- नवगठित ब्यावर जिले की सीमा राजसमंद से लगती है।
- राजसमंद की सीमा अब 5 जिलों—पाली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा व ब्यावर से लगती है।
- राजसमंद जिले से नेशनल हाइवे 58, 148डी, 162ए, 458 व 758 गुजरते हैं।
- प्रमुख नदी- बनास
- मेवाड़ राणा राजसिंह ने राजनगर कस्बे की स्थापना की, जिसको वर्तमान में राजसमंद कहते हैं।
- राजसमंद जिले का नाम महाराणा राजसिंह द्वारा निर्मित प्रसिद्ध झील राजसमंद के नाम पर रखा गया था।
- राजसमंद जिले का शुभंकर- भेड़िया।
- राजसमंद जिले की आकृति-तिल के समान।
- राजसमंद राजस्थान के दक्षिणी मध्य भाग में स्थित है।
- राजसमंद जिले में सर्वाधिक ढाक या पलास वृक्ष पाए जाते हैं, जिन्हें जंगल की ज्वाला भी कहा जाता है।
- 10 अप्रैल 1991 को राजसमंद जिले का गठन किया गया। यह प्रदेश का 30वां जिला है।
- कुंभलगढ़ का किला- महाराणा कुंभा द्वारा 1448 ई. से 1458 के बीच मुख्य शिल्पी मंडन द्वारा निर्मित दुर्ग। इसे मेवाड़-मारवाड़ सीमा का प्रहरी और मारवाड़ की छाती पर तलवार भी कहते हैं। कर्नल जेम्स टॉड ने कहा इसकी तुलना ‘एस्टूस्कन दुर्ग’ से की है। अबुल फजल ने कहा था- ‘इस दुर्ग को नीचे से ऊपर तक देखने पर सिर की पगड़ी गिर जाती है।’ महाराणा प्रताप का जन्म इसी दुर्ग में हुआ था। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद प्रताप की राजधानी। इस दुर्ग में एक लघुदुर्ग बना हुआ है जिसे ‘कटारगढ़’ कहते हैं। कटारगढ़ को मेवाड़ की आंख कहते हैं। यह दुर्ग 36 किलोमीटर लम्बे परकोटे से घिरा हुआ है, जो अन्तर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड में दर्ज है। कुंभलगढ़ का युद्ध 1578 में राजसमंद में लड़ा गया।
- हल्दीघाटी का युद्ध – 21 जून 1576 को महाराणा प्रताप व अकबर के बीच युद्ध लड़ा गया जिसे कर्नल जेम्स टॉड ने मेवाड़ की थर्मोपॉली कहा है।
- दिवेर का युद्ध : 1582 को राजसमंद में लड़ा गया।
- रूपनगढ़ का छापर का युद्ध : 14 अगस्त 1858 को तांत्या टोपे तथा अंग्रेजों के बीच लड़ा गया था, जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई।
- गिलुण्ड सभ्यता: ताम्रयुगीन सभ्यता ।
- राजप्रशस्ति : राजसमंद झील की उत्तरी नौ चौकी की पाल पर उत्कीर्ण है। इस प्रशस्ति के रचियता रणछोड़ भट्ट तेलंग हैं। यह संस्कृत भाषा की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
- नाथद्वारा चित्रशैली : मेवाड़ चित्रशैली की उपशैली इसकी शुरुआत मेवाड़ राणा राजसिंह के समय हुई थी। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के सर्वाधिक चित्र बनाए गए हैं
- नाथद्वारा में कृष्ण की मूर्तियों के पीछे लगे चित्रों को पिछवाइयां. कहते हैं।
- द्वारकाधीश मंदिर : कांकरोली (राजसमंद) में द्वारकाधीश के नाम से प्रसिद्ध वैष्णव सम्प्रदाय की पीठ ।
- राजसमंद झील- महाराणा राजसिंह द्वारा 1662 में निर्मित। इस झील के पास 25 शिलालेखों पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में उल्लेखित है। इसमें गोमती नदी का पानी आता है।
- बनास नदी का उद्गम खमनोर की पहाड़ियां (राजसमंद) से।
- कोठारी नदी का उद्गम दिवेर की पहाड़ियां (राजसमंद) से।
- राजस्थान में सफेद संगमरमर का सर्वाधिक उत्पादन राजसमंद में होता है।
- श्रीनाथ जी का मंदिर- यह मंदिर बनास नदी के किनारे सिहाड़ गाँव, राजसमंद में स्थित है। यह मंदिर हवेली संगीत एवं पिछवाई कला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है।
- चारभुजा जी का मंदिर- यह मंदिर गढ़बोर, राजसमंद में स्थित है। निर्माण- राणा मोकल द्वारा। यह मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है।
- नीलकंठ महादेव मंदिर / सर्वतोभद्र मंदिर- निर्माण: 1458 ई. में। यह मंदिर कुंभलगढ़ किले में स्थित है।
- आमजा माता मंदिर- यह मंदिर रीछेड़ गाँव में स्थित है।
- पिपलाद माता का मंदिर- यह मंदिर उनवास, राजसमंद में स्थित है। निर्माण- दसवीं शताब्दी में गुहिल सम्राट अल्लट द्वारा
- चेतक की छतरी-चह छतरी बलीचा, राजसमंद में स्थित है।
- दिवेर विजय स्मारक- इस स्मारक का उद्घाटन – वर्ष 2012 में राष्ट्रपति द्वारा किया गया था।
- मचीन्द- यह अरावली पर्वतमाला में स्थित मचीन्द मलयेंद्र नाथ की तपोस्थली है।
- गुलाबी गणगौर- राजसमंद की प्रसिद्ध है, जो चैत्र शुक्ल चतुर्थी को मनाई जाती है।
- महाराणा राजसिंह पैनोरमा- राजसमंद।
- पन्ना धाय पैनोरमा- कमेरी, राजसमंद।
- महाराणा कुम्भा पैनोरमा- माकल्यावास, राजसमंद।
- राज्य की पहली शराब मुक्त ग्राम पंचायत- कचबाली (राजसमंद) है।
- राज्य में मेडि-टूरिज्म वेलनेस सेंटर का शिलान्यास नाथद्वारा- राजसमंद में किया गया है।
- राज्य में प्रतिशत के आधार पर सर्वाधिक व्यर्थ भूमि वाला जिला राजसमंद है।
- आमेट पशु मेला-यह आश्विन कृष्ण एकादशी से शुक्ल एकादशी तक भरता है।
- चेतक पशु मेला- यह हल्दीघाटी में भरता है।
- नाथद्वारा के निकट स्थित मोलेला गाँव पकाई हुई मिट्टी के खिलौने (टेराकोटा) के लिए प्रसिद्ध है।
- ग्वालियर के शासक रामसिंह तंवर तथा इनके पुत्रों की छतरी, झालाबीदा की छतरी, हाकीम खाँ सूरी की छतरी हल्दीघाटी में स्थित है।
- हल्दीघाटी के पास स्थित बादशाहीबाग- चैती-गुलाब के लिए प्रसिद्ध है।
- हल्दीघाटी के निकट रक्त तलाई स्थित है।
- कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य – इस अभयारण्य को वर्ष 1971 में स्थापित किया गया था। यह अभयारण्य राजसमंद, उदयपुर, पाली जिलों में फैला हुआ है।
- राजसमंद जिले में दक्षिणी अरावली की प्रमुख चोटी- कुम्भलगढ़ (1224 मीटर)
- राजसमंद जिले में दक्षिणी अरावली की पहाडियाँ- कुकरा की पहाड़ी
- राजसमंद जिले में दक्षिणी अरावली के दर्रे- कामली घाट, गोरम घाट, हाथीगुढ़ा दर्रा ।
- नोट: दक्षिणी अरावली का विस्तार राजसमंद- सिरोही- उदयपुर जिलों में है।
- कुँवर पृथ्वीराज का स्मारक लेख- कुंभलगढ़ में स्थित इस लेख से कुँवर पृथ्वीराज की सती होने वाली सात रानियों एवं उनके घोड़े साहण की जानकारी मिलती है।
- कुंभलगढ़ प्रशस्ति (1460 ई.)- इस प्रशस्ति में गुहिल वंश का वर्णन एवं उनकी उपलब्धियाँ बताई गई हैं। इस प्रशस्ति के रचियता- कवि महेश थे।
- राजसमंद जिले में दिवेर की पहाड़ियाँ, हेमकूट की पहाड़ियाँ, बिजराल की पहाड़ियाँ, खमनौर की पहाड़ियाँ स्थित हैं।
- खारी नदी- उद्गमः बिजराल की पहाड़ियों से।
- राजसमंद जिले में बाँध- मनोहर सागर बाँध, कालाभाटा बाँध, नंदसमंद बाँध, देवरीवाड़ा बाँध, भोपाल सागर बाँध आदि प्रमुख बाँध हैं।
- नोट: नंदसमंद बाँध को राजसमंद की जीवन रेखा कहा जाता है।
राजसमंद (Rajsamand) जिला दर्शन
By LM GYAN
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