राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था MCQ
प्रश्न 1: मध्यकालीन राजस्थान के भूमि एवं राजस्व व्यवस्था के संबंध में निम्न में से कौनसा/से कथन सत्य है/हैं –
(अ) उपजाऊ भूमि ‘माल’ व पहाड़ी भूमि ‘मगरा’ कहलाती थी।
(ब) सर्दी में पैदा फसल ‘सियालू’ व गर्मियों में पैदा होने वाली फसल ‘उनाल’ कहलाती थीं।
(स) उपज पर कर का निर्धारण ‘लाटा एवं कूंता’ प्रणाली से होता था।
RPSC EO/RO Re-Exam – 2022A) केवल (अ)
B) (अ), (ब) एवं (स)
C) (अ) एवं (ब)
D) (अ) एवं (स)
उत्तर: (अ), (ब) एवं (स)
व्याख्या: मध्यकाल में उर्वर भूमि को ‘माल’ और पर्वतीय क्षेत्रों की भूमि को ‘मगरा’ कहा जाता था। शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलों को ‘सियालू’ और ग्रीष्मकालीन फसलों को ‘उनाल’ के नाम से जाना जाता था। लाटा पद्धति में फसल पकने के बाद राजस्व अधिकारियों की निगरानी में कटाई की जाती थी और अनाज साफ करने के बाद राज्य का हिस्सा अलग किया जाता था। कूंता पद्धति में खड़ी फसल का आकलन कर राजस्व तय किया जाता था, जिसमें न तो तोलना होता था और न ही मापना।
प्रश्न 2: कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान की सामन्त व्यवस्था की तुलना किससे की थी –
A) मुगल प्रशासनिक व्यवस्था
B) इंग्लैंड की फ्यूडल व्यवस्था
C) गुप्तकालीन शासन व्यवस्था
D) मराठा शासन प्रणाली
उत्तर: इंग्लैंड की फ्यूडल व्यवस्था
व्याख्या: कर्नल जेम्स टॉड ने सबसे पहले राजस्थान की सामंती प्रथा को इंग्लैंड की सामंतवादी व्यवस्था के समान बताया था। हालांकि, गहन शोध के बाद यह स्पष्ट हुआ कि राजस्थान की सामंती प्रणाली पश्चिमी सामंतवाद से भिन्न थी, जो केवल स्वामी और सेवक के संबंधों पर आधारित नहीं थी, बल्कि यहाँ की व्यवस्था रक्तसंबंध और वंश परंपरा पर टिकी हुई प्रशासनिक एवं सैन्य संरचना थी।
प्रश्न 3: राजस्थान की सामन्त व्यवस्था का मूल आधार क्या था –
A) स्वामी और सेवक का संबंध
B) रक्त संबंध और कुलीय भावना
C) सैनिक शक्ति और धन
D) राजा की व्यक्तिगत इच्छा
उत्तर: रक्त संबंध और कुलीय भावना
व्याख्या: राजस्थान का संपूर्ण शासन तंत्र राजा और सामंतों की व्यवस्था पर निर्भर था। इस क्षेत्र की सामंती प्रणाली का मुख्य आधार पारिवारिक संबंध और वंश परंपरा की भावना थी, न कि केवल स्वामी-सेवक का संबंध।
प्रश्न 4: मध्यकालीन राजस्थान के राज्यों में शासक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी को कहा जाता था।
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – K2)A) प्रधान
B) महामात्य
C) मुख्य मंत्री
D) संधिविग्रिहिक
उत्तर: प्रधान
व्याख्या: मध्यकालीन राजस्थान में शासक के पश्चात सर्वोच्च पद पर ‘प्रधान’ होता था। विभिन्न रियासतों में इस पद के लिए भिन्न-भिन्न नाम प्रचलित थे – कोटा और बूंदी में दीवान, मेवाड़, मारवाड़ और जैसलमेर में प्रधान, जयपुर में मुसाहिब तथा बीकानेर में मुखत्यार कहलाते थे।
प्रश्न 5: “तिवारा कर” वसूला जाता था –
Police SI 13 September 2021 (Gk)A) दूसरे राज्यों से व्यापार पर
B) दिवाली और होली जैसे पर्वों पर
C) कृषि उत्पादों पर
D) औद्योगिक उत्पादों पर
उत्तर: दिवाली और होली जैसे पर्वों पर
व्याख्या: तिवारा नामक कर विशेष रूप से दीपावली और होली जैसे प्रमुख त्योहारों के अवसर पर एकत्र किया जाता था।
प्रश्न 6: मटक, बिछायत, चू-सराई क्या थे –
A) राजस्थन में स्थानीय करों के नाम
B) राजस्थान में देशी कपड़ों के स्थानीय नाम
C) कृषि यंत्रों के नाम
D) सिंचाई के साधनो के स्थानीय नाम
उत्तर: राजस्थन में स्थानीय करों के नाम
व्याख्या: मटक, बिछायत और चू-सराई ये सभी नाम राजस्थान में विभिन्न प्रकार के स्थानीय करों को दर्शाते हैं।
प्रश्न 7: राजा व जागीरदारों द्वारा काश्तकारों को पट्टे दे दिए जाते थे, इसका विवरण एक राजकीय रजिस्टर में रखा जाता था, इसे क्या कहते थे –
A) तजकीरा
B) दाखला
C) छूट के कागद
D) मिशल बंदोबस्त
उत्तर: दाखला
व्याख्या: किसानों को प्रदान की गई भूमि के पट्टे का विवरण जागीरदारों के रजिस्टर में दर्ज रहता था, जिसे ‘दाखला’ कहा जाता था।
प्रश्न 8: गन्ना, कपास, अफीम व नील आदि नगदी फसलों पर प्रति बीघा की दर से राजस्व का निर्धारण तथा वसूली को क्या कहा जाता था –
A) मुकाता
B) जब्ती
C) बंटाई
D) भाओली
उत्तर: जब्ती
व्याख्या: फसल को समान भागों में विभाजित करने के पश्चात उसके आधार पर राज्य के हिस्से का निर्धारण करने की प्रक्रिया ‘बँटाई’ कहलाती थी।
प्रश्न 9: सामंतों से वार्षिक उपज का अनुमान, जिसे ‘रेख’ कहते थे, कर लिया जाता था इसे मारवाड़ में किस नाम से जाना जाता था –
A) पट्टा रेख
B) भरतु रेख
C) 1 व 2 दोनों
D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: 1 व 2 दोनों
व्याख्या: ‘रेख’ शब्द जागीर के अनुमानित वार्षिक आय को संदर्भित करता था, जिसका उल्लेख शासक द्वारा प्रदत्त जागीर के पट्टे में किया जाता था। इस शब्द का एक अन्य अर्थ सैन्य कर से भी लगाया जाता था।
प्रश्न 10: ‘खास रूक्का’ एक प्रकार का बुलावा पत्र होता था, किस श्रेणी के सामंतों को दरबार में उपस्थित होने के लिए यह पत्र भेजा जाता था –
A) प्रथम श्रेणी
B) द्वितीय श्रेणी
C) तृतीय श्रेणी
D) सामान्य सामंतों
उत्तर: प्रथम श्रेणी
व्याख्या: परंपरागत रूप से सामंत राजा को दो प्रकार की सैन्य सेवाएं प्रदान करते थे – एक युद्ध के समय और दूसरी शांति के दिनों में।
प्रश्न 11: बीकानेर शासक गंगासिंह ने ऊँटों की सेना तैयार कर उसे क्या नाम दिया था, यह सेना दल अपने राज्य से बाहर अंग्रेजों की सहायतार्थ जाता रहता था –
A) माधव रिसाला
B) गंगा रिसाला
C) बीकानेर रिसाला
D) राज्य रिसाला
उत्तर: गंगा रिसाला
व्याख्या: महाराजा गंगा सिंह ने सन् 1889 में गंगा रिसाला नामक एक ऊँट सवार सेना इकाई का गठन किया था।
प्रश्न 12: सुमेलित कीजिए-
| (A) ठकुराईन द्वारा नया चूड़ा पहनने पर किसानों से वसूला जाने वाला कर | (i) पावणा लाग |
|---|
| (B) खेती पर किसानों से प्रति हल वसूल की जाने वाली लाग | (ii) चूड़ालाग |
| (C) जागीरदार द्वारा अपने महमानों पर होने वाले खर्च को गाँव के किसानों से वसूलना | (iii) जाजम लाग |
| (D) भूमि के विक्रय पर वसूली जाने वाली लाग | (iv) हल लाग |
A) i ii iii iv
B) i ii iv iii
C) ii i iv iii
D) ii iv i iii
उत्तर: ii iv i iii
व्याख्या: ठकुराइन के नए चूड़ा धारण करने पर किसानों से वसूला जाने वाला कर – चूड़ालाग
कृषि कार्य पर प्रति हल की दर से लिया जाने वाला कर – हल लाग
जागीरदार के अतिथियों पर होने वाले व्यय की वसूली गाँव के किसानों से – पावणा लाग
भूमि की बिक्री पर लगने वाला कर – जाजम लाग
प्रश्न 13: किसके द्वारा परगने की रिपोर्ट राज्य के दीवान के पास भेजी जाती थी।
A) पोतदार
B) हाकीम
C) खुफिया नवीस
D) अमीन
उत्तर: खुफिया नवीस
व्याख्या: खुफिया-नवीस गुप्त रिपोर्ट लेखक होते थे। ये गोपनीय ढंग से केंद्रीय प्रशासन को महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराते थे।
प्रश्न 14: अधिकारियों के खाने-पीने के खर्च के लिए कौनसा कर लिया जाता था –
A) हुजदार
B) दस्तूर
C) सिराणा
D) खूंटा
उत्तर: सिराणा
व्याख्या: सरकारी अधिकारियों के भोजन व्यय की पूर्ति के लिए ग्रामवासियों से वसूल किए जाने वाले कर को ‘सिराणा’ कहते थे।
प्रश्न 15: राजा द्वारा ब्राह्मणों, चारणों, भाटों, व संन्यासियों को दान में दी गई भूमि क्या कहलाती थी –
A) हुकूमत
B) जीविका
C) माफी
D) भोम
उत्तर: माफी
व्याख्या: सासण जागीर धार्मिक कार्यों, शैक्षणिक गतिविधियों, साहित्यिक रचनाओं और चारण-भाट जैसे विद्वानों को सहायता के रूप में प्रदान की जाती थी। इसे माफी जागीर भी कहा जाता था क्योंकि यह करमुक्त भूमि होती थी।
प्रश्न 16: भू-राजस्व में राज्य का भाग निश्चित करने वाला अधिकारी किस नाम से जाना जाता था –
A) अमीन
B) आमिल
C) चौधरी या पटेल
D) साहणे
उत्तर: साहणे
व्याख्या: साहणे वह प्रशासनिक अधिकारी था जो भू-राजस्व में राज्य के हिस्से का निर्धारण करता था।
प्रश्न 17: बंटाई प्रथा में राजस्व का निर्धारण तीन प्रकार से होता था, उन तीनों प्रकारों के नाम बताइए –
A) खेत बंटाई, घर बंटाई, रास बंटाई
B) खेत बंटाई, रास बंटाई, बीघा बंटाई
C) खेत बंटाई, लंक बंटाई, रास बंटाई
D) रास बंटाई, लंक बंटाई, बीघा बंटाई
उत्तर: खेत बंटाई, लंक बंटाई, रास बंटाई
व्याख्या: बंटाई की तीन मुख्य विधियाँ प्रचलित थीं – (1) खेत बटाई, (2) लंक बटाई और (3) रास बटाई।
प्रश्न 18: मारवाड़ में अजीतसिंह द्वारा कौनसा एक नया कर लिया जाने लगा था –
A) तागीरात
B) तलवार बंधाई
C) भरतु रेख
D) पट्टा रेख
उत्तर: तागीरात
व्याख्या: महाराजा अजीत सिंह के जोधपुर पर अधिकार स्थापित करने के पश्चात यह राशि तागीरात के नाम से संबंधित आदेशपत्र के साथ वसूल की जाने लगी।
प्रश्न 19: बीकानेर राज्य में सीमा शुल्क, आयात-निर्यात तथा चुंगी कर को सामूहिक रूप से किस नाम से जाना जाता था –
A) राहदारी
B) जकात
C) नियोत
D) बारूता
उत्तर: जकात
व्याख्या: जयपुर और जोधपुर रियासतों में इस प्रकार के कर को ‘सायर’ कर के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 20: हवाला, जागीर, भौम, सासण किसके प्रकार है –
A) भूमि
B) घुड़सवार
C) सेना
D) धर्म व दान संबंधि विभाग
उत्तर: भूमि
व्याख्या: जागीर भूमि चार प्रकार की होती थी – (1) सामंती जागीर (2) हुकूमत जागीर (3) भौम जागीर (4) सासण जागीर
प्रश्न 21: परगने में कोई बड़ा अपराध या संगीन डकैती होने पर फौजदार और कभी-कभी ठाकुर स्वयं सवारों के साथ डाकुओं के विरूद्ध अभियान पर जाते थे। इस अभियान को मारवाड़ में क्या कहते थे –
A) फौजदार
B) पोतदार
C) हवालगिर
D) बाहर चढ़ना
उत्तर: बाहर चढ़ना
व्याख्या: ठिकानेदार और भोम बाब दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में डकैती और अन्य अपराधों को रोकने का कार्य तथा यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते थे। गंभीर डकैती की स्थिति में फौजदार और कभी-कभी ठाकुर स्वयं घुड़सवारों के साथ डाकुओं के विरुद्ध अभियान पर निकलते थे। जोधपुर रियासत में इस कार्यवाही को “बाहर चढ़ना” कहा जाता था।
प्रश्न 22: निम्न में से कौनसा जोड़ा सही सुमेलित नहीं है-
इकाई – अधिकारी
A) ग्राम – ग्रामिक
B) मण्डल – मण्डलिक
C) दुर्ग – दुर्गाधिपति
D) परगना – हाकिम
उत्तर: मण्डल – मण्डलिक
व्याख्या: मण्डल क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी को मण्डलपति के नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 23: किस राज्य में लूट-खसोट से राज्य को बचाने के लिए नए सैनिक दायित्वों की पूर्ति हेतु रुखवाली भाछ लागू की गई थी –
A) जोधपुर
B) बीकानेर
C) उदयपुर
D) कोटा
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: बीकानेर रियासत में राज्य की सुरक्षा और नवीन सैन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रुखवाली भाछ नामक कर लागू किया गया था।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से असंगत कथन की पहचान करें।
A) पटेल, कानूनगो, तहसीलदार, पटवारी आदि जो किसान से अवैध रकम वसुलते थे, उसे दस्तुर कहते थे
B) राम-राम लाग या मुजरा लाग जिसे प्रति व्यक्ति 1 रुपया लिया जाता था।
C) किसान के घर कन्या की शादी होने पर जागीरदार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता ‘बदोले री लाग’ कहलाता है।
D) श्रमजीवी जातियों जैसे मोची, धोबी, छीपा व कुम्हार आदि से वसूला जाने वाला कर खरड़ा लाग कहलाता था।
उत्तर: किसान के घर कन्या की शादी होने पर जागीरदार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता ‘बदोले री लाग’ कहलाता है।
व्याख्या: जागीरदार के परिवार में विवाह समारोह के अवसर पर जागीर क्षेत्र से वसूल किए जाने वाले कर को बंदोले री लाग/कर कहा जाता था।
प्रश्न 25: जोधपुर राज्य में विधवा के पुनर्विवाह पर प्रति विवाह 1 रु. की दर से कर लिया जाता था, जिसे ‘कागली या नाता’ कहा जाता था इसी प्रकार का कर जयपुर राज्य में क्या कहलाता था –
A) छेली राशि
B) नाता बराड़
C) नाता कागली
D) नाता
उत्तर: छेली राशि
व्याख्या: कागली या नाता कर को मेवाड़ रियासत में ‘नाता बराड़’, कोटा राज्य में ‘नाता कागली’ और बीकानेर राज्य में केवल ‘नाता’ कहा जाता था।
प्रश्न 26: बख्शी के बारे में निम्न कथनों पर विचार करें।
(i) दीवान के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पदाधिकारी बख्शी होता था, जो प्रधानतः सेना विभाग का अध्यक्ष होता था।
(ii) जयपुर में बख्शी को बख्शी देश, बख्शी परगना और बख्शी जागीर सहायता करते थे。
(iii) जोधपुर राज्य में इसे ‘मौज बख्शी’ भी कहते थे।
(iv) मारवाड़ में महाराजा बख्तसिंह के काल में सर्वप्रथम ‘प्याद बख्शी’ नामक एक नवीन पद का सर्जन किया गया।
A) i, ii व iv
B) i,iii व iv
C) iii व iv
D) i,ii, iii व iv
उत्तर: i, ii व iv
व्याख्या: जोधपुर रियासत में बख्शी को ‘फौज बख्शी’ के नाम से संबोधित किया जाता था।
प्रश्न 27: निम्नलिखित में से ग्राम प्रशासन के बारे में कौनसा कथन सत्य नहीं है –
A) ग्राम पंचायत ग्रामों ने न्याय, झगड़े निपटाना, धार्मिक व सामाजिक कार्य करवाती थी।
B) जाति सम्बन्धी समस्याओं का समाधान जाति पंचायत द्वारा किया जाता था।
C) गांव में प्रशासनिक स्तर पर स्थायी रूप में स्थानीय अधिकारी ‘पटवारी’ होता था।
D) पंचायतों के निर्णय की अपील परगना पदाधिकारी, दीवान व शासक के पास की जा सकती थी।
उत्तर: गांव में प्रशासनिक स्तर पर स्थायी रूप में स्थानीय अधिकारी ‘पटवारी’ होता था।
व्याख्या: ग्राम स्तर पर प्रशासनिक दृष्टि से स्थायी अधिकारी के रूप में ‘चौधरी या पटेल’ की नियुक्ति होती थी।
प्रश्न 28: सेना का दूसरा प्रमुख अंग घुड़सवार था, किस राज्य में घुड़सवार सेना माधव रिसाला और राज्य रिसाला में विभाजित थी –
A) कोटा
B) जोधपुर
C) बीकानेर
D) जयपुर
उत्तर: कोटा
व्याख्या: कोटा रियासत में घुड़सवार सेना दो भागों में विभाजित थी – माधव रिसाला और राज्य रिसाला।
प्रश्न 29: भूमि के उर्वरा व पैदावार के आधार पर जब बीघे पर लगे कर से राजस्व वसूल होता था, तब मारवाड़ व बीकानेर में इसे क्या कहा जाता था –
A) बीघोड़ी
B) लंक बंटाई
C) खेतबंटाई
D) गल्ला बक्शी
उत्तर: बीघोड़ी
व्याख्या: मारवाड़ और बीकानेर रियासतों में इस प्रकार के भू-राजस्व व्यवस्था को ‘बीघोड़ी’ कहा जाता था।
प्रश्न 30: निम्नलिखित में से असत्य विकल्प का चयन करें।
A) प्रत्येक किसान के परिवार के प्रत्येक सदस्य से 1 रु. की दर से वसूला जाने वाला कर अंगा कर या अंग लाग कहलाता था।
B) राज्याभिषेक, जन्मदिन तथा त्योहारों के अवसर पर लगने वाले दरबारों के समय सामन्तों, जागीरदारों, मुत्सद्दी व अधिकारियों द्वारा राजा को दी जाने वाली भेंट ‘नजराना’ कहलाती थी।
C) पशुओं की बिक्री पर लिया जाने वाला कर लाटा कहलाता था।
D) खेत में खड़ी फसल का अनुमान लगाकर भूस्वामी अपना हिस्सा तय कर देते थे, जिसे कूंता कहते थे।
उत्तर: पशुओं की बिक्री पर लिया जाने वाला कर लाटा कहलाता था।
व्याख्या: पशुधन की बिक्री पर लगने वाले कर को ‘सिंगोटी’ कहा जाता था।
प्रश्न 31: न्याय व्यवस्था के बारे में विचार करें –
(i) न्याय और दण्ड का आधार प्राचीन धर्मशास्त्र थे।
(ii) प्राचीन साहित्यिक स्त्रोतों ‘वृहत्कथा कोष व समराइच्छकहा’ से भी न्याय व्यवस्था का वर्णन मिलता है।
(iii) शासन की सबसे छोटी इकाई गाँव था, जहाँ न्याय का अधिकारी ग्राम चौधरी या पटेल हुआ करता था।
(iv) परगनों में न्याय का कार्य, हाकिम या आमिल या हवालगिर करता था।
सही कूट का चयन कर उत्तर दीजिए-
A) i, ii व iv
B) i, ii, iii व iv
C) i, ii व iii
D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: i, ii, iii व iv
व्याख्या: न्याय प्रणाली का आधार परंपरागत सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएं थीं। मुकदमों का कोई लिखित अभिलेख नहीं रखा जाता था। साक्ष्य संबंधी कोई अलग से कानून नहीं था।
प्रश्न 32: दीवान के पद पर सामान्यतः गैर राजपूत जाति के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता था। दीवान को निम्न में से किस पदाधिकारी को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त नहीं था –
A) आमिल
B) फौजदार
C) कोतवाल
D) पोतदार
उत्तर: पोतदार
व्याख्या: दीवान को आमिल, कोतवाल, अमीन, दरोगा, मुशरिफ, वाकयानवीस और फौजदार जैसे पदाधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार प्राप्त था।
प्रश्न 33: राजपूत सेना में पैदल सैनिक अधिक होते थे, इनके दल को क्या कहा जाता था –
A) अहदी
B) भाकसी
C) प्यादे
D) शरीअत
उत्तर: प्यादे
व्याख्या: पैदल सैनिकों के समूह को ‘प्यादे’ कहा जाता था।
प्रश्न 34: अधिकारी, जिसे मुगल काल में विद्वानों को गुजारा भत्ता (मदद-ए-माश) प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गयी थी, को किस नाम से जाना जाता था –
A) वकील
B) वज़ीर
C) सद्र
D) मीर बक्शी
उत्तर: सद्र
व्याख्या: मुगलकालीन प्रशासन में विद्वानों को जीवनयापन भत्ता प्रदान करने की जिम्मेदारी ‘सद्र’ नामक अधिकारी की थी।
प्रश्न 35: निम्नलिखित में से असत्य विकल्प का चयन करें।
A) अमात्य – मुख्यमंत्री
B) बंदीपति – मुख्य भाट
C) भीषगाधिराज – प्रधानमंत्री
D) संधिविग्रहिक – संधि और युद्ध का मंत्री
उत्तर: भीषगाधिराज – प्रधानमंत्री
व्याख्या: भीषगाधिराज का पद मुख्य राजवैद्य का होता था।
प्रश्न 36: मुगल दरबार में राजा द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि, जो वहाँ की गतिविधियों से निरंतर राजा को अवगत करवाता रहता था वह क्या कहलाता था –
A) खुफिया नवीस
B) हाकिम खैरात
C) पोतदार
D) वकील
उत्तर: वकील
व्याख्या: वकील रिपोर्ट : मनसबदार, जागीरदार और अन्य सरदार मुगल दरबार में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करते थे, जिन्हें ‘वकील’ कहा जाता था। ये अपने रियासती स्वामियों से संबंधित समाचार एकत्र कर दरबार की गतिविधियों की सूचना अपनी रियासतों को भेजा करते थे। इनके द्वारा प्रेषित इन सूचनाओं को ‘वकील रिपोर्ट’ कहते थे।
प्रश्न 37: उच्च वर्ग के लोगों या विद्वानों को राजस्व मुक्त भूमि अनुदान के रूप में दी जाती थी, यह भूमि क्या कहलाती थी –
A) माफी
B) जूनी जागीर
C) मदद-ए-माश
D) जीविका
उत्तर: मदद-ए-माश
व्याख्या: मुगल साम्राज्य में ‘मदद-ए-माश’ को ‘सयूरगल’ भूमि के नाम से भी जाना जाता था।
प्रश्न 38: मध्यकालीन शासन व्यवस्था में मारवाड़ में बापीदार व गैर-बापीदार किसके प्रकार थे –
A) सामन्तों के
B) जागीरदारों के
C) घुड़सवारों के
D) कास्तकारों के
उत्तर: कास्तकारों के
व्याख्या: कृषक मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित थे – बापीदार और गैरबापीदार। बापीदार किसानों को खुदकाश्तकार भी कहा जाता था, ये वे किसान होते थे जो खेती की जाने वाली भूमि के स्थायी मालिक होते थे।
प्रश्न 39: निम्नलिखित में से असत्य कथन नहीं है –
A) एक राजा का दूसरे राजा के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार रूक्का कहलाता था।
B) बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया गया शाही आदेश-मन्सूर कहलाता था।
C) मुगल बादशाह द्वारा अपने अधीनस्थ को जागीर प्रदान करने की लिखित स्वीकृति वाक्य कहलाती थी।
D) राजा द्वारा अपने अधीनस्थ को जारी किया जाने वाला आदेश फरमान कहलाता था।
उत्तर: बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया गया शाही आदेश-मन्सूर कहलाता था।
व्याख्या: एक राजा का दूसरे राजा के साथ किया जाने वाला पत्राचार खरीता कहलाता था। मुगल बादशाह द्वारा अपने अधीनस्थों को जागीर प्रदान करने की लिखित स्वीकृति सनद कहलाती थी। राजा द्वारा अपने अधीनस्थों को जारी किया जाने वाला आदेश परवाना कहलाता था।
प्रश्न 40: ईजारा जाना जाता है-
A) भूमि मूल्यांकन के लिए
B) मुद्रा परिवर्तन के लिए
C) राजस्व की ठेका प्रणाली के लिए
D) स्वर्ण की खरीद के लिए
उत्तर: राजस्व की ठेका प्रणाली के लिए
व्याख्या: इसे ठेका (अनुबंध) या अंकबंदी के नाम से भी जाना जाता था। इस प्रणाली के अंतर्गत कुछ परगनों या क्षेत्रों का भू-राजस्व संग्रह का अधिकार सार्वजनिक नीलामी द्वारा सर्वोच्च बोली लगाने वाले को बेच दिया जाता था, जो राज्य को एक निश्चित राशि का एकमुश्त भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता था।
प्रश्न 41: राजस्थान के प्रत्येक राज्य में महकमा बकायत (MAHAKMA BAGOIT) होता था, जो –
A) अच्छी फसल के समय शेष राजस्व वसूलता था।
B) सरकारी कर्मचारियों की बकाया संग्रह करता था।
C) राजाओं के लिए ऋण संग्रह करता था।
D) राजा के बकायों का भुगतान करता था।
उत्तर: अच्छी फसल के समय शेष राजस्व वसूलता था।
व्याख्या: महकमा बकायत का कार्य उत्तम फसल के मौसम में बकाया राजस्व की वसूली करना था।
प्रश्न 42: लाटा अथवा बटाई क्या था –
A) भू-राजस्व व्यवस्था, जिसमें भुगतान नकद होता था।
B) भू-राजस्व व्यवस्था, जिसमें भुगतान फसल के रूप में होता था।
C) राज्य द्वारा ली जाने वाली एक प्रकार की बेगार।
D) सामंत द्वारा अधिरोपित एक प्रकार का उपकर।
उत्तर: भू-राजस्व व्यवस्था, जिसमें भुगतान फसल के रूप में होता था।
व्याख्या: लाटा या बटाई पद्धति में फसल के पक जाने पर राजस्व संग्रह के लिए नियुक्त अधिकारी की देखरेख में फसल की कटाई की जाती थी। अनाज साफ करने के पश्चात फसल में से राज्य के हिस्से को तोलकर अलग कर दिया जाता था।
प्रश्न 43: मध्यकालीन मारवाड़ में शासक के बाद सर्वोच्च अधिकारी कौन था –
Protection Officer – 2022 (General Studies)A) दीवान
B) प्रधान
C) मुसाहिब
D) अमात्य
उत्तर: प्रधान
व्याख्या: राजा के पश्चात प्रधान ही सर्वोच्च पद पर होता था तथा राजा की अनुपस्थिति में यही राजकीय कार्यों का संचालन करता था।
प्रश्न 44: ‘जागीर’ शब्द किस भाषा से लिया गया है –
Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (evening shift)A) हिन्दी
B) मारवाड़ी
C) संस्कृत
D) फारसी
उत्तर: फारसी
व्याख्या: जागीर शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा से हुई है, और इसका शाब्दिक अर्थ “स्थान धारक” होता है।
प्रश्न 45: मारवाड़ राज्य में किस प्रकार के सामंतों को रेख, हुक्मनामा और चाकरी से 3 पीढ़ियों के लिए मुक्त किया जाता था –
Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift)A) कुम्पावत
B) सरदार
C) राणावत
D) राजवी
उत्तर: राजवी
व्याख्या: मारवाड़ में सामंतों की चार श्रेणियाँ थीं – राजवी, सरदार, गनायत और मुत्सद्दी। राजवी राजा के तीन पीढ़ियों तक के निकट संबंधी होते थे, इन्हें रेख, हुक्मनामा कर और चाकरी से मुक्त रखा जाता था।
प्रश्न 46: राजस्थान के प्रारंभिक मध्यकाल के राज्यों में ‘अक्षपटलिक’ की जिम्मेदारी थी-
A) मुख्य कोषपाल के रूप में काम करना।
B) मुख्य लेखाधिकारी के रूप में काम करना।
C) विदेश मंत्री के रूप में काम करना।
D) प्रधान मंत्री के रूप में काम करना।
उत्तर: मुख्य लेखाधिकारी के रूप में काम करना।
व्याख्या: राजस्थान के प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्यों में “अक्षपतालिक” का दायित्व प्रमुख लेखा अधिकारी के रूप में कार्य करना था।
प्रश्न 47: राजस्थान के राजवंशों के राजस्व प्रणाली के अंतर्गत किस प्रकार की भूमि को राजा की निजी सम्पत्ति माना जाता था –
JEN 2022: Civil Diploma (GK)A) भौम
B) जागीर
C) हवाला
D) खालसा
उत्तर: खालसा
व्याख्या: राज्य (दरबार) के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आने वाली भूमि को खालसा भूमि के रूप में जाना जाता था।
प्रश्न 48: राजस्थान की प्राचीन रियासत के संदर्भ में कांसा परोसा क्या था –
Rajasthan Patwar 2021 (24 Oct 2021 ) 1st shiftA) भूमि का एक प्रकार
B) सिंचाई की एक किस्म
C) इनमें से कोई नहीं
D) एक प्रकार की लाग (कर)
उत्तर: एक प्रकार की लाग (कर)
व्याख्या: कांसा परोसा राजस्थान की प्राचीन रियासतों के संदर्भ में एक विशेष प्रकार का कर था। इस प्रकार के कर को सामाजिक कर की श्रेणी में रखा जा सकता है। विवाह और मृत्यु भोज जैसे अवसरों पर किसानों से कांसा परोसा वसूल किया जाता था।
प्रश्न 49: डावी और जीवनी सामन्तों की श्रेणी राजस्थान में कहाँ प्रचलित थी –
A) जैसलमेर
B) उदयपुर
C) मारवाड़
D) कोटा
उत्तर: जैसलमेर
व्याख्या: जैसलमेर रियासत में सामंतों की डेवी और जीवनी नामक श्रेणियाँ प्रचलित थीं।
प्रश्न 50: राजस्थान की एकमात्र कौनसी रियासत थी जहां उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था –
A) जयपुर
B) जोधपुर
C) जैसलमेर
D) उदयपुर
उत्तर: जैसलमेर
व्याख्या: सामंत या जागीरदार की मृत्यु के पश्चात नए उत्तराधिकारी से लिए जाने वाले कर को उत्तराधिकारी शुल्क कहा जाता था। विभिन्न रियासतों में इस कर के भिन्न-भिन्न नाम थे – जोधपुर में पहले पेशकशी और बाद में हुक्मनामा, मेवाड़ और जयपुर में नजराना, अन्य कुछ रियासतों में कैद खालसा और तलवार बंधाई कहलाते थे। जैसलमेर एकमात्र ऐसी रियासत थी जहाँ उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था।