बांसवाड़ा जिले का संपूर्ण विवरण
बांसवाड़ा राजस्थान का एक सुंदर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है, जिसे “सौ द्वीपों की भूमि” (City of Hundred Islands) के नाम से भी जाना जाता है। यह अपनी हरी-भरी पहाड़ियों, झीलों और जनजातीय संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
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भौगोलिक स्थिति
- देशांतर एवं अक्षांशीय विस्तार: 23.5461° N, 74.4332° E
- कुल क्षेत्रफल: लगभग 5,037 वर्ग किमी
- सीमाएँ:
- उत्तर में प्रतापगढ़
- दक्षिण और पश्चिम में मध्य प्रदेश और गुजरात
- पूर्व में डूंगरपुर जिला
- जलवायु:
- ग्रीष्मकाल में तापमान 45°C तक और सर्दियों में 5°C तक रहता है।
- भूभाग:
- यह क्षेत्र अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है, जिससे यहाँ पहाड़ी और पठारी भूभाग देखने को मिलता है।
- नामकरण:
- बांस के जंगलों की अधिकता या प्रतापी शासक बांसिया भील के नाम पर इस क्षेत्र का नाम “बांसवाड़ा” पड़ा।
- स्थापना:
- बांसवाड़ा की स्थापना महारावल उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमाल ने की थी।
- उपनाम:
- सौ द्वीपों का शहर
- मानसून का प्रवेश द्वार
- सागवान का उद्यान
- सुनहरे द्वीपों का शहर
भौगोलिक स्थिति और विशेषताएँ
- स्थान:
- बांसवाड़ा राजस्थान का सबसे दक्षिणी जिला है।
- अंतरराष्ट्रीय रेखा:
- 23 1/2 डिग्री उत्तरी अक्षांश (कर्क रेखा) बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले से गुजरती है।
- बांसवाड़ा शहर कर्क रेखा से राजस्थान का सर्वाधिक नजदीक का जिला मुख्यालय है।
- कुशलगढ़ बांसवाड़ा जिले का कर्क रेखा का निकटतम शहर है।
- सीमाएँ:
- दक्षिण-पश्चिम में गुजरात के पंचमहल जिले की सीमा को स्पर्श करता है।
- जलवायु:
- राजस्थान का एकमात्र जिला जहाँ दो प्रकार की जलवायु (उष्णकटिबंध और शीतोष्ण कटिबंध) पाई जाती है।
- वर्षा:
- राजस्थान में वर्षा की सबसे कम विषमता वाला जिला बांसवाड़ा है।
- मानसून:
- राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार बांसवाड़ा और झालावाड़ हैं।
- प्रमुख राजमार्ग:
- राष्ट्रीय राजमार्ग 927A बांसवाड़ा जिले से गुजरता है।
- प्रमुख नदी:
- माही नदी (उद्गम: मध्य प्रदेश की मेहद झील)।
- शुभंकर:
- जलपीपी।
प्राकृतिक और आर्थिक विशेषताएँ
- वनस्पति:
- सर्वाधिक सागवान और बांस के वृक्ष बांसवाड़ा में पाए जाते हैं।
- कृषि:
- केले का सर्वाधिक उत्पादन बांसवाड़ा जिले में होता है।
- राजस्थान में सर्वाधिक मैंगनीज का उत्पादन बांसवाड़ा जिले में होता है।
- सिंचाई:
- राजस्थान में झरनों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले में होती है।
- शोध संस्थान:
- मक्का शोध संस्थान बोखरगाँव में स्थापित है।
- बाँध और परियोजनाएँ:
- माही बजाज सागर बाँध (बोरखेड़ा में, राज्य का सबसे लंबा बाँध)।
- कागदी पिकअप बाँध (माही नदी पर)।
- माही बजाज सागर परियोजना (राजस्थान और गुजरात की अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय परियोजना)।
- अनास परियोजना (अनास नदी पर)।
- प्रस्तावित परियोजनाएँ:
- नापला गाँव में न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है।
- झीलें और तालाब:
- बाई तालाब / आनंद सागर झील (निर्माण: महारावल जगमाल सिंह की रानी लंची बाई द्वारा, बांसवाड़ा के पूर्वी भाग में)।
- चाचा कोटा टापू (माही नदी पर)।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- बोली:
- बागड़ी (डूंगरपुर और बांसवाड़ा क्षेत्र की बोली, जिसे भीलों की बोली भी कहा जाता है)।
- जनसंख्या:
- जिले की 70% से अधिक जनसंख्या आदिवासी भीलों की है।
- धार्मिक स्थल:
- मंडलेश्वर मंदिर: पाराहेड़ा ग्राम, नगेला तालाब के तट पर, मांडलिक द्वारा निर्मित।
- घोटिया अम्बा: घोटेश्वर महादेव का मंदिर, जहाँ कुन्ती, द्रोपदी और पाण्डवों की मूर्तियाँ हैं। पाँच कुण्ड और चैत्र माह की अमावस्या से चैत्र शुक्ल दूज तक मेला।
- बेणेश्वर धाम: बांसवाड़ा और डूंगरपुर की सीमा पर, सोम, माही और जाखम नदियों का संगम। माघ पूर्णिमा पर मेला (आदिवासियों का कुंभ)।
- ब्रह्मा मंदिर: छींच ग्राम, सोलहवीं शताब्दी में गुहिल वंश के महारावल जगमाल द्वारा निर्मित, चारमुखी मूर्ति।
- कलिंजरा के जैन मंदिर: हिरन नदी के तट पर, ऋषभदेव/पार्श्वनाथ मंदिर।
- तलवाड़ा: ग्यारहवीं शताब्दी का सूर्य मंदिर और लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर।
- नंदिनी माता मंदिर: बड़ोदिया में, पौष पूर्णिमा पर मेला।
- सवाईमाता मंदिर: भण्डारिया, बांसवाड़ा में।
- अब्दुल रसूल की मजार: बोहरा मुस्लिम संत की मजार।
- रामकुण्ड: तलवाड़ा में प्राचीन तीर्थस्थल।
- मंदारेश्वर मंदिर: बांसवाड़ा में।
- आथूणा के शिव मंदिर की प्रशस्ति: 1079 ई. की, रचयिता विजय और सूत्रधार गंदाक।
- मेला:
- घोटिया अम्बा मेला (चैत्र माह की अमावस्या, आदिवासियों का दूसरा कुंभ, बांसवाड़ा का सबसे बड़ा मेला)。
ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व
- स्वतंत्रता संग्राम:
- मानगढ़ हत्याकांड: 17 नवंबर 1913, अम्बादरा गाँव, मानगढ़ पहाड़ी पर। उपनाम: भारत का दूसरा जलियाँवाला बाग। 2015 में पहली बार शहादत की याद में ध्वजारोहण।
- 1857 की क्रान्ति: शासक महारावल लक्ष्मण सिंह।
- प्रजामण्डल:
- स्थापना: 1943, भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी द्वारा।
- संग्रहालय:
- राष्ट्रीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, मानगढ़।
- प्रमुख व्यक्तित्व:
- हरिदेव जोशी: जन्म खांदू ग्राम में, लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीते, तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री।
- क्षेत्रीय नाम:
- मेवल: बांसवाड़ा और डूंगरपुर के मध्य का भाग।
- छप्पन का मैदान: बांसवाड़ा से प्रतापगढ़ के मध्य का भाग।