बाड़मेर जिले में कुल 19 में से 12 तहसील ( बाड़मेर , बाड़मेर ग्रामीण , बाटाडू , गडरारोड़ , रामसर , चौहटन , धनाऊ ,धोरीमन्ना , गुड़ामलानी , नोखड़ा , सेडवा , शिव ) रह गई । बाड़मेर जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र रहेंगे ।
बालोतरा जिला बनने के बाद बाड़मेर जिले में 12 की जगह 8 उपखंड कार्यालय रह गए ।
कोयले के प्रोजेक्ट भी बाड़मेर जिले में ही हैं ।
बाड़मेर जिले की सीमा रेखा एक देश , एक राज्य और तीन जिलों के साथ लगती है
देश- पाकिस्तान -228 किमी . लम्बी ( अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा ) ।
राज्य- गुजरात ( अन्तर्राज्यीय सीमा रेखा ) । जिले- जैसलमेर , बालोतरा , सांचौर ।
एन.एच. 25 ( मुनाबाव – बाड़मेर – बायतु – बालोतरा जोधपुर – जैतारण – ब्यावर ) , एन.एच. 68 ( जैसलमेर से प्रांतिज गुजरात ) , एन.एच. 925 ( गागरिया- बावरी कलां बाखासर ) , एन.एच. 70 ( मुनाबाव – घोतारू – लोंगेवाला – तन्नौट ) व एन.एच. 925 ए ( सता – गांधव ) गुजरते हैं ।
- रिफाइनरी के बालोतरा जिले में जाने के बावजूद ज्यादातर क्रूड तेल के कुएं बाड़मेर जिले के हिस्से में हैं ।
- प्रख्यात परमार राजा धरणीधर के पुत्र बागभट्ट बाहड़राव को बाड़मेर बसाने का श्रेय जाता है ।
- उपनाम – मालानी ( प्राचीन नाम ) , श्रीमाल , राजस्थान का दुबई , थार नगरी , शिवकूप ( प्राचीन नाम ) , किरात कूप ( प्राचीन नाम ) आदि ।
- बाड़मेर जिले का शुभंकर- मरू लोमड़ी
- इस जिले में मुख्यतः मरूद्भिद् वनस्पति पाई जाती है ।
- किराडू- राजस्थान का खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध 10 वीं 11 वीं सदी के विष्णु व शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है । किराड़ का प्राचीन किरातकूप था । किराडू मंदिर गुर्जर प्रतिहार शैली में निर्मित है ।
- अजरक प्रिंट- प्रिंटिंग की इस कला में कपड़ों के दोनों तरफ प्रिंट आती है । बाड़मेर इस कला का प्रधान केन्द्र है । यहाँ का मलीर प्रिंट भी प्रसिद्ध है ।
- गिरल- राज्य का पहला लिग्नाइट आधारित बिजलीघर यहाँ स्थित है ।
- बाड़मेर थार समारोह- जिला प्रशासन , पर्यटन विभाग तथा स्थानीय संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से बाड़मेर थार समारोह शीतलाष्टमी से 2 दिन पूर्व बाड़मेर मुख्यालय पर प्रारंभ होता है ।
- जूना बाहड़मेर- प्राचीन नगर के अवशेष , 12 वीं एवं 13 वीं शताब्दी के शिलालेख व प्राचीन किला स्थित है ।
- चौहटन- कपालेश्वर महादेव मंदिर , हापाकोट दूर्ग ,पाण्डवों से सम्बद्ध स्थल ,विरात्रा माता का मंदिर आदि प्रसिद्ध स्थल है।
- रामदेव जी- इनका जन्म उण्डु काश्मीर ( बाड़मेर ) में हुआ था । इन्हें रामसापीर , कृष्ण के अवतार , कुष्ठ रोग के निवारक देवता , कवि लोक देवता , दलितों के देव , सांप्रदायिक सद्भावना के देवता आदि उपनामों से जाना जाता है । इनका प्रमुख मेला रूणेचा , पोकरण ( जैसलमेर ) में लगता है । तेरहताली नृत्य इनके मेल का प्रमुख आकर्षण है । इन्होंने ‘ चौबीस वाणियां ‘ नामक ग्रंथ लिखा था ।
- आलमजी- जैतमलोत राठौड़ के नाम से प्रसिद्ध लोकदेवता । ‘ आलमजी का धोरा ‘ धोरीमना में इनका मेला लगता है । आलमजी का धोरा ‘ घोड़ों के तीर्थ स्थल ‘ के रूप में प्रसिद्ध है ।
- बाड़मेर में सर्वाधिक अनुप्रस्थ बालुका स्तूप पाए जाते हैं ।
- सोमेश्वर मंदिर- यह मंदिर किराडू , बाड़मेर में स्थित है , जो 11 वीं 12 वीं सदी में निर्मित मंदिर है । यह गुर्जर – प्रतिहार शैली का अन्तिम एवं भव्य मंदिर है । इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहों कहा जाता है ।
- देवका सूर्य मंदिर- निर्माण : 12 वीं -13 वीं शताब्दी में देवका गाँव , बाड़मेर में ।
- श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर- बाड़मेर
- चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर निर्माण : 16 वीं शताब्दी में श्री निमाजी जीवाजी बोहरा द्वारा ।
- विरात्रा माता मंदिर- यह मंदिर बाड़मेर के चौहटन क्षेत्र में स्थित है ।
- चालकनेची पैनोरमा ( तन्नोट माता जन्म स्थान ) चालकना , बाड़मेर |
- कोटड़ा का किला- यह शिव तहसील , बाड़मेर में स्थित है । इस किले में पानी का सरगला नामक कुआँ स्थित है ।
- किलोण दुर्ग- निर्माण : राव बाहड़ द्वारा जिसे कालांतर में भीमोजी द्वारा पूर्ण करवाया गया ।
- थार महोत्सव ( बाड़मेर ) – इसका आयोजन प्रतिवर्ष जिला प्रशासन एवं जिला पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है ।
- पत्थर मार होली- यह बाड़मेर की प्रसिद्ध है ।
- आंगिया / आंगी – बांगी गैर नृत्य- यह लाखेटा गाँव , बाड़मेर में चैत्र बदी तीज को आयोजित किया जाता है ।
- संत रामदास की छतरी- आकली , बाड़मेर ।
- उत्तर – पश्चिम रेलवे जोन का पहला ‘ रेल कोच रेस्टोरेंट ‘ बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर 29 अगस्त 2022 से शुरू किया गया ।
- देश का पहला ‘ रेलवे का शहीद स्मारक ‘ गडरारोड़ ( मुनाबाव ) , बाड़मेर में बना हुआ है ।
- राज्य का पहला सूखा बंदरगाह बाड़मेर में बनाना प्रस्तावित है , जो बाखासर ( बाड़मेर ) में बनाया जाएगा ।
- मुक्का कला मुख्यतः बाड़मेर की प्रसिद्ध है , जो एक प्रकार की हस्तकला है ।
- देश की पहली ओरण पंचायत ‘ ढोक ‘ बाड़मेर में स्थित है ।
- बाड़मेर में उत्तरलाई हवाई अड्डा स्थित है ।
- बाड़मेर जिले में प्रमुख पेट्रोलियम / तेल क्षेत्र- मंगला , भाग्यम , ऐश्वर्या , विजया , रागेश्वरी नामक प्रमुख क्षेत्र हैं ।
- बाड़मेर के अकाली गाँव , हाथी की ढाणी , गिरल क्षेत्र बेंटोनाइट खनिज हेतु प्रसिद्ध है ।
- बाड़मेर के कोसलू , जालिण , कपूरड़ी क्षेत्र लिग्नाइट कोयले हेतु प्रसिद्ध हैं ।
- गिरल विद्युत उत्पादन संयंत्र- यह लिग्नाइट कोयले पर आधारित संयंत्र है ।
- भादरेस पॉवर प्लांट- यह लिग्नाइट कोयले पर आधारित है । जो राजवेस्ट कंपनी के अधीन संचालित है ।
- बाड़मेर जिले का चोहटन क्षेत्र गोंद उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है ।
- सर्वाधिक मुल्तानी मिट्टी ( बेण्टोनाइट ) आकली , बाड़मेर में उत्पादित की जाती है ।
- रेडक्लिफ रेखा राज्य के दक्षिण पश्चिम में बाड़मेर के बाखासर गाँव ( शाहगढ़ ) तक विस्तृत है ।
- थार एक्सप्रेस- इसे बाड़मेर के मुनाबाव से पाकिस्तान के खोखरापार के बीच 18 फरवरी 2006 को चलाई गई ।
- राष्ट्रीय मरू उद्यान- यह जैसलमेर एवं बाड़मेर में फैला हुआ है । यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा वन्य जीव अभयारण्य है । ( 3162 वर्ग किलोमीटर )
- बाड़मेर का धोरीमन्ना क्षेत्र आखेट निषिद्ध क्षेत्र है ।
- नर्मदा नहर परियोजना- इससे बाड़मेर जिले का गुड़ामालानी क्षेत्र लाभान्वित होता है । यह परियोजना फव्वारा / बूँद – बूँद सिंचाई के लिए प्रसिद्ध है ।
- बाड़मेर जिले में नर्मदा नहर पर पनेरिया व भदेरिया लिफ्ट नहरें स्थित हैं ।
- सुजलम परियोजना- यह पेयजल परियोजना है , जो बाड़मेर में खारे पानी को मीठा बनाने हेतु प्रारम्भ की गई है ।
- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना- इस नहर का अन्तिम बिन्दु गडरारोड़ , बाड़मेर है ।
- बाटाडू का कुआँ- निर्माण : रावल गुलाब सिंह द्वारा बाटाडू गाँव , बाड़मेर में । यह संगमरमर से निर्मित कुआँ है , जिसे रेगिस्तान का जलमहल भी कहा जाता है ।
- किराडू का लेख ( 1161 ई . ) – यह बाड़मेर के हाथमा गाँव से प्राप्त हुआ है । 1161 ई . का यह लेख किराडू के शिव मंदिर में उत्कीर्ण है , जिसकी भाषा संस्कृत है ।
- सद्दीक खाँ- इन्हें ‘ खड़ताल का जादूगर ‘ कहा जाता है ।
- रूकमा देवी- यह मांगणियार गायिका है , जिसे थार की लता कहा जाता है ।
- मोहम्मद यासीन – यह बाड़मेर क्षेत्र में प्रसिद्ध छीपा कलाकार है ।
- रमाबाई ( बाड़मेर ) – इसको कशीदाकारी कार्य के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया गया है ।
- रूमा देवी- जन्म : वर्ष 1988 में रावतसर गाँव , बाड़मेर में । दुबई में राजस्थान फाउंडेशन व मारवाड़ी युवा मंच की ओर से 16 नवम्बर 2021 को आयोजित समारोह में सरकार द्वारा इन्हें ‘ द महाराणा अवॉर्ड से सम्मानित किया गया । इन्होंने ‘ कशीदाकारी ‘ में महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाया ।
- बाबा रामदेव जी- जन्म : बाड़मेर जिले की शिव तहसील में उंडूकाश्मीर गाँव में । गुरु : बालीनाथ जी ।