कोटा संभाग के अन्तर्गत 4 जिले आते हैं- कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़।
कोटा संभाग राजस्थान में सर्वाधिक नदियों वाला संभाग, सर्वाधिक वर्षा वाला संभाग, सर्वाधिक आर्द्रता वाला संभाग।
कोटा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में अवस्थित है।
कोटा जिले का शुभंकर- उदबिलाव
कोटा जिला चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
कोटा शहर राजस्थान का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। (प्रथम- जयपुर, द्वितीय- जोधपुर)
सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला एवं सर्वाधिक महिला साक्षरता- कोटा।
माधोसिंह प्रथम कोटा राज्य के संस्थापक थे।
भील शासक कोटिया के नाम पर इस स्थान का नाम कोटाह (कोटा) रखा गया।
उम्मेदसिंह द्वितीय : इन्हें कोटा का शाहजहां कहते हैं।
इनको आधुनिक कोटा का निर्माता कहा जाता है।
कोटा प्रजामंडल : 1939 में कोटा प्रजामंडल की स्थापना हुई। इसके संस्थापक पंडित नयनूराम शर्मा थे। पं. नयनूराम शर्मा को हाड़ोती क्षेत्र में जनजागृति का जनक कहते हैं।
मुकुंद सिंह हाड़ा : कोटा में अबली मीणी का महल बनाया था। इस महल को कोटा का ताजमहल, हाड़ोती का ताजमहल कहते हैं।
राजस्थान के कानपुर के नाम से विख्यात औद्योगिक नगरी कोटा राजस्थान का प्रमुख औद्योगिक स्थल है।
चम्बल उद्यान- कोटा में चम्बल नदी के तट पर विकसित यह उद्यान प्राकृतिक एवं मौलिक रूप में विकसित किया गया है।
उत्तरी भारत का प्रथम सर्प उद्यान कोटा में अवस्थित है।
दर्रा अभयारण्य – हाल ही में इस अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान परियोजना के अन्तर्गत शामिल करने की घोषणा की गई है। इसका वर्तमान में नाम मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क रखा गया है। इसी अभयारण्य के तिपटिया नामक स्थान पर प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र प्राप्त हुए हैं।
कोटा खुला विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तित कर वर्द्धमान महावीर विश्वविद्यालय कर दिया गया है। कोटा खुला विश्वविद्यालय की स्थापना 1987 में हुई थी।
हाड़ौती यातायात प्रशिक्षण पार्क- राजस्थान का प्रथम यह पार्क किशोरों को यातायात के महत्त्वपूर्ण नियमों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण दीर्घा के रूप में विकसित किया गया है।
दशहरा – विजय पर्व के रूप में मनाया जाने वाला कोटा का दशहरा देश में तीसरे स्थान पर है।
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य कोटा में सर्वाधिक तथा बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली एवं धौलपुर जिलों में विस्तृत है। यह राज्य का एकमात्र नदीय अभयारण्य है। इस अभयारण्य को घड़ियालों का संसार कहते हैं।
रानपुर: यहां राज्य का प्रथम एग्रो फूड पार्क स्थापित किया गया है।
कोटा रियासत ने सर्वप्रथम दास प्रथा पर 1832 ई. में रोक लगाई थी।
कंसुआ का शिव मंदिर: यह 8वीं शताब्दी में निर्मित है। यहाँ आठवीं शताब्दी की कुटिल लिपि में शिवगण मौर्य का शिलालेख है।
चारचौमा का शिवालय: यह प्राचीन शिव मंदिर है।
गेपरनाथ महादेव मंदिर: यह मंदिर मुकुन्दरा हिल्स की पहाड़ियों में स्थित है।
गरडिया महादेव मंदिर (कोटा) : यह चम्बल नदी के किनारे कोटा जिले में स्थित है।
विभीषण मंदिर: यह मंदिर कैथून-कोटा में स्थित है। यह भारत का एक मात्र विभीषण मंदिर है।
भीम चौरी: यह गुप्तकालीन शिव मंदिर है, जो दर्रा-मुकुन्दरा के मध्य स्थित है।
बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर :- कोटा के दींगोद तहसील में यह पंचायतन शैली का प्राचीनतम सूर्य मंदिर है।
गोदावरी धाम यहाँ भगवान हनुमानजी का मंदिर है। यह चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
जगमंदिर महल :- यह कोटा के किशोरसागर तालाब के बीच स्थित है। निर्माण- महाराव दुर्जनशाल सिंह हाड़ा की रानी ब्रजकँवर ने 1739 ई. में निर्मित करवाया था।
अभेड़ा महल:- यह चम्बल नदी के किनारे स्थित है।
अबली मीणी का महल मुकुन्दरा गाँव, रामगंज मंडी तहसील (कोटा) ।
छत्र विलास उद्यान :- निर्माण महाराजा छत्रसाल द्वारा।
क्षार बाग :- यह छत्र विलास उद्यान के पास स्थित है, यहाँ कोटा नरेशों की कलात्मक छतरियाँ (श्मशान) हैं।
अहिंसा वाटिका : वर्ष 1993 में निर्मित यह वाटिका सर्वधर्म समभाव का संदेश प्रसारित करती है। इस पार्क में एकता सूर्यस्तम्भ स्थापित किया गया है।
चम्बल उद्यान :- चम्बल नदी के किनारे रावतभाटा मार्ग पर 1972-1976 की अवधि में चम्बल उद्यान बनाया गया। यह चट्टानी भूमि पर विकसित किया गया है।
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क (कोटा) : स्थापना वर्ष 1995 में की गई। यह पार्क जलीय जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
नोट- अभेड़ा चिड़ियाघर की स्थापना वर्ष 1905 में कोटा में की गई थी।
अभेड़ा तालाब : कोटा जिले में आलणिया सिंचाई परियोजना, सावन-भादो परियोजना, हरिश्चन्द्र परियोजना, तकली परियोजना संचालित हैं।
राजस्थान में दूसरे स्पाइस पार्क की स्थापना रामगंजमंडी (कोटा) में की गई है।
कोटा दुनिया का दूसरा ट्रेफिक लाईट मुक्त शहर बन गया है।
राज्य की प्रथम लोक अदालत का आयोजन कोटा में किया गया।
अमरूद, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस- देवड़ावास (कोटा)
नीबूं, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-नांता (कोटा)
राज्य की चम्बल नदी पर 800 करोड़ की लागत से कोटा जिले में रिवर फ्रंट का निर्माण किया जा रहा है।
नौकायन अकादमी- कोटा ।
बालिका फुटबॉल अकादमी- कोटा ।
राज्य का प्रथम टेलिमेडिसिन सेन्टर- कैथून (कोटा)
भारत का पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन का राजस्थान में प्रथम टर्मिनल पॉइन्ट कोटा में है।
ब्लैक पॉटरी- कोटा जिले की प्रसिद्ध है।
राज्य का पहला मिल्क पाउडर कारखाना कोटा में है।
मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान : यह राष्ट्रीय उद्यान कोटा और झालावाड़ में फैला हुआ है।
उम्मेदगंज कन्जर्वेशन, कोटा- 2012
कैथून (कोटा) में नवम्बर 2005 में निजी क्षेत्र की प्रथम कृषि मंडी ‘श्री हनुमान कृषि उपज परिसर’ के नाम से ऑस्ट्रेलिया की AWB कम्पनी की सहायता से स्थापित की गई
राजस्थान में दशहरा मेला कोटा का प्रसिद्ध है।
कोटा डोरिया (हस्तशिल्प-कला) को G.I. टैग दिया गया है।
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (कोटा) : स्थापना- वर्ष 1975 में। यह राजस्थान का पहला खुला विश्वविद्यालय
कोटा में पहला बोन बैंक खोला गया है।
कोटा में बोरखेड़ा में सोयाबीन शोध संस्थान खोला गया है।
मसूरिया या कोटा डोरिया साड़ियों के लिए कैथून कोटा प्रसिद्ध है।
राज्य की धनिया मण्डी-रामगंज मण्डी (कोटा) में स्थित है।
विश्व प्रसिद्ध कोटा स्टोन के लिए रामगंज मण्डी (कोटा) प्रसिद्ध है।
कोकानी व कणसवा सभ्यता- कोटा
बड़वा यूप (स्तम्भ) अभिलेख : यह बड़वा (कोटा) में स्तम्भ पर उत्कीर्ण मौखरी वंश के शासकों का सबसे प्राचीन अभिलेख है।
कणसवा का अभिलेख : यह कोटा के निकट कणसवा गाँव में उत्कीर्ण है, जो 738 ई. का है, जिसमें मौर्य वंश के राजा धवल का उल्लेख मिलता है।
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय:- कोटा
राज्य में सर्वाधिक ज्वार, अलसी, सोयाबीन तथा मसालों का उत्पादन कोटा जिले में होता है।
कोटा दुर्ग : यह चम्बल नदी के किनारे स्थित है। 1857 ई. के विद्रोह के समय यह दुर्ग क्रांतिकारियों का प्रमुख केन्द्र रहा था। झाला हवेली इस दुर्ग में स्थित है। गुलाब महल कोटा दुर्ग में इस महल का निर्माण राव जैतसिंह ने करवाया था।
जगमोहन महल- निर्माण- राजकुमार ब्रजकुमार द्वारा ।
रावठा महल- यह महल दर्रा वन्य जीव अभयारण्य में स्थित है।
तिपटिया (कोटा)- यहाँ से 37 हजार साल पुराने शैल चित्रों की प्राप्ति हुई है।
कोटा चित्रशैली का स्वर्णकाल- महाराजा उम्मेदसिंह का समय ।
झाला जालिमसिंह की हवेली : निर्माण झाला जालिम सिंह द्वारा। यह हवेली आखेट चित्रों हेतु प्रसिद्ध है।
बड़े देवता की हवेली- कोटा
भदाणा माता मंदिर (कोटा के हाड़ा राजवंश की कुलदेवी), शिवमठ मंदिर, त्रिकाल चौबीसी मंदिर आदि कोटा में स्थित है।
सेवन वंडर्स पार्क : यह किशोरसागर के किनारे स्थित है। यह स्थान फिल्म शूटिंग तथा सैल्फी पॉइंट के रूप में विख्यात है।
ओम बिड़ला : यह राजस्थान मूल के लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले प्रथम व्यक्ति हैं। इनका संबंध कोटा जिले से है।
नगेंद्र बाला : राज्य की प्रथम महिला जिला प्रमुख । इनका संबंध कोटा जिले से है।
जवाहर सागर बाँध/कोटा बाँध : यह बाँध बोरा बास गाँव (कोटा) में स्थित हैं।
कोटा बैराज बाँध : यह बाँध कैचमेंट एरिया के आधार पर सबसे बड़ा बाँध है। इस बाँध से केवल सिंचाई की जाती है।
कोटा जिले में प्रवाहित होने वाली नदियाँ- चम्बल, कालीसिंध, पार्वती, परवन, आहू, निवाज आदि नदियाँ।
On this website, you will find important subjects about India GK, World GK, and Rajasthan GK that are necessary in all competitive examinations. We also provide test series and courses via our app.