भारत के इतिहास में विदेशी आक्रमणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से अरब और तुर्क आक्रमणों ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति, संस्कृति और समाज को प्रभावित किया। विदेशी आक्रमणों यहाँ अरब और तुर्क आक्रमणों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत है। 🌍
Table of Contents
अरब विदेशी आक्रमण 🏰
अरबों ने 8वीं शताब्दी में भारत पर पहला संगठित आक्रमण किया, जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी।
प्रमुख तथ्य 📜
- प्रथम मुस्लिम आक्रांता: मुहम्मद बिन कासिम।
- प्रथम आक्रमण: सिंध पर, 712 ई. में। 🛡️
- सिंध की राजधानी: आलौर। 🏛️
- सिंध का शासक: दाहिर (ब्राह्मण वंश)। 👑
- आक्रमण का कारण: समुद्री लुटेरों द्वारा श्रीलंका से इराक जा रहे जहाजी बेड़े को थट्टा में लूटना। 🌊
- इराक के गवर्नर: हज्जाज बिन युसुफ।
- खलीफा: वालिद।
रावर का युद्ध (712 ई.) ⚔️
- प्रतिभागी: मुहम्मद बिन कासिम बनाम दाहिर।
- परिणाम: दाहिर की पराजय और मृत्यु। 😔
- जौहर: दाहिर की पत्नी रानीबाई ने जौहर किया, जो भारतीय इतिहास में प्रथम स्पष्ट जौहर का साक्ष्य है। 🔥
- बंदी: दाहिर की पुत्रियाँ सूर्या देवी और परमल देवी को कासिम ने बंदी बनाया और खलीफा वालिद को भेजा।
- इन दोनों ने खलीफा को भड़काकर कासिम को मृत्युदंड दिलवाया। ⚖️
- दाहिर की अन्य पत्नी: लाडोदेवी। 👑
अन्य विजय और कार्य 🏰
- मुल्तान विजय (713 ई.):
- कासिम ने मुल्तान को जीता और अत्यधिक सोना लूटा। 💰
- मुल्तान का नाम बदलकर सोन नगर (सोने का नगर) रखा। 🌟
- हिंदू सैनिकों की नियुक्ति: कासिम ने अपनी सेना में हिंदुओं को शामिल किया। 🛡️
- जजिया कर: भारत में सर्वप्रथम कासिम ने लगाया (712 ई.)। 💸
- सिक्का: दिरहम नामक सिक्का प्रचलित किया। 💰
स्रोत 📖
- चचनामा:
- लेखक अज्ञात (कासिम के सिपाही द्वारा लिखित)।
- फारसी अनुवाद: अबु बकर कूफी।
- अंग्रेजी अनुवाद: यू.एम. दाउद पोटा।
- तारीख-ए-सिंध: मीर मोहम्मद मासूम।
- किताब-फुतूल-अल-बलदान: बिलादूरी।
अरबों की देन 🌴
- ऊँट पालन: भारत में प्रारंभ। 🐪
- खजूर की खेती: प्रचलन शुरू। 🌴
- पंचतंत्र का अनुवाद: अरबी में कलीला-दिमना के नाम से। 📚
- ज्योतिष ग्रंथ: ब्रह्मसिद्धान्त और खण्डखाद्यक का अरबी अनुवाद (जल जाफरी द्वारा)। 🌌
- हिन्दू शब्द: अरबों द्वारा प्रथम प्रयोग। ✍️
- मालाबार तट: अरब व्यापारी के रूप में प्रथम बार आए (केरल)। ⚓
- वुल्जले हेग: सिंध विजय को एक आकस्मिक कथा माना। 🌍
तुर्क विदेशी आक्रमण (10वीं–12वीं शताब्दी) 🛡️
तुर्क आक्रमणों ने भारत में इस्लामी सत्ता की नींव रखी, विशेष रूप से गजनवी और गौरी वंश के माध्यम से।
उद्देश्य 🌟
- भारत की अतुल संपदा को लूटना। 💰
- साम्राज्य विस्तार (विशेष रूप से गौरी वंश)। 🏰
गजनवी वंश 🏛️
- संस्थापक: अलप्तगीन (962 ई., यामिनी/गजनवी वंश)।
- उत्पत्ति: गजनी (अफगानिस्तान)। 🌍
सुबक्तगीन (977–997 ई.) 👑
- पृष्ठभूमि: अलप्तगीन का गुलाम पुत्र।
- प्रथम तुर्क आक्रांता: भारत पर आक्रमण। 🛡️
- आक्रमण:
- 986 ई.: पंजाब के शासक जयपाल ने सुबक्तगीन पर आक्रमण किया, लेकिन पराजित हुआ और संधि की। ⚔️
- 987 ई.: जयपाल ने संधि तोड़ी, कालिंजर, दिल्ली, अजमेर के शासकों के साथ गठबंधन बनाया।
- सुबक्तगीन ने पंजाब पर आक्रमण कर जयपाल और सहयोगियों को हराया। 🏰
- विजय: पेशावर और लघमान। 🌍
- महत्व: भारत में विजय प्राप्त करने वाला प्रथम तुर्क शासक। 🌟
महमूद गजनवी (998–1030 ई.) 👑

- उपाधियाँ: यमीन उल द्दौला (अल्लाह का दाहिना हाथ), विश्व का प्रथम सुल्तान, मूर्तिभंजक/बुत शिकन। 🌟
- आक्रमण: कुल 17 बार, सभी सफल। ⚔️
- उद्देश्य: इरफान हबीब के अनुसार, केवल धन लूटना, न कि साम्राज्य विस्तार या इस्लाम का प्रचार। 💰
- प्रमुख आक्रमण:
- 1000 ई. (पेशावर): शासक अब्दुल फतेह दाउद को हराया। 🏰
- 1001 ई. (पंजाब): जयपाल को पराजित, जयपाल ने आत्मदाह किया। 😔
- राजधानी: वैहिन्द/उद्धभाण्डपुर पर कब्जा। 🏛️
- मुस्लिम इतिहासकारों ने जयपाल को ईश्वर का शत्रु कहा। 📜
- 1004 ई. (कच्छ): शासक वाजीरा सिन्धु नदी के जंगलों में भागा। 🌴
- 1004–05 ई. (मुल्तान): शिया शासक फतेह दाउद को हराया। 🛡️
- 1007 ई. (औहिंद): सुखपाल (जयपाल का दौहित्र, नौशाशाह) को हराया। 🏰
- 1008 ई. (पेशावर): आनंदपाल को हराया, हिंदू मंदिर तोड़े। 🕍
- 1009 ई. (कांगड़ा): नागरकोट को लूटा, मूर्तियाँ तोड़ीं। ⚔️
- 1010 ई. (मुल्तान): फतेह दाउद को पुनः लूटा। 🏰
- 1011–12 ई. (थानेश्वर): हरियाणा पर आक्रमण। 🛡️
- 1013 ई. (नंदन दुर्ग): त्रिलोचनपाल (आनंदपाल का पुत्र) कश्मीर भागा। 🏰
- 1015 ई. (कश्मीर): त्रिलोचनपाल का पुत्र भीम पराजित। ⚔️
- 1018–19 ई. (मथुरा, कन्नौज):
- बुलंदशहर के हरदत्त को हराया। 🛡️
- कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार शासक राज्यपाल ने आत्मसमर्पण किया। 😔
- कालिंजर के शासक विद्याधर ने राज्यपाल को मार डाला। ⚔️
- उत्बी का कथन: मथुरा का वैभव स्वर्ग के समान। 🌟
- 1020 ई. (बुंदेलखंड): किरात क्षेत्र, लोहकोट पर आक्रमण। 🏰
- 1021 ई. (ग्वालियर, कालिंजर): शासक गोण्डा ने संधि की। 📜
- 1024 ई. (जैसलमेर, गुजरात): चिकलोदर, अन्हिलवाड़ पर लूट। 🏰
- 1025 ई. (सोमनाथ):
- गुजरात का शासक: भीम प्रथम (चालुक्य)। 👑
- शिव मंदिर लूटा, शिवलिंग तोड़ा, 50,000 लोग मारे गए। 😔
- सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण:
- 1026 ई.: भीमपाल प्रथम (चालुक्य)। 🏛️
- 1096 ई.: कुमार पाल (पत्थर का मंदिर)। 🕍
- 1765 ई.: अहल्या बाई होल्कर (औरंगजेब द्वारा 1669 ई. में तोड़े जाने के बाद)। 🏛️
- 1950 ई.: सरदार पटेल। 🕉️
- 1027 ई. (मुल्तान, सिंध): जाटों को पराजित (सोमनाथ लूट के दौरान परेशान करने के कारण)। ⚔️
दरबारी विद्वान 📚
- उत्बी:
- शाही इतिहासकार, सचिव।
- ग्रंथ: किताब-उल-यामिनी, तारीख-उल-यामिनी। 📖
- फिरदोसी:
- पूर्व का होमर।
- ग्रंथ: शाहनामा। 📚
- अलबरुनी:
- गणित, ज्योतिष, दर्शन, संस्कृत विद्वान। 🌌
- ग्रंथ: किताब-उल-हिन्द, तारीख-उल-हिंद (अरबी)।
- हिन्दी अनुवाद: रजनीकांत शर्मा।
- अंग्रेजी अनुवाद: एडवर्ड सचाऊ।
- उपनाम: अबू रेहान मुहम्मद।
- सिद्धमात्रिका: सर्वाधिक प्रचलित लिपि; भिक्षुकी: बौद्ध लिपि। ✍️
- पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम इतिहासकार। 🌟
- बैहाकी:
- दरबारी कवि।
- ग्रंथ: तारीख-ए-बेहाकी, तारीख-ए-सुबक्तगीन, ताज-उल-फुतुह, तारीख-ए-मसूही। 📖
- लेनपूल ने इसे पूर्व का पेप्स कहा। 🌍
अन्य तथ्य 🌟
- महमूद का प्रशासन: हिंदुओं (सेवन्दराय, तिलक) को उच्च पदों पर नियुक्त किया। 👷
- नगरीय क्रान्ति: इरफान हबीब ने तुर्क विजय को यह नाम दिया। 🏙️
- नावक: तुर्कों द्वारा प्रयुक्त विशेष धनुष। 🏹
- पंजाब: महमूद के आक्रमणों से पूर्णतः तुर्कों के अधीन। 🏰
गौरी वंश 🏛️
- उदय: गजनवी वंश के पतन के बाद। 🌅
- संस्थापक: गयासुद्दीन मोहम्मद बिन साम। 👑
- क्षेत्र: गौर (गजनी और हेरात के बीच)। 🌍
- अंतिम गजनवी शासक: मलिक खुशरव (मोहम्मद गौरी द्वारा 1192 ई. में मारा गया)। 😔
प्रमुख घटनाएँ 📜
- 1155 ई.: अलाउद्दीन हुसैन (जहाँ सोज) ने गजनी पर आक्रमण कर आग लगाई। 🔥
- 1163 ई.: गयासुद्दीन ने गौर रियासत स्थापित की। 🏰
- 1173 ई.: शिहाबुद्दीन मोहम्मद बिन साम (मोहम्मद गौरी) गजनी का शासक बना। 👑
मोहम्मद गौरी के आक्रमण ⚔️
- उद्देश्य: भारत में इस्लामी साम्राज्य स्थापित करना। 🏰
- प्रमुख आक्रमण:
- 1175 ई. (मुल्तान): करमाथी वंश के मुसलमानों पर विजय। 🛡️
- 1175 ई. (सिंध, उच्छ): विजय। 🏰
- 1178 ई. (गुजरात):
- शासक: मूलराज II (अन्हिलवाड़ वंश)। 👑
- नायिका देवी (भीम II की माता) ने आबू के पास गौरी को पराजित किया। ⚔️
- 1181 ई. (श्यालकोट): विजय। 🏰
- 1189 ई. (भटिण्डा): विजय। 🛡️
- तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई., हरियाणा):
- पृथ्वीराज चौहान III बनाम गौरी।
- सेनापति: खेतसिंह खंगार, गोविन्दराज, खाण्डेराव।
- पृथ्वीराज की विजय, गौरी को जीवित छोड़ा (चौहान की भूल)। 🌟
- तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.):
- गौरी ने संधि हेतु दूत किवाम-उल-मुल्क भेजा, पृथ्वीराज ने अस्वीकार किया। 📜
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती गौरी की सेना के साथ भारत आए। 🙏
- गौरी की विजय, पृथ्वीराज पराजित। 😔
- महत्व: भारत में तुर्की सत्ता की नींव। 🏰
- चंदावर का युद्ध (1194 ई., फिरोजाबाद):
- गौरी बनाम जयचंद गहड़वाल (कन्नौज का राजा)।
- गौरी ने जयचंद को मार डाला। ⚔️
- इन्द्रप्रस्थ: गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को सेना का नेतृत्व सौंपा। 🛡️
- 1206 ई. (खोखर दमन):
- खोखरों ने सिन्धु नदी के किनारे दयमक में गौरी को मार डाला (15 मार्च 1206)। 😔
गौरी की देन 🌟
- तुर्क साम्राज्य: भारत में स्थापना। 🏰
- सिक्के:
- एक तरफ कलमा, दूसरी तरफ लक्ष्मी का अंकन (देहलीवाल सिक्के)। 💰
- कन्नौज के सिक्कों पर भी लक्ष्मी अंकन। 📜
- इक्ता प्रणाली: गौरी द्वारा प्रारंभ, इल्तुतमिश द्वारा स्थापित। ⚖️
- दिल्ली: 1193 ई. में गौरी ने राजधानी बनाई। 🏛️
- गुलाम वंश: गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्थापना की। 👑
- शंसबनी वंश: गौरी की मूल उत्पत्ति (बौद्ध धर्म अनुयायी)। 🙏
- कथन: “मेरे हजारों तुर्क गुलाम पुत्र मेरे साम्राज्य के उत्तराधिकारी होंगे।” 🌍
निष्कर्ष 🙏
अरब और तुर्क विदेशी आक्रमणों ने भारत के इतिहास को नया मोड़ दिया। अरबों ने सिंध में इस्लामी शासन की शुरुआत की, जबकि तुर्कों (विशेष रूप से गौरी) ने भारत में स्थायी इस्लामी साम्राज्य स्थापित किया। इन आक्रमणों ने न केवल राजनीतिक परिवर्तन लाए, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी गहरा प्रभाव डाला। अरबों की सांस्कृतिक देन (जैसे खजूर खेती, पंचतंत्र का अनुवाद) और तुर्कों की सैन्य विजयों ने भारतीय इतिहास को समृद्ध किया। 🌟