पूरी डिटेल्स में जानें 1859 नील से 1946 तेभागा तक के 10+ किसान आंदोलन + 30+ जन विद्रोह! 🎯 ददनी प्रथा, व्यपगत, नेता, स्थान, समय emojis, पूर्ण वाक्यों में bullets, tables के साथ। #KisanAndolan #TribalRevolts #PeasantStruggle
🌟 परिचय: किसान आंदोलनों की क्रांतिकारी शुरुआत – ब्रिटिश शोषण के खिलाफ संघर्ष! 🚀
ब्रिटिश शासन में किसानों का शोषण चरम पर था – ददनी प्रथा, लगान वृद्धि, बेदखली, महाजनी। नील आंदोलन से तेभागा तक किसानों ने विद्रोह किया। जनजातियों ने जंगल कानून, भू-राजस्व के खिलाफ उठ खड़े हुए। आइए हर आंदोलन की पूरी कहानी – कारण, नेता, परिणाम, पूर्ण वाक्यों में bullets, headings, emojis और tables के साथ! 💥 ये आंदोलन स्वतंत्रता की नींव हैं! 📜
⚡ प्रमुख किसान आंदोलन: लगान से नील तक की लड़ाई! 🛡️
1. नील आंदोलन (1859-1860 ई.) 💙
- ददनी प्रथा-ब्रिटिश व्यापारी भारतीय उत्पादकों, कारीगरों एवं शिल्पियों को अग्रिम पेशगी देकर काम करवाते थे।
- भारतीय किसानों द्वारा ब्रिटिश नील उत्पादकों के विरुद्ध किया गया आंदोलन था।
- प्रारम्भ-सितंबर, 1859-बंगाल के नदिया जिले के गोविंदपुर गाँव से।
- मुख्य नेता – दिगम्बर विश्वास एवं विष्णु विश्वास।
- हरिश्चन्द्र मुखर्जी ने समाचार पत्र ‘हिन्दू पेट्रियट’ में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया।
- दीनबन्धु मित्र के नाटक ‘नील दर्पण’ से इसकी जानकारी मिलती है।
2. पाबना विद्रोह (1873-1876 ई.) 📜
- 1859 ई. के एक ‘एक्ट’ द्वारा किसानों को भूमि से बेदखली एवं लगान में वृद्धि के खिलाफ एक सीमा तक संरक्षण दिया गया, इसके बावजूद जमींदारों ने किसानों को बेदखल किया व अधिक कर वसूला।
- 1873 ई. में बंगाल में पाबना में ‘युसुफ सराय किसान संघ’ की स्थापना की गई।
- यह आन्दोलन जमींदारों के विरुद्ध था, न कि अंग्रेजों के।
- किसानों का नारा था- ‘’हम महामहिम महारानी की ओर केवल उनकी रैय्यत होना चाहते हैं’’।
- यह आंदोलन कानूनी स्तर पर होने वाला अहिंसक आन्दोलन था।
3. दक्कन विद्रोह (1874-1875 ई.) – महाराष्ट्र (पूना) 💥
- महाजनों के विरुद्ध किया गया आन्दोलन था।
- दिसंबर, 1874 में महाजन कालू राम ने किसान ‘बाबा साहिब देशमुख’ के खिलाफ अदालत से घर की नीलामी की डिग्री प्राप्त कर ली थी।
- प्रारम्भ-सिरुर प्रान्त के ‘करडाह’ गाँव से।
- 12 मई, 1875 को सूपा गाँव में आंदोलन हिंसक हो गया।
- महाजनों का सामाजिक बहिष्कार किया गया।
4. कूका आन्दोलन (1860-1870 ई.) 🙏
- कृषि सम्बन्धी समस्याओं के साथ प्रारम्भ किंतु बाद में ब्रिटिश विरोधी असहयोग आन्दोलन बन गया।
- भगत जवाहर लाल (सियान साहिब) एवं उनके शिष्य बालक सिंह के नेतृत्व में प्रारम्भ किया गया।
- कालान्तर में रामसिंह ने इसका नेतृत्व संभाला।
5. रम्पा विद्रोह (1879-1922) 🏹
- आन्ध्र प्रदेश की रम्पा जनजाति द्वारा गोदावरी नदी पर।
- प्रमुख नेता- अल्लुरी सीताराम राजू।
- जमींदारों के अधिक भू-राजस्व के विरुद्ध आन्दोलन था।
- रम्पा को मुट्टा व जमींदार को मुट्टादार कहते थे।
- ‘सुलिवन’ ने रम्पा विद्रोह की जाँच कर नए जमींदारों को हटाकर पुराने जमींदारों को रखने की सिफारिश की।
6. ताना भगत आन्दोलन 🌿
- बिहार, 1914 ‘उरांव जनजाति’।
- लगान की ऊँची दर व चौकीदारी कर के विरुद्ध था।
- प्रमुख नेता-जतरा भगत।
7. तेभागा आन्दोलन (1946) ⚔️
- 1946 में बंगाल में।
- फ्लाउड कमीशन की सिफारिश के आधार पर 1/3 भू-राजस्व तय किया गया परन्तु अभी भी किसानों से अधिक भू-राजस्व लिया जा रहा था अत: राजस्व के तीसरे भाग (तेभागा) के लिए आन्दोलन हुआ।
- प्रमुख नेता- कम्पाराम सिंह एवं भवन सिंह।
8. मोपला विद्रोह (1921) 🕌
- 1921 में केरल के मालाबार तट पर।
- प्रारम्भ में खिलाफत व असहयोग आन्दोलन का हिस्सा था।
- कालान्तर में मुस्लिम किसानों द्वारा नम्बूदरीपाद ब्राह्मण जमींदारों के विरुद्ध यह आन्दोलन हिंसक हो गया।
- प्रमुख नेता- अली मुसलियार।
9. एका आन्दोलन (1921-22) 🛡️
- उत्तर प्रदेश के हरदोई, बहराइच व सीतापुर में हुआ था।
- प्रारम्भ में असहयोग आन्दोलन का हिस्सा था।
- कालान्तर में हिंसक हो गया था जिसे सरकार ने कुचल दिया।
- प्रमुख नेता- मदारी पासी व सहरेन एवं महादेव।
10. बारदोली सत्याग्रह (1928) ✊
- सूरत (गुजरात) के बारदोली तालुका में 1928 में किसानों ने ‘लगान न अदायगी’ का आन्दोलन चलाया।
- इसमें कुनबी पाटीदार जैसे भू-स्वामी किसान एवं कालीपराज जनजाति के खेतीहर मजदूर भी शामिल थे।
- प्रमुख नेता- कुँवर जी मेहता एवं कल्याण जी मेहता।
- कालीपराज जनजाति को हाली पद्धति (बन्धुआ मजदूरी) के तहत उच्च जातियों के यहाँ पुश्तैनी मजदूर के रूप में काम करना होता था।
- 1927 के ‘कालीपराज सम्मेलन’ में गांधीजी ने इन्हें रानीपराज की उपाधि दी। (यह सम्मेलन 1922 से लगातार हो रहे थे।)
- कांग्रेस ने लगान में की गई 30 प्रतिशत बढ़ोतरी के खिलाफ आन्दोलन चलाया तो सरकार ने इसे घटाकर 21.9 प्रतिशत करने की घोषणा की।
- रिपोर्ट के आधार पर लगान घटाघर 6.03 प्रतिशत कर दिया गया।
- महिलाओं ने सत्यागृह में बढ़-चढ़कर भाग लिया व वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी।
👑 किसान सभा आंदोलन: संगठित संघर्ष की शुरुआत! 📢
- स्थापना- 1918।
- संस्थापक- गौरीशंकर मिश्र।
- इन्द्र नारायण द्विवेदी, मदन मोहन मालवीय।
- अवध किसान सभा- 17 अक्टूबर, 1920।
- प्रतापगढ़ में बाबा रामचन्द्र के प्रयासों से स्थापना।
- प्रमुख नेता- झिंगुरी पाल सिंह, दुर्गपाल सिंह, माता चदल पांडे, जवाहर लाल नेहरू।
- प्रतापगढ़ का ‘खरगाँव’ गतिविधियों का मुख्य केन्द्र था। जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया गया।
अखिल भारतीय किसान सभा 🏆
- स्थापना- 11 अप्रैल, 1936 लखनऊ।
- अध्यक्ष- सहजानन्द सरस्वती।
- सचिव- एन. जी. रंगा।
- 1937 में अखिल भारतीय किसान सभा का अधिवेशन फैजपुर में कांग्रेस अधिवेशन के समानान्तर हुआ जिसकी अध्यक्षता एन. जी. रंगा ने की।
- 1923- सहजानन्द सरस्वती- बिहार किसान सभा।
- 1928- एन. जी. रंगा- आन्ध्र प्रान्तीय रैय्यत सभा।
- सहजानन्द सरस्वती ने बिहार में बकाश्त भूमि आन्दोलन चलाया था। (भूराजस्व न चुकाए जाने पर जब्त भूमि)
- 1938 में निदुबोल (आन्ध्र प्रदेश)- पहला भारतीय किसान स्कूल खोला गया था।
📊 प्रमुख किसान संगठन टेबल! 🗒️
| संगठन | स्थापना वर्ष |
|---|---|
| कृषक लीग, ढाका | 1870-71 |
| अवध किसान सभा | 1920 |
| संयुक्त एसोसिएशन, गुंटूर | 1923 |
| संयुक्त प्रान्त किसान संघ | 1924 |
| संयुक्त प्रान्त किसान संघ | 1924 |
| आन्ध्र रैय्यत एसोसिएशन | 1928 |
| संयुक्त प्रान्त किसान सभा | 1918 |
| बिहार प्रान्तीय किसान सभा | 1929 |
| कृषक संघम, मालाबार | 1934 |
| अखिल भारतीय किसान कांग्रेस | 1936 |
| पंजाब किसान समिति | 1937 |
🏹 जन आंदोलन व आदिवासी विद्रोह: जंगल से मैदान तक की जंग! 🌳
प्रमुख आन्दोलन/विद्रोह व उनके प्रमुख नेता टेबल 📋
| आन्दोलन | स्थान | नेता | समय |
|---|---|---|---|
| पागल पंथी विद्रोह | उत्तरपूर्वी भारत | करमशाह व उसका पुत्र टीपू | 1813-33 ई. |
| मोपला विद्रोह | केरल | सैयद अली, सेयद फजल | 1840-42 ई. |
| रंगपुर विद्रोह | रंगपुर, दीनाजपुर (बंगाल) | धीरज नारायण व नूरुलुद्दीन | 1783 ई. |
| बरीसाल/बरासत विद्रोह | बंगाल | टीटू मीर | 1831 ई. |
| कूका आन्दोलन | पंजाब | भगत जवाहरमल, बालक सिंह, रामसिंह कूका | 1860-70 ई. |
| गडकरी | कोल्हापुर | बाबाजी अहीरकेर एवं कृष्णा दाजी पण्डित | 1844 ई. |
| संन्यासी विद्रोह | बंगाल | केना सरकार | 1770-80 ई. |
| फैराजी | बंगाल | शरीयतुल्ला व उसका पुत्र दूदू मियां | 1839 ई. |
| फकीर विद्रोह | बंगाल | मजनूम शाह, चिराग अली शाह, भवानी पाठक, देवी चौधरानी | 1776-77 ई. |
| रामोसी विद्रोह | सतारा | चित्तूर सिंह, उमाजी | 1822-26 ई. |
| मैसूर विद्रोह | मैसूर (कर्नाटक) | सरदार मल्ला | 1830-31 ई. |
| सावंतवादी विद्रोह | महाराष्ट्र | फोन्ड सावन्त | 1844 ई. |
| वहाबी | पेशावर, पटना | सैयद अहमद राय बरेलवी | 1820-70 ई. |
| भील विद्रोह | पश्चिमी भारत, खानदेश | सेवरम, हिरिया | 1818-31 ई. |
| कोल विद्रोह | मानभूम, सिंह भूम, राँची | बुद्ध भगत (छोटा नागपुर) | 1831-32 ई. |
| खासी विद्रोह | जयन्तिया व गारो की पहाड़ियाँ | तीरत सिंह, बारमानिक, मुकुन्द सिंह | 1833 ई. |
| गोंड विद्रोह | – | – | 1817 ई. |
| खोंड विद्रोह | उड़ीसा | चक्र बिसोई व राधाकृष्ण देण्डसेन | 1837-56 ई. |
| पहाड़िया विद्रोह | राजमहल की पहाड़ियाँ | – | 1778 ई. |
| संथाल विद्रोह | राजमहल (संथाल परगना) | सिदू व कान्हू | 1856 ई. |
| चुआर विद्रोह | मिदनापुर (बंगाल) | दुर्जनसिंह, जगन्नाथ | 1768-1800 ई. तक |
| हो विद्रोह | छोटा नागपुर व सिंहभूम | – | 1820-37 ई. |
| रम्पा विद्रोह | गोदावरी (आन्ध्र प्रदेश) | अल्लूरी सीताराम राजू | 1922-24 ई. |
| काचा नाग विद्रोह | असम | शंभूधन | 1882 ई. |
| रेंचु आन्दोलन | गुटूंर (आन्ध्र प्रदेश) | वेंकपट्टय्या | 1920 ई. |
| कोया विद्रोह | पूर्वी गोदावरी (आन्ध्र प्रदेश)/कोरापूट (उड़ीसा) | टोम्मा डोरा | 1879-80 ई. |
| मुण्डा विद्रोह | छोटा नागपुर | बिरसा मुण्डा | 1893-1900 ई. |
| भील विद्रोह | राजस्थान, गुजरात | गोविन्दगुरु | 1900-1925 ई. |
| भूयान विद्रोह व जुआग | उड़ीसा | रतन नायक, धरनी धरनायक | 1867, 1891-93 ई. |
| नागा आन्दोलन | नागालैण्ड | रोंगमेई जदोनांग, रानी गौडिनलियू | 1930-37 ई. |
| ताना भगत | छोटा नागपुर | जतरा भगत, बलराम भगत, देवमेनिया भगत (महिला) | 1914-30 ई. |
| नैकदा आन्दोलन | मध्य प्रदेश, गुजरात (पंचमहल) | जोरिया भगत, रूप सिंह | 1867-70 ई. |
| खारवाड़ विद्रोह | झारखण्ड | भागीरथ | 1874 ई. |
| कूकी विद्रोह | त्रिपुरा एवं मणिपुर | – | 1917-19 ई. |
| खोंडा दोरा | विशाखापट्टनम | कोर्रा मलाया | 1900 ई. |
🌟 निष्कर्ष: किसान-जनजाति आंदोलनों ने ब्रिटिश नींव हिलाई – स्वतंत्रता की पहली चिंगारी! 💪
नील की नीली आग से मुंडा की उलगुलान तक – ये आंदोलन शोषण के खिलाफ थे। 🇮🇳 सबसे प्रेरणादायक कौन सा? शेयर करो! 🚀 #KisanVirasaat #TribalHeroes
