भारत के ऊर्जा संसाधन ⚡️: कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जलविद्युत, परमाणु, सौर, पवन, और ज्वारीय ऊर्जा। राज्यवार परियोजनाएँ, तेल शोधन शालाएँ, और 2025 के रुझान। 🚀
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परिचय: ऊर्जा संसाधनों का महत्व 🌟
ऊर्जा (शक्ति) संसाधन किसी भी देश के सर्वांगीण विकास में महत्त्वपूर्ण हैं। ये औद्योगिक विकास और आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार हैं। भारत जैसे तेजी से विकासशील देश में, ऊर्जा संसाधन उद्योग, परिवहन, कृषि, और घरेलू उपयोग के लिए जरूरी हैं। आधुनिक औद्योगिक युग में, शक्ति के साधन किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का मूल हैं।
ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में बाँटा गया है:
- परंपरागत ऊर्जा स्रोत: प्राचीन काल से उपयोग, अनवीकरणीय, प्रदूषणकारी। उदाहरण: कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जलविद्युत, परमाणु।
- गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत: हाल के दशकों में विकसित, नवीकरणीय, प्रदूषण-मुक्त। उदाहरण: सौर, पवन, ज्वारीय, भूतापीय, जैविक।
इस लेख में, हम आपके द्वारा दिए गए सामग्री के आधार पर राज्यवार जलविद्युत परियोजनाएँ, सभी तेल शोधन शालाएँ, और परमाणु विद्युत गृह की पूरी जानकारी देंगे, साथ ही अन्य ऊर्जा संसाधनों का भी विस्तृत विवरण देंगे। 🗺️
भारत के ऊर्जा संसाधनों का वर्गीकरण 🔍
1. परंपरागत ऊर्जा स्रोत
- विशेषताएँ: प्राचीन काल से उपयोग, अनवीकरणीय, प्रदूषणकारी।
- उदाहरण: कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जलविद्युत, परमाणु।
2. गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत
- विशेषताएँ: हाल के दशकों में विकसित, नवीकरणीय, प्रदूषण-मुक्त।
- उदाहरण: सौर, पवन, ज्वारीय, भूतापीय, जैविक।
परंपरागत ऊर्जा स्रोत 🏭
1. कोयला (Coal)
कोयला भारत का सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत है, जो 60% ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरी करता है। इसे उद्योगों की जननी, काला सोना, और शक्ति का प्रतीक कहा जाता है, क्योंकि यह ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति का आधार था। भारत कोयला उत्पादन में विश्व में तीसरे स्थान पर है (चीन और अमेरिका के बाद)।
कोयले के भंडार और प्रकार
- संचित भंडार:
- 96% गोंडवाना संरचना (कार्बोनीफेरस और पर्मियन काल)।
- 4% टर्शियरी काल।
- प्रमुख क्षेत्र:
- गोंडवाना कोयला क्षेत्र: दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी, पेंच, वर्धा घाटियाँ।
- टर्शियरी कोयला क्षेत्र: मेघालय (चेरापूंजी, लेतरिंग्यू, माआलौंग, लांगरिन), ऊपरी असम (माकुम, जयपुर, नजीरा), अरुणाचल प्रदेश (नामचिक, नामरूक, डिंगराक), जम्मू-कश्मीर (कालाकोट)।
कोयले के प्रकार
| प्रकार | कार्बन मात्रा | विशेषताएँ | क्षेत्र |
|---|---|---|---|
| एन्थ्रेसाइट | 80-95% | सर्वोत्तम, धुआँ-मुक्त, उच्च ऊष्मा, कोक बनाने के लिए उपयोगी | रियासी (जम्मू-कश्मीर) |
| बिटुमिनस | 60-80% | मध्यम श्रेणी, भारत में सर्वाधिक | झरिया, बोकारो (झारखंड), रानीगंज, डाल्टनगंज (पश्चिम बंगाल), तलचेर (ओडिशा) |
| लिग्नाइट | 40-60% | भूरा, निम्न श्रेणी, ताप विद्युत के लिए उपयोगी | नेवेली (तमिलनाडु), पलाना, रानेरी (राजस्थान), लखीमपुर (असम), दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) |
| पीट | <40% | जैविक, अत्यधिक धुआँ, कम ऊष्मा | ब्रह्मपुत्र घाटी |
प्रमुख कोयला क्षेत्र
- दामोदर घाटी:
- सर्वाधिक भंडार और उत्पादन।
- क्षेत्र: झारखंड (धनबाद, हजारीबाग), पश्चिम बंगाल (वर्द्धमान, पुरूलिया, बांकुड़ा)।
- प्रमुख खानें: झरिया (कुकिंग कोयला), चन्द्रपुरा, बोकारो, गिरीडीह, उत्तरी और दक्षिणी कर्णपुरा, रामगढ़।
- सोन घाटी:
- क्षेत्र: मध्य प्रदेश (सिंगरौली, सोहागपुर, उमरिया, तातापानी, रामकोला), उत्तर प्रदेश।
- महानदी घाटी:
- क्षेत्र: छत्तीसगढ़ (कोरबा, विश्रामपुर, झिलमिली, चिरमिरी), ओडिशा (तालचेर, ब्राह्मणी नदी घाटी)।
- गोदावरी घाटी:
- क्षेत्र: तेलंगाना (आदिलाबाद, करीमनगर, खम्मम, वारंगल, सिंगरेनी, तंदूर, सस्ती), आंध्र प्रदेश।
- भंडार: देश का ~7.5%।
- सतपुड़ा कोयला क्षेत्र:
- क्षेत्र: मध्य प्रदेश (मोहपानी, पाथरखेड़ा)।
- वर्धा घाटी:
- क्षेत्र: महाराष्ट्र (बल्लारपुर, नागपुर, यवतमाल, चन्द्रपुर)।
- भंडार: ~3%, हल्की किस्म, चूरे के रूप में।
- राजमहल:
- प्रमुख खान: ललमटिया (फरक्का और कहलगाँव ताप विद्युत गृहों को आपूर्ति)।
- कान्हन और पेंच घाटी:
- क्षेत्र: दक्षिणी मध्य प्रदेश।
- भंडार: 7 करोड़ टन।
लिग्नाइट कोयला क्षेत्र
- तमिलनाडु: नेवेली (दक्षिणी अर्काट, नेवेली लिग्नाइट निगम)।
- राजस्थान: पलाना (बीकानेर)।
- अन्य: गुजरात (उमरसर), असम (लखीमपुर), जम्मू-कश्मीर (करेवा), पुडुचेरी, कच्छ, जम्मू-कश्मीर (पूँछ, रियासी, उधमपुर), उत्तर प्रदेश (तराई क्षेत्र)।
उत्पादन तकनीक
- 80% कोयला: यंत्रीकृत खुली खदान (Open Cast Mining)।
- प्रमुख खानें: ललमटिया, सिंगरेनी।
2. खनिज तेल और प्राकृतिक गैस 🛢️
खनिज तेल
खनिज तेल टर्शियरी युग की समुद्री परतदार चट्टानों में पाया जाता है। भारत में कुल अनुमानित भंडार 400 करोड़ टन है, जिसमें से केवल एक-चौथाई निकाला जा सकता है।
- प्रमुख क्षेत्र:
- असम और मेघालय: डिगबोई (1890 में खोज), नहरकटिया, हुगरीजान-मोरान, सुरमा घाटी।
- गुजरात:
- प्रथम पेटी: खंभात की खाड़ी (अंकलेश्वर, खंभात, ल्यूनेज)।
- दूसरी पेटी: अहमदाबाद, नवगांव, कोसम्बा, कलोल, सोभासन, सनन्द, महेसाणा।
- अन्य: आलियाबेट द्वीप।
- मुंबई हाई: 1975 में खोज, 1976 से उत्पादन, भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र।
- बसाई: मुंबई हाई के दक्षिण में, गंधक-मुक्त तेल, नीलम, मुक्ता, पन्ना।
- अन्य: राजस्थान (बाड़मेर-सांचौर), तमिलनाडु, त्रिपुरा।
तेल शोधन शालाएँ
| क्र.सं. | तेल शोधक कारखाना | स्थान |
|---|---|---|
| सार्वजनिक क्षेत्र | ||
| 1 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | गुवाहाटी (असम) |
| 2 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | बरौनी (बिहार) |
| 3 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | कोयली (गुजरात) |
| 4 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | हल्दिया (पश्चिम बंगाल) |
| 5 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | मथुरा (उत्तर प्रदेश) |
| 6 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | डिगबोई (असम) |
| 7 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | पानीपत (हरियाणा) |
| 8 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लि. | बोगाईगाँव (असम) |
| 9 | हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | मुम्बई (महाराष्ट्र) |
| 10 | हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) |
| 11 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | मुम्बई (महाराष्ट्र) |
| 12 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | कोच्चि (केरल) |
| 13 | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | मनाली (तमिलनाडु) |
| 14 | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | नागट्टीनम (तमिलनाडु) |
| 15 | नुमालीगढ़ रिफाइनरी लि. | नुमालीगढ़ (असम) |
| 16 | मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लि. | मंगलौर (कर्नाटक) |
| 17 | ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लि. | तातीपाका (आंध्र प्रदेश) |
| संयुक्त उद्यम क्षेत्र | ||
| 18 | भारत ओमान रिफाइनरी लि. | बीना (मध्य प्रदेश) |
| 19 | हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. | भटिण्डा (पंजाब) |
| निजी क्षेत्र | ||
| 20 | रिलायन्स इंडस्ट्रीज लि. | मोती खावडी, जामनगर (गुजरात) |
| 21 | रिलायन्स पेट्रोलियम लि. | एस.ई.जेड. जामनगर (गुजरात) |
| 22 | एस्सार ऑयल लि. | वादीनार (गुजरात) |
पाइपलाइनें
- कुल लंबाई:
- कच्चा तेल: 13,000+ किमी।
- पेट्रोलियम उत्पाद: 8,000+ किमी।
- प्रमुख पाइपलाइनें:
- नहरकटिया-नूनमाटी-बरौनी (1152 किमी)।
- मुंबई हाई-कोयली (210 किमी, तेल और गैस के लिए अलग)।
- सलाया-मथुरा (1075 किमी)।
- मथुरा-दिल्ली-अंबाला-जालंधर।
- मुंबई-पुणे।
- विशाखापट्टनम-विजयवाड़ा-सिकंदराबाद (572 किमी)।
- चेन्नई-त्रिची-मदुरै (683 किमी, निर्माणाधीन)।
- कांडला-भटिण्डा (1331 किमी)।
- HBJ गैस पाइपलाइन (हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर, 1750 किमी)।
प्राकृतिक गैस
- उपयोग: रसोई ईंधन, परिवहन, विद्युत उत्पादन, उद्योगों में चालक शक्ति।
- प्रमुख क्षेत्र:
- असम-मेघालय, गुजरात, खंभात की खाड़ी, मुंबई हाई, राभा संरचना, तमिलनाडु (पेरानगुलम), राजस्थान (बाड़मेर-सांचौर), त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार, रामनाथपुरम।
3. जलविद्युत ऊर्जा 💧
जलविद्युत ऊर्जा स्वच्छ और नवीकरणीय है, जो भारत की 25% स्थापित विद्युत क्षमता में योगदान देती है।
विकास
- प्रथम जलविद्युत गृह: 1898, दार्जिलिंग।
- 1902: शिवसमुद्रम (कावेरी नदी, कर्नाटक, 4200 किलोवाट)।
राज्यवार जलविद्युत परियोजनाएँ
- जम्मू-कश्मीर:
- सलाल परियोजना – चिनाब नदी
- बगलिहार परियोजना – चिनाब नदी
- दुलहस्ती परियोजना – चिनाब नदी
- किशन गंगा परियोजना – किशन गंगा नदी
- बुरसर परियोजना – चिनाब नदी
- उझ परियोजना – उझ नदी
- तुलबुल परियोजना – झेलम नदी
- उरी परियोजना – झेलम नदी
- हिमाचल प्रदेश:
- नाथपा-झाकरी परियोजना – सतलज नदी
- चमेरा परियोजना – रावी नदी
- रनपुर परियोजना – सतलज नदी
- खाब परियोजना – स्पीति नदी
- रेणुका परियोजना – गिरी नदी (यमुना की सहायक)
- कोलदम परियोजना – सतलज नदी
- पंजाब:
- भाखड़ा परियोजना – सतलज नदी
- देहर परियोजना – व्यास नदी
- पोंग परियोजना – व्यास नदी
- शाहपुर कांदी परियोजना – रावी नदी
- उत्तराखंड:
- टिहरी परियोजना – भागीरथी नदी
- विष्णुगढ़ पीपलकोटी परियोजना – अलकनंदा नदी
- किशाऊ बाँध परियोजना – टोंस नदी
- करमोली परियोजना – जाढ़गंगा नदी
- गोहना ताल परियोजना – विरही गंगा नदी
- मलेरी झेलम परियोजना – धौली-गंगा नदी
- टनकपुर परियोजना – काली नदी
- कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना – भागीरथी नदी
- लखवर व्यासी परियोजना – यमुना नदी
- उत्तर प्रदेश:
- रिहंद परियोजना – रिहंद नदी
- रामगंगा परियोजना – रामगंगा नदी
- माताटिला परियोजना – बेतवा नदी
- चिल्ला परियोजना – चिल्ला नदी
- चिबरो परियोजना – टोंस नदी
- मध्य प्रदेश:
- बाण सागर परियोजना – सोन नदी
- नर्मदा सागर परियोजना – नर्मदा नदी
- गांधी सागर परियोजना – चंबल नदी
- पेंच परियोजना – पेंच नदी
- माहेश्वर परियोजना – नर्मदा नदी
- इंदिरा सागर परियोजना – नर्मदा नदी
- बारगी परियोजना – बारगी नदी
- तवा परियोजना – तवा नदी
- राजस्थान:
- राणा प्रताप सागर परियोजना – चंबल नदी
- जवाहर सागर परियोजना – चंबल नदी
- जवाई परियोजना – जवाई नदी
- गुजरात:
- उकाई परियोजना – तापी नदी
- सरदार सरोवर परियोजना – नर्मदा नदी
- कडाना परियोजना – माही नदी
- झारखंड:
- दामोदर घाटी परियोजना – दामोदर नदी
- स्वर्ण रेखा परियोजना – स्वर्णरेखा नदी
- मयूराक्षी परियोजना – मयूराक्षी नदी
- तेलंगाना:
- निजाम सागर परियोजना – मंजरा नदी
- रामगुंडम परियोजना – गोदावरी नदी
- पोचम पाद परियोजना – गोदावरी नदी
- नागार्जुन सागर परियोजना – कृष्णा नदी
- श्री सेलम परियोजना – कृष्णा नदी
- कर्नाटक:
- काली नदी परियोजना – काली नदी
- शरावती परियोजना – शरावती नदी
- शिवसमुद्रम परियोजना – कावेरी नदी
- भद्रा परियोजना – भद्रा नदी
- घाट प्रभा परियोजना – घाट प्रभा नदी
- अलमाटी परियोजना – कृष्णा नदी
- तुंगभद्रा परियोजना – तुंगा और भद्रा नदी के संगम पर
- तमिलनाडु:
- मैटूर परियोजना – कावेरी नदी
- कुंडा परियोजना – कुंडा नदी
- पापनाशम परियोजना – ताम्रपर्णी नदी
- पायकारा परियोजना – पायकारा नदी
- पेरियार परियोजना – पेरियार नदी
- केरल:
- इडुक्की परियोजना – पेरियार नदी
- सबरीगिरी परियोजना – पंबा नदी
- पल्लीवासल परियोजना – मदिरा पूझा नदी
- अरुणाचल प्रदेश:
- रंगानदी परियोजना – रंगानदी नदी
- अपर लोहित परियोजना – लोहित नदी
- कामेंग परियोजना – कामेंग नदी
- अपर सियांग परियोजना – सियांग नदी
- मिजोरम:
- थालेश्वरी परियोजना – थालेश्वरी नदी
- तुइरियल परियोजना – तुइरियल नदी
- तुइबाई परियोजना – तुइबाई नदी
- असम:
- कोपली परियोजना – कोपली नदी
- कुल्सी परियोजना – कुल्सी नदी
- ओडिशा:
- बालीमेला परियोजना – सिलेरू नदी
- हीराकुंड परियोजना – महानदी नदी
- आंध्र प्रदेश:
- मचकुंड परियोजना – मचकुंड नदी
- लोअर और अपर सिलेरू परियोजना – सिलेरू नदी
- बिहार:
- कोसी परियोजना – कोसी नदी
- महाराष्ट्र:
- कोयला परियोजना – कोयला नदी
- टाटा जल विद्युत परियोजना (खोपोली, भिवपुरी, भीरा)
- जायकवाड़ी परियोजना – गोदावरी नदी
- गिरना परियोजना – गिरना नदी
- नागालैंड:
- दोयांग परियोजना – दोयांग नदी
- मणिपुर:
- लोकटक परियोजना – मणिपुर नदी/इम्फाल नदी
- सिक्किम:
- रंगीत परियोजना – रंगीत नदी
- तीस्ता परियोजना – तीस्ता नदी
- अन्य:
- नेपाल: देवी घाट परियोजना (NHPC)
- भूटान: करिछू परियोजना (NHPC)
4. परमाणु ऊर्जा ☢️
परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम, थोरियम, बेरेलियम, जिरकन, और ग्रेफाइट जैसे रेडियोधर्मी खनिजों का उपयोग होता है।
प्रमुख खनिज
- यूरेनियम:
- क्षेत्र: सिंहभूम (बिहार), धारवाड़ और आर्कियन चट्टानें (राजस्थान), नेल्लौर (आंध्र प्रदेश), केरल (मोनाजाइट), कुल्लू और चमोली (हिमाचल प्रदेश), उत्तरी बिहार।
- थोरियम:
- विश्व का सबसे बड़ा भंडार भारत में।
- क्षेत्र: केरल (कोल्लम, पलक्कड़), तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश (विशाखापट्टनम), ओडिशा (महानदी डेल्टा), रत्नागिरी (महाराष्ट्र)।
- बेरेलियम:
- क्षेत्र: राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु (अभ्रक खनन क्षेत्र)।
- जिरकन:
- क्षेत्र: केरल (तटीय बालू)।
- ग्रेफाइट:
- प्रमुख उत्पादक: ओडिशा, तमिलनाडु (रामनाथपुरम), झारखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश।
परमाणु विद्युत गृह
| क्र.सं. | विद्युत गृह | स्थान | प्रारंभ |
|---|---|---|---|
| 1 | तारापुर | महाराष्ट्र | 1969, 1970 |
| 2 | रावतभाटा | कोटा, राजस्थान | 1973, 1981, 2000, 2008 |
| 3 | कलपक्कम | तमिलनाडु | 1984, 1986, 2010 |
| 4 | नरौरा | उत्तर प्रदेश | 1991, 1992 |
| 5 | काकरापार | गुजरात | 1993, 1995 |
| 6 | कैगा | कर्नाटक | 2000, 2007 |
| 7 | कुडनकुलम | तमिलनाडु | 2007, 2008 |

विकास
- 1948: परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना।
- 1954: ट्रॉम्बे में परमाणु ऊर्जा संस्थान (1967 में भाभा अनुसंधान केंद्र)।
- 1969: तारापुर में प्रथम परमाणु विद्युत गृह (अमेरिका के सहयोग से)।
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत 🌱
1. सौर ऊर्जा ☀️
भारत में 300+ धूप वाले दिन सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएँ प्रदान करते हैं।
- क्षमता: प्रति वर्ग किमी में 20 मेगावॉट।
- प्रौद्योगिकी:
- सौर तापीय माध्यम।
- सौर फोटोवोल्टिक माध्यम (पॉली सिलिकन)।
- प्रमुख केंद्र:
- जोधपुर (राजस्थान): मथानिया सौर ताप ऊर्जा केंद्र।
- गुरुग्राम (हरियाणा): ग्वाल पहाड़ी सौर ऊर्जा अनुसंधान केंद्र।
- प्रमुख क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात।
2. पवन ऊर्जा 🌬️
भारत पवन ऊर्जा में विश्व का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह प्रदूषण-मुक्त और असमाप्य है।
- प्रौद्योगिकी: पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन द्वारा विद्युत में परिवर्तित करना।
- लक्ष्य:
- 2022: 5 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा।
- 2030: 30 गीगावॉट।
- प्रमुख क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
3. ज्वारीय और तरंग ऊर्जा 🌊
- संभावित क्षमता: 9000 मेगावॉट (खंभात की खाड़ी: 7000 मेगावॉट)।
- प्रमुख क्षेत्र:
- कच्छ और खंभात की खाड़ी (गुजरात, कांडला तट)।
- सुंदरवन (पश्चिम बंगाल, दुर्गादुआनी क्रीक: 3.75 मेगावॉट)।
- संयंत्र: विजिंगम (केरल), मूस प्वाइंट (निकोबार), थनगेसरी (केरल)।
4. भूतापीय ऊर्जा 🌋
- प्रौद्योगिकी: भूगर्भीय ताप और जल की अभिक्रिया से वाष्प द्वारा ऊर्जा उत्पादन।
- प्रमुख क्षेत्र:
- मणिकर्ण (हिमाचल प्रदेश)।
- पुगा घाटी (लद्दाख)।
- सूरजखंड (झारखंड), तपोवन (उत्तराखंड)।
5. जैविक ऊर्जा 🪴
- स्रोत: कृषि अवशेष (धान की भूसी, गन्ने की खोई), शहरी कचरा, औद्योगिक अपशिष्ट।
- लक्ष्य (2022):
- 10 गीगावॉट:
- बैगेज कोजेनेरेशन: 8.73 गीगावॉट।
- गैर-बैगेज: 0.68 गीगावॉट।
- अपशिष्ट: 0.13 गीगावॉट।
- 10 गीगावॉट:
- कार्यक्रम: राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम।
2025 में ऊर्जा क्षेत्र: रुझान और नीतियाँ 🚀
नीतियाँ
- राष्ट्रीय सौर मिशन: सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि।
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा मिशन: अपतटीय पवन ऊर्जा विकास।
- आत्मनिर्भर भारत: आयातित तेल और कोयले पर निर्भरता कम करना।
- हरित ऊर्जा कॉरिडोर: नवीकरणीय ऊर्जा का वितरण।
रुझान
- डिजिटल निगरानी: सैटेलाइट और AI आधारित ऊर्जा प्रबंधन।
- स्वच्छ ऊर्जा: सौर, पवन, और जलविद्युत पर जोर।
- परमाणु ऊर्जा विस्तार: नए रिएक्टरों की स्थापना।
निष्कर्ष: भारत का ऊर्जा भविष्य 🌐
भारत के ऊर्जा संसाधन आर्थिक विकास और औद्योगिक प्रगति का आधार हैं। परंपरागत स्रोत जैसे कोयला और खनिज तेल अभी भी प्रमुख हैं, लेकिन गैर-परंपरागत स्रोत जैसे सौर, पवन, और जैविक ऊर्जा तेजी से विकसित हो रहे हैं। 2025 में, भारत स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, और आत्मनिर्भरता के माध्यम से अपने ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त बना रहा है।
प्रश्न और जवाब (FAQs)
- भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत कौन सा है?
कोयला (~60% ऊर्जा आवश्यकताएँ)। - भारत में प्रथम जलविद्युत गृह कब स्थापित हुआ?
1898, दार्जिलिंग। - भारत में थोरियम के भंडार कहाँ हैं?
केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा। - सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता क्या है?
प्रति वर्ग किमी 20 मेगावॉट।
संबंधित खोजें:
- भारत के ऊर्जा संसाधन
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- कोयला और खनिज तेल उत्पादन
- गैर-परंपरागत ऊर्जा





