राजस्थान के लोक नृत्य 2025: रंग-बिरंगे थिरकनों की धरती 🌟

By: LM GYAN

On: 8 September 2025

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राजस्थान के लोक नृत्य

राजस्थान के लोक नृत्य 🕺 जैसे घूमर, गींदड़, कालबेलिया, चरी, और भवाई की विस्तृत जानकारी। जनजातियों, क्षेत्रों, और वाद्य यंत्रों के साथ 2025 की ताजा जानकारी!


Table of Contents

परिचय: राजस्थान के लोक नृत्य की जीवंतता 🌈

राजस्थान, रेगिस्तान की रंग-बिरंगी धरती, न केवल अपने किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने लोक नृत्यों के लिए भी विश्व भर में जाना जाता है। 🏜️ यहाँ की भौगोलिक विविधता ने नृत्यों को एक अनूठा रंग दिया है, जो मस्ती, उल्लास, और खुशी का प्रतीक है। 😊 घूमर की थिरकन से लेकर कालबेलिया की लचक, गींदड़ की ताल से लेकर भवाई के करतब तक, हर नृत्य राजस्थान की आत्मा को दर्शाता है। 💃

लोक नृत्य सरल हृदय ग्रामीणों द्वारा आनंद और उत्साह के साथ लयबद्ध अंग संचालन से बनते हैं, जिन्हें देशी नृत्य भी कहा जाता है। 🙏 सुप्रसिद्ध कला मर्मज्ञ देवीलाल सामर (उदयपुर के लोककला मंडल के संस्थापक) ने राजस्थान के लोक नृत्यों को भौगोलिक विशिष्टताओं के आधार पर तीन श्रेणियों में बाँटा:

  1. पहाड़ी
  2. राजस्थानी
  3. पूर्वी मैदानी

इस लेख में हम जनजातियों के नृत्य, प्रमुख नृत्य, उनके क्षेत्र, और वाद्य यंत्रों की पूरी जानकारी देंगे। 📜 एक विस्तृत तालिका और माह-वार नृत्य के साथ, ये लेख आपको राजस्थान के लोक नृत्यों की रंगीन दुनिया में ले जाएगा। तो चलो, थिरकने के लिए तैयार हो जाओ! 🚪🎶


राजस्थान के लोक नृत्य: एक अवलोकन 🌟

राजस्थान की भौगोलिक विविधता ने यहाँ के नृत्यों को अनूठा बनाया है। पहाड़ी क्षेत्रों में गरासिया और भील जनजातियों के नृत्य, रेगिस्तानी मारवाड़ में घुड़ला और डांडिया, और पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में गींदड़ और कच्छी घोड़ी जैसे नृत्य प्रचलित हैं। 🕺

  • सांस्कृतिक महत्व: ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामुदायिक एकता, परंपराओं, और उत्सवों का प्रतीक भी हैं। 😊
  • प्रमुख अवसर: होली, दीपावली, गणगौर, नवरात्रि, और विवाह जैसे अवसरों पर ये नृत्य किए जाते हैं। 🎉
  • वाद्य यंत्र: ढोल, नगाड़ा, शहनाई, मंजीरा, थाली, और बाँकिया जैसे वाद्य यंत्र नृत्यों को और जीवंत बनाते हैं। 🥁

जनजातियों के प्रमुख लोक नृत्य 🕺

कालबेलिया जनजाति के नृत्य 🐍

  1. कालबेलिया नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • यूनेस्को की अमूर्त विरासत (2010) में शामिल।
      • गुलाबो ने इसे विश्व प्रसिद्ध बनाया (पद्मश्री, 2016)। 🌟
      • पूँगी और खंजरी वाद्य यंत्रों का उपयोग।
      • लचकदार और सर्पिल गतियाँ।
  2. शंकरिया नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • युगल नृत्य (स्त्री-पुरुष)।
      • प्रेम कथाओं पर आधारित।
      • लास्य और कामुकता से भरा। 💃
  3. पणिहारी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • स्त्री-पुरुष युगल नृत्य।
      • पणिहारी गीत गाए जाते हैं।
      • पानी लेने की गतिविधि को दर्शाता।
  4. इण्डोणी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • गोलाकार आकृति में युगल नृत्य।
      • कलात्मक पोशाक और मणियों की सजावट।
      • पूँगी और खंजरी का उपयोग। 🎶
  5. बागड़िया नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • स्त्रियों द्वारा भीख मांगते समय।
      • चंग वाद्य यंत्र का उपयोग।
  6. चकरी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • गोलाकार थिरकन।
      • स्थानीय उत्सवों में प्रचलित।

भील जनजाति के नृत्य 🌿

  1. गवरी (राई) नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • मेवाड़ क्षेत्र में सावन-भादो में 40 दिन तक।
      • पार्वती की पूजा।
      • केवल पुरुषों का नृत्य।
      • मांदल और थाली वाद्य यंत्र। 🕉️
  2. हाथीमना नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • विवाह के अवसर पर पुरुषों द्वारा।
      • तलवार के साथ घुटनों पर बैठकर नृत्य।
  3. द्विचक्री नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • विवाह के अवसर पर स्त्री-पुरुष युगल।
      • दो वृत्त बनाकर नृत्य।
  4. घूमरा नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • बाँसवाड़ा में भील महिलाओं द्वारा।
      • दो दल: एक गाता, दूसरा नाचता।
  5. नेजा नृत्य
  6. युद्ध नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • पुरुषों द्वारा तलवार के साथ युद्ध कला प्रदर्शन।
      • उदयपुर, पाली, सिरोही, डूँगरपुर में प्रचलित।

गरासिया जनजाति के नृत्य 🌳

  1. वालर नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • सिरोही में स्त्री-पुरुष युगल।
      • धीमी गति, बिना वाद्य यंत्र।
      • अर्द्ध वृत्त में: पुरुष बाहर, महिलाएँ अंदर।
      • छाता या तलवार के साथ शुरू।
  2. लूर नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • लूर गोत्र की महिलाओं द्वारा।
      • मेले और विवाह पर।
      • वरपक्ष द्वारा वधूपक्ष से कन्या माँग।
  3. कूद नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • युगल नृत्य, तालियों की थाप पर।
      • बिना वाद्य यंत्र।
  4. मांदल नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • महिलाओं द्वारा वृत्ताकार घेरे में।
  5. जवारा नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • होलिका दहन से पहले युगल नृत्य।
      • ढोल की गहरी थाप।
  6. मोरिया नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • पुरुषों द्वारा विवाह पर।
      • गणपति स्थापना के बाद रात्रि में।

सहरिया जनजाति के नृत्य 🌾

  1. झेला (लावणी) नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • बाराँ (शाहबाद) में फसली नृत्य।
      • आषाढ़ माह में पुरुषों द्वारा।
      • झेला गीत गाए जाते हैं।
  2. शिकारी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • बाराँ (किशनगंज, शाहबाद) में।
      • शिकार से प्रेरित।

कथौड़ी जनजाति के नृत्य 🎶

  1. होली नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • होली पर महिलाओं द्वारा गोले में।
      • ढोलक, पावरी, धोरिया, बाँसली वाद्य यंत्र।
  2. मावलिया नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • नवरात्रि में नौ दिन पुरुषों द्वारा।

मेव जनजाति के नृत्य ⚔️

  1. रणबाजा नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • युद्ध नृत्य, मेवात क्षेत्र।
      • तलवार, ढाल, कटार, भाला के साथ।
      • योद्धाओं में जोश भरने के लिए।
  2. रतवाई नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • महिलाओं द्वारा मेवात में।
      • दमामा, टामक वाद्य यंत्र।

कंजर जनजाति के नृत्य 💃

  1. चकरी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • गोलाकार थिरकन।
      • उत्सवों में प्रचलित।
  2. धाकड़ नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • स्थानीय उत्सवों में।

गुर्जर जनजाति के नृत्य 🌴

  1. चरी नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • किशनगढ़, अजमेर में महिलाओं द्वारा।
      • सिर पर सात चरियाँ, ऊपर काकड़ा बीज में तेल जलाकर।
      • बाँकिया, थाली वाद्य यंत्र।
      • फलकूबाई विश्व प्रसिद्ध, सुनीता रावत पुरस्कृत।
  2. झूमर नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • लयबद्ध युगल नृत्य।

बंजारा जनजाति के नृत्य 🐟

  1. मछली नृत्य
    • विशेषताएँ:
      • मछली पकड़ने की गतिविधि को दर्शाता।

प्रमुख लोक नृत्य: विस्तृत विवरण 🕺

घूमर नृत्य 💃

  • उपनाम: नृत्यों का हृदय, सिरमौर, आत्मा।
  • विशेषताएँ:
    • राज्य नृत्य, गणगौर से जुड़ा, अब मांगलिक अवसरों पर।
    • महिलाओं द्वारा, लहँगे का घेर (घुम्म) और अष्टताल कहरवा (सवाई)।
    • वाद्य यंत्र: शहनाई, ढोल, नगाड़ा। 🥁
    • हाथों का लचकदार संचालन और बार-बार घूमना।

गींदड़ नृत्य 🎉

  • क्षेत्र: शेखावाटी।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर पुरुषों द्वारा, एक सप्ताह तक।
    • ताल, सुर, नृत्य का समन्वय, सामुदायिक एकता।
    • डंडे टकराकर नृत्य, होली गीत।
    • वाद्य यंत्र: ढोल, डफ, चंग, नगाड़ा।
    • कुछ पुरुष गणगौर (महिला वेश) में।
    • स्वांग: साधु, शिकारी, सेठ-सेठानी, दूल्हा-दुल्हन, सरदार, पठान, पादरी, बाजीगर।

कच्छी घोड़ी नृत्य 🐎

  • क्षेत्र: शेखावाटी (कुचामन, परबतसर, डीडवाना)।
  • विशेषताएँ:
    • विवाह पर व्यावसायिक नृत्य।
    • काठ-कपड़े की घोड़ी, तलवार, वीरोचित वेश।
    • वाद्य यंत्र: झाँझ, ढोल, थाली।
    • चार-चार नर्तक तीव्र गति से पंक्ति बनाते-बिखरते, फूल की पंखुड़ियों जैसा।

चंग नृत्य 🥁

  • क्षेत्र: शेखावाटी।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर पुरुष, चंग बजाकर वृत्ताकार।
    • घेरे के मध्य धमाल और होली गीत।

डांडिया नृत्य 🥳

  • क्षेत्र: मारवाड़।
  • विशेषताएँ:
    • होली के बाद, 20-25 पुरुष डांडिया लेकर।
    • वाद्य यंत्र: शहनाई, नगाड़ा।
    • स्वांग: राजा, साधु, शिवजी, रामचन्द्र, कृष्ण, रानी, सिंधिन, सीता।
    • बड़ली के भैरुजी का गुणगान।

चरी नृत्य 🔥

  • क्षेत्र: किशनगढ़, अजमेर।
  • विशेषताएँ:
    • गुर्जर महिलाएँ, सिर पर सात चरियाँ, काकड़ा बीज में तेल जलाकर।
    • वाद्य यंत्र: बाँकिया, थाली।
    • फलकूबाई विश्व प्रसिद्ध, सुनीता रावत पुरस्कृत।
    • शुभ, मंगल, स्वागत का प्रतीक।

घुड़ला नृत्य 🌸

  • क्षेत्र: जोधपुर (मारवाड़)।
  • विशेषताएँ:
    • राव सातल की मल्लू खाँ पर विजय के उपलक्ष्य।
    • महिलाएँ, छिद्रित मटके (घुड़ला) में दीपक।
    • गणगौर, पणिहारी अंदाज में चक्कर।
    • मणि गांगुली, देवीलाल सामर, कोमल कोठारी का योगदान।

अग्नि नृत्य 🔥

  • क्षेत्र: बीकानेर (कतरियासर)।
  • विशेषताएँ:
    • जसनाथी सम्प्रदाय, जाट सिद्ध कबीले के पुरुष।
    • अंगारों का ढेर (धूणा), फतै-फतै कहकर नृत्य।
    • मतीरा फोड़ना, हल जोतना।
    • राग और फाग का संगम।

ढोल नृत्य 🥁

  • क्षेत्र: जालोर।
  • विशेषताएँ:
    • विवाह पर ढोली-भील पुरुष।
    • थाकना शैली, तलवार, रूमाल।
    • जयनारायण व्यास ने पहचान दिलाई।

बम नृत्य 🎶

  • क्षेत्र: भरतपुर, अलवर।
  • विशेषताएँ:
    • फाल्गुन में पुरुष, नई फसल की खुशी।
    • बमरसिया गायन, बड़ा नगाड़ा (बम)।
    • वाद्य यंत्र: थाली, चिमटा, ढोलक।

गैर नृत्य 🕺

  • क्षेत्र: मेवाड़, बाड़मेर।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर भील पुरुष, छड़ियाँ लेकर गोल घेरे।
    • वाद्य यंत्र: ढाल, बाँकिया, थाली।
    • मेवाड़-बाड़मेर में चाल और मण्डल में अंतर।

डांग नृत्य 🌟

  • क्षेत्र: नाथद्वारा (राजसमंद)।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर स्त्री-पुरुष, राधा-कृष्ण स्वांग।
    • वाद्य यंत्र: ढोल, मांदल, थाली।

भवाई नृत्य 🎭

  • क्षेत्र: उदयपुर।
  • विशेषताएँ:
    • स्त्री-पुरुष, व्यावसायिक।
    • सात-आठ मटके, तलवार, काँच, रूमाल उठाना।
    • प्रमुख कलाकार: रूपसिंह शेखावत, दयाराम, तारा शर्मा।
    • वाद्य यंत्र: ढोलक।
    • शंकरिया, सूरदास, बोटी, ढोकरी, बीकाजी, ढोला मारू रूप।

तेरहताली नृत्य 🔔

  • क्षेत्र: रामदेवजी मेला।
  • विशेषताएँ:
    • कामड़ महिलाएँ, 13 मंजीरे (9 पैर, 2 कोहनी, 2 हाथ)।
    • वाद्य यंत्र: मंजीरा, तानपुरा, चौतारा।
    • माँगीबाई, लक्ष्मणदास प्रमुख नृत्यकार।

गरबा नृत्य 🌸

  • क्षेत्र: डूँगरपुर, बाँसवाड़ा।
  • विशेषताएँ:
    • नवरात्रि में दुर्गा पूजा।
    • तीन रूप: शक्ति (घड़े में दीपक), रास (राधा-कृष्ण), लोक-जीवन (पणिहारी, नववधू)।

नाहर नृत्य 🦁

  • क्षेत्र: मांडलगढ़ (भीलवाड़ा)।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर, शाहजहाँ द्वारा शुरू।

भैरव (मयूर) नृत्य 🦚

  • क्षेत्र: ब्यावर, अजमेर।
  • विशेषताएँ:
    • होली के बाद बीरबल मेला, बादशाह की सवारी।
    • व्यास परिवार द्वारा बीरबल का बाना।
    • बच्चे खर्ची दो कहकर अबीर-गुलाल लेते।

लांगुरिया नृत्य 🙏

  • क्षेत्र: करौली (कैला देवी मंदिर)।
  • विशेषताएँ:
    • नवरात्रि में स्त्री-पुरुष।
    • नफीरी, नौबत वाद्य यंत्र।
    • हास्य-व्यंग्य गीत।

चरकुला नृत्य 🪔

  • क्षेत्र: भरतपुर।
  • विशेषताएँ:
    • राधा स्मृति, 108 दीपक, बैलगाड़ी का पहिया।

हुरंगा नृत्य 🎉

  • क्षेत्र: डीग (भरतपुर)।
  • विशेषताएँ:
    • होली पर।

पेजण नृत्य 👗

  • क्षेत्र: बाँसवाड़ा।
  • विशेषताएँ:
    • दीपावली पर पुरुष नारी वेश में।

ढप नृत्य 🥁

  • क्षेत्र: शेखावाटी।
  • विशेषताएँ:
    • बसंत पंचमी पर, ढप, मंजीरे।

बिंदौरी नृत्य 🕺

  • क्षेत्र: झालावाड़।
  • विशेषताएँ:
    • होली, विवाह, गैर शैली, पुरुष।

सांस्कृतिक महत्व 🌟

राजस्थान के लोक नृत्य इस धरती की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवंतता को दर्शाते हैं। 😊 ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामुदायिक एकता, परंपराओं, और उत्सवों का प्रतीक भी हैं। 🌈

  • घूमर गणगौर और मांगलिक अवसरों की शान है।
  • गींदड़ और कच्छी घोड़ी शेखावाटी की होली और विवाहों को रंगीन बनाते हैं।
  • कालबेलिया ने विश्व स्तर पर राजस्थान को गौरवान्वित किया।
  • भवाई और अग्नि नृत्य अपनी अनूठी शारीरिक कला के लिए प्रसिद्ध हैं।

पर्यटन: पुष्कर मेला, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, और रामदेवजी मेला में इन नृत्यों को देखने पर्यटक खिंचे चले आते हैं। 📸


राजस्थान के लोक नृत्य: तालिका 📋

नृत्यजनजाति/समुदायक्षेत्रअवसरवाद्य यंत्र
कालबेलियाकालबेलियाराज्यव्यापीउत्सवपूँगी, खंजरी
शंकरियाकालबेलियाराज्यव्यापीप्रेम कथाएँपूँगी, खंजरी
पणिहारीकालबेलियाराज्यव्यापीउत्सवपूँगी, खंजरी
इण्डोणीकालबेलियाराज्यव्यापीउत्सवपूँगी, खंजरी
बागड़ियाकालबेलियाराज्यव्यापीभीख मांगतेचंग
चकरीकालबेलिया, कंजरराज्यव्यापीउत्सव
गवरीभीलमेवाड़सावन-भादोमांदल, थाली
हाथीमनाभीलमेवाड़विवाहतलवार
द्विचक्रीभीलमेवाड़विवाह
घूमराभीलबाँसवाड़ाउत्सव
नेजाभीलसिरोही, पाली, उदयपुर, डूँगरपुरहोली
युद्धभीलउदयपुर, पाली, सिरोही, डूँगरपुरउत्सवतलवार
वालरगरासियासिरोहीउत्सवछाता, तलवार
लूरगरासियासिरोहीमेले, विवाह
कूदगरासियासिरोहीउत्सवतालियाँ
मांदलगरासियाकोटाउत्सव
जवारागरासियासिरोहीहोलिका दहनढोल
मोरियागरासियासिरोहीविवाह
झेलासहरियाबाराँ (शाहबाद)आषाढ़
शिकारीसहरियाबाराँ (किशनगंज, शाहबाद)उत्सव
होलीकथौड़ीराज्यव्यापीहोलीढोलक, पावरी, धोरिया, बाँसली
मावलियाकथौड़ीराज्यव्यापीनवरात्रि
रणबाजामेवमेवातउत्सवतलवार, ढाल, कटार
रतवाईमेवमेवातउत्सवदमामा, टामक
चरीगुर्जरकिशनगढ़, अजमेरशुभ, मंगलबाँकिया, थाली
झूमरगुर्जरराज्यव्यापीउत्सव
मछलीबंजाराराज्यव्यापीउत्सव
डांडियामारवाड़होलीशहनाई, नगाड़ा
गींदड़शेखावाटीहोलीढोल, डफ, चंग, नगाड़ा
चंगशेखावाटीहोलीचंग
ढोलढोली, भीलजालोरविवाहढोल
अग्निजसनाथी (जाट)बीकानेरउत्सव
भवाईउदयपुरव्यावसायिकढोलक
घुड़लाजोधपुरगणगौर
नाहरमांडलगढ़ (भीलवाड़ा)होली
बिंदौरीझालावाड़होली, विवाह
हुरंगाडीग (भरतपुर)होली
मोहिलीप्रतापगढ़उत्सव
डांगनाथद्वाराहोलीढोल, मांदल, थाली
कच्छी घोड़ीशेखावाटीविवाहझाँझ, ढोल, थाली
भैरव (मयूर)ब्यावर, अजमेरहोली
बमभरतपुर, अलवरफाल्गुननगाड़ा, थाली, चिमटा
गैरभीलमेवाड़, बाड़मेरहोलीढाल, बाँकिया, थाली
तेरहतालीकामड़रामदेवजी मेलाउत्सवमंजीरा, तानपुरा, चौतारा
गरबाडूँगरपुर, बाँसवाड़ानवरात्रि
लांगुरियाकरौलीनवरात्रिनफीरी, नौबत
चरकुलाभरतपुरराधा स्मृति
ढपशेखावाटीबसंत पंचमीढप, मंजीरे
पेजणबाँसवाड़ादीपावली

निष्कर्ष: राजस्थान के लोक नृत्यों की थिरकन 🌈

राजस्थान के लोक नृत्य इस धरती की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवंतता को जीवंत करते हैं। 😊 घूमर की लय, कालबेलिया की लचक, गींदड़ की ताल, और भवाई के करतब राजस्थान की आत्मा को दर्शाते हैं। 🌟 पुष्कर मेला, रामदेवजी मेला, और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन इन नृत्यों को विश्व मंच पर ले जाते हैं। 📸

अगर आप राजस्थान की सैर पर जा रहे हैं, तो होली, गणगौर, या नवरात्रि में इन नृत्यों को जरूर देखें। कालबेलिया की थिरकन, घुड़ला का उत्साह, और अग्नि नृत्य का रोमांच आपके अनुभव को यादगार बनाएगा! 🚪


प्रश्न और जवाब (FAQs)

  1. राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य कौन सा है?
    घूमर राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है, जिसे राज्य नृत्य के रूप में जाना जाता है। 💃
  2. कालबेलिया नृत्य की खासियत क्या है?
    यह यूनेस्को की अमूर्त विरासत में शामिल है, और गुलाबो ने इसे विश्व प्रसिद्ध बनाया। 🐍
  3. गींदड़ नृत्य कहाँ प्रचलित है?
    शेखावाटी में, खासकर होली के अवसर पर। 🎉
  4. भवाई नृत्य की विशेषता क्या है?
    सात-आठ मटके, तलवार, और काँच पर नृत्य, जो शारीरिक कला का चमत्कार है। 🎭
  5. किन अवसरों पर लोक नृत्य किए जाते हैं?
    होली, गणगौर, नवरात्रि, दीपावली, और विवाह जैसे अवसरों पर। 🌸

संबंधित खोजें:

  • राजस्थान के लोक नृत्य 2025
  • घूमर नृत्य
  • कालबेलिया नृत्य
  • गींदड़ नृत्य
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