विजयनगर साम्राज्य (1336–1649 ई.) दक्षिण भारत का एक प्रमुख हिंदू साम्राज्य था, जिसने अपनी स्थापना से लेकर पतन तक भारतीय इतिहास में सांस्कृतिक, धार्मिक, और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह साम्राज्य अपनी समृद्धि, स्थापत्य कला, साहित्य, और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ विजयनगर साम्राज्य का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत है, जिसमें इसके चार प्रमुख वंशों—संगम, सालुव, तुलुव, और अरविडु—के शासकों, बहमनी साम्राज्य के साथ संघर्ष, और सांस्कृतिक उपलब्धियों का गहन विश्लेषण किया गया है। 🌟
Table of Contents
विजयनगर साम्राज्य का प्रारंभ 🌍
- स्थापना: 1336 ई. में हरिहर और बुक्का ने, जो वारंगल के काकतीय सामंत और बाद में काम्पिली (आधुनिक कर्नाटक) के मंत्री थे, विजयनगर साम्राज्य की नींव डाली। 🏛️
- प्रेरणा: ब्राह्मण साधु और विद्वान माधव विद्यारण्य और उनके भाई सायण (वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार) की प्रेरणा से हरिहर और बुक्का ने मुस्लिम से हिंदू धर्म अपनाकर संगम वंश की स्थापना की। 🙏
- राजधानी: हम्पी (हस्तिनावती), जिसे विजयनगर के नाम से जाना गया। 🏰
- भाषा: तेलुगु (विजयनगर), मराठी (बहमनी साम्राज्य)। 📜
संगम वंश (1336–1485 ई.) 👑
संगम वंश ने विजयनगर साम्राज्य की नींव को मजबूत किया और इसे दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाया।
प्रमुख शासक और उनके योगदान 🌟
हरिहर I (1336–1356 ई.) 🏛️
- स्थापना: 1336 ई. में हम्पी (विजयनगर) की नींव। 🏰
- राजधानी: 1346 ई. में अनुगोड़ी (बुक्का I को संयुक्त राजा बनाया)। 🏛️
- विस्तार:
- होयसल शासक वीर भल्लाल II की मृत्यु के बाद होयसल राज्य को विजयनगर में शामिल किया। ⚔️
- कम्पन के नेतृत्व में मदुरा पर आक्रमण, विजयनगर में शामिल। 🏰
- साहित्य: कम्पन की पत्नी गंगा देवी ने मदुरा विजयम में मदुरा विजय का वर्णन किया। 📖
बुक्का I (1356–1377 ई.) 🛡️
- नीति: साम्राज्यवादी विस्तार।
- विजय: 1377 ई. में मदुरै को विजयनगर में शामिल किया। 🏰
- कूटनीति: 1374 ई. में चीन में दूतमंडल भेजा। 🌐
- उपाधि: वेदमार्ग प्रतिष्ठापक। 🙏
- बहमनी संघर्ष:
- 1367: बहमनी शासक मोहम्मद शाह ने आक्रमण किया, बुक्का I ने पराजित किया। ⚔️
- संधि:
- रायचूर दोआब विजयनगर के अधीन।
- कृष्णा नदी को सीमा रेखा माना गया। 🌊
हरिहर II (1377–1406 ई.) 👑
- विजय:
- बहमनी साम्राज्य से बेलगाँव और गोवा छीने। 🏰
- श्रीलंका पर सफल आक्रमण, राजस्व वसूला (प्रथम शासक)। ⚔️
- उपाधियाँ: महाराजाधिराज, राजपरमेश्वर, राज व्यास, राज वाल्मीकि (विद्वता और संरक्षण के लिए)। 🌟
- बहमनी-वारंगल समझौता: विजयनगर पर विजय के लिए, पर असफल। 😔
देवराय I (1406–1422 ई.) 🛡️
- संघर्ष: बहमनी शासक फिरोजशाह से पराजित। ⚔️
- संधि:
- पुत्री का विवाह फिरोजशाह से।
- बांकापुर क्षेत्र दहेज में।
- 10 लाख हूण, हाथी, रत्नाभूषण जुर्माना। 💸
- उपनाम: सुनार की बेटी का युद्ध। 😔
- निर्माण: तुंगभद्रा और हरिद्रा नदी पर बाँध, 12 मील लंबी नहर। 🌊
- यात्री: निकोलो कोंटी (इटली, 1420 ई.) ने विजयनगर का भ्रमण। 🌍
- दरबारी कवि: श्रीनाथ (तेलुगु)। 📖
देवराय II (1422–1446 ई.) 🌟
- विशेषता: संगम वंश का महानतम शासक, इम्माडी देवराय, गजबेटकर, प्रोढ़ देवराय। 👑
- सैन्य सुधार:
- फरिश्ता के अनुसार, बहमनी सेना की श्रेष्ठता (मजबूत घोड़े, तीरंदाज) का मुकाबला करने हेतु सुधार। 🛡️
- सिंहासन के समक्ष कुरान रखता था (धार्मिक सहिष्णुता)। 🙏
- यात्री: अब्दुल रज्जाक (फारसी, 1442–43 ई.) ने विजयनगर की समृद्धि का वर्णन। 🌍
- साहित्य:
- चामरस: प्रभुलिंगलिला। 📖
- स्वयं: महानाटक सुधानिधि, बादरायण के ब्रह्मसूत्र पर टीका। 📚
- संरक्षण: तेलुगु कवि श्रीनाथ। 🎨
- सुधार: दहेज प्रथा को अवैधानिक घोषित। ⚖️
मल्लिकार्जुन (1446–1465 ई.) 👑
- उपनाम: प्रोढ़ देवराय।
- यात्री: माहुआन (चीनी, 1451 ई.)। 🌍
वीरूपाक्ष II (1465–1485 ई.) 😔
- विद्रोह: चन्द्रगिरी के गवर्नर और उनके पुत्र सालुव नरसिंह ने तख्ता पलट किया (प्रथम बलापहार)। ⚔️
- पतन: संगम वंश का अंत।
सालुव वंश (1486–1505 ई.) 👑
- अवधि: सबसे कम, 20 वर्ष।
- संस्थापक: सालुव नरसिंह।
सालुव नरसिंह (1486–1491 ई.) 🛡️
- स्थापना: प्रोढ़ राय को हराकर सालुव वंश की नींव। 🏰
- संरक्षण: पुत्र तिम्मा और इम्माडी नरसिंह को नरसा नायक के संरक्षण में रखा।
- विजय: नरसा नायक ने रायचूर दोआब को बहमनी कब्जे से मुक्त कराया। ⚔️
- शासन: नरसा नायक ने इम्माडी को अपदस्थ कर स्वयं शासन किया। 👑
इम्माडी नरसिंह (1491–1505 ई.) 😔
- पतन: वीर नरसिंह ने हत्या कर तुलुव वंश स्थापित किया (द्वितीय बलापहार)। ⚔️
तुलुव वंश (1505–1570 ई.) 🌟
तुलुव वंश विजयनगर का स्वर्ण युग था, विशेष रूप से कृष्णदेवराय के शासन में।
वीर नरसिंह (1505–1509 ई.) 👑
- स्थापना: इम्माडी नरसिंह की हत्या, तुलुव वंश की नींव। 🏰
- कूटनीति: पुर्तगाली गवर्नर फ्रांसिस्को द अल्मेडा से समझौता, अच्छी नस्ल के घोड़े खरीदे। 🐎
कृष्णदेवराय (1509–1529 ई.) 🌟
- विशेषता: विजयनगर का महानतम शासक, हिंदू धर्म संरक्षक, वैष्णव अनुयायी। 🙏
- विजय:
- 1509–10 ई.: गुलबर्गा और बीदर पर कब्जा, अधीन शासकों को सत्ता लौटाई। 🏰
- उपाधि: यवन स्थापनाचार्य। 🌟
- कूटनीति: 1510 ई., पुर्तगाली अल्बुकर्क को भटकल में दुर्ग निर्माण की अनुमति। ⚓
- यात्री:
- डोमिंगो पाएस, बारबोसा, नूनिज ने प्रशासन की प्रशंसा की। 🌍
- साहित्य:
- स्वयं: अमुक्तमाल्यद (तेलुगु), जाम्बवती कल्याणम, उषा परिण्य (संस्कृत)। 📖
- अष्टदिग्गज: तेलुगु के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि, जिसमें अल्लासानी पेड्डाना (तेलुगु कविता का पितामह)। 🎨
- उपाधियाँ: आंध्रभोज, आंध्र पितामह, अभिनव भोज। 🌟
- निर्माण: हजारा मंदिर, विट्ठलस्वामी मंदिर, नागलपुर नगर। 🏛️
- राजगुरु: व्यासराज। 🙏
अच्युत देवराय (1529–1542 ई.) 👑
- विजय: बीजापुर के शासक को हराया। ⚔️
- यात्री: नूनिज (पुर्तगाली)। 🌍
- आक्रमण: पुर्तगालियों ने तूतीकोरिन का मोती क्षेत्र पर कब्जा। 😔
- सुधार: महामण्डलेश्वर पद की नियुक्ति। ⚖️
सदाशिवराय (1542–1570 ई.) 😔
- शासन: रामराय की कठपुतली।
- तालीकोटा युद्ध (23 जनवरी 1565):
- स्थान: राक्षसी-तगड़ी गाँव।
- नेतृत्व: अली आदिलशाह (बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा, बीदर की संयुक्त सेना)।
- उपनाम: क्रस्न का युद्ध। ⚔️
- वर्णन: आर. सेवेल (A Forgotten Empire)। 📖
- कारण:
- धार्मिक: हिंदू साम्राज्य के प्रति घृणा। 🙏
- राजनीतिक: विजयनगर की बढ़ती शक्ति का दमन। 🏰
- परिणाम:
- विजयनगर का पतन। 😔
- 6 माह तक लूटपाट, मंदिर-इमारतें नष्ट। 🔥
- वेल्लोर, सिमोगा ने स्वतंत्रता घोषित। 🏰
- रामराय पराजित। ⚔️
- नई राजधानी: पेनुगोंडा (तिरुमल के सहयोग से)। 🏛️
अरविडु वंश (1570–1649 ई.) 👑
- संस्थापक: तिरुमल, 1570 ई., पेनुगोंडा। 🏰
तिरुमल (1570–1582 ई.) 🛡️
- स्थापना: अरविडु वंश की नींव।
रंग II (1582–1586 ई.) 👑
- शासन: तिरुमल का पुत्र।
वेंकट II (1586–1614 ई.) 🌍
- राजधानी: चन्द्रगिरी (विजयनगर की अंतिम राजधानी)। 🏛️
- कूटनीति: स्पेन के राजा फिलिप III से संबंध। 🌐
रंग III 😔
- विशेषता: विजयनगर का अंतिम शासक।
- पतन: 1649 ई., साम्राज्य का पूर्ण अंत। 😔
विजयनगर के प्रमुख वंश और संस्थापक 📋
| वंश | संस्थापक | अवधि |
|---|---|---|
| संगम | हरिहर और बुक्का | 1336–1485 (149 वर्ष) |
| सालुव | सालुव नरसिंह | 1486–1505 (20 वर्ष) |
| तुलुव | वीर नरसिंह | 1505–1570 (65 वर्ष) |
| अरविडु | तिरुमल | 1570–1649 (79 वर्ष) |
प्रशासनिक व्यवस्था: आयंगर-नायंगर ⚖️
- आयंगर-नायंगर:
- सामंती व्यवस्था, जिसमें आयंगर (स्थानीय प्रशासक) और नायंगर (सैन्य प्रमुख) शामिल थे।
- भूमि को नायकों को सौंपा जाता था, जो राजा के प्रति निष्ठा और राजस्व के लिए जिम्मेदार थे। 🌾
- प्रशासन:
- कृष्णदेवराय के समय प्रशासनिक दक्षता चरम पर थी (अमुक्तमाल्यद में वर्णन)।
- सैन्य और नागरिक प्रशासन में संतुलन। 🛡️
सांस्कृतिक और स्थापत्य योगदान 🏛️
- मंदिर:
- हजारा मंदिर, विट्ठलस्वामी मंदिर (कृष्णदेवराय)। 🕍
- नगर:
- नागलपुर (कृष्णदेवराय)।
- चन्द्रगिरी (वेंकट II)। 🏰
- साहित्य:
- मदुरा विजयम (गंगा देवी), अमुक्तमाल्यद (कृष्णदेवराय), प्रभुलिंगलिला (चामरस)। 📖
- अष्टदिग्गज (तेलुगु कवि), अल्लासानी पेड्डाना। 🎨
- धार्मिक सहिष्णुता:
- वैष्णव धर्म का संरक्षण (कृष्णदेवराय)। 🙏
- कुरान का सम्मान (देवराय II)। 📖
विजयनगर और बहमनी संघर्ष ⚔️
- प्रारंभ: 1367 ई. (मोहम्मद शाह vs बुक्का I)।
- कारण:
- रायचूर दोआब: सोने और लोहे की खानें, उपजाऊ क्षेत्र। 💎
- कृष्णा-गोदावरी डेल्टा: व्यापारिक महत्व। 🌾
- प्रमुख युद्ध:
- सुनार की बेटी का युद्ध (देवराय I vs फिरोजशाह)।
- तालीकोटा युद्ध (1565): विजयनगर का पतन। 😔
निष्कर्ष 🙏
विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत का एक स्वर्णिम अध्याय था, जिसने हिंदू धर्म, कला, और साहित्य को संरक्षित किया। संगम वंश ने नींव रखी, तुलुव वंश (विशेष रूप से कृष्णदेवराय) ने इसे चरम पर पहुँचाया, और तालीकोटा युद्ध ने इसके पतन का मार्ग प्रशस्त किया। आयंगर-नायंगर व्यवस्था, समृद्ध स्थापत्य (हजारा मंदिर), और साहित्य (अमुक्तमाल्यद) ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया। यद्यपि साम्राज्य का अंत हुआ, इसकी विरासत हम्पी के खंडहरों और साहित्य में आज भी जीवित है। 🌟


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