बालोतरा जिला राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रमुख औद्योगिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है। यह मुख्य रूप से कपड़ा उद्योग, धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह पहले बाड़मेर जिले का हिस्सा था, लेकिन 2025 में इसे एक नया जिला बनाया गया।
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भौगोलिक स्थिति
देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 25.83° N, 72.24° E
कुल क्षेत्रफल: लगभग 6,400 वर्ग किमी
सीमाएँ:
उत्तर में जोधपुर जिला
दक्षिण में सिरोही और जालोर जिला
पूर्व में पाली जिला
पश्चिम में बाड़मेर जिला
जलवायु:
यह क्षेत्र मुख्य रूप से शुष्क जलवायु वाला है।
ग्रीष्मकाल में तापमान 48°C तक पहुँच सकता है, जबकि सर्दियों में यह 5°C तक गिर सकता है।
भूभाग:
यहाँ रेतीले मैदान और पहाड़ी क्षेत्रों का मिश्रण है।
कृषि और औद्योगिक क्षेत्र का अधिक महत्व है।
मूल जानकारी
गठन: बाड़मेर जिले को विभाजित करके बनाया गया (2023)
अवस्थिति: राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में, लूनी नदी के बेसिन में
भू-प्रकार:
उत्तरी भाग: बालुका स्तूप मुक्त (41.5% क्षेत्र)
दक्षिणी भाग: लूनी बेसिन
2. पर्वत एवं पठार
छप्पन की पहाड़ियाँ:
ऊँचाई: 3,727 फीट (जिले की सर्वोच्च)
विशेषता: 56 गोलाकार गुम्बदनुमा संरचनाएँ
खनिज: ग्रेनाइट व रायोलाइट
नदियाँ एवं जलाशय
1. लूनी नदी
उद्गम: नाग पहाड़ (अजमेर)
प्रवाह क्षेत्र: 7 जिले (अजमेर, नागौर, ब्यावर, जोधपुर, बालोतरा, बाड़मेर, सांचौर)
महत्व:
बालोतरा तक मीठा पानी, आगे खारा
बाँध: पिचियाक (जोधपुर), नाकोड़ा (बालोतरा)
2. अन्य नदियाँ
सूकड़ी नदी: लूनी की सहायक, देसूरी (पाली) से उद्गम
पचपदरा झील:
खारे पानी की झील
नमक उत्पादन: कोसिया विधि द्वारा
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत
1. प्रमुख मंदिर
मंदिर
स्थान
विशेषता
रूपा दे मंदिर
पालिया गाँव
मल्लीनाथ जी की पत्नी, लूनी नदी तट पर
ब्रह्मा मंदिर
आसोतरा
खेतराम जी द्वारा 1984 में निर्मित, युगल प्रतिमा (ब्रह्मा-सावित्री)
नाकोड़ा पार्श्वनाथ
नाकोड़ा
जैन तीर्थंकर, “जागती जोत” व “हाथ का हुजुर” के नाम से प्रसिद्ध
हिंगलाज माता
सिवाणा
गोण्णेश्वर महादेव मंदिर (डण्डाली गाँव) के निकट
2. ऐतिहासिक स्थल
सिवाणा दुर्ग:
उपनाम: कुमटगढ़/अणखेला सिवाणो
निर्माण: वीर नारायण पंवार (954 ई.)
ऐतिहासिक घटनाएँ:
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 1308 में विजय (“खैराबाद” नामकरण)
जयनारायण व्यास को यहाँ बंदी बनाया गया
आर्थिक एवं औद्योगिक विकास
1. प्रमुख उद्योग
पचपदरा तेल रिफाइनरी:
क्षमता: 9 मिलियन टन वार्षिक
विशेषता: देश की पहली इको-फ्रेंडली रिफाइनरी (BS-6 मानक)
वस्त्र उद्योग:
अजरक प्रिंट: लाल-नीले रंग की ज्यामितीय डिज़ाइन
मलीर प्रिंट: काला-कत्थई रंग, मोहम्मद यासीन छीपा द्वारा प्रसिद्ध
2. खनिज संपदा
मरकरी लाल ग्रेनाइट: सिवाणा क्षेत्र
लिग्नाइट: भादेसर सुपर पॉवर प्रोजेक्ट
पर्यटन एवं मेले
1. प्रमुख मेले
मेला
स्थान
विशेषता
मल्लिनाथ पशु मेला
तिलवाड़ा
राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला (1593 से)
खेमाबाबा मेला
बायतु
जाट समुदाय का प्रमुख आयोजन
कनाना मेला
बालोतरा
गैर नृत्य व आंगी-बांगी लोकनृत्यों का प्रदर्शन
2. अन्य आकर्षण
पिपलूद: “लघु माउंट आबू” के नाम से प्रसिद्ध
तिलवाड़ा: मध्य पाषाणकालीन पुरातात्विक स्थल
विशेष तथ्य
मल्लीनाथ जी:
लोकदेवता, रूपा दे के पति
कुण्डा पंथ के संस्थापक
जसोल गाँव:
नागणेची माता का मंदिर (राठौड़ों की कुलदेवी)
संत बांकीदास:
“मारवाड़ का बीरबल”, जोधपुर महाराजा मानसिंह के दरबारी कवि
संक्षिप्त तालिका: प्रमुख तथ्य
श्रेणी
विवरण
प्रमुख नदी
लूनी (पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी)
ऐतिहासिक दुर्ग
सिवाणा दुर्ग (दो साकों की गाथा)
प्रमुख उद्योग
पचपदरा रिफाइनरी, अजरक प्रिंट वस्त्र
विशेष उपलब्धि
राजस्थान की पहली इको-फ्रेंडली रिफाइनरी
निष्कर्ष
बालोतरा जिला अपनी औद्योगिक समृद्धि (तेल रिफाइनरी, वस्त्र उद्योग), ऐतिहासिक विरासत (सिवाणा दुर्ग, मल्लीनाथ पशु मेला), और सांस्कृतिक विविधता (ब्रह्मा मंदिर, नागणेची माता) के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की भौगोलिक विशेषताएँ (छप्पन की पहाड़ियाँ) और कृषि संसाधन (लूनी बेसिन) इसे राजस्थान का एक महत्वपूर्ण जिला बनाते हैं।
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