राजस्थान के रीति रिवाज MCQ
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस वर्ष में अंग्रेजों ने “सती प्रथा” को समाप्त करने के लिए कानून स्थापित किया –
Rajasthan Patwar Exam 2025 1st ShiftA) 1820
B) 1875
C) 1829
D) 1833
उत्तर: 1829
व्याख्या: दिसंबर 1829 में, ब्रिटिश शासित भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया, जो विधवा द्वारा अपने पति की चिता पर आत्मदाह करने की प्राचीन हिंदू प्रथा थी।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सी रस्म मृत्यु के दुख से सम्बन्धित नहीं है –
SCHOOL LECTURER (SCHOOL EDU.) 2024 GA and GS (G-C)A) ढुकाव
B) बखेर
C) आघेटा
D) सातरवाड़ा
उत्तर: ढुकाव
व्याख्या: ढुकाव एक विवाह से संबंधित रस्म है, जो राजस्थान में विवाह समारोह के दौरान की जाती है। जबकि बखेर, आघेटा और सातरवाड़ा मृत्यु से संबंधित रस्में हैं, जो शोक और अंतिम संस्कार से जुड़ी हैं।
प्रश्न 3: सती प्रथा के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
A) गर्भवती महिला अपने पति के साथ सहमरण करती थी।
B) भारत में सती प्रथा का अंतिम प्रमाण एरण अभिलेख (510 ई.) में मिलता है।
C) राजस्थान में सती प्रथा को सबसे पहले बूँदी रियासत में 1822 ई. में बंद किया गया।
D) देवराला कांड के बाद सती निवारण अध्यादेश 1978 में लागू हुआ।
उत्तर: राजस्थान में सती प्रथा को सबसे पहले बूँदी रियासत में 1822 ई. में बंद किया गया।
व्याख्या: गर्भवती महिला सहमरण नहीं करती थी, बल्कि बच्चे को जन्म देने के बाद अनुमरण करती थी। भारत में सती का अंतिम प्रमाण देवराला कांड (1987) में मिलता है, न कि एरण अभिलेख में। सती प्रथा का अन्तिम प्रमाण देवराला कांड (सीकर) है जिसमें सितम्बर 1987 में माल सिंह की मृत्यु पर उसकी पत्नी रूपकंवर को सती कर दिया गया था। इसके बाद 1987 में राज्य सरकार ने सती निवारण अध्यादेश जारी किया। जो 3 जनवरी, 1988 से लागू हुआ। राजस्थान में इस प्रथा को सर्वप्रथम बंद 1822 ई. में बूँदी रियासत के विष्णुसिंह ने किया।
प्रश्न 4: बेटी का पहला प्रसव होने पर उसके पीहर वालों द्वारा जंवाई व उसके साथियों को भेंट देना कहलाता है-
A) दशोठन
B) कोथला
C) जलवा
D) पहरावणी
उत्तर: कोथला
व्याख्या: कोथला (छुछक): बेटी का पहला प्रसव होने पर उसके पीहर वालों द्वारा जंवाई व उसके साथियों को भेंट देना।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस ब्रिटिश अधिकारी ने बूंदी के शासक राव राजा बिशन सिंह पर दबाव डालकर सती प्रथा के विरुद्ध वातावरण तैयार करने में सफलता प्राप्त की –
RPSC EO/RO Re-Exam – 2022A) रॉबिन्सन
B) सी.ई. बर्टन
C) जेम्स टॉड
D) जॉन लुड़लो
उत्तर: जेम्स टॉड
व्याख्या: राजस्थान में सर्वप्रथम बूंदी नरेश राव राजा बिशन सिंह ने सती प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया था। जेम्स टॉड ने बूंदी के शासक पर सती प्रथा के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रभाव डाला।
प्रश्न 6: विवाह के समय वर पक्ष द्वारा वधु पक्ष को कपड़े व गहने दिये जाते हैं उन्हें निम्न में से क्या कहते हैं – (निम्न में से सबसे उपयुक्त विकल्प चुनें)
Junior Instructor (Fitter) Exam 2024A) बेश
B) बरी पड़ला
C) मायरा
D) मुकलाब
उत्तर: बरी पड़ला
व्याख्या: बरी पड़ला – वर पक्ष वधू के लिए पोशाक और आभूषणों को लेकर आता है, उसे बरी कहते हैं। पड़ला उसके साथ ले जाने वाले मेवे तथा मिठाइयाँ आदि को कहा जाता है। जब वर पक्ष बारात लेकर आता है तो बरी पड़ला अपने साथ लेकर जाता है।
प्रश्न 7: राजस्थान में किस सांस्कृतिक आयोजन में अक्सर बाल विवाह को अपने अनुष्ठानों के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है –
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – L2)A) दिवाली
B) होली
C) नवरात्रि
D) मौसर समारोह
उत्तर: मौसर समारोह
व्याख्या: राजस्थान में ‘मौसर’ ऐसी ही प्रथा है, जो सदियों से चली आ रही है। मौसर का मतलब है मृत्यु भोज। राजस्थान में अधिकतर बाल विवाह ‘मौसर’ के ही होते हैं।
प्रश्न 8: राजस्थान की परंपराओं में ‘मौसर’ को क्या कहा जाता है –
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – L2)A) दहेज
B) मृत्युभोज
C) गृह प्रवेश
D) शादी के अवसर पर रात्रिभोज
उत्तर: मृत्युभोज
व्याख्या: ‘मौसर’ शब्द राजस्थान में मृत्युभोज को संदर्भित करता है, जो किसी की मृत्यु के बाद आयोजित किए जाने वाले भोज को दर्शाता है।
प्रश्न 9: विच हंटिंग एक्ट (WITCH HUNTING ACT) कब लागू हुआ –
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT – L1)A) 2012
B) 2013
C) 2015
D) 2018
उत्तर: 2015
व्याख्या: राजस्थान में विच हंटिंग (टोनही) जैसी प्रथाओं को रोकने के लिए 2015 में विच हंटिंग एक्ट लागू किया गया। यह कानून विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार के अत्याचार से बचाया जा सके।
प्रश्न 10: प्रथम बार पुत्र के जन्म के अवसर पर बालक और उसके परिवार को ननिहाल पक्ष द्वारा वस्त्र व आभूषण दिए जाते हैं। यह रिवाज कहलाता है –
Statistical Office Exam – 2023 (GK)A) जामणा
B) मायरा
C) पहरावणी
D) जुहारी
उत्तर: जामणा
व्याख्या: पुत्र के जन्म पर नाई बालक के पगल्ये लेकर उसके ननिहाल जाता है। तब उसके नाना या मामा उपहार स्वरुप वस्त्राभूषण मिठाई आदि लाते है, जिसे जामणा कहा जाता है।
प्रश्न 11: राजस्थान में प्रचलित विभिन्न कुप्रथाओं एवं सर्वप्रथम रोक लगाने वाले राज्यों का कोनसा युग्म असुमेतित है –
A) कन्या प्रथा – जयपुर
B) मानव व्यापार प्रथा – कोटा
C) डाकन प्रथा – उदयपुर
D) त्याग प्रथा – जोधपुर
उत्तर: कन्या प्रथा – जयपुर
व्याख्या: सर्वप्रथम 1833 में कन्या वध को गैर-कानूनी घोषित करने वाला शासक कोटा महाराव रामसिंह था। सर्वप्रथम 1841 ई. में त्याग प्रथा को गैर-कानूनी घोषित करने वाला जोधपुर महाराजा मानसिंह था। सर्वप्रथम उदयपुर राज्य में महाराणा स्वरूपसिंह ने अक्टूबर, 1853 ई. में डाकन प्रथा को गैरकानूनी घोषित किया। कोटा राज्य में महाराव रामसिंह ने सर्वप्रथम 1831 ई. में मानव-व्यापार प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया।
प्रश्न 12: मोर बांधिया, पहरावणा और ताणना नामक तीन प्रकार के विवाह किस जनजाति में प्रचलित हैं –
Sr. Teacher Gr II (Sec. Edu.) Exam – 2022 (G.K. Group – A) (Re-Exam)A) भील
B) सहरिया
C) गरासिया
D) मीणा
उत्तर: गरासिया
व्याख्या: गरासिया जनजाति में विवाह प्रथाएं: मौर बाँधिया : विशेष प्रकार का विवाह जिसमे हिन्दुओ की भांति फेरे लिए जाते हैं। पहरावना विवाह : इसमें नाममात्र के फेरे होते हैं।इस विवाह में ब्राह्मण की आवश्यकता नही होती है। ताणना विवाह : इसमें न सगाई के जाती है, न फेरे है। इस विवाह में वर पक्ष वाले कन्या पक्ष वाले को कन्या मूल्य वैवाहिक भेंट के रूप में प्रदान करता है। मेलबो विवाह : खर्च से बचने के लिए इस विवाह में दुल्हन को दूल्हे के घर पर छोड़ दिया जाता हैं। खेवणा/नाता विवाह : इसमें विवाहित महिला किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगती हैं।इस जनजाति में विधवा विवाह का भी प्रचलन हैं। सेवा : यह घर जवांई की प्रथा होती हैं।
प्रश्न 13: राजस्थान में विवाह से पहले दूल्हे को रिश्तेदारों द्वारा आमंत्रित किया जाता है और लौटते समय _ से संबंधित गीत गाया जाता है।
RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-1A) बन्ना बन्नी
B) बिंदोला
C) घोड़ी
D) जाला
उत्तर: बिंदोला
व्याख्या: राजस्थान में “बिंदोला” एक ऐसा गीत है जो दूल्हे को रिश्तेदारों द्वारा विवाह से पहले आमंत्रित करते समय, और लौटते समय गाया जाता है, यह एक प्रकार का लोकगीत है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी प्रथा विवाह से संबंधित नहीं है –
Protection Officer – 2022 (General Studies)A) सामेला
B) सातरवाड़ा
C) बान
D) मुगधना
उत्तर: सातरवाड़ा
व्याख्या: सातरवाड़ा एक मृत्यु से संबंधित रस्म है, जबकि सामेला, बान और मुगधना विवाह से संबंधित प्रथाएं हैं।
प्रश्न 15: निम्न में से कौन-सा संस्कार जन्म से संबंधित है –
CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-2A) बिंदोली
B) मौसर
C) सामेला
D) जडूला
उत्तर: जडूला
व्याख्या: जडूला एक जन्म संस्कार है, जो बच्चे के जन्म के अवसर पर किया जाता है। इसमें बच्चे के नामकरण और स्वागत की रस्में शामिल होती हैं।
प्रश्न 16: कांकण डोरड़ा, बिंदोली एवं सामेला राजस्थान में किस अवसर से संबंधित हैं –
3rd Grade Teacher 2022 Urdu L2 (राजस्थान सामान्य ज्ञान व शैक्षिक परिदृश्य)A) विवाह
B) चूड़ाकर्म
C) जन्म
D) मृत्यु
उत्तर: विवाह
व्याख्या: कांकण डोरड़ा, बिंदोली और सामेला सभी विवाह से संबंधित रस्में हैं जो राजस्थान में विवाह समारोह के दौरान की जाती हैं।
प्रश्न 17: निम्न में से किस समारोह का संबंध विवाह से है –
3rd Grade Teacher 2022 Maths-Science L2A) पनघट पूजन
B) गोद लेना
C) टीका
D) जडूला
उत्तर: टीका
व्याख्या: टीका एक विवाह से संबंधित समारोह है, जिसमें वर और वधू के माथे पर टीका लगाया जाता है और उन्हें आशीर्वाद दिया जाता है।
प्रश्न 18: राजस्थान की वह परम्परा, जिसमें दूल्हे की बारात के घर से चले जाने के बाद घर की स्त्रियों द्वारा लोक नाट्य किया जाता है, कहलाता है –
CET 2022 (Graduate) 07 January 2023 Shift-2A) स्वांग
B) रम्मत
C) टूटिया
D) ख्याल
उत्तर: टूटिया
व्याख्या: टूटिया, टूटकी अथवा खोड्या : दूल्हे की बारात लड़की वाले के यहाँ जाने के पश्चात् वर पक्ष की महिलाओं द्वारा वर-वधू की नकल के रूप में स्वांग प्रदर्शित किया जाता है उसे टूटिया, टूटकी अथवा खोड्या निकालना कहते हैं। इसमें एक महिला वर तथा दूसरी वधू बनती है तथा उनका नकली विवाह कराया जाता है। इसका उद्देश्य असली वर-वधू को आधि-व्याधि से मुक्त रखने की मनोकामना है।
प्रश्न 19: ‘बढ़ार’ क्या है –
CET 2022 (Graduate) 07 January 2023 Shift-1A) राजस्थान की एक झील
B) विवाह पर आयोज्य भोज
C) अंत्येष्टि की एक क्रिया
D) राजस्थान की एक जनजाति
उत्तर: विवाह पर आयोज्य भोज
व्याख्या: गावों में विवाह के दौरान बारात जब अगले दिन सुबह विदा न होकर एक दिन और रुकती है तो वह बढ़ार कहलाती है, उसे बारात की दावत न कहकर बढ़ार की दावत कहते हैं।
प्रश्न 20: कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत थी-
Head Master (Sanskrit Edu.) – 20211 (PAPER-I)A) झालावाड़
B) जयपुर
C) शाहपुरा
D) कोटा
उत्तर: कोटा
व्याख्या: राजस्थान में प्रचलित इस प्रथा में कन्या के जन्म लेते ही उसे अफीम देकर या गला दबाकर मार दिया जाता था। कन्या-वध समाज में अत्यंत ही क्रूर व भयावह कृत्य था। हाड़ौती के पॉलिटिकल एजेण्ट विलकिंसन के प्रयासों से लार्ड विलियम बैंटिक के समय में राजस्थान में सर्वप्रथम कोटा राज्य में सन् 1833 में तथा बूंदी राज्य में 1834 ई. में कन्या वध करने को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
प्रश्न 21: राजस्थानी संस्कृति में ‘औलंदी’ क्या है –
Gram Sevak 2016A) विवाह का एक प्रकार
B) लोक संगीत का एक प्रकार
C) नववधु के साथ जाने वाला पुरुष या स्त्री
D) क्षेत्रीय खेल का एक प्रकार
उत्तर: नववधु के साथ जाने वाला पुरुष या स्त्री
व्याख्या: “राजस्थानी संस्कृति में औलंदी” का उपयोग नवविवाहित दुल्हन के साथ जाने वाली लजकी या महिलाओं के लिए किया जाता है।
प्रश्न 22: राजस्थान राज्य में प्रचलित ‘सागड़ी प्रथा’ क्या है –
Librarian Grade III 2022 (Paper 1)A) शादी की परंपरा
B) एक विशेष प्रकार का कर
C) बंधुआ मजदूरी प्रणाली
D) राजस्व संग्रह का प्रकार
उत्तर: बंधुआ मजदूरी प्रणाली
व्याख्या: सागड़ी प्रथा राजस्थान में बंधुआ मजदूरी प्रणाली को संदर्भित करती है, जिसमें मजदूरों को ऋण के बदले में बंधुआ मजदूरी करने के लिए बाध्य किया जाता था।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी प्रथा विवाह से संबंधित है –
JEN 2022: Civil Diploma (GK)A) जलवा पूजन
B) जडूला
C) मूठ भराई
D) मौसर
उत्तर: मूठ भराई
व्याख्या: मूठ भराई एक विवाह से संबंधित प्रथा है, जिसमें विवाह के समय वधू के हाथ में मूठ भरी जाती है।
प्रश्न 24: ‘चिकनी कोथली’ है-
JEN 2022: Civil Degree (GK)A) पुत्र जन्मोत्सव की एक रस्म
B) शादी की एक रस्म
C) मृत्यु पर एक रस्म
D) नए ग्रह प्रवेश की एक रस्म
उत्तर: शादी की एक रस्म
व्याख्या: चिकनी कोथली – इसमें वर-पक्ष द्वारा सगाई होने के बाद वधू पक्ष को तीज व गणगौर पर उपहार भेजे जाते हैं।
प्रश्न 25: विवाह के दूसरे दिन वर पक्ष द्वारा नवदंपति के लिए आशीर्वाद समारोह व प्रीतिभोज को क्या कहते हैं –
Basic Computer Instructor Exam 2022 Paper 1A) कू
B) बढार
C) औलंदी
D) आणों
उत्तर: बढार
व्याख्या: बढ़ार : विवाह के अवसर पर दुल्हन वालों की तरफ से विवाह के दूसरे दिन दिया जाने वाला सामूहिक प्रीतिभोज।
प्रश्न 26: जन्म के समय एक आयोजन जिसमें पूजा के लिए गांव के कुएं पर एक शोभा यात्रा ले जायी जाती है –
A) तोरन समारोह
B) डाबरिया समारोह
C) जलवा समारोह
D) न्योछावर समारोह
उत्तर: जलवा समारोह
व्याख्या: जलवा समारोह एक जन्म संस्कार है, जिसमें बच्चे के जन्म के अवसर पर गांव के कुएं पर शोभा यात्रा ले जाई जाती है।
प्रश्न 27: राजस्थान के रीति-रिवाजों में ‘मौसर’ किसे कहा जाता है –
VDO Exam 1st Shift 28 Dec 2021A) गृह-प्रवेश
B) दहेज
C) विवाह के अवसर पर प्रीति भोज
D) मृत्यु-भोज
उत्तर: मृत्यु-भोज
व्याख्या: ‘मौसर’ शब्द राजस्थान में मृत्युभोज को संदर्भित करता है, जो किसी की मृत्यु के बाद आयोजित किए जाने वाले भोज को दर्शाता है।
प्रश्न 28: सती (रोकथाम) अधिनियम को किस वर्ष राजस्थान सरकार द्वारा कब लागू किया गया था –
A) 1988 में
B) 1987 में
C) 1986 में
D) 1985 में
उत्तर: 1987 में
व्याख्या: राजस्थान सरकार ने 1987 में सती निवारण अध्यादेश जारी किया, जो 3 जनवरी, 1988 से लागू हुआ। यह अध्यादेश देवराला कांड के बाद लागू किया गया था।
प्रश्न 29: मोकाण की रस्म का संबंध है –
A) वैवाहिक रस्म से
B) जन्म संस्कार से
C) मृत्य की रस्म से
D) विद्याारंभ संस्कार से
उत्तर: मृत्य की रस्म से
व्याख्या: मोकाण एक मृत्यु से संबंधित रस्म है, जो किसी की मृत्यु के बाद की जाती है।
प्रश्न 30: राजस्थान के रीति – रिवाजों में ‘आंणौ’ क्या है –
A) विवाह के पश्चात् दुल्हन को दूसरी बार ससुराल भेजना
B) जलझूलनी की एकादशी पूजा
C) कुँआ पूजन
D) दुल्हन के परिवार द्वारा वर की बारात का डेरा देखने जाना
उत्तर: विवाह के पश्चात् दुल्हन को दूसरी बार ससुराल भेजना
व्याख्या: आणौ को गौना/मुकलावा के नाम से भी जाना जाता है। गौना/मुकलावा/आणौ विवाह के समय बालिग होने पर वधू को वर के घर भेजने की रस्म को गौना या मुकलावा कहते हैं।
प्रश्न 31: राजस्थानी संस्कृति में ‘जांनोटण’ क्या है –
Gram Sevak 2016A) वर-पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज
B) भूमि का माप
C) एक प्रकार का लोक गीत
D) एक कृषि कर
उत्तर: वर-पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज
व्याख्या: राजस्थानी संस्कृति में ‘जांनोटण’ विवाह के अवसर पर वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष को दिए जाने वाले भोज को कहा जाता है। यह एक पारंपरिक रिवाज है जिसमें दूल्हे के परिवार द्वारा भोजन का आयोजन किया जाता है।
प्रश्न 32: किस संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार भी कहते हैं –
A) वेदारम्भ
B) विद्यारम्भ
C) उपनयन
D) समावर्तन
उत्तर: उपनयन
व्याख्या: हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। इस संस्कार में बच्चे को जनेऊ पहनाया जाता है और वैदिक शिक्षा की शुरुआत होती है। इसमें मुंडन और पवित्र जल से स्नान भी महत्वपूर्ण चरण होते हैं।
प्रश्न 33: बढ़ार भोज किस अवसर पर रखा जाता है –
A) मृत्यु के समय
B) उत्सवों के समय
C) विवाह के समय
D) जन्म के समय
उत्तर: विवाह के समय
व्याख्या: बढ़ार भोज राजस्थानी विवाह समारोह का एक महत्वपूर्ण अंग है जो विवाह के दूसरे दिन वर पक्ष द्वारा आयोजित किया जाता है। इस भोज में वर पक्ष के परिजन वधू पक्ष के सभी सदस्यों को भोजन कराते हैं और इसे बढ़ार का भोज कहते हैं।
प्रश्न 34: राजस्थान में ‘सामेला’ शब्द किस अवसर पर प्रयुक्त होता है –
A) जन्म के समय
B) विवाह के समय
C) गौना के समय
D) मृत्यु के समय
उत्तर: विवाह के समय
प्रश्न 35: निम्नलिखित में से कौन सा संस्कार जन्म से संबंधित है –
A) सामेला
B) बान
C) मौसर
D) जडूला
उत्तर: जडूला
प्रश्न 36: अप्रैल, 1930 में बाल विवाह निरोधक कानून के प्रणेता कौन थे –
A) अर्जुनलाल सेठी
B) रायबहादुर हरविलास
C) हीरालाल शास्त्री
D) जमनालाल बजाज
उत्तर: रायबहादुर हरविलास
व्याख्या: बाल विवाह निरोध अधिनियम, 1929 को 28 सितंबर 1929 को भारतीय शाही विधान परिषद में पारित किया गया था। इस कानून के तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष निर्धारित की गई। इसके मुख्य प्रस्तावक राय बहादुर हरबिलास सारदा थे, जिनके नाम पर इसे ‘शारदा अधिनियम’ के रूप में जाना जाता है। यह कानून 1 अप्रैल 1930 को लागू हुआ।
प्रश्न 37: गवर्नर जनरल लाॅर्ड बेंटिक ने निम्न स्थलों पर सती प्रथा रोकने के आदेश दिए। निम्न में से कौन सा युग्म सही नहीं है –
COMPILER Exam 2016A) अलवर: 1830
B) जयपुर: 1844
C) डूंगरपुर: 1856
D) जोधपुर: 1848
उत्तर: डूंगरपुर: 1856
व्याख्या: ब्रिटिश शासक लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने दिसंबर 1829 में सती प्रथा को प्रतिबंधित किया था। राजस्थान में सती प्रथा पर पहला प्रतिबंध बूँदी नरेश राव विष्णु सिंह ने 1822 ई. में लगाया। इसके बाद अलवर में 1830 ई. में, जयपुर में 1844 ई. में, डूंगरपुर में 1844 ई. में, जोधपुर में 1848 ई. में और मेवाड़ में 1861 ई. में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया गया। अतः डूंगरपुर: 1856 गलत युग्म है।
प्रश्न 38: ‘देश-हितेषणी सभा’ ……… को स्थापित की गई थी –
Librarian Grade III 2018A) 2 जुलाई, 1867
B) 2 जुलाई, 1880
C) 2 जुलाई, 1870
D) 2 जुलाई, 1877
उत्तर: 2 जुलाई, 1877
प्रश्न 39: संस्कार की संख्या कुल कितनी है –
Agriculture Officer – 2 0 1 1A) बारह
B) चौदह
C) सोलह
D) अठारह
उत्तर: सोलह
प्रश्न 40: बारात के स्वागत की रस्म को कहा जाता है –
Asst. Agriculture Officer – 2011A) सामेला
B) पहरावणी
C) मिलनी
D) घुड़चढ़ी
उत्तर: सामेला
प्रश्न 41: ‘जडूला’ एक प्रमुख संस्कार है, इसे कहते हैं –
Asst. Agriculture Officer – 2011A) जातकर्म
B) निष्क्रमण
C) चूड़ाकर्म
D) समावत्र्तन
उत्तर: चूड़ाकर्म
व्याख्या: हिन्दू धर्म में कुल 16 संस्कार होते हैं, जिनमें से मुंडन संस्कार आठवां संस्कार माना गया है। इस संस्कार को चूड़ाकर्म या जडूला के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बच्चे के केशों को मुंडाया जाता है और यह जीवन के एक महत्वपूर्ण चरण की शुरुआत का प्रतीक है।
प्रश्न 42: ‘बढ़ार’ क्या है –
A) मृत्यु भोज
B) विवाह के अवसर पर प्रीतिभोज
C) विशेष राजस्थानी व्यंजन
D) सिर का आभूषण
उत्तर: विवाह के अवसर पर प्रीतिभोज
प्रश्न 43: निम्ना में से राजस्थान के लोकजीवन में ‘नारचारी’ शब्द किससे सम्बन्धित है –
A) गृह क्रीडा
B) लोक नृत्य
C) आभूषण
D) परम्परा
उत्तर: गृह क्रीडा
प्रश्न 44: निम्न में से कौन-सा संस्कार जन्म से संबंधित है –
CET 2022 (12th Level) 04 February 2023 Shift-2A) सामेला
B) बान
C) मौसर
D) जडूला
उत्तर: जडूला
प्रश्न 45: निम्न में से राजस्थान में किस रीति-रिवाज का संबंध विवाह से है –
A) जडूला
B) पनघट पूजा
C) पगड़ी का दस्तूर
D) सामेला
उत्तर: सामेला
व्याख्या: सामेला या मधुपर्क एक विवाह से संबंधित रस्म है। जब वर वधू के घर पहुँचता है, तो वधू के पिता और उनके संबंधी मिलकर वर पक्ष का स्वागत करते हैं, इस पूरी प्रक्रिया को ‘सामेला’ कहते हैं। यह विवाह समारोह का एक महत्वपूर्ण अंग है।
प्रश्न 46: शारदा एक्ट का संबंध है –
A) बाल विवाह से
B) सती प्रथा से
C) बहुपत्नी विवाह से
D) विधवा पुनर्विवाह से
उत्तर: बाल विवाह से
प्रश्न 47: शारदा एक्ट के प्रणेता थे –
A) अर्जुन लाल सेठी
B) रायबहादुर हरविलास
C) गोकुल भाई भट्ट
D) मोहनलाल सुखाड़िया
उत्तर: रायबहादुर हरविलास
प्रश्न 48: मृत व्यक्ति को श्मशान ले जाने के लिए प्रयुक्त लकड़ी की शैया कहलाती है –
A) आघेटा
B) ओख
C) बैकुण्ठी
D) सूला
उत्तर: बैकुण्ठी
व्याख्या: बैकुण्ठी वह लकड़ी की बनी शैय्या या अरथी होती है जिस पर मृत व्यक्ति के शव को श्मशान घाट तक ले जाया जाता है। यह राजस्थान के लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है जो अंतिम संस्कार के दौरान उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 49: जीवित व्यक्ति द्वारा स्वयं का मृत्यु से पहले ही किया गया भोज क्या कहलाता है –
A) मौसर
B) बढ़ार
C) कांदिया
D) जौसर
उत्तर: जौसर
प्रश्न 50: जीवन का अन्तिम संस्कार कौनसा है –
A) केशान्त
B) समावर्तन
C) निष्क्रमण
D) अन्येष्टि
उत्तर: अन्येष्टि
व्याख्या: हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में अंत्येष्टि संस्कार सबसे अंतिम संस्कार है। इस संस्कार का उद्देश्य मृतक की आत्मा को परलोक की ओर मार्गदर्शन प्रदान करना और उसे मोक्ष दिलाना है। इसमें मृतक के शव का दाह संस्कार और अन्य अंतिम क्रियाएं शामिल होती हैं।
प्रश्न 51: बखेर(उछाल) रस्म है –
A) खुशी की रस्म
B) शोक की रस्म
C) विवाह की रस्म
D) जन्म की रस्म
उत्तर: शोक की रस्म
प्रश्न 52: कौनसा सावा शादियों के लिए उत्तम माना जाता है –
A) आखातीज
B) कार्तिक पूर्णिमा
C) अनन्त चतुर्दशी
D) शरद पूर्णिमा
उत्तर: आखातीज
प्रश्न 53: नाता है –
A) रिश्तों का एक नाम
B) मृत्यु भोज का दूसरा नाम
C) परिवारा का बुजुर्ग व्यक्ति
D) घोड़ों का प्रशिक्षक
उत्तर: रिश्तों का एक नाम
प्रश्न 54: पानीवाड़ा संस्कार किस से संबंधित है –
A) विवाह
B) मृत्यु
C) बच्चे के जन्म
D) घर प्रवेश
उत्तर: मृत्यु
व्याख्या: पानीवाड़ा संस्कार मृत्यु से संबंधित एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसमें दाह-संस्कार में शामिल लोगों द्वारा स्नान किया जाता है। इसके अलावा, पाणिग्रहण एक विवाह संस्कार है जिसमें चंवरी में वधु अपना हाथ वर के हाथ में देती है।
प्रश्न 55: संथारा प्रथा किस धर्म से संबंधित है –
A) हिंदु
B) मुस्लिम
C) बौद्ध
D) जैन
उत्तर: जैन
व्याख्या: संथारा जैन धर्म की एक महत्वपूर्ण प्रथा है जिसमें जैन साधु अपने जीवन के अंतिम चरण में अन्न और जल का त्याग करके देह त्याग करते हैं। यह एक स्वेच्छा से मृत्यु को स्वीकार करने की प्रक्रिया है जिसे आध्यात्मिक उत्थान का माध्यम माना जाता है।
प्रश्न 56: कूकड़ी की रस्म किस जनजाति में प्रचलित है –
A) भील
B) सांसी
C) डामोर
D) मीणा
उत्तर: सांसी
व्याख्या: कूकड़ी की रस्म सांसी जनजाति में प्रचलित एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसमें वधू को अपनी चारित्रिक पवित्रता सिद्ध करने के लिए एक परीक्षा देनी पड़ती है। यह रस्म विवाह के बाद की जाती है और इसमें वधू की शुद्धता और समर्पण का परीक्षण किया जाता है।
प्रश्न 57: किसके शासन काल में मेवाड़ में सर्वप्रथम डाकन प्रथा पर रोक लगाई गई थी –
A) महाराणा अमरसिंह
B) महाराणा भीमसिंह
C) महाराणा भूपालसिंह
D) महाराणा स्वरूप सिंह
उत्तर: महाराणा स्वरूप सिंह
व्याख्या: मेवाड़ में डाकन प्रथा पर पहली बार महाराणा स्वरूप सिंह के शासनकाल में रोक लगाई गई थी। हालांकि, बाद में 1853 में कैप्टन ब्रुक ने इस प्रथा को आधिकारिक रूप से गैर-कानूनी घोषित किया। डाकन प्रथा में मृत्यु के बाद पति की चिता के साथ पत्नी को भी जिंदा जलाया जाता था।
प्रश्न 58: हाड़ौती के पाॅलिटिकल एजेंट ‘विलकिंसन’ के प्रयासों से किस प्रथा पर रोक लगाई गई –
A) त्याग प्रथा
B) कन्या वध
C) डाकन प्रथा
D) समाधि प्रथा
उत्तर: कन्या वध
व्याख्या: हाड़ौती के राजनीतिक एजेंट विलकिंसन के प्रयासों से 1832 ई. में कोटा में कन्या वध प्रथा पर रोक लगाई गई। कन्या वध प्रथा में बच्चियों की जन्म के समय ही हत्या कर दी जाती थी, विशेषकर लड़कियों की। यह एक क्रूर सामाजिक प्रथा थी जिसे ब्रिटिश अधिकारियों ने समाप्त करने का प्रयास किया।
प्रश्न 59: सुमेलित कीजिए –
| कुप्रथा | सर्वप्रथम रोक लगाने वाली रियासत |
|---|
| 1. कन्या वध | अ. कोटा |
| 2 समाधि प्रथा | ब. बूंदी |
| 3. सती प्रथा | स. जयपुर |
| 4. त्याग प्रथा | द. जोधपुर |
A) अ, ब, द, स
B) अ, स, द, ब
C) अ, स, ब, द
D) द, स, ब, अ
उत्तर: अ, स, द, ब
व्याख्या: विभिन्न कुप्रथाओं पर राजस्थान की विभिन्न रियासतों में रोक लगाने का इतिहास है: बिलकिंसन के प्रयासों से 1832 ई. में कोटा में कन्या वध पर रोक लगाई गई। समाधि प्रथा पर 1844 में जयपुर में लुडलो के प्रयासों से प्रतिबंध लगा। सती प्रथा पर बूंदी में 1822 में रोक लगाई गई, जबकि राजा राममोहन राय के प्रयासों से 1829 में लार्ड बैंटिक ने सम्पूर्ण भारत में इस पर रोक लगाई।
प्रश्न 60: मृत्यु उत्सव के लिए राजस्थान में निम्नलिखित में से कौन सा एक नाम है –
Raj Police Constable(7981)A) दापा
B) मोसर
C) हेल्मो
D) बढार
उत्तर: मोसर
प्रश्न 61: हरविलास शारदा द्वारा 1929 में पारित ‘शारदा एक्ट’ में लड़के व लड़की की विवाह योग्य आयु क्रमशः रखी गई –
A) 18वर्ष व 14वर्ष
B) 21वर्ष व 18वर्ष
C) 18वर्ष व 15वर्ष
D) 19वर्ष व 16वर्ष
उत्तर: 18वर्ष व 14वर्ष
व्याख्या: वर्ष 1929 में डॉ. हरविलास शारदा के प्रयासों के परिणामस्वरूप बाल विवाह निषेध कानून, जो ‘शारदा एक्ट’ के नाम से जाना जाता है, बनाया गया। इस कानून के तहत पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 18 वर्ष और महिलाओं के लिए 14 वर्ष निर्धारित की गई थी।
प्रश्न 62: ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी व अन्य सामान खरीदने के बदले दिया जानेवाला अनाज क्या कहलाता है –
A) कीणा
B) ईंच
C) लाणी
D) दाण
उत्तर: कीणा
व्याख्या: राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों या अन्य वस्तुओं की खरीद के बदले में दिए जाने वाले अनाज को ‘कीणा’ कहा जाता है। यह एक पारंपरिक विनिमय प्रणाली है जो आज भी कुछ गांवों में प्रचलित है।
प्रश्न 63: बढार का भोज निम्न में से किस मौके पर रखा जाता है –
JSA Serology-2019(Rajasthan Gk)A) विवाह
B) जन्म
C) मृत्यु
D) तीर्थ-यात्रा
उत्तर: विवाह
व्याख्या: राजस्थान में बढार भोज विवाह समारोह के अवसर पर रखा जाता है। यह एक पारंपरिक भोज है जो विवाह के महत्वपूर्ण अवसर पर आयोजित किया जाता है और इसमें विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न 64: उदयपुर राज्य में ‘डाकन प्रथा’ पर प्रतिबन्ध कब लगाया गया –
JSA Chemistry-2019(Rajasthan Gk)A) 1850 में
B) 1853 में
C) 1855 में
D) 1858 में
उत्तर: 1853 में
व्याख्या: उदयपुर राज्य में अप्रैल 1853 में महाराणा स्वरूप सिंह के शासनकाल में मेवाड़ भील कोर के कमांडेंट जे.सी. ब्रुक ने खैरवाड़ा में डाकन प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया। यह एक क्रूर प्रथा थी जिसमें महिलाओं पर डाकन (जादू-टोना) का आरोप लगाकर उनकी हत्या कर दी जाती थी, विशेषकर भील और मीणा जातियों में।
प्रश्न 65: आदिवासियों में प्रचलित लीला-मोरिया संस्कार किस अवसर से जुड़ा हुआ है –
Asst. Agriculture Officer – 2018 (Paper-1)A) विवाह
B) सगाई
C) जन्म
D) नामकरण
उत्तर: विवाह
व्याख्या: लीला-मोरिया संस्कार राजस्थान के आदिवासी समुदायों में विवाह से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह संस्कार विवाह के दौरान किया जाता है और इसमें विशेष रस्में और परंपराएं शामिल होती हैं जो आदिवासी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
प्रश्न 66: राजस्थान में गोला, दरोगा, चाकर, चेला आदि सम्बोधन किसके लिए प्रयुक्त होते थे –
Asst. Agriculture Officer – 2018 (Paper-1)A) तांत्रिक के लिए
B) घरेलू दास के लिए
C) पुलिसकर्मी के लिए
D) बन्धुआ मजदूर के लिए
उत्तर: घरेलू दास के लिए
व्याख्या: 19वीं शताब्दी के अंत तक राजस्थान में दास प्रथा प्रचलित थी। इन दासों को गोला, दरोगा, चाकर, चेला, खानजादा आदि नामों से संबोधित किया जाता था। ये दास-दासियाँ अक्सर राजपूतों की अवैध संतानें होती थीं और अपने स्वामी की वंशानुगत सेवकों के रूप में सेवा करते थे।
प्रश्न 67: ‘झिम्मी’ क्या है –
Asst. Agriculture Officer – 2018 (Paper-1)A) पुत्र-जन्म के पश्चात चौहदवें दिन होने वाली रस्म
B) पर्यूषण-पर्व के दौरान तीन दिन का उपवास
C) फेरे अथवा सप्तपदी के समय मामा द्वारा दी गई और वधू द्वारा पहनी गई गोटे-किनारी युक्त लाल-गुलाबी ओढ़नी
D) संतान-प्राप्ति के बाद बेटी को विधि-विधान से ससुराल विदा करने की प्रक्रिया
उत्तर: फेरे अथवा सप्तपदी के समय मामा द्वारा दी गई और वधू द्वारा पहनी गई गोटे-किनारी युक्त लाल-गुलाबी ओढ़नी
व्याख्या: झिम्मी एक पारंपरिक वस्त्र है जो विवाह समारोह के दौरान फेरे या सप्तपदी के समय मामा (माँ का भाई) द्वारा दिया जाता है। यह एक विशेष ओढ़नी होती है जिस पर गोटे-किनारी का काम होता है और इसका रंग आमतौर पर लाल या गुलाबी होता है। वधू इसे विवाह के दौरान पहनती है।
प्रश्न 68: आखा से क्या आशय है –
A) मकान की छत
B) मांगलिक अवसर पर काम आने वाले चावल या गेहूं के दाने
C) छोटी एवं हल्की बैलगाड़ी
D) पत्थर खोदने में पुयुक्त उपकरण
उत्तर: मांगलिक अवसर पर काम आने वाले चावल या गेहूं के दाने
व्याख्या: राजस्थान की सांस्कृतिक परंपरा में ‘आखा’ शब्द का प्रयोग विशेष रूप से शुभ अवसरों पर उपयोग होने वाले चावल या गेहूं के दानों के लिए किया जाता है। ये दाने विभिन्न धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
प्रश्न 69: भेंट स्वरूप दिया जाने वाला वस्त्र विशेष क्या कहलाता है –
A) तिमणियौ
B) तिलक पछेवड़ौ
C) तारो-राणौ
D) तुइजणौ
उत्तर: तिलक पछेवड़ौ
व्याख्या: राजस्थान में ‘पछेवड़ा’ एक मोटी सूती शॉल को संदर्भित करता है जिसे ठंड के मौसम में महिलाएं पहनती हैं। यह कंबल की तरह मोटा सूती कपड़ा होता है और इसे भेंट के रूप में भी दिया जाता है। यह राजस्थान की पारंपरिक पोशाक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 70: ईश्वर चन्द विद्यासागर ने किस प्रथा को समाप्त करने का बीड़ा उठाया –
A) विधवा विवाह
B) सती प्रथा
C) दास प्रथा
D) कन्या वध
उत्तर: विधवा विवाह
व्याख्या: ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने और इसे सामाजिक स्वीकृति दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी दयानंद सरस्वती और केशवचंद्र सेन जैसे समाज सुधारकों ने भी विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में आवाज उठाई। विद्यासागर के प्रयासों के कारण ब्रिटिश सरकार ने 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित किया था।
प्रश्न 71: ‘सहगमन’ प्रथा का संबंध था –
A) कन्या वध से
B) विधवा विवाह से
C) सती प्रथा से
D) बाल विवाह से
उत्तर: सती प्रथा से
व्याख्या: सहगमन प्रथा सती प्रथा का दूसरा नाम था। इस प्रथा के तहत पति की मृत्यु के बाद पत्नी को स्वेच्छा से या बाध्य होकर अपने पति की चिता पर जीवित जलना पड़ता था। इस क्रूर प्रथा को समाप्त करने के लिए राजस्थान में सर्वप्रथम 1830 ई. में अलवर राज्य ने इसे गैर-कानूनी घोषित किया था।
प्रश्न 72: ‘पड़दायत, खवासन, पासवान’ नामक महिलाएं संबंधित थी –
A) नृत्य गायन से
B) दास प्रथा से
C) लोक चित्रकारी से
D) धाय मां से
उत्तर: दास प्रथा से
व्याख्या: राजघरानों में दासियों का एक अलग विभाग होता था जिसे ‘राजलोक’ कहा जाता था। कभी-कभी राजपूत राजा दासियों को अपनी उपपत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते थे, जिन्हें ‘पड़दायत’ कहा जाता था। जब राजा प्रसन्न होकर इन पड़दायतों को सोने के आभूषण पहनने की अनुमति देते थे, तो उन्हें ‘पासवान’ या ‘खवासन’ कहा जाता था।
प्रश्न 73: ‘गौना’ रस्म किससे संबंधित है –
A) मुण्डन
B) विवाह
C) मृत्यु
D) नामकरण
उत्तर: विवाह
व्याख्या: गौना रस्म राजस्थान में विवाह से संबंधित एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसमें विवाह के बाद वधू को उसके ससुराल ले जाने की प्रक्रिया शामिल है। कई जगहों पर विवाह के समय वधू अभी छोटी होती है, तो वह अपने मायके में ही रहती है और जब वह पर्याप्त बड़ी हो जाती है, तब गौना रस्म के साथ उसे उसके ससुराल भेजा जाता है।
प्रश्न 74: बाखड़ी शब्द प्रयुक्त किया जाता है –
Asstt. Agriculture Officer(TSP) Exam 2015 Paper 1A) गाय और भैंस के लिये
B) वैवाहिक रस्म के लिये
C) कृषि उपकरण के लिये
D) सिंचाई उपकरण के लिये
उत्तर: गाय और भैंस के लिये
व्याख्या: राजस्थान की ग्रामीण बोली में ‘बाखड़ी’ शब्द का प्रयोग गाय और भैंस जैसे पशुओं के लिए किया जाता है। यह शब्द विशेष रूप से पशुओं के झुंड को संदर्भित करता है और यह क्षेत्र की पशुपालन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 75: बिंदोली, सामेला और पड़ला किस समारोह से संबंधित हैं –
Asstt. Agriculture Officer(TSP) Exam 2015 Paper 1A) जन्म
B) गृह प्रवेश
C) विवाह
D) उपनयन
उत्तर: विवाह
व्याख्या: बिंदोली, सामेला और पड़ला राजस्थान के विवाह समारोह से संबंधित महत्वपूर्ण रस्में हैं। बिंदोली वह अवसर है जब दूल्हे को विवाह से पहले रिश्तेदारों द्वारा आमंत्रित किया जाता है, और लौटते समय ‘बिंदोला’ गीत गाया जाता है। सामेला (मधुपर्क) वह रस्म है जब वर वधू के घर पहुँचता है तो वधू के पिता अपने संबंधियों के साथ वर पक्ष का स्वागत करता है। बरी-पड़ला में वर पक्ष विवाह के अवसर पर वधू के लिए श्रृंगारिक सामान, गहने एवं कपड़े लाता है।
प्रश्न 76: राजस्थान में ‘राइका’ जाति किस पशु से संबंध है –
COMPILER Exam 2016A) ऊंट
B) बकरी
C) भेड़
D) गाय
उत्तर: ऊंट
व्याख्या: राजस्थान में ‘राइका’ जाति ऊंट पालन से गहरे जुड़ी हुई है। यह जाति मुख्य रूप से ऊंट पालन, उनकी देखभाल और ऊंट से संबंधित व्यापार में संलग्न है। राइका समुदाय के लोग ऊंट के बारे में विशेष ज्ञान रखते हैं और उन्हें पालने की पारंपरिक विधियों से परिचित हैं।
प्रश्न 77: गर्वनर जनरल लाॅर्ड बेंटिक ने निम्न स्थलों पर सती प्रथा रोकने के आदेश दिए। निम्न में से कौन सा युग्म सही नहीं है –
A) अलवरः1830
B) जयपुरः1844
C) डूंगरपुरः1856
D) जोधपुरः1848
उत्तर: डूंगरपुरः1856
व्याख्या: गवर्नर जनरल लॉर्ड बेंटिक ने राजस्थान के विभिन्न राज्यों में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे। इनमें अलवर में 1830, जयपुर में 1844, और जोधपुर में 1848 में यह आदेश जारी किए गए थे। हालांकि, डूंगरपुर में 1856 में कोई ऐसा आदेश जारी नहीं किया गया था, इसलिए यह विकल्प सही नहीं है।
प्रश्न 78: दीपदान परम्परा का सम्बन्ध ……………. पवित्र शहर से है –
A) पुष्कर
B) सालासर
C) खाटू श्याम
D) गोगामेड़ी
उत्तर: पुष्कर
व्याख्या: दीपदान परंपरा राजस्थान के पुष्कर शहर से गहरे जुड़ी हुई है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर झील में दीप जलाने की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु पुष्कर आते हैं और झील में दीप प्रज्वलित कर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 79: कथन अ: राजस्थान की लोक परंपरा किसी एक व्यक्ति या एक व्यक्ति समूह की सर्जना नहीं है।
कारण र: लोक परम्परा मानवता की स्वतः स्फूर्त अभिव्यक्ति है।
Asstt. Agriculture Officer Exam 2015 Paper 1A) ‘अ’ व ‘र’ दोनों सही है।
B) ‘र’ सही है और ‘अ’ गलत है।
C) ‘अ’ और ‘र’ दोनों गलत हैं।
D) ‘अ’ सही है और ‘र’ गलत है।
उत्तर: ‘अ’ व ‘र’ दोनों सही है।
व्याख्या: राजस्थान की लोक परंपराएं किसी एक व्यक्ति या समूह की रचना नहीं हैं, बल्कि ये समाज की सामूहिक चेतना और अनुभवों का परिणाम हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। लोक परंपराएं मानवता की स्वाभाविक अभिव्यक्ति हैं जो लोगों की जीवन शैली, आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार विकसित होती हैं। ये जीवंत परंपराएं समय के साथ बदलती और विकसित होती रहती हैं।
प्रश्न 80: किस समारोह में, किसी देवता या देवी के सामने छोटे बच्चे के बाल पहली बार काटे जाते हैं –
A) बढ़ार
B) आखया
C) जदुला
D) समेला
उत्तर: जदुला
व्याख्या: जदुला राजस्थान का एक महत्वपूर्ण संस्कार है जिसमें बच्चे के बाल पहली बार किसी देवता या देवी के समक्ष काटे जाते हैं। यह संस्कार बच्चे के स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए किया जाता है। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है और परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं।
प्रश्न 81: सती प्रथा का अन्य नाम है –
A) सहमरण
B) सहगमन
C) अन्वारोहण
D) ये सभी
उत्तर: ये सभी
व्याख्या: सती प्रथा को विभिन्न नामों से जाना जाता था, जिनमें सहमरण, सहगमन और अन्वारोहण प्रमुख हैं। यह सभी नाम उस क्रूर प्रथा को संदर्भित करते हैं जिसमें पति की मृत्यु के बाद पत्नी को उसकी चिता पर जीवित जलना पड़ता था। यह प्रथा भारतीय समाज में लंबे समय तक प्रचलित रही और बाद में समाज सुधारकों के प्रयासों से इसे समाप्त किया गया।
प्रश्न 82: गर्भवती स्त्री को अमंगलकारी शक्तियों से बचाने के लिए किया गया संस्कार है –
A) निष्क्रमण
B) पुंसवन
C) उपनयन
D) सीमान्तोनयन
उत्तर: सीमान्तोनयन
व्याख्या: सीमांतोन्नयन संस्कार का अर्थ है सौभाग्य प्राप्त करना। यह संस्कार गर्भवती महिला की रक्षा के लिए किया जाता है ताकि गर्भपात न हो और गर्भस्थ शिशु और मां दोनों सुरक्षित रहें। इस संस्कार का मुख्य उद्देश्य अमंगलकारी शक्तियों से गर्भवती महिला और उसके गर्भ की रक्षा करना है।
प्रश्न 83: शिक्षा समाप्ति पर किया जाने वाला संस्कार है –
A) समावर्तन
B) वेदारंभ
C) उपनयन
D) निष्क्रमण
उत्तर: समावर्तन
व्याख्या: समावर्तन संस्कार विद्याध्ययन का अंतिम संस्कार है जिसे वेदस्नान भी कहा जाता है। जब विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरी कर लेता है, तो वह अपने गुरु की आज्ञा प्राप्त करके अपने घर वापस लौटता है। यह संस्कार ज्ञान प्राप्ति के बाद उसे समाज में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में प्रवेश करने का प्रतीक है।
प्रश्न 84: भीलों में ‘छेड़ा फाड़ना’ क्या है –
A) त्योहार
B) तलाक
C) पुत्र-जन्म
D) विवाह
उत्तर: तलाक
व्याख्या: भील समाज में ‘छेड़ा फाड़ना’ तलाक की एक पारंपरिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में पति और पत्नी के बीच विवाह संबंध को समाप्त करने के लिए एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है। यह भील समाज की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है और इसमें समाज के बुजुर्ग भी मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 85: लार्ड डलहौजी ने स्त्रियों को विधवा विवाह से मुक्ति प्रदान करने हेतु ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ किस वर्ष बनाया –
A) 1850 में
B) 1852 में
C) 1856 में
D) 1862 में
उत्तर: 1856 में
व्याख्या: लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान 1856 में ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ पारित किया गया था। इस कानून के माध्यम से हिंदू विधवाओं को पुनर्विवाह करने का अधिकार दिया गया। यह कानून ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे समाज सुधारकों के प्रयासों का परिणाम था जिन्होंने विधवा पुनर्विवाह को सामाजिक स्वीकृति दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया।
प्रश्न 86: राजस्थानी संस्कृति में ‘जांनोटण’ क्या है –
A) वर-पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज
B) भूमि की माप
C) एक कृषि कर
D) एक प्रकार का लोक गीत
उत्तर: वर-पक्ष की ओर से दिया जाने वाला भोज
व्याख्या: राजस्थानी संस्कृति में ‘जांनोटण’ वर-पक्ष द्वारा दिए जाने वाले भोज को संदर्भित करता है। विवाह के अवसर पर वर पक्ष द्वारा आयोजित भोज को जांनोटण कहा जाता है। यह राजस्थान की विवाह परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न 87: राजस्थान की संस्कृति में ‘मुगधणा’ क्या है –
A) माताजी को मेहंदी चढाकर मेहमानों में बाँटना |
B) लाख की चूड़ियाँ जिसमें चाँदी की कड़ी पिरोई जाती है |
C) भोजन पकाने के लिए लकडियां जो विनायक स्थापना के पश्चात लाई जाती है |
D) वधू को मूँग और घी खिलाना |
उत्तर: भोजन पकाने के लिए लकडियां जो विनायक स्थापना के पश्चात लाई जाती है |
व्याख्या: राजस्थान की सांस्कृतिक परंपरा में ‘मुगधणा’ विवाह समारोह में भोजन पकाने के लिए उपयोग की जाने वाली लकड़ियों को कहा जाता है। ये लकड़ियां विनायक स्थापना के अनुष्ठान के बाद लाई जाती हैं और इनका उपयोग विवाह के भोज को तैयार करने में किया जाता है। यह परंपरा राजस्थानी विवाहों का एक महत्वपूर्ण अंग है।
प्रश्न 88: राजस्थान में सर्वप्रथम किस जिले में कन्या वध को गैर कानूनी घोषित किया गया –
A) बूँदी
B) कोटा
C) अलवर
D) जयपुर
उत्तर: कोटा
व्याख्या: राजस्थान में कन्या वध को सर्वप्रथम कोटा राज्य में 1833 में गैर-कानूनी घोषित किया गया था। इस क्रूर प्रथा में कन्या के जन्म लेते ही उसे अफीम देकर या गला दबाकर मार दिया जाता था। हाड़ौती के पॉलिटिकल एजेण्ट विलकिंसन के प्रयासों से लॉर्ड विलियम बैंटिक के समय में यह कदम उठाया गया। इसके बाद 1834 में बूंदी राज्य में भी कन्या वध को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।
प्रश्न 89: राजस्थान में ‘सागड़ी निवारण अधिनियम’ किस वर्ष पारित किया गया –
A) 1955 में
B) 1961 में
C) 1968 में
D) 1965 में
उत्तर: 1961 में
व्याख्या: सागड़ी निवारण अधिनियम 1961 में पारित किया गया था। इस प्रथा के तहत साहूकार सेठ उधारकर्ता को पैसा उधार देता था और बदले में उधारकर्ता या उसके परिवार का कोई सदस्य खुद को नौकर के रूप में रखता था। यह एक प्रकार का बंधुआ मजदूरी का रूप था। भारत सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से इस प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया। बाद में बंधुआ श्रम प्रणाली अधिनियम 1976 लागू करके 25 अक्टूबर 1985 को पूरे देश से बंधुआ श्रम प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।
प्रश्न 90: मृत्यु उत्सव के लिए राजस्थान में निम्न में से कौनसा एक नाम है –
A) दापा
B) मोसर
C) हेल्मो
D) बढ़ार
उत्तर: मोसर
व्याख्या: राजस्थान में ‘मोसर’ मृत्यु उत्सव के लिए प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। यह राजस्थान की कुछ जनजातियों और समुदायों में प्रचलित एक परंपरा है जिसमें किसी की मृत्यु के बाद एक विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर विशेष रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं और कभी-कभी भोज का भी आयोजन होता है।
प्रश्न 91: निम्न में से कौन सी प्रथा विवाह समारोह से संबंधित नहीं है-
A) बढार
B) कन्यावाल
C) बड़ी पड़ला
D) पानीवाड़ा
उत्तर: पानीवाड़ा
व्याख्या: पानीवाड़ा प्रथा वास्तव में दाह-संस्कार से संबंधित है, जिसमें अंतिम संस्कार में शामिल लोगों द्वारा स्नान किया जाता है। यह विवाह समारोह से संबंधित नहीं है। विवाह से संबंधित प्रथाओं में बढार (विवाह का भोज), कन्यावाल (कन्यादान) और बड़ी पड़ला (विवाह की एक विशेष रस्म) शामिल हैं।
प्रश्न 92: किस संस्कार के पश्चात् ब्रह्मचर्याश्रम की शुरूआत होती है-
A) विद्यारम्भ
B) उपनयन
C) समावर्तन
D) चूड़ाकर्म
उत्तर: उपनयन
व्याख्या: उपनयन संस्कार के बाद ब्रह्मचर्याश्रम की शुरुआत होती है, जिसे ‘दूसरा जन्म’ भी कहा जाता है। यह संस्कार लगभग 5-6 वर्ष की आयु के बच्चों को दिया जाता है, जिसके बाद वे विद्यार्थी जीवन की ओर अग्रसर होते हैं। इस संस्कार के माध्यम से बच्चे को ज्ञान प्राप्ति के लिए तैयार किया जाता है और उन्हें गुरु के मार्गदर्शन में रहने का अधिकार मिलता है।
प्रश्न 93: शिशु के पहले या तीसरे वर्ष में सिर के बाल पहली बार कटवाए जाते हैं, यह प्रथा कहलाती है-
A) जडूला
B) मुंडन
C) चूड़ाकर्म
D) उक्त सभी
उत्तर: उक्त सभी
व्याख्या: शिशु के बाल कटवाने की प्रथा को विभिन्न नामों से जाना जाता है। जडूला, मुंडन और चूड़ाकर्म सभी शिशु के पहले या तीसरे वर्ष में सिर के बाल कटवाने की प्रथा के विभिन्न नाम हैं। यह संस्कार हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे शुभ माना जाता है।
प्रश्न 94: कौनसा संस्कार शिशु जन्म से पूर्व नहीं किया जा सकता-
A) गर्भाधान
B) पुंसवन
C) सीमन्तोन्नयन
D) निष्क्रमण
उत्तर: निष्क्रमण
व्याख्या: निष्क्रमण संस्कार बच्चे के जन्म के बाद उसके चौथे या छठवें महीने में किया जाता है। इस संस्कार में बच्चे को पहली बार घर से बाहर निकाला जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब तक बच्चा शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ न हो जाए, तब तक उसे घर से बाहर नहीं निकालना चाहिए। गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोन्नयन सभी शिशु के जन्म से पहले किए जाने वाले संस्कार हैं।
प्रश्न 95: किस प्रथा के अनुसार पत्नी अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरूष के साथ रह सकती है-
A) नाता
B) जोसर
C) सुमेला
D) डाबरिया
उत्तर: नाता
व्याख्या: नाता प्रथा राजस्थान की एक प्राचीन प्रथा है जिसके अनुसार विधवा या पति द्वारा त्याग दी गई महिला किसी अन्य पुरुष के साथ रह सकती है। यह प्रथा मुख्य रूप से राजस्थान के कुछ जनजातीय समुदायों में प्रचलित थी। इस प्रथा के तहत महिला को समाज में सम्मान दिया जाता था और उसे नए रिश्ते बनाने की आजादी मिलती थी।
प्रश्न 96: डाकन प्रथा मुख्य रूप से किस जाति में पायी जाती थी-
A) कालबेलिया
B) भील व मीणा
C) सांसी
D) गरासिया
उत्तर: भील व मीणा
व्याख्या: डाकन प्रथा मुख्य रूप से भील और मीणा जातियों में पाई जाती थी। इस प्रथा के अनुसार, यदि कोई पुरुष किसी महिला को बिना उसकी सहमति के अपने साथ ले जाता था, तो उसे उस महिला के परिवार द्वारा डाकन (जुर्माना) देना पड़ता था। यह प्रथा समाज में व्यवस्था बनाए रखने का एक तरीका थी।
प्रश्न 97: ‘बड़ालिया’ से तात्पर्य है-
A) वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष का स्वागत करना
B) शोकस्वरूप अपने दाढ़ी, मूंछ व बाल कटवा देना
C) अफीम द्वारा मेहमानों की मनुहार करना
D) वैवाहिक सम्बन्धों में मध्यस्थता करने वाला
उत्तर: वैवाहिक सम्बन्धों में मध्यस्थता करने वाला
व्याख्या: ‘बड़ालिया’ वह व्यक्ति होता है जो वैवाहिक संबंधों में मध्यस्थता करता है। यह व्यक्ति दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने, शादी की शर्तों पर बातचीत करने और विवाह की औपचारिकताओं को पूरा कराने में मदद करता है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ालिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
प्रश्न 98: राजदरबार में पंक्तिबद्ध तरीके से बैठने की रिति को कहा जाता है-
A) पाशीब
B) कुरब
C) मिसल
D) नाजर
उत्तर: मिसल
व्याख्या: राजदरबार में पंक्तिबद्ध तरीके से बैठने की रीति को ‘मिसल’ कहा जाता था। यह राजस्थान के प्राचीन राजदरबारों में प्रचलित एक विशेष बैठने का तरीका था, जिसमें अधिकारी और सैनिक अपनी पदों के अनुसार व्यवस्थित रूप से बैठते थे। इस व्यवस्था से राजदरबार में अनुशासन और संगठन बना रहता था।
प्रश्न 99: राजस्थान में सर्वप्रथम वर्ष 1833 में किस राज्य ने कन्या वध को अवैध ठहराया-
A) कोटा
B) बूंदी
C) बीकानेर
D) जोधपुर
उत्तर: कोटा
व्याख्या: राजस्थान में सर्वप्रथम कन्या वध पर रोक कोटा रियासत में वर्ष 1833 में लगाई गई थी। महाराव रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में अंग्रेज पॉलिटिकल एजेंट विलकिन्सन के प्रयासों से यह कानून बनाया गया था। यह राजस्थान में सामाजिक सुधार का एक महत्वपूर्ण कदम था जिसने बाद में अन्य रियासतों को भी प्रेरित किया।
प्रश्न 100: सीरावन किसे कहते हैं-
A) कृषकों का सुबह का भोजन
B) रात को सोने से पहले का भोजन
C) विवाह की एक रस्म
D) एक प्रकार का आभूषण
उत्तर: कृषकों का सुबह का भोजन
व्याख्या: सीरावन राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों द्वारा सुबह के समय लिया जाने वाला भोजन है। यह आमतौर पर जौ के आटे से बनाया जाता है और इसमें छाछ मिलाई जाती है। यह भोजन कृषकों को दिनभर के कठिन काम के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। यह राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।
प्रश्न 101: मान्य 16 संस्कारों में से कितने संस्कार शिशु के जन्म से पुर्व किए जाते हैं-
उत्तर: 3
व्याख्या: हिंदू धर्म में मान्य 16 संस्कारों में से 3 संस्कार शिशु के जन्म से पूर्व किए जाते हैं। ये संस्कार हैं – गर्भाधान (गर्भ स्थापन), पुंसवन (पुत्रेष्टि यज्ञ) और सीमन्तोन्नयन (गर्भ संरक्षण)। ये सभी संस्कार गर्भावस्था के दौरान किए जाते हैं और गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
प्रश्न 102: बारात जाने के बाद पीछे से वर पक्ष के घर रात को महिलाओं के द्वारा गाए जाने वाले गीत एवं खेल को कहते हैं-
A) ओलन्दी
B) रंगदारी
C) आख्या
D) टूंटिया
उत्तर: टूंटिया
व्याख्या: टूंटिया राजस्थान की एक लोकप्रिय परंपरा है जिसमें बारात जाने के बाद वधु पक्ष की महिलाएं वर पक्ष के घर जाकर रात को गीत गाती हैं और खेल खेलती हैं। यह राजस्थानी विवाह समारोह का एक महत्वपूर्ण अंग है जो दोनों परिवारों के बीच सामाजिक संबंध मजबूत करता है। इन गीतों में आमतौर पर विवाह, प्रेम और नए रिश्तों के बारे में बात की जाती है।
प्रश्न 103: ‘ओका-नोका-गुणा’ क्या है-
A) त्यौहार
B) सिंचाई परियोजना
C) आभूषण
D) गोबर की आकृति
उत्तर: गोबर की आकृति
व्याख्या: ‘ओका-नोका-गुणा’ राजस्थान के गांवों में ओरी/चेचक या छोटी माता के रोग हो जाने पर इस बीमारी के निदान के लिए बनाई जाने वाली मिट्टी या गोबर की एक विशेष आकृति है। इसका पूजन किया जाता है और माना जाता है कि इससे बीमारी दूर हो जाती है। यह राजस्थान की लोक चिकित्सा पद्धति का एक अंग है जो आज भी कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है।
प्रश्न 104: धावड़िया वे व्यक्ति थे-
A) जो खेतो में अनाज काटते थे
B) जो अनाज का भण्डारण करते थे
C) जो कारवां/काफिले को लूटते थे
D) जो गांव से गांव माल बेचते थे
उत्तर: जो कारवां/काफिले को लूटते थे
व्याख्या: धावड़िया वे व्यक्ति थे जो कारवां या काफिलों को लूटते थे। यह राजस्थान के इतिहास में एक विशेष समुदाय था जो रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहता था और यात्रियों के काफिलों पर हमला करके उनका माल लूटता था। ये लोग अपनी घुड़सवारी और रेगिस्तानी क्षेत्र की जानकारी के कारण इस काम में माहिर थे।
प्रश्न 105: राजस्थान में राइका है-
A) गांव में चौकीदारी करने वाले
B) अनाज का भण्डारण करने वाले
C) परम्परागत ऊंट पालन-पोषणकत्र्ता
D) राजा के लिए कर संग्रह करने वाले
उत्तर: परम्परागत ऊंट पालन-पोषणकत्र्ता
व्याख्या: राइका राजस्थान का एक पारंपरिक समुदाय है जो ऊंट पालन और उनकी देखभाल का काम करता है। ये लोग ऊंटों के प्रजनन, पालन-पोषण और उनका व्यापार करते हैं। राइका समुदाय के लोग ऊंटों की देखभाल में बहुत कुशल होते हैं और इन्हें ऊंटों की नस्लों के बारे में गहरी जानकारी होती है। यह समुदाय मुख्य रूप से राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है।
प्रश्न 106: सागड़ी प्रथा का अर्थ है-
A) घुड़सवार
B) बन्धुआ मजदूर
C) पटवारी
D) कृषक
उत्तर: बन्धुआ मजदूर
व्याख्या: सागड़ी प्रथा राजस्थान में बन्धुआ मजदूरी की एक प्रणाली थी। इस प्रथा के तहत मजदूरों को उनके मालिकों द्वारा बंधक बना लिया जाता था और उन्हें मजबूरन कम मजदूरी पर काम करना पड़ता था। यह प्रथा मुख्य रूप से राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में प्रचलित थी और इसे एक प्रकार का शोषण माना जाता था। बाद में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
प्रश्न 107: राजस्थानी संस्कृति में ‘औलंदी’ क्या है-
A) राजस्थानी लोक नृत्य
B) विवाह में दुल्हे का मामा
C) नववधु के साथ जाने वाली लड़की
D) एक प्रकार का फल
उत्तर: नववधु के साथ जाने वाली लड़की
व्याख्या: राजस्थानी संस्कृति में ‘औलंदी’ उन लड़कियों या महिलाओं को कहा जाता है जो नवविवाहित दुल्हन के साथ उसके ससुराल जाती हैं। ये महिलाएं दुल्हन को नए परिवार और नए घर में ढलने में मदद करती हैं और उसका साथ देती हैं। यह राजस्थानी विवाह परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो दुल्हन को सामाजिक समर्थन प्रदान करता है।
प्रश्न 108: बढ़ार का भोजन निम्न में से किस अवसर पर रखा जाता है-
A) जन्म
B) नामकरण
C) विवाह
D) मृत्यु
उत्तर: विवाह
व्याख्या: बढ़ार का भोजन विवाह समारोह के अवसर पर रखा जाता है। यह राजस्थान की एक पारंपरिक प्रथा है जिसमें विवाह के दौरान वधु पक्ष द्वारा वर पक्ष को भोजन कराया जाता है। इस भोजन में आमतौर पर विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं और यह विवाह समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
प्रश्न 109: कौनसा संस्कार मनुष्य जिवन का अंतिम संस्कार माना जाता है-
A) पिण्डदान
B) अंत्येष्टि
C) सोग
D) मोसर
उत्तर: अंत्येष्टि
व्याख्या: अंत्येष्टि मनुष्य जीवन का अंतिम संस्कार माना जाता है। यह संस्कार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किया जाता है और इसमें शव का दाह संस्कार या दफनाना शामिल है। हिंदू धर्म में इसे आत्मा की मुक्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। इस संस्कार के बाद परिवार के सदस्यों द्वारा 13 दिन तक शोक और विभिन्न धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।
प्रश्न 110: मोसर क्या है-
A) आदिवासी जनजाति
B) राजस्थान में मृत्यु भोेज की प्रथा
C) राजस्थान में दासी/दास प्रथा
D) राजस्थान में आदिवासी लोगों का नृत्य
उत्तर: राजस्थान में मृत्यु भोेज की प्रथा
व्याख्या: मोसर राजस्थान में मृत्यु भोज की एक प्रथा है। इस प्रथा के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिवार द्वारा एक भोज का आयोजन किया जाता है। यह भोज मृतक की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है और इसमें ग्रामीण और रिश्तेदार शामिल होते हैं। यह प्रथा राजस्थान के कई क्षेत्रों में आज भी प्रचलित है।
प्रश्न 111: घर से शमशान तक अर्थी या बैकुण्ठी की दिशा परिवर्तन करते है उसे क्या कहते है-
A) दिसावर
B) आधेटा
C) मोसर
D) पिण्डदान
उत्तर: आधेटा
व्याख्या: आधेटा एक प्रथा है जिसमें घर से शमशान तक जाते समय मृत व्यक्ति की अर्थी या बैकुण्ठी की दिशा को रास्ते में किसी चौराहे पर बदल दिया जाता है। यह प्रथा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है और इसे मृतक की आत्मा के शांति के लिए शुभ माना जाता है। इस प्रथा के पीछे यह विश्वास है कि इससे मृतक की आत्मा को सीधा मार्ग मिलता है।
प्रश्न 112: राजस्थान क ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह के भोजन के लिए जौ के आटे में छाछ मिलाकर बनाया जाने वाला भोजन कहलाता है-
A) सीरा
B) कलेवा
C) भात
D) राब
उत्तर: राब
व्याख्या: राब राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह के भोजन के लिए बनाया जाने वाला एक पारंपरिक व्यंजन है। इसे जौ के आटे में छाछ मिलाकर बनाया जाता है। यह भोजन आमतौर पर कृषकों द्वारा खेतों में काम करने से पहले खाया जाता है क्योंकि यह ऊर्जा प्रदान करता है और पूरे दिन के काम के लिए ताकत देता है।
प्रश्न 113: जागीरदारों में पहले लोग अपनी शादी में दहेज के साथ में कुछ कुंआरी कन्याएं भी देते थे इसे किस नाम से पुकार जाता था-
A) गौना
B) महर
C) गोला
D) डावड़ी
उत्तर: डावड़ी
व्याख्या: डावड़ी राजस्थान के जागीरदारों में प्रचलित एक प्रथा थी जिसमें लोग अपनी शादी में दहेज के साथ कुछ कुंआरी कन्याओं को भी देते थे। इन कन्याओं को ‘डावरिया’ कहा जाता था। यह प्रथा मुख्य रूप से राजपूत समुदाय में प्रचलित थी और इसे एक प्रकार का सामाजिक दर्जा प्राप्त करने का तरीका माना जाता था।
प्रश्न 114: तोरण मारना किसका प्रतिक है-
A) विवाह का
B) विजय का
C) किसी कि हत्या करने का
D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: विजय का
व्याख्या: तोरण मारना विजय का प्रतीक माना जाता है। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसमें युद्ध या किसी महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद विजेता पक्ष तोरण (मंडप या द्वार पर सजावट) लगाकर अपनी जीत का जश्न मनाता था। यह प्रथा राजस्थान के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे वीरता और शौर्य का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न 115: स्त्री पुरूषों को दासों के रूप में रखने की परम्परा को क्या कहा जाता था-
A) महर
B) नाता प्रथा
C) मोसर
D) गोला
उत्तर: गोला
व्याख्या: गोला राजस्थान में स्त्रियों द्वारा पुरुषों को दासों के रूप में रखने की एक प्रथा थी। इस प्रथा के तहत कुछ समुदायों में महिलाएं पुरुषों को खरीदकर उन्हें अपने दास के रूप में रखती थीं। यह प्रथा मुख्य रूप से कुछ जनजातीय समुदायों में प्रचलित थी और इसे एक प्रकार का सामाजिक रिश्ता माना जाता था।
प्रश्न 116: आदिवासी लोंगों में प्रचलित लीला-मेरिया संस्कार का संबंध है-
A) जन्म से
B) मृत्यु से
C) विवाह से
D) शिशु जन्म से
उत्तर: विवाह से
व्याख्या: लीला-मेरिया संस्कार आदिवासियों में प्रचलित एक विवाह से संबंधित संस्कार है। इस संस्कार में विवाह के दौरान कुछ विशेष रस्में और परंपराएं निभाई जाती हैं। यह संस्कार मुख्य रूप से राजस्थान के भील और अन्य आदिवासी समुदायों में प्रचलित है और इसे विवाह के लिए आवश्यक माना जाता है।
प्रश्न 117: कौनसा रिवाज विवाह से संबंधित नहीं है-
A) बिंदोला
B) गठ-जोड़ा
C) नांगल
D) डावरिया
उत्तर: नांगल
व्याख्या: नांगल रिवाज विवाह से संबंधित नहीं है। बिंदोला, गठ-जोड़ा और डावरिया सभी विवाह से संबंधित रिवाज हैं। बिंदोला विवाह के दौरान एक विशेष रस्म है, गठ-जोड़ा विवाह के बंधन को दर्शाता है और डावरिया विवाह में दहेज के साथ दी जाने वाली कुंआरी कन्याओं को कहा जाता है। नांगल एक कृषि संबंधित शब्द है जो खेती से संबंधित है।
प्रश्न 118: आदिवासीयों में कटकी वस्त्र पहना जाता है-
A) विधवाओं के द्वारा
B) पुरूषों द्वारा
C) अविवाहित युवतियों द्वारा
D) विवाहित स्त्रियों द्वारा
उत्तर: अविवाहित युवतियों द्वारा
व्याख्या: कटकी वस्त्र आदिवासी समाज में अविवाहित युवतियों द्वारा पहना जाता है। यह वस्त्र उनकी अविवाहित स्थिति का प्रतीक है और इसे उनकी पहचान के रूप में जाना जाता है। आदिवासी समाज में विवाहित और अविवाहित महिलाओं के वस्त्रों में अंतर होता है जिससे उनकी सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
प्रश्न 119: राजस्थान में पैरों की अंगुलियों में पहना जाने वाला आभूषण है-`
A) तकया
B) बिछिया
C) अचकन
D) गोखरू
उत्तर: बिछिया
व्याख्या: बिछिया राजस्थान में पैरों की अंगुलियों में पहना जाने वाला एक पारंपरिक आभूषण है। यह आमतौर पर महिलाओं द्वारा पहना जाता है और इसे चांदी या अन्य धातुओं से बनाया जाता है। बिछिया राजस्थानी महिलाओं के श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे विवाहित महिलाओं द्वारा विशेष रूप से पहना जाता है।
प्रश्न 120: विवाह से सम्बन्धित रस्म है-
A) कांकन डोरड़ा
B) पहरावणी
C) बरी पाड़ला
D) ये सभी
उत्तर: ये सभी
व्याख्या: कांकन डोरड़ा, पहरावणी और बरी पाडला सभी विवाह से संबंधित रस्में हैं। कांकन डोरड़ा विवाह के दौरान एक विशेष रस्म है जिसमें दूल्हे और दुल्हन के हाथों में डोरा बांधा जाता है। पहरावणी विवाह के दौरान वधु को ससुराल भेजने की रस्म है और बरी पाड़ला विवाह के बाद वधु के स्वागत की रस्म है। ये सभी रस्में राजस्थानी विवाह परंपरा का अभिन्न अंग हैं।