मगध का उत्थान: 5 शानदार कारण

By: LM GYAN

On: 29 May 2025

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मगध का उत्थान

मगध का उदय

  • छठी से चौथी शताब्दी ई.पू. में मगध (आधुनिक बिहार) सबसे ताकतवर महाजनपद बन गया।
  • इतिहासकारों ने इसके कई कारण बताए:
    • मगध की ज़मीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ थी।
    • लोहे की खदानें पास में थीं, जिससे हथियार और औज़ार बनाना आसान था।
    • जंगलों में हाथी मिलते थे, जो सेना का अहम हिस्सा थे।
    • गंगा और उसकी सहायक नदियों से आवागमन सस्ता और सुविधाजनक था।
  • जैन और बौद्ध लेखकों ने मगध की कामयाबी का श्रेय शासकों की नीतियों को दिया।
  • बिंबिसार, अजातशत्रु, और महापद्मनंद जैसे महत्वाकांक्षी राजाओं और उनके मंत्रियों ने मगध को बुलंदियों पर पहुँचाया।

मगध की राजधानियाँ

  • शुरू में राजधानी थी राजगृह (गिरिव्रज), जिसका मतलब “राजाओं का घर”।
  • राजगृह पहाड़ियों से घिरा एक किलेबंद शहर था।
  • चौथी शताब्दी ई.पू. में पाटलिपुत्र (अब पटना) नई राजधानी बनी, जिसे उदयिन (उदयन) ने बसाया।
  • पाटलिपुत्र की लोकेशन गंगा के रास्ते व्यापार और आवागमन के लिए शानदार थी।
  • राजधानियों का क्रम:
    • गिरिव्रज (वसुमति/कुशाग्रपुर)
    • राजगृह (राजगीर)
    • पाटलिपुत्र
  • मगध के अन्य नाम: बृहद्रथपुरी, मगधपुरी, वसुनगरी।
  • आज का मगध: दक्षिणी बिहार, पटना और गया के आसपास।

मगध की खासियत

  • मगध में आर्य और अनार्य संस्कृतियों का मेल हुआ, जिससे वर्ण व्यवस्था उतनी सख्त नहीं थी जितनी मध्य देश (उत्तर प्रदेश) में।
  • राजाओं ने योग्य मंत्रियों को चुना और मज़बूत प्रशासन बनाया।
  • मगध राजनैतिक और धार्मिक एकता के लिए मशहूर था।
  • इन सब कारणों ने मिलकर मगध को सबसे शक्तिशाली राज्य बनाया।

मगध के राजवंश

  • मगध पर कई वंशों ने राज किया:
    • बृहद्रथ वंश: संस्थापक बृहद्रथ।
    • हर्यक वंश: संस्थापक भट्टीय, वास्तविक संस्थापक बिंबिसार।
    • नाग (शिशुनाग) वंश: संस्थापक शिशुनाग।
    • नंद वंश: संस्थापक महापद्मनंद।
    • मौर्य वंश: संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य।

1. बृहद्रथ वंश

  • संस्थापक: बृहद्रथ, जिसने गिरिव्रज को राजधानी बनाया।
  • बृहद्रथ ने “जरा” नाम की राक्षसी की पूजा की, जिसके वरदान से उसे पुत्र जरासंध मिला।
  • जरासंध: बृहद्रथ की मृत्यु के बाद राजा बना।

2. हर्यक वंश (544–412 ई.पू.)

  • शासक:
    • बिंबिसार (544–492 ई.पू.)
    • अजातशत्रु (492–459 ई.पू.)
    • उदयिन (459–444 ई.पू.)
    • अनिरुद्ध (444–437 ई.पू.)
  • इस वंश में सबसे ज़्यादा पितृहंता (पिता की हत्या करने वाले) हुए।
  • प्रथम पितृहंता: अजातशत्रु (बिंबिसार की हत्या)।
  • दूसरा पितृहंता: उदयिन।
  • प्रथम शासक: भट्टीय।
  • वास्तविक संस्थापक: बिंबिसार।

बिंबिसार

  • मगध का पहला ताकतवर राजा, हर्यक कुल का।
  • एक साधारण सामंत का बेटा, 15 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा।
  • बुद्ध से 5 साल छोटा, महावीर और बुद्ध दोनों का समकालीन।
  • जैन ग्रंथों में इसे श्रेणिक/श्रोणिक कहा गया।
  • जैन धर्म का अनुयायी और बुद्ध का उपासक।
  • बौद्धसंघ को करंद वेणु वन दान दिया।
  • अंग राज्य जीता, बेटे अजातशत्रु को वहाँ का शासक बनाया।
  • 492 ई.पू. में अजातशत्रु ने इसकी हत्या की।

अजातशत्रु

  • 491 ई.पू. में पिता बिंबिसार की हत्या कर राजा बना।
  • उपनाम: कुणिक।
  • कोशल के राजा प्रसेनजित पर हमला किया, लेकिन हारकर कैद हुआ।
  • प्रसेनजित की बेटी वाज़ीरा से प्रेम और विवाह के बाद काशी वापस मिली।
  • वज्जि संघ (वैशाली) के लिच्छवी राजा चेटक को हराने की योजना बनाई।
  • मंत्री वत्सकार का अपमान कर उसे चेटक की शरण लेने भेजा, जिसने लिच्छवियों में फूट डाली।
  • 16 साल तक लिच्छवियों से लड़ा, आखिरकार वत्सकार की मदद से जीता।
  • काशी और वैशाली को मगध में मिलाया।
  • दो हथियार इस्तेमाल किए:
    • रथ मूसल: आधुनिक टैंक जैसा।
    • महाशिलाकंटक: आधुनिक तोप जैसा।
  • महावीर, बुद्ध, और मखलीपुत्र गोसाल को निर्वाण अजातशत्रु के समय मिला।
  • 483 ई.पू. में राजगृह की सप्तवर्णी गुफा में पहली बौद्ध संगीति हुई।
  • बुद्ध की अस्थियों पर राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया।
  • गंगा और सोन नदियों के संगम पर दुर्ग शुरू किया।
  • बेटे उदयिन ने 459 ई.पू. में इसकी हत्या की।

उदयिन (460–444 ई.पू.)

  • पिता अजातशत्रु की हत्या कर राजा बना।
  • गंगा और सोन के किनारे पाटलिपुत्र (कुसुमपुर) बसाया, इसे राजधानी बनाया।
  • उदयिन के समय काशी, अंग, और वज्जि पूरी तरह मगध में मिले।
  • हर्यक वंश का आखिरी शासक नागदशक था, जिसे बनारस के राज्यपाल शिशुनाग ने मारकर नाग वंश शुरू किया।

3. शिशुनाग (नाग) वंश (412–344 ई.पू.)

  • शासक:
    • शिशुनाग
    • कालाशोक
    • नंदिवर्धन (10 राजा + 9 भाई सामूहिक शासन)
  • संस्थापक: शिशुनाग।
    • बनारस का राज्यपाल, वैशाली की नगरवधू का बेटा।
    • नागदशक की हत्या कर राजा बना।
  • यूनानी इतिहासकार कर्टियस के मुताबिक, अग्रसेन नाई ही महापद्मनंद था, जिसने नंद वंश शुरू किया।
  • अग्रसेन ने कालाशोक के 10 बेटों को रानी की मदद से मारा।

4. नंद वंश (344–322/323 ई.पू.)

  • संस्थापक: महापद्मनंद (उग्रसेन/अग्रसेन)।
  • बौद्ध, जैन ग्रंथों में इसे अग्रसेन, महाबोधिवंश में उग्रसेन कहा गया।
  • महापद्मनंद:
    • क्षत्रियों को खत्म करने की कसम खाई, इसलिए “सर्वक्षत्रान्तक” और “सर्वक्षायन्तक” कहलाया।
    • यूनानी और जैन स्रोतों के मुताबिक नाई था।
    • इक्ष्वाकु, काशी, कौशल, पांचाल को जीतकर मगध में मिलाया।
    • मैसूर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से (कुन्तल) पर भी राज किया।
    • मगध में “एकराट” (एकछत्र शासक) का खिताब पाने वाला पहला राजा।
    • “नवानंद दोहरा” नाम का शहर बसाया।
  • कुल 9 शासक, जिन्हें “नवानंद” या “नवभातरौ” कहा गया।
  • पहला शासक: महापد्मनंद, आखिरी: घनानंद
  • बीच के शासकों का इतिहास अज्ञात।
  • घनानंद:
    • अकूत दौलत का मालिक।
    • यूनानी लेखकों ने इसे “अग्रमीज” कहा।
    • मगध का विस्तार गंगा, यमुना से व्यास नदी तक।
    • नंदों के अत्याचारों का ज़िक्र मुद्राराक्षस (विशाखदत्त) में।
    • मुद्राराक्षस में नंदों को “क्षत्रिय” कहा गया, जो इकलौता ऐसा ग्रंथ है।
    • 322 ई.पू. में चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य और घनानंद के मंत्रियों के साथ मिलकर घनानंद को मारा।
  • नंद शासक जैन धर्म के अनुयायी थे (मुद्राराक्षस)।
  • नंद वंश के खात्मे के बाद मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ी।

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