मौर्यकाल: उदय, प्रशासन, और पतन 🌟

By: LM GYAN

On: 3 September 2025

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मौर्यकाल

मौर्यकाल (322 ई.पू.–185 ई.पू.) भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम युग था, जब मगध के विकास के साथ एक विशाल साम्राज्य की स्थापना हुई। चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित यह साम्राज्य भारत का पहला केन्द्रीकृत साम्राज्य था, जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। 🏛️ यह लेख मौर्यकाल के इतिहास, प्रशासन, साहित्य, कला, और पतन के कारणों को विस्तार से प्रस्तुत करता है, जिसमें तुम्हारे द्वारा दी गई सारी जानकारी को बुलेट्स, टेबल्स, और इमोजी के साथ शामिल किया गया है। 🚀

मौर्यकालीन इतिहास के स्रोत 📜

मौर्यकाल के इतिहास को समझने के लिए निम्नलिखित स्रोत महत्वपूर्ण हैं:

  • साहित्यिक स्रोत:
    • ब्राह्मण साहित्य:
      • अर्थशास्त्र (कौटिल्य): राजव्यवस्था, अर्थनीति, न्याय, और समाज नीति। 📚
      • मुद्राराक्षस (विशाखदत्त): चाणक्य की रणनीति और नंद वंश का पतन। 🧑‍🏫
      • वृहत्कथामंजरी (क्षेमेन्द्र) और कथासरित्सागर (सोमदेव): सामाजिक और ऐतिहासिक विवरण। 📖
      • राजतरंगिणी (कल्हण): कश्मीर का इतिहास, मौर्य शासक जालौक का उल्लेख। 🏞️
    • बौद्ध ग्रंथ:
      • जातक, दीर्घनिकाय, दीपवंश, महावंश, वंशथपकासिनी, दिव्यावदान: अशोक और मौर्य प्रशासन की जानकारी। 🙏
    • जैन ग्रंथ:
      • कल्पसूत्र (भद्रबाहु) और परिशिष्टपर्वन (हेमचन्द्र): चन्द्रगुप्त का जैन धर्म अपनाना। 🕉️
    • पुराण: मौर्य वंश का इतिहास। 📜
  • पुरातात्विक स्रोत:
    • अशोक के वृहत् शिलालेख (14), लघु शिलालेख, स्तम्भ लेख (7), गुहा लेख। 🪨
    • रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख (गिरनार): मौर्यकालीन संदर्भ। 🏛️
  • विदेशी स्रोत:
    • इण्डिका (मेगस्थनीज): मौर्य प्रशासन और पाटलिपुत्र का वर्णन। 🌍

मौर्यों की उत्पत्ति 🌟

  • ब्राह्मण परम्परा: चन्द्रगुप्त मौर्य की माता मुरा शुद्र जाति की थी। 👩
  • बौद्ध परम्परा: मौर्य क्षत्रिय वंश से थे, पिपलिवन के शासक (महापरिनिब्बानसुत्त)। 👑

चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई.पू.–298 ई.पू.) 👑

  • साम्राज्य की स्थापना: 25 वर्ष की आयु में चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक घनानंद को पराजित कर पाटलिपुत्र पर शासन स्थापित किया। 🏰
  • साम्राज्य का विस्तार: पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक। 🌍
  • सेल्यूकस के साथ युद्ध (305 ई.पू.): सेल्यूकस निकेटर को हराया; संधि के तहत चार प्रान्त (एरिया, अराकोसिया, जेड्रोसिया, पेरिपेनिसदई) प्राप्त। 🤝
  • वैवाहिक संबंध: चन्द्रगुप्त और सेल्यूकस के बीच गठबंधन; 500 हाथी उपहार। 🐘
  • मेगस्थनीज: सेल्यूकस का राजदूत; इण्डिका में पाटलिपुत्र को पोलीब्रोथा कहा। 📜
  • जैन धर्म: जीवन के अंत में जैन धर्म अपनाया; भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में सल्लेखना द्वारा देहत्याग। 🙏
  • अकाल: अंतिम काल में मगध में 12 वर्ष का भीषण अकाल। 🌪️
  • विलियम जोन्स: सेंड्रोकोट्स को चन्द्रगुप्त के रूप में पहचाना। 🧑‍🎓
  • मुद्राराक्षस: चन्द्रगुप्त को वृषल (शुद्र) कहा। 📜
  • स्पूनर: चन्द्रगुप्त को पारसीक माना। 🌍
  • ग्रुनवेडेल: मयूर को मौर्यों का राजचिह्न बताया। 🦚

बिन्दुसार (298 ई.पू.–273 ई.पू.) 👑

  • उत्तराधिकारी: चन्द्रगुप्त का पुत्र; यूनानियों ने अमित्रचेट्स या अमित्रघात कहा। 🏰
  • प्रशासन: सुसीम को तक्षशिला और अशोक को उज्जयिनी का राज्यपाल नियुक्त। 🗳️
  • विद्रोह: तक्षशिला में विद्रोह; अशोक ने शांत किया (दिव्यावदान)। ⚔️
  • राजदूत: एण्टियोकस (सीरिया) से डाइमेकस; टालेमी द्वितीय (मिस्र) से डाइनोसियस। 🌍
  • आजीवक सम्प्रदाय: बिन्दुसार इसका अनुयायी। 🙏
  • अन्य नाम: सिंहसेन। 🦁

अशोक (273 ई.पू.–232 ई.पू.) 👑

  • प्रारम्भिक जीवन: माता सुभद्रांगी (बौद्ध ग्रंथ); पुराणों में अशोकवर्धन, दीपवंश में करमोली। 🧑
  • उपाधियाँ: प्रियदर्शी (भाब्रू अभिलेख), बुद्धशाक्य (मास्की अभिलेख)। 🙏
  • साम्राज्य: कश्मीर तक विस्तार (राजतरंगिणी); श्रीनगर और देवपत्तन नगर की स्थापना। 🏞️
  • कलिंग युद्ध (261 ई.पू.): तेरहवें शिलालेख में वर्णित; नरसंहार से द्रवित होकर धम्म विजय की नीति अपनाई। ⚔️
  • धम्म नीति: नैतिक उत्थान के लिए नियम; धम्म महामात्र, रज्जुक, युक्त, प्रादेशिक नियुक्त। 📜
  • परिवार:
    • रानियाँ: महादेवी, तिष्यरक्षिता, कारुवाकी (तीवर की माता)। 👩
    • पुत्र: महेन्द्र; पुत्री: संघमित्रा (सिंहली परम्परा)। 👨‍👩‍👧‍👦
    • सिंहली अनुश्रुति: 99 भाइयों की हत्या कर गद्दी हासिल की। ⚔️
  • बौद्ध धर्म: उपगुप्त द्वारा दीक्षित; भाब्रू शिलालेख में बौद्ध धर्म में विश्वास। 🙏
  • निर्माण:
    • 84,000 स्तूप। 🏛️
    • बराबर पहाड़ी: आजीवकों के लिए गुफाएँ (कर्ण, चौपार, सुदामा, विश्व झोपड़ी)। 🪨
    • दशरथ (पौत्र): नागार्जुनी पहाड़ियों में गोपी, लोमर्षि, वडथिका गुफाएँ। 🪨
  • शासनकाल: 37 वर्ष; उत्तराधिकारी कुणाल (धर्मविवर्धान)। 👑
  • अंतिम शासक: बृहद्रथ। ⚔️

अशोक के अभिलेख 🪨

  • प्रकार: वृहत् शिलालेख (14), लघु शिलालेख, स्तम्भ लेख (7), गुहा लेख। 📜
  • लिपि: प्राकृत भाषा; ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरमाइक, यूनानी। 🖌️
  • खोज:
    • प्रथम खोज: 1750 ई. में टीफेन्थैलर (दिल्ली-मेरठ स्तम्भ)। 🪨
    • प्रथम पठन: 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप (दिल्ली-टोपरा)। 🧑‍🎓
  • विवरण:
    1. प्रथम शिलालेख: पशुबलि और सामाजिक उत्सवों पर प्रतिबंध। 🚫
    2. दूसरा शिलालेख: चिकित्सा, लोक कल्याण; चोल, पांड्य, सत्तियपुत्त, केरलपुत्त। 🩺
    3. तीसरा शिलालेख: माता-पिता का सम्मान; युक्त, रज्जुक, प्रादेशिक को पंचवर्षीय दौरा। 👨‍👩‍👧
    4. चौथा शिलालेख: धम्म नीति द्वारा अनैतिकता और हिंसा पर रोक। 🕊️
    5. पाँचवाँ शिलालेख: धम्म महामात्रों की नियुक्ति; समाज और वर्णव्यवस्था। 🙏
    6. छठा शिलालेख: आत्मनियंत्रण; जनता और राजा की सुलभता। 🤝
    7. सातवाँ शिलालेख: सम्प्रदायों के लिए सहिष्णुता। 🌍
    8. आठवाँ शिलालेख: धर्मयात्राएँ; बोधगया भ्रमण। 🌳
    9. नवाँ शिलालेख: धम्म मंगल की श्रेष्ठता। 🌟
    10. दसवाँ शिलालेख: धम्म नीति; प्रजा के हित में कार्य। 👑
    11. ग्यारहवाँ शिलालेख: धम्म दान की श्रेष्ठता। 🎁
    12. बारहवाँ शिलालेख: सम्प्रदाय सहिष्णुता; स्त्री महामात्र, बृजभूमिक। 🌿
    13. तेरहवाँ शिलालेख: धम्म विजय; कलिंग युद्ध; आटविक जातियाँ। ⚔️
    14. चौदहवाँ शिलालेख: धार्मिक जीवन की प्रेरणा; कलिंग में विशेष। 🙏

अशोक के प्रमुख शिलालेख 📜

शिलालेखस्थानलिपिखोजकर्तावर्ष
शाहबाजगढ़ीपेशावर (पाकिस्तान)खरोष्ठीजनरल कोर्ट1836
मानसेहराहजारा (पाकिस्तान)खरोष्ठीकनिंघम1899
कालसीदेहरादून (उत्तराखंड)ब्राह्मीफोरेस्ट1860
गिरनारजूनागढ़ (गुजरात)ब्राह्मीकर्नल टॉड1822
एर्रगुड़ीकुर्नूल (आंध्र प्रदेश)ब्रुस्टोफेदनअनुघोष1929
धौलीपुरी (ओडिशा)ब्राह्मीकिटो1837
जौगढ़गंजाम (ओडिशा)ब्राह्मीवॉल्टर इलियट1850
सोपाराथाणे (महाराष्ट्र)ब्राह्मी

अशोक के लघु शिलालेख 📜

शिलालेखस्थानखोजकर्तावर्ष
ब्रह्मगिरिचित्तलदुर्ग (कर्नाटक)राइस1891
भाब्रूजयपुर (राजस्थान)कैप्टन बर्ट1840
सहसारामबिहारवेगलर
गुर्जरादतिया (मध्य प्रदेश)बहादुर चन्द्र दावड़ा1954
रूपनाथजबलपुर (मध्य प्रदेश)कर्नल एलिस1872
मास्कीरायचूर (कर्नाटक)बीडन1915
अहरौरामिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश)प्रो. शर्मा1961
गोविमठमैसूर (कर्नाटक)बी.एन. शास्त्री1931
जटिंगरामेश्वरब्रह्मगिरि (कर्नाटक)
सिद्धपुरब्रह्मगिरि (कर्नाटक)
पालकिगुण्डुगोविमठ (कर्नाटक)बी.एन. शास्त्री1931
सारोमारोशहडोल (मध्य प्रदेश)
उडेगोलमबेलारी (कर्नाटक)

अशोक के स्तम्भ लेख 🏛️

स्तम्भ लेखस्थानविवरण
प्रथमटोपरा, मेरठ, इलाहाबाद, रामपुरवा, लौरिया अरेराज, लौरिया नन्दनगढ़धम्म पालन और आत्मनियंत्रण।
द्वितीयधम्म की विशेषताएँ (शुभ, करुणा, सत्यता)।
तृतीयआत्मचिंतन और सद्गुण।
चतुर्थरज्जुकों के कर्तव्य।
पाँचवाँपशु-पक्षी वध निषेध; 25 कैदियों की मुक्ति।
छठाप्रजा कल्याण और धम्मलिपि।
सातवाँदिल्ली-टोपराधम्म के कार्यों का वर्णन।

लघु स्तम्भ लेख 🌟

  • रुम्मिनदेई: लुंबिनी यात्रा; कर में छूट (1/8)। 🌳
  • निगालीसागर: कनकमुनि बुद्ध के स्तूप का संवर्द्धन। 🙏
  • सारनाथ: राष्ट्रीय प्रतीक; चार सिंह, 24 तीलियों वाला चक्र। 🦁
  • कौशाम्बी: रानी करुवाकी का दान (रानी का लेख)। 👑
  • स्थानांतरण:
    • दिल्ली-टोपरा, मेरठ: फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाए गए। 🏛️
    • कौशाम्बी: अकबर द्वारा इलाहाबाद किले में स्थापित। 🏰

धम्म प्रचारक 🌍

प्रचारकक्षेत्र
महेन्द्र, संघमित्राश्रीलंका
मझान्तिककश्मीर, गांधार
मज्झिमहिमालय
महाधर्मरक्षितमहाराष्ट्र
रक्षितवनवासी
सोन, उत्तरासुवर्णभूमि

कौटिल्य का अर्थशास्त्र 📚

  • रचनाकार: कौटिल्य (विष्णुगुप्त, चाणक्य); चन्द्रगुप्त का महामंत्री। 🧑‍🏫
  • विवरण: संस्कृत, 15 अधिकरण, 180 प्रकरण, 6000 श्लोक, सूत्र शैली। 📜
  • खोज: 1905 में भट्ट स्वामी द्वारा तंजौर में; 1909 में श्याम शास्त्री द्वारा प्रकाशित। 🌟
  • विषय: राजव्यवस्था, अर्थनीति, विधि, समाज नीति, धर्म। 🏛️
  • सप्तांग सिद्धांत:
    1. स्वामी (राजा) 👑
    2. अमात्य (मंत्री) 🧑‍💼
    3. जनपद (प्रजा/भूमि) 🌍
    4. दुर्ग (किला) 🏰
    5. कोष (खजाना) 💰
    6. दण्ड (सेना) ⚔️
    7. मित्र (सहयोगी) 🤝
  • अधिकरण:
    1. राजस्व प्रशासन। 💸
    2. नागरिक प्रशासन। 🏛️
    3. दीवानी कानून। ⚖️
    4. फौजदारी कानून। 🚨
    5. सभासद और कर्मचारी। 🧑‍🤝‍🧑
    6. सप्तांग सिद्धांत। 🌟
    7. षड्गुण नीति, मण्डल सिद्धांत। 🤝
    8. दुर्गुण। 🚫
      9–15. युद्ध, संधि, तंत्र-मंत्र। ⚔️

मौर्य प्रशासन 🏛️

  • प्रकृति: केन्द्रीकृत, लोक-कल्याणकारी। 🌟
  • तीर्थ (18):
    • मन्त्री, समाहर्ता (वित्तमंत्री), पुरोहित, सन्निधाता (कोषाध्यक्ष), सेनापति, युवराज, प्रदेष्टा (फौजदारी न्यायाधीश), नायक (नगर रक्षा), कर्मान्तिक (उद्योग निरीक्षक), व्यावहारिक (दीवानी न्यायाधीश), मन्त्रिपरिषदाध्यक्ष, दण्डपाल (पुलिस), अन्तपाल (सीमा दुर्ग), दुर्गपाल, नागरक पौर (नगर प्रमुख), दौवारिक (महल प्रबन्धक), आन्तर्वशिक (अंत:पुर), आटविक (वन विभाग)। 🧑‍💼
  • अध्यक्ष (26):
    • पण्याध्यक्ष (वाणिज्य), सूनाध्यक्ष (बूचड़खाना), गणिकाध्यक्ष (वेश्याएँ), सीताध्यक्ष (कृषि), आकराध्यक्ष (खान), कोष्ठागाराध्यक्ष, कुप्याध्यक्ष (वन), सूत्राध्यक्ष (कटाई-बुनाई), लोहाध्यक्ष (धातु), लक्षणाध्यक्ष (मुद्रा), गोपाध्यक्ष (पशु), वीवीताध्यक्ष (चारागाह), मुद्राध्यक्ष (पासपोर्ट), नवाध्यक्ष (जहाजरानी), पतनाध्यक्ष (बंदरगाह), संस्थाध्यक्ष (व्यापार मार्ग), देवताध्यक्ष (धार्मिक संस्थाएँ), पौतवाध्यक्ष (माप-तौल), र्स्वणाध्यक्ष (सोना), सुराध्यक्ष (आबकारी), मानाध्यक्ष (दूरी/समय), शुल्काध्यक्ष (सीमा शुल्क), आयुधगाराध्यक्ष (अस्त्र-शस्त्र), लवणाध्यक्ष (नमक), द्यूताध्यक्ष (जुआ)। 📋
  • प्रान्त:
    • उत्तरापथ (तक्षशिला) 🏞️
    • अवन्ति (उज्जयिनी) 🏰
    • कलिंग (तोसली) 🌊
    • दक्षिणापथ (सुवर्णगिरी) 🌴
    • मध्यदेश (पाटलिपुत्र) 🏛️
  • प्रशासनिक इकाइयाँ: साम्राज्य → प्रान्त → आहार → द्रोणमुख → खार्वटिक → संग्रहण → ग्राम। 🗺️
  • पदाधिकारी:
    • युक्त, रज्जुक, प्रादेशिक: प्रशासनिक दौरा (तृतीय शिलालेख)। 📜
    • धम्ममहामात्र: सम्प्रदायों में सामंजस्य। 🙏
    • स्त्र्याध्यक्ष महामात्र: महिलाओं का नैतिक आचरण। 👩
    • बृजभूमिक महामात्र: गोचर-भूमि की देखभाल। 🐄
  • गोप: राजस्व संग्रहण। 💸

सामाजिक और आर्थिक जीवन 🌍

  • सामाजिक व्यवस्था: चतुर्वर्णीय; शुद्रों को आर्य कहा (कौटिल्य); मेगस्थनीज ने 7 वर्ग (दार्शनिक, कृषक, शिकारी/पशुपालक, व्यापारी/शिल्पी, योद्धा, निरीक्षक, मंत्री)। 🧑‍🤝‍🧑
  • स्त्रियाँ: पुनर्विवाह, नियोग की अनुमति; अनिष्कासिनी (घर में रहने वाली)। 👩
  • आर्थिक जीवन:
    • कृषि: प्रमुख व्यवसाय; सीता भूमि (सरकारी); कर 1/6–1/4। 🌾
    • सिंचाई: सेतुबंध; सुदर्शन झील (सौराष्ट्र)। 💧
    • मुद्रा: काषार्पण, पण, माषक, काकिणी। 💰
    • गुप्तचर: गूढ़पुरुष, सर्पमहामात्य; महिला गुप्तचर (वृषली)। 🕵️
    • न्यायालय: धर्मस्थीय (दीवानी), कंटकशोधन (फौजदारी)। ⚖️
    • दुर्भिक्ष: सोहगौरा, महास्थान अभिलेख में अनाज वितरण। 🌽

मौर्यकालीन कला और स्थापत्य 🎨

  • पाषाण कला: पत्थरों का प्रथम प्रयोग। 🪨
  • स्तूप: अशोक द्वारा 84,000 स्तूप। 🙏
  • मूर्तिकला:
    • धौली: हाथी मूर्ति। 🐘
    • लोहानीपुर: दिगंबर प्रतिमा। 🕉️
    • दीदारगंज: यक्षिणी मूर्ति। 🗿
    • पारखम: यक्ष मूर्ति। 🗿
    • सारनाथ: चार सिंह, 24 तीलियों वाला चक्र। 🦁
  • पाटलिपुत्र: गंगा-सोन संगम; 64 द्वार, 570 बुर्ज, लकड़ी का परकोटा, 60 फीट गहरी खाई। 🏰
  • खुदाई: बुलन्दी बाग (परकोटा), कुम्रहार (राजप्रासाद)। 🏛️

मौर्यकालीन साहित्य और विज्ञान 📚

  • साहित्य:
    • मुद्राराक्षस (विशाखदत्त): चाणक्य की रणनीति। 🧑‍🏫
    • कथासरित्सागर (सोमदेव), वृहत्कथामंजरी (क्षेमेन्द्र)। 📖
    • अर्थशास्त्र (कौटिल्य): शासन और राजनीति। 📜
    • इण्डिका (मेगस्थनीज): मौर्य प्रशासन। 🌍
    • कथावत (मोग्गलिपुत्त तिस्स), कल्पसूत्र (भद्रबाहु)। 🙏
    • जैन: आचारांग सूत्र, भगवती सूत्र, समवायांग सूत्र (प्राकृत)। 🕉️
    • बौद्ध: पालि भाषा। 🙏
    • भास: 13 नाटक (स्वप्नवासवदत्ता, मृच्छकटिकम् आदि)। 🎭
    • वासवदत्ता (सुबन्धु), नीतिसार (कामन्दक), प्रबंध चिंतामणि (मेरुतुंग)। 📖
  • विज्ञान:
    • नगर नियोजन: भूभौतिक पर्यावरण, जल, यातायात, सुरक्षा। 🏙️
    • सिक्के: आहत सिक्के, उत्तरी काले बर्तन, लोहे के औजार। 💰
    • वस्त्र: काशी, मालवा, पुण्ड्र (सूती); काशी, पुण्ड्र (रेशमी); वंश (मलमल)। 🧵
    • सिंचाई: नहरें, सुदर्शन झील। 💧
    • गणित: अंकन पद्धति, दाशमिक पद्धति, शून्य। 🔢
    • नौवहन: समुन्नत नौसेना; नवाध्यक्ष। 🚢

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण 📉

  • दुर्बल उत्तराधिकारी: कुणाल, बृहद्रथ की अयोग्यता। 👑
  • साम्राज्य विभाजन: प्रान्तीय शासकों की महत्त्वाकांक्षा। 🗺️
  • केन्द्रीकृत व्यवस्था: नौकरशाही का अनुत्तरदायित्व। 🏛️
  • आर्थिक संकट: भारी कर, वित्तीय समस्याएँ। 💸
  • अशोक की धम्म नीति: अतिशांतिवादिता, सैन्य कमजोरी। 🙏
  • सांस्कृतिक समस्याएँ: भौतिक संस्कृति का प्रसार। 🌍

निष्कर्ष 🌟

मौर्यकाल भारत का पहला केन्द्रीकृत साम्राज्य था, जिसने प्रशासन, कला, और साहित्य में अभूतपूर्व योगदान दिया। चन्द्रगुप्त ने साम्राज्य की नींव रखी, बिन्दुसार ने इसे मजबूत किया, और अशोक ने धम्म नीति के माध्यम से नैतिकता और सहिष्णुता का संदेश दिया। हालांकि, दुर्बल उत्तराधिकारियों और आर्थिक संकटों ने इसके पतन को गति दी। मौर्यकाल आज भी भारतीय इतिहास का एक प्रेरणादायक अध्याय है। 🏛️

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