डीग जिला बनने के बाद अब भरतपुर में 7 उपखण्ड ( भरतपुर , नदबई , उच्चैन , बयाना , वैर , रूपवास , भुसावर ) व 8 तहसीलें उच्चैन , ( भरतपुर , बयाना , वैर , भुसावर , रूपवास , रूदावल , नदबई ) रह गयी हैं ।
भरतपुर जिले की अब 5 जिलों- डीग , अलवर , दौसा , करौली तथा धौलपुर जिले के साथ सीमा लगती है , वहीं उत्तर प्रदेश के साथ अन्तर्राज्यीय सीमा लगती है ।
41 साल में भरतपुर जिले का दूसरी बार विभाजन हुआ है । 15 अप्रैल , 1982 को भरतपुर से अलग होकर धौलपुर जिला बना था ।
यह सबसे कम लिंगानुपात वाला संभाग है ।
यह तीन राज्यों से सीमा बनाने वाला संभाग है । ( हरियाणा , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश ) यह राज्य का सातवां संभाग है ।
उपनाम – राजस्थान का पूर्वी प्रवेश द्वार ।
N.C.R. में अलवर के बाद शामिल होने वाला दूसरा जिला भरतपुर है , जो 2013 में शामिल किया गया ।
भरतपुर जिले का शुभंकर- सारस
भरतपुर राजस्थान का पूर्वी मैदानी भाग के अन्तर्गत आता है ।
दशरथ पुत्र भरत के नाम पर भरतपुर जिले का नामकरण हुआ । भरतपुर का जाट राजवंश लक्ष्मण का वंशज माना जाता है ।
गोकुला – भरतपुर जाट राजवंश का आदिपुरुष ।
चूड़ामन ( 1688-1722 ) – भरतपुर जाट राजवंश के संस्थापक माने जाते हैं । दिल्ली के बादशाह फर्रुखशियर ने चूड़ामन को राय बहादुर का खिताब दिया ।
बदनसिंह ( 1722-1756 ) – जाट साम्राज्य के वास्तविक संस्थापक । बदनसिंह ने 1733 में भरतपुर रियासत का गठन किया । बदनसिंह ने डीग में जलमहलों का निर्माण करवाया ।
महाराजा सूरजमल ( 1756-1763 ) – इन्हें जाटों का प्लेटो तथा अफलातून कहा जाता है । सूरजमल एकमात्र ऐसे राजा थे जो दोनों हाथों से तलवार और तीर चलाना जानते थे । डीग में कृष्णविलास महल का निर्माण करवाया ।
महाराजा जवाहरसिंह- सूरजमल के पुत्र जवाहरसिंह ने 1765 ई . में दिल्ली विजय कर दिल्ली विजय की स्मृति में जवाहर बुर्ज का निर्माण करवाया ।
भरतपुर प्रजामंडल- 1938 में इसकी स्थापना हुई । गोपीलाल यादव इसके संस्थापक थे ।
मार्च 1948 को भरतपुर अलवर , धौलपुर और करौली . रियासतों के साथ मिलकर मत्स्य राज्य बन गया जो 1949 में संयुक्त वृहत् राजस्थान में इसका विलय हुआ तथा एक पृथक् जिला बना ।
जगन्नाथ पहाड़िया- राजस्थान के प्रथम अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री बने ।
गोकुल वर्मा- शेर – ए – भरतपुर ।
बयाना- गुप्तकालीन सिक्कों का सबसे बड़ा भंडार यहां मिला ।
बयाना का युद्ध- 16 फरवरी 1527 को राणा सांगा व बाबर के मध्य लड़ा गया । राणा सांगा विजयी हुए ।
खानवा का युद्ध , रूपावास- 17 मार्च 1527 को राणा सांगा व बाबर के मध्य , जिसमें बाबर की विजय हुई । इस युद्ध को राजस्थान के इतिहास का निर्णायक युद्ध माना जाता है ।
बम नृत्य- यह भरतपुर का प्रसिद्ध नृत्य है । फाल्गुन माह में बमरसिया गानों के साथ किया जाता है ।
मोती झील- इसे भरतपुर की जीवनरेखा कहते हैं । इस झील में गंभीर तथा बाणगंगा नदियों का पानी समाहित होता है ।
अजान बांध- गंभीर नदी पर बना यह बांध केवलादेव पक्षी अभयारण्य को पानी की आपूर्ति करता है ।
बंध बारैठा बांध- कुकुन्द नदी पर स्थित भरतपुर की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना |
राष्ट्रीय केवलादेव उद्यान- राष्ट्रीय उद्यान केवलादेव भरतपुर पक्षी विहार के नाम से भी प्रसिद्ध है । यहाँ शीतकाल में यूरोप , अफगानिस्तान , चीन , मंगोलिया तथा रूस आदि देशों से पक्षी आते हैं । 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया व अब यह विश्व धरोहर सूची में शामिल है ।
लौहागढ़ दुर्ग- अपनी विशिष्ट स्थापत्य शैली तथा अजेयता के कारण प्रसिद्ध । सन् 1733 में जाट राजा सूरजमल द्वारा निर्मित है ।
जवाहर बुर्ज ( भरतपुर ) – महाराजा जवाहरसिंह द्वारा निर्मित ।
बजरंग पशु मेला- भरतपुर ।
जसवन्त पशु मेला- भरतपुर ।
बसन्ती पशु मेला- रूपवास , भरतपुर ।
गंगा मंदिर- इस मंदिर का निर्माण प्रारंभ- महाराजा बलवंत सिंह के द्वारा 1846 ई . में करवाया गया ।
उषा मंदिर / उषा मस्जिद- निर्माणः कन्नौज के महाराजा महिपाल की रानी चित्ररेखा ने सन् 956 में बयाना में उषा मंदिर का निर्माण करवाया था । इस मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे तुड़वाकर उषा मस्जिद का रूप दे दिया ।
लक्ष्मण मंदिर ( भरतपुर ) – निर्माण : महाराजा बलदेव सिंह ने प्रारंभ किया तथा महाराजा बलवंत सिंह ने पूर्ण करवाया ।
बयाना दुर्ग ( भरतपुर ) – निर्माण : यादव राजवंश के महाराजा विजयपाल के द्वारा दमदमा पहाड़ी पर लगभग 1040 ई . में ।
नौलखा बाग , वैर का किला , ऊँटाला का किला आदि वैर . भरतपुर में स्थित हैं ।
राजेश्वरी माता मंदिर- लोहागढ़ दुर्ग , भरतपुर । यह जाटों की कुलदेवी हैं ।
बयाना ( भरतपुर ) नील की खेती के लिए प्रसिद्ध था ।
सरसों का तेल ( इंजन मार्क ) भरतपुर का प्रसिद्ध है ।
प्रथम जैव उर्वरक कारखाना भरतपुर में स्थापित किया गया ।
नौटकी लोकनाट्य भरतपुर का प्रसिद्ध है ।
भरतपुर प्रजामण्डल- स्थापना : 1938 में गोपीलाल यादव की अध्यक्षता में युगल किशोर चतुर्वेदी और मास्टर आदित्येन्द्र ने की ।
लालदासी सम्प्रदाय की प्रधान पीठ नगला – जहाज , भरतपुर में है । संत लालदास जी की यहाँ 1648 में मृत्यु हुई थी ।
महाराजा सूरजमल का पैनोरमा और महाराणा सांगा का पैनोरमा भरतपुर जिले में स्थित हैं ।
बंशी पहाड़पुर में उत्तम किस्म का लाल रंग का इमारती पत्थर मिलता है ।
सिमको रेल के मालगाड़ी डिब्बे बनाने का कारखाना ‘ भरतपुर में है ।
बालक कुश्ती अकादमी- भरतपुर में स्थित है ।
खानवा स्मारक ( रूपवास , भरतपुर ) – राणा सांगा के साथ खानवा युद्ध में लड़ने वाले मेवात से हसन खाँ मेवाती , चंदेरी से मेदिनी राय , रतनसिंह चुण्डावत सहित खेतसी , जोधपुर , अजमेर , डूंगरपुर , हलवद , मैनपुरी के करीब 24 वीर योद्धाओं की गाथाओं का साक्षी है , खानवा स्मारक ।
संरक्षण के लिए चर्चित आदिबदी व कनकांचल पर्वत भरतपुर जिले में स्थित है ।
भरतपुर जिले की प्रमुख नदियां- बाणगंगा , गम्भीर , रूपारेल ।
दर पुरातात्विक स्थल- भरतपुर ( यह पाषाणकालीन स्थल है )
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