संयुक्त राष्ट्र (United Nations)

By LM GYAN

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United Nation

  संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। विश्व स्तर पर इस तरह का अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने का यह दूसरा प्रयास था। इसके पहले प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद युद्ध एवं हिंसा को रोकने के लिये राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना की गई थी लेकिन यह संगठन युद्ध रोकने में सफल नहीं हो सका था। द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका को देखते हुए युद्ध के दौरान ही विश्व के प्रमुख नेताओं ने एक ऐसा संगठन बनाने पर विचार करना शुरू कर दिया था जो भावी पीढ़ी को युद्ध की विभीषिका से बचाए, साथ ही विश्व में शांति भंग करने के प्रयासों को रोक सके। इसे देखते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 51 देशों द्वारा 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। ये देश अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने, राष्ट्रों के बीच मित्रतापूर्ण संबंध विकसित करने, सामाजिक प्रगति, बेहतर जीवन-स्तर की प्राप्ति तथा मानवाधिकारों को प्रोत्साहित करने के प्रति प्रतिबद्ध थे।


संयुक्त राष्ट्र (United Nations)

स्थापना : 24 अक्टूबर, 1945

मुख्यालय : न्यूयॉर्क सिटी

प्रमुख अंग : 6 (संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, न्यासिता परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय)


संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य

(Objectives of United Nations)

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 1 के अनुसार इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं-

• अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना।

• समान अधिकारों और लोगों के आत्मनिर्णय के सिद्धांत के आधार पर देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना।

• अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मानवीय समस्याओं के समाधान के लिये सहयोग करना और मानवाधिकारों एवं बुनियादी स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना।

• इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास कर रहे देशों की गतिविधि में समन्वय स्थापित करने के लिये एक केंद्र के रूप में कार्य करना।

समय के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन उद्देश्यों से जुड़े हुए लक्ष्य भी निर्धारित किये हैं, ये हैं- निरस्त्रीकरण और नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।


संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत

(Principles of the United Nations)

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद-2 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं-

• यह सभी सदस्य देशों की समान संप्रभुता पर स्थापित है।

• सभी सदस्य देश घोषणा में उल्लिखित दायित्वों को पूरा करेंगे।

• वे अपने विवादों के अंतर्राष्ट्रीय समाधान की तलाश करेंगे जो अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा या न्याय को खतरे में न डालें।

• सदस्य देश किसी दूसरे देश के विरुद्ध बल का प्रयोग करने अथवा उसको धमकी देने में संयम बरतेंगे।

• संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे देश जो कि उसके सदस्य नहीं हैं अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिये उसके सिद्धांतों के अनुरूप ही व्यवहार करें।


संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना

(Structure of the United Nations)

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग हैं- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, न्यासिता परिषद् एवं सचिवालय

1. महासभा (General Assembly) : 

संयुक्त राष्ट्र संघ के एक प्रमुख अंग के रूप में महासभा कार्य करती है जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को आपसी विचार-विमर्श करने के लिये महासभा में स्थान दिया जाता है। इस सभा में सभी इच्छुक राष्ट्रों को बिना किसी भेदभाव के सदस्यता दी जाती है। प्रत्येक सदस्य को इसमें अपने 5 प्रतिनिधि भेजने का अधिकार है, किंतु किसी निर्णायक मतदान के अवसर पर उन पाँचों का केवल एक ही मत माना जाता है। इसका अधिवेशन साधारणतः वर्ष में एक बार होता है। इसे घोषणापत्र के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सभी विषयों पर विचार करने का अधिकार है। प्रत्येक राष्ट्र का प्रतिनिधित्व होने के कारण इसे ‘विश्व की लघु संसद’ की संज्ञा दी गई है।

2. सुरक्षा परिषद (Security Council) : 

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे महत्त्वपूर्ण संगठन है। सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। इस परिषद को अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का पहरेदार माना जाता है। जब भी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाके सामने शांति भंग होने का संकट खड़ा होता है, उससे संबंधित विषय को यहीं लाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस तथा चीन इसके पाँच स्थायी सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का चुनाव महासभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से 2 वर्षों के लिये होता है। किसी भी वाद-विवाद के अंतिम निर्णय के लिये पाँच स्थायी सदस्यों की सर्वसम्मति अनिवार्य है। यदि कोई भी स्थायी सदस्य किसी विषय पर निर्णय लेने के समय नकारात्मक मत देता है, तो वह निर्णय रद्द हो जाता है। इस विशेषाधिकार को वीटो शक्ति (Veto Power) कहते हैं।

3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council) :

 यह परिषद आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं की उचित एवं प्रभावपूर्ण कार्यवाही द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्राप्त करने के लिये प्रयासरत है। इसकी स्थापना वर्ष 1945 में ही हुई और वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 54 है। एक-तिहाई सदस्य प्रति वर्ष पदमुक्त हो जाते हैं। यह परिषद गरीबों, घायलों और अशिक्षितों की सहायता करती है। इस संस्था द्वारा शरणार्थियों, राज्यविहीन व्यक्तियों, मज़दूरों के अधिकारों, दासता तथा बेगार जैसी सामाजिक समस्याओं पर निरंतर विचार-विमर्श होता है।

4. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) : 

यह संयुक्त राष्ट्र संघ का न्याय संबंधी अभिकरण है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अंतर्गत हुई है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के क्षेत्र से संबंधित सभी मामले, जैसे- अंतर्राष्ट्रीय संधि की व्याख्या करना, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के उल्लंघन को रोकना आदि न्यायालय का अधिकार क्षेत्र समझा जाता है। दलवीर भंडारी (भारतीय) को पुन: 2017 में (2018-2027 के लिये) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का जज चुना गया है।

5. न्यासिता परिषद (Trusteeship Council) : 

यह परिषद संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यासी क्षेत्रों का प्रशासन सँभालती है। वर्ष 1994 में दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र के पलाऊ देश के स्वतंत्र होने के साथ परिषद ने अपना कामकाज स्थगित कर दिया था। सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों वाली इस परिषद के सदस्यों ने वर्ष 1994 में तय किया कि आवश्यकता पड़ने पर वे बैठक किया करेंगे। उपनिवेशों की समाप्ति के साथ ही इसकी प्रासंगिकता समाप्त हो गई।

6. सचिवालय (Secretariat) : 

संयुक्त राष्ट्र के दिन-प्रतिदिन का कामकाज सचिवालय सँभालता है। इसका प्रमुख कार्य संघ की नीतियों और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करवाना भी होता है।


संयुक्त राष्ट्र की अन्य महत्त्वपूर्ण संस्थाएँ

(Other Important Agencies of UN)

संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट अभिकरण ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन हैं जो समझौते के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने कार्यों को समन्वित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित तथा इसे रिपोर्ट करने वाले संयुक्त राष्ट्र कोष एवं कार्यक्रमों के विपरीत, विशेष अभिकरण कानूनी

रूप से संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र होते हैं तथा उनके अपने अलग बजट, सदस्य, नियम और कार्मिक होते हैं। इनके बजट का बड़ा हिस्सा सरकारों, संस्थानों और व्यक्तियों से स्वैच्छिक योगदान के द्वारा प्राप्त होता है। कुछ विशेष अभिकरणों का अस्तित्व संयुक्त राष्ट्र से भी पुराना है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 15 विशिष्ट अभिकरण हैं-

1. खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)

2. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)

3. कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय निधि (IFAD)

4. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

5. अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)

6. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

7. अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)

8. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)

9. संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)

10. यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU)

11. विश्व बैंक (World Bank)

12. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

13. विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

14. विश्व मौसम संगठन (WMO)

15. विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO)

LM GYAN

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