20वीं शताब्दी में राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन सामंती शासन और ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों के खिलाफ जन-चेतना का प्रतीक था। इन आंदोलनों ने उत्तरदायी शासन, नागरिक अधिकार, और संवैधानिक सुधारों की माँग को तेज किया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम और राजस्थान के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद (1927) की स्थापना और कांग्रेस के नैतिक समर्थन (1938, हरिपुरा अधिवेशन) ने इन आंदोलनों को गति दी। नीचे विभिन्न रियासतों में प्रजामण्डल आंदोलनों का विस्तृत विवरण है।
Table of Contents
राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन: पृष्ठभूमि
- परिभाषा: प्रजामण्डल भारतीय रियासतों में जनता के संगठन थे, जो सामंती और औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लोकतांत्रिक सुधारों के लिए संघर्षरत थे।
- उद्देश्य:
- उत्तरदायी शासन की स्थापना।
- स्थानीय लोगों की शासन में भागीदारी।
- मूल नागरिक अधिकार (स्वतंत्रता, शिक्षा, समानता)।
- संवैधानिक शासन की स्थापना।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1927: अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की स्थापना, सक्रिय राजनीति का प्रारंभ।
- 1931: रामनारायण चौधरी द्वारा अजमेर में देशी राज्य लोक परिषद का प्रथम प्रांतीय अधिवेशन।
- 1938: कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन (अध्यक्ष: सुभाषचंद्र बोस) में प्रजामण्डल आंदोलनों को नैतिक समर्थन।
रियासत-वार प्रजामण्डल आंदोलन
1. जयपुर प्रजामण्डल
- स्थापना: 1931, जमनालाल बजाज और कर्पूरचंद पाटनी।
- पुनर्गठन: 1936, अध्यक्ष: चिरंजीलाल मिश्र, महामंत्री: हीरालाल शास्त्री।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1938: प्रथम अधिवेशन (अध्यक्ष: जमनालाल बजाज), उत्तरदायी शासन की माँग।
- 10 मई 1938: कस्तूरबा गांधी ने महिलाओं को संबोधित किया।
- 17 सितंबर 1942: जेंटलमेन एग्रीमेंट (हीरालाल शास्त्री और मिर्जा इस्माइल), भारत छोड़ो आंदोलन में गैर-भागीदारी के बदले उत्तरदायी शासन का वादा।
- 1942: बाबा हरिश्चंद्र ने आजाद मोर्चा गठित, भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया (नेता: रामकरण जोशी, दौलतमल भंडारी, गुलाबचंद कासलीवाल)।
- 1945: आजाद मोर्चा का प्रजामण्डल में विलय (नेहरू के प्रयास)।
- 2 अप्रैल 1940: प्रजामण्डल का पंजीकरण।
- 1944: जानकी देवी बजाज की अध्यक्षता में अधिवेशन, 1 जून 1944 को उत्तरदायी सरकार के लिए एक्ट पारित।
- 1942-43: उत्तरदायी शासन हेतु समिति गठन, धारा सभा चुनाव (प्रजामण्डल: 27 प्रतिनिधि सभा, 3 विधानसभा सीटें)।
- 15 मई 1946: देवी शंकर तिवारी प्रथम गैर-सरकारी मंत्री।
- 28 मार्च 1948: मंत्रिमंडल गठन (दीवान: वी.टी. कृष्णमाचारी, मुख्य सचिव: हीरालाल शास्त्री, सचिव: दौलतमल भंडारी)।
- महिला सहभागिता: रमादेवी देशपांडे, सुमित्रादेवी, सुशीलादेवी, रत्नादेवी।
- विशेष: राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल, जेंटलमेन एग्रीमेंट के कारण भारत छोड़ो आंदोलन में सीमित भागीदारी।
2. जोधपुर (मारवाड़) प्रजामण्डल
- स्थापना: 1934, अध्यक्ष: भंवरलाल सर्राफ, मंत्री: अभयलाल जैन।
- पृष्ठभूमि:
- 1918: चांदमल सुराणा द्वारा मारवाड़ हितकारिणी सभा।
- 1920: जयनारायण व्यास द्वारा मारवाड़ सेवा संघ, मादा पशु निकासी विरोध।
- 1921: तौल आंदोलन।
- 1929: जयनारायण व्यास द्वारा मारवाड़ देशी राज्य लोक परिषद (1931 में प्रथम अधिवेशन, पुष्कर, अध्यक्ष: चांदकरण शारदा)।
- 1931: मारवाड़ यूथ लीग (जयनारायण व्यास)।
- 1938: मारवाड़ लोक परिषद (अध्यक्ष: रणछोड़दास गट्टानी, महासचिव: अभयमल जैन)।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1936: प्रजामण्डल को असंवैधानिक घोषित।
- 1938: सुभाषचंद्र बोस और विजयलक्ष्मी पंडित की जोधपुर यात्रा।
- 1941: बाल भारत सभा (अध्यक्ष: छगनलाल चौपासनीवाला)।
- 1942: भारत छोड़ो आंदोलन, जयनारायण व्यास को सिवाणा किले में कैद, अन्य नेता जालोर किले में।
- 1942-45: चण्डावल किसान आंदोलन।
- 28 मार्च 1942: लोक परिषद द्वारा उत्तरदायी शासन हेतु आंदोलन, जयनारायण व्यास प्रथम डिक्टेटर।
- 13 मार्च 1947: डाबड़ा कांड, जागीरदारों द्वारा कार्यकर्ताओं पर अत्याचार।
- 3 मार्च 1948: जयनारायण व्यास प्रधानमंत्री।
- 30 मार्च 1949: जोधपुर का राजस्थान में विलय।
- समाचार-पत्र: अखण्ड भारत, तरुण राजस्थान, आगी बाण, पीप (जयनारायण व्यास), प्रजा सेवक (अचलेश्वर प्रसाद शर्मा), लोक सुधार (बलदेवराम मिर्धा), रियासती (सुमनेश जोशी, 1945 में पाक साजिश का खुलासा)।
- पुस्तकें:
- जयनारायण व्यास: पोपा बाई की पोल, मारवाड़ की वर्तमान अवस्था।
- गणेशीलाल व्यास: गरीब की आवाज।
- प्रज्ञाचंद्र शर्मा: मारवाड़ में लूट。
- अचलेश्वर प्रसाद शर्मा: जोधपुर एक विराट राज्य है。
- महिला सहभागिता: गौरजा देवी व्यास, महिमा देवी किंकर, सावित्री देवी भाटी, रमा देवी व्यास, दयावती, कृष्णाकुमारी।
- दिवस:
- 1936: कृष्णा दिवस, शिक्षा/शिक्षक दिवस (21 जून)।
- 1941: उत्तरदायी शासन दिवस (28 मार्च)।
- 1942: जोधपुर सत्याग्रह दिवस (26 जुलाई), दमन विरोधी दिवस (25 सितंबर)।
- 1947: विधानसभा विरोधी दिवस (14 नवंबर)।
- विशेष: डाबड़ा कांड, मारवाड़ में समाचार-पत्रों की सक्रियता।
3. बीकानेर प्रजामण्डल
- स्थापना: 4 अक्टूबर 1936, कलकत्ता, मघाराम वैद्य और लक्ष्मण दास स्वामी।
- पुनर्गठन: 1937, लक्ष्मीदेवी आचार्य के घर।
- पृष्ठभूमि:
- 1907: कन्हैयालाल ढूंढ और स्वामी गोपाल दास द्वारा सर्वहितकारिणी सभा, पुत्री पाठशाला, कबीर पाठशाला।
- 1930: स्वामी गोपाल दास और चंदनमल बहड़ द्वारा चूरू में तिरंगा फहराया।
- 1932: बीकानेर दिग्दर्शन पेम्फलेट (अमृतलाल, पी.एल. चूड़ीगर), बीकानेर षड्यंत्र केस।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 22 जुलाई 1942: रघुवर दयाल द्वारा बीकानेर राज्य लोक परिषद।
- 1943: गंगा सिंह की मृत्यु, शार्दुल सिंह गद्दी पर।
- 30 जून 1946: राय सिंह नगर में गोलीबारी, बीरबल सिंह शहीद, बीरबल दिवस (17 जुलाई)।
- 31 अगस्त 1946: उत्तरदायी शासन की घोषणा।
- 30 मार्च 1949: वृहद राजस्थान में विलय, रघुवर दयाल मंत्रिमंडल में।
- पुस्तकें: बीकानेर दिग्दर्शन (चंदनमल बहड़), बीकानेर दशा (प्रजामण्डल, कलकत्ता)।
- महिला सहभागिता: रूकमा देवी, गीता देवी।
- दिवस: दमन विरोधी दिवस (26 अक्टूबर 1944), नेताजी दिवस (23 जनवरी 1946), स्वतंत्रता दिवस (26 जनवरी 1946), किसान दिवस (6 जुलाई 1946)।
- विशेष: कलकत्ता में स्थापना, बीरबल शहादत।
4. मेवाड़ प्रजामण्डल
- स्थापना: 24 अप्रैल 1938, बलवंत सिंह मेहता के घर, अध्यक्ष: बलवंत सिंह मेहता, उपाध्यक्ष: भूरेलाल बयां, महामंत्री: माणिक्यलाल वर्मा।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 11 मई 1938: गैर-कानूनी घोषित, माणिक्यलाल वर्मा निष्कासित, अजमेर से संचालन।
- 4 अक्टूबर 1938: सत्याग्रह, प्रथम सत्याग्रही: रमेशचंद्र व्यास।
- 1939: माणिक्यलाल वर्मा गिरफ्तार, गांधी जी द्वारा हरिजन में भर्त्सना।
- 1941: प्रतिबंध हटा, शाखाएँ स्थापित।
- 25-26 नवंबर 1941: प्रथम अधिवेशन (उदयपुर, अध्यक्ष: माणिक्यलाल वर्मा, उद्घाटन: जे.बी. कृपलानी, विजयलक्ष्मी पंडित)।
- 1942: भारत छोड़ो आंदोलन, उदयपुर, नाथद्वारा, भीलवाड़ा, चित्तौड़ में हड़ताल।
- 1946: अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद का अधिवेशन (उदयपुर, अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरू)।
- 2 मार्च 1947: नया विधान घोषित।
- 18 अप्रैल 1948: राजस्थान में विलय।
- पुस्तक: मेवाड़ का वर्तमान शासन (माणिक्यलाल वर्मा)।
- महिला सहभागिता: नारायणी देवी, भगवती देवी विश्नोई, स्नेहलता, सीतादेवी।
- विशेष: सराडा किला (मेवाड़ का काला पानी), अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन।
5. कोटा (हाड़ौती) प्रजामण्डल
- स्थापना: 1934, नयनूराम शर्मा (हाड़ौती सेवा संघ), 1939 में कोटा राज्य प्रजामण्डल (नयनूराम शर्मा, अभिन्न हरि)।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1918: नयनूराम शर्मा द्वारा प्रजा प्रतिनिधि सभा।
- 1939: प्रथम अधिवेशन (मांगरोल, अध्यक्ष: नयनूराम शर्मा)।
- 1941: स्वतंत्रता दिवस (26 जनवरी), दूसरा अधिवेशन (अभिन्न हरि)।
- 1942: भारत छोड़ो आंदोलन, मोतीलाल जैन द्वारा कोटा नगर प्रशासन पर कब्जा।
- 1946: विधानसभा गठन की घोषणा, 1948 में अभिन्न हरि के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार।
- विशेष: बेगार विरोधी आंदोलन, कोटा में जन-जागृति।
6. बूँदी प्रजामण्डल
- स्थापना: 1931, कांतिलाल।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1922: बरड़ आंदोलन (विजय सिंह पथिक)।
- 1937: प्रजामण्डल गैर-कानूनी, ऋषिदत्त मेहता निर्वासित।
- 1944: बूँदी राज्य लोक परिषद (अध्यक्ष: हरिमोहन माथुर, मंत्री: बृजसुंदर शर्मा)।
- 1945: पुलिस गोलीबारी, कल्याणमल शर्मा शहीद।
- 25 मार्च 1948: राजस्थान संघ में विलय।
- विशेष: बरड़ आंदोलन, पुलिस दमन।
7. अलवर प्रजामण्डल
- स्थापना: 1938, हरिनारायण शर्मा, कुंजबिहारी मोदी, अध्यक्ष: भवानी शंकर शर्मा।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1940: निर्वाचित नगर पालिका परिषद।
- 1941: जागीरमाफी प्रजा सम्मेलन।
- 1944: प्रथम अधिवेशन (अध्यक्ष: भवानी शंकर शर्मा)।
- मार्च 1948: मत्स्य संघ में विलय।
- विशेष: अस्पृश्यता निवारण, आदिवासी संगठन।
8. भरतपुर प्रजामण्डल
- स्थापना: 1938, गोपीलाल यादव, किशनलाल जोशी, मास्टर आदित्येंद्र, अध्यक्ष: गोपीलाल यादव।
- पृष्ठभूमि:
- 1912: जगन्नाथ अधिकारी द्वारा हिंदी साहित्य समिति।
- 1927: हिंदी साहित्य का 17वां अधिवेशन (गौरीशंकर हीराचंद ओझा)।
- 1928: भरतपुर राज्य प्रजा संघ।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1938: पूर्वी राजस्थान सम्मेलन (फतेहपुर सीकरी, अध्यक्ष: एम.एन. राय)।
- 1940: प्रजा परिषद पंजीकरण, राष्ट्रीय सप्ताह (27 अगस्त-2 सितंबर)।
- 1942: ब्रज जया प्रतिनिधि समिति, महिला सत्याग्रह (सरस्वती बोहरा)।
- 1947: संविधान निर्मात्री समिति की घोषणा।
- 18 मार्च 1948: मत्स्य संघ में विलय।
- दिवस: जापान विजय (16-17 अगस्त 1945), प्रजा परिषद दिवस (28 अक्टूबर 1945), इंडोनेशिया दिवस (28 अक्टूबर 1945), भरतपुर दिवस (28 जनवरी 1947), बेगार विरोधी दिवस (5 फरवरी 1947), दमन विरोधी दिवस (11 जुलाई 1945), मुक्ति दिवस (9 अगस्त 1945)।
- विशेष: प्रगतिशील शासक किशनसिंह, ब्रिटिश दबाव।
9. जैसलमेर प्रजामण्डल
- स्थापना: 15 दिसंबर 1945, जोधपुर, मीठालाल व्यास, जयनारायण व्यास, अध्यक्ष: मीठालाल व्यास।
- पृष्ठभूमि:
- 1915: सर्वहितकारिणी वाचनालय।
- सागरमल गोपा: देश के दीवाने, जैसलमेर में गुण्डाराज, रघुनाथ सिंह का मुकदमा।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1939: शिव शंकर गोपाल द्वारा जैसलमेर प्रजा परिषद।
- 1942: सागरमल गोपा को 6 वर्ष की सजा।
- 4 अप्रैल 1946: सागरमल गोपा हत्याकांड, जेल में जलाया गया, गोपाल स्वरूप पाठक जाँच आयोग।
- 30 मार्च 1949: वृहद राजस्थान में विलय।
- विशेष: सागरमल गोपा शहादत, जैसलमेर को “राजस्थान का अंडमान-निकोबार” कहा गया।
10. धौलपुर प्रजामण्डल
- स्थापना: 1936, कृष्णदत्त पालीवाल, ज्वालाप्रसाद जिज्ञासु।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1918: स्वामी श्रद्धानंद द्वारा स्वशासन की माँग।
- 1946: तासीमो गाँव अधिवेशन में गोलीबारी, पंचम सिंह, छतर सिंह शहीद।
- 1947: शंकर राव देव द्वारा अधिवेशन उद्घाटन।
- 4 मार्च 1948: उत्तरदायी शासन, मत्स्य संघ में विलय।
- विशेष: नागरी प्रचारिणी सभा (1934)।
11. करौली प्रजामण्डल
- स्थापना: 1938, त्रिलोकचंद माथुर, चिरंजीलाल शर्मा, कुंवर मदन सिंह।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1927: कुंवर मदन सिंह द्वारा किसान आंदोलन, बेगार विरोध।
- विशेष: बेगार उन्मूलन।
12. शाहपुरा प्रजामण्डल
- स्थापना: 1938, रमेश चंद्र ओझा, लादूराम व्यास, अभय सिंह।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1946: गोकुललाल असावा के नेतृत्व में संविधान निर्मात्री समिति, उत्तरदायी शासन।
- विशेष: प्रथम रियासत में उत्तरदायी शासन।
13. सिरोही प्रजामण्डल
- स्थापना: 1939, गोकुल भाई भट्ट, वृद्धि शंकर त्रिवेदी, बम्बई।
- प्रमुख घटनाएँ:
- मोतीलाल तेजावत द्वारा किसान जागृति।
- 1947: जवाहरमल सिंधी मंत्रिमंडल में शामिल।
- 1 नवंबर 1956: राजस्थान में विलय।
- विशेष: “राजस्थान का गांधी” (गोकुल भाई भट्ट)।
14. किशनगढ़ प्रजामण्डल
- स्थापना: 1939, कांतिलाल चौथाणी, जमान शाह।
- विशेष: सीमित सक्रियता।
15. कुशलगढ़ प्रजामण्डल
- स्थापना: 1942, भंवरलाल निगम, कन्हैयालाल सेठिया।
- विशेष: आदिवासी जागृति।
16. बांसवाड़ा प्रजामण्डल
- स्थापना: 1945, भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी, धूलजी, मोतीलाल जाड, चिमनलाल, सिद्धिशंकर, अध्यक्ष: विनोदचंद्र कोठारी।
- पृष्ठभूमि:
- 1930: चिमनलाल मालोत द्वारा शांत सेवा कुटीर, सर्वोदय पत्रिका।
- संग्राम (भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी, बम्बई)।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1947: उत्तरदायी शासन की माँग।
- 1948: भूपेंद्रनाथ त्रिवेदी के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार, राजस्थान संघ में विलय।
- महिला सहभागिता: विजया बहन भावसागर (महिला मंडल)।
- विशेष: आदिवासी और सामाजिक सुधार।
17. प्रतापगढ़ प्रजामण्डल
- स्थापना: 1945, अमृतलाल पाठक, चुन्नीलाल प्रभाकर।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 15 अगस्त 1947: उत्तरदायी शासन।
- विशेष: स्वतंत्रता के साथ उत्तरदायी शासन।
18. डूंगरपुर प्रजामण्डल
- स्थापना: 1944, भोगीलाल पंड्या, गौरीशंकर उपाध्याय, हरिदेव जोशी, शिवलाल कोटड़िया।
- पृष्ठभूमि:
- गुरु गोविंद गिरि, भोगीलाल पंड्या (“बागड़ का गांधी”)।
- 1919: भोगीलाल द्वारा आदिवासी छात्रावास।
- 1929: गौरीशंकर द्वारा सेवक समाचार पत्र, सेवाश्रम।
- 1935: हरिजन सेवा संघ, खांड्लाई आश्रम (माणिक्यालाल वर्मा), बागड़ सेवा मंदिर।
- 1938: डूंगरपुर सेवा संघ।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1948: गौरीशंकर उपाध्याय के नेतृत्व में लोकप्रिय सरकार।
- रास्तापाल घटना (19 जून 1947): सेंगाभाई के खिलाफ प्रतिरोध, नानाबाई, कालीबाई शहीद, गेंबसागर तालाब में प्रतिमा, कालीबाई पुरस्कार।
- विशेष: आदिवासी शिक्षा, रास्तापाल शहादत।
19. झालावाड़ प्रजामण्डल
- स्थापना: 25 नवंबर 1946, मांगीलाल भव्य, मदनगोपाल, कन्हैयालाल मित्तल, रतनलाल, अध्यक्ष: मांगीलाल भव्य।
- पृष्ठभूमि:
- 1919: श्यामशंकर, अटल बिहारी द्वारा झालावाड़ी सेवा समिति।
- 1921: रामनिवास शर्मा द्वारा सारम समाचार पत्र।
- मित्रमंडल (बाल गोविंद तिवारी)।
- प्रमुख घटनाएँ:
- 1947: राजराना हरिश्चंद्र के नेतृत्व में उत्तरदायी शासन।
- 25 मार्च 1948: राजस्थान संघ में विलय।
- विशेष: राजघराने का समर्थन।
प्रजामण्डल आंदोलनों का प्रभाव
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- दलित उत्थान: हरिजन सेवा संघ, अस्पृश्यता निवारण।
- महिला सहभागिता: महिला सत्याग्रह, शिक्षा, संगठन।
- आदिवासी उत्थान: आदिवासी छात्रावास, सेवा संघ।
- शिक्षा प्रसार: पुत्री पाठशाला, कबीर पाठशाला, खांड्लाई आश्रम।
- बेगार और बलेठ उन्मूलन: किसान आंदोलन, बरड़, बिजोलिया।
- सामाजिक सुधार: खादी, विधवा विवाह, सामाजिक समानता।
- सौहार्द और एकता: विभिन्न समुदायों का संगठन।
राजनीतिक महत्व
- राजनीतिक जागृति: जन-चेतना, लोकतांत्रिक मूल्य।
- उत्तरदायी शासन: शाहपुरा, जयपुर, मेवाड़ में सफलता।
- राष्ट्रीय चेतना: भारत छोड़ो आंदोलन, स्वतंत्रता संग्राम।
- महिला राजनीति: सत्याग्रह, नेतृत्व।
- रचनात्मक कार्य: खादी, शिक्षा, सामाजिक सुधार।
- राजनीतिक एकता: राजस्थान एकीकरण, वृहद राजस्थान (1949)।
निष्कर्ष
प्रजामण्डल आंदोलनों ने राजस्थान की रियासतों में सामंती और औपनिवेशिक शासन के खिलाफ जनता को संगठित किया। जयपुर (प्रथम प्रजामण्डल), मारवाड़ (डाबड़ा कांड), मेवाड़ (अखिल भारतीय स्तर), और बीकानेर (कलकत्ता स्थापना) जैसे आंदोलनों ने उत्तरदायी शासन की नींव रखी। सागरमल गोपा, माणिक्यलाल वर्मा, जयनारायण व्यास, और नयनूराम शर्मा जैसे नेताओं, और महिलाओं की सक्रियता ने आंदोलनों को बल दिया। इनके प्रयासों से राजस्थान का एकीकरण और स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की स्थापना संभव हुई। क्या आप किसी विशिष्ट रियासत या आंदोलन पर और जानकारी चाहेंगे?