जलवायु किसी स्थान की दीर्घकालीन मौसमी अवस्था है, जो 30 वर्षों की औसत मौसमी दशाओं (वर्षा, आर्द्रता, तापमान, वायुदाब, पवन वेग) के आधार पर निर्धारित होती है, जबकि मौसम अल्पकालीन अवस्था है। राजस्थान की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसूनी है, जो इसकी अक्षांशीय स्थिति, समुद्र से दूरी, और अरावली पर्वतमाला जैसे कारकों से प्रभावित है। नीचे राजस्थान की जलवायु की विशेषताएँ, वर्गीकरण, और प्रभावित करने वाले कारकों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
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जलवायु का निर्धारण
परिभाषा: जलवायु किसी स्थान की दीर्घकालीन (30 वर्ष) मौसमी दशाएँ।
घटक: वर्षा, आर्द्रता, तापमान, वायुदाब, पवन वेग।
प्रथम व्याख्या: अरबी यात्री अलमसूदी द्वारा भारतीय मानसून और जलवायु की व्याख्या।
महत्वपूर्ण कारक: अक्षांशीय स्थिति, जो विश्व को विभिन्न कटिबंधों में बाँटती है:
उष्ण कटिबंध: 0°-23.5° (डूंगरपुर, बांसवाड़ा का दक्षिणी भाग, 1%)।
उपोष्ण कटिबंध: 23.5°-35° (राजस्थान का 99%)।
शीत कटिबंध: 35° से ऊपर।
राजस्थान की जलवायु के प्रकार
राजस्थान की जलवायु को वर्षा और भौतिक प्रदेश के आधार पर निम्नलिखित पाँच प्रकारों में बाँटा गया है:
जलवायु प्रकार
वर्षा (सेमी)
भौतिक प्रदेश
विशेषताएँ
शुष्क कटिबंधीय
0-20
शुष्क मरुस्थल (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, दक्षिणी श्रीगंगानगर, पश्चिमी जोधपुर)
राजस्थान की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसूनी है, जो शुष्क (थार मरुस्थल) से अति आर्द्र (हाड़ौती) तक विविधता लिए हुए है। अरावली पर्वतमाला वर्षा वितरण को प्रभावित करती है, जिससे पूर्वी राजस्थान में अधिक और पश्चिमी राजस्थान में कम वर्षा होती है। बंगाल की खाड़ी मानसून (90%) और अरब सागरीय मानसून (10%) वर्षा के प्रमुख स्रोत हैं। कोपेन, थॉर्नथ्वेट, और ट्रिवार्था वर्गीकरण इस विविधता को दर्शाते हैं। लू, मावठ, और भभूल्या इसकी विशिष्ट मौसमी घटनाएँ हैं।
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