्रकृति में भिन्न हैं। नीचे तुलनात्मक तालिका दी गई है:

क्र.सं.पक्षहिमालयी नदी 🌊प्रायद्वीपीय नदी 🌋
1.उद्गमहिमनदों से ढके हिमालय पर्वत 🏔️प्रायद्वीपीय पठार व मध्य उच्चभूमि 🌄
2.प्रवाह प्रवृत्तिबारहमासी (हिमनद व वर्षा से जल) 💧मौसमी (मानसून वर्षा पर निर्भर) 🌧️
3.अपवाह के प्रकारपूर्ववती व अनुवर्ती; मैदानी भाग में वृक्षाकार प्रारूप 🗺️अध्यारोपित, पुनर्युवनित; अरीय व आयताकार प्रारूप 📏
4.नदी की प्रकृतिलंबा मार्ग, उबड़-खाबड़ पर्वतों से गुजरती, अभिशीर्ष अपरदन, मैदानों में विसर्प 🌊सुसमायोजित घाटियों के साथ छोटे, निश्चित मार्ग 🛤️
5.जलग्रहण क्षेत्रबहुत बड़ी द्रोणी 🌍अपेक्षाकृत छोटी द्रोणी 📍
6.नदी की आयुयुवा, क्रियाशील, घाटियों को गहरा करती हुई ⏳प्रौढ़, आधार तल तक पहुँची हुई 🕰️

भारत का अपवाह तंत्र: एक अवलोकन 🌟

भारतीय अपवाह तंत्र में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ शामिल हैं, जो तीन प्रमुख भू-आकृतिक इकाइयों (हिमालय, प्रायद्वीप, और मैदानी क्षेत्र) की उद्-विकास प्रक्रिया और वर्षण की प्रकृति के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई हैं। 🌄

हिमालयी अपवाह तंत्र 🏔️

  • विकास: भूगर्भिक इतिहास के लंबे दौर में विकसित।
  • प्रमुख नदियाँ: सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र
  • विशेषताएँ:
    • बारहमासी: हिमनद और वर्षा से जल प्राप्ति। 💧
    • महाखड्ड (Gorges): हिमालय के उत्थान के साथ अपरदन द्वारा निर्मित।
    • V-आकार की घाटियाँ: पर्वतीय मार्ग में क्षिप्रिकाएँ और जलप्रपात। 🌊
    • मैदानी क्षेत्र: निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियाँ जैसे समतल घाटियाँ, गोखुर झीलें, बाढ़कृत मैदान, गुंफित वाहिकाएँ, और डेल्टा
    • मार्ग परिवर्तन: टेढ़ा-मेढ़ा मार्ग, मैदानों में सर्पाकार बहाव। उदाहरण: कोसी नदी (बिहार का शोक)। 😓
    • अवसाद: पर्वतों से भारी अवसाद लाकर मैदानों में जमा करती हैं, जिससे मार्ग अवरुद्ध होकर बाढ़ उत्पन्न होती है। 🌪️

विशाल नदी द्रोणियाँ: हिमालयी नदियाँ 🌊

हिमालय की नदियाँ तीन मुख्य तंत्रों में विभाजित हैं: सिंधु, गंगा, और ब्रह्मपुत्र

1. सिंधु नदी तंत्र 🌊

  • क्षेत्रफल: 11,65,000 वर्ग किमी (भारत में 3,21,289 वर्ग किमी)।
  • लंबाई: 2,880 किमी (भारत में 1,114 किमी)।
  • उद्गम: तिब्बत में बोखर चू हिमनद (कैलाश पर्वत, 4,164 मीटर)। 🏔️
  • नाम: तिब्बत में सिंगी खंबान (शेर मुख)।
  • प्रवाह:
    • जम्मू-कश्मीर में विशाल गॉर्ज बनाती है।
    • लद्दाख, जास्कर, और बलूचिस्तान से गुजरती है।
    • पाकिस्तान में अरब सागर में मिलती है।
  • सहायक नदियाँ:
    • पंचनद: सतलज, झेलम, चेनाब, रावी, व्यास
    • अन्य: शयोक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुबरा, शिगार, गास्टिंग, द्रास, कुर्रम, तोचो, झोब-गोमल
  • सिंधु जल समझौता: भारत 20% जल उपयोग कर सकता है। ⚖️

प्रमुख सहायक नदियाँ

  • झेलम नदी 🌊
    • उद्गम: कश्मीर घाटी में वेरीनाग झरना (पीर पंजाल)।
    • विशेषताएँ: वूलर झील (भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की गोखुर झील) का निर्माण।
    • प्रवाह: श्रीनगर, वूलर झील, और पाकिस्तान में चेनाब में मिलती है।
    • परियोजनाएँ: उरी, तुलबुल (जम्मू-कश्मीर)।
  • रावी नदी 🌊
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रा
    • प्रवाह: चंबा घाटी, पीर पंजाल, धौलाधर; पाकिस्तान में चेनाब में मिलती है।
    • शहर: जम्मू, लाहौर।
  • चेनाब नदी 🌊
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश में बारालाचला दर्रा
    • नाम: हिमाचल में चन्द्रभागा (चन्द्र और भागा का संगम)।
    • लंबाई: 1,180 किमी।
    • परियोजनाएँ: दुलहस्ती, सलाल, बगलीहार (जम्मू-कश्मीर)।
  • व्यास नदी 🌊
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश में व्यास कुण्ड (रोहतांग दर्रा, 4,000 मीटर)।
    • प्रवाह: कुल्लू घाटी, धौलाधर, पंजाब में सतलज में मिलती है।
    • परियोजना: पोंग बाँध (महाराणा प्रताप सागर)।
  • सतलज नदी 🌊
    • उद्गम: तिब्बत में राक्षस ताल (4,555 मीटर)।
    • नाम: तिब्बत में लॉगचेन खंबाब
    • प्रवाह: शिपकी ला दर्रे से भारत में प्रवेश, हिमाचल, पंजाब, पाकिस्तान।
    • परियोजना: भाखड़ा-नांगल (गोविन्द सागर)।

सिंधु नदी तंत्र की परियोजनाएँ ⚡️

  • बगलीहार, सलाल, दुलहस्ती: चेनाब नदी, जम्मू-कश्मीर।
  • तुलबुल, उरी: झेलम नदी, जम्मू-कश्मीर।
  • निम्मो बाजगो: सिंधु नदी, जम्मू-कश्मीर।
  • नाथपा-झाकरी: सतलज नदी, हिमाचल प्रदेश।
  • पोंग, चमेरा: व्यास, रावी नदी, हिमाचल प्रदेश।
  • इंदिरा गांधी नहर: व्यास, सतलज, राजस्थान-पंजाब-हरियाणा।

2. गंगा नदी तंत्र 🌊

  • क्षेत्रफल: 10.63 लाख वर्ग किमी (भारत में 8.6 लाख वर्ग किमी)।
  • लंबाई: 2,525 किमी (उत्तर प्रदेश: 1,450 किमी, बिहार: 445 किमी, पश्चिम बंगाल: 520 किमी)।
  • उद्गम: उत्तराखंड में गंगोत्री हिमनद (गोमुख, 3,900 मीटर)।
  • नाम: उद्गम पर भागीरथी, देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा
  • प्रवाह:
    • हरिद्वार में मैदान में प्रवेश।
    • दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, फिर पूर्व की ओर।
    • बांग्लादेश में पद्मा, फिर मेघना बनकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  • सहायक नदियाँ:
    • बाएँ तट: रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा।
    • दाएँ तट: यमुना, सोन, पुनपुन, टोंस।
  • शहर: ऋषिकेश, हरिद्वार, कन्नौज, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, बक्सर, छपरा, पटना, भागलपुर, मुर्शिदाबाद, फरक्का, कोलकाता (हुगली), ढाका (पद्मा)।

प्रमुख सहायक नदियाँ

  • यमुना नदी 🌊
    • उद्गम: उत्तराखंड में यमुनोत्री हिमनद (बंदर पूँछ)।
    • प्रवाह: हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश; प्रयागराज में गंगा से संगम।
    • शहर: दिल्ली, मथुरा, आगरा।
    • सहायक नदियाँ:
      • बाएँ तट: टोंस, हिंडन, रिंद, सेंगर, वरुणा।
      • दाएँ तट: चम्बल, सिंध, बेतवा, केन।
  • चम्बल नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में जनापाव पहाड़ियाँ (विंध्य पर्वत)।
    • प्रवाह: कोटा, बूँदी, सवाई माधोपुर, धौलपुर; इटावा में यमुना में मिलती है।
    • विशेषताएँ: बीहड़ (उत्खात भूमि) और अवनालिका अपरदन
    • सहायक नदियाँ: क्षिप्रा, पार्वती, कालीसिंध, बनास।
  • रामगंगा नदी 🌊
    • उद्गम: उत्तराखंड में नैनीताल (गैरसेन)।
    • प्रवाह: शिवालिक, नजीबाबाद, कन्नौज में गंगा में मिलती है।
    • विशेषताएँ: जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान इसके तट पर। 🐅
  • गोमती नदी 🌊
    • उद्गम: उत्तर प्रदेश में फुल्हर झील (पीलीभीत)।
    • प्रवाह: लखनऊ, सुल्तानपुर, गाजीपुर में गंगा में मिलती है।
  • घाघरा नदी 🌊
    • उद्गम: नेपाल में मापचाचुंगो हिमनद
    • प्रवाह: शारदा नदी से मिलकर छपरा (बिहार) में गंगा में मिलती है।
    • सहायक नदियाँ: काली/शारदा, ताप्ती, सरयू।
  • गंडक नदी 🌊
    • उद्गम: नेपाल में कालीगंगा और त्रिशूल गंगा
    • नाम: नेपाल में नारायणी
    • प्रवाह: चंपारन, सोनपुर (बिहार) में गंगा में मिलती है।
  • कोसी नदी 🌊
    • उद्गम: नेपाल में गोसाई धाम पर्वत (माउंट एवरेस्ट के उत्तर)।
    • नाम: नेपाल में सप्तकोसी
    • विशेषताएँ: बिहार का शोक, मार्ग परिवर्तन के लिए कुख्यात। 😓
    • कारण: हिमालय के तीव्र ढालों से अवसाद लाकर मैदानों में जमा करती है, जिससे बाढ़।
    • प्रवाह: कुरुसेला (बिहार) में गंगा में मिलती है।
  • दामोदर नदी 🌊
    • उद्गम: छोटा नागपुर पठार।
    • प्रवाह: भ्रंश घाटी से होकर हुगली में मिलती है।
    • परियोजना: दामोदर घाटी परियोजना (टेनेसी मॉडल)।
  • महानंदा नदी 🌊
    • उद्गम: दार्जिलिंग हिमालय।
    • प्रवाह: फरक्का (पश्चिम बंगाल) में गंगा में मिलती है।
  • सिंध नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में मालवा पठार (विदिशा)।
    • प्रवाह: उत्तर प्रदेश (जालौन) में यमुना में मिलती है।
  • बेतवा नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्याचल
    • प्रवाह: मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश सीमा, हमीरपुर में यमुना में मिलती है。
    • परियोजना: माता टीला बाँध।
  • केन नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में कैमुर पहाड़ियाँ
    • प्रवाह: बांदा (उत्तर प्रदेश) में यमुना में मिलती है।
  • हिण्डन नदी 🌊
    • प्रवाह: गाजियाबाद में यमुना में मिलती है।
  • तमसा/टोंस नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में विंध्याचल
    • प्रवाह: इलाहाबाद (सिरसा) में गंगा में मिलती है।
  • कर्मनाशा नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में त्रिशंकु पहाड़ियाँ
    • प्रवाह: चौसा (बिहार) में गंगा में मिलती है।
  • सोन नदी 🌊
    • उद्गम: मध्य प्रदेश में अमरकंटक
    • विशेषताएँ: स्वर्ण कण (प्लेसर भण्डार)।
    • प्रवाह: दानापुर (बिहार) में गंगा में मिलती है。
    • परियोजना: बाण सागर।
  • रिहन्द नदी 🌊
    • उद्गम: सोन नदी की सहायक।
    • परियोजना: रिहन्द बाँध (गोविन्द वल्लभ पंत सागर, भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील)।
  • पुनपुन नदी 🌊
    • उद्गम: झारखंड (पलामू)।
    • प्रवाह: गया (बिहार) में गंगा में मिलती है।

गंगा नदी तंत्र की परियोजनाएँ ⚡️

  • टिहरी: उत्तराखंड, भागीरथी (भारत का सबसे ऊँचा बाँध)।
  • रामगंगा: उत्तराखंड, रामगंगा (कालागढ़ बाँध)।
  • गंडक: बिहार-उत्तर प्रदेश-नेपाल, गंडक।
  • कोसी: बिहार-नेपाल, कोसी (बाढ़ नियंत्रण)।
  • रिहन्द: उत्तर प्रदेश, रिहन्द।
  • बाण सागर: मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश-बिहार, सोन।
  • माता टीला: मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश, बेतवा।
  • चम्बल: राजस्थान-मध्य प्रदेश, चम्बल (गाँधी सागर, राणा प्रताप सागर)।
  • दामोदर घाटी: झारखंड-पश्चिम बंगाल, दामोदर।

3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र 🌊

  • लंबाई: 2,900 किमी।
  • उद्गम: तिब्बत में चेमायुंगडुंग हिमनद (कैलाश पर्वत)।
  • नाम:
    • तिब्बत में सांग्पो (शोधक)।
    • हिमालय में दिहांग
    • असम में ब्रह्मपुत्र
    • बांग्लादेश में जमुना, फिर मेघना
  • प्रवाह:
    • तिब्बत में 1,200 किमी पूर्व की ओर।
    • अरुणाचल में सादिया से प्रवेश।
    • बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  • सहायक नदियाँ:
    • बाएँ तट: बूढ़ी दिहिंग, धनसरी, दिबांग, लोहित।
    • दाएँ तट: सुबनसिरी, कामेग, मानस, संकोश, तिस्ता, रागोंसांग्पो।
  • विशेषताएँ: माजुली द्वीप (एशिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप)। 🏝️

प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ 🌋

प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी हैं और मानसून वर्षा पर निर्भर करती हैं। 🌧️

विशेषताएँ 🌊

  • जल-विभाजक: पश्चिमी घाट
  • प्रकृति: सुसमायोजित घाटियाँ, आधार तल तक पहुँची हुई।
  • मार्ग: सीधा और रैखिक, विसर्पण केवल डेल्टा क्षेत्र में।
  • नौकायन: डेल्टा क्षेत्र को छोड़कर नौकायन के लिए अनुपयुक्त।

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ 🌊

  • महानदी:
    • उद्गम: छत्तीसगढ़ (सिहावा, रायपुर)।
    • लंबाई: 850 किमी।
    • क्षेत्रफल: 1.42 लाख वर्ग किमी।
    • सहायक नदियाँ: शिवनाथ, हंसदेव, मांड, जोंक, उग, तेल।
    • परियोजना: हीराकुण्ड (विश्व का सबसे लंबा बाँध)।
  • गोदावरी नदी:
    • उद्गम: महाराष्ट्र (नासिक)।
    • लंबाई: 1,465 किमी।
    • नाम: दक्षिण की गंगा, वृद्धगंगा
    • क्षेत्रफल: 3,12,812 वर्ग किमी।
    • सहायक नदियाँ: प्राणहिता, पेनगंगा, वर्धा, वेनगंगा, इन्द्रावती, मंजरा, साबरी।
  • कृष्णा नदी:
    • उद्गम: महाराष्ट्र (महाबलेश्वर)।
    • लंबाई: 1,400 किमी।
    • क्षेत्रफल: 2,58,948 वर्ग किमी।
    • सहायक नदियाँ: कोयना, घाटप्रभा, मालाप्रभा, भीमा, तुंगभद्रा, मूसी, मुनेरु।
    • परियोजनाएँ: अलमाटी, नागार्जुन सागर, श्री सैलम।
  • कावेरी नदी:
    • उद्गम: कर्नाटक (ब्रह्मगिरी पहाड़ियाँ)।
    • लंबाई: 800 किमी।
    • नाम: दक्षिण की गंगा
    • सहायक नदियाँ: हेमावती, लाकेपावनी, शिमसा, अर्कावती, लक्ष्मण-तीर्थ, काबीनी, सुवर्णवती, भवानी, अमरावती।
    • विशेषताएँ: शिवसमुद्रम जलप्रपात, कावेरी जल विवाद।

अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ 🌊

  • झेलम नदी:
    • उद्गम: कश्मीर में वेरीनाग झरना
    • प्रवाह: चेनाब में मिलती है।
  • चेनाब नदी:
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश (बारालाचला दर्रा)।
    • लंबाई: 1,180 किमी।
    • परियोजनाएँ: सलाल, दुलहस्ती, बगलीहार।
  • रावी नदी:
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश (रोहतांग दर्रा)।
    • लंबाई: 725 किमी।
    • प्रवाह: गुरुदासपुर, अमृतसर, लाहौर।
  • व्यास नदी:
    • उद्गम: हिमाचल प्रदेश (व्यास कुण्ड)।
    • लंबाई: 465 किमी।
    • प्रवाह: सतलज में मिलती है।
  • सतलज नदी:
    • उद्गम: तिब्बत (राक्षस ताल)।
    • लंबाई: 1,050 किमी।
    • परियोजना: भाखड़ा-नांगल।
  • लूणी नदी:
    • उद्गम: राजस्थान (नाग पहाड़ी, अजमेर)।
    • लंबाई: 495 किमी।
    • विशेषताएँ: आधी-खारी, आधी-मीठी; कच्छ के रण में विलुप्त।
    • सहायक नदियाँ: बाण्डी, सुकड़ी, जवाई, जोजड़ी, मिठड़ी, खारी, सागी।
  • पश्चिम बनास नदी:
    • उद्गम: अरावली (नया सानवरा, सिरोही)।
    • प्रवाह: कच्छ के रण में विलुप्त।
    • शहर: डीसा।
  • साबरमती नदी:
    • उद्गम: अरावली (उदयपुर)।
    • प्रवाह: खंभात की खाड़ी।
    • शहर: अहमदाबाद।
  • माही नदी:
    • उद्गम: मध्य प्रदेश (विंध्याचल)।
    • विशेषताएँ: कर्क रेखा को दो बार काटती है।
    • परियोजना: माही बजाज सागर।
  • नर्मदा नदी:
    • उद्गम: मध्य प्रदेश (अमरकंटक)।
    • लंबाई: 1,312 किमी।
    • विशेषताएँ: धुआँधार प्रपात, एश्चुअरी।
    • परियोजनाएँ: नर्मदा सागर, सरदार सरोवर।
  • ताप्ती नदी:
    • उद्गम: मध्य प्रदेश (बैतूल)।
    • लंबाई: 724 किमी।
    • सहायक नदियाँ: पूर्णा, बेघर, गिरना, बोरी, पंझरा, मनेर।
    • शहर: सूरत।
  • शरावती नदी:
    • उद्गम: कर्नाटक (शिमोगा)।
    • विशेषताएँ: जोग जलप्रपात।
  • पेरियार नदी:
    • उद्गम: पश्चिमी घाट (अन्नामलाई)।
    • विशेषताएँ: केरल की जीवनरेखा
    • परियोजना: इडुक्की।

प्रायद्वीपीय नदी घाटी परियोजनाएँ ⚡️

  • नर्मदा घाटी: मध्य प्रदेश, गुजरात (नर्मदा सागर, सरदार सरोवर)।
  • उकाई, काकरापार: गुजरात, तापी।
  • माही योजना: मध्य प्रदेश, माही (जमनालाल बजाज सागर)।
  • शरावती: कर्नाटक, शरावती (जोग जलप्रपात)।
  • इडुक्की: केरल, पेरियार।
  • हीराकुण्ड: ओडिशा, महानदी।
  • नागार्जुन सागर: तेलंगाना-आंध्र प्रदेश, कृष्णा।
  • शिवसमुद्रम: कर्नाटक, कावेरी (भारत की सबसे पुरानी जलविद्युत परियोजना)।

दक्षिण भारत के प्रमुख जलप्रपात 🌊

  • महात्मा गांधी (जोग): कर्नाटक, शरावती।
  • हुंडरू: झारखंड, स्वर्णरेखा।
  • चित्रकुट: छत्तीसगढ़, इन्द्रावती।
  • दूधसागर: गोवा-कर्नाटक, मांडवी।
  • कुंचीकल: कर्नाटक, वाराही।

हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों में अंतर 📝

क्र.सं.हिमालयी नदियाँ 🏔️प्रायद्वीपीय नदियाँ 🌋
1.हिमनद और वर्षा से जल, सदावाहिनी 💧केवल वर्षा से जल, मौसमी 🌧️
2.नवीन वलित पर्वत, युवावस्थाप्रायद्वीपीय पठार, वृद्धावस्था 🕰️
3.बड़ा बेसिन, कम नदियाँ 🌍छोटा बेसिन, अधिक नदियाँ 📍
4.V-आकार घाटियाँ, गॉर्ज, जलप्रपात 🌊चौड़ी घाटियाँ 🛤️
5.उच्च जलविद्युत क्षमता, अपूर्ण उपयोग ⚡️कम जलविद्युत क्षमता, पूर्ण उपयोग 🔌
6.हिमालय और सहायक नदियाँ 🏔️प्रायद्वीप और सहायक नदियाँ 🌄
7.मैदानों में विसर्पण 🌊डेल्टा क्षेत्र में विसर्पण 📏
8.अधिक अवसाद, वृहद मैदान 🌍कम अवसाद, सीमित मैदान 📍
9.नौकायन के लिए उपयुक्त 🚤डेल्टा क्षेत्र में ही नौकायन 🚣
10.पूर्ववती और अनुवर्ती नदियाँ 🗺️केवल अनुवर्ती नदियाँ 📏

निष्कर्ष: भारत के अपवाह तंत्र का महत्व 🌟

भारत का अपवाह तंत्र देश की प्राकृतिक और आर्थिक समृद्धि का आधार है। 🌍 हिमालयी नदियाँ जैसे गंगा, सिंधु, और ब्रह्मपुत्र बारहमासी जल प्रदान करती हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ जैसे गोदावरी, कृष्णा, और कावेरी मानसून पर निर्भर हैं। 🌧️ ये नदियाँ कृषि, जलविद्युत, और उद्योगों को समृद्ध करती हैं। 💪

इस तंत्र की विविधता, बाढ़, और मार्ग परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ इसे और भी रोचक बनाती हैं। आइए, इस प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करें। 💧 क्या आप भारत के अपवाह तंत्र के किसी पहलू के बारे में और जानना चाहेंगे? अपनी राय कमेंट करें! 💬

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