जिलों के पुनर्गठन के बाद मौजूदा अलवर जिला 3 हिस्सों में बंट गया है । इसमें अलवर जिला ,खैरथल – तिजारा और कोटपूतली बहरोड़ जिला शामिल हैं ।
अलवर जिले में अब 9 उपखंड ( अलवर , गोविंदगढ़ , रैणी , लक्ष्मणगढ़ , मालाखेड़ा , राजगढ़ , रामगढ़ , थानागाजी , व डूमर ) व 12 तहसील ( अलवर , गोविंदगढ़ , रैणी , लक्ष्मणगढ़ , मालाखेड़ा , राजगढ़ , टहला , रामगढ़ , नौगावा , थानागाजी , प्रतापगढ़ , कठूमर ) रह गई हैं ।
अलवर जिले की सीमा 6 जिलों- खैरथल – तिजारा , कोटपूतली – बहरोड़ , जयपुर ग्रामीण , दौसा , भरतपुर , डीग से लगती है । वहीं अंतर्राज्यीय सीमा हरियाणा के साथ लगती है ।
- अलवर जयपुर संभाग में है ।
- 80 खम्भों की मूसी महारानी की छतरी
- उपनाम- राजस्थान का सिंहद्वार , राजस्थान का स्कोटलैण्ड , पूर्वी राजस्थान का कश्मीर , साल्व प्रदेश / साल्वपुर ( प्राचीन नाम )
- अलवर जिले से एन.एच. 248 ए , 921 तथा दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस – वे गुजरते हैं ।
- पहली बार अलवर नाम का उल्लेख 1195 ई . में फरिस्ता द्वारा किया गया ।
- स्थापना- 1775 ई . में रावराजा प्रतापसिंह द्वारा की गई , यहाँ की राजधानी ‘ राजगढ़ ‘ को बनाया गया और दूसरी राजधानी अलवर बनाई गई ।
- ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ सर्वप्रथम सहायक संधि अलवर के राजा बख्तावर सिंह ने की थी ।
- मार्च 1949 को मत्स्य संघ के वृहद् राजस्थान में विलय के बाद अलवर एक जिले के रूप में स्थापित किया गया ।
- मूसी महारानी की छतरी- अलवर में 1815 ई. में विनयसिंह ने मूसी महारानी तथा तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की स्मृति में इस छतरी का निर्माण करवाया । इसमें अस्सी खम्भें होने के कारण इसे अस्सी खम्भों की छतरी भी कहा जाता है ।
- सिलीसेढ़ झील- इस झील के पास महाराजा विनयसिंह ने 1844 ई . में अपनी रानी शीला हेतु महल बनवाया । इसे राजस्थान का नन्दकानन कहा जाता है ।
- नीलकण्ठ- बड़गूर्जर नरेशों की राजधानी रहे इस स्थान पर नीलकण्ठेश्वर ( शिवजी ) का मंदिर स्थित है ।
- नारायणी माता – नाईयों की कुलदेवी नारायणी माता का मंदिर राजगढ़ तहसील के बरवा डूंगरी की तलहटी में स्थित है ।
- अलवर के राजेन्द्र सिंह को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार उनके द्वारा संचालित सिंचाई एवं जल संरक्षण कार्यों के लिए प्रदान किया गया वे तरुण भारत संघ नामक संगठन का संचालन भी करते हैं ।
- कागजी- अलवर की बहुत पतले परत के बर्तन बनाने की कला ।
- भर्तृहरि मन्दिर – भर्तृहरि उज्जैन के शासक थे । गुरु गोरखनाथ । भर्तृहरि का संबंध नाथ सम्प्रदाय से है । यहाँ वर्ष में दो बार मेला लगता है- श्रावण पूर्णिमा / वैशाख पूर्णिमा , भाद्रपद पूर्णिमा
- नारायणी माता मन्दिर- यह बरवा डूंगरी पर स्थित है । यहाँ वैशाख शुक्ल एकादशी को मेला लगता है ।
- विजयसागर झील ( निर्माण- अलवर के महाराजा जयसिंह द्वारा )
- वराह नदी / रूपारेल नदी ( उद्गम- उदयनाथ की पहाड़ियाँ अलवर से )
- फतेहगंज गुम्बद : निर्माण- वर्ष 1547 में । यह 5 मंजिला है । यह अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है ।
- सिटी पैलेस ( अलवर ) निर्माण- 1776 ई . में महाराजा विनय सिंह ने विनय विलास महल का निर्माण करवाया , जो सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है ।
- विजय मंदिर महल : निर्माण- 1918 ई . में महाराजा जयसिंह के द्वारा ।
- होप सर्कस / कैलाश बुर्ज : यह अलवर शहर के मध्य स्थित है । वर्ष 1939-40 में लिनलिथगो अलवर आए थे , उनके साथ उनकी पुत्री होप भी आई थी । होप के नाम पर ही इस बुर्ज का नाम होप सर्कस हो गया ।
- ईटाराणा की हवेली / कोठी : निर्माण- महाराजा जयसिंह द्वारा ।
- निर्भयदास बाबा की समाधि- सरिस्का , अलवर
- शीतलदास महाराज की समाधि ( अलवर ) – यह रेणुगिरी पहाड़ी पर स्थित है ।
- भानगढ़ का किला- निर्माण : आमेर के राजा भगवंतदास द्वारा । सावण नदी के किनारे स्थित है ।
- अलवर का किला / बाला किला : निर्माण- हसन खाँ मेवाती द्वारा । इस किले को कुंवारा किला भी कहा जाता है ।
- कुतुबखाना ( अलवर ) – महाराजा विनय सिंह के शासन काल में सम्वत 1894 में कुतुबखाना ( पुस्तक शाला ) स्थापित किया गया था ।
- सरिस्का ‘ अ ‘ अभयारण्य- यह राजस्थान का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा अभयारण्य है ।
- ताल – वृक्ष- यह ऋषि माण्डव्य की तपोस्थली है । इसी स्थान पर गंगा माता का प्राचीन मंदिर है ।
- रावण देहरा- अलवर के किले के नीचे प्राचीन नगर के ध्वंसवशेष
- हसन खाँ मेवाती पैनोरमा- अलवर
- राज्य का पहला जल विश्व विद्यालय- अलवर
- प्याज प्रोसेंसिंग इकाई ( प्याज मंडी ) – अलवर में स्थित हैं ।
- पांडवों से संबंधित स्थल पाण्डुपोल जहाँ हनुमान जी की शयन मुद्रा में प्रतिमा है ।
- कलाकन्द ( मावा ) अलवर का प्रसिद्ध है ।
- माचिस उद्योग अलवर का प्रसिद्ध है ।
- अलवर क्षेत्र में भपंग वाद्ययंत्र प्रसिद्ध है ।
- अलवर में ताँबा के लिए ” खो – दरीबा ” प्रसिद्ध है ।
- पब्लिक पार्क ( अलवर ) : इस पार्क में कम्पनी बाग ( प्राचीन नाम- शिमला बाग ) स्थित है । निर्माण- राजा श्योदान द्वारा ।
- अलवर में अली बख्शी ख्याल प्रचलित है ।
- बम नृत्य अलवर और भरतपुर में प्रचलित है ।
- C.R.P.F की देश की तीसरी महिला बटालियन का गठन अलवर में 17 जुलाई 2013 को किया गया ।
- एवरेस्ट पर्वत को फतह करने वाला राजस्थान का प्रथम नागरिक- मेजर सौरभ सिंह शेखावत ( अलवर )
- स्वामी विवेकानन्द जी दो बार अलवर आए थे- 1891 में और 1897 में ।
- नोट : अलवर का भानगढ़ दुर्ग व काकनवाड़ी दुर्ग , काकनवाड़ी के पठार पर स्थित है ।
- अलवर जिले का शुभंकर- सांभर
- अलवर ‘ पूर्वी मैदानी भाग ‘ का हिस्सा है ।
- अलवर क्षेत्र में आर्द्र जलवायु पाई जाती है ।