राजस्थान की हस्तशिल्प MCQ

By: LM GYAN

On: 25 November 2025

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इस क्विज़ में आप राजस्थान की हस्तशिल्प से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास कर सकते हैं। 🎯

📊 इस क्विज़ में कुल 280 प्रश्न शामिल हैं।

  • 1️⃣ हर प्रश्न के नीचे चार विकल्प (A, B, C, D) दिए गए हैं।
  • 2️⃣ जिस विकल्प को सही समझें, उस पर क्लिक करें।
  • 3️⃣ ✅ सही उत्तर हरा (Green) हो जाएगा।
  • 4️⃣ ❌ गलत उत्तर लाल (Red) रंग में दिखेगा, और सही उत्तर अपने-आप हरे रंग में दिखाई देगा।
  • 5️⃣ 📘 नीचे आपको “उत्तर” और “व्याख्या” भी दिखाई देगी — ताकि आप तुरंत सीख सकें।
  • 6️⃣ 💡 सभी प्रश्नों को ध्यान से हल करें, और अंत में अपने सही उत्तरों की गिनती करें।

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भारत सामान्य ज्ञान प्रश्न

राजस्थान की हस्तशिल्प MCQ

प्रश्न 1: ‘फेटिया’ शैली की हैंड-ब्लॉक प्रिंटिंग राजस्थान के निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से संबंधित है –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (21 Sep. 2025 1st Shift)
A) अकोला
B) सांगानेर
C) कोटा
D) बाड़मेर
उत्तर: अकोला
व्याख्या: अकोला, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक क्राफ्ट क्लस्टर है। यह स्थान हाथ से ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र की दाबू या मड़ रेजिस्ट प्रिंटिंग दो विशेष प्रकार की होती है – फेटिया और नंगना, जो इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं।

प्रश्न 2: श्री जानकी लाल भांड राजस्थान की निम्नलिखित में से किस पारंपरिक प्रदर्शन कला में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध हैं –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (20 Sep. 2025 1st Shift)
A) कठपुतली
B) बहरूपिया
C) कालबेलिया
D) रम्मत
उत्तर: बहरूपिया
व्याख्या: जानकी लाल भांड राजस्थान के प्रसिद्ध बहरूपिया कलाकार हैं। बहरूपिया लोक कलाकार विभिन्न भेष और रूप बनाकर मनोरंजन व सामाजिक संदेश देने का कार्य करते हैं। यह कला राजस्थान की लोक नाट्य परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 3: राजस्थानी लोक कला का एक रूप जिसका प्रयोग दीवारों, द्वारों, चौखटों, चबूतरों, आँगन और पूजा स्थलों आदि को सजाने के लिए किया जाता है, कहलाता है –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (20 Sep. 2025 1st Shift)
A) फड़
B) मांडणा
C) पाने
D) कावड़
उत्तर: मांडणा
व्याख्या: मांडणा राजस्थान की पारंपरिक लोक चित्रकला है। महिलाएँ इसे चूने, लाल मिट्टी और सफेद खड़िया से दीवारों, आँगनों, पूजा स्थलों आदि पर बनाती हैं।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन-सा समुदाय पारंपरिक रूप से, फड़ चित्रों से कथाएँ सुनाने से जुड़ा हुआ है –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (19 Sep. 2025 2nd Shift)
A) भोपा
B) बंजारा
C) कालबेलिया
D) सरगोडास
उत्तर: भोपा
व्याख्या: भोपा और भोपी राजस्थान के पारंपरिक लोक कलाकार हैं, जो फड़ चित्रों (Phad Paintings) के माध्यम से देवनारायण जी और पाबूजी जैसी लोकगाथाएँ गाते और सुनाते हैं।

प्रश्न 5: कोटा डोरिया साड़ी का एक अन्य नाम क्या है? (निम्न में से सबसे उपयुक्त विकल्प चुनें)

RSSB Fourth Class Exam 2024 (19 Sep. 2025 2nd Shift)
A) कोटा गोटा पट्टी साड़ी
B) कोटा बनारसी साड़ी
C) कोटा कॉटन साड़ी
D) कोटा मसूरिया साड़ी
उत्तर: कोटा मसूरिया साड़ी
व्याख्या: कोटा डोरिया साड़ी को कोटा मसूरिया भी कहा जाता है, क्योंकि सत्रहवीं शताब्दी में मैसूर से बुनकर कोटा लाए गए थे।

प्रश्न 6: राजस्थान के जनजातीय समुदायों में प्रचलित लोक-कला, जिसमें सुई जैसे औज़ार से सजावट के लिए त्वचा में काले रंग को डाला जाता है, उसे कहते हैं –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (19 Sep. 2025 1st Shift)
A) कावड़
B) वील
C) मांडना
D) गोदना
उत्तर: गोदना
व्याख्या: गोदना राजस्थान की जनजातीय कला है जिसमें सुई जैसे औज़ार से त्वचा पर डिजाइन बनाकर काला रंग भरा जाता है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से, किसने राजस्थान से ‘ब्लू पॉटरी’ (नील-मृद्भांड) पर, अपनी चित्रकला के लिए, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की –

RSSB Fourth Class Exam 2024 (19 Sep. 2025 1st Shift)
A) बीरबल सिंह
B) दयालदास
C) कृपाल सिंह शेखावत
D) कोमल कोठारी
उत्तर: कृपाल सिंह शेखावत
व्याख्या: कृपाल सिंह शेखावत जयपुर की प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी कला से जुड़े थे। जयपुर ब्लू पॉटरी का प्रमुख केंद्र है। चूड़ामन और कालू कुमार को सवाई राम सिंह के शासनकाल में भोला से ब्लू पॉटरी का प्रशिक्षण लेने के लिए दिल्ली भेजा गया था। कृपाल सिंह शेखावत को 1974 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और 2002 में भारत सरकार द्वारा शिल्प गुरु की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

प्रश्न 8: ताजे नमीयुक्त प्लास्टर की दीवार पर की गई चित्रकारी कहलाती है –

Raj Police Constable Exam 2025 (Shift-2)
A) तैल चित्रकारी
B) जल चित्रकारी
C) सिको चित्रकारी
D) ब्यूऑन फ्रेस्को
उत्तर: ब्यूऑन फ्रेस्को
व्याख्या: ब्यूऑन फ्रेस्को: यह तकनीक है जिसमें ताजे, गीले प्लास्टर पर चित्रकारी की जाती है, जो दीवार में रंग को स्थायी बनाता है।

प्रश्न 9: ताजे नमीयुक्त प्लास्टर की दीवार पर की गई चित्रकारी कहलाती है –

Raj Police Constable Exam 2025 (Shift-2)
A) तैल चित्रकारी
B) जल चित्रकारी
C) सिको चित्रकारी
D) ब्यूऑन फ्रेस्को
उत्तर: ब्यूऑन फ्रेस्को
व्याख्या: ब्यूऑन फ्रेस्को: यह तकनीक है जिसमें ताजे, गीले प्लास्टर पर चित्रकारी की जाती है, जो दीवार में रंग को स्थायी बनाता है।

प्रश्न 10: गुलाबी मृद्भांड किस शहर से संबंधित है –

Raj Police Constable Exam 2025 (Shift-2)
A) जोधपुर
B) उदयपुर
C) जयपुर
D) अजमेर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: गुलाबी मृद्भांड (पॉटरी) जयपुर से विशेष रूप से जुड़ा है, जो राजस्थान की एक प्रसिद्ध शिल्प कला है।

प्रश्न 11: बाड़मेर प्रिंट अपने बोल्ड ज्यामितीय पैटर्न के लिए जाने जाते हैं जिन्हें कहा जाता है –

Rajasthan Patwar Exam 2025 2nd Shift
A) बगरू प्रिंट
B) सांगानेरी प्रिंट
C) डब्बू रेसिस्ट प्रिंट
D) अजरख प्रिंट
उत्तर: अजरख प्रिंट
व्याख्या: अजरख प्रिंट बाड़मेर (राजस्थान) का पारंपरिक ब्लॉक प्रिंट है, जो बोल्ड ज्यामितीय पैटर्न और प्राकृतिक रंगों के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन राजस्थान की ट्राइब्स इंडिया जीआई उत्पाद सूची में शामिल नहीं है –

Rajasthan Patwar Exam 2025 2nd Shift
A) सजावटी नीले मिट्टी के बर्तन
B) गोबिंदो भोग चावल
C) मोलेला मिट्टी की वस्तुएँ
D) बगरू हैंड-ब्लॉक प्रिंट
उत्तर: गोबिंदो भोग चावल
व्याख्या: ट्राइब्स इंडिया जीआई उत्पाद सूची में शामिल राजस्थान के उत्पाद हैं:
• ब्लू पॉटरी – जयपुर
• मोलेला मिट्टी कार्य – मोलेला, नाथद्वारा (राजसमंद)
• बगरू प्रिंट – जयपुर
गोबिंदोभोग (जिसे गोविंद भोग या भोग चावल भी कहते हैं) एक संबंधित, छोटे दाने वाला चावल है जिसकी खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में होती है।

प्रश्न 13: ‘ब्लू पॉटरी’ राजस्थान के निम्नलिखित में से किस स्थान का पारंपरिक शिल्प है –

Rajasthan Patwar Exam 2025 2nd Shift
A) जैसलमेर
B) कोटा
C) जयपुर
D) उदयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: ब्लू पॉटरी (नीले मिट्टी के बर्तन) जयपुर का पारंपरिक शिल्प है, जो कुम्हारों द्वारा नीले रंग की चमक के साथ बनाए जाते हैं। यह जयपुर की हस्तकला के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटकों को आकर्षित करती है। ब्लू पॉटरी की फारसी कला मुगल दरबारों के माध्यम से फारस और अफगानिस्तान से जयपुर आई थी।

प्रश्न 14: राजस्थान में सीकर का कौन सा शहर गोटा उद्योग का प्रसिद्ध केंद्र है –

Rajasthan Patwar Exam 2025 1st Shift
A) खंडेला
B) आमेर
C) शाहपुरा
D) विराट नगर
उत्तर: खंडेला
व्याख्या: खंडेला, सीकर जिले का एक प्रमुख स्थान है, जो अपने गोटा उद्योग के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 15: विश्व शिल्प परिषद (डब्ल्यूसीसी) ने राजस्थान के निम्नलिखित में से किस स्थान को ‘विश्व शिल्प नगरी’ घोषित किया है?

Rajasthan Patwar Exam 2025 1st Shift
A) अलवर
B) जैसलमेर
C) जयपुर
D) उदयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर, मलप्पुरम और मैसूर के बाद श्रीनगर, विश्व शिल्प शहर घोषित होने वाला चौथा भारतीय शहर है। WCC-विश्व शिल्प शहर कार्यक्रम वर्ष 2014 में विश्व शिल्प परिषद AISBL (WCC-इंटरनेशनल) द्वारा दुनिया भर में शिल्प विकास में स्थानीय अधिकारियों, शिल्पकारों और समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए शुरू किया गया था।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौनसा स्थान, अजरख वस्त्र छपाई के लिए प्रसिद्ध है –

Librarian Grade III 2024 (Paper 1)
A) अलवर
B) भरतपुर
C) सांगानेर
D) बाड़मेर
उत्तर: बाड़मेर
व्याख्या: बाड़मेर का अजरक प्रिंट प्रसिद्ध है। इस प्रिंट में लाल और नीले रंग का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 17: मांगीलाल मिस्त्री का राजस्थान की किस लोक-कला से संबंध है –

A) मांडना
B) कावड़
C) फड़
D) बील
उत्तर: कावड़
व्याख्या: मांगीलाल मिस्त्री राजस्थान की कावड़ लोक-कला से जुड़े हैं। कावड़ एक पोर्टेबल लकड़ी का मंदिर है, जिसमें चित्रकारी और कथाएँ दर्शाई जाती हैं।

प्रश्न 18: राजस्थान में हस्तशिल्प के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किया गया है – निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:

Animal Attendant 2023 Exam (December 3 Shift I)
A) सीतापुरा
B) भिवाड़ी
C) भीलवाड़ा
D) बोरनाडा
उत्तर: बोरनाडा
व्याख्या: सीतापुरा (जयपुर) में रत्न एवं आभूषण तथा बोरानाडा (जोधपुर) में हस्तशिल्प के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किए गए हैं, और जयपुर में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर बहुराष्ट्रीय विशेष आर्थिक क्षेत्र “महेंद्र वर्ल्ड सिटी” की स्थापना की गई है।

प्रश्न 19: फाड़ कलाकार श्री लाल जोशी का संबंध राजस्थान के किस क्षेत्र से है – निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:

Animal Attendant 2023 Exam (December 3 Shift I)
A) भीलवाड़ा
B) जयपुर
C) झालावाड़
D) कोटा
उत्तर: भीलवाड़ा
व्याख्या: श्री लाल जोशी एक प्रसिद्ध फाड़ चित्रकला कलाकार हैं, जिनका संबंध भीलवाड़ा (राजस्थान) से है। फाड़ चित्रकला राजस्थान की पारंपरिक कला है, जो लोक कथाओं और धार्मिक कहानियों को चित्रित करती है।

प्रश्न 20: ग्रामीण गैर-कृषि विकास एजेंसी की स्थापना राजस्थान सरकार द्वारा नवंबर 1995 में की गई थी। इसका उद्देश्य है

Deputy Jailor (Jail Deptt.) Comp. Exam-2024
A) शिल्पकार परिवारों के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा देना।
B) शिल्पकार परिवारों के लिए मजदूरी पर रोजगार को बढ़ावा देना।
C) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति व गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों के लिए स्वरोजगार और मजदूरी पर रोजगार को बढ़ावा देना।
D) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए रियायती वित्त और प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करना।
उत्तर: शिल्पकार परिवारों के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा देना।
व्याख्या: ग्रामीण गैर-कृषि विकास एजेंसी (RUDA) का गठन 1995 में ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोजगार सृजन के लिए रियायती वित्त और प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था, विशेष रूप से शिल्प और हस्तकला क्षेत्रों में।

प्रश्न 21: फड़ कलाकार श्रीलाल जोशी का संबंध है :-

Prahari 2024 Shift 2
A) सीकर से
B) जयपुर से
C) चूरू से
D) भीलवाड़ा से
उत्तर: भीलवाड़ा से
व्याख्या: श्रीलाल जोशी एक प्रसिद्ध फड़ चित्रकार और कलाकार थे, जिनका संबंध राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से है। फड़ चित्रकला राजस्थान की एक पारंपरिक कला है, जिसमें लोक देवताओं (जैसे पाबूजी, देवनारायणजी) की कहानियों को चित्रों और गायन के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 22: फड़ कलाकार श्रीलाल जोशी का संबंध है:

Prahari 2024 Shift 1
A) बीकानेर
B) जोधपुर
C) भीलवाड़ा
D) चूरू
उत्तर: भीलवाड़ा
व्याख्या: श्री लाल जोशी भीलवाड़ा, राजस्थान के एक विश्वप्रसिद्ध कलाकार हैं। वह फड कलाकारों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो कभी फड़ पेंटिंग की कला के एकमात्र कलाकार थे। कला की साधना करते हुए इन्हें कई सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हुए। कला का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय अवार्ड काफी देरी से यानी 1984 में मिला लेकिन नाम और यश हमेशा इनके साथ रहे। भारत सरकार ने सन् 2006 में इन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। सन् 2007 में इन्हें शिल्पगुरु की उपाधि प्रदान की गई।

प्रश्न 23: राजस्थान में कमल पुष्प के छापे से बनी ओढ़नी को किस नाम से जाना जाता है –

SCHOOL LECTURER (SCHOOL EDU.) 2024 GA and GS (G-D)
A) पोमचा
B) पतंगा
C) लहरिया
D) चुनड़ी
उत्तर: पोमचा
व्याख्या: राजस्थान में कमल पुष्प के छापे वाली ओढ़नी को पोमचा कहा जाता है। पोमचा पद्म या कमल से संबद्ध है, अर्थात इसमें कमल के फूल बने होते हैं। राजस्थान में जयपुर के लहरिया और पोमचा प्रसिद्ध है।

प्रश्न 24: राजस्थान में देवी साझी किस का अवतार है – निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:

Animal Attendant 2023 Exam (December 2 Shift II)
A) सीता
B) पार्वती
C) लक्ष्मी
D) ऊषा
उत्तर: पार्वती
व्याख्या: राजस्थान में देवी साझी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। साँझीकला अपने मूल रूप में गोबर पर विविधरंगी फूलों का सांस्कृतिक रचाव है। गोबर द्वारा जो विविध रंगी फूल उगाए जाते हैं उन्हें फूलों द्वारा श्रृंगारित कर मनमोहक बनाई जाती है। फूलों के सम्पूर्ण परिवेश में जब साँझी खिलती है तो ऐसा लगता है कि जैसे पूरी संध्या खिल उठी है। साँझी को कुछ विद्वानों ने पार्वती, कुछ ने दुर्गा तो कुछ ने गौरा माना है।

प्रश्न 25: थेवा कला का संबंध राजस्थान के किस स्थान से है –

Junior Instructor (SWT) Exam 2024
A) प्रतापगढ़
B) चूरू
C) उदयपुर
D) झालावाड़
उत्तर: प्रतापगढ़
व्याख्या: थेवा कला एक पारंपरिक कला है, जिसमें कांच पर सोने की नक्काशी की जाती है। यह राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से विशेष रूप से संबंधित है।

प्रश्न 26: उस्ताद अली रज़ा और उस्ताद हामिद रुकनुद्दीन को बीकानेर के कौन-से शासक मुगल दरबार से बीकानेर लाये थे –

Junior Instructor (PLM) Exam 2024
A) महाराजा दलपतसिंह
B) राव कल्याणमल
C) महाराजा सूरसिंह
D) महाराजा रायसिंह
उत्तर: महाराजा रायसिंह
व्याख्या: महाराजा रायसिंह ने मुगल दरबार से उस्ता कला के कलाकारों, जैसे उस्ता अली रज़ा और उस्ता हामिद रुकनुद्दीन, को बीकानेर लाया था।

प्रश्न 27: महेश सोनी, रामप्रसाद और बेनीराम सोनी राजस्थान के किस कला के प्रमुख कलाकार हैं –

Junior Instructor (PLM) Exam 2024
A) उस्ता कला
B) थेवा कला
C) मीनाकारी कला
D) मांडणा कला
उत्तर: थेवा कला
व्याख्या: थेवा कला राजस्थान की एक प्रसिद्ध कांच पर सोने की नक्काशी की कला है, और महेश सोनी, रामप्रसाद, और बेनीराम सोनी इसके प्रमुख कलाकार हैं।

प्रश्न 28: जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह-प्रथम द्वारा कहाँ से लाई गई थी –

Junior Instructor (COS) Exam 2024
A) ईरान
B) बलूचिस्तान
C) बंगाल
D) लाहौर
उत्तर: लाहौर
व्याख्या: जयपुर मे मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह प्रथम (1589-1614 ई.) द्वारा लाहौर से लाई गई थी। परम्परागत रूप से सोने पर मौनाकारी के लिए काले, नीले, पीले, नारंगी और गुलाबी रंग का प्रयोग किया जाता है। लाल रंग बनाने में जयपुर के मीनाकार कुशल है।

प्रश्न 29: ‘मोकड़ी’ क्या है –

Junior Instructor (STE) Exam 2024
A) काँच की चूड़ी
B) लाख की चूड़ी
C) एक परिधान
D) मृद्भांड
उत्तर: लाख की चूड़ी
व्याख्या: मोकड़ी राजस्थान में पारंपरिक लाख की चूड़ियों को कहा जाता है, जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा पहनी जाती हैं। जयपुर और जोधपुर इस कला के प्रसिद्ध केंद्र हैं, जबकि करौली जिले में लाख की चूड़ियों पर कांच की सजावट की जाती है।

प्रश्न 30: कृपाल सिंह शेखावत को किस कला को देश-विदेश में पहचान दिलाने के लिए ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया –

Junior Instructor (ICTSM) Exam 2024
A) मीनाकारी
B) उस्ता कला
C) ब्लू पॉटरी
D) थेवा कला
उत्तर: ब्लू पॉटरी
व्याख्या: कृपाल सिंह शेखावत को जयपुर की ब्लू पॉटरी कला को पुनर्जीवन और विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए 1974 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2002 में उन्हें भारत सरकार ने शिल्प गुरु की उपाधि से सम्मानित किया।

प्रश्न 31: चित्तौड़गढ़ जिले का बस्सी गांव किस हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है – (निम्न में से सबसे उपयुक्त विकल्प चुनें)

Junior Instructor (EM) Exam 2024
A) फड
B) मांडणा
C) थेवा
D) कावड़
उत्तर: कावड़
व्याख्या: बस्सी गाँव, जो चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है, कावड़ हस्तशिल्प के लिए विख्यात है। यह एक विशिष्ट कला है जिसमें लकड़ी पर रंगीन चित्रकारी की जाती है और विभिन्न धार्मिक कथाओं को चित्रित किया जाता है।

प्रश्न 32: चित्तौड़ की कावड़ कला से किस कलाकार का नाम जुड़ा है –

Junior Instructor (COPA) Exam 2024
A) बक्साराम
B) श्रीलाल जोशी
C) मांगीलाल मिस्त्री
D) साहिबराम
उत्तर: मांगीलाल मिस्त्री
व्याख्या: मांगीलाल मिस्त्री कावड़ कला के एक प्रसिद्ध काष्ठशिल्पी हैं। उन्होंने इस पारंपरिक राजस्थानी कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

प्रश्न 33: ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वती कला का कार्य के नाम से जाना जाता है।

Junior Instructor (Wireman) Exam 2024
A) मीनाकारी
B) थेवा कला
C) उस्ता कला
D) लाख कला
उत्तर: उस्ता कला
व्याख्या: उस्ता कला ऊँट की खाल पर किए जाने वाले स्वर्ण मीनाकारी कार्य को कहा जाता है। इस कला का विकास बीकानेर के पद्मश्री हिसामुद्दीन उस्ता ने किया था। अगस्त 1975 में बीकानेर में उस्ता कैमल हाइड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी।

प्रश्न 34: फड़ के वाचक कौन थे – निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:

Animal Attendant 2023 Exam (December 2 Shift I)
A) बनजारा
B) भोपा
C) कालबेलिया
D) सग्रादा
उत्तर: भोपा
व्याख्या: भोपा राजस्थान में फड़ चित्रकला के कथावाचक के रूप में जाने जाते हैं। वे फड़ पर चित्रित कथाओं को गाकर और सुनाकर प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 35: निम्नलिखित में से कौन-सा स्थान और उसकी हस्तकला का संबंध सही ढंग से जोड़ा गया है –

A) सवाई माधोपुर – कागज बनाने की कला
B) नदबई (भरतपुर) – लकड़ी की कठपुतलियाँ
C) बस्सी गाँव (चित्तौड़) – चमड़े की मोजड़ियाँ
D) जयपुर – भौंडल (अभ्रक) की छपाई
उत्तर: सवाई माधोपुर – कागज बनाने की कला
व्याख्या: सवाई माधोपुर और सांगानेर कागज बनाने की कला के लिए प्रसिद्ध हैं। नदबई तहसील (भरतपुर) जूतियों के लिए जानी जाती है। बस्सी गाँव लकड़ी के शेर, हाथी, घोड़े, मोर, चोपड़ा, बाजोट, गणगौर, हिंडोला और लोकनाट्य में प्रयुक्त विभिन्न वस्तुओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। भीलवाड़ा भौंडल (अभ्रक) की छपाई के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 36: गलीचे और दरियों के निर्माण के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है –

A) इराक के शाह अब्बास द्वारा भेंट किया गया गलीचा बीकानेर संग्रहालय में रखा गया है।
B) बीकानेर जेल में निर्मित गलीचे सर्वाधिक सुंदर माने जाते थे।
C) सालावास गाँव (जोधपुर) दरियों के लिए प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि गलीचों का मुख्य केंद्र है।
D) टोंक ऊनी नमदों के लिए प्रसिद्ध नहीं है, केवल गलीचे यहाँ बनते हैं।
उत्तर: बीकानेर जेल में निर्मित गलीचे सर्वाधिक सुंदर माने जाते थे।
व्याख्या: जयपुर गलीचा निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। सूत और ऊन के ताने-बाने का उपयोग करके गलीचे की बुनाई की जाती है। बुनाई में जितना बारीक धागा और गाँठे होती हैं, बनावट उतनी ही उत्कृष्ट मानी जाती है। गलीचे का काम जयपुर, ब्यावर, किशनगढ़, टोंक, मालपुरा, केकड़ी, भीलवाड़ा, कोटा सभी जगह होता है। जयपुर के गलीचे गहरे रंग, डिजाइन और शिल्प कौशल की दृष्टि से प्रसिद्ध हैं। इराक के शाह अब्बास द्वारा मिर्जा राजा जयसिंह को भेंट स्वरूप दिया गया गलीचा, जिसमें बगीचा बना हुआ है, संसार के अद्वितीय गलीचों में से एक है और इसे राजकीय संग्रहालय (जयपुर) में रखा गया है। बीकानेर जेल में गलीचा निर्माण का कार्य होता था जिसे सर्वाधिक सुंदर माना जाता था। सालावास गाँव (जोधपुर) दरियों के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 37: मंसूरिया या कोटा डोरिया बुनाई के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है –

A) यह बुनाई कैथून गाँव (कोटा) के बुनकरों द्वारा सूती, रेशमी धागे और जरी के प्रयोग से की जाती है।
B) कोटा डोरिया साड़ी की पहचान वर्गों की संख्या (300) से होती है और इसे 1761 में झाला जालिमसिंह ने शुरू करवाया था।
C) मंसूरिया साड़ी का नाम मैसूर के बुनकर महमूद मसूरिया के नाम पर पड़ा और इसे GI टैग प्राप्त है।
D) कैथून के अलावा मांगरोल (बाड़मेर) में भी यह बुनाई सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
उत्तर: कैथून के अलावा मांगरोल (बाड़मेर) में भी यह बुनाई सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
व्याख्या: कोटा से 15 किमी. दूर कैथून गांव के बुनकरों द्वारा सूती धागे के साथ रेशमी धागे और जरी का प्रयोग करके की जाने वाली चौकोर बुनाई को मंसूरिया या कोटा डोरिया बुनाई कहते हैं। असली कोटा डोरिया साड़ी की पहचान वर्गों की संख्या (300) से की जाती है। इसे अनेक रंगों और आकर्षक डिजाइनों में बुना जाता है। बुनाई का कार्य बुनकर अपने घर में खड्डी लगाकर करते हैं। 1761 में कोटा के दीवान झाला जालिमसिंह ने मैसूर के बुनकर महमूद मसूरिया को कोटा बुलाया और यहाँ हथकरघा उद्योग की स्थापना कर साड़ी बुनना शुरू करवाया, उसी के नाम पर साड़ी का नाम मसूरिया साड़ी हो गया। कैथून (कोटा) के अतिरिक्त मांगरोल (बाड़मेर) की प्रमुख प्रसिद्ध है।

प्रश्न 38: निम्नलिखित में से कौन-सी छपाई शैली बाड़मेर से संबंधित है और इसमें लाल व नीले रंग का प्रयोग दोनों तरफ छपाई के साथ किया जाता है?

A) सांगानेरी प्रिंट
B) अजरक प्रिंट
C) बगरू प्रिंट
D) जाजम प्रिंट
उत्तर: अजरक प्रिंट
व्याख्या: बाड़मेर के अजरक प्रिंट के वस्त्र प्रसिद्ध हैं। इस प्रिंट में लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है और दोनों तरफ छपाई होती है। खत्री जाति इस कार्य को करने के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 39: दाबू प्रिंट के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है –

A) आकोला (चित्तौड़गढ़) दाबू प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ की प्राकृतिक परिस्थितियाँ इसके लिए अनुकूल हैं।
B) दाबू प्रिंट में रंग न चढ़ाने वाले स्थान को “लई” या “लुगदी” से दबाया जाता है, जिसे “दाबू” कहते हैं।
C) सांगानेर और बगरू में गेहूँ के बींधण का दाबू प्रयोग होता है, जबकि सवाई माधोपुर में मोम का दाबू प्रसिद्ध है।
D) दाबू प्रिंट में लकड़ी का छापा “बटकाड़े” कहलाता है, जिसे छीपा जाति के लोग बनाते हैं।
उत्तर: दाबू प्रिंट में लकड़ी का छापा “बटकाड़े” कहलाता है, जिसे छीपा जाति के लोग बनाते हैं।
व्याख्या: चित्तौड़गढ़ जिले का आकोला गांव दाबू प्रिन्ट के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की प्राकृतिक परिस्थितियाँ इस रंगाई-छपाई के लिए अनुकूल हैं। पानी, मिट्टी और वनस्पति जैसे आवश्यकताएँ स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं। आकोला के दाबू प्रिन्ट के बेडशीट, कपड़ा, चून्दड़ी व फेंटिया देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार की रंगाई-छपाई में जिस स्थान पर रंग नहीं चढ़ाना हो, उसे लई या लुगदी से दबा देते हैं। यही लुगदी या लई जैसा पदार्थ ‘दाबू’ कहलाता है। हाथ की छपाई में काम आने वाला लकड़ी का छापा बटकाड़े कहलाता है जिसका निर्माण खरादिये द्वारा किया जाता है। कपड़ों पर परंपरागत तरीके से हाथ से छपाई को ब्लॉक प्रिंटिंग कहते हैं। इस प्रिंटिंग के लिए बाडमेर, बालोतरा, बगरू, सांगानेर, आकोला आदि स्थानों के छीपा जाति के लोग प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 40: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन बंधेज रंगाई के संदर्भ में सही नहीं है –

A) जोधपुर और जयपुर का बंधेज प्रसिद्ध है, और राज्य में बंधेज की सबसे बड़ी मंडी जोधपुर में स्थित है।
B) बंधेज का सर्वाधिक काम सुजानगढ़ (चूरू) में होता है, और इसके कारीगर तैय्यब खान को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
C) महिलाएँ बंधेज की साड़ी और ओढ़नी पहनती हैं, जबकि पुरुष इसके साफे नहीं बाँधते।
D) बंधेज को “Tie & Die” के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर: महिलाएँ बंधेज की साड़ी और ओढ़नी पहनती हैं, जबकि पुरुष इसके साफे नहीं बाँधते।
व्याख्या: जोधपुर तथा जयपुर का बंधेज प्रसिद्ध है। महिलाएं इस रंगाई की साड़ी तथा ओढ़नी पहनती हैं। जबकि पुरुषों द्वारा इस रंगाई के साफे बांधे जाते हैं। राज्य में बन्धेज की सबसे बड़ी मंडी जोधपुर में स्थित है तथा बन्धेज का सर्वाधिक काम सुजानगढ़ (चूरू) में होता है। बन्धेज कार्य के लिए जोधपुर के कारीगर तैय्यब खान को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रश्न 41: टेराकोटा और मूर्तिकला के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प गलत है –

A) मोलेला गाँव टेराकोटा कला का प्रमुख केंद्र है और यहाँ मिट्टी में गधे की लीद मिलाई जाती है।
B) अलवर की कागजी टेराकोटा मिट्टी की बारीक और परतदार कलात्मक वस्तुओं के लिए जानी जाती है।
C) राजस्थान में मूर्तिकला का व्यवस्थित विकास गुप्त काल से शुरू हुआ था।
D) बीकानेर में हेरम्ब गणपति (शेर पर सवार) की मूर्ति स्थापित है।
उत्तर: राजस्थान में मूर्तिकला का व्यवस्थित विकास गुप्त काल से शुरू हुआ था।
व्याख्या: पक्की मिट्टी का उपयोग करके मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने आदि बनाने की कला को टेराकोटा के नाम से जाना जाता है। नाथद्वारा के पास स्थित मोलेला गांव इस कला का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। इसी प्रकार जालौर के हरजी गांव के कुम्हार मामाजी के घोड़े बनाते हैं। मोलेला तथा हरजी दोनों ही स्थानों में कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें ताप पर पकाते हैं। गधे की लीद मिलाने से कलाकृति में दरारें नहीं पड़ती हैं। मिट्टी के खिलौने, गुलदस्ते, गमले तथा पशु-पक्षियों की कलाकृतियों के काम के लिए नागौर जिले का बनूरावतां गाँव प्रसिद्ध है। कागजी टेराकोटा – अलवर में मिट्टी की बिल्कुल बारीक व परतदार कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं। इसे ‘कागजी टेराकोटा’ कहते हैं। राजस्थान में व्यवस्थित ढंग से मूर्तिकला का विकास मौर्यकाल से आरम्भ हुआ। डुंगरपुर संग्रहालय में गुप्तोतर कालीन शैव मूर्तियों का बाहुल्य है। हेरम्ब गणपति (शेरपर सवार) – बीकानेर में स्थापित है।

प्रश्न 42: ब्ल्यू पॉटरी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है –

A) इस कला की शुरुआत जयपुर में महाराजा मानसिंह प्रथम ने की और इसके विकास का श्रेय सवाई रामसिंह को है।
B) ब्ल्यू पॉटरी का जन्म भारत में हुआ और यह जयपुर से ईरान तक फैली।
C) कोटा की सुनहरी ब्लैक पॉटरी में लाख के रंगों का प्रयोग होता है।
D) कृपाल सिंह शेखावत को इस कला के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उत्तर: इस कला की शुरुआत जयपुर में महाराजा मानसिंह प्रथम ने की और इसके विकास का श्रेय सवाई रामसिंह को है।
व्याख्या: जयपुर में ब्ल्यू पॉटरी निर्माण की शुरुआत का श्रेय महाराजा रामसिंह को है। उन्होंने चूडामन और कालू कुम्हार को पॉटरी का काम सीखने दिल्ली भेजा और प्रशिक्षित होने पर उन्होंने जयपुर में इस हुनर की शुरुआत की। ब्ल्यू पॉटरी कला का जन्म ईरान में हुआ था। राजस्थान में ‘ब्ल्यू पॉटरी’ के लिए जयपुर सर्वाधिक प्रसिद्ध है। जयपुर में ब्ल्यू पौटरी प्रारम्भ करने का श्रेय मानसिंह (प्रथम) को है, जबकि सवाई रामसिंह के समय इस कला का विकास हुआ। अलवर की डबल कट वर्क की पॉटरी को कागजी कहा जाता है। कोटा सुनहरी ब्लेक पॉटरी फूलदानों, मटकों और प्लेटों के लिए प्रसिद्ध है। बीकानेर की पॉटरी में लाख के रंगों का प्रयोग होता है। जयपुर के कृपाल सिंह शेखावत इसके सिद्धहस्त कलाकार थे। कला में उनके योगदान हेतु 1974 में उन्हें पद्म श्री तथा 1980 में कलाविद सम्मान से सम्मानित किया गया था।

प्रश्न 43: लाख की हस्तकला के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है –

A) लाख की चूड़ियाँ केवल जयपुर में बनती हैं और इन्हें “मोकड़ी” कहा जाता है।
B) महाराजा मानसिंह प्रथम के समय लाख कला को संरक्षण मिला और यह जोधपुर में सर्वाधिक विकसित हुई।
C) सवाई माधोपुर और इंद्रगढ़ में लकड़ी के खिलौनों पर खराद से लाख का पक्का काम किया जाता है।
D) लाख का काम केवल चूड़ियों तक सीमित है और इसमें काँच का प्रयोग नहीं होता।
उत्तर: सवाई माधोपुर और इंद्रगढ़ में लकड़ी के खिलौनों पर खराद से लाख का पक्का काम किया जाता है।
व्याख्या: जयपुर एवं जोधपुर में लाख एवं काँच से विविध कलात्मक सामान जैसे खिलौने, मूर्तियाँ, गुलदस्ते, हार, अंगूठियां, कर्णफूल, झुमके तथा चाबियों के गुच्छे आदि का निर्माण किया जाता है। जयपुर के महाराजा रामसिंह के समय लाख कला को भरपूर संरक्षण मिला। लाख की चूड़ियों का काम मुख्य रूप से जयपुर, करौली, हिंडोन में होता है। लाख की चूड़िया मोकड़ी कहलाती है। राजस्थान में लाख पर हस्तशिल्प का कार्य जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर एवं भरतपुर में विशेष रूप से होता है। सवाई माधोपुर, खेडला, लक्ष्मणगढ़, इंद्रगढ़ (कोटा) में लकड़ी के खिलौने व अन्य वस्तुओं पर खराद से लाख का पक्का काम किया जाता है। लाख से चूड़ियाँ, चूड़े, पशु-पक्षी, पेन्सिलें, पैन, काँच जड़ें लाख के खिलौने, बिछिया आदि तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 44: हाथी दांत की चूड़ियों और कलात्मक वस्तुओं के निर्माण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है –

A) जोधपुर में हाथी दांत की चूड़ियाँ बनाई जाती हैं और यह राजस्थानी महिलाओं में सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
B) जयपुर के आमेर महल में चंदन के किवाड़ों पर 17वीं शताब्दी की हाथी दांत की पच्चीकारी का काम देखा जा सकता है।
C) उदयपुर और पाली में हाथी दांत की चूड़ियाँ नहीं बनतीं, केवल खिलौने और मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
D) राजपूत समाज में विवाह के अवसर पर हाथी दांत का चूड़ा पहनने की प्रथा है।
उत्तर: उदयपुर और पाली में हाथी दांत की चूड़ियाँ नहीं बनतीं, केवल खिलौने और मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
व्याख्या: राजस्थानी महिलाओं में सौभाग्य की प्रतीक हाथी दांत की चूड़ियां व अन्य सामान जोधपुर में बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त उदयपुर व पाली में भी हाथी दांत की चुड़ियां बनती हैं। राजस्थान के राजपूत समाज में विवाह के अवसर पर हाथी दांत का चूड़ा पहनने की प्रथा है। हाथी दांत के खिलौने, मूर्तिया एवं अनेक कलात्मक वस्तुएं राज्य में जयुपर, उदयपुर, भरतपुर, मेड़ाता और पाली में बनाई जाती हैं।

प्रश्न 45: निम्नलिखित में से कौन-सी कला फौलाद या लोहे पर सोने की सूक्ष्म कसीदाकारी से संबंधित है और इसका उपयोग हथियारों को अलंकृत करने के लिए किया जाता है –

A) तारकशी
B) कोफ्तगिरी
C) बादला
D) तहनिशां
उत्तर: कोफ्तगिरी
व्याख्या: फौलाद अथवा लोहे पर सोने की सूक्ष्म कसीदाकारी कोफ्त गिरी कहलाती है। यह हथियारों को अलंकृत करने की कला है, जो भारत में मुगलों के प्रभाव के कारण उभरी थी। इसमें जडाव (इनले) और ओवरले दोनों प्रकार की कला का कार्य होता है। इसके कलाकार को कोफ़्तगर कहा जाता है। कोफ्तगिरी जयपुर एवं अलवर में बहुतायत से होती है।

प्रश्न 46: थेवा कला के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है –

A) यह कला काँच पर सोने की मीनाकारी के लिए जानी जाती है।
B) यह कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ जिले तक सीमित है।
C) इसके कारीगरों को “पन्नीगर” कहा जाता है।
D) इस कला को जयपुर के “राज सोनी परिवार” ने विकसित किया।
उत्तर: इस कला को जयपुर के “राज सोनी परिवार” ने विकसित किया।
व्याख्या: थेवा कला एक विशिष्ट कांच पर सोने की मीनाकारी की तकनीक है जिसमें रंगीन बेल्जियम कांच का उपयोग किया जाता है। यह कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ जिले तक ही सीमित है और इसके कारीगरों को “पन्नीगर” कहा जाता है। इस कला को जानने वाले शिल्पी “राज सोनी परिवार” राजस्थान के प्रतापगढ़ में ही रहते हैं, जयपुर में नहीं। इस हस्तशिल्प कला को ‘ज्योग्राफ़िकल आइडेंटिफ़िकेशन टैग’ (GI Tag) भी प्राप्त हो चुका है।

प्रश्न 47: ‘मांडना’ एक पारंपरिक लोक कला है: निम्नलिखित विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें:

Animal Attendant 2023 Exam (December 1 Shift II)
A) गोआ की
B) महाराष्ट्र की
C) राजस्थान की
D) केरल की
उत्तर: राजस्थान की
व्याख्या: मांडना राजस्थान की एक पारंपरिक लोक कला है जिसमें कलाकार दीवारों और फर्श पर रंगीन चित्र बनाते हैं, विशेष रूप से त्योहारों के दौरान। यह कला राजस्थानी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और घरों को सजाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 48: राजस्थान में किस त्यौहार से पहले श्राद्ध पक्ष में ‘साँझी’ बनायी जाती है –

Animal Attendant 2023 Exam (December 1 Shift II)
A) दिवाली
B) पोंगल
C) दशहरा
D) होली
उत्तर: दशहरा
व्याख्या: राजस्थान में ‘सांझी’ दीवारों या फर्श पर बनाए गए कलात्मक चित्रण को संदर्भित करता है, जो पारंपरिक रूप से श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) के दौरान बनाया जाता है। यह अवधि नवरात्रि से पहले शुरू होती है और दशहरा के आसपास समाप्त होती है। दिवाली और होली का श्राद्ध पक्ष से कोई संबंध नहीं है, और पोंगल एक दक्षिण भारतीय त्योहार है।

प्रश्न 49: निम्न में से कौन-सा स्थान स्याह बैगर (काला व लाल) छपाई के लिए विख्यात है – (निम्न में से सबसे उपयुक्त विकल्प चुनें)

Junior Instructor (MDE) Exam 2024
A) मथानिया (जोधपुर)
B) मांगरोल (बारां)
C) खंडेला (सीकर)
D) बगरू (जयपुर)
उत्तर: बगरू (जयपुर)
व्याख्या: बगरू (जयपुर) पारंपरिक स्याह बैगर छपाई के लिए प्रसिद्ध है, जो प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके की जाती है। यह राजस्थान के जयपुर शहर में ‘चिप्पा’ समुदाय द्वारा प्रचलित एक शिल्प है। बगरू छपाई आमतौर पर नीले या जमुनी रंग की पृष्ठभूमि पर की जाती है, जिसमें काले और लाल रंग के प्रमुख डिजाइन बनाए जाते हैं।

प्रश्न 50: श्रीलाल जोशी किस लोककला से सम्बन्धित हैं –

Junior Instructor(CLIT) Exam 2024
A) कठपुतली
B) मांडणा
C) सांझी
D) फड़
उत्तर: फड़
व्याख्या: श्री लाल जोशी राजस्थान के भीलवाड़ा के एक विश्व प्रसिद्ध कलाकार हैं। वह फड़ कलाकारों के परिवार से संबंध रखते हैं जो फड़ पेंटिंग की कला के अग्रणी रखवाले थे। फड़ एक पारंपरिक राजस्थानी चित्रकला शैली है जिसमें कपड़े पर भक्ति कथाओं का चित्रण किया जाता है।

प्रश्न 51: राजस्थान में भारतीय हथकरघा (हैन्डलूम) प्रोद्यौगिकी संस्थान कहां पर स्थित है?

CET 2024 (12th Level) 24 October Shift-I
A) जोधपुर
B) भरतपुर
C) जयपुर
D) उदयपुर
उत्तर: जोधपुर
व्याख्या: भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन और विकास आयुक्त, हथकरघा, नई दिल्ली के तत्वावधान में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (IIHT), जोधपुर की स्थापना 16 सितंबर 1993 को की गई थी। इस संस्थान का उद्देश्य भारत के हथकरघा उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करना है, विशेष रूप से भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में।

प्रश्न 52: सीकर का कौन सा स्थान गोटा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है –

CET 2024 (12th Level) 23 October Shift-II
A) नेछवा
B) खंडेला
C) खूड़
D) पिपराली
उत्तर: खंडेला
व्याख्या: सीकर जिले का खंडेला स्थान गोटा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। गोटा एक विशेष प्रकार की धातु की चादर होती है जिसका उपयोग पारंपरिक राजस्थानी पोशाकों और साड़ियों को सजाने के लिए किया जाता है। यह राजस्थान की पारंपरिक हस्तशिल्प कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 53: सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:

सूची-I (लोक कला)सूची-II (सामग्री)
a. कावड़I. पेपर
b. फड़II. रंग
c. पानेIII. कपड़ा
d. मांडनाIV. लकड़ी
CET2024 (12th Level) 23 October Shift-I
A) a-IV, b-III, c-I, d-II
B) a-II, b-I, c-IV, d-III
C) a-I, b-II, c-III, d-IV
D) a-III, b-IV, c-II, d-I
उत्तर: A-IV, B-III, C-I, D-II
व्याख्या: कावड़ लकड़ी से बनी राजस्थान की एक पवित्र लोक कला है जिसमें धार्मिक कथाओं को चित्रित किया जाता है। फड़ कपड़े पर चित्रित भक्ति-कथाओं का चित्रण है। पाने पेपर पर तैयार की गई कला है। मांडना रंगों का उपयोग करके दीवारों और फर्श पर बनाई जाने वाली पारंपरिक कला है।

प्रश्न 54: राजस्थान लघु उद्योग निगम की स्थापना किस वर्ष हुई थी –

CET 2024 (12th Level) 22 October Shift-II
A) 1961
B) 1967
C) 1947
D) 1951
उत्तर: 1961
व्याख्या: राजस्थान लघु उद्योग निगम (RSIC) की स्थापना 1961 में की गई थी। 1975 में, इसे सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी का दर्जा प्रदान किया गया। यह संस्था राज्य में उत्पादित हस्तशिल्प को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है और राजस्थानी हस्तशिल्प कलाओं के विकास और प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

प्रश्न 55: मांगीलाल मिस्त्री का संबंध किस कला से है –

CET 2024 (12th Level) 22 October Shift-II
A) पुंगी
B) रावन हत्था
C) शहनाई
D) कावड़
उत्तर: कावड़
व्याख्या: मांगीलाल मिस्त्री एक प्रसिद्ध काष्ठशिल्पी हैं जो कावड़ कला से जुड़े हुए हैं। कावड़ एक पारंपरिक राजस्थानी लकड़ी की कला है जिसमें लकड़ी पर रंगीन चित्रकारी और धार्मिक कथाओं को दर्शाया जाता है। मांगीलाल मिस्त्री ने इस कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

प्रश्न 56: फड़ कलाकार श्री लाल जोशी राजस्थान के किस स्थान से सम्बंधित हैं –

CET 2024 (12th Level) 22 October Shift-I
A) जयपुर
B) सीकर
C) चुरू
D) भीलवाड़ा
उत्तर: भीलवाड़ा
व्याख्या: फड़ पेंटिंग, राजस्थान की एक पारंपरिक चित्रकला शैली, भीलवाड़ा क्षेत्र में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। श्री लाल जोशी भीलवाड़ा के एक प्रसिद्ध फड़ कलाकार हैं जिन्होंने इस पारंपरिक कला को नई पहचान दिलाई है। फड़ कला में कपड़े पर भक्ति कथाओं का चित्रण किया जाता है और इसे फड़ के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 57: राजस्थान में थेवा कला निम्न में से किस क्षेत्र से संबंधित है –

CET 2024 (12th Level) 22 October Shift-I
A) जयपुर
B) प्रतापगढ़
C) झालावाड़
D) चुरू
उत्तर: प्रतापगढ़
व्याख्या: थेवा कला राजस्थान के प्रतापगढ़ क्षेत्र की एक विशिष्ट पारंपरिक कला है। इस कला में कांच पर सोने की नक्काशी की जाती है, जिसमें रंगीन बेल्जियम कांच का उपयोग किया जाता है। यह कला मुख्य रूप से आभूषण और सजावटी वस्तुओं में उपयोग होती है और इसे ‘ज्योग्राफ़िकल आइडेंटिफ़िकेशन टैग’ (GI Tag) भी प्राप्त है।

प्रश्न 58: राजस्थान हथकरघा नीति को लागू हुई थी।

CET 2024 (Graduate) 27 September 2024 Shift-2
A) 23 नवंबर, 2023
B) 17 सितंबर, 2022
C) 18 सितंबर, 2022
D) 20 दिसंबर, 2023
उत्तर: 17 सितंबर, 2022
व्याख्या: राजस्थान सरकार ने हथकरघा उद्योग को प्रोत्साहन देने और इसके विकास के लिए 17 सितंबर 2022 को राजस्थान हथकरघा नीति लागू की। इस नीति का उद्देश्य राज्य में हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना, कारीगरों को सहायता प्रदान करना और राजस्थानी हथकरघा उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करना है।

प्रश्न 59: फड़ कलाकार “श्री लाल जोशी” किस जिले से सम्बंधित हैं –

Hostel Supt(Minority Affairs) 2024
A) भीलवाड़ा
B) चूरू
C) जयपुर
D) सीकर
उत्तर: भीलवाड़ा
व्याख्या: फड़ चित्रकला के प्रसिद्ध कलाकार श्री लाल जोशी राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से संबंधित हैं। वह फड़ कला के एक प्रमुख प्रतिनिधि हैं और इस पारंपरिक राजस्थानी कला को बचाने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। फड़ कला में कपड़े पर भक्ति कथाओं का चित्रण किया जाता है।

प्रश्न 60: देवी ‘सांझी’ (SANJHI) किसकी अवतार हैं –

Hostel Supt(Minority Affairs) 2024
A) सीता
B) पार्वती
C) ऊषा
D) गायत्री
उत्तर: पार्वती
व्याख्या: देवी सांझी को माता पार्वती का अवतार माना जाता है। सांझी देवी की पूजा विशेष रूप से उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है, विशेष रूप से राजस्थान में। सांझी कला में दीवारों या फर्श पर कलात्मक चित्र बनाए जाते हैं, जो पारंपरिक रूप से श्राद्ध पक्ष के दौरान बनाए जाते हैं।

प्रश्न 61: राजस्थान के निम्नलिखित में से किस स्थान पर बड़े और बोल्ड डिजाइन और पैटर्न मुद्रित किये जाते हैं –

Stenographer Exam 2024 (Paper – I)
A) चुरू
B) जयपुर
C) जोधपुर
D) बाड़मेर
उत्तर: जोधपुर
व्याख्या: जोधपुर शहर अपने विशिष्ट बंधेज (टाई-डाई) कपड़ों और आकर्षक बोल्ड पैटर्न के लिए विख्यात है। यहाँ के टेक्सटाइल उद्योग में अद्वितीय प्रिंटिंग तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जो इसे अन्य क्षेत्रों से अलग पहचान देता है।

प्रश्न 62: सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए।

सूची-I (उत्पाद)सूची-II (जिला)
(a) नीले मिट्टी के बर्तन और रत्न एवं आभूषण(i) अजमेर
(b) ग्रेनाइट/संगमरमर(ii) कोटा
(c) कढ़ाई का कपड़ा(iii) जयपुर
(d) ऑटोमोबाइल पार्टस(iv) अलवर
Stenographer Exam 2024 (Paper – I)
A) (a) – (iv), (b) – (ii), (c) – (i), (d) – (iii)
B) (a) – (iii), (b) – (i), (c) – (ii), (d) – (iv)
C) (a) – (i), (b) – (iii), (c) – (iv), (d) – (ii)
D) (a) – (ii), (b) – (iv), (c) – (iii), (d) – (i)
उत्तर: (A) – (III), (B) – (I), (C) – (II), (D) – (IV)
व्याख्या: राजस्थान के विभिन्न जिलों की विशेष उत्पादों से जुड़ी पहचान है: जयपुर अपने नीले मिट्टी के बर्तनों और रत्न आभूषणों के लिए प्रसिद्ध है, अजमेर ग्रेनाइट और संगमरमर की खानों के लिए जाना जाता है, कोटा कढ़ाई वाले कपड़ों का केंद्र है, और अलवर ऑटोमोबाइल पार्ट्स निर्माण के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 63: थेवा कला राजस्थान के किस स्थान से संबंधित है (आरंभ हुई) –

Clerk Grade-II/ Jr. Asst. 2024 Paper -Ist
A) उदयपुर
B) झालावाड़
C) चुरू
D) प्रतापगढ़
उत्तर: प्रतापगढ़
व्याख्या: थेवा कला का उद्गम राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से हुआ है। यह एक विशिष्ट कला है जिसमें विविध रंगों के कांच के टुकड़ों को चांदी के बारीक तारों से बनी फ्रेम में सजाया जाता है, और फिर उस पर सोने की नक्काशी की जाती है।

प्रश्न 64: सूची-I के साथ सूची-II का मिलान कीजिए –

सूची-I (लोक कला)सूची-II (सामग्री)
a. पानेI. लकड़ी
b. फड़II. दीवार और फर्श
c. मांडनाIII. कपड़ा
d. कावड़IV. कागज
Clerk Grade-II/ Jr. Asst. 2024 Paper -Ist
A) a- IV, b – III, c – II, d – I
B) a – I, b – II, c – III, d – IV
C) a – III, b – IV, c – II, d – I
D) a – II, b – III, c – I, d – IV
उत्तर: A- IV, B – III, C – II, D – I
व्याख्या: राजस्थान की लोक कलाएँ और उनसे जुड़ी सामग्रियाँ इस प्रकार हैं: पाने कला कागज पर की जाती है, फड़ कपड़े पर बनाया जाता है, मांडना दीवार और फर्श पर बनाया जाता है, और कावड़ कला लकड़ी पर की जाती है।

प्रश्न 65: राजस्थान में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना कहाँ की गई है –

Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – L2)
A) कोटा
B) जयपुर
C) उदयपुर
D) जोधपुर
उत्तर: जोधपुर
व्याख्या: भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना जोधपुर में 16 सितंबर 1993 को हुई थी। यह संस्थान वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्य करता है और देश के हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था।

प्रश्न 66: बकरी के बालों से जूट की पट्टियाँ बनाने का मुख्य केंद्र कहाँ है –

Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – L2)
A) जसोल (बालोतरा)
B) दूद्व (जयपुर)
C) खेतड़ी (झुंझुनु)
D) गंगापुर (भीलवाड़ा)
उत्तर: जसोल (बालोतरा)
व्याख्या: बालोतरा के जसोल क्षेत्र में बकरी के बालों से जूट की पट्टियाँ बनाने का प्रमुख केंद्र स्थित है। यहाँ निर्मित उत्पाद अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं और क्षेत्र के लोगों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण साधन हैं।

प्रश्न 67: मनोटी कला कहां प्रसिद्ध है, जिसमें ऊँट के चमड़े से सजाया जाता है –

Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – K1)
A) उदयपुर
B) जयपुर
C) बीकानेर
D) जोधपुर
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: बीकानेर शहर ऊँट की खाल पर सुनहरी नक्काशी करने की विशिष्ट कला ‘मनोटी’ के लिए प्रसिद्ध है। यह कला ‘उस्ता कला’ के नाम से भी जानी जाती है और यहाँ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुणता प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 68: ‘समुद्र लहर’ नाम का लहरिया कहाँ रंगा जाता है –

A) जयपुर
B) जोधपुर
C) चित्तौड़
D) कोटा
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: ‘समुद्र लहर’ नामक लहरिया जयपुर में रंगा जाता है। लहरिया एक विशेष प्रकार का रंगीन कपड़ा है जिसमें विभिन्न रंगों की आड़ी धारियाँ होती हैं। इसका उपयोग ओढ़नी और पगड़ी दोनों रूपों में किया जाता है, और पंचरंगी लहरिया को मांगलिक अवसरों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है।

प्रश्न 69: सीकर जिले का कौन-सा क्षेत्र गोटा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है –

Supervisor(Women) – 2024
A) खूड़
B) खण्डेला
C) पिपराली
D) नेछवा
उत्तर: खण्डेला
व्याख्या: सीकर जिले का खंडेला क्षेत्र गोटा-पत्ती और बूटा बनाने के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर इस पारंपरिक हस्तकला में अत्यधिक कुशल हैं और यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है।

प्रश्न 70: अपने काले-लाल प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है जिसमें फूलों, पत्तियों, जानवरों और पक्षियों को मटिया (मिट्टी) रंग के आधार पर लाल और काले रंग में बनाया जाता है।

Assistant Engineer – Civil (Local Self Govt. Deptt.) Comp. Exam – 2022
A) सांगानेरी
B) कैथून
C) बगरू
D) अकोलां
उत्तर: बगरू
व्याख्या: जयपुर के बगरू प्रिंट में काले और लाल रंगों का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। इस प्रिंटिंग शैली में मिट्टी के रंग के आधार पर फूल, पत्ते, जानवर और पक्षियों के चित्र बनाए जाते हैं, जो इसे एक विशिष्ट पहचान देते हैं।

प्रश्न 71: कोफ्तगिरी, राजस्थान का पारंपरिक शिल्प, एक प्रकार की सजावट है जिसकी उत्पत्ति भारत में _ साथ हुई है।

Police Constable Exam (15 May 2022 Shift-2)
A) गुप्तों
B) मराठों
C) मुग़लों
D) सिंधियाओं
उत्तर: मुग़लों
व्याख्या: कोफ्तगिरी एक विशेष सजावटी कला है जिसकी शुरुआत भारत में मुगलकाल में हुई। इस कला का उपयोग मुगलों द्वारा हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों को सजाने के लिए किया जाता था, और बाद में यह राजस्थान का एक प्रमुख पारंपरिक शिल्प बन गया।

प्रश्न 72: निम्नलिखित में से किस शासक ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण दिया –

Veterinary Officer Exam 2019
A) जयपुर के सवाई रामसिंह
B) जयपुर के सवाई जयसिंह
C) जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह
D) जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह
उत्तर: जयपुर के सवाई रामसिंह
व्याख्या: जयपुर के सवाई राम सिंह द्वितीय ने ब्लू पॉटरी कला को संरक्षण प्रदान किया था। उनके प्रयासों के कारण ही यह कला जयपुर के पारंपरिक शिल्प के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त कर पाई और आज भी जीवित है।

प्रश्न 73: राजस्थान का कौन सा जिला बंधेज साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है –

RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-1
A) जोधपुर
B) कोटा
C) शाहपुर
D) उदयपुर
उत्तर: जोधपुर
व्याख्या: जोधपुर जिला बंधेज साड़ियों के निर्माण के लिए पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर विशेष रूप से बड़े और बोल्ड डिजाइन वाले पैटर्न बनाने में माहिर हैं, जो इन साड़ियों को अनूठी पहचान देते हैं।

प्रश्न 74: वस्त्र रंगने की मलयगिरी पद्धति में किस रंग की प्रधानता होती है –

Sr. Teacher Gr II Comp. Exam – 2022 (Sanskrit Edu.) Group A
A) पीला
B) काला
C) भूरा
D) नीला
उत्तर: भूरा
व्याख्या: वस्त्र रंगने की मलयगिरी पद्धति में भूरे रंग का प्रयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। यह एक पारंपरिक रंगाई तकनीक है जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है और भूरा रंग इसकी विशेषता है।

प्रश्न 75: सांझी के रूप में किस देवी की पूजा की जाती है –

Sr. Teacher Gr II Comp. Exam – 2022 (G.K. & Edu. Psychology) Group C
A) पार्वती
B) दुर्गा
C) सरस्वती
D) लक्ष्मी
उत्तर: पार्वती
व्याख्या: राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में देवी पार्वती की सांझी के रूप में पूजा की जाती है। सांझी एक पारंपरिक लोक कला है जिसमें मिट्टी की दीवारों पर देवी के चित्र बनाकर उनकी पूजा की जाती है, विशेषकर विवाहित महिलाओं द्वारा।

प्रश्न 76: राजस्थान में कोफ्तगिरी के काम के लिए कौन-से शहर प्रसिद्ध हैं –

Computor Exam 2018
A) बीकानेर एवं जोधपुर
B) कोटा एवं बून्दी
C) अलवर एवं जयपुर
D) झालरापाटन एवं बाराँ
उत्तर: अलवर एवं जयपुर
व्याख्या: राजस्थान में कोफ्तगिरी कला के लिए अलवर और जयपुर शहर प्रमुख केंद्र के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ के कारीगर लकड़ी पर बारीक नक्काशी और सजावटी काम में अत्यधिक निपुण हैं, और यह कला मुगल काल से चली आ रही है।

प्रश्न 77: निम्न में से जयपुर का परम्परागत हस्तउद्योग कौनसा है –

CET 2022 (12th Level) 11 February 2023 Shift-2
A) चित्रकला
B) ब्लू पॉटरी
C) उनी खादी
D) थेवा कला
उत्तर: ब्लू पॉटरी
व्याख्या: ब्लू पॉटरी जयपुर का एक प्रमुख पारंपरिक हस्तउद्योग है। इस कला को जयपुर के सवाई राम सिंह द्वितीय के संरक्षण में बढ़ावा मिला और आज यह जयपुर की पहचान का प्रतीक बन गया है। नीले रंग की मिट्टी के बर्तन इसकी विशेषता हैं।

प्रश्न 78: निम्न में से कौनसा कथन राजस्थान की ब्लॉक छपाई के बारे में सही नहीं है –

CET 2022 (12th Level) 11 February 2023 Shift-2
A) इसकी प्रक्रिया की शुरुआत 12वीं सदी से हुई थी।
B) इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग नहीं किया जाता है।
C) यह राजस्थान का एक प्राचीन शिल्प रूप है।
D) इसे सूती कपडे पर किया जाता है।
उत्तर: इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग नहीं किया जाता है।
व्याख्या: राजस्थान की ब्लॉक छपाई कला में वास्तव में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, इसलिए यह कथन गलत है। यह कला 12वीं शताब्दी से चली आ रही है, यह राजस्थान का एक प्राचीन शिल्प है, और इसे मुख्य रूप से सूती कपड़ों पर ही किया जाता है।

प्रश्न 79: ‘दाबू प्रिंट’ के लिए कौन सा स्थान प्रसिद्ध है –

CET 2022 (12th Level) 11 February 2023 Shift-1
A) सांगानेर
B) आकोला
C) बालोतरा
D) बगरू
उत्तर: आकोला
व्याख्या: राजस्थान का आकोला शहर ‘दाबू प्रिंट’ के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग शैली है जिसमें विशेष प्रकार के डिजाइन और पैटर्न का उपयोग किया जाता है, और आकोला के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं।

प्रश्न 80: नमदा के लिए कौन-सा स्थान प्रसिद्ध है –

CET 2022 (12th Level)05 February 2023 Shift-2
A) बाड़मेर
B) टोंक
C) जयपुर
D) बीकानेर
उत्तर: टोंक
व्याख्या: टोंक शहर नमदा नामक पारंपरिक कंबल के लिए प्रसिद्ध है। ये कंबल बारीक काम और उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। यहाँ के कारीगर पीढ़ी दर पीढ़ी इस हस्तकला को जीवित रखे हुए हैं और यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 81: ‘थेवा कला’ के लिए प्रसिद्ध परिवार कौन-सा है –

CET 2022 (12th Level)05 February 2023 Shift-2
A) सोनी परिवार
B) खण्डेलवाल परिवार
C) गहलोत परिवार
D) शेखावत परिवार
उत्तर: सोनी परिवार
व्याख्या: थेवा कला के लिए सोनी परिवार विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस विशिष्ट कला को जीवित रखे हुए है, जिसमें विभिन्न रंगों के कांच को चांदी के तारों से बनी फ्रेम में डालकर उस पर सोने की नक्काशी की जाती है।

प्रश्न 82: राजस्थान राज्य हस्तकर्घा विकास निगम किस वर्ष में संविधित हुआ था –

CET 2022 (12th Level)05 February 2023 Shift-2
A) 1986
B) 1984
C) 1983
D) 1985
उत्तर: 1984
व्याख्या: राजस्थान राज्य हस्तकर्घा विकास निगम की स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी। यह निगम राज्य में हस्तकरघा उद्योग के विकास, कारीगरों के कल्याण और पारंपरिक शिल्पों को संरक्षित रखने के लिए कार्य करता है।

प्रश्न 83: अजरखा प्रिंट के लिए राजस्थान का कौन-सा स्थान प्रसिद्ध है –

CET 2022 (12th Level) 05 February 2023 Shift-1
A) सांगानेर
B) बाड़मेर
C) कोटा
D) जैसलमेर
उत्तर: बाड़मेर
व्याख्या: बाड़मेर शहर अजरखा प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रिंटिंग शैली में मुख्य रूप से लाल और नीले रंग का उपयोग किया जाता है, और खत्री जाति के लोग इस कला के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग शैली है जो बाड़मेर की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

प्रश्न 84: निम्न दस्तकारों में से किसे टेराकोटा ऑफ मोलेला के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है –

CET 2022 (12th Level) 05 February 2023 Shift-1
A) महेश सोनी
B) अर्जुन प्रजापति
C) श्री लाल जोशी
D) मोहनलाल कुम्हार
उत्तर: मोहनलाल कुम्हार
व्याख्या: मोहनलाल कुम्हार को टेराकोटा ऑफ मोलेला कला में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मोलेला की टेराकोटा कला राजस्थान के राजसमंद जिले का एक प्रमुख शिल्प है, और मोहनलाल कुम्हार ने इस कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 85: काली मिट्टी के बर्तनों के लिए कौन सा स्थान प्रसिद्ध है –

CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-2
A) जयपुर
B) बांसवाड़ा
C) सवाई माधोपुर
D) चित्तौड़गढ़
उत्तर: सवाई माधोपुर
व्याख्या: सवाई माधोपुर जिला काली मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर काली मिट्टी से विभिन्न प्रकार के आकर्षक बर्तन और सजावटी सामान बनाते हैं, जो इस क्षेत्र की विशेष पहचान हैं।

प्रश्न 86: ‘तारकशी’ के आभूषण (जेवर ) किस स्थान के प्रसिद्ध हैं –

CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-1
A) उदयपुर
B) नाथद्वारा
C) चित्तौड़गढ़
D) बाड़मेर
उत्तर: नाथद्वारा
व्याख्या: नाथद्वारा शहर ‘तारकशी’ के आभूषणों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। तारकशी एक बारीक कला है जिसमें पतले तारों का उपयोग कर आकर्षक ज्वेलरी बनाई जाती है। नाथद्वारा के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यहाँ के आभूषण अपनी अनूठी डिजाइन और गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 87: ब्ल्यू पोटरी – जयपुर से सम्बन्धित शिल्पकार का नाम है :

CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-1
A) अबरार अहमद
B) राजेश गोधा
C) अनुराधा जांगीड़
D) नरोत्तम जांगीड़
उत्तर: राजेश गोधा
व्याख्या: जयपुर की ब्लू पोटरी कला से संबंधित प्रमुख शिल्पकार राजेश गोधा हैं। उन्होंने इस पारंपरिक कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी कलाकृतियाँ देश-विदेश में प्रशंसित होती हैं।

प्रश्न 88: जोधपुर का प्रसिद्ध “बादला” निम्न में से क्या है –

CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-1
A) पोमचा
B) लकड़ी का मंदिर
C) जस्ते से बना पानी का पात्र
D) जरी साड़ी
उत्तर: जस्ते से बना पानी का पात्र
व्याख्या: जोधपुर का प्रसिद्ध “बादला” वास्तव में जस्ते से बना पानी का पात्र है। यह जोधपुर की एक पारंपरिक धातु शिल्प कला है, जिसमें कारीगर जस्ते के धातु का उपयोग कर आकर्षक और उपयोगी पानी के पात्र बनाते हैं।

प्रश्न 89: किस शासक के समय राजस्थान में ब्लू पॉटरी की शुरुआत हुई –

3rd Grade Teacher 2022 Punjabi L2 (राजस्थान सामान्य ज्ञान व शैक्षिक परिदृश्य)
A) सवाई रामसिंह
B) सवाई मानसिंह
C) सवाई जयसिंह
D) सवाई माधोसिंह
उत्तर: सवाई रामसिंह
व्याख्या: जयपुर के सवाई राम सिंह के शासनकाल में राजस्थान में ब्लू पॉटरी की शुरुआत हुई थी। उन्होंने इस कला को प्रोत्साहन दिया और कारीगरों को संरक्षण प्रदान किया, जिससे यह कला जयपुर की एक प्रमुख पहचान बन गई।

प्रश्न 90: राजसमंद का मोलेला गाँव किस शिल्पकला के लिए विख्यात है –

3rd Grade Teacher 2022 Punjabi L2 (राजस्थान सामान्य ज्ञान व शैक्षिक परिदृश्य)
A) माण्डणा शिल्प
B) काष्ठ कला
C) पटचित्र कला
D) मृण शिल्प
उत्तर: मृण शिल्प
व्याख्या: राजस्थान के राजसमंद जिले का मोलेला गाँव अपनी मृण शिल्प (टेराकोटा) कला के लिए विख्यात है। यहाँ के कारीगर मिट्टी से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ बनाते हैं, जिनमें देवी-देवताओं, जानवरों और रोजमर्रा के जीवन के दृश्य शामिल हैं।

प्रश्न 91: ऊँट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी कला क्या कहलाती है –

A) दायू कला
B) थेवा कला
C) ऊस्ता कला
D) छपाई कला
उत्तर: ऊस्ता कला
व्याख्या: बीकानेर क्षेत्र में ऊँट की खाल पर किया जाने वाला स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत का काम ‘ऊस्तां कला’ के नाम से जाना जाता है। इस कला के जाने-माने कलाकार बीकानेर के हिसामुद्दीन उस्ता थे, जिन्हें वर्ष 1986 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। बीकानेर में स्थित ‘कैमल हाइड ट्रेनिंग सेंटर’ इस कला का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र है।

प्रश्न 92: मोलेला ग्राम किस हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है –

3rd Grade Teacher 2022 Urdu L2 (राजस्थान सामान्य ज्ञान व शैक्षिक परिदृश्य)
A) कपड़े पर छपाई
B) ब्लू पॉटरी
C) टेराकोटा
D) आभूषण
उत्तर: टेराकोटा
व्याख्या: राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित मोलेला ग्राम मृण शिल्प (टेराकोटा) के लिए विख्यात है। यहाँ के कारीगर मिट्टी को उच्च तापमान (800°C) पर पकाकर विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ और खिलौने तैयार करते हैं। इस कला के अन्य प्रमुख केंद्रों में हरजी (जालौर) शामिल है।

प्रश्न 93: ‘बेवाण’ कला सम्बन्धित है –

3rd Grade Teacher 2022 Social Studies L2
A) प्रस्तर मूर्ति कला से
B) आँगन-चित्रण से
C) मृण कला से
D) काष्ठ कला से
उत्तर: काष्ठ कला से

प्रश्न 94: जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा से लाई गई थी।

3rd Grade Teacher 2022 Maths-Science L2
A) लाहौर
B) चीन
C) बंगाल
D) बलूचिस्तान
उत्तर: लाहौर
व्याख्या: महाराजा मानसिंह प्रथम ने जयपुर में मीनाकारी की कला लाहौर से प्रचलित की थी। जयपुर में मीनाकारी का काम सोने, चांदी और पीतल के आभूषणों के अतिरिक्त संगमरमर से निर्मित आंतरिक सजावटी सामान और खिलौनों पर भी किया जाता है।

प्रश्न 95: नीचे दिये गये युग्मों में से कौन सा युग्म सही है –

Lecturer (Tech. Edu.) Exam – 2020 (Gen. Studies of State Paper – III)
A) सोने का काम हरी मीनाकारी के साथ -नाथद्वारा
B) लकड़ी के घोड़ों के खिलौने – कोटा
C) पत्थर के खिलौने – गलियाकोट
D) चन्दन प्रिन्टिंग – प्रतापगढ़
उत्तर: पत्थर के खिलौने – गलियाकोट

प्रश्न 96: बाड़मेर ब्लॉक मुद्रित कपड़े का एक और नाम क्या है –

Lecturer (Tech. Edu.) Exam – 2020 (Gen. Studies of State Paper – III)
A) टोकरी बुनाई
B) अजरक
C) छींट
D) शेवरॉन
उत्तर: अजरक

प्रश्न 97: राजस्थान की किस रियासत और विशेष रूप कौन-से शासक ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण दिया –

CET 2022 (Graduate) 08 January 2023 Shift-2
A) जयपुर, सवाई प्रताप सिंह
B) जयपुर, सवाई रामसिंह II
C) मेवाड़, महाराणा फतेह सिंह
D) मेवाड़, महाराणा सज्जन सिंह
उत्तर: जयपुर, सवाई रामसिंह II

प्रश्न 98: श्रीलाल जोशी का सम्बन्ध था –

CET 2022 (Graduate) 08 January 2023 Shift-2
A) थेवा कला से
B) फड़ चित्रण से
C) मूर्ति कला से
D) मृण शिल्प से
उत्तर: फड़ चित्रण से

प्रश्न 99: गोपाल सैनी का सम्बन्ध राजस्थान की किस हस्तकला से है –

CET 2022 (Graduate) 08 January 2023 Shift-1
A) टैराकोटा
B) काष्ठ कला
C) थेवा कला
D) ब्ल्यू पॉटरी
उत्तर: ब्ल्यू पॉटरी
व्याख्या: गोपाल सैनी ब्लू पॉटरी के प्रसिद्ध कारीगर हैं। यह कला जयपुर की एक विशिष्ट हस्तकला है, जिसमें नीले रंग की मिट्टी के बर्तनों पर सफेद रंग से चित्रकारी की जाती है।

प्रश्न 100: किस वर्ष में, राजस्थान की पहली हस्तशिल्प नीति जारी की गई –

CET 2022 (Graduate) 07 January 2023 Shift-2
A) 2022
B) 2018
C) 2019
D) 2021
उत्तर: 2022

प्रश्न 101: कृपाल सिंह शेखावत का सम्बन्ध किस कला से है –

CET 2022 (Graduate) 07 January 2023 Shift-2
A) कुन्दन कला
B) थेवा कला
C) टेराकोटा
D) ब्लू पॉटरी
उत्तर: ब्लू पॉटरी

प्रश्न 102: सुमेलित कीजिए

हस्तशिल्प उत्पादस्थान
A) बादलाi) जयपुर
B) नमदाii) लेटा
C) पाव रजाईiii) जोधपुर
D) खेसलाiv) टोंक
A) A-iv, B-iii, C-ii, D-i
B) A-iii, B-iv, C-i, D-ii
C) A-iii, B-iv, C-ii, D-i
D) A-iv, B-iii, C-i, D-ii
उत्तर: A-III, B-IV, C-I, D-II
व्याख्या: बादला एक कलात्मक बर्तन है जो जस्ते से बनाया जाता है और उस पर कपड़े या चमड़े की परत चढ़ाई जाती है, जो मरुस्थल में पानी को ठंडा रखने में सहायक होता है। जोधपुर में बने बादले अपने सुंदर रंगों और डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं। नमदे टोंक और बीकानेर में प्रसिद्ध हैं। पाव रजाई जयपुरी रजाई को संदर्भित करती है, जो केवल 250 ग्राम कपास से बनी होती है और हल्की, सांस लेने योग्य और गर्म होती है। खेसला उद्योग के लिए प्रसिद्ध लेटा ग्राम जालोर जिले में स्थित है।

प्रश्न 103: सुमेलित कीजिये –

हस्तशिल्पस्थान
A) अजरख प्रिंटI) कैथून
B) पावरलूम कपड़ों पर छपाईII) जोधपुर
C) मोठड़ाIII) बालोतरा
D) मसूरियाIV) बाडमेर
A) (1)-(IV), (2)-(III), (3)-(II), (4)-(I)
B) (1)-(I), (2)-(II), (3)-(III), (4)-(IV)
C) (1)-(II), (2)-(III), (3)-(IV), (4)-(I)
D) (1)-(III), (2)-(IV), (3)-(I), (4)-(II)
उत्तर: (1)-(IV), (2)-(III), (3)-(II), (4)-(I)
व्याख्या: बाड़मेर का अजरक प्रिंट विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें मुख्य रूप से लाल और नीले रंग का उपयोग किया जाता है। बालोतरा में पावरलूम कपड़ों पर छपाई की जाती है। मोठड़ा एक विशेष प्रकार की ओढ़नी या पगड़ी है, जिसमें किसी वस्त्र की आड़ी रेखाएँ एक दूसरे को काटती हैं। जोधपुर का मोठड़ा विशेष रूप से प्रसिद्ध है। कोटा से 15 किमी. दूर स्थित कैथून गांव के बुनकर सूती धागे के साथ रेशमी धागे और जरी का प्रयोग करके चौकोर बुनाई करते हैं, जिसे मंसूरिया या कोटा डोरिया बुनाई कहते हैं।

प्रश्न 104: राजस्थान के कुदरत सिंह किस हस्तशिल्प से सम्बद्ध है –

School Lecturer 2022 Gk (G-B)
A) उस्ता कला
B) बंधेज
C) ब्ल्यू पॉटरी
D) मीनाकारी
उत्तर: मीनाकारी

प्रश्न 105: फड़-चित्रण के लिए जाना जाता है।

Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (evening shift)
A) शाहपुरा
B) चित्तौड़
C) नाथद्वारा
D) किशनगढ़
उत्तर: शाहपुरा

प्रश्न 106: तारकशी का संबंध है –

Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift)
A) जोधपुर
B) जयपुर
C) बीकानेर
D) नाथद्वारा
उत्तर: नाथद्वारा

प्रश्न 107: राजस्थान के किस क्षेत्र के ‘पनढारी मोदक’ प्रसिद्ध हैं –

Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift)
A) नाथद्वारा
B) सीकर
C) बीकानेर
D) जोधपुर
उत्तर: बीकानेर

प्रश्न 108: ‘कावड़’ बनाने के लिए कौन प्रसिद्ध है –

Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift)
A) मांगीलाल मिस्त्री
B) साहिबराम
C) चम्पालाल
D) उस्ताद लालचन्द
उत्तर: मांगीलाल मिस्त्री
व्याख्या: प्रसिद्ध काष्ठशिल्पी और कावड़ निर्माता मांगीलाल मिस्त्री ने 1969 में भारतीय लोककला मण्डल में सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने पारंपरिक मांगलिक काष्ठकलाओं जैसे गणगौर, ईसर, वेवाण, मुखौटा, चोपड़ा, कावड़ और कठपुतलियों को बनवाकर संग्रहालय में प्रदर्शित किया।

प्रश्न 109: रूपाहली और सुनहरी (स्वर्णिम) छपाई राजस्थान के किन जिलों में प्रसिद्ध है –

Forest Guard Exam 2022 Shift 4
A) जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर
B) किशनगढ़, चित्तौड़गढ़ और कोटा
C) अजमेर, टोंक और बांसवाड़ा
D) बूंदी, पाली और सिरोही
उत्तर: किशनगढ़, चित्तौड़गढ़ और कोटा

प्रश्न 110: कौनसा वित्तीय संस्थान राजस्थान के हस्तशिल्प के विकास के लिए उत्तरदायी है –

Forest Guard Exam 2022 Shift 1
A) राजसीको
B) रिको
C) राजस्थान वित्त निगम
D) रिडकोर
उत्तर: राजसीको
व्याख्या: राजसीको (राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड) संस्थान शिल्पकारों से सीधे हस्तशिल्प वस्तुओं की खरीद करता है। इसका गठन 1961 में राजस्थान सरकार के एक उपक्रम के रूप में किया गया था।

प्रश्न 111: राजस्थान के किस जिले की ब्लैक पॉटरी फूलदानों, प्लेटों और मटकों के लिए प्रसिद्ध है –

Forest Guard Exam 2022 Shift 1
A) जैसलमेर
B) अलवर
C) कोटा
D) बीकानेर
उत्तर: कोटा

प्रश्न 112: आज़म और जाजम प्रिंट राजस्थान के किस जिले का प्रसिद्ध हस्तशिल्प है –

Forest Guard Exam 2022 Shift 1
A) उदयपुर
B) चित्तौड़गढ़
C) अलवर
D) जयपुर
उत्तर: चित्तौड़गढ़

प्रश्न 113: जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह I द्वारा से लाई गई।

Forester Exam 2020 Shift 2
A) लाहौर
B) बलूचिस्तान
C) बंगाल
D) चीना
उत्तर: लाहौर

प्रश्न 114: चाँदी के आभूषणों की तारकशी के लिए राजस्थान का कौन सा स्थान प्रसिद्ध है –

Forester Exam 2020 Shift 2
A) जालौर
B) खण्डेला
C) नाथद्वारा
D) प्रतापगढ़
उत्तर: नाथद्वारा
व्याख्या: नाथद्वारा में चाँदी के बारीक तारों का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के आभूषण और कलात्मक वस्तुएँ बनाई जाती हैं। इस कला को तारकशी कहा जाता है और इन जेवरों को तारकशी के जेवर के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 115: कृपाल सिंह शेखावत का संबंध है –

Forester Exam 2020 Shift 2
A) राजस्थानी कविता से
B) राजस्थानी ब्लू पोटरी से
C) राजस्थानी चित्रकला से
D) राजस्थानी नृत्य से
उत्तर: राजस्थानी ब्लू पोटरी से

प्रश्न 116: श्रीलाल जोशी का संबंध किससे है –

Forester Exam 2020 Shift 1
A) फड़
B) रम्मत
C) ख्याल
D) नौटंकी
उत्तर: फड़

प्रश्न 117: उदयपुर में भारतीय लोक कला मण्डल की स्थापना ने की थी।

Forester Exam 2020 Shift 1
A) देवीलाल सामर
B) कोमल कोठारी
C) करना भील
D) जनार्दनराय नागर
उत्तर: देवीलाल सामर

प्रश्न 118: मीनाकारी की थेवा कला के लिए राजस्थान का कौन सा स्थान प्रसिद्ध है –

Forester Exam 2020 Shift 1
A) बाड़मेर
B) प्रतापगढ़
C) नाथद्वारा
D) जोबनेर
उत्तर: प्रतापगढ़
व्याख्या: राजस्थान का प्रतापगढ़ “थेवा कला” के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। थेवा कला एक विशिष्ट प्रकार की मीनाकारी है जिसमें सोने की पतली परतों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 119: ‘टसर’ कृत्रिम रेशम का विकास राजस्थान में निम्न जगह किया जा रहा है :

ASSISTANT PROFESSOR (COLLEGE EDUCATION DEPTT.) EXAM 2020
A) कोटा एवं चित्तौड़गढ़ जिले
B) उदयपुर एवं नाथद्वारा जिले
C) कोटा, उदयपुर एवं बाँसवाड़ा जिले
D) चित्तौड़, उदयपुर एवं बाँसवाड़ा जिले
उत्तर: कोटा, उदयपुर एवं बाँसवाड़ा जिले

प्रश्न 120: ‘पिछवाइयाँ’ हस्तशिल्प कला निम्न क्षेत्र से सम्बन्धित है:

ASSISTANT PROFESSOR (COLLEGE EDUCATION DEPTT.) EXAM 2020
A) बाड़मेर
B) नाथद्वारा
C) बागरू
D) जयपुर
उत्तर: नाथद्वारा
व्याख्या: पिछवाइयाँ एक पारंपरिक चित्रकला शैली है, जो राजस्थान के नाथद्वारा क्षेत्र से जुड़ी है। यह कला मुख्य रूप से भगवान श्रीनाथजी (कृष्ण) की पूजा से संबंधित है और मंदिरों में पृष्ठभूमि के रूप में उपयोग की जाती है।

प्रश्न 121: भीलवाड़ा निवासी श्रीलाल जोशी किस लोक चित्रकला से सम्बन्धित हैं –

RSMSSB PTI Grade-III P1
A) फड चित्रण
B) भित्ति चित्र
C) कागज पर चित्रण
D) काष्ठ चित्रण
उत्तर: फड चित्रण
व्याख्या: श्रीलाल जोशी भीलवाड़ा के एक प्रसिद्ध फड़ चित्रकार हैं। फड़ चित्रण एक पारंपरिक राजस्थानी लोक कला है जिसमें कपड़े पर भक्ति कथाओं का चित्रण किया जाता है। इस कला को फड़ के रूप में जाना जाता है और भीलवाड़ा क्षेत्र में विशेष रूप से प्रचलित है।

प्रश्न 122: राजस्थान का कौन सा जिला ‘अजरक’ प्रिन्ट के लिए प्रसिद्ध है –

RSMSSB PTI Grade-III P1
A) बीकानेर
B) व्यावर
C) जैसलमेर
D) बाड़मेर
उत्तर: बाड़मेर
व्याख्या: बाड़मेर जिला अपनी अजरक प्रिंट छपाई के लिए प्रसिद्ध है। इस विशिष्ट छपाई शैली में लाल और नीले रंग का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। इस कला को बाड़मेर के खत्री जाति के कारीगरों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी ढाला गया है।

प्रश्न 123: ‘उस्ता कला’ के विकास के लिए ‘उस्ता कैमल हाइड केन्द्र’ की स्थापना 1975 ई. में कहाँ की गई थी –

JEN Agriculture 2022
A) जैसलमेर
B) बीकानेर
C) नागौर
D) बाड़मेर
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: उस्ता कला ऊंट की खाल पर की जाने वाली स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत का काम है। इस कला के विकास का श्रेय बीकानेर के पद्मश्री हिसामुद्दीन उस्ता को जाता है। इस कला को बढ़ावा देने के लिए अगस्त 1975 में बीकानेर में उस्ता कैमल हाइड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी।

प्रश्न 124: कलाकार जो बीकानेर के प्रसिद्ध मथेरण परिवार से संबंधित हैं –

ASSI. TESTING OFFICER 2021
A) मुन्नालाल एवं मुकुन्द
B) अहमद अली एवं शाह मोहम्मद
C) नारायण दास एवं बिशन दास
D) रामनाथ एवं मनोहर
उत्तर: मुन्नालाल एवं मुकुन्द
व्याख्या: मुन्नालाल और मुकुन्द बीकानेर के प्रसिद्ध मथेरण परिवार से संबंधित कलाकार हैं। मथेरण परिवार बीकानेर के उस्ता कला के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें ऊंट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी की जाती है।

प्रश्न 125: ‘चंदूजी का गढ़ा और बोडीगामा’ स्थान किस लिए प्रसिद्ध हैं –

Librarian Grade III 2022 (Paper 1)
A) तीर बनाने के लिए
B) जाजम प्रिंटिंग के लिए
C) कुंदन कला के लिए
D) तामचीनी के लिए
उत्तर: तीर बनाने के लिए
व्याख्या: चंदूजी का गढ़ा बाँसवाड़ा जिले में घाटोल तहसील का एक गाँव है, जो राजस्थान के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित है। बोडिगामा डूंगरपुर जिले का एक गाँव है। ये दोनों गाँव तीर-कमान के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 126: ‘मोती भारत’ किस जिले में पारंपरिक कढ़ाई का नाम है –

Librarian Grade III 2022 (Paper 1)
A) पाली
B) जालौर
C) सीकर
D) बूंदी
उत्तर: जालौर
व्याख्या: मोती भारत की शुरुआत 19वीं सदी में मोची कारीगरों द्वारा की गई थी। यह कला राजस्थान के जालौर क्षेत्र के लिए अद्वितीय है। इस कढ़ाई में पारदर्शी मोतियों को नामय कहते हैं और उन पर अपारदर्शी सफ़ेद मोतियों को जोड़कर विभिन्न आकृतियों और रूपों को बनाया जाता है।

प्रश्न 127: निम्नलिखित में से कौनसा (कला-प्रमुख केंद्र) युग्म सुमेलित नहीं है –

Junior Instructor (WC&S)2018
A) थेवा – सीकर
B) गलीचा निर्माण – जयपुर
C) अजरख प्रिंट – बाड़मेर
D) कठपुतली – उदयपुर
उत्तर: थेवा – सीकर
व्याख्या: थेवा कला राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से संबंधित है, सीकर से नहीं। थेवा कला में कांच पर सोने की नक्काशी की जाती है और इसे GI टैग भी प्राप्त है। जबकि गलीचा निर्माण जयपुर, अजरख प्रिंट बाड़मेर और कठपुतली उदयपुर में प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 128: किस लोक कला के निर्माण का पुश्तैनी व्यवसाय केवल चित्तौड़गढ़ जिले के ग्राम बस्सी में ही देखा जाता है –

Junior Instructor (WC&S)2018
A) फड़
B) सांझी
C) वील
D) कावड़
उत्तर: कावड़
व्याख्या: कावड़ चित्तौड़गढ़ जिले के बस्सी गाँव की एक पारंपरिक लकड़ी की कला है। इस कला का पुश्तैनी व्यवसाय केवल इस गाँव में ही देखा जाता है। कावड़ में लकड़ी पर रंगीन चित्रकारी और धार्मिक कथाओं को दर्शाया जाता है।

प्रश्न 129: अपने बहुआयामी रूपों जैसे ऊंट की खाल पर मीनाकारी, स्वर्ण मीनाकारी और महलों और हवेलियों में चित्रों (उस्ता कला) के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

RSMSSB LSA 2022
A) बीकानेर
B) जोधपुर
C) गंगानगर
D) उदयपुर
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: बीकानेर अपनी उस्ता कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस कला में ऊंट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत का काम किया जाता है। इसके अलावा, बीकानेर के महलों और हवेलियों में भी इस कला के उत्कृष्ट उदाहरण देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 130: राजस्थान की किस रियासत ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण दिया –

JEN 2022: Elec. Mech. Diploma (GK)
A) बूंदी
B) उदयपुर
C) जोधपुर
D) जयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर रियासत ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण प्रदान किया था। महाराजा सवाई रामसिंह ने इस कला को बढ़ावा दिया और इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयपुर में ब्लू पॉटरी का निर्माण किया जाता है और यह आज भी जयपुर की एक प्रमुख पहचान है।

प्रश्न 131: निम्नलिखित में से कौन सा (हस्तशिल्प-स्थान) सुमेलित नहीं है –

JEN 2022: Elec. Mech. Degree (GK)
A) दाबू प्रिन्ट – आकोला गाँव (चित्तौडग़ढ़)
B) अजरख प्रिन्ट – बाड़मेर
C) उस्ता कला – बीकानेर
D) जट पट्टी – नागौर
उत्तर: जट पट्टी – नागौर
व्याख्या: बाड़मेर का अजरक प्रिंट प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ जिले का अकोला गांव दाबू प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है। उस्ता कला ऊंट की खाल पर की जाने वाली स्वर्ण मीनाकारी और मुनव्वत का कार्य है। यह कला बीकानेर शैली में चित्रांकन की विशेषता है। बकरी के बालों से जट पट्टियों की बुनाई का मुख्य केंद्र राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है, नागौर में नहीं।

प्रश्न 132: लकड़ी के बने देव विमान जिनकी देव झुलनी एकादशी पर झाँकी निकाली जाती है कहलाते हैं –

JEN 2022: Electrical Diploma (GK)
A) बाजोट
B) बेवाण
C) खांडे
D) चौपड़े
उत्तर: बेवाण
व्याख्या: बेवाण लकड़ी से बने देव विमान होते हैं जिनकी देव झुलनी एकादशी पर झाँकी निकाली जाती है। ये राजस्थान की एक पारंपरिक लकड़ी की कला है जिसमें लकड़ी को आकार देकर देव विमान बनाए जाते हैं।

प्रश्न 133: राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मोहनलाल किस शिल्प कला से संबंधित हैं –

JEN 2022: Civil Diploma (GK)
A) थेवा कला
B) उस्ता कला
C) बंधेज कला
D) मोलेला मृण्मूर्ति कला
उत्तर: मोलेला मृण्मूर्ति कला
व्याख्या: राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखंड के रहने वाले मोहनलाल कुम्हार को मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए वर्ष 2012 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे मोलेला मृण्मूर्ति कला के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं।

प्रश्न 134: स्व. हिसामुद्दीन किस हस्तशिल्प के सिद्धहस्त कलाकार थे –

Basic Computer Instructor Exam 2022 Paper 1
A) थेवा कला
B) उस्ता कला
C) जट पट्टी कला
D) मीनाकारी
उत्तर: उस्ता कला
व्याख्या: स्व. हिसामुद्दीन उस्ता कला के एक प्रसिद्ध कलाकार थे। उन्होंने ऊंट की खाल पर स्वर्ण मीनाकारी की कला में महारत हासिल की थी और इस कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया था। उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

प्रश्न 135: राजस्थान की प्रसिद्ध लोक कला “बेवाण” है –

Basic Computer Instructor Exam 2022 Paper 1
A) खादी के कपड़े पर लोक देवता के जीवन को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करना।
B) लकड़ी से निर्मित सिंहासन जिस पर ठाकुरजी की मूर्ति को श्रृंगारित करके बैठाया जाता है।
C) लकड़ी से निर्मित तलवारनुमा आकृति जिसका उपयोग रामलीला नाटक में किया जाता है।
D) कपाटों युक्त लकड़ी से निर्मित मंदिरनुमा आकृति।
उत्तर: लकड़ी से निर्मित सिंहासन जिस पर ठाकुरजी की मूर्ति को श्रृंगारित करके बैठाया जाता है।
व्याख्या: बेवाण राजस्थान की एक प्रसिद्ध लकड़ी की कला है जिसमें लकड़ी से सिंहासन बनाया जाता है। इस सिंहासन पर ठाकुरजी (भगवान) की मूर्ति को श्रृंगारित करके बैठाया जाता है। यह एक पारंपरिक राजस्थानी लकड़ी की कला है।

प्रश्न 136: राजस्थान का कौन सा शहर अजरक प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है –

Lab Assistant Exam 2022 (Geography)
A) बाड़मेर
B) अजमेर
C) सांगानेर
D) भीलवाड़ा
उत्तर: बाड़मेर
व्याख्या: बाड़मेर शहर अपनी अजरक प्रिंट छपाई के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रिंट में लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है और यह बाड़मेर के खत्री जाति के कारीगरों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 137: राजसमन्द जिले में स्थित मौलेला गांव किस लोक कला के लिए विख्यात है –

Lab Assistant Exam 2022 (Geography)
A) मृणमय मूर्तिकला
B) काष्ठ कला
C) वस्त्र छपाई
D) हस्तनिर्मित कागज
उत्तर: मृणमय मूर्तिकला
व्याख्या: राजसमन्द जिले में स्थित मौलेला गांव मृणमय मूर्तिकला (टेराकोटा) के लिए विख्यात है। इस गांव के कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियां बनाते हैं और उन्हें ताप पर पकाते हैं।

प्रश्न 138: पारम्परिक कलाकार मांगीलाल मिस्त्री किस क्षेत्र में प्रसिद्ध है –

Lab Assistant Exam 2022 (Science) 29 June 2022 Paper-1
A) कावड़
B) कठपुतली
C) मांडणा
D) फड़
उत्तर: कावड़
व्याख्या: मांगीलाल मिस्त्री कावड़ कला के एक प्रसिद्ध कलाकार हैं। कावड़ एक पारंपरिक राजस्थानी लकड़ी की कला है जिसमें लकड़ी पर रंगीन चित्रकारी और धार्मिक कथाओं को दर्शाया जाता है।

प्रश्न 139: “महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स” की स्थापना किस राजस्थानी शासक द्वारा करवायी गयी –

REET-2022 Level 2 (सामाजिक अध्ययन) Shift-III
A) सवाई जयसिंह
B) सवाई रामसिंह
C) जगतसिंह
D) जसवंतसिंह
उत्तर: सवाई रामसिंह
व्याख्या: महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने वर्ष 1857 में किशनपोल बाजार में कला को बढ़ावा देने के लिए मदरसा-ए-हुनरी की शुरुआत की थी। इसके बाद 1886 में इसका नाम बदलकर महाराजा स्कूल ऑफ आटर्स एंड क्रॉफ्ट कर दिया गया।

प्रश्न 140: ‘फ़ेन्स’ के बारे में कौन से कथन पूर्ण सत्य हैं –

(I) फ़ेयन्स की खदानें मेहरगढ़ में मिली हैं।

(II) फ़ेन्स प्राकृतिक तौर पर पाए जाते थे।

(III) बालू या स्फटिक पत्थर के चूर्ण को गोंद में मिलाकर उनसे वस्तुएं बनाई जाती थीं।

(IV) उसके बाद उन वस्तुओं पर एक चिकनी परत चढाई जाती थी।

(V) फ्रेन्स से मनके, चूड़ियाँ, झुमके और छोटे बर्तन बनाए जाते थे।

REET-2022 Level 2 (सामाजिक अध्ययन) Shift-II
A) I, II, III
B) II, III, IV
C) III, IV, V
D) IV, VI
उत्तर: III, IV, V
व्याख्या: फ़ेयॅन्स एक ऐसी सामग्री है जो प्राकृतिक रूप से नहीं मिलती, बल्कि निर्मित की जाती है। इसकी बनाने की प्रक्रिया में रेत या पाउडर क्वार्ट्ज को गोंद के साथ मिलाकर वस्तुओं को आकार दिया जाता था। इसके बाद उन वस्तुओं पर एक चिकनी परत चढ़ाई जाती थी। इस सामग्री से मनके, चूड़ियाँ, झुमके और छोटे बर्तन बनाए जाते थे।

प्रश्न 141: राजस्थान में पाई जाने वाली उस्ता कला क्या है –

A) संगमरमर के पत्थर पर पच्चीकारी
B) चौकोर चेक पैटर्न में कपास और रेशम का मिश्रण
C) संगमरमर के पत्थर पर मीनाकारी
D) ऊँट के चमड़े पर सोने की मीनाकारी
उत्तर: ऊँट के चमड़े पर सोने की मीनाकारी
व्याख्या: उस्ता कला राजस्थान की एक विशिष्ट कला है जिसमें ऊँट के चमड़े पर सोने की मीनाकारी की जाती है। यह कला विशेष रूप से बीकानेर में प्रचलित है और यहाँ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुणता प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 142: जोधपुर में पीने के पानी के बर्तनों में कपड़े या चमड़े की एक परत को लपेटा जाता है। इन्हें क्या कहते है –

A) बदले
B) थेवा
C) संगामेरी
D) दाबू
उत्तर: बदले
व्याख्या: जोधपुर में पीने के पानी के बर्तनों को गर्मी से बचाने और पानी को ठंडा रखने के लिए कपड़े या चमड़े की एक परत से लपेटा जाता है। इन विशेष बर्तनों को ‘बदले’ कहा जाता है और ये जोधपुर की पारंपरिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

प्रश्न 143: निम्नलिखित में से राजस्थान का कौन-सा शहर ब्लैक पॉटरी के लिए प्रसिद्ध है –

Police Constable Exam (02 July 2022) (Re Exam)
A) सवाई माधोपुर
B) कोटपूतली
C) भिवाड़ी
D) झुंझुनू
उत्तर: सवाई माधोपुर
व्याख्या: राजस्थान का सवाई माधोपुर शहर ब्लैक पॉटरी के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर काली मिट्टी के बर्तन बनाने में माहिर हैं और ये बर्तन अपनी विशेष तकनीक और डिजाइन के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 144: टेराकोटा से मन्नत मूर्तियाँ या देवताओं की मूर्तियाँ बनाने की मोलेला कला में, मिट्टी को मजबूत करने और उसे कड़ा बनाने के लिए उसमें निम्न में से कौन सी सामग्री मिलाई जाती है –

Police Constable Exam (15 May 2022 Shift-2)
A) चावल की भूसी और ऊँट का गोबर
B) चावल की भूसी और गधे का गोबर
C) गेहूं की भूसी और ऊँट का गोबर
D) मक्के की भूसी और ऊँट का गोबर
उत्तर: चावल की भूसी और गधे का गोबर
व्याख्या: मोलेला कला में टेराकोटा से मन्नत मूर्तियाँ या देवताओं की मूर्तियाँ बनाते समय, मिट्टी को मजबूत बनाने और उसे कड़ा करने के लिए चावल की भूसी और गधे के गोबर का मिश्रण किया जाता है। यह मिश्रण मूर्तियों को टिकाऊ और मजबूत बनाने में मदद करता है।

प्रश्न 145: निम्नलिखित में से कौन सा शहर नमदा बनाने के लिए प्रसिद्ध है –

Police Constable Exam (15 May 2022 Shift-1)
A) टोंक
B) भीलवाड़ा
C) उदयपुर
D) कोटा
उत्तर: टोंक
व्याख्या: टोंक शहर नमदा बनाने के लिए राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध है। नमदा एक प्रकार का ऊनी कपड़ा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से फर्श कवरिंग के लिए किया जाता है। यहाँ के कारीगर पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को जीवित रखे हुए हैं।

प्रश्न 146: नमदा राजस्थान का एक स्थानीय शब्द है। यह एक प्रकार का ऊनी कपड़ा है जिसका उपयोग फर्शकवरिंग के लिए किया जाता है और इसका उत्पादन मुख्यतः टोंक में होता है। नमदा बनाने की कला राजस्थान की नहीं है। इसे ______ से आयातित माना जाता है।

Police Constable Exam (13 May 2022 Shift-2)
A) ईरान
B) अफगानिस्तान
C) रूस
D) चीन
उत्तर: ईरान
व्याख्या: नमदा बनाने की कला मूल रूप से राजस्थान की नहीं है, बल्कि इसकी उत्पत्ति ईरान से हुई है। यह कला मुगलकाल में भारत आई और मुगल सम्राटों और राजपूत राजघरानों के संरक्षण में राजस्थान में इसे बढ़ावा मिला। आज भी टोंक इस कला का प्रमुख केंद्र है।

प्रश्न 147: राजस्थान का ‘राज-सोनी’ परिवार आभूषण निर्माण की निम्नलिखित में किस कला से संबंधित है –

Police Constable Exam (13 May 2022 Shift-2)
A) कुंदन कार्य
B) मीनाकारी
C) पटवा
D) थेवा
उत्तर: थेवा
व्याख्या: राजस्थान का ‘राज-सोनी’ परिवार थेवा कला से संबंधित है। थेवा एक विशेष प्रकार की आभूषण बनाने की कला है जिसमें पिघले हुए कांच पर सोने की बारीक परत को एम्बॉस किया जाता है। यह कला राजस्थान के प्रतापगढ़ क्षेत्र से उत्पन्न हुई है और आज भी यहाँ के कारीगर इस कला में निपुणता प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 148: निम्नलिखित में से कौन-सी कपड़े के विभिन्न टुकड़ों से सुंदर और सजावटी वस्तुएँ बनाने की प्राचीन तकनीक है –

Police Constable Exam (13 May 2022 Shift-1)
A) आरी (Aari)
B) ऐप्लीक (Applique)
C) जरदोजी (Zardozi)
D) कचो (Kacho)
उत्तर: ऐप्लीक (APPLIQUE)
व्याख्या: ऐप्लीक एक प्राचीन तकनीक है जिसमें कपड़े के विभिन्न टुकड़ों या पैच को विभिन्न आकृतियों और पैटर्नों में सिला जाता है या चित्र या पैटर्न बनाने के लिए एक बड़े टुकड़े से चिपका दिया जाता है। यह एक सजावटी सुई का काम है जो राजस्थान के कई क्षेत्रों में प्रचलित है।

प्रश्न 149: ब्लू पॉटरी किसका एक पारंपरिक शिल्प है –

Police Constable Exam (13 May 2022 Shift-1)
A) जयपुर
B) कोटा
C) जैसलमेर
D) उदयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: ब्लू पॉटरी जयपुर का एक पारंपरिक शिल्प है। इस कला को जयपुर के सवाई राम सिंह द्वितीय के संरक्षण में बढ़ावा मिला और आज यह जयपुर की पहचान का प्रतीक बन गया है। नीले रंग की मिट्टी के बर्तन इसकी विशेषता हैं और ये देश-विदेश में लोकप्रिय हैं।

प्रश्न 150: सुमेलित कीजिए –

हस्तशिल्पस्थान
(1) अजरक प्रिन्ट(i) नाथद्वारा
(2) जाजम प्रिन्ट(ii) चित्तौड़गढ़
(3) पिछवाई(iii) अकोला
(4) दाबू प्रिन्ट(iv) बाड़मेर

कूट –

RSMSSB VDO Mains 2022
A) 1-(ii), 2-(iv), 3-(i), 4-(iii)
B) 1-(iii), 2-(i), 3-(iv), 4-(ii)
C) 1-(i), 2-(ii), 3-(iii), 4-(iv)
D) 1-(iv), 2-(ii), 3-(i), 4-(iii)
उत्तर: 1-(IV), 2-(II), 3-(I), 4-(III)
व्याख्या: राजस्थान के विभिन्न हस्तशिल्प और उनके स्थान इस प्रकार हैं: बाड़मेर अजरक प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है जिसमें लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है। चित्तौड़गढ़ जाजम प्रिंट के लिए जाना जाता है जिसमें लाल और हरे रंग का उपयोग होता है। नाथद्वारा (राजसमन्द) जिले में पिछवाई कला प्रसिद्ध है जिसमें कपड़े पर भगवान कृष्ण के जीवन को चित्रित किया जाता है। चित्तौड़गढ़ जिले का अकोला गांव दाबू प्रिंट के लिए जाना जाता है, जिसका अर्थ है दबाना।

प्रश्न 151: कौन सा (हस्तशिल्प – स्थान) सही सुमेलित नहीं

RSMSSB VDO Mains 2022
A) लकड़ी के खिलौने – बस्सी
B) मसूरिया साड़ी – कैथून
C) बंधेज (टाई एंड डाई) – जयपुर
D) तारकशी का काम – उदयपुर
उत्तर: तारकशी का काम – उदयपुर
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ‘तारकशी का काम – उदयपुर’ गलत सुमेलित है। वास्तव में, तारकशी का काम नाथद्वारा में प्रसिद्ध है, उदयपुर में नहीं। अन्य विकल्प सही हैं – बस्सी लकड़ी के खिलौनों के लिए जाना जाता है, कैथून मसूरिया साड़ी के लिए प्रसिद्ध है, और जयपुर बंधेज (टाई एंड डाई) का केंद्र है।

प्रश्न 152: निम्नलिखित में से कौन सही ढंग से मेल नहीं खाता है –

A) थेवा कला – प्रतापगढ़
B) मीनाकारी – जयपुर
C) अजरक प्रिंट – सांगानेर
D) टेराकोटा कला – मोलेला
उत्तर: अजरक प्रिंट – सांगानेर
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ‘अजरक प्रिंट – सांगानेर’ का मेल सही नहीं है। अजरक प्रिंट वास्तव में बाड़मेर का प्रसिद्ध शिल्प है, सांगानेर का नहीं। सांगानेर अपने सांगानेरी प्रिंट के लिए जाना जाता है। अन्य विकल्प सही हैं – थेवा कला प्रतापगढ़ से संबंधित है, मीनाकारी जयपुर में प्रचलित है, और टेराकोटा कला मोलेला (राजसमंद) के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 153: कौनसा कूट सुमेलित नहीं है –
हस्तकला – स्थान

A) मामाजी के घोड़े – बसंतगढ़
B) दाबू प्रिन्ट – आकोला
C) लाख का काम – लक्ष्मणगढ़, इन्द्रगढ़
D) अजरक प्रिन्ट – बाड़मेर
उत्तर: मामाजी के घोड़े – बसंतगढ़
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ‘मामाजी के घोड़े – बसंतगढ़’ का सुमेलन सही नहीं है। वास्तव में, मामाजी के घोड़े की कला उदयपुर से संबंधित है, बसंतगढ़ से नहीं। अन्य विकल्प सही हैं – दाबू प्रिंट आकोला का प्रसिद्ध शिल्प है, लाख का काम लक्ष्मणगढ़ और इन्द्रगढ़ में किया जाता है, और अजरक प्रिंट बाड़मेर का विशिष्ट शिल्प है।

प्रश्न 154: राजस्थान की सोजत मेहंदी को जी आई टैग किस वर्ष दिया गया –

A) 2019
B) 2020
C) 2021
D) 2018
उत्तर: 2021
व्याख्या: राजस्थान की ‘सोजत मेहंदी’ को सितंबर 2021 में सरकार से भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त हुआ। यह टैग सोजत की मेहंदी की विशिष्ट पहचान और गुणवत्ता को मान्यता देता है और इसे अन्य क्षेत्रों की मेहंदी से अलग पहचान देता है।

प्रश्न 155: आजम पिं्रट का संबंध राजस्थान के किस जिले से है –

A) बाड़मेर
B) जयपुर
C) बीकानेर
D) चित्तौड़गढ़
उत्तर: चित्तौड़गढ़
व्याख्या: आजम प्रिंट राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से संबंधित है। यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग शैली है जिसमें विशेष प्रकार के डिजाइन और पैटर्न का उपयोग किया जाता है। चित्तौड़गढ़ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

प्रश्न 156: ऊंट की खाल पर स्वर्णिम नक्काशी का कार्य किस नाम से किया जाता है –

Rajasthan High Court LDC 2020
A) कारचोब
B) फड़चित्रण
C) उस्ताकला
D) मथेरण कला
उत्तर: उस्ताकला
व्याख्या: ऊंट की खाल पर स्वर्णिम नक्काशी का कार्य ‘उस्ताकला’ के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान की एक प्रमुख हस्तकला है जो विशेष रूप से बीकानेर में प्रचलित है। इस कला में कारीगर ऊंट की खाल पर सोने की बारीक नक्काशी करते हैं और इसे विभिन्न सजावटी वस्तुओं में उपयोग करते हैं।

प्रश्न 157: बेवाण है –

A) लकड़ी के बने देव विमान
B) पूजा के थाल
C) छपाई में प्रयुक्त लकड़ी के छापे
D) मांगलिक अवसरों पर कुमकुम,चावल आदि रखने हेतु प्रयुक्त लकड़ी का पात्र
उत्तर: लकड़ी के बने देव विमान
व्याख्या: बेवाण वास्तव में लकड़ी से बने देव विमान को कहा जाता है। ये छोटे आकार के लकड़ी के मंदिर होते हैं जिनका उपयोग धार्मिक आयोजनों और पूजा-पाठ में किया जाता है। राजस्थान में विशेष रूप से उदयपुर और जोधपुर में इनका निर्माण किया जाता है।

प्रश्न 158: ‘कावड़’ कला किस वस्तु से सम्बन्धित है –

A) कपड़ा
B) लकड़ी
C) पत्थर
D) कागज
उत्तर: लकड़ी
व्याख्या: ‘कावड़’ कला लकड़ी से संबंधित है। यह राजस्थान की एक पारंपरिक कला है जिसमें कारीगर लकड़ी पर जटिल डिजाइन और पैटर्न बनाते हैं। इस कला का उपयोग मुख्य रूप से फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियों और अन्य सजावटी वस्तुओं को सजाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 159: श्री देवी लाल समर निम्नलिखित में से किस हस्तशिल्प से संबंधित हैं –

A) मूर्तिकला कला
B) कठपुतली कला
C) नीली मिट्टी के बर्तन
D) पेंचवर्क
उत्तर: कठपुतली कला
व्याख्या: श्री देवी लाल समर कठपुतली कला से संबंधित थे। उनका जन्म 30 जुलाई 1911 को उदयपुर के एक ओसवाल परिवार में हुआ था। उन्हें नृत्य, रंगमंच, कठपुतली और राजस्थान की सभी लोक कलाओं में गहरी रुचि थी। 1952 में, उन्होंने उदयपुर में लोक कला मंडल की स्थापना की और उसी वर्ष पहला कठपुतली महोत्सव भी शुरू किया। आज, लोक कला मंडल में एक अलग कठपुतली थियेटर है जहाँ नियमित रूप से कठपुतली शो आयोजित किए जाते हैं।

प्रश्न 160: निम्न में से कौन सा युग्म सही है ?
संस्थान – स्थापना

Rajasthan Patwar 2021 (24 Oct 2021 ) 2nd shift
A) जयपुर कत्थक केन्द्र – 1982
B) राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी – 1980
C) राजस्थान ललित कला अकादमी – 1957
D) राजस्थान संस्कृत अकादमी – 1969
उत्तर: राजस्थान ललित कला अकादमी – 1957
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ‘राजस्थान ललित कला अकादमी – 1957’ का युग्म सही है। राजस्थान ललित कला अकादमी की स्थापना वर्ष 1957 में की गई थी। अन्य विकल्प गलत हैं – जयपुर कत्थक केन्द्र की स्थापना 1982 में नहीं हुई थी, राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी 1980 में स्थापित नहीं हुई थी, और राजस्थान संस्कृत अकादमी की स्थापना 1969 में नहीं हुई थी।
मैं आपके लिए दिए गए MCQs को HTML फॉर्मेट में सेट कर रहा हूँ। मैंने सभी निर्देशों का पालन किया है – विकल्पों में A, B, C, D का उपयोग किया है, व्याख्याओं को फिर से लिखा है, और सुमेलित प्रश्नों के लिए निर्दिष्ट प्रारूप का उपयोग किया है।

प्रश्न 161: राजस्थान के संदर्भ में पचवेदा (PACHEVADA) क्या है –

Rajasthan Patwar 2021 (24 Oct 2021 ) 2nd shift
A) जूटपट्टी
B) कच्ची मिट्टी के खिलौने
C) मोटी सूती शॉल
D) हस्त निर्मित कागज
उत्तर: मोटी सूती शॉल

प्रश्न 162: नागौर का ‘बू’ गाँव किस कलात्मक कार्य के लिए प्रसिद्ध है ?

Rajasthan Patwar 2021 (24 Oct 2021 ) 1st shift
A) हस्त निर्मित कागज
B) जूट पट्टी
C) कच्ची मिट्टी के खिलौने
D) मोटी सूती शॉल
उत्तर: कच्ची मिट्टी के खिलौने

प्रश्न 163: राजस्थान का कौन सा क्षेत्र बेल बूटे की छपाई की परंपरागत कला के लिए जाना जाता है –

A) बस्सी
B) बगरू
C) मोलेला
D) सांगानेर
उत्तर: बगरू
व्याख्या: बगरू (जयपुर) की छपाई काफी लोकप्रिय है। यह प्रिन्ट सांगानेरी प्रिंट की तरह है, परंतु इनमें अंतर यह है कि सांगानेरी छापे में आधार सफेद होता है, जबकि बगरू प्रिन्ट का आधार हरा रंग लिए होता है। बगरू प्रिन्ट में काला और लाल रंग विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं होता है। बगरू में महादेव, लक्ष्मीनारायण, सत्यनारायण, हनुमान सहाय धनोपिया प्रसिद्ध छापे हैं।

प्रश्न 164: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है –

Rajasthan Patwar 2021 (23 Oct 2021) 1st shift
A) थेवा कला – प्रतापगढ़
B) मीनाकारी – जयपुर
C) अजरख प्रिंट – सांगानेर
D) टेराकोटा शिल्प – मोलेला
उत्तर: अजरख प्रिंट – सांगानेर

प्रश्न 165: रूमा देवी के बारे में निम्न में से कौनसा कथन सा नहीं है –

RPSC Ras Pre. Exam 2021
A) उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा 2018 में ‘नारी शकि पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
B) उन्हें हस्तशिल्प के क्षेत्र में जाना जाता है।
C) उन्होंने हजारों महिलाओं को रोजगार बढ़ावा देने में अहम भागीदारी निभाई।
D) वे जसरापुर (खेतड़ी) गाँव में पली – बढ़ी।
उत्तर: वे जसरापुर (खेतड़ी) गाँव में पली – बढ़ी।

प्रश्न 166: राजस्थान का कौन-सा स्थान ‘टाई एंड डाई’ की कला के लिए प्रसिद्ध है –

A) बाड़मेर
B) जयपुर
C) जोधपुर
D) नाथद्वारा
उत्तर: जोधपुर

प्रश्न 167: निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं –

1. जयपुर की प्रसिद्ध मीनाकारी कला सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल में शुरू हुई।

2. उस्ता कला दीवारों, छत, कांच, लकड़ी, संगमरमर और जोधपुर जिले के ऊंट के चमड़े से बनी कलाकृतियों पर की जाती है।

A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनों
D) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: न तो 1 और न ही 2

प्रश्न 168: चुरामन, कालू कुमार, कृपाल सिंह शेखावत राजस्थान की निम्न लोक कलाओं में से किससे संबंधित हैं –

A) टेराकोटा
B) थेवा कला
C) ब्लू पॉटरी
D) मीनाकारी
उत्तर: ब्लू पॉटरी

प्रश्न 169: राजस्थान में हस्तशिल्प के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. ब्लू पॉटरी मंगोलियाई कारीगरों द्वारा उत्पन्न हुई थी, जिन्होंने चीनी ग्लेज़िंग तकनीक को फारसी सजावटी कलाओं के साथ जोड़ा।

2. ऊंट के चमड़े पर गोल्डन मीनाकारी कार्य को उस्ता कला के रूप में जाना जाता है।

A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनों
D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: 1 और 2 दोनों

प्रश्न 170: राजस्थान में ऊनी कम्बल एवं नमदे बनाने का प्रमुख केन्द्र है –

A) कोटा
B) भरतपुर
C) बीकानेर
D) जयपुर
उत्तर: बीकानेर

प्रश्न 171: राजस्थान में मोलेला किसके लिए जाना जाता है –

A) कुंदन के काम के लिए
B) चमड़े के काम के लिए
C) टेराकोटा कार्य के लिए
D) गेसो के काम के लिए
उत्तर: टेराकोटा कार्य के लिए
व्याख्या: राजस्थान का मोलेला गाँव टेराकोटा (मिट्टी के बर्तन एवं खिलौने) हस्तकला के लिए प्रसिद्ध है। जब पकाई हुई मिट्टी से विभिन्न सजावटी और उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, तो उसे टेराकोटा कहते हैं।

प्रश्न 172: राजस्थान में कोफ्तगिरी के काम के लिए कौन से जिले प्रसिद्ध हैं –

A) जयपुर और जोधपुर
B) जयपुर और अलवर
C) राजसमंद और बाड़मेर
D) जोधपुर और पाली
उत्तर: जयपुर और अलवर

प्रश्न 173: कठपुतली राजस्थान के निम्नलिखित में से किस समुदाय से संबंधित है –

A) भट्ट
B) मंगनियार
C) लंगा
D) दामोर
उत्तर: भट्ट

प्रश्न 174: राजस्थान की फड़ पेंटिंग पारंपरिक रूप से _ पर की जाती है।

A) दीवार
B) कपड़ा
C) लकड़ी
D) कांच
उत्तर: कपड़ा

प्रश्न 175: राजस्थान का पन्ना शहर किस शहर को कहा जाता है –

A) उदयपुर
B) जयपुर
C) जोधपुर
D) अलवर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: पन्ने की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय मंडी जयपुर में स्थित है।

प्रश्न 176: निम्नलिखित में से कौन काष्ट कला के प्रसिद्ध कलाकार हैं –

A) कृपाल सिंह शेखावत
B) देवी लाल समर
C) भानु जी महाराज
D) प्रभात जी सुथार
उत्तर: प्रभात जी सुथार
व्याख्या: राजस्थान का बस्सी (चित्तौड़गढ़) कस्बा काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध है। इस कला के जनक के रूप में प्रभात जी सुथार को जाना जाता है। प्रभात जी ने 350 साल पहले लकड़ी की गणगौर बनाई थी। इस कला के उपयोग से बेवन, कावड़ और लकड़ी के खिलौने भी बनाए जाते हैं।

प्रश्न 177: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र टेराकोटा कलाकृतियों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है –

A) बू-नरावता
B) खुर्जा
C) बस्सी
D) नाथद्वारा
उत्तर: बू-नरावता
व्याख्या: पक्की मिट्टी का उपयोग करके मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने आदि बनाने की कला को टेराकोटा के नाम से जाना जाता है। नाथद्वारा के पास स्थित मोलेला गांव इस कला का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। बू-नरावता गाँव मिट्टी के खिलौने, गुलदस्ते, गमले, पक्षियों की कलाकृतियों के काम के लिए प्रसिद्ध हैं, जो नागौर जिले में हैं।

प्रश्न 178: सरदार कुदरत सिंह निम्नलिखित में से किस लोक कला के प्रमुख कलाकार थे –

A) ब्लू पॉटरी
B) बंधनेज
C) उस्ता कला
D) मीनाकारी
उत्तर: मीनाकारी
व्याख्या: सरदार कुदरत सिंह मीनाकारी के प्रमुख कलाकार थे। इस कला के लिए उन्हें 1988 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। मीनाकारी के अन्य प्रमुख कलाकार काशीराम और कैलाशचंद्र हैं।

प्रश्न 179: ‘चन्दूजी का गढा तथा बोडीगामा’ स्थान किसके लिए विख्यात है –

Gram Sevak 2016
A) तीर-कमान निर्माण के लिए
B) मीनाकारी के लिए
C) कुन्दन कला के लिए
D) जाजम छपाई के लिए
उत्तर: तीर-कमान निर्माण के लिए

प्रश्न 180: राजस्थान राज्य में कावड़ कला का सम्बन्ध किससे है –

A) मूर्ति शिल्प
B) काष्ठ चित्रण
C) वस्तु शिल्प
D) पॉटरी निर्माण
उत्तर: काष्ठ चित्रण

प्रश्न 181: राजस्थान राज्य में मसूरिया साड़ी के लिए प्रसिद्ध स्थान है –

A) मांगरोल
B) सांगानेर
C) बगरू
D) कालाडेरा
उत्तर: मांगरोल
व्याख्या: कोटा से 15 किमी. दूर कैथून गांव के बुनकरों द्वारा सूती धागे के साथ रेशमी धागे और जरी का प्रयोग करके की जाने वाली चौकोर बुनाई को मंसूरिया या कोटा डोरिया बुनाई कहते हैं। असली कोटा डोरिया साड़ी की पहचान वर्गों की संख्या (300) से की जाती है। 1761 में कोटा के दीवान झाला जालिमसिंह ने मैसूर के बुनकर महमूद मसूरिया को कोटा बुलाया और यहां हथकरघा उद्योग की स्थापना कर साड़ी बुनना शुरू करवाया, उसी के नाम पर साड़ी का नाम मसूरिया साड़ी हो गया। कैथून (कोटा) के अतिरिक्त मांगरोल (बांरा) भी इसके लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 182: निम्नलिखित में से सही जोड़ा चुनिये –

Stenographer Comp. Exam – 2011 (Paper I)
A) डोरिया साजी – सांगानेर
B) नमदा – टोंक
C) अजरख प्रिन्ट – बगरू
D) लकजी के खिलौने – कोटा
उत्तर: नमदा – टोंक
व्याख्या: राजस्थान के विभिन्न हस्तशिल्प और उनके केंद्रों का सही मेल इस प्रकार है: डोरिया साड़ी – कोटा, नमदा – टोंक और बीकानेर, अजरक प्रिंट – बाड़मेर, लकड़ी के खिलौने – उदयपुर और मेड़ता (नागौर)।

प्रश्न 183: ‘बांधो और रंगों’ कला के लिये राजस्थान में कौन सा स्थान प्रसिद्ध है –

A) चित्तौड़गढ़
B) नाथद्वारा
C) बाजमेर
D) जयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जोधपुर और जयपुर बंधेज रंगाई के लिए प्रसिद्ध हैं। महिलाएं इस रंगाई की साड़ी और ओढ़नी पहनती हैं, जबकि पुरुष इस रंगाई के साफे बांधते हैं। राज्य में बंधेज की सबसे बड़ी मंडी जोधपुर में स्थित है और बंधेज का सर्वाधिक काम सुजानगढ़ (चूरू) में होता है।

प्रश्न 184: निम्नलिखित में से कौन सा एक लोक चित्रकला का अंग नहीं है –

A) फड़
B) बणी-ठणी
C) सांझी
D) पथवारी
उत्तर: बणी-ठणी
व्याख्या: फड़, सांझी और पथवारी राजस्थान की पारंपरिक लोक चित्रकलाएं हैं। फड़ कपड़े पर चित्रित भक्ति-कथाओं का चित्रण है, सांझी दीवारों या फर्श पर बनाए गए कलात्मक चित्रण हैं, और पथवारी एक प्रकार की दीवार चित्रकला है। बणी-ठणी राजस्थान की लोक चित्रकला का अंग नहीं है।

प्रश्न 185: जयपुर में ‘मीनाकारी’ की कला किस शासक के समय में आयी –

A) सवाई जयसिंह
B) मानसिंह-1
C) भारमल
D) मिर्जा राजा जयसिंह
उत्तर: मानसिंह-1
व्याख्या: जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिंह प्रथम के शासनकाल में आई थी। उन्होंने इस कला को बढ़ावा देने के लिए कई कारीगरों को दूसरे स्थानों से बुलाया था और इस कला को जयपुर में स्थापित किया था।

प्रश्न 186: राजस्थान के किस क्षेत्र में ‘पनढ़ारी मोदक’ प्रसिद्ध हैं –

A) जोधपुर
B) नाथद्वारा
C) बीकानेर
D) जयपुर
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: पनढ़ारी मोदक बीकानेर क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। ये लाख के बने हुए आभूषण हैं जो बीकानेर की एक विशिष्ट हस्तकला का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 187: राजस्थान का कौन सा क्षेत्र थेवा कला के लिए विख्यात है –

A) प्रतापगझ
B) रामगझ
C) फतेहपुर
D) लक्ष्मणगझ
उत्तर: प्रतापगझ
व्याख्या: थेवा कला राजस्थान के प्रतापगढ़ क्षेत्र की एक विशिष्ट पारंपरिक कला है। इस कला में कांच पर सोने की नक्काशी की जाती है, जिसमें रंगीन बेल्जियम कांच का उपयोग किया जाता है। यह कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ जिले तक ही सीमित है और इसे GI टैग भी प्राप्त है।

प्रश्न 188: पद्मश्री सम्मान 2020 प्राप्त करने वाले राजस्थान के मुन्ना मास्टर का सम्बन्ध किस क्षेत्र से है –

A) राजनीति
B) लोकसेवा
C) कला
D) खेल
उत्तर: कला
व्याख्या: राजस्थान के मुन्ना मास्टर को 2020 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ था। वे कला क्षेत्र से संबंधित हैं और राजस्थान की लोक कलाओं के संरक्षण और प्रचार में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

प्रश्न 189: जवाहर कला केन्द्र राजस्थान में यहाँ पर स्थित है

Stenographer Pre Exam (21 March 2021) (Paper I)
A) जयपुर
B) बीकानेर
C) जोधपुर
D) उदयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जवाहर कला केन्द्र राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है। यह केंद्र राजस्थान की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किया गया है।

प्रश्न 190: राजस्थान में तिलपट्टी के लिए यह स्थान जाना जाता है –

Stenographer Pre Exam (21 March 2021) (Paper I)
A) अलवर
B) जोधपुर
C) बीकानेर
D) ब्यावर
उत्तर: ब्यावर
व्याख्या: ब्यावर राजस्थान में तिलपट्टी के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। तिलपट्टी एक प्रकार का पतला कपड़ा होता है जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से राजस्थानी पोशाकों में किया जाता है।

प्रश्न 191: राजस्थान में मिट्टी (टेराकोटा) की मूर्ति बनाने का मुख्य कला केन्द्र कौन सा है ?

Stenographer Pre Exam (21 March 2021) (Paper I)
A) टांकला
B) मोलेला
C) अकोला
D) शाहपुरा
उत्तर: मोलेला
व्याख्या: राजस्थान में मिट्टी (टेराकोटा) की मूर्ति बनाने का मुख्य कला केंद्र मोलेला है। नाथद्वारा के पास स्थित मोलेला गांव इस कला का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। यहाँ के कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें ताप पर पकाते हैं।

प्रश्न 192: राजस्थान का कौन सा शहर विश्व में रत्न बाजार के लिए प्रसिद्ध है –

Stenographer Pre Exam (21 March 2021) (Paper I)
A) उदयपुर
B) जयपुर
C) अजमेर
D) अलवर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर विश्व प्रसिद्ध रत्न बाजार के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ रत्नों की कटाई, पॉलिशिंग और व्यापार का बड़ा केंद्र है। जयपुर के जौहरी अपनी कलात्मकता और निपुणता के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 193: शिल्पग्राम कहां स्थित है –

Agriculture Research Officer – 2020
A) सिरोही
B) उदयपुर
C) जयपुर
D) सीकर
उत्तर: उदयपुर
व्याख्या: शिल्पग्राम उदयपुर में स्थित है। यह राजस्थान की पारंपरिक हस्तशिल्प कलाओं को बढ़ावा देने और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित एक केंद्र है। यहाँ विभिन्न हस्तशिल्प कलाओं का प्रदर्शन और बिक्री की जाती है।

प्रश्न 194: पद्मश्री कृपालसिंह शेखावत का सम्बन्ध है-

Agriculture Supervisor Exam 2018
A) माण्डणा से
B) उस्ता कला से
C) ब्लू पॉटरी से
D) कालबेलिया नृत्य से
उत्तर: ब्लू पॉटरी से
व्याख्या: कृपाल सिंह शेखावत जयपुर के एक प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी कलाकार हैं। उन्हें इस कला में उनके योगदान के लिए 1974 में पद्म श्री और 1980 में कलाविद सम्मान से सम्मानित किया गया था।

प्रश्न 195: नमदे निर्माण का प्रमुख केन्द्र है –

Agriculture Officer – 2011
A) टोंक
B) भीलवाजा
C) सिरोही
D) अजमेर
उत्तर: टोंक
व्याख्या: भारत में केवल दो नमदा बनाने के केंद्र हैं: कश्मीर में श्रीनगर और राजस्थान में टोंक। टोंक राजस्थान में नमदा निर्माण का प्रमुख केंद्र है।

प्रश्न 196: निम्नांकित में कौन-सा शासक है जिसने राजस्थान में गलीचा बनाने में पहल की –

Agriculture Officer – 2011
A) आमेर का मानसिंह प्रथम
B) बीकानेर का रायसिंह
C) मेवाड़ का राजसिंह
D) जोधपुर का अजीतसिंह
उत्तर: आमेर का मानसिंह प्रथम
व्याख्या: आमेर के महाराजा मानसिंह प्रथम ने राजस्थान में गलीचा बनाने की शुरुआत की थी। उन्होंने इस कला को बढ़ावा देने के लिए कई कारीगरों को दूसरे स्थानों से बुलाया था और इस कला को राजस्थान में स्थापित किया था।

प्रश्न 197: राजा मानसिंह आमेर में मीनाकारी की कला को प्रारम्भ करने के लिए पांच कारीगर किस स्थान से लाया –

Agriculture Officer – 2011
A) दिल्ली
B) बुरहानपुर
C) वाराणसी
D) लाहौर
उत्तर: लाहौर
व्याख्या: राजा मानसिंह ने आमेर में मीनाकारी की कला को प्रारम्भ करने के लिए पांच कारीगर लाहौर से बुलाए थे। इन कारीगरों ने आमेर में मीनाकारी की कला को स्थापित किया और इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

प्रश्न 198: थेवा कला का केन्द्र है –

Agriculture Officer – 2011
A) नागौर
B) बस्सी
C) पुष्कर
D) प्रतापगझ
उत्तर: प्रतापगझ
व्याख्या: थेवा कला का केंद्र प्रतापगढ़ है। यह राजस्थान की एक विशिष्ट पारंपरिक कला है जिसमें कांच पर सोने की नक्काशी की जाती है। यह कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ जिले तक ही सीमित है और इसे GI टैग भी प्राप्त है।

प्रश्न 199: गलीचा निर्माण हेतु प्रसिद्ध है –

Asst. Agriculture Officer – 2011
A) अजमेर
B) सिरोही
C) जयपुर
D) पाली
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर गलीचा निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। सूत और ऊन के ताने-बाने लगाकर गलीचे की बुनाई की जाती है। जयपुर के गलीचे गहरे रंग, डिजाइन और शिल्प कौशल की दृष्टि से प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 200: ‘अजरख’ प्रिन्ट हेतु मुख्यतः प्रसिद्ध है –

Asst. Agriculture Officer – 2011
A) झुन्झनु
B) बाजमेर
C) चुरू
D) सिरोही
उत्तर: बाजमेर
व्याख्या: बाड़मेर अजरक प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रिंट में लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है और दोनों तरफ छपाई होती है। खत्री जाति इस कार्य को करने के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 201: कठपुतलियों का निर्माण मुख्य रूप से होता है –

Asst. Agriculture Officer – 2011
A) उदयपुर
B) जोधपुर
C) फलोदी
D) दौसा
उत्तर: उदयपुर
व्याख्या: उदयपुर शहर राजस्थान में कठपुतली निर्माण का प्रमुख केंद्र है। यहाँ के कारीगर पारंपरिक रूप से रंगीन और आकर्षक कठपुतलियाँ बनाते हैं जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उदयपुर में कठपुतली कला को बढ़ावा देने के लिए विशेष संस्थान भी स्थापित किए गए हैं।

प्रश्न 202: राजस्थान में हाथी दांत की कलात्मक चूड़ियां बनाने का प्रमुख केन्द्र है –

A) जयपुर
B) जोधपुर
C) झालावाड़
D) सीकर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर शहर हाथी दांत की कलात्मक चूड़ियों के निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ के कारीगर हाथी दांत पर बारीक नक्काशी करके आकर्षक चूड़ियाँ बनाते हैं। जयपुर में गलीचे, संगमरमर की मूर्तियां, रत्नाभूषण, मीनाकारी, लाख का काम, हाथीदांत की वस्तुएं, मुरादाबादी/शाह कलम, कुन्दन ब्लू पॉटरी, पाव रजाई, पन्नीगरी, गंगा-जमुनी, कारचोब, जरदोजी, कलाबतु, लहरिया व पोमचा आदि का कार्य भी किया जाता है।

प्रश्न 203: निम्न में से राजस्थान का कौन सा स्थान ब्लैक पॉटरी के लिए प्रसिद्ध है –

A) बांसवाड़ा
B) सवाई माधोपुर
C) चित्तौड़गढ़
D) उदयपुर
उत्तर: सवाई माधोपुर
व्याख्या: सवाई माधोपुर राजस्थान का एक प्रमुख स्थान है जो ब्लैक पॉटरी (काली मिट्टी के बर्तन) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके काले रंग के आकर्षक बर्तन बनाते हैं जो देश-विदेश में लोकप्रिय हैं।

प्रश्न 204: सूची-1 को सूची-2 के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए –

सूची-1सूची-2
अ. थेवा कला1. जयपुर
ब. टेराकोटा2. बीकानेर
स. मथैरणा कला3. मोलेला
द. ब्लू पाटरी4. प्रतापगढ़

अ, ब, स, द

A) 2, 1, 4, 3
B) 4, 2, 3, 1
C) 4, 3, 2, 1
D) 3, 2, 4, 1
उत्तर: 4, 3, 2, 1
व्याख्या: राजस्थान की विभिन्न कलाओं और उनके केंद्रों का सही मिलान इस प्रकार है: थेवा कला का केंद्र प्रतापगढ़ है, टेराकोटा कला मोलेला में प्रचलित है, मथैरणा कला बीकानेर की विशेषता है, और ब्लू पॉटरी जयपुर का पारंपरिक शिल्प है। ये कलाएँ राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और यहाँ के कारीगर पीढ़ी दर पीढ़ी इन कलाओं को जीवित रखे हुए हैं।

प्रश्न 205: ऊंट की खाल पर सोन-चांदी से की जाने वाली कलात्मक नक्काशी कहलाती है –

A) उस्त-कला
B) बादला
C) जड़ाव
D) आलागीला
उत्तर: उस्त-कला
व्याख्या: ऊंट की खाल पर सोने और चांदी से की जाने वाली कलात्मक नक्काशी को ‘उस्त-कला’ कहा जाता है। यह राजस्थान की एक पारंपरिक कला है जो विशेष रूप से बीकानेर में प्रचलित है। इस कला में कारीगर ऊंट की खाल पर सोने और चांदी की बारीक नक्काशी करते हैं और इसे विभिन्न सजावटी वस्तुओं में उपयोग करते हैं।

प्रश्न 206: राजस्थान में मीनाकारी की ‘थेवाकला’ के लिए कौन-सा स्थान प्रसिद्ध है –

A) बाड़मेर
B) राजसमंद
C) नाथद्वारा
D) प्रतापगढ़
उत्तर: प्रतापगढ़
व्याख्या: राजस्थान के प्रतापगढ़ शहर को मीनाकारी की ‘थेवाकला’ के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। थेवा कला एक विशिष्ट प्रकार की आभूषण बनाने की कला है जिसमें पिघले हुए कांच पर सोने की बारीक परत को एम्बॉस किया जाता है। प्रतापगढ़ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

प्रश्न 207: मोकड़ी किस कहते हैं –

A) हाथीदांत की चूड़ियों को
B) लाख की चूड़ियों को
C) कांच की चूड़ियों को
D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: लाख की चूड़ियों को
व्याख्या: मोकड़ी वास्तव में लाख से बनी चूड़ियों को कहा जाता है। जयपुर और जोधपुर इस कला के प्रसिद्ध केंद्र हैं, जहाँ के कारीगर लाख से विभिन्न रंगों और डिजाइनों की चूड़ियाँ बनाते हैं। विशेष रूप से करौली जिले में लाख की चूड़ियों पर कांच की सजावट की जाती है, जो इन्हें और भी आकर्षक बनाती है।

प्रश्न 208: निम्न में से असत्य कथन है –

RSMSSB Lab Assistant Exam 2016
A) डूंगरपुर जिले में देवल की खान से परेवा पत्थर निकलता है।
B) काष्ट पर कलात्क मूर्तियां बनाने के लिए बांसवाड़ा का तलवाड़ा गांव प्रसिद्ध है।
C) बांसवाड़ा के चन्दूजी का गढ़ा तथा डूंगरपुर के बोड़ीगामा गांव में बनने वाले तीर-कमान प्रसिद्ध है।
D) राजस्थान को हस्तकलाओं के आगार के रूप में जाना जाता है।
उत्तर: काष्ट पर कलात्क मूर्तियां बनाने के लिए बांसवाड़ा का तलवाड़ा गांव प्रसिद्ध है।
व्याख्या: दिए गए कथनों में से ‘काष्ट पर कलात्मक मूर्तियां बनाने के लिए बांसवाड़ा का तलवाड़ा गांव प्रसिद्ध है’ यह कथन असत्य है। वास्तव में, काष्ट पर कलात्मक मूर्तियां बनाने के लिए बांसवाड़ा का तलवाड़ा गांव प्रसिद्ध नहीं है। अन्य कथन सत्य हैं – डूंगरपुर जिले में देवल की खान से परेवा पत्थर निकलता है, बांसवाड़ा के चन्दूजी का गढ़ा तथा डूंगरपुर के बोड़ीगामा गांव में बनने वाले तीर-कमान प्रसिद्ध हैं, और राजस्थान को हस्तकलाओं के आगार के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 209: पीतल के बर्तनों पर मुरादाबादी काम कहां किया जाता है –

A) जोधपुर
B) कोटा
C) उदयपुर
D) जयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: पीतल के बर्तनों पर मुरादाबादी काम जयपुर में किया जाता है। इस कला में कारीगर पीतल के बर्तनों की खुदाई करके उस पर कलात्मक नक्काशी करते हैं। जयपुर की मुरादाबादी कला अधिक प्रसिद्ध है और यहाँ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुणता प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 210: पीतल पर नक्काशी की एक विशिष्ट परम्परा को ‘मरोड़ी कला’ कहते हैं, यह कला कहां की प्रसिद्ध है –

A) चित्तौड़गढ़
B) जयपुर
C) नागौर
D) सीकर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: पीतल पर नक्काशी की विशिष्ट परंपरा ‘मरोड़ी कला’ जयपुर में प्रचलित है। यह एक पारंपरिक कला है जिसमें कारीगर पीतल पर जटिल और सुंदर नक्काशी करते हैं। जयपुर के कारीगर इस कला में अत्यधिक माहिर हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 211: राजस्थान में कहां की 250 ग्राम की रूई की बनी ‘पाव रजाई’ विश्व प्रसिद्ध है –

A) जोधपुर
B) जयपुर
C) कोटा
D) बीकानेर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर की 250 ग्राम की रूई से बनी ‘पाव रजाई’ विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। यह रजाई अपनी हल्की और गर्म विशेषताओं के लिए जानी जाती है। जयपुर के कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके इन रजाइयों को बनाते हैं, जो देश-विदेश में लोकप्रिय हैं।

प्रश्न 212: नाथूजी सोनी का संबंध किस कला से है –

A) मीनाकारी
B) फड़ चित्रण
C) चित्रकारी
D) थेवा कला
उत्तर: थेवा कला
व्याख्या: नाथूजी सोनी का संबंध थेवा कला से है। वे इस कला के एक प्रसिद्ध कारीगर थे जिन्होंने इस कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। थेवा कला एक विशिष्ट प्रकार की आभूषण बनाने की कला है जिसमें पिघले हुए कांच पर सोने की बारीक परत को एम्बॉस किया जाता है।

प्रश्न 213: हाथीदांत की वस्तुओं का प्रमुख केन्द्र है –

A) जोधपुर
B) जयपुर
C) कोटा
D) झालावाड़
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: जयपुर हाथीदांत की वस्तुओं का प्रमुख केंद्र है। यहाँ के कारीगर हाथी दांत की कलात्मक चूड़ियाँ बनाते हैं जो अपनी बारीक नक्काशी और आकर्षक डिजाइन के लिए जानी जाती हैं। यह कला जयपुर की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 214: लप्पा, लप्पी, किरण, बांकली और चम्पाकली किसने प्रकार हैं –

A) चुनरी
B) गोटे
C) धोती
D) साफे
उत्तर: गोटे
व्याख्या: लप्पा, लप्पी, किरण, बांकली, बिजिया, मुकेश और चम्पाकली गोटे के प्रकार हैं। गोटा एक प्रकार की सजावटी कला है जिसमें कपड़े पर धातु के पतले तारों का उपयोग करके डिजाइन बनाए जाते हैं। खण्डेला (सीकर) और भिनाय (अजमेर) गोटा निर्माण के प्रमुख केंद्र हैं।

प्रश्न 215: राष्ट्रीय हस्तशिल्प कागज संस्थान की स्थापना कहां की गई है –

A) जयपुर
B) जोधपुर
C) बीकानेर
D) उदयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: राष्ट्रीय हस्तशिल्प कागज संस्थान की स्थापना सांगानेर (जयपुर) में की गई है। यह संस्थान हस्तशिल्प कागज के निर्माण और विकास के लिए कार्य करता है और इस क्षेत्र के कारीगरों को प्रशिक्षण और संरक्षण प्रदान करता है।

प्रश्न 216: राजस्थान में ‘जाजम छपाई’ का कार्य होता है –

A) भीलवाड़ा में
B) अजमेर में
C) नागौर में
D) चित्तौड़गढ़ में
उत्तर: चित्तौड़गढ़ में
व्याख्या: राजस्थान में ‘जाजम छपाई’ का कार्य मुख्य रूप से चित्तौड़गढ़ में किया जाता है। यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग शैली है जिसमें विशेष प्रकार के डिजाइन और पैटर्न का उपयोग किया जाता है। चित्तौड़गढ़ के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

प्रश्न 217: निम्न में से कौनसा युग्म सुमेलित नहीं है –

A) गणगौर निर्माण – बस्सी(चित्तौड़गढ़)
B) लकड़ी के पशु-पक्षियों का निर्माण – जयपुर
C) रमकड़ा निर्माण – उदयपुर
D) लकड़ी के नक्काशीदार मठोठ – बीकानेर एवं शेखावाटी
उत्तर: रमकड़ा निर्माण – उदयपुर
व्याख्या: दिए गए विकल्पों में से ‘रमकड़ा निर्माण – उदयपुर’ का सुमेलन सही नहीं है। वास्तव में, रमकड़ा निर्माण उदयपुर से संबंधित नहीं है। अन्य विकल्प सही हैं – गणगौर निर्माण बस्सी (चित्तौड़गढ़) में किया जाता है, लकड़ी के पशु-पक्षियों का निर्माण जयपुर में होता है, और लकड़ी के नक्काशीदार मठोठ बीकानेर एवं शेखावाटी में बनाए जाते हैं।

प्रश्न 218: राज्य में रंगाई, छपाई एवं बन्धेज का कार्य परम्परागत रूप से किस जाति द्वारा किया जाता है –

A) चूड़ीगर
B) कायमखानी
C) नीलगर
D) रंगीला
उत्तर: नीलगर
व्याख्या: राजस्थान में रंगाई, छपाई एवं बन्धेज का कार्य परंपरागत रूप से नीलगर जाति द्वारा किया जाता है। यह जाति राजस्थान की पारंपरिक रंगाई और छपाई कला में अत्यधिक निपुण है और पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को जीवित रखे हुए है। नीलगर जाति के कारीगर विभिन्न प्रकार के रंगों और तकनीकों का उपयोग करके आकर्षक कपड़े बनाते हैं।

प्रश्न 219: कागज जैसे पतले पत्थर पर मीनाकारी का कार्य राज्य में कहां किया जाता है –

A) बीकानेर
B) जयपुर
C) भरतपुर
D) सांगानेर
उत्तर: बीकानेर
व्याख्या: कागज जैसे पतले पत्थर पर मीनाकारी का कार्य राजस्थान के बीकानेर में किया जाता है। यह एक विशिष्ट कला है जिसमें कारीगर पतले पत्थरों पर रंगीन मीनाकारी करते हैं। बीकानेर के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 220: राजस्थान में संगमरमर पर मीनाकारी का कार्य कहां पर किया जाता है –

A) मकराना
B) किशनगढ़
C) राजसमन्द
D) जयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: राजस्थान में संगमरमर पर मीनाकारी का कार्य जयपुर में किया जाता है। यह एक पारंपरिक कला है जिसमें कारीगर संगमरमर के पत्थरों पर रंगीन मीनाकारी करते हैं। जयपुर के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 221: आॅरियंटल रिसर्च इन्स्टीट्यूट किस जिले में स्थित है-

A) जयपुर
B) जोधपुर
C) बीकानेर
D) गंगानगर
उत्तर: जोधपुर

प्रश्न 222: जोधपुर का प्रसिद्ध ‘बाडला’ निम्नलिखित में से क्या है –

Raj Police Constable(7981)
A) लकड़ी का मंदिर
B) जस्ते से बनी पानी की बोतल
C) जरी की साड़ी
D) टेराकोटा की मूर्तिया
उत्तर: जस्ते से बनी पानी की बोतल

प्रश्न 223: ‘इंडिगो कला’ के लिए प्रसिद्ध स्थान कौनसा है –

A) बालोतरा
B) सांगानेर
C) मण्डोर
D) बहरोड़
उत्तर: बालोतरा

प्रश्न 224: जैसलमेर की कशीदाकारी में बिछाने की वस्तु को लोक कला में क्या कहा जाता है –

A) मुकेश
B) राली
C) कालीन
D) दरी
उत्तर: राली
व्याख्या: जैसलमेर के दूर-दराज गाँवों में ग्रामीण महिलाएँ कपड़े पर कशीदाकारी का कार्य बड़ी बारीकी से करती हैं। बिछाने की वस्तु को स्थानीय भाषा में ‘राली’ कहा जाता है। इसमें कशीदाकारी का काम बहुत बारीकी से किया जाता है। तकियों के कवर में कांच के टुकड़ों को बहुत सूझबूझ और बारीकी से जमाया जाता है।

प्रश्न 225: ‘जैनब’ की साड़ियों का प्रसिद्ध केंद्र है –

A) कैथून
B) रोटेदा
C) बूढ़ादीत
D) दीगोद
उत्तर: दीगोद
व्याख्या: श्रीमती जेनब (दीगोद-कोटा) द्वारा निर्मित सूती साड़ियों को ही ‘जेनब की साड़ियाँ’ कहा जाता है। इन साड़ियों के निर्माण के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

प्रश्न 226: धौलपुर में नकली जेवर बनाने की कला को क्या कहा जाता है –

A) बीदड़
B) तुड़ियां
C) पेसुरी
D) मुकेश
उत्तर: तुड़ियां

प्रश्न 227: मूर्तियों व मंदिरों के अत्यधिक बाहुल्य के कारण बागड़ प्रदेश को मंदिरों का महाधाम कहा जाता है, इस क्षेत्र में मुर्तियां किस विशेष पत्थर की बनती है –

A) घीया पत्थर
B) परेवा पत्थर
C) चूना पत्थर
D) स्लेटी पत्थर
उत्तर: परेवा पत्थर
व्याख्या: परेवा पत्थर हरे रंग का होता है जिसको पॉलिश करने पर यह काला हो जाता है। मुख्यतः यह पत्थर डूंगरपुर, बांसवाड़ा क्षेत्र में ही पाया जाता है। डूंगरपुर जिले में देवल की खान से परेवा पत्थर निकलता है। बागड़ प्रदेश में मूर्तियां इसी विशेष पत्थर की बनाई जाती हैं।

प्रश्न 228: राजस्थान की कौनसी जगह दाबू प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है –

Junior Instructor(welder)
A) आकोला
B) सांगानेर
C) खण्डेला
D) नाडोल
उत्तर: आकोला
व्याख्या: चित्तौड़गढ़ जिले का आकोला गांव दाबू प्रिन्ट के लिए प्रसिद्ध है। आकोला के दाबू प्रिन्ट के बेडशीट, कपड़ा, चून्दड़ी व फेंटिया देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार की रंगाई-छपाई में जिस स्थान पर रंग नहीं चढ़ाना हो, उसे लई या लुगदी से दबा देते हैं। यही लुगदी या लई जैसा पदार्थ ‘दाबू’ कहलाता है।

प्रश्न 229: राजस्थान का कौन-सा जिला अजरख प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है –

Junior Instructor(copa)
A) बीकानेर
B) जैसलमेर
C) भरतपुर
D) बाड़मेर
उत्तर: बाड़मेर

प्रश्न 230: राजस्थान का कौन-सा जिला ‘फड चित्रांकन’ के लिए प्रसिद्ध है –

Junior Instructor(Eco. Investigator)
A) भीलवाड़ा
B) जयपुर
C) कोटा
D) प्रतापगढ़
उत्तर: भीलवाड़ा
व्याख्या: राजस्थान में देवी-देवताओं की गाथाओं का कपड़े पर बने चित्रों के माध्यम से पट-चित्रण किया जाता है जिसे राजस्थानी भाषा में ‘फड़’ कहा जाता है। फड़ चित्रांकन का प्रधान केन्द्र शाहपुरा (भीलवाड़ा) है, इसे फड़ चित्रकला के कारण राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है, यहां की छीपा जाति के जोशी फड़ चित्रकला में निपुण हैं।

प्रश्न 231: ‘ब्लू पाॅटरी’ की प्रसिद्ध कला इससे पूर्व किस नाम से जानी जाती थी –

Asst. Agriculture Officer – 2018 (Paper-1)
A) नीलगिरी
B) जामदानी
C) कामचीनी
D) मृण्मय
उत्तर: कामचीनी

प्रश्न 232: निम्न में से कौन सी संस्था कठपुतली-कला के राजस्थान में संरक्षण-संवर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जानी जाती है –

Asst. Agriculture Officer – 2018 (Paper-1)
A) इंडियन आर्ट पैलेस, दिल्ली
B) सार्दूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर
C) भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर
D) राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर
उत्तर: भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर
व्याख्या: राजस्थान में कठपुतली कला के संरक्षण और संवर्धन में भारतीय लोक कला मण्डल (Bharatiya Lok Kala Mandal), उदयपुर की महत्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 233: सुमेलित कीजिए –

मदजिले
A. नमदा1. जयपुर
B. डोरिया2. टोंक
C. अजरक3. बाड़मेर
D. मार्बल-मूर्ति निर्माण4. बीकानेर
5. कोटा

कूट : A B C D

RAS Pre 2012
A) 2 5 3 1
B) 4 3 2 5
C) 3 2 5 4
D) 1 4 3 2
उत्तर: 2 5 3 1
व्याख्या:
मदजिले
नमदाटोंक
डोरियाकोटा
अजरकाबाड़मेर
मार्बल-मूर्ति निर्माणजयपुर

प्रश्न 234: फ्रेस्को बुनो चित्रण विधा को अन्य किस नाम से भी पुकारा जाता है –

A) आराइश पद्धति
B) आलागीला पद्धति
C) पणा पद्धति
D) उक्त सभी
उत्तर: उक्त सभी
व्याख्या: ताजी पलस्तर की हुई नम भित्ति पर चित्रण फ्रेस्को बुनो कहलाता है। यह पद्धति मुगल बादशाह अकबर-जहांगीर के समय इटली से भारत लाई गई थी।

प्रश्न 235: फौलाद की वस्तुओं पर सोने के पतले तारों की जड़ाई को क्या कहते हैं –

A) कुन्दन का काम
B) मुरादाबादी का काम
C) मुनव्वती का काम
D) कोफ्तगिरी का काम
उत्तर: कोफ्तगिरी का काम
व्याख्या: कोफ्तगिरी का काम अलवर व जयपुर में अधिक होता है।

प्रश्न 236: बगरू की छपाई राजस्थान के किस हिस्से से है –

A) जयपुर
B) भरतपुर
C) झालावाड़
D) नागौर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: बगरू की छपाई राजस्थान के जयपुर हिस्से से संबंधित है।

प्रश्न 237: तारकशी के आभूषण के लिये राजस्थान का कौनसा स्थान प्रसिद्ध है –

Supervisor (women empowerment) Exam 2018
A) नाथद्वारा
B) चित्तौड़गढ़
C) बाड़मेर
D) उदयपुर
उत्तर: नाथद्वारा

प्रश्न 238: प्रसिद्ध मीनाकारी ‘थेवा कला’ का संबंध किस स्थान से है –

Supervisor (women empowerment) Exam 2018
A) बीकानेर
B) जयपुर
C) बाड़मेर
D) प्रतापगढ़
उत्तर: प्रतापगढ़

प्रश्न 239: पद्मश्री कृपालसिंह शेखावत का सम्बन्ध है –

A) माण्डणा से
B) उस्ता कला से
C) ब्लू पाॅटरी से
D) कालबेलिया नृत्य से
उत्तर: ब्लू पाॅटरी से

प्रश्न 240: चन्दुजी का गढा तथा बोडीगामा स्थल किसके लिए विख्यात है –

Raj Jail Warder (29-11-18) Shift 1
A) कुन्दल कला के लिए
B) तीर कमान निर्माण के लिए
C) जाजम छपाई के लिए
D) मीनाकारी के लिए
उत्तर: तीर कमान निर्माण के लिए

प्रश्न 241: निम्न में से कौनसा जोडा सुमेलित है –

Raj Jail Warder (21-10-18) Shift 3
A) मसूरिया साडी-कोटा
B) संगमरमर पर नक्काशी-टोंक
C) बादला-जयपुर
D) नमदा-जोधपुर
उत्तर: मसूरिया साडी-कोटा
व्याख्या: राजस्थान के कोटा और बाराँ जिले में मसूरिया साड़ी का निर्माण किया जाता है। यह एक विशिष्ट प्रकार की सूती साड़ी है जिसमें रेशमी धागे और जरी का प्रयोग किया जाता है। इसकी विशेषता इसकी चौकोर बुनाई और आकर्षक डिजाइन हैं।

प्रश्न 242: जयपुर में ब्ल्यू पोटरी निर्माण की शुरूआत का श्रेय किसे है –

Raj Jail Warder (20-10-18) Shift 1
A) महाराजा मानसिंह
B) महाराजा रामसिंह
C) महाराजा ईश्वरी सिंह
D) महाराजा जयसिंह
उत्तर: महाराजा रामसिंह
व्याख्या: जयपुर में ब्ल्यू पोटरी निर्माण की शुरुआत का श्रेय महाराजा रामसिंह को जाता है। उन्होंने दिल्ली से दो कारीगरों – चूडामन और कालू कुम्हार को जयपुर बुलाकर इस कला की शुरुआत करवाई थी।

प्रश्न 243: हस्तकला जिसके लिए कुदरत सिंह को पद्मश्री से अलंकृत किया गया है –

Asstt. Agriculture Officer(TSP) Exam 2015 Paper 1
A) कपड़े की छपाई
B) मीनाकारी
C) पीतल का मुरादाबादी का काम
D) ब्लू पाटरी
उत्तर: मीनाकारी
व्याख्या: कुदरत सिंह को मीनाकारी कला में उनके असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे जयपुर के एक प्रसिद्ध मीनाकारी कलाकार थे जिन्होंने इस कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

प्रश्न 244: अजरख प्रिंट का संबन्ध है –

A) बालोतरा से
B) पाली से
C) बगरू से
D) बाजमेर से
उत्तर: बाजमेर से
व्याख्या: अजरख प्रिंट बाजमेर से संबंधित है। यह एक विशिष्ट छपाई शैली है जिसमें लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है और कपड़े के दोनों तरफ छपाई की जाती है। यह कला बाजमेर के खत्री समुदाय द्वारा की जाती है।

प्रश्न 245: वह स्थान, जो अपने मृदा शिल्प(टेराकोटा) के लिए प्रसिद्ध है –

A) मोलेला
B) कैथून
C) बगरू
D) सांगानेर
उत्तर: मोलेला
व्याख्या: राजसमन्द जिले में स्थित मोलेला गांव अपने मृदा शिल्प (टेराकोटा) के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के कुम्हार मिट्टी में गधे की लीद मिलाकर मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें ताप पर पकाते हैं।

प्रश्न 246: ब्लू पाटरी को राजस्थान में किस शासक द्वारा लाया गया –

Tax Assistant Exam 2018(P1)
A) महाराजा राम सिंह
B) महाराजा मान सिंह
C) महाराजा माधो सिंह
D) महाराजा भवानी सिंह
उत्तर: महाराजा राम सिंह
व्याख्या: ब्लू पाटरी को राजस्थान में महाराजा राम सिंह (1835-1880) के शासनकाल में लाया गया था। उन्होंने दिल्ली से कुछ स्थानीय कलाकारों को जयपुर बुलाया था ताकि वे यहाँ इस कला को स्थापित कर सकें।

प्रश्न 247: जो नगर समुच्चय लकड़ी के खिलौने बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं, वह हैं –

A) उदयपुर, जयपुर, जोधपुर
B) उदयपुर, सवाई माधोपुर, बाजमेर
C) उदयपुर, सवाई माधोपुर, जैसलमेर
D) उदयपुर, जयपुर, जोधपुर
उत्तर: उदयपुर, जयपुर, जोधपुर
व्याख्या: उदयपुर, जयपुर और जोधपुर राजस्थान के वे शहर हैं जो लकड़ी के खिलौने बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। इन शहरों में लकड़ी के खिलौनों का निर्माण पारंपरिक रूप से किया जाता है और ये देशभर में लोकप्रिय हैं।

प्रश्न 248: किस प्रदेश का ‘अजरक प्रिंट’ प्रसिद्ध है –

A) उदयपुर
B) भीलवाजा
C) बाजमेर
D) सांगानेर
उत्तर: बाजमेर
व्याख्या: बाजमेर प्रदेश का ‘अजरक प्रिंट’ प्रसिद्ध है। यह एक विशिष्ट छपाई शैली है जिसमें लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है और कपड़े के दोनों तरफ छपाई की जाती है। यह कला बाजमेर के खत्री समुदाय द्वारा की जाती है।

प्रश्न 249: दाबू प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है –

Asstt. Jailor Exam 2013(paper-II)
A) गांव अकोला
B) गांव मोलेला
C) प्रतापगढ़
D) हरजी गांव
उत्तर: गांव अकोला
व्याख्या: चित्तौड़गढ़ जिले का अकोला गांव दाबू प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है। यह एक पारंपरिक छपाई शैली है जिसमें रंग न चढ़ाने वाले स्थान को “लई” या “लुगदी” से दबाया जाता है, जिसे “दाबू” कहते हैं।

प्रश्न 250: जयपुर मीनाकारी का एक प्रसिद्ध स्थल है। इस कला को लाने का श्रेय किसको है –

Asstt. Jailor Exam 2013(paper-II)
A) राम सिंह
B) मान सिंह प्रथम
C) मान सिंह द्वितीय
D) ईश्वरी सिंह
उत्तर: मान सिंह प्रथम
व्याख्या: जयपुर में मीनाकारी कला को लाने का श्रेय मान सिंह प्रथम (1589-1614 ई.) को जाता है। उन्होंने लाहौर से कुछ कारीगरों को जयपुर बुलाकर इस कला को यहाँ स्थापित किया था।

प्रश्न 251: राजस्थान के कोटा और बाराँ जिले में बनाई जाने वाली ‘चूंदडी’ का कार्य _ प्रकार का है –

A) हाथ की कढ़ाई
B) पॉटरी का निर्माण
C) टाई एवं डाई
D) पेंटिंग
उत्तर: हाथ की कढ़ाई
व्याख्या: राजस्थान के कोटा और बाराँ जिले में बनाई जाने वाली ‘चूंदडी’ हाथ की कढ़ाई प्रकार की है। यह एक पारंपरिक कला है जिसमें कपड़े पर हाथ से कढ़ाई की जाती है।

प्रश्न 252: कुदरतसिंह को राजस्थान की किस हस्तकला में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया है –

A) कपड़े की छपाई
B) मीनाकारी
C) पीतल पर मुरादाबादी काम
D) ब्लू पाटरी
उत्तर: मीनाकारी
व्याख्या: कुदरतसिंह को मीनाकारी कला में उनके असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे जयपुर के एक प्रसिद्ध मीनाकारी कलाकार थे जिन्होंने इस कला को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

प्रश्न 253: राजस्थान में ब्लू पाटरी का सर्वाधिक विकास किसके शासन काल में हुआ था –

A) सवाई जयसिंह
B) मानसिंह प्रथम
C) रामसिंह
D) प्रतापसिंह
उत्तर: रामसिंह
व्याख्या: राजस्थान में ब्लू पाटरी का सर्वाधिक विकास महाराजा रामसिंह के शासनकाल में हुआ था। उन्होंने दिल्ली से कुछ स्थानीय कलाकारों को जयपुर बुलाया था ताकि वे यहाँ इस कला को स्थापित कर सकें।

प्रश्न 254: ‘थेवा कला’ के लिए प्रसिद्ध परिवार कौन-सा है –

A) सुथार परिवार
B) शेखावत परिवार
C) गहलोत परिवार
D) सोनी परिवार
उत्तर: सोनी परिवार
व्याख्या: ‘थेवा कला’ के लिए सोनी परिवार प्रसिद्ध है। यह परिवार राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में रहता है और इस कला को बचाने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 255: मिट्टी शिल्प के लिए प्रसिद्ध मोलेला अवस्थित है –

Asstt. Agriculture Officer Exam 2015 Paper 1
A) उदयपुर जिले में
B) बाजमेर जिले में
C) जोधपुर जिले में
D) राजसमन्द जिले में
उत्तर: राजसमन्द जिले में
व्याख्या: मिट्टी शिल्प के लिए प्रसिद्ध मोलेला राजसमन्द जिले में अवस्थित है। यह नाथद्वारा के पास स्थित एक गांव है जो अपनी टेराकोटा कला के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 256: विभिन्न कला स्वरूपों और स्थानों के निम्न जोड़ों में से कौन सा जोड़ा सही ढंग से मेल खाता है –

A) थेवा कला – जोधपुर
B) उस्ता कला – उदयपुर
C) कुंदन कला – जयपुर
D) जस्ता की बादला की बोतलें – हनुमानगढ़
उत्तर: कुंदन कला – जयपुर
व्याख्या: विभिन्न कला स्वरूपों और स्थानों में से कुंदन कला – जयपुर का जोड़ा सही ढंग से मेल खाता है। कुंदन कला जयपुर में प्रसिद्ध है, जबकि थेवा कला प्रतापगढ़, उस्ता कला बीकानेर और जस्ता की बादला की बोतलें हनुमानगढ़ में बनाई जाती हैं।

प्रश्न 257: निम्न में से राजस्थान की लोकप्रिय तार कठपुतली कौन सी है –

A) कुंधे
B) कठपुतली
C) यमपुरी
D) पुतुल नाच
उत्तर: कठपुतली
व्याख्या: राजस्थान की लोकप्रिय तार कठपुतली है। यह एक पारंपरिक कला है जिसमें लकड़ी से कठपुतलियाँ बनाई जाती हैं और उन्हें रंगीन किया जाता है।

प्रश्न 258: राजस्थान सरकार द्वारा हस्तशिल्प/कला के क्षेत्र में राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता को कितनी राशि का पुरस्कार दिया जाता है –

RSMSSB LDC (19-08-18) Paper-1
A) ₹ 20,000
B) ₹ 50,000
C) ₹ 25,000
D) ₹ 5,000
उत्तर: ₹ 50,000
व्याख्या: राजस्थान सरकार द्वारा हस्तशिल्प/कला के क्षेत्र में राज्य स्तरीय पुरस्कार विजेता को ₹ 50,000 की राशि का पुरस्कार दिया जाता है।

प्रश्न 259: जयपुर का परंपरागत शिल्प है –

A) थेवा कार्य
B) ब्लू पाटरी
C) पेंटिंग्स
D) ऊनी खादी
उत्तर: ब्लू पाटरी
व्याख्या: जयपुर का परंपरागत शिल्प ब्लू पाटरी है। यह एक विशिष्ट कला है जिसमें नीले रंग की पृष्ठभूमि पर सफेद या अन्य रंगों से डिजाइन बनाए जाते हैं।

प्रश्न 260: निम्न में से राजस्थान का कौन-सा कलाकार मिट्टी के डिजाइनर पाट्रों का कार्य कर रहा है –

A) कृपालसिंह शेखावत
B) देवदत्त
C) ओमप्रकाश गलव
D) बेनीराम सोनी
उत्तर: ओमप्रकाश गलव
व्याख्या: ओमप्रकाश गलव राजस्थान का एक प्रसिद्ध कलाकार हैं जो मिट्टी के डिजाइनर पाट्रों का कार्य कर रहे हैं। वे इस क्षेत्र में अपने असाधारण योगदान के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 261: राजस्थान में मूर्तिकला के लिये कौन सा शहर विख्यात है-

RPSC LDC Exam 2011 Paper I
A) अजमेर
B) कोटा
C) भीलवाड़ा
D) जयपुर
उत्तर: जयपुर
व्याख्या: राजस्थान में मूर्तिकला कला के लिए जयपुर शहर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर पत्थर, धातु और अन्य सामग्रियों से बेहतरीन मूर्तियां बनाने में माहिर हैं। जयपुर की मूर्तिकला राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण अंग है।

प्रश्न 262: निम्न में से हस्त उद्योग का कौन सा केन्द्र है-

RPSC LDC Exam 2011 Paper I
A) हनुमानगढ़
B) झालावाड़
C) सांगानेर
D) दौसा
उत्तर: सांगानेर
व्याख्या: सांगानेर राजस्थान का एक प्रमुख हस्त उद्योग केंद्र है, जो अपने हाथ से बने कागज और ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यहाँ के कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करते हैं।

प्रश्न 263: निम्न में से कौनसा स्थान दरी निर्माण के केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है-

RPSC Clerk GR-II Exam 2016 Paper I
A) टोंक
B) पुष्कर
C) जयपुर
D) उदयपुर
उत्तर: टोंक
व्याख्या: टोंक शहर दरी निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है। दरियाँ टोंक, जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, शाहपुरा, केकड़ी, मालपुरा आदि स्थानों पर बनाई जाती हैं। जयपुर और बीकानेर की जेलों में भी दरियाँ बनाई जाती हैं।

प्रश्न 264: अजरका प्रिन्ट के लिये राजस्थान में कौन सा स्थान प्रसिद्ध है-

RPSC Clerk GR-II Exam 2016 Paper I
A) जैसलमेर
B) बाड़मेर
C) पाली
D) सांगानेर
उत्तर: बाड़मेर
व्याख्या: बाड़मेर शहर अजरक प्रिंट के लिए राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध स्थान है। यह एक पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग शैली है जिसमें लाल और नीले रंग का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। बाड़मेर के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं।

प्रश्न 265: प्राचीन राजस्थान की मूर्तिकला की प्रतीक ‘नाद की शिव प्रतिमा’ किस जिले से प्राप्त हुई है-

A) अजमेर
B) चित्तौड़
C) उदयपुर
D) कोटा
उत्तर: अजमेर
व्याख्या: ‘नाद की शिव प्रतिमा’ प्राचीन राजस्थान की मूर्तिकला का एक महत्वपूर्ण नमूना है जो राजस्थान के अजमेर जिले से प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा प्राचीन काल की कलात्मक उत्कृष्टता का प्रतीक है और राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 266: ‘चन्दूजी का गढ़ा तथा बोडीगामा’ स्थान किसके लिए विख्यात है-

A) तीर-कमान निर्माण के लिए
B) मीनाकारी के लिए
C) कुन्दन कला के लिए
D) जाजम छपाई के लिए
उत्तर: तीर-कमान निर्माण के लिए
व्याख्या: ‘चन्दूजी का गढ़ा’ और ‘बोडीगामा’ स्थान तीर-कमान निर्माण के लिए विख्यात हैं। ये स्थान बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में स्थित हैं, जहाँ के कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले तीर और कमान बनाते हैं।

प्रश्न 267: कुदरतसिंह को राजस्थान की किस हस्तकला में योगदान के लिए पद्यश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया है-

A) कपड़े की छपाई
B) मीनाकारी
C) पीतल पर मुरादाबादी काम
D) ब्लू पाॅटरी
उत्तर: मीनाकारी
व्याख्या: कुदरत सिंह को मीनाकारी कला में उनके असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1965 में भारत सरकार द्वारा मास्टर क्राफ्ट पर्सन के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और बाद में 1988 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया।

प्रश्न 268: जोधपुर का प्रसिद्ध ‘बादला’ निम्न में से क्या है-

A) लकड़ी का मंदिर
B) जस्ते से बनी पानी की बोतल
C) जरी की साड़ी
D) टेराकोटा की मूर्तियां
उत्तर: जस्ते से बनी पानी की बोतल
व्याख्या: जोधपुर का प्रसिद्ध ‘बादला’ वास्तव में जस्ते से बनी पानी की बोतल है। यह जोधपुर की एक पारंपरिक धातु शिल्प कला है, जिसमें कारीगर जस्ते के धातु का उपयोग कर आकर्षक और उपयोगी पानी के बर्तन बनाते हैं।

प्रश्न 269: श्री लाल जोश, जिन्हें 2006 में पद्यश्री पुरस्कार मिला था, को किसके लिए जाना जाता है-

A) नीलवर्णी भांडकर्म
B) टेराकोटा कार्य
C) फड़ चित्रकारी
D) उस्त कला
उत्तर: फड़ चित्रकारी
व्याख्या: श्री लाल जोश को 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, वे फड़ चित्रकारी के लिए जाने जाते हैं। फड़ चित्रकारी राजस्थान की एक पारंपरिक कला है जिसमें कपड़े पर लोककथाओं, पौराणिक कथाओं और धार्मिक विषयों पर चित्र बनाए जाते हैं।

प्रश्न 270: निम्न को सुमेलित कीजिए-

अ. कठपुतलियां1. उदयपुर
ब. नांदणे2. भीलवाड़ा
स. तलवार3. सिरोही
द. बादला4. जोधपुर

कूट अ, ब, स, द

A) 1324
B) 1234
C) 2134
D) 1342
उत्तर: 1234
व्याख्या: राजस्थान की विभिन्न हस्तकलाओं और उनके केंद्रों का सही मिलान इस प्रकार है: कठपुतलियाँ उदयपुर में बनाई जाती हैं, नांदणे कला भीलवाड़ा की विशेषता है, तलवार बनाने का काम सिरोही में किया जाता है, और बादला (जस्ते की पानी की बोतल) जोधपुर का प्रसिद्ध शिल्प है।

प्रश्न 271: जालौर का कौनसा गांव टेराकोटा के लिए प्रसिद्ध है जहां ‘मामा जी के घोड़े’ बनाये जाते हैं –

A) हरजी गांव
B) लेटा गांव
C) नाहोर गांव
D) नासोली गांव
उत्तर: हरजी गांव
व्याख्या: जालौर जिले का हरजी गांव टेराकोटा कला के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ ‘मामा जी के घोड़े’ बनाए जाते हैं। पक्की मिट्टी का उपयोग करके मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने आदि बनाने की कला को टेराकोटा के नाम से जाना जाता है। नाथद्वारा के पास स्थित मोलेला गांव इस कला का प्रमुख केंद्र भी है।

प्रश्न 272: वह हस्तकला जिसमें धातु पर सोने के पतले तारों से जड़ाई की जाती है और जयपुर व अलवर इसके लिए प्रसिद्ध है –

A) थेवा कला
B) मीनाकारी
C) कोफ्ताकारी
D) गोफण
उत्तर: कोफ्ताकारी
व्याख्या: कोफ्ताकारी एक विशिष्ट हस्तकला है जिसमें धातु पर सोने के पतले तारों से जड़ाई की जाती है। जयपुर और अलवर इस कला के लिए प्रसिद्ध केंद्र हैं। इस कला में कारीगर धातु की वस्तुओं पर सोने के बारीक तारों का उपयोग करके आकर्षक डिजाइन बनाते हैं।

प्रश्न 273: टोज़ियां(ऊंट का बच्च) के मुलायम बालों से बना कपड़ा कहलाता है –

A) नमडा
B) बरडा
C) बाखला
D) गुदड़ी
उत्तर: बाखला
व्याख्या: ऊंट के बच्चे (टोज़ियां) के मुलायम बालों से बने कपड़े को ‘बाखला’ कहा जाता है। यह कपड़ा अपनी मुलायमी और गर्मी के लिए जाना जाता है और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में इसका उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है।

प्रश्न 274: ‘विकास के लिए फैशन’ संबंधित है –

A) परिधानों की नई डिजाईन तैयार करना
B) फैशन विकास के लिए एक स्वतंत्र संस्थान स्थापित करना।
C) कन्या महाविद्यालयों में फैशन पाठ्यक्रम
D) खादी एवं कोटा डोरिया को लोकप्रिय बनाना
उत्तर: खादी एवं कोटा डोरिया को लोकप्रिय बनाना
व्याख्या: ‘विकास के लिए फैशन’ का संबंध खादी और कोटा डोरिया को लोकप्रिय बनाने से है। राजस्थान में फैशन को विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जा सकता है, और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक वस्त्रों जैसे खादी और कोटा डोरिया को लोकप्रिय बनाना है।

प्रश्न 275: जिरोही, भाकला, गंदहा किस उद्योग के नाम है –

A) जटपट्टी
B) पंचवर्क
C) मीनाकारी
D) ब्लू पाॅटरी
उत्तर: जटपट्टी
व्याख्या: जिरोही, भाकला, गंदहा जटपट्टी उद्योग के नाम हैं। जटपट्टी वास्तव में बकरी के बालों से बनाई जाने वाली रस्सी (जेवड़ी) को कहा जाता है। यह जसोल, बालोतरा की प्रसिद्ध है और यह उद्योग इन नामों से भी जाना जाता है।

प्रश्न 276: छातों के लिए प्रसिद्ध है –

A) पाली
B) जयपुर
C) भरतपुर
D) फालना
उत्तर: फालना
व्याख्या: फालना शहर छातों (छतरियों) के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके आकर्षक और उपयोगी छतरियाँ बनाते हैं। यह उद्योग फालना की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 277: तंग, मोरखा, गोरबंद, पिलाण है –

A) खेजड़ी पुजन का सामान
B) घोड़े के श्रृंगार का सामान
C) ऊंट के श्रृंगार का सामान
D) मिट्टी के पारम्परिक बर्तन
उत्तर: ऊंट के श्रृंगार का सामान
व्याख्या: तंग, मोरखा, गोरबंद, पिलाण आदि वस्तुएँ ऊंट के श्रृंगार के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान हैं। ये विशेष रूप से ऊंटों को सजाने के लिए बनाए जाते हैं और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में इनका उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है।

प्रश्न 278: चटापटी का अभिप्राय है –

A) कपड़े पर कढ़ाई का काम
B) सोने पर रत्नों की जड़ाई
C) लाख की चूड़ियों पर रत्नों की जड़ाई
D) एक कपड़े को काटकर दूसरे पर पर टांका देना
उत्तर: एक कपड़े को काटकर दूसरे पर पर टांका देना
व्याख्या: चटापटी का अर्थ एक कपड़े को काटकर दूसरे कपड़े पर टांकना है। यह एक प्रकार की सजावटी कला है जिसमें विभिन्न रंगों और पैटर्न के कपड़ों के टुकड़ों को एक साथ जोड़कर आकर्षक डिजाइन बनाए जाते हैं।

प्रश्न 279: राजस्थान में गोफण है –

A) तलवार का एक प्रकार
B) पक्षियों को ऊड़ाने के लिए प्रयोग में लिया जाने वाला उपकरण
C) एक प्रकार का काष्ट मंदिर
D) चावल पकाने के लिए एक बजा बर्तन
उत्तर: पक्षियों को ऊड़ाने के लिए प्रयोग में लिया जाने वाला उपकरण
व्याख्या: राजस्थान में गोफण वास्तव में पक्षियों को उड़ाने के लिए प्रयोग में लिया जाने वाला एक उपकरण है। यह एक पारंपरिक उपकरण है जिसका उपयोग शिकार के दौरान पक्षियों को आकर्षित करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 280: राजस्थान में तुज़िया हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध जिला है –

A) झालावाड़
B) धौलपुर
C) बीकानेर
D) जालौर
उत्तर: धौलपुर
व्याख्या: धौलपुर जिला राजस्थान में तुजिया हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। तुजिया एक प्रकार की पारंपरिक हस्तकला है जिसमें कारीगर विशेष प्रकार की वस्तुएँ बनाते हैं। धौलपुर के कारीगर इस कला में अत्यधिक निपुण हैं और यह यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।

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