राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय 🌟 जैसे जाम्भोजी, दादूदयाल, मीराबाई, और चिश्ती सम्प्रदाय की जानकारी। सगुण-निर्गुण भक्ति, तालिका और मेले के साथ पूरी जानकारी यहाँ!
Table of Contents
परिचय: राजस्थान की आध्यात्मिक धरोहर 🙏
राजस्थान, वीरता और संस्कृति का गढ़, न केवल अपने किलों और मेले के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि प्रमुख संतों और सम्प्रदायों की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा के लिए भी जाना जाता है। 🌍 यहाँ के संतों ने सगुण और निर्गुण भक्ति के माध्यम से समाज को प्रेम, एकता, और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। 🚩 जाम्भोजी, दादूदयाल जी, मीराबाई, और ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती जैसे संतों ने न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में अपनी छाप छोड़ी। 💫
इस लेख में, हम सगुण और निर्गुण भक्ति, राजस्थान के प्रमुख सम्प्रदाय, और प्रमुख संतों की विस्तृत जानकारी देंगे। साथ ही, एक तालिका के साथ सभी महत्वपूर्ण विवरण एक नजर में देख सकेंगे। तो चलिए, इस आध्यात्मिक यात्रा पर चलते हैं! 🚀
भक्ति के प्रकार: सगुण और निर्गुण 🌿
1. सगुण भक्ति 🕉️
- विशेषता: भगवान को साकार (मूर्ति रूप) मानकर पूजा करना।
- उदाहरण: श्री राम, श्री कृष्ण, या अन्य अवतारों की भक्ति।
- प्रमुख सम्प्रदाय:
- रामानुज सम्प्रदाय
- वल्लभ सम्प्रदाय
- निम्बार्क सम्प्रदाय
- नाथ सम्प्रदाय
- गौड़ीय सम्प्रदाय
- पाशुपत सम्प्रदाय
- निष्कलंक सम्प्रदाय
- चरणदासी सम्प्रदाय
- मीरादासी सम्प्रदाय
2. निर्गुण भक्ति 🌌
- विशेषता: भगवान को निराकार मानकर पूजा करना, मूर्तिपूजा का विरोध।
- उदाहरण: एकेश्वरवाद और आध्यात्मिक साधना पर जोर।
- प्रमुख सम्प्रदाय:
- विश्नोई सम्प्रदाय
- जसनाथी सम्प्रदाय
- दादू सम्प्रदाय
- रामस्नेही सम्प्रदाय
- परनामी सम्प्रदाय
- निरंजनी सम्प्रदाय
- कबीर पंथी सम्प्रदाय
- लालदासी सम्प्रदाय
- ऊंदरिया सम्प्रदाय
- कामडिया सम्प्रदाय
- कुंडा सम्प्रदाय
राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय: विस्तृत जानकारी 📜
1. संत दादूदयाल जी 🕊️
- जन्म: 1544 ई., फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, अहमदाबाद, गुजरात
- परिवार:
- पालन-पोषण: लोदीराम (ब्राह्मण) और सावित्री देवी
- विशेषताएँ:
- उपनाम: राजस्थान का कबीर
- गुरु: ब्रह्मानंद जी (वृद्धानंद/बुड्ढन जी)
- मुख्य पीठ: नरैना, जयपुर
- मेला: फाल्गुन शुक्ल पंचमी से एकादशी
- सत्संग स्थल: अलख दरीबा
- स्थान: सांभर, आमेर, नरैना (अंतिम समय)
- महत्व:
- दादू पंथ: 1574 ई., सांभर, ढूंढाड़ी भाषा में उपदेश।
- चमत्कार: साबरमती नदी में संदूक में मिले (पुत्रवाहिनी)।
- मुलाकात: 1585 ई., फतेहपुर सीकरी में अकबर और भगवंतदास से।
- उपदेश: निपख आंदोलन, शव को न जलाना/दफनाना, पशु-पक्षियों के लिए छोड़ना।
- शव स्थल: भैराणा की पहाड़ी (दादू खोल/पालका)
- ग्रंथ:
- दादू री वाणी
- दादू रा दूहा
- दादू हरडे वाणी
- अंग वधू दादू
- कायाबेली
- शिष्य: 52 स्तम्भ, 152 कुल शिष्य (100 वितरागी)
- पंचतीर्थ: कल्याणपुर, सांभर, आमेर, नरैना, भैराणा
- शाखाएँ:
- खालसा: नरैना को मुख्य केंद्र मानने वाले
- विरक्त: वैराग्य धारण करने वाले
- उत्तरादे: हरियाणा में बसने वाले
- खाकी: खाकी कपड़े और राख लगाने वाले
- नागा: कपड़ों का त्याग करने वाले
- विशेष: दादूद्वारा में दादू वाणी की पूजा।
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दादूदयाल जी के प्रमुख शिष्य
- सुन्दरदास जी (बड़े):
- मूल नाम: भीमराज
- जन्म: 1596 ई., दौसा
- विशेष: बीकानेर महाराजा कल्याणमल के भाई
- उपाधि: गई भोम रो बाहडू, दूसरा शंकराचार्य
- मुख्य केन्द्र: घाटडा, अलवर
- विशेष: नागा शाखा प्रवर्तक, सवाई जयसिंह की सेना में शामिल, मराठों के खिलाफ सवाई प्रतापसिंह की सहायता।
- रज्जब जी:
- जन्म: सांगानेर, जयपुर (पठान परिवार)
- विशेष: विवाह न किया, दूल्हे के वेश में, रज्जबपंथी, रज्जब द्वार
- ग्रंथ: रज्जब वाणी, सर्वंगी
- सुन्दरदास जी (छोटे):
- जन्म: दौसा (खंडेलवाल वैश्य परिवार)
- विशेष: फतेहपुर (सीकर) में समय बिताया, 42 ग्रंथ
- ग्रंथ: ज्ञान समुद्र, सुन्दर विलास, सुन्दर सागर
- मुख्य केन्द्र: गेटोलाव, दौसा
- बालिन्द जी:
- ग्रंथ: आरिलो
- गरीबदास जी:
- विशेष: दादूदयाल जी के ज्येष्ठ पुत्र, नरैना पीठाधीश
- मिस्किन दास जी
- संत दास जी
- माधोदास जी
- बखना जी
2. संत जाम्भोजी 🌳
- मूल नाम: धनराज
- जन्म: 1451 ई., भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, पीपासर, नागौर
- परिवार:
- पिता: लोहटजी (पंवार राजपूत)
- माता: हंसा देवी
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: विश्नोई (प्रवर्तक)
- गुरु: गोरखनाथ
- उपाधि: श्री कृष्ण का अवतार, पर्यावरण वैज्ञानिक, गुंगा-गहला, गुरु जम्भेश्वर
- मुख्य मंदिर: मुकाम (तालवा, बीकानेर), जांगलू, रामड़ावास, जाम्भा (जोधपुर)
- मेला: आश्विन और फाल्गुन अमावस्या, मुकाम
- महत्व:
- उपदेश: 29 नियम (विश्नोई = बीस+नौ), समराथल में दिए
- नीले कपड़े न पहनना, हरे वृक्ष (खेजड़ी) न काटना, जीव हत्या (हिरण) न करना, विधवा विवाह को प्रोत्साहन।
- चमत्कार: सिकंदर लोदी ने गौ हत्या पर प्रतिबंध और अकाल में चारा व्यवस्था की।
- प्रभाव: जोधपुर के राजा जोधा और बीकानेर के राजा बीका (जोधा का पुत्र) ने सम्मान किया।
- ग्रंथ:
- जम्भ संहिता (पाँचवाँ वेद)
- जम्भ सागर शब्दावली
- विश्नोई धर्म प्रकाश
- जम्भ सागर (29 नियम)
- विशेष:
- पाहल: अभिमंत्रित जल से दीक्षा।
- साथंरी: उपदेश स्थल।
- मूलमंत्र: “हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो।”
- कथा जैसलमेर की: वील्होजी द्वारा रचित, छह अनुयायी राजाओं का वर्णन।
- उपदेश: 29 नियम (विश्नोई = बीस+नौ), समराथल में दिए
3. जसनाथ जी 🔥
- मूल नाम: जसवंत सिंह
- जन्म: 1482 ई., कार्तिक शुक्ल एकादशी, कतरियासर, बीकानेर
- परिवार:
- पिता: हमीर जी ज्याणी जाट
- माता: रूपादे
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: जसनाथी (1504 ई., कतरियासर)
- मुख्य पीठ: कतरियासर, बीकानेर (जसनाथी सम्प्रदाय की मथुरा: पांचला सिद्धा, नागौर)
- अन्य केन्द्र: बमलू, लिखमादेसर, पुनरासर, मालासर (बीकानेर), पांचला सिद्धा (नागौर)
- मेला: आश्विन, माघ, चैत्र शुक्ल सप्तमी
- महत्व:
- उपदेश: 36 नियम, जाल वृक्ष और मोर पंख पवित्र, काली ऊन का धागा।
- चमत्कार:
- लोह पांगल तांत्रिक का घमंड तोड़ा।
- राव लूणकरण को बीकानेर का राज्य वरदान।
- सिकंदर लोदी ने मालासर गाँव दिया।
- मुलाकात: 1500 ई., गोरखमालिया (बीकानेर) में जाम्भोजी से।
- अग्नि नृत्य: अंगारों पर नृत्य, “फतै-फतै” जयघोष, गंगासिंह द्वारा संरक्षण।
- ग्रंथ:
- सिम्भूदड़ा
- कोंडा
- शिष्य:
- लालनाथ जी (ग्रंथ: जीव समझोतरी)
- रामनाथ जी (ग्रंथ: यशोनाथ पुराण, जसनाथी की बाइबल)
- रुस्तम जी (औरंगजेब द्वारा नगाड़ा और निशान से सम्मानित)
- विशेष:
- परमहंस: संसार से विरक्त अनुयायी।
- सिद्ध: भगवा वेशधारी।
- बाड़ी: 84 समाधि स्थल।
- पत्नी कालदे की पूजा।
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4. चरणदास जी 🌼
- जन्म: 1703 ई., भाद्रपद शुक्ल तृतीया, डेहरा, अलवर
- परिवार:
- पिता: मुरलीधर
- माता: कुँजोबाई
- बचपन का नाम: रणजीत
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: चरणदासी (निर्गुण और सगुण भक्ति)
- मुख्य पीठ: नई दिल्ली (राजस्थान से बाहर एकमात्र)
- गुरु: सुखदेव जी
- मेला: बसंत पंचमी
- महत्व:
- उपदेश: 42 नियम, पीत वस्त्र धारण, मेवाती भाषा।
- चमत्कार: नादिरशाह (1739 ई.) के आक्रमण की भविष्यवाणी।
- प्रभाव: जयपुर महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने कोलीवाड़ा गाँव दिया।
- ग्रंथ:
- ब्रह्म ज्ञान सागर
- भक्ति सागर
- ब्रह्म चरित्र
- ज्ञान सर्वोदय
- शिष्य:
- दयाबाई: ग्रंथ – दयाबोध, विनय मालिका
- सहजोबाई: मत्स्य मीरा, ग्रंथ – सहज प्रकाश, सबद वाणी, सोलह तिथि
- विशेष: सखी भाव से श्री कृष्ण की पूजा, मेवात और दिल्ली में प्रभाव।
5. लालदास जी 🕌
- जन्म: 1540 ई., श्रावण कृष्ण पंचमी, धोलीदूब, अलवर
- परिवार:
- पिता: चांदमल
- माता: समदा
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: लालदासी
- गुरु: गद्दन चिश्ती
- मुख्य केन्द्र: नंगला जहाज, भरतपुर
- मेला: माघ पूर्णिमा, आश्विन शुक्ल एकादशी
- महत्व:
- उपदेश: हिंदू-मुस्लिम एकता, निर्गुण भक्ति।
- चमत्कार: औरंगजेब के लिए भविष्यवाणी।
- ग्रंथ: लालदास जी की चेतावनी
- विशेष:
- मेव जाति के लक्कड़हारे, मेव मुस्लिमों द्वारा पीर के रूप में पूजा।
- दीक्षा में काला मुंह कर गधे पर उल्टा बैठाकर घुमाना।
6. संत मावजी 🌊
- जन्म: 1714 ई., माघ शुक्ल पंचमी, साबला, डूँगरपुर
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: निष्कलंक
- मुख्य पीठ: साबला, डूँगरपुर
- अन्य केन्द्र: पुंजपुर (डूँगरपुर), पलोदा (बांसवाड़ा), शेषपुर (उदयपुर)
- मेला: माघ पूर्णिमा, बेणेश्वर धाम (आदिवासियों का कुम्भ)
- महत्व:
- उपाधि: विष्णु का कल्कि अवतार
- उपदेश: कर्म, भक्ति, योग, वागड़ी भाषा।
- ग्रंथ: चौपड़ा (प्रेम सागर, मेघ सागर, साम सागर, रत्न सागर, अनन्त सागर), वाद-विवाद शैली, दीपावली पर वाचन, तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी।
- विशेष: बेणेश्वर धाम की स्थापना (सोम, माही, जाखम नदियों का संगम)।
7. संत रामचरण जी 🕉️
- जन्म: 1719 ई., माघ शुक्ल चतुर्दशी, सोडा, टोंक
- परिवार:
- पिता: बखताराम जी (विजयवर्गीय वैश्य)
- माता: देऊजी
- पत्नी: गुलाब कँवर
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: रामस्नेही (1751 ई., शाहपुरा)
- मुख्य पीठ: शाहपुरा, भीलवाड़ा
- गुरु: कृपाराम जी
- मेला: चैत्र कृष्ण एकम (फूलडोल मेला, शाहपुरा)
- महत्व:
- उपदेश: निर्गुण राम भक्ति, गुलाबी वस्त्र।
- प्रभाव: शाहपुरा नरेश रणसिंह ने छतरी और मठ बनवाया।
- ग्रंथ: अणभै वाणी
- शाखाएँ:
- रैण शाखा: मेड़ता सिटी, नागौर (संत दरियावजी)
- खेड़ापा शाखा: जोधपुर (संत रामदासजी)
- सिंहथल शाखा: बीकानेर (संत हरिराम दासजी, आदि आचार्य: जैमलदास जी)
- विशेष: रामद्वारा में प्रार्थना।
रामस्नेही सम्प्रदाय के संत
- दरियाव जी:
- जन्म: 1676 ई., जैतारण, पाली (धुनिया मुस्लिम परिवार)
- परिवार:
- पिता: मानसा
- माता: गीगा
- गुरु: प्रेमदास जी
- विशेष: रैण शाखा (नागौर) की स्थापना, सबसे पुराने रामस्नेही संत।
- हरिराम दास जी:
- जन्म: सिंहथल, बीकानेर (ब्राह्मण परिवार)
- परिवार:
- पिता: भागचन्द जोशी
- माता: रामी
- गुरु: जैमलदास जी (सिंहथल और खेड़ापा शाखा के आदि आचार्य)
- ग्रंथ: निशानी (योग ग्रंथ), योग गृस्थ, अंगवद्व अनुभववाणी, चेतावनी, भक्तमाल
- विशेष: सिंहथल शाखा (बीकानेर) की स्थापना।
- रामदास जी:
- जन्म: 1726 ई., भीकमकोर, जोधपुर (मेघवाल परिवार)
- परिवार:
- पिता: शार्दुल
- माता: अणभी
- गुरु: हरिरामदास जी
- विशेष: खेड़ापा शाखा (जोधपुर) की स्थापना।
8. संत हरिदास निरंजनी 🌌
- जन्म: 1455 ई., कपड़ोद, डीडवाना, नागौर
- विशेषताएँ:
- उपनाम: कलयुग का वाल्मीकि
- मूल नाम: हरिसिंह सांखला
- सम्प्रदाय: निरंजनी (हरिदासी)
- मुख्य पीठ: गाढ़ा, डीडवाना
- मेला: फाल्गुन शुक्ल एकम-द्वादशी
- महत्व:
- उपदेश: सगुण और निर्गुण भक्ति, परमात्मा को अलख निरंजन कहना।
- ग्रंथ: मंत्र राजप्रकाश, हरिपुरुष की वाणी
- विशेष: पूर्व में डाकू, बाद में संन्यास।
9. संत पीपा 🪡
- जन्म: 1425 ई., गागरोन, झालावाड़
- विशेषताएँ:
- मूल नाम: प्रताप सिंह खींची (खींची राजपूत)
- गुरु: रामानंद जी
- मुख्य मंदिर: समदड़ी, बाड़मेर
- गुफा: टोड़ा, टोंक
- मेला: चैत्र पूर्णिमा
- महत्व:
- उपदेश: मूर्तिपूजा का विरोध।
- प्रभाव: गागरोन शासक, रानी सीता के साथ द्वारिका यात्रा, टोड़ा के राजा शूरसेन ने संपत्ति बाँटी।
- ग्रंथ: पीपा की कथा, पीपा परची, पीपा की वाणी, साखियाँ, चितावनी
- विशेष: दर्जी समाज के देवता।
10. संत धन्ना 🌾
- जन्म: 1415 ई., धुआं कलां, टोंक
- विशेषताएँ:
- जाति: जाट
- गुरु: रामानंद जी
- मंदिर: बोरानाड़ा, जोधपुर
- महत्व:
- उपदेश: प्रभु नाम स्मरण, बाह्य आडम्बरों का विरोध।
- विशेष: राजस्थान में भक्ति आंदोलन की शुरुआत, पंजाब में प्रभाव।
11. बालानन्दाचार्य ⚔️
- मुख्य केन्द्र: लोहार्गल, झुंझुनूं
- महत्व:
- उपाधि: लश्कर संत
- औरंगजेब के खिलाफ 52 मूर्तियों की रक्षा।
- मेवाड़ (राजसिंह) और मारवाड़ (दुर्गादास राठौड़) की सहायता।
12. राजाराम जी 🌳
- मुख्य केन्द्र: शिकारपुरा, जोधपुर
- महत्व:
- पटेल जाति के संत।
- पर्यावरण संरक्षण का संदेश।
13. नवलदास जी 🕉️
- जन्म: 1840 ई., भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, हरसोलाव, नागौर
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: नवल सम्प्रदाय
- मुख्य पीठ: जोधपुर
- गुरु: करताराम
- महत्व:
- ग्रंथ: नवलेश्वर अनुभववाणी
- उपदेश: एकेश्वरवाद, रूढ़ियों (सती, अस्पृश्यता, बाल विवाह) का विरोध।
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14. स्वामी लाल गिरि 🌌
- जन्म: सुलखनिया, चूरू
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: अलखिया
- मुख्य केन्द्र: बीकानेर
- ग्रंथ: अलख स्तुति प्रकाश
15. संत दास जी 🕉️
- मुख्य केन्द्र: दांतड़ा, भीलवाड़ा
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: गूदड़ सम्प्रदाय
16. मलूकनाथ जी 🌿
- मुख्य केन्द्र: अलवर
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: गरीबदासी
- विशेष: अलवर के प्रमुख संत।
17. भक्त कवि दुर्लभ 🎶
- विशेषताएँ:
- उपनाम: वागड़ का नृसिंह (नरसी मेहता की तरह श्री कृष्ण भक्त)
- विशेष: वागड़ क्षेत्र में प्रभाव।
18. मीराबाई 🥰
- जन्म: 1498 ई., वैशाख शुक्ल तृतीया, कुड़की, पाली
- परिवार:
- पिता: रतनसिंह राठौड़ (बाजोली सामंत)
- माता: वीर कँवर
- दादा: दूदाजी (मेड़ता के राजा)
- पति: भोजराज (राणा सांगा का पुत्र)
- विशेषताएँ:
- उपनाम: राजस्थान की राधा
- गुरु: रैदास, रूप गोस्वामी
- पालन-पोषण: मेड़ता, नागौर
- ग्रंथ:
- गीत गोविंद
- पदावली
- रुक्मिणी मंगल
- सत्यभामाजी नू रुसणो
- नरसी जी रो मायरो (रतना खाती के सहयोग से)
- महत्व:
- सगुण भक्ति, श्री कृष्ण को पति मानकर पूजा।
- चमत्कार: द्वारिका के रणछोड़ मंदिर में मूर्ति में विलीन।
- महात्मा गांधी: पहली सत्याग्रही महिला।
- प्रभाव: पिता रतनसिंह खानवा युद्ध (1527 ई.) में वीरगति।
- मृत्यु: 1547 ई., डाकोर, द्वारिका।
19. संत रानाबाई 🌷
- जन्म: 1504 ई., हरनावां, परबतसर, नागौर
- परिवार:
- पिता: रामगोपाल
- माता: गंगाबाई
- दादा: जालम जाट
- विशेषताएँ:
- उपनाम: राजस्थान की दूसरी मीरा
- गुरु: चतुरदास, खोजी जी महाराज
- मेला: भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी
- मंदिर: हरनावां, नागौर
- महत्व:
- श्री कृष्ण भक्ति, विवाह नहीं किया, जीवित समाधि (1570 ई.)।
- अहमदाबाद युद्ध में जोधपुर महाराजा अभय सिंह की रक्षा।
20. गवरी बाई 🎶
- जन्म: डूँगरपुर (नागर ब्राह्मण परिवार)
- विशेषताएँ:
- उपनाम: वागड़ की मीरा
- मंदिर: बालमुकुंद मंदिर (डूँगरपुर, महारावल शिवसिंह द्वारा निर्मित)
- ग्रंथ: कीर्तनमाला
- विशेष: श्री कृष्ण भक्ति।
21. संत भूरी बाई अलख 🌌
- जन्म: सरदारगढ़, राजसमंद
- विशेषताएँ:
- मेवाड़ की प्रमुख महिला संत।
- निर्गुण और सगुण भक्ति।
- अलारख बाई और उस्ताद हैदराबादी से प्रभावित।
22. संत करमेती बाई 🕉️
- मुख्य केन्द्र: खण्डेला, सीकर
- विशेषताएँ:
- वृन्दावन में श्री कृष्ण भक्ति।
- ठाकुर बिहारी मंदिर (खण्डेला)।
23. संत नन्ही बाई 🎤
- मुख्य केन्द्र: खेतड़ी, झुंझुनूं
- विशेषताएँ:
- सुप्रसिद्ध गायिका, दिल्ली घराने से संबंध (गुरु: तानरस खां)।
24. संत रानी रूपादे 🌧️
- विशेषताएँ:
- मल्लिनाथ जी की पत्नी, निर्गुण भक्ति।
- मंदिर: मालाजल, बाड़मेर
- गुरु: उगमसी भाटी
- विशेष: पश्चिमी राजस्थान में देवी के रूप में पूजा।
25. संत ताज बेगम 🕉️
- मुख्य केन्द्र: कोटा
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: वल्लभ सम्प्रदाय
- गुरु: आचार्य विट्ठलनाथ
- श्री कृष्ण भक्ति।
26. संत कर्मठी बाई 🌸
- मुख्य केन्द्र: बागड़
- विशेषताएँ:
- गुरु: गोस्वामी हित हरिवंश
- वृन्दावन में श्री कृष्ण भक्ति, अकबर की समकालीन।
27. संत जनखुशाली बाई 📖
- विशेषताएँ:
- गुरु: हल्दिया अखेराम
- ग्रंथ: साधु महिमा, बधुविलास
28. संत करमा बाई 🍛
- जन्म: नागौर (जाट परिवार)
- विशेषताएँ:
- भगवान जगन्नाथ भक्ति, खीचड़ा प्रसाद की कथा।
29. संत फूली बाई 🌟
- मुख्य केन्द्र: मानजवास, जोधपुर
- विशेषताएँ:
- जोधपुर महाराजा जसवंतसिंह की धर्मबहन।
- आजीवन अविवाहित, स्त्री शिक्षा में योगदान।
30. वल्लभ सम्प्रदाय 🕉️
- प्रवर्तक: वल्लभाचार्य
- विशेषताएँ:
- श्री कृष्ण की बाल रूप में पूजा।
- मंदिरों को हवेली कहा जाता है।
- हवेली संगीत और पिछवाई (कृष्ण चित्र) प्रसिद्ध।
- मंदिर:
- मथुरेश जी (कोटा)
- श्रीनाथ जी (सिहाड़/नाथद्वारा, राजसमंद)
- द्वारिकाधीश जी (कांकरोली, राजसमंद)
- गोकुलचन्द्र जी (कामां, भरतपुर)
- मदन मोहन जी (कामां, भरतपुर)
- विशेष: राजस्थान में 41 मंदिर।
31. गौड़ीय सम्प्रदाय 🌺
- प्रवर्तक: चैतन्य महाप्रभु (गौड, बंगाल)
- विशेषताएँ:
- श्री कृष्ण भक्ति।
- मंदिर:
- गोविंद देव जी (जयपुर)
- मदनमोहन जी (करौली, गोपालपाल द्वारा निर्मित)
32. निम्बार्क सम्प्रदाय 🌿
- प्रवर्तक: निम्बार्काचार्य
- विशेषताएँ:
- मुख्य केन्द्र: सलेमाबाद, किशनगढ़, अजमेर (परशुराम जी द्वारा स्थापित)
- राधा को श्री कृष्ण की पत्नी माना जाता है।
- मेला: राधा अष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी)
- विशेष: शेखावाटी क्षेत्र में प्रभाव।
33. परनामी सम्प्रदाय 🌌
- प्रवर्तक: प्राणनाथ जी
- विशेषताएँ:
- मुख्य केन्द्र: पन्ना, मध्य प्रदेश
- ग्रंथ: कुजलम स्वरूप
- श्री कृष्ण भक्ति।
- विशेष: जयपुर के आदर्शनगर में मंदिर।
34. रामानंदी सम्प्रदाय 🕉️
- प्रवर्तक: रामानंद जी
- विशेषताएँ:
- श्री राम की रसिक नायक रूप में पूजा (रसिक सम्प्रदाय)।
- केन्द्र:
- गलता जी, जयपुर (कृष्णदास पयहारी द्वारा स्थापित)
- रैवासा, सीकर (अग्रदास जी द्वारा स्थापित)
- प्रभाव: आमेर के राजा पृथ्वीराज और रानी बालाबाई कृष्णदास पयहारी के शिष्य।
- ग्रंथ: राम रासो (कृष्ण भट्ट, सवाई जयसिंह काल)
गलता जी (जयपुर)
- स्थान: जयपुर
- विशेष:
- गालव ऋषि का आश्रम, सूर्य मंदिर।
- रामानुज सम्प्रदाय का उत्तर भारत में केन्द्र (दक्षिण भारत: तोताद्रि, तमिलनाडु)।
- मंकी वैली (बंदरों की अधिकता)।
35. रामानुज सम्प्रदाय 🕉️
- प्रवर्तक: रामानुज (तमिलनाडु)
- विशेषताएँ:
- केन्द्र:
- उत्तर भारत: गलता जी, जयपुर
- दक्षिण भारत: तोताद्रि, तमिलनाडु
- विशेष: गलता जी को उत्तर भारत का तोताद्रि कहा जाता है।
- केन्द्र:
36. नाथ सम्प्रदाय 🧘
- प्रवर्तक: गोरखनाथ
- विशेषताएँ:
- शाखाएँ:
- मान नाथी: महामंदिर, जोधपुर
- वैराग नाथी: राताडूंगा, नागौर
- मंदिर: सिरे मंदिर, जालौर
- विशेष: योगी रतन नाथ ने देवराज को जैसलमेर का राजा बनने का आशीर्वाद दिया।
- शाखाएँ:
37. ऊंदरिया सम्प्रदाय 🌿
- विशेषताएँ:
- जयसमंद झील (उदयपुर) के आसपास भील जनजाति में प्रचलित।
- अतिमार्गीय पंथ।
38. कामडिया सम्प्रदाय 💃
- प्रवर्तक: रामदेव जी
- विशेषताएँ:
- रामदेव जी के मेले में तेरहताली नृत्य।
39. कुंडा सम्प्रदाय 🌌
- प्रवर्तक: मल्लीनाथ जी
- विशेषताएँ:
- वाममार्गी पंथ, आध्यात्मिक साधना।
जैन संत 🪔
1. आचार्य भिक्षु स्वामी
- जन्म: 1726 ई., कंटालिया, जोधपुर
- विशेषताएँ:
- सम्प्रदाय: जैन श्वेताम्बर तेरापंथ (1760 ई.)
- विशेष: स्थानकवासी उपशाखा से विकसित।
2. आचार्य श्री तुलसी
- जन्म: 1914 ई., लाड़नूँ, नागौर
- विशेषताएँ:
- उपदेश: अणुव्रत सिद्धांत
- विशेष:
- 1949 में अणुव्रत आंदोलन (सरदारशहर)
- 1980 में समण श्रेणी
- 1994 में मर्यादा महोत्सव (सुजानगढ़)
3. आचार्य महाप्रज्ञ
- जन्म: 1920 ई., टमकोर, झुंझुनूं
- विशेषताएँ:
- उपदेश: प्रेक्षाध्यान सिद्धांत
- विशेष:
- 2001 में अहिंसा यात्रा (सुजानगढ़)
- 1991 में जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय (लाड़नूँ)
- ग्रंथ: मंत्र साधना, योग, अनेकांतवाद
4. आचार्य श्री महाश्रमण
- जन्म: 1962 ई., सरदारशहर, चूरू
- विशेषताएँ:
- ग्रंथ: आओ हम जीना सीखें, दु:ख मुक्ति का मार्ग, संवाद भगवान से
5. उमराव कंवर
- विशेष: पहली जैन साध्वी (2011 में 5 रुपये का डाक टिकट)
मुस्लिम संत 🕌
1. ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती
- जन्म स्थान: संजरी, फारस
- विशेषताएँ:
- उपाधि: गरीब नवाज, सुल्तान-उल-हिंद, आफताबे हिंद
- गुरु: शेख उस्मान हारुनी
- मुख्य केन्द्र: अजमेर
- मेला: रज्जब 1-6, उर्स
- महत्व:
- चिश्ती सम्प्रदाय प्रवर्तन।
- ग्रंथ: कंजुल इसरार
- विशेष: हिंदू-मुस्लिम सद्भाव, दरगाह निर्माण (इल्तुतमिश)
2. शेख हमीदुद्दीन नागौरी
- मुख्य केन्द्र: सुवाल, नागौर
- विशेषताएँ:
- उपाधि: सुल्तान-उल-तारीकिन
- मृत्यु: 1274 ई.
- विशेष: शेख-उल-इस्लाम पद अस्वीकार, कृषि से जीविका।
3. नरहड़ के पीर
- उपाधि: हजरत शक्कर बार, बागड़ के धणी
- मुख्य केन्द्र: नरहड़, झुंझुनूं
- मेला: जन्माष्टमी
4. पीर फखरुद्दीन
- मुख्य केन्द्र: गलियाकोट, डूँगरपुर
- विशेष: दाउदी बोहरा सम्प्रदाय
5. अन्य मुस्लिम संत
- मीठेशाह: गागरोन दुर्ग
- मलिक शाह: जालोर
- चोटिला पीर दुलेशाह: पाली
- खुदाबक्श बाबा: सादड़ी, पाली
- अमीर अली शाह: दूदू, जयपुर
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राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय: तालिका 📋
| संत/सम्प्रदाय | सम्प्रदाय | मुख्य केन्द्र | मेला | प्रमुख ग्रंथ |
|---|---|---|---|---|
| दादूदयाल जी | दादू पंथ | नरैना, जयपुर | फाल्गुन शुक्ल पंचमी-एकादशी | दादू री वाणी, कायाबेली |
| जाम्भोजी | विश्नोई | मुकाम, बीकानेर | आश्विन/फाल्गुन अमावस्या | जम्भ संहिता, जम्भ सागर |
| जसनाथ जी | जसनाथी | कतरियासर, बीकानेर | आश्विन/माघ/चैत्र शुक्ल सप्तमी | सिम्भूदड़ा, कोंडा |
| चरणदास जी | चरणदासी | नई दिल्ली | बसंत पंचमी | ब्रह्म ज्ञान सागर, भक्ति सागर |
| लालदास जी | लालदासी | नंगला जहाज, भरतपुर | माघ पूर्णिमा | लालदास जी की चेतावनी |
| मावजी | निष्कलंक | साबला, डूँगरपुर | माघ पूर्णिमा | चौपड़ा |
| रामचरण जी | रामस्नेही | शाहपुरा, भीलवाड़ा | चैत्र कृष्ण एकम (फूलडोल) | अणभै वाणी |
| हरिदास निरंजनी | निरंजनी | गाढ़ा, डीडवाना | फाल्गुन शुक्ल एकम | मंत्र राजप्रकाश |
| पीपा | – | समदड़ी, बाड़मेर | चैत्र पूर्णिमा | पीपा की वाणी |
| धन्ना | – | बोरानाड़ा, जोधपुर | – | – |
| बालानन्दाचार्य | – | लोहार्गल, झुंझुनूं | – | – |
| राजाराम जी | – | शिकारपुरा, जोधपुर | – | – |
| नवलदास जी | नवल | जोधपुर | – | नवलेश्वर अनुभववाणी |
| स्वामी लाल गिरि | अलखिया | बीकानेर | – | अलख स्तुति प्रकाश |
| संत दास जी | गूदड़ | दांतड़ा, भीलवाड़ा | – | – |
| मलूकनाथ जी | गरीबदासी | अलवर | – | – |
| भक्त कवि दुर्लभ | – | वागड़ | – | – |
| मीराबाई | – | कुड़की, पाली | – | पदावली, गीत गोविंद |
| रानाबाई | – | हरनावां, नागौर | भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी | – |
| गवरी बाई | – | डूँगरपुर | – | कीर्तनमाला |
| भूरी बाई अलख | – | सरदारगढ़, राजसमंद | – | – |
| वल्लभ सम्प्रदाय | वल्लभ | नाथद्वारा, राजसमंद | – | – |
| गौड़ीय सम्प्रदाय | गौड़ीय | जयपुर | – | – |
| निम्बार्क सम्प्रदाय | निम्बार्क | सलेमाबाद, अजमेर | राधा अष्टमी | – |
| परनामी सम्प्रदाय | परनामी | आदर्शनगर, जयपुर | – | कुजलम स्वरूप |
| रामानंदी सम्प्रदाय | रामानंदी | गलता जी, जयपुर | – | राम रासो |
| ख्वाजा मुइनुद्दीन | चिश्ती | अजमेर | रज्जब 1-6 | कंजुल इसरार |
राजस्थान के संतों और सम्प्रदायों का महत्व 🌟
राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
- सामाजिक सुधार:
- जाम्भोजी, नवलदास जी, और रामानंदी सम्प्रदाय ने रूढ़ियों (सती, अस्पृश्यता) का विरोध किया।
- लालदास जी और ख्वाजा मुइनुद्दीन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। 🕊️
- आध्यात्मिक योगदान:
- सगुण (मीराबाई, वल्लभ सम्प्रदाय) और निर्गुण (दादूदयाल, रामस्नेही) भक्ति के माध्यम से ईश्वर स्मरण।
- चरणदासी और जसनाथी सम्प्रदायों ने अनूठी साधना पद्धतियाँ दीं। 🙏
- पर्यावरण संरक्षण:
- विश्नोई सम्प्रदाय (जाम्भोजी) और राजाराम जी ने हरे वृक्षों और जीवों की रक्षा पर जोर दिया। 🌳
- सांस्कृतिक धरोहर:
- अग्नि नृत्य, चौपड़ा, तेरहताली, और भजनों ने राजस्थानी संस्कृति को समृद्ध किया। 🎶
निष्कर्ष: राजस्थान की आध्यात्मिक विरासत 💪
राजस्थान के प्रमुख संत और सम्प्रदाय ने न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक सुधार, पर्यावरण संरक्षण, और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत किया। 🌍 जाम्भोजी का पर्यावरण प्रेम, मीराबाई की भक्ति, और ख्वाजा साहब का सद्भाव आज भी प्रेरणा देता है। 💫
क्या आपने इन संतों के किसी मेले या दरगाह का दौरा किया है? अपने अनुभव कमेंट में साझा करें! 💬





