बहमनी साम्राज्य: दक्कन का स्वर्ण युग 🏰

By: LM GYAN

On: 3 September 2025

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बहमनी साम्राज्य

बहमनी साम्राज्य (1347–1527 ई.) दक्षिण भारत (दक्कन) का एक महत्वपूर्ण मुस्लिम साम्राज्य था, जिसने अपनी स्थापना से लेकर पतन तक दक्कन के राजनीतिक, सांस्कृतिक, और प्रशासनिक परिदृश्य को आकार दिया। यह साम्राज्य अपनी सैन्य शक्ति, विदेशी संपर्क, और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ बहमनी साम्राज्य का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत है, जिसमें इसकी स्थापना, शासक, प्रशासन, विदेशी यात्रियों, और पतन के बाद उभरे पाँच सल्तनतों का विश्लेषण शामिल है। 🌍

स्थापना और प्रारंभिक इतिहास 🏛️

  • संस्थापक: अलाउद्दीन हसन बहमन शाह (हसन गंगू), ईरान के बहमन क्षेत्र का निवासी।
  • स्थापना: 1347 ई., दिल्ली सल्तनत से स्वतंत्रता।
  • राजधानी: गुलबर्गा (अहसानाबाद), बाद में बीदर (मुहम्मदाबाद)।
  • भाषा: मराठी।
  • विस्तार: 1347–1389 ई. तक विस्तार, 1527 ई. में पतन।
  • विशेषता: हिंदुओं से जजिया कर पर रोक।

प्रमुख शासक और उनकी उपलब्धियाँ 👑

अलाउद्दीन हसन बहमन शाह (1347–1358 ई.) 🏰

  • स्थापना: बहमनी वंश की नींव, गुलबर्गा को राजधानी बनाया (अहसानाबाद)।
  • नीति: हिंदुओं के प्रति उदारता, जजिया पर रोक।
  • मृत्यु: 1358 ई., मकबरा बीदर में।

मुहम्मद शाह प्रथम (1358–1375 ई.) ⚔️

  • युद्ध:
    • विजयनगर और वारंगल से तुंगभद्रा दोआब को लेकर युद्ध।
    • भारत में प्रथम बार बारूद का प्रयोग।
    • वारंगल को हराकर गोलकुण्डा पर कब्जा।
  • विशेषता: सैन्य रणनीति में नवाचार।

मुहम्मद शाह द्वितीय (1378–1397 ई.) 📖

  • उपनाम: द्वितीय अरस्तू (दर्शन में रुचि)।
  • संरक्षण: अरबी विद्वान हाफिज को गुलबर्गा आमंत्रित किया।

ताजुद्दीन फिरोज (1397–1422 ई.) 🌟

  • विशेषता: फरिश्ता के अनुसार बहमनी का सबसे प्रमुख शासक।
  • निर्माण:
    • दोलताबाद में वेधशाला (ज्योतिष में रुचि)।
    • भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद नगर।
    • शेख हुसैनी गैसु दराज द्वारा गुलबर्गा में खानकाह।
  • साहित्य: सालिहोत्र का फारसी अनुवाद।
  • विजय:
    • विजयनगर के देवराय प्रथम को हराया, उनकी पुत्री से विवाह।
    • बांकापुर क्षेत्र दहेज में, 10 लाख हूण, हाथी, रत्नाभूषण जुर्माना (सुनार की बेटी का युद्ध)।

अहमद शाह प्रथम (1422–1436 ई.) 🏛️

  • राजधानी: गुलबर्गा से बीदर (मुहम्मदाबाद)।
  • निर्माण: 16 खंभा मस्जिद।
  • साहित्य: उर्दू में मिरात-उल-अशीकी की रचना, संत अहमद या अहमद शाह वली के नाम से जाना गया।
  • संरक्षण: खुरासानी कवि अज़ारी दरबार में।
  • विजय:
    • मालवा के हुसैन शाह को हराया।
    • वारंगल के शासक की हत्या, वारंगल पर कब्जा।

अहमद शाह द्वितीय (1436–1458 ई.) 🌍

  • उत्कर्ष: ईरानी (अफाकी) महमूद गवाँ का उदय।

हुमायूँ (1458–1461 ई.) 😔

  • उपनाम: जालिम, दक्षिण का नीरो (क्रूरता के लिए)।

मुहम्मद तृतीय (1463–1482 ई.) 🌟

  • प्रधानमंत्री: महमूद गवाँ।
  • यात्री: रूसी यात्री ऐथेसियस निकितिन (1470–74 ई.) ने बहमनी राज्य की यात्रा।
  • विशेषता: महमूद गवाँ की सुधार नीतियों के कारण समृद्धि।

महमूद गवाँ (वजीर, 1463–1481 ई.) 📚

  • विशेषता: अफाकी (विदेशी) अमीर, प्रशासनिक सुधारक।
  • उपलब्धियाँ:
    • अफाकी, दक्कनी, और हिंदुओं के बीच समन्वय।
    • भूमि की व्यवस्थित पैमाइश, ग्रामों की सीमा निर्धारण।
    • बीदर में महाविद्यालय (मदरसा) निर्माण।
  • अंत: मुहम्मद तृतीय द्वारा फाँसी। 😔

महमूद शाह (1482–1518 ई.) 😔

  • विशेषता: अहमदनगर स्वतंत्र हुआ, साम्राज्य का विघटन शुरू।

कलीमुल्ला शाह (1518–1527 ई.) 😔

  • विशेषता: अंतिम शासक, बहमनी साम्राज्य का पतन।
  • विघटन: साम्राज्य 5 स्वतंत्र सल्तनतों में बँटा।

बहमनी साम्राज्य का विघटन: पाँच सल्तनतें 🏰

बहमनी साम्राज्य के पतन के बाद (1527 ई.) दक्कन में पाँच स्वतंत्र सल्तनतें उभरीं:

क्र.राज्यवंशसंस्थापकस्थापना
1बीजापुरआदिलशाहीयूसुफ आदिल खाँ1489 ई.
2अहमदनगरनिजामशाहीमलिक अहमद1490 ई.
3बरारइमादशाहीफतेहउल्ला इमादशाह1490 ई.
4गोलकुण्डाकुतुबशाहीकुलीशाह1512 ई.
5बीदरबरीदशाहीअमीर अली बरीद1527 ई.

प्रमुख व्यक्तित्व और योगदान 🌟

  • अहमदनगर:
    • मलिक अम्बर (वजीर, मुर्तजा निजाम शाह द्वितीय):
      • मुगलों के खिलाफ छापामार युद्ध प्रणाली।
      • रैय्यतवाड़ी भूराजस्व प्रणाली लागू।
  • बीजापुर:
    • इब्राहिम आदिल शाह: फरिश्ता ने तारीख-ए-फरिश्ता की रचना।
    • प्रमुख सरदार: अफजल खाँ, मुरारी पंडित।
  • गोलकुण्डा:
    • प्रमुख सरदार: मीरा जुमला, मदन्ना, अकन्ना।
  • बीदर:
    • अली बरीदशाह: दक्षिण की लोमड़ी।

विजयनगर और बहमनी साम्राज्य में विदेशी यात्री 🌍

बहमनी और विजयनगर साम्राज्यों ने कई विदेशी यात्रियों को आकर्षित किया, जिन्होंने इनके वैभव का वर्णन किया:

यात्रीदेशसमयशासक
इब्न बतूतामोरक्को14वीं सदीहरिहर प्रथम (विजयनगर)
निकोलो कोंटीइटली1420–21 ई.देवराय प्रथम (विजयनगर)
अब्दुर्रज्जाकफारस1443–44 ई.देवराय द्वितीय (विजयनगर)
ऐथेसियस निकितिनरूस1470–74 ई.मुहम्मद तृतीय (बहमनी)
डुआर्ट बारबोसापुर्तगाल1500–16 ई.कृष्णदेवराय (विजयनगर)
बार्थेमाइटली1502–08 ई.वीर नरसिंह (विजयनगर)
डोमिंगोज पेइज/पायसपुर्तगाल1520–22 ई.कृष्णदेवराय (विजयनगर)
फर्नांडिस नूनिजपुर्तगाल1535–37 ई.अच्युतदेवराय (विजयनगर)
सीजर फ्रेडरिकपुर्तगाल1567–68 ई.सदाशिवराय (विजयनगर)
  • सीजर फ्रेडरिक: तालीकोटा युद्ध (1565 ई.) के बाद विजयनगर की यात्रा, शहर को 24 मील के घेरे में बताया।
  • आर. सेवेल: तालीकोटा युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी, A Forgotten Empire में वर्णन।

प्रशासन ⚖️

  • प्रांतीय विभाजन: अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने साम्राज्य को चार तरफों (प्रांतों) में बाँटा:
    1. बीदर: आजम-ए-हुमायूँ।
    2. बरार: मजलिस-ए-आली।
    3. दौलताबाद: मसनद-ए-आली।
    4. गुलबर्गा: मलिक-ए-नायब।
  • केन्द्रीय प्रशासन: 8 प्रमुख मंत्रियों की नियुक्ति:
    1. वकील-उल-सल्तनत: सुल्तान का प्रतिनिधि।
    2. वजीर-ए-कुल: प्रधानमंत्री, अन्य मंत्रियों की जाँच।
    3. अमीर-ए-जुमला: वित्त मंत्री।
    4. नाजिर: अमीर-ए-जुमला का सहायक।
    5. वजीर-ए-अशरफ: विदेश विभाग।
    6. पेशवा: वकील-उल-सल्तनत का सहायक।
    7. सद्र-ए-जहाँ: धर्म और दान विभाग।
    8. कोतवाल: शांति, सुरक्षा, न्याय।

बहमनी और विजयनगर संघर्ष ⚔️

  • प्रमुख कारण:
    • तुंगभद्रा दोआब और रायचूर दोआब पर नियंत्रण।
    • उपजाऊ क्षेत्र और खनिज संसाधन (सोना, लोहा)।
    • कृष्णा-गोदावरी डेल्टा का व्यापारिक महत्व।
  • प्रमुख युद्ध:
    • 1367 ई.: मुहम्मद शाह प्रथम vs बुक्का प्रथम (विजयनगर), संधि (कृष्णा नदी सीमा)।
    • सुनार की बेटी का युद्ध: ताजुद्दीन फिरोज vs देवराय प्रथम।
    • तालीकोटा युद्ध (1565 ई.): बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा, बीदर की संयुक्त सेना vs विजयनगर (सदाशिवराय), विजयनगर का पतन।

सांस्कृतिक और स्थापत्य योगदान 🏛️

  • निर्माण:
    • 16 खंभा मस्जिद (अहमद शाह प्रथम)।
    • फिरोजाबाद नगर (ताजुद्दीन फिरोज)।
    • वेधशाला (दौलताबाद)।
    • महमूद गवाँ का मदरसा (बीदर)।
  • साहित्य:
    • मिरात-उल-अशीकी (अहमद शाह प्रथम, उर्दू)।
    • सालिहोत्र का फारसी अनुवाद (ताजुद्दीन फिरोज)।
    • तारीख-ए-फरिश्ता (फरिश्ता, बीजापुर)।
  • धार्मिक सहिष्णुता:
    • हिंदुओं से जजिया हटाया (अलाउद्दीन हसन)।
    • गुलबर्गा में खानकाह (शेख हुसैनी गैसु दराज)।

निष्कर्ष 🙏

बहमनी साम्राज्य दक्कन का एक शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य था, जिसने सैन्य, प्रशासनिक, और सांस्कृतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अलाउद्दीन हसन बहमन शाह ने इसकी नींव रखी, और ताजुद्दीन फिरोज व महमूद गवाँ ने इसे चरम पर पहुँचाया। विदेशी यात्रियों (निकितिन, अब्दुर्रज्जाक) ने इसकी समृद्धि का वर्णन किया। तालीकोटा युद्ध (1565 ई.) ने विजयनगर को समाप्त किया, और बहमनी साम्राज्य का अंत कलीमुल्ला शाह के समय पाँच सल्तनतों में विघटन के साथ हुआ। इसकी स्थापत्य (बीदर का मदरसा) और प्रशासनिक व्यवस्था (रैय्यतवाड़ी) की विरासत दक्कन की संस्कृति में आज भी जीवित है। 🌟

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