देशान्तर रेखाएँ (Longitude)
- वे काल्पनिक रेखाएँ जो उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाती है, उन्हें देशान्तर रेखाएँ कहा जाता है।
- इनकी कुल संख्या 360 होती है।
- देशान्तर रेखाएँ अर्द्धवृत्त का निर्माण करती हैं।
- दो देशान्तर रेखाओं के मध्य की सर्वाधिक दूरी भूमध्य रेखा पर होती है। यह दूरी 111.32 किमी. है। यह दूरी 30 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 96.5 किमी., 60 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 55.4 किमी., 80 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य 19.3 किमी. तथा 90 डिग्री उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य दूरी शून्य रह जाती है।
- देशान्तर रेखाओं को डिग्री, मिनट व सेकण्ड में में बांटा जाता है जैसे – मुंबई का देशान्तरीय विस्तार 72°54’10” (72 डिग्री, 54 मिनट व 10 सेकण्ड ) है ।
- देशान्तर रेखाओं के मध्य की दूरी भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर दूरी लगातार घटती जाती है और घटकर 0 किमी. हो जाती है। अर्थात् ध्रुवों पर एक बिन्दु के रूप में मिल जाती हैं ।
- दो देशान्तर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है। देशान्तर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय समय रेखा (International Time Line) के नाम से जाना जाता है।
- यह रेखा यू.के. राष्ट्र के ग्रीनवीच स्थान से होकर गुजरती है। देशान्तर रेखाओं के आधार पर किसी भी स्थान की स्थिति व समय का निर्धारण किया जा सकता है।
- दो देशान्तर रेखाओं के मध्य का स्थान गोरे नाम से जाना जाता है।
- पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर जाने पर समय को जोड़ा जाता है जबकि पूर्व दिशा की ओर जाने पर समय को घटाया जाता है।
- 180° पश्चिमी देशान्तर रेखा व 180° पूर्वी देशान्तर रेखा वस्तुतः दोनों एक ही रेखा है। इसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) के नाम से जाना जाता है। यह रेखा प्रशान्त महासागर के बेरिंग जलसंधि से होकर गुजरती । इस रेखा को काल्पनिक रूप से चार बार मोड़ा गया है। अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पूर्व एवं पश्चिम दिशा में एक दिन का अंतर होता है। जब कोई जहाज अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को पार कर पश्चिम दिशा में यात्रा करता है । तब एक दिन जोड़ दिया जाता तथा पूर्व दिशा में यात्रा करता है तो एक दिन घटा दिया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (INTERNATIONAL DATE LINE)
- स्थलीय भागों के मध्य विभाजन नहीं हो और लोगों को दिनांक के संबंध में कोई भ्रम नहीं हो तो इसलिए इस रेखा को समुद्री भाग से होकर गुजारा गया है।
- यह रेखा आर्कटिक महासागर, चुक्ची सागर, बेरिंग जलसंधि व प्रशांत महासागर से होकर गुजरती है। चुक्ची सागर में यह रेखा पूर्व की ओर तथा बेरिंग सागर में यह रेखा पश्चिम की ओर मोड़ी गयी है। न्यूजीलैण्ड व फिजी द्वीप समूह को एक साथ रखने के लिए यह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर में पूर्व दिशा की ओर मोड़ी गयी है। यदि मान लीजिए साइबेरिया में जुलाई की 15 तारीख है तो अलास्का में जुलाई की 14 तारीख ही होती है। 180 डिग्री देशांतर रेखा फिजी द्वीप समूह के एक द्वीप के मध्य से होकर निकलती है इसलिए तिथि रेखा के द्वारा एक ही द्वीप समूह के दो भागों के बीच समय में अंतर होने के कारण काफी असुविधा हो सकती है। अतः दक्षिणी गोलार्द्ध में यह रेखा फिजी व टोंगा द्वीपों को बचाते हुए इनके चारों ओर घूमकर जाती है। इन द्वीपों में न्यूजीलैण्ड के समान ही तिथि का अंकन होता है।
इंटरनेशनल मेरिडियन कॉन्फ्रेंस –
इस कांफ्रेंस का आयोजन सन् 1884 में संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंग्टन डी.सी. स्थान पर किया गया। इसी बैठक के दौरान अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (180 डिग्री पूर्वी देशांतर रेखा या 180 डिग्री पश्चिमी देशांतर रेखा) का निर्धारण किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय समय रेखा (IST) –
यह रेखा 8 देशों से एवं 3 महाद्वीपों से होकर गुजरती है जिनका उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है :-
- यह रेखा आर्कटिक महासागर, नॉर्वे सागर, भूमध्य सागर, अटलांटिक महासागर व दक्षिणी महासागर से होकर गुजरती है। किसी विशेष स्थान का समय सारे देश में माना जाये तब वह उस देश का प्रामाणिक समय (STANDARD TIME) कहलाता है। भारत में 82 1⁄2 पूर्वी देशांतर रेखा को स्थानीय समय सारे राष्ट्र का प्रामाणिक समय माना जाता है।
- किसी देश का मानक समय ग्रीचविच मीन टाईम के आधे घण्टे के गुणक के अंतर पर निर्धारित किया जाता है। कनाडा देश को 5 समय कटिबंधों में बांटा गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 4 समय कटिबंध हैं।
- यूरोप महाद्वीप को 3 समय कटिबंधों में बांटा गया है। सोवियत रूस को 11 समय कटिबंधों में बांटा गया है। समय की पेटियां विषुवत रेखा पर सबसे अधिक चौड़ी होती हैं तथा ध्रुवों की ओर वे संकड़ी होती जाती हैं।
- ग्लोब पर 0° भूमध्य रेखा से 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र को निम्न अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।
- ग्लोब पर 30° से 60° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र मध्य अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।
- ग्लोब पर 60° से 90° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य का क्षेत्र उच्च अक्षांशीय क्षेत्र कहा जाता है।
- पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है इसलिए ग्रीनविच से पूर्व के स्थानों का समय ग्रीनविच समय से आगे होगा और पश्चिम के स्थानों का समय पीछे होगा।
- किसी स्थान पर सूर्य जब आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई / सीधा होता है तब दिन के 12 बजते हैं इस समय को वहां का स्थानीय समय (Local Time) कहा जाता है। एक देशांतर रेखा पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय एक ही होता है। संपूर्ण पृथ्वी को 24 समय कटिबंधों में बांटा गया है।
- पृथ्वी 24 घण्टे में 360° देशान्तर घूम जाती है। अतः 1 घण्टे में 15° देशातंर (1 घण्टा = 360 / 24 = 15 °) घूम जाती है। अतः 60 मिनट (1 घण्टा) में 15 देशांतर घूमती है या दो देशांतर रेखाओं के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है।
अक्षांश रेखाएँ (Latitude)
- वे काल्पनिक रेखाएँ जो सम्पूर्ण ग्लोब या पृथ्वी पर पूर्व से पश्चिम दिशा या पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर खींची जाती है, अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।
- इनकी कुल संख्या 181 होती है। (90+90+1) लेकिन अक्षांशीय वृत्तों की कुल संख्या 179 (181-2 = 179) होती है क्योंकि ध्रुव वाली रेखाएँ न होकर बिन्दु के रूप में होती है।
- अक्षांश रेखाएँ पूर्ण वृत्त का निर्माण करती हैं।
- अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी हमेशा समान होती है। अतः यह दूरी 111 किमी. होती है।
- सबसे लम्बी अक्षांश रेखा 0° अक्षांश रेखा / विषुवत रेखा / भूमध्य रेखा कहा जाता है। विषुवेत रेखा के उत्तर में भाग उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी भाग में दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं ।
- अक्षांश रेखाओं के आधार पर किसी भी स्थान की स्थिति का निर्धारण किया जा सकता है। 23 1⁄2° उत्तरी अक्षांश रेखा कर्क रेखा व 23 1⁄2° दक्षिणी अक्षांश रेखा मकर रेखा कहलाती है।
- 66 1⁄2° उत्तरी अक्षांश रेखा / आर्कटिक रेखा व 66 1⁄2° दक्षिणी अक्षांश रेखा/अंटार्कटिक रेखा कहलाती है। विषुवत वृत्त के उत्तर में सभी अक्षांश उत्तरी अक्षांश व दक्षिण के सभी अक्षांश दक्षिणी अक्षांश कहलाते हैं। 66 1⁄2° से 90 डिग्री अक्षांशों के मध्य के क्षेत्र को ध्रुवीय क्षेत्र कहा जाता है।
- ध्रुवीय क्षेत्र में 6 महिने दिन व 6 महिने रात होती है। अक्षांश व देशांतर रेखाएँ एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं। महत्वपूर्ण अक्षांश रेखाओं 0° डिग्री अक्षांश, 23 1⁄2° उत्तरी अक्षांश, 23 1⁄2° दक्षिणी अक्षांश, 66 1⁄2° उत्तरी अक्षांश, 66 1⁄2° दक्षिणी अक्षांश) के द्वारा पृथ्वी को 5 ताप कटिबंधों में बांटा जा सकता है जो इस प्रकार हैं-
विषुवत रेखा / भूमध्य रेखा (EQUATOR)
विश्व के कुल 13 देशों से होकर गुजरती है जिसका पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है :-
1. इक्वेडोर
2. कोलंबिया
3. ब्राजील
4. साओ टोमे प्रिंसेप
5. कांगो गणराज्य
6. गेबेन
7. लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो
8. युगांडा
9. केन्या
10. सोमालिया
11. मालदीव
12. इण्डोनेशिया
13. किरीबाती
यह रेखा प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर व हिन्द महासागर से होकर गुजरती है।
मकर रेखा (TROPIC OF CAPRICORN) –
विश्व के कुल 12 देशों से होकर गुजरती है जिसका पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है :-
1. चिली
2. अर्जेण्टीना
3. पराग्वे
4. ब्राजील
5. नामीबिया
6. बोत्सवाना
7. दक्षिणी अफ्रीका
8. मोजांबिक
9. मेडागास्कर
10. ऑस्ट्रेलिया
11. टोंगा
12. फ्रेंच पोलिनेशिया (फ्रांस)
यह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर व दक्षिणी हिन्द महासागर से होकर गुजरती है।
कर्क रेखा (TROPIC OF CANCER)
विश्व के कुल 18 देशों से होकर गुजरती है जिसका पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर क्रम इस प्रकार है:-
1. हवाई द्वीप (USA)
2. मैक्सिको
3. बहामास
4. वेस्टर्न सहारा
5. मॉरिटेनिया
6. माली
7. अलजीरिया
8. नाइजर
9. लीबिया
10. मिश्र
11. सऊदी अरब
12. संयुक्त अरब अमीरात
13. ओमान
14. भारत
15. बांग्लादेश
16. म्यांमार
17. चीन
18. ताइवान
यह रेखा उत्तरी प्रशांत महासागर, मैक्सिको की खाड़ी, उत्तरी अटलांटिक महासागर, लाल सागर, हिन्द महासागर, ताइवान जलसंधि से होकर गुजरती है।
वृहत् वृत्त (GREAT CIRCLE)
वृहत वृत्त वे वृत्त होते हैं जो पृथ्वी को दो समान भागो में विभाजित करते है। भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है। अतः भूमध्य रेखा एक वृहत् वृत्त है। इसी प्रकार आमने-सामने की 2 देशांतर रेखाओं को मिलाने पर एक वृहत् वृत्त बनता है तब इसी प्रकार 360 देशांतर रेखाओं से 180 वृहत वृत्त बनते है रेखा इस प्रकार देशांतर रेखाओं से 180 वृहत् वृत्त व भूमध्य से एक वृहत वृत्त बनता है अतः पृथ्वी पर वृहत वृत्तों की कुल संख्या 181 (180+1) है ।