राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य, अपनी विविध भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। राजस्थान के भौतिक प्रदेश का विभाजन स्थल स्वरूप, जलवायु, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, खनिज संसाधन, कृषि, और जनसंख्या वितरण जैसे कारकों पर आधारित है। नीचे राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का विस्तृत विवरण और विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण दिया गया है।
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भौतिक प्रदेश का तात्पर्य
- परिभाषा: स्थलमंडल पर स्थित भौगोलिक उच्चावच (पर्वत, पठार, मैदान, झील, नदियाँ), प्राकृतिक वनस्पति, वन, और प्राकृतिक संसाधनों का किसी क्षेत्र विशेष के संदर्भ में अध्ययन।
- अध्ययन के प्रमुख तत्व:
- स्थल स्वरूप: पर्वत, पठार, मैदान, मरुस्थल।
- भौगोलिक दशाएँ: जलवायु, मृदा, प्राकृतिक वनस्पति, वर्षा।
- आर्थिक लक्षण: खनिज संसाधन, ऊर्जा संसाधन, औद्योगिक विकास।
- कृषि: फसल प्रतिरूप और कृषि उत्पादन।
- जनसंख्या और परिवहन: जनसंख्या वितरण, परिवहन नेटवर्क।
राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का वर्गीकरण
1. प्रो. वी.सी. मिश्रा (1968)
- पुस्तक: राजस्थान का भूगोल (नेशनल बुक ट्रस्ट, 1968)।
- आधार: स्थल स्वरूप, भौगोलिक दशाएँ, कृषि, फसल प्रतिरूप, आर्थिक लक्षण।
- वर्गीकरण: राजस्थान को सात भौगोलिक प्रदेशों में विभाजित किया।
- प्रदेश और जिले: भौगोलिक प्रदेश जिले पश्चिमी शुष्क मैदान जैसलमेर, बाड़मेर, दक्षिण-पूर्वी बीकानेर, पश्चिमी जोधपुर, दक्षिण-पश्चिमी चूरू, पश्चिमी नागौर अर्ध-शुष्क प्रदेश जालौर, पाली, नागौर, सीकर, झुंझुनू, उत्तर-पूर्वी चूरू, दक्षिण-पूर्वी जोधपुर नहरी क्षेत्र श्रीगंगानगर, पश्चिमी बीकानेर, उत्तरी जैसलमेर अरावली प्रदेश उदयपुर, दक्षिण-पूर्वी पाली, पश्चिमी डूंगरपुर, सिरोही पूर्वी कृषि-औद्योगिक प्रदेश जयपुर, सवाई माधोपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, भरतपुर, अलवर, धौलपुर, कोटा शहर दक्षिण-पूर्वी कृषि प्रदेश बांसवाड़ा, कोटा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, पूर्वी डूंगरपुर चंबल बीहड़ प्रदेश धौलपुर, सवाई माधोपुर
2. डॉ. रामलोचन सिंह (1971)
- वर्गीकरण: राजस्थान को दो वृहद् प्रदेशों, चार उप-प्रदेशों, और 12 लघु प्रदेशों में विभाजित किया।
- विवरण: क्र.सं. वृहद् प्रदेश उप-प्रदेश लघु प्रदेश 1 राजस्थान मरुस्थलीय I. मरुस्थलीय जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर II. राजस्थान बागड़ घग्घर, शेखावाटी, नागौर, लूणी 2 राजस्थान पठार III. अरावली पठार उत्तरी, मध्य, दक्षिणी IV. चंबल बेसिन निम्न चंबल, मध्य चंबल
3. डॉ. हरिमोहन सक्सेना और प्रो. ए.के. तिवारी (1964)
- पुस्तक: राजस्थान का प्रादेशिक भूगोल।
- आधार: उच्चावच और भौगोलिक संरचना।
- वर्गीकरण: राजस्थान को चार भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया।
- प्रदेश:
- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (थार का मरुस्थल):
- विशेषताएँ: रेतीले टीलों, शुष्क जलवायु, कम वर्षा, खारी झीलें (सांभर, डीडवाना, पचपदरा)।
- जिले: जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, जोधपुर (पश्चिमी भाग)।
- आर्थिक गतिविधियाँ: पशुपालन, नहरी सिंचाई (इंदिरा गांधी नहर), खनिज (जिप्सम, लिग्नाइट, तेल)।
- अरावली पर्वतीय प्रदेश:
- विशेषताएँ: विश्व की प्राचीनतम अवशिष्ट पर्वतमाला, उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक विस्तार।
- जिले: उदयपुर, राजसमंद, सिरोही, अजमेर, अलवर, जयपुर (आंशिक)।
- आर्थिक गतिविधियाँ: खनिज (सीसा, जस्ता, अभ्रक), वन संसाधन, पर्यटन (माउंट आबू, गुरु शिखर)।
- पूर्वी मैदानी प्रदेश:
- विशेषताएँ: उपजाऊ मृदा, चंबल और बनास नदियों का योगदान, अधिक जनसंख्या घनत्व।
- जिले: भरतपुर, धौलपुर, अलवर, जयपुर, सवाई माधोपुर।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि (गेहूँ, सरसों, चना), औद्योगिक विकास (जयपुर, अलवर)।
- दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश (हाड़ौती का पठार):
- विशेषताएँ: काली मृदा, माही और चंबल नदियों का योगदान, पठारी संरचना।
- जिले: कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि (सोयाबीन, धान, मक्का), उद्योग (कोटा), खनिज (चूना पत्थर)।
- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (थार का मरुस्थल):
भौतिक प्रदेशों की विशेषताएँ और महत्व
- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश:
- स्थल स्वरूप: रेतीले टीलों, शुष्क घाटियाँ, खारी झीलें।
- जलवायु: अत्यधिक शुष्क, कम वर्षा (100-250 मिमी), उच्च तापमान।
- आर्थिक महत्व: इंदिरा गांधी नहर से सिंचाई, पवन ऊर्जा, तेल और गैस क्षेत्र (बाड़मेर)।
- अरावली पर्वतीय प्रदेश:
- स्थल स्वरूप: अवशिष्ट पर्वत, गुरु शिखर (1722 मीटर) सर्वोच्च शिखर।
- जलवायु: मध्यम वर्षा (600-800 मिमी), अपेक्षाकृत ठंडी।
- आर्थिक महत्व: खनिज भंडार, वन संसाधन, पर्यटन।
- पूर्वी मैदानी प्रदेश:
- स्थल स्वरूप: समतल मैदान, चंबल बीहड़ (सवाई माधोपुर, धौलपुर)।
- जलवायु: मानसूनी, 700-900 मिमी वर्षा, उपजाऊ मृदा।
- आर्थिक महत्व: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था, औद्योगिक गलियारा (दिल्ली-मुंबई)।
- दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश:
- स्थल स्वरूप: पठारी संरचना, काली मृदा, माही बेसिन।
- जलवायु: अधिक वर्षा (800-1000 मिमी), उष्णकटिबंधीय।
- आर्थिक महत्व: कृषि (खरीफ और रबी फसलें), सीमेंट उद्योग (चूना पत्थर)।
निष्कर्ष
राजस्थान के भौतिक प्रदेशों का वर्गीकरण प्रो. वी.सी. मिश्रा (7 प्रदेश), डॉ. रामलोचन सिंह (2 वृहद्, 4 उप-प्रदेश), और डॉ. सक्सेना-प्रो. तिवारी (4 प्रदेश) द्वारा किया गया। सक्सेना-तिवारी का चार-प्रदेश वर्गीकरण (पश्चिमी मरुस्थल, अरावली, पूर्वी मैदान, हाड़ौती पठार) सरल और व्यापक रूप से स्वीकार्य है, जो राजस्थान की विविध स्थलाकृति और आर्थिक विशेषताओं को दर्शाता है। अरावली पर्वतमाला जलवायु और जल विभाजक के रूप में महत्वपूर्ण है, जबकि मरुस्थल और हाड़ौती पठार संसाधन और कृषि की दृष्टि से विशिष्ट हैं।