नवगठित जिले सांचौर की सीमा सिरोही से लगती है । सिरोही की सीमा अब 4 जिलों- जालोर, पाली, उदयपूर सांचोर से लगती है। गुजरात से अंतराज्यीय सीमा लगती है।
- नेशनल हाइव 27, 62 व 168 गुजरते हैं।
- प्रमुख नदियां – जवाई, पश्चिमी बनास।
- सिरोही का प्राचीन नाम शिवपुरी । सिरोही पर सर्वप्रथम परमार शासकों का शासन था। परमारों की राजधानी चंद्रावती थी।
- वर्ष 1950 में सिरोही का विभाजन करके देलवाड़ा व आबूरोड को गुजरात में मिलाया गया, लेकिन एकीकरण के 7वें चरण में नवम्बर 1956 को फजल अली आयोग की सिफारिश के आधार पर देलवाड़ा व आबूरोड को वापस राजस्थान में शामिल कर लिया गया।
- उपनाम- चन्द्रावती, अर्युदांचल, शिवपुरी (प्राचीन नाम) सिरोही जिले का शुभंकर- जंगली मुर्गा
- राजस्थान में सर्वाधिक ऊँचाई वाले पर्वत, पठार सिरोही जिले में स्थित हैं।
- यह सर्वाधिक गरासिया जनजाति वाला जिला है।
- लुम्बा चौहान- सिरोही के देवड़ चौहान वंश के संस्थापक। इन्होंने । 3 11ई. में देवड़ा चौहान वंश की स्थापना की।
- सहसमल चौहान- 425 ई. में इन्होंने सिरोही नगर की स्थापना की।
- शिवसिंह देवड़ा- 11 सितंबर 1 823 ई. को इन्होंने अंग्रेजों के साथ सहायक संधि की। सहायक संधि करने वाली राजस्थान की यह अंतिम रियासत थी।
- अग्निकुंड का सिद्धांत- राजपूतों की उत्पति का प्रमुख सिद्धांत माना जाता है । इस सिद्धांत के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने माउंट आबू नामक स्थान पर यज्ञ किया, जिसमें क्मशः प्रतिहार, परमार, चालुक्य (सौलंकी), चाहमान राजपूत योद्धाओं की उत्पत्ति हुई।
- सम्प सभा- 1883 में गोविंद गुरु के नेतृत्व में सिरोही में इसकी स्थापना।
- सिरोही प्रजामंडल- गोकुलभाई भट्ट द्वारा इसकी 1939 में स्थापना की गई।
- डॉ, गौरीशंकर हीराचंद ओझा- इन्हें राजस्थान का ग्रिबन कहते हैं। प्रमुख ग्रंथ- प्राचीन भारतीय लिपिमाला, सोलंकियों का इतिहास, सिरोही का इतिहास एवं मारवाड़ का इतिहास। इन्होंने ‘एनाल्स एंड एंटीक्वीटिज ऑफ राजस्थान का हिन्दी अनुवाद किया।
- गोकुल भाई भट्ट- हाथल गांव में जन्मे भट्ट को राजस्थान का गांधी कहा जाता है। इन्हीं के प्रयासों से आबू-देलवाड़ा का राजस्थान में विलय हुआ । इन्होंने नशामुक्ति आंदोलन चलाया था।
- दिलवाड़ा जैन मंदिर- 11वीं-13वीं सदी के मंदिर, इनका निर्माण विमलशाह द्वारा 1031 ई. में करवाया गया। यह आदिनाथ जैन का मंदिर है। इसका शिल्पी कीर्तिंधर था। कर्नल टॉड ने कहा था कि- देश में ताजमहल के बाद दूसरी सर्वश्रेष्ठ यह है । ‘ दूसरा प्रसिद्ध मंदिर नेमिनाथ भगवान का है जिसका निर्माण गुजरात के वास्तुपाल व तेजपाल ने करवाया। इसका शिल्पी शोभन देव था।
- कुआंरी कन्या का मंदिर (माउंट आबू)- इसे रसिया बालम मंदिर भी कहते हैं।
- अर्बुदा माता का मंदिर (माउंट आबू)- इसे राजस्थान की वैष्णो देवी भी कहते हैं।
- अचलगढ़ दुर्ग- माउंट आबू में स्थित इस दुर्ग का निर्माण नौंवी शताब्दी में परमार राजाओं द्वारा करवाया गया था। महाराणा कुंभा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। मुहम्मद बेगड़ा के आक्रमण के समय मधुमक्खियों द्वारा दुश्मन की सेना पर आक्रमण की दंत कथाएं प्रचलित हैं। इसे भंवरा थल भी कहते हैं।
- नक्की झील- किवंदति के अनुसार देवताओं के नाखूनों से खोदी गई झील, इसमें टॉड रॉक व नन रॉक स्थित है।
- सारणेश्वर पशु मेला- सारणेश्वर महादेव जी के मंदिर में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से दशमी तंक भरने वाले इस पशु मेले में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मंध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तरप्रदेश के पशु व्यापारी भाग लेते हैं।
- ढोला मारू गीत- सिरोही का प्रसिद्ध गीत है ।
- वालर नृत्य सिरोही में गरासिया जाति का प्रसिद्ध नृत्य।
- गौतमेश्वर बाबा का मेला (सिरोही): पोशालिया नंदी के किनारे स्थित।
- ग्रीष्म महोत्सव- माउंट आबू में जून माह में आयोजित।
- शरद महोत्सव- माउंट आबू में जनवरी माह में आयोजित।
- सिरोही पश्चिमी राजस्थान का एकमात्र जिला है जो मरूस्थलीय जिलों में शामिल नहीं है।
- गुरुशिखर- माउंट आबू में स्थित । अरावली पर्वतमाला की 1722 मीटर ऊंची चोटी जो राज्य की सबसे ऊंची चोटी है। यह हिमालय से विंध्याचल के बीच सबसे ऊंची चोटी है। कर्नल टॉड ने इसे ‘संतों का शिखर’ कहा है।
- सेर- 1597 मीटर ऊंची दूसरी सबसे ऊंची चोटी।
- माउंट आबू- अर्बुद प्रदेश, राजस्थान का शिमला, राज्य का सबसे आर्द्र स्थान, राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान।
- चौमुखा पाश््वनाथ मंदिर (सिरोही)- इसे “सिलावटों का मंदिर” भी कहा जाता है।
- श्री विजय वैंकटेश्वर तिरुपति बालाजी धाम- यह राज्य का पहला तिरुपति बालाजी का मंदिर है, जिन्हें माउंट आबू, सिरोही में बनाया गया है
- भीमाशाह/पित्तलहार मंदिर- निर्माण: भीमाशाह द्वारा। इस मंदिर में 108 मण की पीतल की प्रतिमा लगी हुई है। यह मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है।
- महावीर स्वामी का मन्दिर – यह देलवाड़ा के अन्य मन्दिरों की तुलना में सबसे छोटा मंदिर है ।
- सूर्य मंदिर- वरमाण, सिरोही यह मंदिर मुलतः 8वीं सदी का माना जाता है। यह मंदिर राज्य सरकार द्वारा संरक्षित है।
- बसन्तगढ़ दुर्ग, सिरोही- निर्माण: मेवाड़ महाराणा कुम्भा द्वारा ।
- केसर निवास महल, सिरोही- निर्माण: महारावल केसरीसिंह द्वारा
- स्वरूप निवास महल, सिरोही – निर्माण: महाराजा स्वरूपसिंह द्वारा।
- माउंट आबू, सिरोही- उपनामः राजस्थान का शिमला,
- राजस्थान का चेरापूँजी । यह राज्य का सबसे ठंडा स्थान है और राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है। राजस्थान की पहली नगरपालिका माउन्ट-आबू थी, जिन्हें 1864 ई. में बनाया गया था।
- ग्रीष्म महोत्सव- माउंट-आबू में (मई-जून माह में)
- शरद महोत्सव- माउंट-अआबू में (दिसम्बर-जनवरी में)
- सियावा का गौर मेला, मार्कंडेश्वर मेला- सिरोही में आयोजित।
- भर्तृहरि की गुफा, भॅँवराथल- यह अचलगढ़ दुर्ग, मांउट आबू (सिरोही) में स्थित है।
- सर्वाधिक सौंफ का उत्पादन सिरोही जिले में होता है।
- सर्वाधिक चीकू का उत्पादन सिरोही जिले में होता है।
- सिरोही जिला तलवारों हेतु प्रसिद्ध जिला है।
- सिरोही चौहान वंश का अंतिम शासक अभयसिंह देवड़ा था।
- अवरक्त वैधशाला- यह राज्य के माउंट आबू, सिरोही में स्थित है । यहाँ पर आकाशीय पिंडों के अध्ययन के लिए 1.2 मीटर इन्फ्रारेड टेलीस्कोप स्थित है ।
- आबू का पठार- सिरोही में उड़िया का पठार के दक्षिण में स्थित राजस्थान का दूसरा सबसे ऊँचा पठार है। (1295 मीटर ऊँचाई)
- उड़िया का पठार- यह सिरोही में स्थित राजस्थान का सबसे ऊँचा पठार है । (1 360 मीटर ऊँचाई)
- सिरोही जिले में दक्षिणी अरावली की प्रमुख चोटियाँ-
- गुरूशिखर-1722 भीटर (अरावली की सबसे ऊँची चोटी)
- सेर – 1597 मीटर
- देलवाड़ा -1442 मीटर
- अचलगड़ – 1380 मीटर
- ऋषिकेश- 1017 भीटर
- राजस्थान में अरावली की सर्वाधिक ऊँची चोटियाँ और अरावली की सर्वाधिक ऊँचाई सिरोही जिले में है ।
- राजस्थान का सबसे ऊँचा शहर माउट आबू तथा सबसे
- ऊँची मीठे पानी की नक्की झील ‘उड़ियां के पठार’ पर स्थित है।
- भाकर- पूर्वी सिरोही में स्थित तीव्र ढाल पाली पहाड़ियाँ ‘भाकर” कहलाती हैं।
- मानगाँव की पहाड़ियाँ सिरोही जिले में स्थित हैं।
- माउण्ट आबू अभयारण्य- स्थापना: 1960 में । यह जंगली मुगों के लिए प्रसिद्ध है । यहाँ राजस्थान का प्रथम इको सेंसेटिव जोन, वर्ष 2009 में घोषित किया गया।
- सिरोही के वाल्दा में राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास निगम द्वारा टंगस्टन का खनन किया जा रहा है।
- पश्चिमी बनास नदी – उद्गमः नया सानवरा, सिरोही से। इस नदी पर सिरोही जिले में पश्चिमी बनास परियोजना निर्मित है।
- बसंतगढ़ अंभिलेख ( 625 ई.), सिरोही – यह अभिलेख राजा वर्मलात के समय का है, जो बसंतगढ़ (सिरोही) से प्राप्त हुआ है। दधिमति माता अभिलेख के बाद यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे प्राचीन अभिलेख है।
- आबू अचलेश्वर का अभिलेख (1285 ई.)- यह अभिलेख संस्कृत भाषा में अचलेश्वर मंदिर के पास दीवार पर उत्कीर्ण है। रचयिता- शुभचंद्र , उत्कीर्णकर्ता- कर्मसिंह
- चन्द्रावती पुरातात्त्विक स्थल – सिरोही