गुप्तकाल (275 ई.–550 ई.) को भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग या क्लासिकल युग कहा जाता है। इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान, प्रशासन, और धार्मिक सहिष्णुता का चरमोत्कर्ष देखा गया। गुप्त वंश ने मौर्यकाल के बाद भारत में राजनैतिक एकता को पुनः स्थापित किया और सांस्कृतिक विकास को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। यह आर्टिकल गुप्तकाल के सभी पहलुओं—उत्पत्ति, शासक, प्रशासन, सामाजिक-आर्थिक जीवन, धार्मिक स्थिति, कला, साहित्य, विज्ञान, और पतन—को विस्तार से प्रस्तुत करता है। 📜
Table of Contents
गुप्तकाल की उत्पत्ति 🏛️
- स्वर्णिम युग: गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है, क्योंकि इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान, और प्रशासन में अभूतपूर्व प्रगति हुई। 🌟
- मौर्य पतन के बाद: मौर्य साम्राज्य के पतन (185 ई.पू.) के बाद भारत में राजनैतिक एकता समाप्त हो गई थी। तीसरी शताब्दी में गुप्त वंश ने एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित कर पुनः एकता कायम की। 🏰
- कुषाणों के सामंत: गुप्त कुषाणों के अधीन सामंत थे, जिन्होंने धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ाकर स्वतंत्र साम्राज्य की नींव रखी। 👑
गुप्तों की जाति 🤔
गुप्तों की जाति को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं:
- क्षत्रिय: गौरी शंकर हीराचंद ओझा और रमेशचंद्र मजूमदार ने गुप्तों को क्षत्रिय माना। 🗡️
- ब्राह्मण: हेमचंद्र राय चौधरी और श्रीराम गोयल ने इन्हें ब्राह्मण माना। 📚
- शूद्र: के.पी. जायसवाल ने गुप्तों को शूद्र कहा। ⚒️
- वैश्य: एलन, अल्तेकर, और रोमिला थापर ने इन्हें वैश्य माना। 💰
- जाट/जर्ट: चंद्रगोमिन के व्याकरण में गुप्तों को जाट या जर्ट कहा गया। 🌾
- नोट: विद्वानों में एकमत न होने के कारण गुप्तों की जाति स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ उनकी सामाजिक स्थिति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। 🌟
गुप्त शासकों का क्रम 👑
गुप्त वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है:
- श्रीगुप्त: संस्थापक, आदिपुरुष, गूढ़पुरुष।
- घटोत्कच
- चन्द्रगुप्त प्रथम: वास्तविक संस्थापक।
- समुद्रगुप्त: महानतम शासक।
- रामगुप्त
- चन्द्रगुप्त द्वितीय: विक्रमादित्य।
- कुमारगुप्त प्रथम
- स्कन्दगुप्त
- पुष्यगुप्त
- कुमारगुप्त द्वितीय
- बुद्धगुप्त
- नरसिंह गुप्त: बलादित्य।
- भानुगुप्त
- वैन्यगुप्त
- कुमारगुप्त तृतीय
- विष्णुगुप्त: अंतिम शासक।
प्रमुख गुप्त शासक और उनकी उपलब्धियाँ 🏆
श्रीगुप्त (275 ई.–300 ई.) 🌟
- संस्थापक: गुप्त वंश का आदिपुरुष, जिसे गूढ़पुरुष भी कहा जाता है। 👑
- उपाधि: महाराज। 🏛️
- चीनी यात्री इत्सिंग: श्रीगुप्त को चिलिकितो के नाम से संबोधित किया। 🧳
- मंदिर निर्माण: चीनी भिक्षुओं के लिए श्रीपतनमृगदाय मंदिर बनवाया, जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक था। 🕍
- उत्तराधिकारी: पुत्र घटोत्कच (300 ई.–319 ई.), जिसने भी महाराज उपाधि धारण की। 👑
- महत्व: श्रीगुप्त ने गुप्त वंश की नींव रखी, जो बाद में भारत का स्वर्णिम युग बना। 🌟
घटोत्कच (300 ई.–319 ई.) 🏛️
- उपाधि: महाराज। 👑
- शासनकाल: श्रीगुप्त के बाद शासक बना, लेकिन उनकी उपलब्धियों के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं। 📜
- महत्व: गुप्त वंश को स्थिरता प्रदान की और चन्द्रगुप्त प्रथम के लिए मजबूत आधार तैयार किया। 🏰
चन्द्रगुप्त प्रथम (319 ई.–350 ई.) 🏰
- वास्तविक संस्थापक: गुप्त वंश का प्रथम प्रसिद्ध राजा, जिसने साम्राज्य को विस्तार दिया। 👑
- उपाधि: महाराजाधिराज, गुप्त वंश में प्रथम। 🏛️
- विवाह: वैशाली के प्राचीन लिच्छवि वंश की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह, जिसने गुप्तों की शक्ति को मजबूत किया। 💍
- सिक्के: कुमारदेवी के नाम के सिक्के चलाए, जो भारतीय इतिहास में पहली ऐसी राजकुमारी थीं जिनके नाम सिक्के जारी हुए। 🪙
- गुप्त संवत्: 319 ई. में अपने राज्यारोहण की स्मृति में शुरू किया, जो गुप्तकाल की शुरुआत का प्रतीक है। 📅
- महत्व: चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश को एक शक्तिशाली साम्राज्य में बदलने की नींव रखी। 🌟
समुद्रगुप्त (350 ई.–375 ई.) ⚔️
- जानकारी का स्रोत: प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ लेख), जो गुप्तकाल का सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख है। 📜
- रचना: हरिषेण (कवि)। ✍️
- उत्कीर्णन: तिलभट्ट। 🖌️
- भाषा: विशुद्ध संस्कृत, गद्य और पद्य (चम्पू शैली)। 📚
- लिपि: ब्राह्मी। 🖋️
- खोज: एन्ट्रायर द्वारा। 🧑🎓
- उपनाम: विसेंट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा, क्योंकि उन्होंने व्यापक विजय अभियान चलाए। 🏇
- सिक्के:
- अश्वमेघ पराक्रम और वीणा वादन के चित्रण वाले सिक्के। 🪙
- लिच्छवी दौहित्र (कुमारदेवी का पौत्र) के रूप में उल्लेख। 👑
- ऐरण अभिलेख: समुद्रगुप्त को प्रसन्न होने पर कुबेर और रूष्ट होने पर यमराज के समान बताया। 😊😡
- श्रीलंका: श्रीलंका के शासक मेघवर्मन ने समुद्रगुप्त से बोधगया में बौद्धमठ बनाने की अनुमति मांगी। 🙏
- विजय: 100 युद्धों के विजेता के रूप में प्रसिद्ध। ⚔️
- नीतियाँ:
- आर्यावर्त: प्रसभोद्वरण (जड़मूल से उखाड़ना)। 🗡️
- दक्षिणापथ: ग्रहणमोक्षानुग्रह (पकड़ना और छोड़ना)। 🌴
- आटविक राज्य: परिचारकीकृत नीति (सेवक बनाना)। 🏞️
- सीमावर्ती राज्य: सर्वकरदान, आज्ञाकरण, प्राणगमन (कर, आज्ञापालन, दर्शन)। 🗺️
- विदेशी शक्तियाँ: गुरूत्मंदक स्वविषय भुक्तिशासन याचना (शक, कुषाण)। 🌍
- कृष्णचरित्र: समुद्रगुप्त की रचना, जो उनके साहित्यिक कौशल को दर्शाती है। 📖
- नोट:
- प्रयाग प्रशस्ति में अश्वमेघ यज्ञ का उल्लेख नहीं। 📜
- इस पर बीरबल और जहांगीर के लेख भी मिले। 👑
समुद्रगुप्त के सिक्के 🪙
| प्रकार | विवरण | उपाधि |
|---|---|---|
| गरुड़ | अग्र भाग पर गरुड़ का अंकन, पृष्ठ भाग पर सिंहासनारूढ़ समुद्र और दत्तदेवी। | पराक्रमांक |
| धनुर्धारी | समुद्रगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा धारित। | अप्रतिरथ (जिसके विजय रथ को रोका न जा सके) |
| परशु | परशु का अंकन। | कृतांत परशु |
| अश्वमेघ | अग्र भाग पर अश्वमेघ पराक्रमांक, पृष्ठ भाग पर दत्तदेवी के साथ अश्वमेघ यज्ञ। | – |
| व्याघ्रहनन | व्याघ्र पराक्रम का अंकन। | – |
| वीणावादिन | समुद्रगुप्त को वीणा बजाते हुए। | कविराज |
- महत्व: समुद्रगुप्त ने गुप्त साम्राज्य को विशाल बनाया और अपनी सैन्य, कूटनीतिक, और सांस्कृतिक उपलब्धियों से इसे स्वर्णिम युग की ओर ले गए। 🌟
रामगुप्त (375 ई.–380 ई.) 😞
- कमजोर शासक: समुद्रगुप्त के बाद शासक बना, लेकिन गुप्त वंशावली में इसका उल्लेख नहीं। 👑
- शक आक्रमण: शकों के आक्रमण के दौरान कमजोरी दिखाई; अपनी पत्नी ध्रुवस्वामिनी को शकों को सौंप दिया। 😢
- चन्द्रगुप्त द्वितीय: ध्रुवस्वामिनी को मुक्त करवाया और रामगुप्त की हत्या कर स्वयं शासक बना। ⚔️
- उल्लेख:
- विशाखदत्त: देवीचन्द्रगुप्तम। 📖
- बाणभट्ट: हर्षचरित। 📜
- राजशेखर: काव्यमीमांसा। 📚
- ऐतिहासिकता: राखालदास बनर्जी ने 1924 में रामगुप्त की ऐतिहासिकता को साबित करने का प्रयास किया। 🧑🎓
- महत्व: रामगुप्त का शासन गुप्त वंश का कमजोर काल था, जिसे चन्द्रगुप्त द्वितीय ने पुनर्जनन दिया। 🌟
चन्द्रगुप्त द्वितीय (380 ई.–412/14 ई.) 🌟
- नाम और उपाधियाँ: देवराज, देवगुप्त, विक्रमादित्य, तत्परिगृहीत, विक्रमांक, परमभागवत, राजाधिराऋर्षि। 👑
- विवाह: नागवंश की कुबेरनागा से विवाह; पुत्री प्रभावती गुप्त का वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय से विवाह, जिसने गुप्तों की शक्ति बढ़ाई। 💍
- शक विजय: शक शासक रुद्रसिंह तृतीय को पराजित कर विक्रमादित्य उपाधि धारण की; शक विजय के उपलक्ष्य में चांदी के सिक्के जारी किए। 🪙
- महरौली लौह स्तंभ: संस्कृत में राजा चन्द्र का उल्लेख, जिसे चन्द्रगुप्त द्वितीय से जोड़ा जाता है। 🏛️
- दरबार: नवरत्न—कालिदास, वराहमिहिर, शंकु, धन्वन्तरी, क्षपणक, अमरसिंह, वेताल भट्ट, घटकर्पर, वररुचि। 🌟
- नोट: आर्यभट्ट नवरत्न में शामिल नहीं। 🔍
- चीनी यात्री फाह्यान: 399–414 ई. में भारत आया, फो-क्यों-की ग्रंथ लिखा, जिसमें गुप्तकालीन समाज और प्रशासन का वर्णन है। 🧳
- राजधानियाँ: पाटलिपुत्र (प्रथम), उज्जैन (द्वितीय)। 🏰
- महत्व: चन्द्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त साम्राज्य को सांस्कृतिक और सैन्य दृष्टि से चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया। 🌟
कुमारगुप्त प्रथम (414 ई.–455 ई.) 🏛️
- उपाधियाँ: महेंद्रादित्य, श्री महेंद्र, अश्वमहेंद्र। 👑
- अभिलेख: गुप्त शासकों में सर्वाधिक अभिलेख; बांग्लादेश से भी प्राप्त। 📜
- सिक्के: 14 प्रकार, बयाना (भरतपुर) में चांदी की मयूरशैली सिक्के सर्वोत्कृष्ट। 🪙
- शैव अनुयायी: सिक्कों पर गरुड़ के स्थान पर मयूर का अंकन। 🦚
- ह्वेनसांग: कुमारगुप्त को शक्रादित्य कहा। 🧳
- अभिलेख:
- तुमैन: शरदकालीन सूर्य की भांति शांत। 🌞
- विलसड़, मंदसौर प्रशस्ति: रचयिता वत्सभट्टि। ✍️
- पुष्यमित्र आक्रमण: भीतरी स्तंभ लेख में उल्लेख। ⚔️
- नालंदा बौद्ध विहार: स्थापना; बौद्ध धर्म का ऑक्सफोर्ड। 📚
- पुस्तकालय: धर्मगंज (रत्नरंजक, रत्नसागर, रत्नोदधी)। 📖
- ह्वेनसांग: 6000 बौद्ध ग्रंथ ले गया। 🧳
- महत्व: कुमारगुप्त ने गुप्त साम्राज्य की समृद्धि और सांस्कृतिक विकास को बनाए रखा। 🌟
स्कंदगुप्त (455 ई.–467 ई.) ⚔️
- उपाधियाँ: क्रमादित्य, विक्रमादित्य, शक्रोपम, परमभागवत। 👑
- अंतिम प्रतापी शासक: पिता कुमारगुप्त के समय पुष्यमित्रों और बाद में हूणों का सामना किया। ⚔️
- हूण विजय: भीतरी स्तंभ लेख, जूनागढ़ शिलालेख (हूणों को मलेच्छ); विक्रमादित्य उपाधि। 🏆
- सुदर्शन झील: पर्णदत्त और पुत्र चक्रपालित द्वारा पुनर्निर्माण। 🌊
- अभिलेख: गढ़वा (अंतिम), कहौम स्तंभ (शक्रोपम)। 📜
- राजधानी: अयोध्या। 🏰
- सिक्के: नंदी (बैल) प्रकार, मिलावट शुरू। 🪙
- नोट: पुरुषगुप्त प्रथम बौद्ध शासक, वृद्धावस्था में शासक बना। 🙏
- महत्व: स्कंदगुप्त ने गुप्त साम्राज्य को बाह्य आक्रमणों से बचाया, लेकिन आर्थिक कमजोरी शुरू हुई। 🌟
भानुगुप्त (510 ई.) 🏹
- हूण आक्रमण: मिहिरकुल (तोरमाण का पुत्र) का मालवा पर अधिकार; भानुगुप्त ने सेनापति गोपराज के नेतृत्व में विशाल सेना बनाकर पराजित किया। ⚔️
- सती प्रथा: गोपराज वीरगति को प्राप्त हुआ; उसकी पत्नी ने सती की। एरण अभिलेख में सती का प्रथम उल्लेख। 🔥
- विजय स्तंभ: मध्य प्रदेश में गोपराज की स्मृति में। 🏛️
- नरसिंह गुप्त बलादित्य: ह्वेनसांग के अनुसार मिहिरकुल को बंदी बनाया, माता के कहने पर मुक्त किया। 🙏
- महत्व: भानुगुप्त ने हूणों के खिलाफ गुप्त साम्राज्य की रक्षा की। 🏆
अन्य परवर्ती शासक (467 ई.–550 ई.) 👑
- नरसिंह गुप्त, कुमारगुप्त द्वितीय, बुद्धगुप्त, वैन्यगुप्त, कुमारगुप्त तृतीय, विष्णुगुप्त: इन शासकों ने मिलकर गुप्त साम्राज्य को संभाला, लेकिन धीरे-धीरे कमजोर हुआ। 😞
हूण कौन? 🌍
- मध्य एशिया की खानाबदोश जाति: अपूर्व युद्ध क्षमता के लिए प्रसिद्ध। 🏇
- तोरमाण: स्कंदगुप्त के समय आक्रमण, पराजित। ⚔️
- मिहिरकुल: भानुगुप्त और नरसिंह गुप्त द्वारा पराजित। 🏹
- महत्व: हूणों के आक्रमणों ने गुप्त साम्राज्य को कमजोर किया। 😞
गुप्तकालीन प्रशासन 🏛️
- स्वर्ण-युग: हिंदू संस्कृति का क्लासिकल युग। 🌟
- साम्राज्य: उत्तर में हिमालय से दक्षिण में विंध्य पर्वत, पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में सौराष्ट्र तक। 🗺️
- राजधानी: पाटलिपुत्र (प्रथम), उज्जैन (चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा दूसरी)। 🏰
- शासन व्यवस्था: राजतंत्रात्मक, मौर्यकाल के विपरीत विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति। 👑
- उपाधियाँ: महाराजाधिराज, परमभट्टारक, एकाधिराज, पृथ्वीपाल, परमेश्वर, सम्राट, परमदेवता, चक्रवर्तिन। 👑
- राजा: विष्णु के रूप में पूजा। 🙏
- राज्य चिह्न: गरुड़। 🦅
केंद्रीय अधिकारी 📋
| पद | विवरण |
|---|---|
| प्रतिहार | सुरक्षा अधिकारी |
| महाप्रतिहार | सुरक्षा अधिकारियों का मुखिया |
| महाबलाधिकृत | सेनापति (महा सेनापति) |
| महादण्डनायक | मुख्य न्यायाधीश |
| महासंधिविग्राहिक | सामान्य समय में विदेशी मंत्री, युद्धकाल में शांति/संधि |
| कुमारामात्य | सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी (वर्तमान IAS समान) |
| अमात्य | नौकरशाह |
| पुस्तपाल | भूमि का लेखा-जोखा |
| दण्डपाशिक | पुलिस अधिकारी (वर्तमान SP समान) |
| गोल्मिक | वन अधिकारी |
| विनयस्थिति स्थापक | सर्वोच्च धार्मिक अधिकारी |
| महाअक्षपटलिक | आय-व्यय का ब्यौरा (वित्त मंत्री) |
| शौल्किक | सीमा शुल्क वसूलने वाला |
| ध्रुवाधिकारणिक | राजस्व संग्रह |
| रणभंडागारिक | सेना की सामग्री |
| महाभंडाराधिकृत | कोषाध्यक्ष |
| अग्रहारिक | दान विभाग का प्रमुख |
| करणिक | लिपिक |
- हरिषेण: समुद्रगुप्त के समय महादण्डनायक, महासंधिविग्रहक, और कुमारामात्य। ✍️
- वीरषेण: चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय ये तीनों पद। ✍️
प्रांतीय शासन 🗺️
- प्रांत: भुक्ति, अवनी, देश। 🏛️
- प्रांतपति: गोप्ता या उपरिक। 👑
- प्रमुख प्रांत: कालप्रांतप्रांतीय शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय तीरभुक्ति गोविंद गुप्त कुमारगुप्त प्रथम पूर्वी मालवा (एरण) घटोत्कच गुप्त कुमारगुप्त प्रथम उत्तरी बंगाल (पुण्ड्रवर्द्धन) चिरादत्त स्कंदगुप्त सौराष्ट्र पर्णदत्त
- अन्य प्रांत: पश्चिमी मालवा, मगध। 🗺️
- जिला: विषय, प्रधान विषयपति (कुमारामात्य)। 📍
- नगर: नगरपालिकाएँ, प्रधान पुरपाल (जैसे चक्रपालित, गिरनार)। 🏙️
- ग्राम सभा: मध्य भारत में पंचमण्डली। 🌾
- नगरश्रेष्ठि: व्यापारियों/श्रेणियों का प्रधान। 💰
- सार्थवाह: व्यवसायियों का प्रधान। 🚚
न्याय प्रशासन ⚖️
- सर्वोच्च न्यायाधीश: सम्राट; महादण्डनायक मुख्य न्यायाधीश। 👑
- संस्थाएँ: पूग और कुल (स्मृति ग्रंथों में)। 📜
- महत्व: गुप्तकाल में न्याय व्यवस्था व्यवस्थित थी, जिसमें सम्राट अंतिम निर्णयकर्ता था। ⚖️
सैनिक संगठन 🗡️
- महाबलाधिकृत: सेना का सर्वोच्च अधिकारी। 🏹
- महापीलुपति: हाथी सेना का प्रधान। 🐘
- भटाश्वपति: घुड़सवार सेना का प्रधान। 🐎
- रणभंडागारिक: सेना में साजो-सामान की व्यवस्था। ⚔️
- अस्त्र-शस्त्र: शर, तोमर, मिन्दिपाल, नाराच, परशु, शंकु (प्रयाग प्रशस्ति)। 🛡️
- महत्व: गुप्त सेना संगठित और शक्तिशाली थी, जिसने हूणों और पुष्यमित्रों को पराजित किया। 🏆
भूमि और राजस्व 💰
- अग्रहार: मंदिरों और ब्राह्मणों को करमुक्त भूमि। 🌾
- अधिकारी: महाअक्षपटलिक और करणिक (भू-आलेख संरक्षण)। 📜
- भूमिकर: उद्रंग और भागकर; उपज का छठा भाग। 🌾
- कर: भूतोवात प्रत्याय (आयात-निर्यात); शौल्किक (सीमा शुल्क)। 💸
- कर दर: 1/4 से 1/6; हिरण्य (नकद) या मेय (अन्न)। 🪙
- महत्व: गुप्तकाल में राजस्व व्यवस्था व्यवस्थित थी, जो आर्थिक समृद्धि का आधार थी। 💰
सामाजिक जीवन 👨👩👧👦
- वर्णव्यवस्था: चार वर्ण—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र; अनेक जातियाँ। 🧑🏫
- अस्पृश्यता: फाह्यान के विवरण के अनुसार चाण्डाल (अछूत) का उल्लेख। 😞
- प्रतिष्ठा: ब्राह्मण और क्षत्रिय सर्वाधिक प्रतिष्ठित। 🌟
- मृच्छकटिकम्: चारुदत्त (ब्राह्मण) को सार्थवाह (व्यापारी) कहा। 📖
- महत्व: गुप्तकालीन समाज में वर्णव्यवस्था कठोर थी, लेकिन सामाजिक गतिशीलता भी थी। 👪
आर्थिक जीवन 💰
- समृद्धि: गुप्तकाल आर्थिक दृष्टि से समृद्ध था। 🌾
- कृषि और पशुपालन: कालिदास ने इनके महत्व को रेखांकित किया। 🚜
- श्रेणियाँ (Guilds): व्यवसाय और उद्योग संचालन; पट्वाय श्रेणी (रेशमी सूत, मंदसौर), तैलिक श्रेणी (इंदौर)। 🛠️
- बैंकिंग: श्रेणियाँ बैंकों का कार्य करती थीं। 🏦
- सिक्के: सोना और चांदी का अनुपात 1:16। 🪙
- व्यापारिक नगर: उज्जयिनी, भड़ौच, प्रतिष्ठान, विदिशा, पाटलिपुत्र, प्रयाग, ताम्रलिप्ति, वैशाली, अहिच्छत्र, कौशाम्बी, मथुरा। 🏙️
- बंदरगाह: ताम्रलिप्ति (बंगाल), भृगुकच्छ (भड़ौच)। ⚓
- सार्थ: व्यापारी समूह; मुखिया सार्थवाह। 🚚
- निगम: व्यापारी समिति; मुखिया श्रेष्ठि। 💼
- नदियाँ: गंगा, नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र से व्यापार। 🌊
- महत्व: गुप्तकाल में व्यापार और उद्योग ने साम्राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत किया। 💰
धार्मिक जीवन 🙏
- वैष्णव धर्म: गुप्त सम्राट परमभागवत उपाधि के साथ वैष्णव थे; उत्तर भारत में प्रचलित। 🕉️
- ब्राह्मण धर्म: उन्नति का काल। 🌟
- बौद्ध धर्म: समुद्रगुप्त ने बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को पुत्र की शिक्षा के लिए नियुक्त किया। 🙏
- उपासना: विष्णु, नाग, सूर्य, शिव, यक्ष, दुर्गा, गंगा-यमुना। 🕍
- महत्व: गुप्तकाल में धार्मिक सहिष्णुता थी, जिसमें विभिन्न धर्मों का विकास हुआ। 🌈
गुप्तकालीन कला, साहित्य, और विज्ञान 🎨📚🔬
साहित्य 📖
- संस्कृत: गुप्तकाल की राजभाषा, जिसकी उन्नति हुई। ✍️
- प्रयाग प्रशस्ति: हरिषेण द्वारा रचित, समुद्रगुप्त को कविराज कहा; गद्य-पद्य (चम्पू)। 📜
- वीरषेण: उदयगिरि गुहालेख। 🏛️
- वत्सभट्टि: कुमारगुप्त का दरबारी कवि, मंदसौर प्रशस्ति। ✍️
- कालिदास: भारत का शेक्सपियर। 🌟
- काव्य:
- ऋतुसंहार: 6 सर्गों का खण्ड काव्य, कालिदास की प्रथम रचना। 🌸
- मेघदूत: पूर्वमेघ और उत्तरमेघ, यक्ष की विरहगाथा। ☁️
- कुमारसंभव: शिव-पार्वती और कार्तिकेय जन्म। 🕉️
- रघुवंश: इक्ष्वाकु राजाओं (दिलीप से अग्निवर्ण) का चरित्र। 👑
- नाटक:
- मालविकाग्निमित्रम्: शुंग राजा अग्निमित्र और मालविका की प्रणय कथा। 🎭
- विक्रमोर्वशीयम: पुरुरवा और उर्वशी की प्रणय कथा। 💕
- अभिज्ञान शाकुन्तलम्: दुष्यन्त और शकुन्तला की सर्वोत्कृष्ट रचना। 🌟
- काव्य:
- अन्य रचनाएँ: पुस्तक लेखक विवरण देवीचन्द्रगुप्तम, मुद्राराक्षस विशाखदत्त नायिका-विहीन नाटक। 🎭 काव्यदर्शन, दशकुमारचरितम् दण्डिन साहित्यिक रचनाएँ। 📖 किरातार्जुनीयम भारवि 18 सर्गों का महाकाव्य। 📜 रावणवध/भट्टिकाव्य भट्टि महाकाव्य। 📖 अमरकोष अमरसिंह लिंगानुशासन। 📚 पंचतंत्र विष्णु शर्मा 50 भाषाओं में अनुवादित कथा संग्रह। 📖 कामसूत्र वात्स्यायन प्रेम और सामाजिक जीवन। 💑 चन्द्रव्याकरण चन्द्रगोमिन संस्कृत व्याकरण। 📚 विसुद्धिमग्ग बुद्धघोष बौद्ध ग्रंथ। 🙏 मृच्छकटिकम् शूद्रक मिट्टी की गाड़ी, 10 अंक। 🎭 काव्यालंकार भामह साहित्य शास्त्र। 📖 दशावतार क्षेमेन्द्र काव्य। 📜
- पुराण: रामायण और महाभारत को अंतिम रूप। 📜
- स्मृतियाँ: नारद, कात्यायन (आर्थिक), पाराशर, बृहस्पति (विधि)। 📚
- षड्दर्शन: पूर्ण विकास। 🧠
- महत्व: गुप्तकाल में संस्कृत साहित्य ने विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त की। 🌟
विज्ञान और तकनीक 🔬
- आर्यभट्ट:
- आर्यभट्टीयम्: चार भाग—दशगीतिकापाद, गणितपाद, कालक्रियापाद, गोलापाद। 📚
- पृथ्वी गोल, अपनी धुरी पर घूमती है, सूर्य का चक्कर लगाती है; सूर्य-चन्द्र ग्रहण। 🌍
- दशमलव प्रणाली का विकास। 🔢
- 800 ई. में अरबी अनुवाद: जीज-अल-बहर (जॉर्ज बूलर)। 📖
- वराहमिहिर:
- वृहत्संहिता: खगोल, वनस्पति, प्राकृतिक इतिहास का विश्वकोष। 🔭
- पृथ्वी में आकर्षण शक्ति। 🌌
- पंचसिद्धान्तिका: पितामह, वशिष्ठ, रोमक, पोलिश, सूर्य सिद्धांत; टीकाकार भटोत्पल। 📚
- वृहज्जातक, लघु जातक: ज्योतिष। 🔮
- ब्रह्मगुप्त: गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत। 🌌
- धन्वन्तरी: आयुर्वेदाचार्य, चन्द्रगुप्त द्वितीय का नवरत्न। 🩺
- नागार्जुन: रस चिकित्सा, धातु विज्ञान, पारा खोज; सोना, चांदी, तांबा, लोहा में रोग प्रतिरोधक क्षमता। ⚗️
- महरौली लौह स्तंभ: धातु विज्ञान का नमूना, जंग-मुक्त। 🏛️
- सुल्तानगंज बुद्ध प्रतिमा: 7.5 फीट, 1 टन, तांबे की, बर्मिंघम संग्रहालय। 🗿
- महत्व: गुप्तकाल में विज्ञान और तकनीक ने विश्व को प्रभावित किया। 🔬
वास्तुकला: मंदिर निर्माण 🏛️
- प्रथम मंदिर: गुप्तकाल में शिखर युक्त मंदिर और सभा मंडपों का निर्माण शुरू हुआ। 🕍
- विशेषताएँ:
- ईंट और पत्थर से निर्माण, ऊँचा चबूतरा, सीढ़ियाँ। 🪨
- गर्भगृह: वर्गाकार, मकरवाहिनी (गंगा), कूर्मवाहिनी (यमुना) द्वारपाल। 🌊
- प्रारंभ में सपाट छत, बाद में शिखर। 🏛️
- शंख और पद्म अंकन (कालिदास)। 🐚
- चार सिंह मूर्तियाँ स्तंभ शीर्ष पर। 🦁
- सिरपुर और भीतर गाँव: ईंटों से निर्मित मंदिर। 🏛️
मंदिर निर्माण शैलियाँ 🏛️
- नागर शैली:
- उत्तर भारत, आर्य शैली। 🌟
- विशाल शिखर, सभा मंडप। 🏛️
- उदाहरण: देवगढ़ दशावतार मंदिर (प्रथम शिखर युक्त)। 🕍
- द्रविड़ शैली:
- दक्षिण भारत, गोपुरम् (विशाल प्रवेशद्वार)। 🏛️
- पिरामिड आकार, चट्टान काटकर निर्माण। 🪨
- पल्लव और चोल संरक्षण। 👑
- बेसर शैली:
- नागर और द्रविड़ का मिश्रण, खच्चर/चच्चर शैली। 🌟
- चालुक्य संरक्षण। 👑
- एकायतन शैली:
- गर्भगृह में 1 प्रतिमा। 🗿
- पंचायतन: 1-5 प्रतिमाएँ। 🕉️
- महामारू: एक स्थान पर अनेक मंदिर। 🏛️
- तक्षण कला: छैनी-हथौड़ा मूर्ति निर्माण। ⚒️
- सिलावट: मूर्ति निर्माता। 🗿
प्रमुख मंदिर 🏛️
- साँची मंदिर (17):
- साँची महास्तूप के दक्षिण-पूर्व, सपाट छत, चौकोर गर्भगृह, छोटा मंडप। 🏛️
- गुप्तकाल का प्रारंभिक मंदिर। 🌟
- भूमरा शिव मंदिर (सतना, मध्य प्रदेश):
- पाषाण गर्भगृह, गंगा-यमुना आकृति, एकमुखी शिवलिंग। 🕉️
- 5वीं शताब्दी। 📅
- तिगवा विष्णु मंदिर (जबलपुर, मध्य प्रदेश):
- गर्भगृह, कलश-सिंह मूर्ति, गंगा-यमुना। 🕉️
- एरण विष्णु मंदिर (सागर, मध्य प्रदेश):
- ध्वस्त, केवल गर्भगृह का द्वार और दो स्तंभ। 🏛️
- नचना-कुठार पार्वती मंदिर (पन्ना, मध्य प्रदेश):
- परिक्रमापथ, 5वीं शताब्दी। 🕉️
- देवगढ़ दशावतार मंदिर (ललितपुर, उत्तर प्रदेश):
- पंचायतन शैली, 12 मीटर शिखर, विष्णु शेषशय्या, लक्ष्मी। 🕉️
- गुप्तकाल का प्रथम शिखर युक्त मंदिर, वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना। 🌟
- भीतर गाँव विष्णु मंदिर (कानपुर, उत्तर प्रदेश):
- ईंटों से निर्मित, प्रथम हिंदू मंदिर। 🏛️
- शिखर में मेहराब, गणेश, आदिवराह, नंदी, दुर्गा मूर्तियाँ। 🗿
- लखनऊ संग्रहालय में ईंटें सुरक्षित। 🏛️
- सिरपुर लक्ष्मण मंदिर (रायपुर, छत्तीसगढ़):
- ईंटों से निर्मित। 🕉️
- मुकन्द दर्रा (कोटा, राजस्थान):
- प्रारंभिक गुप्त मंदिर। 🏛️
- खोह शिव मंदिर (नागौद, मध्य प्रदेश):
- शिव मंदिर। 🕉️
- अन्य अवशेष: सतना (खोह, नागौद), जबलपुर (मढ़ी), उचेहरा (पिपरिया, विष्णु मंदिर, के.डी. वाजपेयी, 1968)। 🏛️
मंदिरों की मुहर 📜
- विष्णुपाद मंदिर (गया, बिहार): विष्णुपाद स्वामी नारायण। 🕉️
- सूर्य मंदिर (वैशाली): भगवतो आदित्यस्य। ☀️
स्तूप और गुहा स्थापत्य 🏛️
- स्तूप:
- राजगृह: जरासंध की बैठक। 🙏
- सारनाथ: धमेख स्तूप। 🏛️
- नालंदा: नरसिंह गुप्त बलादित्य द्वारा बुद्ध का भव्य मंदिर। 🕍
अजंता की गुफाएँ 🖼️
- स्थान: औरंगाबाद, महाराष्ट्र; कुल 29 गुफाएँ। 🏛️
- खोज: 1819, विलियम एरिक्सन (मद्रास रेजिमेंट)। 🧑🎓
- निर्माण: वाकाटक नरेश पृथ्वीसेन II के सामंत वराहदेव, व्याघ्रदेव। 👑
- आकार: घोड़े की नाल। 🐎
- चैत्य गुफाएँ: 9, 10, 19, 26 (बौद्ध मठ)। 🙏
- चित्रशाला: गुफा 17 (सर्वाधिक चित्र)। 🖼️
- गुप्तकालीन: गुफा 16, 17 (कुछ इतिहासकार गुफा 19 को भी शामिल करते हैं)। 🌟
- हीनयान: गुफा 8, 13 (सबसे प्राचीन)। 🙏
- महायान: बौद्ध धर्म की शाखा। 🕉️
- चित्र:
- गुफा 16:
- बुद्ध के वैराग्य के 4 दृश्य। 🧘
- उपदेश सुनते भक्तगण। 🙏
- मरणासन्न राजकुमारी (सबसे प्रसिद्ध)। 🖼️
- गुफा 17:
- महाभिनिष्क्रमण (बुद्ध का गृहत्याग)। 🙏
- यशोधरा द्वारा राहुल दान (त्याग)। 🖼️
- अन्य:
- झुला-झूलती राजकुमारी (गुफा 2)। 🎠
- बैठी स्त्री (गुफा 9)। 👩
- पुजारी-स्तूप की ओर (गुफा 9)। 🙏
- साँड़ों की लड़ाई (गुफा 1)। 🐂
- पुलकेशिन II और खुसरो (गुफा 1)। 👑
- गुफा 16:
- महत्व: अजंता की गुफाएँ गुप्तकालीन चित्रकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। 🌟
बाघ की गुफाएँ 🏛️
- स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश; 9 गुफाएँ। 🏛️
- खोज: 1818, डैंजरफील्ड। 🧑🎓
- चित्र: लौकिक जीवन से संबंधित। 🖼️
- महत्व: बाघ गुफाएँ गुप्तकालीन चित्रकला का सामान्य जीवन से जुड़ा उदाहरण हैं। 🌟
मूर्तिकला 🗿
- प्रमुख केंद्र:
- मथुरा: खड़ा बुद्ध। 🙏
- सारनाथ: बैठा बुद्ध। 🧘
- पाटलिपुत्र: सुल्तानगंज (बिहार) से 7.5 फीट, 1 टन तांबे की बुद्ध प्रतिमा (बर्मिंघम संग्रहालय)। 🗿
- विशेष: कुषाणकालीन नग्नता और कामुकता का पूर्ण लोप। 🌟
- मथुरा: कुषाण प्रभावित मनकुंवर (प्रयागराज) बुद्ध मूर्ति। 🗿
- नालंदा और सुल्तानगंज: धातु मूर्तिकला। 🏛️
- शैव मूर्तियाँ:
- करमदण्डा: चतुर्मुखी शिव। 🕉️
- खोह: एकमुखी शिवलिंग। 🕉️
- मथुरा: अर्द्धनारीश्वर (2 मूर्तियाँ, मथुरा संग्रहालय)। 🗿
- विदिशा: हरिहर स्वरूप (दिल्ली संग्रहालय)। 🕉️
- पटना: मयूरासनासीन कार्तिकेय (पटना संग्रहालय)। 🗿
- महत्व: गुप्तकालीन मूर्तिकला में आध्यात्मिकता और शिल्प कौशल का समन्वय था। 🌟
प्रमुख अभिलेख 📜
- प्रयाग प्रशस्ति:
- अशोक के प्रयाग-कौशाम्बी स्तंभ पर। 🏛️
- रचना: हरिषेण; उत्कीर्णन: तिलभट्ट। ✍️
- भाषा: विशुद्ध संस्कृत; लिपि: ब्राह्मी। 📜
- समुद्रगुप्त: 100 युद्धों का विजेता, 100 घाव। ⚔️
- अश्वमेघ यज्ञ का उल्लेख नहीं। 📜
- उदयगिरि गुहालेख (विदिशा, मध्य प्रदेश):
- रचना: वीरषेण (हरिषेण का पुत्र)। ✍️
- शिव मंदिर निर्माण। 🕉️
- मथुरा स्तंभ लेख:
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय। 📜
- जैन तीर्थंकरों का उल्लेख। 🙏
- गुप्त संवत् की प्रथम जानकारी। 📅
- पूना ताम्र पत्र (महाराष्ट्र):
- प्रभावती गुप्त द्वारा उत्कीर्ण। 🪙
- शक विजय, वाकाटक गठबंधन, धरण गौत्र। 👑
- महत्व: ये अभिलेख गुप्तकाल के इतिहास, प्रशासन, और सांस्कृतिक उपलब्धियों के प्रमुख स्रोत हैं। 📜
गुप्त साम्राज्य का पतन 😞
गुप्त साम्राज्य का पतन कई कारणों का परिणाम था:
- आनुवंशिक शासकीय पद: कमजोर उत्तराधिकारी। 👑
- अयोग्य और दुर्बल अधिकारी: प्रशासनिक अक्षमता। 😢
- शासन का सामंतीकरण: विकेन्द्रीकरण से कमजोरी। 🏛️
- बाह्य आक्रमण: हूणों के आक्रमण। ⚔️
- आर्थिक संकट: सिक्कों में मिलावट, व्यापार में कमी। 💸
- महत्व: इन कारणों ने गुप्त साम्राज्य की शक्ति को धीरे-धीरे क्षीण किया। 😞

